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हुंडई i20 की परफॉर्मेंस है दमदार

नई हुंडई i20 मे नया पॉवरट्रेन लगाया गया है जो एक सरप्राइज़ है। इसमें 1.0लीटर टर्बो-पेट्रोल इंजन 7-स्पीड डीसीटी के साथ है। यह इंजन 118 bhp की पावर और 17.5 kg-m पीक टॉर्क बनाता है.

जब उन सभी टार्क को आगे के पहिए में भेजा जाता है तो वह पूरी तरह से स्ट्रांग हो जाता है और ट्रांसमिशन तेजी से बदलता है जिससे आपके इंजन को यह हर समय पावरबैंड में रहने देता है. इससे कार के ड्राइविंग में औऱ भी ज्यादा आसानी होती है साथ ही कार का इंजन औऱ भी ज्यादा पावरफूल हो जाता है.

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नई हुंडई i20 अभी तक अपने सेगमेट में सबसे बेस्ट पावरट्रेन दिया गया है. और यह निश्चित रूप से #BringsTheRevolution है.

इंटरव्यू: आज दर्शकों का राजा है मोबाइल ऑडियंस

राहुल पटेल बॉलीवुड में कहानी,पटकथा और संवाद लेखक हैं.वह देश में वेब सीरीज के शुरुआती लेखकों में से हैं.साल 2017 की राष्ट्रीय अवार्ड विजेता एनिमेशन फिल्म महायोद्धा राम के वह संवाद लेखक हैं और पिछले साल वह वेब वल्र्ड में ‘द वर्डिक्ट स्टेट वर्सेस नानावटी’ नामक वेब फिल्म के लिए चर्चित रहे हैं.कुछ दिनों पहले मैंने उनसे मुंबई में उनके आॅफिस में वेब सीरीज के टारगेट ऑडियंस,उनके मिजाज और कंटेंट को लेकर बात की.पेश है इस बहुत लंबी बातचीत के कुछ हिस्से.

लोकमित्र गौतम- राहुल हमें यह बताइये कि वेब राइटिंग दूसरी राइटिंग से कैसे अलग है,इसकी शुरुआत कहां हुई,इसकी जरूरत क्यों पड़ी और इसका भविष्य क्या है?

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राहुल पटेल- पिछले चार-पांच सौ सालों में कंटेंट का जो भी नया फोर्मेट आया है, साहित्य की जो भी नई विधाएं आयी हैं, वे ज्यादातर पश्चिम से आयी हैं, वेब राइटिंग भी इन्हीं सब की तरह पश्चिम से आयी है.वेस्ट में टीवी पहले से ही बड़ा था.पिछली सदी के, नाइंटीज के दशक में, स्टार वल्र्ड में सेंटा बार्बरा नाम का एक डेली सोप आता था,जो बहुत चलता था.हिंदुस्तान में डीडी सोप उसी दौरान शुरु हुए,जबकि मैक्सिको और स्पेन में तब डेली सोप चलते थे.इनमें कुछ करेक्टर होते थे, एक हाइप प्वाइंट होता था, जिसके सहारे दूसरे एपीसोड की तरफ बढ़ा जाता था.जॉर्ज आरआर मार्टिन की किताब ‘ए सांग ऑफ आईस एंड फायर’ पर बना डेली सोप ‘गेम ऑफ थ्रोन’ ऐसा ही एक सोप है जो आठ साल तक लगातार चला.इस तरह से कुछ और कार्यक्रमों ने अपनी जगह बनायी जो आम टीवी धारावाहिकों से अलग थे.ये तमाम सोप कुछ कुछ फिल्मों जैसे थे,इनका बजट भी फिल्मों जैसा था.वास्तव में यहीं से निकला है वेब सीरिज का कांसेप्ट जो कि टीवी तथा सिनेमा के बीच का कांसेप्ट है.

लोकमित्र गौतम- क्या वेब सीरीज सिनेमा के लिए चुनौती की तरह है ?
राहुल पटेल– दरअसल पहले हॉलीवुड में ज्यादातर फिल्में रिश्तों पर बनती थीं जैसे-फॉरेस्ट गम्प या यू गोट मी आदि.रोमांटिक कॉमेडी भी बनती थीं, ड्रामा भी बनते थे.लेकिन ध्यान से देखिये तो एहसास होगा कि अब हॉलीवुड में ज्यादातर फिल्में सुपर हीरोज की बनने लगी हैं.इसकी वजह यह है कि आप सुपरमैन पर टीवी कार्यक्रम नहीं बना सकते,चाहें तो भी नहीं.कहने का मतलब इन्हें देखने तो टाकीज में ही आना पड़ेगा.इस तरह देखें तो वेब सीरीज ने फिल्मों को एक खास तरह की टेरीटरी तक सीमित कर दिया है।
लोकमित्र गौतम- क्या यही है वेब सीरीज की सफलता का राज कि उसने फिल्मों को कंटेंट वाइज चुनौती दी है ?

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राहुल पटेल- हाल के सालों में वेब सीरीज या कहें वेब कंटेंट की सफलता का एक और कारण पर्सनल व्यूविंग है खासकर मोबाइल की वजह से.क्योंकि इंटरनेट की वजह से हम वल्र्ड सिनेमा से, वल्र्ड कंटेंट से एक्सपोज हैं.आज हिंदुस्तान के किसी बी टाउन में रहने वाला एक बच्चा भी शायद हॉलीवुड में रहने वाले किसी बच्चे जितना इनफार्मेशन रख सकता है और रखता भी है.कहने का मतलब यह कि नयी पीढ़ी का एक्सपोजर इस तरह का है.सवाल है अब इस जनरेशन को स्टियूमलेट करने के लिए आपको उस लेबल का कुछ तो बनाना ही पड़ेगा ? इसी वजह से वेब सीरीज चलन में आया।
लोकमित्र गौतम- वेब सीरीज, सिनेमा और टीवी से कैसे अलग है ?
राहुल पटेल- पर्सनल मोबाइल के चलते.दरअसल इंटरनेट की दुनिया,कहीं न कहीं आपस में मर्ज कर चुकी हैं.भारत में एमटीवी में जो रोडी आया था,वह एक रैबल की शुरुआत थी, उसमें आखिर क्या था-एक ऐसी चीज जहां लोग आकर सहजता से एक दूसरे को गाली दे सकते थे.वास्तव में आज की नई पीढी की दुनिया यही है.नयी जनरेशन यही है.वेब सीरीज मोबाइल की वजह से आया कंटेंट है.चूंकि हमने न तो अपने सिनेमा को और न ही अपने टीवी को,सालों से इन्हें अपडेट नहीं किया,हां, विस्तार जरूर किया है.ऐसे में एक नयी किस्म की क्वालिटी का जन्म होना ही था.एक नये तरीके के फैशन का जन्म होना ही था सो यह नया नैरेटिव है.मुझे लगता है यह जल्दी नहीं जाएगा.यह यहां रहने वाला है.यह जल्दी फेडआउट नहीं होने वाला.क्योंकि इसका अगला चरण भी आ गया है.

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लोकमित्र गौतम-अगला चरण क्या है ?
राहुल पटेल- इसका नेक्स्ड लेवल यह है कि अब इंट्रैक्टिव सीरीज बन रही हैं,जिसमें आपको एपीसोड का इंड दिखा दिया जायेगा.इसमें एक हुक प्वाइंट भी होगा और आपसे पूछा जाएगा किरदार को अगले सीन में क्या करना चाहिए ? मसलन उसे भाग जाना चाहिए,उसे किसी को मार देना चाहिए या सॉरी बोलना चाहिए.व्यूवर जिसके पक्ष में सबसे ज्यादा वोटिंग करेंगे उसी के मुताबिक कहानी आगे बढ़ेगी.हम हिन्दुस्तानियों के लिए यह एक नए किस्म का कंटेंट है,जिसका अपना एक नैरेटिव है.
लोकमित्र गौतम- हमारे यहां अभी तक जितनी वेब सीरीज बनी हैं,बन रही हैं या बनने जा रही हैं,क्या उनमें ओरिजनल कंटेंट है ?
राहुल पटेल- मैं कहूंगा नहीं.हम अभी तक इस तरह का कोई ओरिजनल कंटेंट नहीं दे पाये हैं।इस मामले में अभी तक हमने विदेशी कंटेंट की सिर्फ लैंग्वेज बदली है.हालांकि आज लेखन के क्षेत्र में कई अलग-अलग क्षेत्रों से लोग आये हैं.मसलन आज स्टैंडअप कमेडियन जितने आ रहे हैं वो आईआईटी से आ रहे हैं.इनमें ज्यादातर इंजीनियर हैं,वो आकर अपनी व्यथा सुना रहे हैं.जिससे हम यह जान पा रहे हैं कि उस दुनिया में क्या हो रहा है ? इस तरह देखें तो इस नयी लैंग्वेज से नये नये वल्र्ड तो जरूर यूज हुए है, लेकिन इन नए वल्र्ड को लेकर कोई नयी कहानियां बनी हों, ऐसा नहीं है.यह बात जरूर है कि नये नये वर्ल्ड खुल रहे हैं.उनके अंदर एक शॉक वैल्यूज भी आ रहे हैं.वास्तव में हम अभी भी शॉक वैल्यूज पर ही खेल रहे हैं.

लोकमित्र गौतम- सवाल है ऐसा क्यों ?
राहुल पटेल- यह कंटेंट बना कौन रहा है ? आज इस किस्म का कंटेंट भी वही लोग बना रहे हैं जो पहले फिल्में बनाते थे.ये वो लोग हैं जो टीवी में काम करते रहे हैं,फिल्मों में काम करते रहे हैं.यही लोग आज वेब सीरिज बना रहे हैं.आज वेब सीरीज की दुनिया के जो सारे क्रिएटर्स हैं, उनमें से ज्यादातर को यही लगता है कि उन्हें बांध दिया गया था और अब वेब सीरिज ने उन्हें आजादी दिलाई है.इसलिए ये लोग यहां आये हैं.

लोकमित्र गौतम- क्या दर्शक पुराने नहीं हैं ?
राहुल पटेल-नहीं आज का नया ब्यूवर वह है,जिसके पास अपना मोबाइल फोन है और जिसमें वह इंटरनेट की वजह से दुनियाभर के प्रोग्राम देखता है.उसके टेस्ट के बारे में हमारे देसी कंटेंट प्रोड्यूसर यही मानकर चलते हैं कि अगर वेस्ट में इस तरह के शो देखे जा रहे हैं तो यहां भी ऐसे ही देखे जाएंगे.फिलहाल वेब सीरीज में क्राइम छाया हुआ है.लेकिन मुझे ऐसा लगता है हमने क्राइम को कुछ ज्यादा ही एक्सप्लोर किया है.जबकि हिंदुस्तान के अंदर आज भी सबसे कम राजनीति को एक्सप्लोर की गयी है.सच तो यह है कि इसे 0.01 फीसदी के आसपास भी एक्स्प्लोर नहीं किया गया.भविष्य में राजनीति की दुनिया से तमाम अच्छी कहानियां आ सकती हैं.हॉलीवुड में राजनीतिक इतिहास पर बहुत गंभीरता से फिल्में बनी हैं

अक्षरा बनकर एक बार फिर नजर आएंगी हिना खान, फैंस को है इंतजार

हिना खान टीवी की जानीमानी अभिनेत्रियों में से एक है. सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में अहम भूमिका अदा कि हैं. इस सीरियल से ही हिना खान ने एक्टिंग कि दुनिया में कदम रखा था. प्रोड्यूसर राजन शाही ने इस सीरियल में हिना खान को अक्षरा का नाम दिया था.

इस सीरियल में हिना खान लगभग 8 साल तक जुड़ी रही. ऐसे में अक्षरा का किरदार उनके रग-रग में बस गया. हिना खान ये रिश्ता क्या कहलाता है के फैंस को जल्द ही सरप्राइज देने वाली हैं. नए साल के मौके पर हिना खान अभरा बनकर एंटरटेनमेंट करने वाली हैं.

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बता दें कुछ वक्त पहले हिना खान बिग बॉस 14 में नजर आई थी. जिसमें सीनियर मैंबर के तौर पर खूब पसंद किया था. अब हिना खान जल्द एकबार फिर दर्शकों के बीच झलक दिखाने वाली हैं.

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हिना खान कुछ वक्त पहले सीरियल नागिन में भी नजर आई थी लेकिन वह वहां ज्यादा दिनों तक नहीं नजर आई थी. वैसे जब से अक्षरा ने अपना पोस्ट सोशल मीडिया पर डाला है तब से फैंस को उनके इस लुक का इंतजार होने लगा है.

 

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फैंस भी हिना खान के इस लुक को देखने के लिए बेताब हैं. हिना खान अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आएं दिन अपडेट रहती हैं. वह हर वक्त नए-नए पोस्ट शेयर करती रहती हैं. हिना खान लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताती नजर आ रही थीं.

बिग बॉस 14: जब कविता कौशिक ने खोली अभिनव शुक्ला की पोल , रोने लगी रुबीना दिलाइक

अभिनव शुक्ला और कविता कौशिक के बीच की लड़ाई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. अभिनव शुक्ला के ऊपर कविता कौशिक ने अश्लील मैसेज भेजने के आरोप लगाएं हैं. जिसके बाद जमकर बिग बॉस के घर में बवाल होता नजर आया.

दरअसल, कविता कौशिक बिग बॉस के घर से जा चुकी हैं लेकिन उनके कहे गए बात का असर अभी भी घर में बना हुआ है. विकास गुप्ता ने इस बात का खुलासा किया है अभिनव शुक्ला से कि कविता कौशिक खुद तो घर से बाहर जा चुकी हैं लेकिन उन्होंने जानें के बाद बाहर अभिनव शुक्ला को लेकर क्या ड्रामा किया है.

 

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इन सभी बातों को जानने के बाद अभिनव शुक्ला और रुबीना दिलाइक हैरान हो गए हैं. वहीं बिग बॉस के अपकमिंग प्रोमो को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि वीकेंड के वार में कविता कौशिक की वापसी हो रही है कविता अपने पति रोनित बिश्वास के साथ आ रही है.

घर में आने के बाद कविता कौशिक और अभिनव शुक्ला के बीच जमकर लडाई होती नजर आएगी. कविता कहेंगी तुमने नशे में मुझे अश्लील मैसेज किए थे जिसके बाद अभिनव शुक्ला कहेंगे कि सबूत क्या है. इन सबकी लड़ाई जमकर होगी.

जिसके बाद सलमान खान भी इन सभी के लड़ाई से परेशान हो जाएंगे सलमान गुस्से में आकर कहेंगे ऐसी बातें कौन करता है एक-दूसरे के बारे में.

 

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इन सभी लड़ाई झगड़े को देखने के बाद रुबीना दिलाइक सलमान खान के सामने फूट-फूटकर रोने लगेंगी. सभी लोग हैरान हो जाएंगे इसे क्या हुआ है. अब बाकी जानकारी आपको शो देखने के बाद मिलेगी.

पति पत्नी और पंगाः फूहड़ता और बेवजह की भाषणबाजी

फिल्म   समीक्षा

वेब सीरीजःपति पत्नी और पंगाः

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताःजय साहनी,सोना साहनी और आरूषी
मेहता.
लेखक व निर्देशकःअबीर सेन गुप्ता
कलाकारःनवीन कस्तूरिया,अदा शर्मा,अलका
अमीन,हितेन तेजवानी व अन्य
अवधिः 17 से 26 मिनट के छह एपीसोड,लगभग
140 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः एमएक्स प्लेअर पर 11 दिसंबरसे

पति व पत्नी के बीच अक्सर तलाक की वजह किसी दूसरे मर्द या औरत के संग
अवैध संबंध नहीं ही होते हैं.मगर अबीर सेन गुप्ता निर्देषित हास्य प्रधान
वेब सीरीज ‘‘पति पत्नी और पंगा’’में तलाक की वजह‘सेक्स चेंज’ आपरेशन है.
जिसमें नारीवाद और नारी शरीर को लेकर लंबा चैड़ा भाषण भी है.

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कहानीः
मुंबई शहर में रोमांचक(नवीन कस्तूरिया) एक छोटा सा एस्टेट एजंट है,जिसकी अपनी ‘‘लवली प्रापर्टीज’’ नामक एक छोटी सी दुकान है.उसकी दुकान पर एक दिन एक लड़की षिवानी(अदा षर्मा) किराए पर मकान लेने के मकसद से आती है,मगर मुंबई में किसी अकेली लड़की को कोई भी अपना मकान किराए पर
देेने को तैयार नहीं होता,तब रोमांचक अपने मित्र जीतू की सलाह पर अपने माता(अलका अमीन) व पिता कमल अरोड़ाा से बात कर अपने ही घर का एक कमरा उसे किराए पर दे देता है.

एक माह के अंदर ही रोमांचक व शिवानी के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाते हैं.इस बात से सबसे ज्यादा खास रोमांचक की मां होती है,क्योंकि उन्हेे लग रहा है कि उनका बेटा 28 वर्ष का हो गया और उसका
किसी लड़की के संग अफेयर भी नही है,कहीं उनका बेटा रोमांचक ‘गे’तो नही है. वैसे भी रोमांचक व उनकी मंा दोनों को ‘गे’से नफरत है. शिवानी का दावा है कि इस संसार में उसका अपना कोई नही है.वह इंदौर से
मुंबई एनजी ओ मेें काम की तलाश में आयी है.

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रोमांचक की मां को अपने बेटे रोमांचक की शादी की जल्दी है,तो वह षिवानी के बारे में कुछ भी
पता नहीं करते और रोमांचक व षिवानी की षादी हो जाती है.शादी के कुछ दिन बाद जीतू अचानक रोमांचक से कहता है कि उसने षिवानी के बारे में कुछ पता किया था या सिर्फ संुदर लड़की देखी और शादी कर ली.तब वह पता करने की कोशिश करता है,पर कुछ पता नहीं चलता.मगर यह बात सामने आती है कि शिवानी वास्तव में पहले शिव नामक लड़का थी और रोमांचक से मिलने से छह माह
पहले ही उसने अपना ‘सेक्स चेंज’आपरेषन करवाकर लड़के से लड़की बनकर अपना
नाम शिवानी कर लिया था.

अब रोमांचक को लगता है कि इस तरह तो वह भी ‘गे’हो गया.इसलिए वह षिवानी से तलाक लेने के लिए वकील तिवारी(हितेन तेजवानी) के पास जाता है.शिवानी का मुकदमा लड़ने के लिए कोई वकील तैयार
नहीं. सभी का मानना है कि वह अदालत में केस हार जाएंगी.तब षिवानी अदालत
में स्वयं अपने तलाक के मुकदमे की पैरवी करते हुए नारी वाद,नारी शरीर को वस्तु समझना,एलजीबीटीक्यू समुदाय के अधिकार सहित कई मुद्दो पर अपनी लंबी चैड़ी दलीलें रखती हैं,मगर उनका तलाक हो जाता है.फिर शिवानी ‘मेरा हक’नामक एनजीओ के संग काम करने लगती है.अंततः कुछ समय बाद दोनो एक दूसरे को ‘साॅरी’बोलकर दोबारा शादी कर लेते हैं.

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लेखन व निर्देशनः
लघु फिल्म ‘सोल साथी’के बाद अबीर सेन गुप्ता की आज ही वेब सीरीज‘पति
पत्नी और पंगा’ के अलावा फिल्म‘इंदू की जवानी’भी प्रदर्शित हुई है. वास्तव में अबीर सेन गुप्ता ने दो साल पहले एक फिल्म ‘मैन टू मैन’का निर्देशन किया था,जो कि अब तक सिनेमाघर नहीं पहुॅच पायी थी,उसी को अब नाम बदलकर ‘पति पत्नी और पंगा’नामक वेब सीरीज के रूप में ‘एमएक्सप्लेअर’ लेकर आए हैं.इसी के चलते वेब सीरीज के कुछ एपीसोडों के संवादों में ‘मैन टू मैन’जुड़ा हुआ है.पर यह वेब सीरीज अपना प्रभाव नहीं छोड़ती.कहने को तो यह हास्य वेब सीरीज है, किसी भी दृष्य में हंसी नहीं आती.फिल्म में नारी वाद वगैरह की बातें जरुर की गयी हैं.फूहड़ता ज्यादा है.‘गे’समुदाय पर
लोगों के गलत नजरिए को ही उकेरा है. इस अदालत में शिवानी जज के सामने सवाल रखती हैं कि-‘‘क्या औरत कोई बच्चा पैदा करने की मशीन है?’या ‘जो औरत बच्चा पैदा नहीं कर सकती,उसे
शादी करने का हक नहीं है?क्या वह सिर्फ सेक्स सिम्बाॅल है?नारी भी इंसान है. मगर फिल्मकार सेक्स चेंज आपरेशन के संदर्भ में कोई बात नही कहते. ऐसा लगता है,जैसे लेखक व निर्देशक ने ‘सेक्स चेंज’आपरेशन पर कोई शोधकार्य नहीं किया.सेक्स चेंज आपरेषन के बाद इंसानी भावनाओं वगैरह पर क्या असर होता है,इस पर भी ही वेब सीरीज कोई बात नहीं करती.इसके किरदार भी ठीक से गढ़े नही गए हैं.यहां तक कि फिल्मकार ने ‘गे’समुदाय और ‘सेक्स चेेज’आपरेशन कराने वालों को समान स्तर पर रखकर बातें की है. अफसोस फिल्म ‘इंदू की जवानी’की ही तरह इस वेब सीरीज में अष्लीलता है.मां भी घर की नौकरानी के सामने अपने ेबेटे से सेक्स की बाते करती है.क्या वास्तव में भारतीय परिवार इतना आधुनिक हो गया है?इतना ही नही लेखक व निर्देशक अबीर सेन गुप्ता के दिमाग में पाकिस्तान कुछ ज्यादा ही घर कर गया है.उनकी फिल्म‘इंदू की जवानी’में भी पाकिस्तान का जिक्र ैहै और इस वेब सीरीज में
भी एक संवाद है-‘‘किसी सिंगल लड़की को किराए पर मकान दिलाना मतलब किसी
पाकिस्तानी को इंडियन सिटिजनषिप दिलाना है.’’अब इस तरह के संवाद से अबीर सेन
गुप्ता क्या कहना चाहते हैं,यह तो वही बता सकते हैं?
अभिनयः
यॅूं तो अदा शर्मा पहले कुछ फिल्मों मंे अपनी प्रतिभा को साबित कर
चुकी हैं,मगर इसमें वह मात खा गयी.नवीन कस्तूरिया भी जमे नही.हितेन तेजवानी कानपुरिया भाषा में बात करते हैं जबकी कहानी मुंबई की है.

बाटी बनाने का सबसे आसान तरीका

बाटी भारतीय को बहुत पसंदीदा डिश है. लगभग यह हर कोई खाना पसंद करता है. ज्यादातर इसे राजस्थान के लोग खआना पसंद करते हैं या अगर आफ राजस्थान घूमने गए और बाटी खाकर नहीं आए तो कुछ नहीं खाया.

तो आइए आज जानते हैं बाटी बनाने का तरीका

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समाग्री

गेंहू का आटा

घी

नमक

शक्कर

दूध

गरम पानी

विधि

एक परात में गेहूं का आटा लें उसमें सबसे पहले नमक, शक्कर और पानी को मिला लें. अब आटा के बीच में एक गड्डा बना दें. और उसमें घी को डाल दें. सभी समाग्री को अच्छे से मिलाएं.

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अब आटे में धीरे-धीरे करके दूध को मिलाकर गूंथे. आटा गूंथने के बाद उसे कुछ देर के लिए रख दें.

अब इस आटे को 12 भाग में बांट लें. अब लोई को अच्छे से बना लें. अब मैने से दबाकर चिपटा बना लें.

अब एक कप में करीब 5 कप गर्म पानी करें. जब पानी उबलने लगे तो उसमें बाटी डालें. फिर उसे 15 से 20 मिनट तक उबालें. जब बाटी उबल जाए तो वह नीचे की तरफ चली जाती है. इसका मतलब होता है कि बाटी अब तैयार है.

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अब बाटी को अलग छलनी में छान लें और फिर इसे अलग रख दें. अब पहले ओवर को प्री हिट करें . उसके बाद 20 से 25 मिनट तक सुनहरा होने तक भूनें.

अब आपकी स्वादिष्ट बाटी तैयार है. इसे परोसते वक्त दो टुकड़ों में बांट लें. फिर इसके ऊपर स्वाद अनुसार घी गर्म करके डालें. आप चाहे तो बाटी के साथ पंचमेल दाल के साथ परोसे.

रिश्तेदार- भाग 3: सौम्या के जीवन में अकेलापन दूर करने के लिए किसने सहारा दिया

घर जा कर नितिन ने औपचारिक रूप से लड़की के लिए अपनी सहमति दे दी. अब तो नेहा 4-6 दिन में एक बार नितिन के यहां हो ही आती थी. इधर उन की सगाई का दिन एक महीने बाद का तय कर दिया गया था. नितिन चाहता था कि सगाई से पहले वह मां को हर बात सचसच बता दे. पर सौम्या ने उसे फिलहाल खामोश रहने की सलाह दी.इस घटना के करीब 20-22 दिन बाद की बात है. उस दिन नितिन औफिस के काम से शहर के बाहर था.

अचानक शाम के समय औफिस से लौटते ही नितिन के पिता के सीने में तेज दर्द होने लगा. नितिन की मां के हाथपैर फूल गए. उन्हें सम झ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें. वे बहुत घबरा गई थीं. रोतेरोते उन्होंने नितिन को फोन किया. नितिन ने तुरंत नेहा से अपने घर पहुंचने की गुजारिश की. नेहा दौड़ीदौड़ी नितिन के घर पहुंची. रास्ते में ही उस ने एंबुलैंस वाले को फोन कर दिया था.घर पहुंच कर उस ने एक तरफ नितिन की मां को संभाला तो दूसरी तरफ पिता को. उस ने पिता के टाइट कपड़े ढीले कर उन्हें आराम से बिस्तर पर लिटा दिया. पैर नीचे की तरफ और सिर थोड़ा ऊपर की ओर उठा कर रखा ताकि ब्लड की सप्लाई हार्ट तक होती रहे.तब तक एंबुलैंस पहुंच गई. वह तुरंत उन्हें एंबुलैंस में ले कर अस्पताल पहुंची और आईसीयू में ऐडमिट करवाया. उन्हें हार्टअटैक आया था. नेहा सब से सीनियर डाक्टर से रिक्वैस्ट करने लगी कि वे ही इस केस को हैंडल करें. आननफानन  सारे इंतजाम हो गए.

नितिन की मां एक कोने में बैठी नेहा की दौड़भाग देखती रहीं. नेहा नितिन के पिता की केयर अपने पिता जैसी कर रही थी. यह सब देख कर नितिन की मां की आंखें भर आई थीं.नेहा रातभर जाग कर पिता का ध्यान रखती रही. हर तरह की दौड़भाग करती रही. अगले दिन उन की सर्जरी की बात उठी. नेहा ने रुपयों का इंतजाम किया. कुछ नितिन की मां से लिया और कुछ अपनी तरफ से मिला कर फटाफट रुपए जमा करा दिए. औपरेशन कामयाब रहा. शाम तक नितिन भी आ गया.2 दिनों बाद जब नितिन के पिता थोड़े नौर्मल हुए तो उन्होंने रुंधे गले से नेहा की तारीफ की. उसे बेटी कह कर गले लगा लिया. 4-6  दिन में उन्हें छुट्टी दे दी गई. वे घर आ गए. अब तक सगाई का दिन भी नजदीक आ गया था. सगाई से 2 दिन पहले नितिन ने अपने पेरैंट्स को सचाई बताने की सोची.नितिन ने कांपती जबान से कहा, ‘‘पापा, मां, मैं आप लोगों से  झूठ बोल कर शादी नहीं कर सकता. दरअसल,  नेहा हमारी जाति की नहीं है और वह सौम्या दीदी की बेटी भी नहीं है. नेहा तो वही लड़की है जिसे मैं… प्यार करता था.’’नितिन ने सच बता कर निगाहें  झुका लीं. वह डर रहा था कि शायद अब उस के पेरैंट्स नाराज हो उठेंगे.

पर ऐसा नहीं हुआ. दोनों मुसकरा रहे थे.नितिन के पिता ने कहा, ‘‘बेटा, इस बात का एहसास हमें हो गया था. जिस प्यार और अपनेपन से नेहा हमारी देखभाल कर रही थी और फिक्रमंद थी, उसी से पता चल रहा था कि वह तुम से कितना प्यार करती है. तुम दोनों के इस प्यार के बीच हम कतई नहीं आ सकते. वैसे भी, नेहा किसी भी जाति की हो, उसे हम ने बेटी तो मान ही लिया है न.’’नितिन की आंखें खुशी से भर उठीं. उस की मां ने स्नेह के साथ कहा, ‘‘बेटे, तुम दोनों की जोड़ी बहुत खूबसूरत है और इस खूबसूरत रिश्ते को जोड़ने में मदद करने वाली सौम्याजी भी हमारी रिश्तेदार हैं. कल हम सब उन के घर मिठाई ले कर चलेंगे.’’अगले दिन सौम्या का घर हंसी और ठहाकों से गूंज रहा था. खिलेखिले चेहरों के बीच बैठी सौम्या के पास अब रिश्तेदारों की कमी नहीं थी.

रिश्तेदार-भाग 2: सौम्या के जीवन में अकेलापन दूर करने के लिए किसने सहारा दिया

नेहा का कंधा थपथपाते हुए सौम्या ने कारण पूछा तो नेहा ने बताया, ‘‘सौम्या दीदी, मैं अब नितिन से कभी बात नहीं करूंगी.’’‘‘अरे, ऐसा क्या हो गया?’’ चौंकते हुए सौम्या ने पूछा.‘‘कुछ नहीं दीदी. वह मु झ से सच्चा प्यार नहीं करता. उसे तो कोई भी लड़की चलती है.’’‘‘यह कैसी बकवास कर रही है तू?’’ डांटते हुए सौम्या ने कहा तो वह फूट पड़ी, ‘‘दीदी, आज मु झे कालेज जाने में थोड़ी देर हो गई थी. 12 बजे के करीब पहुंची, तो पता है मैं ने क्या देखा?’’‘‘क्या देखा?’’‘‘मैं ने देखा कि नितिन एक नई लड़की के साथ कैंटीन में बैठा कौफी पी रहा है.

यह दृश्य देखते ही मैं अपसैट हो गई और बाहर लौन में आ कर एक बैंच  पर बैठ गई. जानती हैं फिर क्या हुआ?’’‘‘क्या हुआ?’’‘‘फिर नितिन उस लड़की का बैग उठाए लौन में आया और दोनों एक बैंच पर बैठ कर बातें करने लगे. नितिन ने मु झे देखा नहीं था. उस का ध्यान तो पूरी तरह उस लड़की पर था. जाने कितनी देर दोनों एकदूसरे की आंखों में देखते हुए बातें करते रहे. मेरा दिल जल उठा और मैं वहां से उठ कर चली आई. क्लास में जाने का भी दिल नहीं हुआ.’’ नेहा की आंखें फिर से भर आई थीं.सौम्या हंसती हुई बोली, ‘‘बस, इतनी सी बात है?’’‘‘दीदी, यह इतनी सी बात नहीं. आज नितिन ने दिखा दिया कि वह जरा भी वफादार नहीं है.’’‘‘पागल है तू, ऐसा कुछ नहीं,’’ सौम्या ने नेहा को सम झाना चाहा कि तब तक सौम्या की बेटी आरुषि घर में दाखिल हुई.‘‘अरे, क्या हुआ बेटे, आप जल्दी आ गए?’’‘‘हां मम्मा, तबीयत ठीक नहीं थी. फीवर है.’’‘‘ओह, रुक, मैं आती हूं.

’’तब तक नेहा उठ खड़ी हुई, ‘‘दीदी, आप आरुषि को संभालो. मैं अभी चलती हूं. फिर आऊंगी.’’‘‘ठीक है नेहा, पर इस बात को सीरियसली मत लेना. हो सकता है वह लड़की नितिन की जानपहचान की हो.’’‘‘जी दीदी, मैं अभी चलती हूं.’’ नेहा चली गई और सौम्या आरुषि की देखभाल में लग गई.अगले 3-4 दिनों तक सौम्या आरुषि में ही लगी रही क्योंकि उसे तेज बुखार था. चौथे दिन जब वह थोड़ी ठीक हुई तो उसे नेहा का ध्यान आया. उस ने नेहा को फोन किया तो उस ने उठाया नहीं. घबरा कर सौम्या ने नितिन को फोन लगाया और नितिन से नेहा के बारे में पूछा. नितिन ने उदास स्वर में कहा, ‘‘हमारा ब्रेकअप हो गया है दीदी. 3 दिन हो गए मेरी नेहा से कोई बात नहीं हुई.’’‘‘पर ऐसा क्यों?’’‘‘दीदी, नेहा बहुत शक्की लड़की है. अजीब तरह से रिऐक्ट करती है. मैं अब उस से कभी बात नहीं करूंगा.’’‘‘पागल हो क्या? ऐसे नहीं करते. कल मेरे पास आओ. मु झे मिलना है तुम से.’’‘‘ठीक है दीदी. कल 3 बजे आता हूं.’’अगले दिन सौम्या ने नेहा को फिर से फोन लगाया. उस ने उदास स्वर में  ‘हैलो’ कहा तो सौम्या ने उसे 3 बजे घर आने को कहा.फिर 3 बजे के करीब नितिन और नेहा दोनों ही सौम्या के घर पहुंचे.

एकदूसरे को देखते ही उन्होंने मुंह बनाया और खामोशी से बैठ गए. सौम्या ने कमान संभाली और नेहा से पूछा, ‘‘नेहा, तुम्हारी क्या शिकायत है?’’नेहा ने ठंडा सा जवाब दिया, ‘‘यह दूसरी लड़कियों के साथ घूमता है.’’नितिन ने घूर कर नेहा को देखा और नजरें फेर लीं. सौम्या ने अब नितिन से पूछा, ‘‘तुम्हें क्या कहना है इस बारे में नितिन?’’‘‘दीदी, इस ने मु झ से इतने रूखे तरीके से बात की जो मैं आप को बता नहीं सकता. 2 दिन तो मेमसाहब मु झ से मिलीं नहीं और न ही फोन उठाया. जब तीसरे दिन जबरदस्ती मैं ने बात करनी चाही और इस रवैये का कारण पूछा

तो मु झ पर सीधा इलजाम लगाती हुई बोली कि तुम्हें दूसरी लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाना पसंद है न, तो ठीक है, करो जो करना है. पर मु झ से बात मत करना. अब बताइए दीदी, मु झे कैसा लगेगा?’’ नितिन फूट पड़ा था.सौम्या ने उसे शांत करते हुए पूछा, ‘‘नितिन, वह लड़की कौन थी?’’‘‘दीदी, वह मेरे शहर की थी और उस के विषय भी सेम मेरे वाले थे. वह हमारी बिंदु मैडम की भतीजी थी. उन्होंने ही मु झे उस का ध्यान रखने और गाइड करने को कहा था. बस, वही कर रहा था और इस ने पता नहीं क्याक्या सम झ लिया.’’सौम्या ने हंस कर कहा, ‘‘नेहा, मु झे नहीं लगता कि नितिन की कोई गलती है. तुम्हें इस तरह रिऐक्ट नहीं करना चाहिए था. जिस से आप प्यार करते हैं उस पर पूरा भरोसा रखना चाहिए. नितिन, तुम्हें भी नेहा की बात का बुरा नहीं मानना चाहिए था. जहां प्यार होता है वहां जलन और शक होना स्वाभाविक है. नेहा ने जलन की वजह से ही ऐसा बरताव किया.

अब तुम दोनों एकदूसरे को सौरी कहो और मेरे आगे एकदूसरे के गले लगो.’’नेहा और नितिन मुसकरा पड़े. एकदूसरे को सौरी बोलते हुए वे सौम्या के गले लग गए. सौम्या का दिल खिल उठा था. नितिन और नेहा में उसे अपने बच्चे नजर आने लगे थे. सब ने मिल कर शाम तक बातें कीं और साथ मिल कर चायनाश्ते का आनंद लिया.दिन इसी तरह बीतने लगे. समय के साथ सौम्या नितिन और नेहा के और भी करीब आती गई. इस बीच नितिन को जौब मिल गई थी और नेहा एक ट्रेनिंग में बिजी हो गई.इधर नितिन और नेहा के घर में उन की शादी की बातें भी चलने लगी थीं. सौम्या के कहने पर उन्होंने अपने घरवालों से एकदूसरे के बारे में बताया और अपने प्यार की जानकारी दी.

नेहा के घरवाले तो थोड़े नानुकुर के बाद तैयार हो गए मगर नितिन के पेरैंट्स ने गैरजाति की लड़की को बहू बनाने से साफ इनकार कर दिया.नितिन ने नेहा को सारी बात बताते हुए भाग कर शादी करने का औप्शन दिया. तब नेहा ने एक बार सौम्या से सलाह लेने की बात की. नितिन तैयार हो गया और दोनों एक बार फिर सौम्या के पास पहुंचे. सौम्या ने सारी बातें सुनीं और थोड़ी देर सोचती रही. भाग कर शादी करने की बात सिरे से नकारते हुए सौम्या ने मन ही मन एक प्लान बनाया. सौम्या ने नितिन से अपनी मां का नंबर देने को कहा और उस के रिश्तेदारों के बारे में भी जानकारी ली.नंबर ले कर सौम्या ने नितिन की मां को फोन लगाया. उधर से ‘हैलो’ की आवाज सुनते ही सौम्या बोली, ‘‘बहनजी, मैं सौम्या बोल रही हूं. आप का नंबर मु झे अपने पति से मिला है. मेरे पति आप के एक रिश्तेदार के साथ औफिस में काम करते हैं. असल में बहनजी, हम भी आप की ही बिरादरी के हैं. आप के रिश्तेदार ने बताया कि आप का बेटा शादी लायक है. बहुत जहीन और प्यारा बच्चा है. तो  मु झे लगा मैं अपनी बिटिया की शादी की बात चलाऊं. हम भी राजपूत हैं और हमारी बिटिया बहुत संस्कारशील व खूबसूरत है.

आप को जरूर पसंद आएगी.’’‘‘हां जी, आप मिल लीजिए हम से.’’‘‘मैं तो कहती हूं बहनजी, आप आ जाओ हमारे घर. बिटिया को तबीयत से देख लेना आप. मैं एड्रैस भेजती हूं.’’अगले ही दिन नितिन की मां नेहा को देखने सौम्या के घर आ गईं. नेहा पहले से ही वहां तैयार हो कर पहुंच चुकी थी. नेहा का बातव्यवहार, उस की पढ़ाईलिखाई और खूबसूरती नितिन की मां को काफी पसंद आई. हर तरह से नेहा को परखने के बाद उन्होंने सौम्या से इस रिश्ते की सहमति देते हुए जल्द सगाई करने का वादा भी किया. एक बार वे नेहा को अपने पति और नितिन से भी मिलाना चाहती थीं.सौम्या ने तुरंत बाजी अपने हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं समधनजी. एकदो दिनों में मैं खुद ही अपनी बच्ची को आप के यहां भेज दूंगी. अब तो यह आप की बच्ची भी है. नितिन से मिलवा दीजिएगा. आप चाहें तो नितिन और उस के पापा यहां आ कर भी बच्ची को देख सकते हैं.’’‘‘जी जरूर,’’ खुश होते हुए नितिन की मां ने कहा. इस बीच नितिन की मां ने यह कह कर नितिन को सौम्या के यहां भेजा कि अपनी आंखों से लड़की देख ले. नितिन और नेहा उस दिन सुबह से शाम तक सौम्या के यहां ही थे और जी भर कर इस बात का मजा ले रहे थे.

Crime Story: आलिया की मजबूरी

लेखक-श आर.के. राजू

सौजन्य-मनोहर कहानियां

नाम शबाना. हां, यही नाम है उस कालेकिन 2 बार क्यों?
क्योंकि उस ने भले ही अपराध किया, लेकिन खुलेआम किया. भरे चौराहे पर किया, बिना डरे किया. अपराध कर के भागी भी नहीं. इंतजार करती रही पुलिस का. चौराहे पर एक लाश पड़ी थी, आलिया की लाश. कुछ ही देर पहले शबाना ने आलिया के सीने पर चढ़ कर पूरी पिस्तौल खाली कर दी थी.
उस की लहूलुहान लाश सड़क पर पड़ी थी और शबाना पिस्तौल लहराती लाश के इर्दगिर्द घूम रही थी. गुस्से में उस के होंठों से गाली या जो भी शब्द निकल रहे थे, वे सब आलिया के लिए थे. यह घटना बीते 9 जून की है.

आखिर आलिया थी कौन, जिस से शबाना इतनी नाराज थी कि पिस्तौल की सारी गोलियां उस के सीने में उतार दीं. यह जानते हुए भी कि उसे जेल जाना पड़ेगा. सच तो यह है कि उस का क्रोध, उस की नफरत किसी भी सोच पर भारी पड़ गए थे. इतने भारी कि आलिया को मार कर उसे खुद भी मरना पड़ता तो वह खुशीखुशी मर जाती.

अपने अंदर की इस नफरत को शबाना ने एकडेढ़ साल बड़ी शिद्दत से पाला था. यहां तक कि अपने पति और बच्चों तक को पता नहीं चलने दिया.शबाना घरेलू महिला थी. 5 बच्चों की मां. स्वाभाविक सा सवाल यह है कि उस के पास पिस्तौल कहां से आई और उस ने उसे चलाना कैसे सीखा? इस की भी एक अलग कहानी है. शबाना का पति मोहम्मद जफर ट्रांसपोर्टर था. कभीकभी वह खुद भी ट्रक ले कर बाहर चला जाता था.

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घटना से 8-9 महीने पहले एक बार जब वह कई दिन बाद घर लौटा तो शबाना ने उसे बताया कि रात में चोरी करने की कोशिश की गई थी, 3-4 लोग थे हथियारों से लैस. मैं तो बुरी तरह डर गई थी. मुझे डर अपना नहीं बच्चों का था. गनीमत रही कि मुझे जागता देख वे लोग भाग गए.
‘‘थाने में रिपोर्ट लिखाई?’’ जफर ने पूछा तो शबाना बोली, ‘‘रिपोर्ट तो तब लिखाती जब कुछ चोरी गया होता. पुलिस वाले उलटा मुझ से ही दसों तरह के सवाल पूछते.’’

शबाना ने पहले जफर के दिमाग में यह बात बैठाई कि उस के पीछे वह और बच्चे असुरक्षित रहते हैं. फिर रास्ता भी बता दिया, ‘‘कब क्या हो जाए, कोई भरोसा नहीं. अपने बचाव के लिए घर में कोई हथियार होना चाहिए. बेहतर होगा कोई हथियार खरीद कर घर में रख लो. वक्त जरूरत में काम आएगा. मैं ने अखबारों में पढ़ा है, देसी पिस्तौल चोरीछिपे खूब बिकती हैं.’’बात जफर के दिमाग में बैठ गई. फिर भी उस ने पूछा, ‘‘जरूरत पड़ने पर चलाएगा कौन?’’
‘‘मैं चलाऊंगी और कौन चलाएगा.’’ शबाना ने पूरे आत्मविश्वास से कहा.
‘‘सीखोगी कहां?’’

‘‘ये मेरा सिरदर्द है. क्या सारे काम आदमी ही कर सकता है, औरत नहीं?’’ शबाना के तेवर बदलते देख जफर सहज भाव में बोला, ‘‘मुझे तुम्हारी चिंता रहती है, इसलिए पूछा.’’
‘‘अगर मैं कहूं, मुझे पिस्तौल चलाना आता है तो पूछोगे कैसे सीखा, इसलिए मैं पहले ही बता देती हूं. मैं ने फेसबुक से सीखा है.’’ शबाना ने यह रहस्य भी खोल दिया.जफर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि शबाना से पंगा लेता, सो उस ने कह दिया, ‘‘ठीक है, मैं कर दूंगा इंतजाम.’’

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‘‘कर तो दोेगे,’’ शबाना थोड़ी सी तल्ख हो कर बोली, ‘‘पर पहले यह पूछ तो लेते, मुझे चाहिए क्या?’’
‘‘तुम ने हथियार की बात की है. मैं हथियार लाने को कह रहा हूं.’’ जफर ने कहा तो शबाना उस के चेहरे पर नजरें जमा कर बोली, ‘‘मुझे तमंचा नहीं, पिस्तौल चाहिए. जिस में 5-6 दाने (कारतूस) भरे जाते हैं. साथ में 10-15 दाने भी.’’मोहम्मद जफर शबाना से बहस करने की स्थिति में नहीं था, इसलिए उसने पत्नी की बात मान ली.इस के कुछ दिनों बाद जफर को ट्रक ले कर मुंगेर जाना पड़ा. वहां कुछ लोग उस के परिचित थे. उन की मदद से उस ने 25 हजार में .32 बोर की पिस्तौल और कारतूस खरीद लिए. वापस लौट कर उस ने पिस्तौल और कारतूस शबाना के हवाले कर दिए. शबाना बहुत खुश हुई.

मऊ हरथला निवासी मोहम्मद जफर और शबाना का निकाह करीब 20 साल पहले हुआ था. वक्त के साथ दोनों के 5 बच्चे हुए. 2 बेटे और 3 बेटियां. उन का बड़ा बेटा हौस्टल में रह कर नैनीताल के एक जानेमाने स्कूल में पढ़ रहा था. बाकी की पढ़ाई मुरादाबाद में ही चल रही थी. जफर पहले ट्रक ड्राइवर था. धीरेधीरे उस ने ट्रांसपोर्ट कंपनी बना ली थी. जफर और शबाना की गृहस्थी ठीक चल रही थी. घर में न पैसे की कमी थी, न सुख के साधनों की. पैसा आया तो जफर ने कुछ प्रौपर्टी भी खरीद ली थी.

पति ने ला कर दी पिस्तौल

बहरहाल, कह सकते हैं कि जफर का परिवार सुखी और संपन्न था. हां, शबाना जरूर विचलित थी. उस के मन को तब शांति मिली थी, जब उस के हाथों में पिस्तौल और कारतूस आ गए. शबाना ने यूट्यूब पर कुछ पहले देखा था, कुछ पिस्तौल आने पर सीख लिया. उसे बस इतना ही चाहिए था कि दुश्मन को मार सके.
और उस की दुश्मन थी आलिया.8 जून की शाम को शबाना हड़बड़ाई सी साप्ताहिक बाजार से घर लौटी और बुरका पहन कर जल्दबाजी में बाहर जाने लगी तो बच्चों ने पूछा, ‘‘कहां जा रही हो अम्मी?’’
शबाना ने जाते हुए जल्दबाजी में जवाब दिया, ‘‘दुकानदार के पास पैसे रह गए हैं, ले कर आती हूं.’’
साप्ताहिक बाजार शबाना के घर से ज्यादा दूर नहीं था. शबाना बुरके में छिपा कर फुल लोडेड पिस्तौल लाई थी.

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आलिया 7 महीने की गर्भवती थी. हरथला बाजार में उसे रूटीन चैकअप के लिए डाक्टर के पास जाना था. वह पड़ोस में रहने वाली मुसकान को साथ ले कर घर से निकली. साथ में उस की 4 साल की बेटी जिया भी थी. चैकअप के बाद सवा 7 बजे आलिया जब मुसकान के साथ घर लौट रही थी, तब शबाना दीवार की ओट में खड़ी उसी का इंतजार कर रही थी.पास आते ही शबाना ने सब से पहले वहां खेल रहे बच्चों को हटाया और आलिया पर गोली दाग दी. उस की चलाई गोली आलिया को न लग कर मुसकान की बगल से निकल गई. आलिया को पता था कि उस की जान को खतरा है, इसी के मद्देनजर वह जमीन पर गिर गई. उसे गिरा देख मुसकान उस की बेटी जिया को ले कर वहां से भाग निकली.

आलिया के गिरने से शबाना को मौका मिल गया. वह पिस्तौल ले कर उस के सीने पर चढ़ गई और उस पर पूरी मैगजीन खाली कर दी. यह देख कर कुछ लोग वहां जमा हो गए. शबाना के पास जाने की हिम्मत किसी की नहीं हुई. कुछ अपनी छतों से यह दृश्य देख रहे थे. जब शबाना को यकीन हो गया कि आलिया मर चुकी है तो वह पिस्तौल हवा में लहराते हुए लाश के आसपास घूमने लगी.

शबाना का घर वहां से ज्यादा दूर नहीं था. किसी जानने वाले ने यह खबर उस के 17 वर्षीय बेटे को दे दी. वह जल्दी से स्कूटी ले कर घटनास्थल पर पहुंचा. उस ने मां से कहा, ‘‘अम्मी, घर चलो, मैं आप को लेने आया हूं.’’लेकिन शबाना ने जाने से इनकार कर दिया और बेटे को घर जाने को कहा. इसी बीच किसी ने थाना सिविललाइंस को सूचना दे दी थी. इस सनसनीखेज घटना की खबर मिलते ही थानाप्रभारी नवल मारवाह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मुरादाबाद के इतिहास की शायद यह पहली घटना थी, जब एक औरत ने दूसरी औरत का कत्ल किया था, वह भी किसी माफिया डौन की तरह.

कहानी में कहानी

घटना की खबर मिलते ही एएसपी दीपक भूखर, एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद और एसएसपी अमित पाठक भी वारदात की जगह पहुंच गए. इंसपेक्टर नवल मारवाह जब घटनास्थल पर पहुंचे तो शबाना ने अपनी पिस्तौल यह कह कर उन के हवाले कर दी, ‘‘मैं आप का ही इंतजार कर रही थी.’’
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मौके की जांचपड़ताल और लिखापढ़ी कर के आलिया की लाश पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दी गई. शबाना को साथ ले कर पुलिस थाना सिविललाइंस लौट आई. सब के सामने पूछताछ की जानी थी, इसलिए एसएसपी, एसपी (सिटी) और एएसपी भी थाने आ गए.
शबाना ने आलिया को सरेराह क्यों मारा, आलिया को ले कर उस के मन में इतना गुस्सा क्यों था और आलिया कौन थी, यह जानने के लिए हमें एक और कहानी की दुम पकड़ कर थोड़ा दाएंबाएं घूमना होगा.

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हां, तो एक थी मानसी शर्मा. बीए की डिग्रीधारक. जिला बिजनौर के थाना धामपुर थानाक्षेत्र के गांव चक्करपुर में पलीबढ़ी और धामपुर में पढ़ी. 12 साल पहले मानसी का विवाह राजू शर्मा से हुआ, जो कस्बा नूरपुर के निकटवर्ती गांव कुंडा बलदान का रहने वाला था. दोनों का एक बेटा भी हुआ, तनिष्क.
शादी के बाद राजू कभीकभी शराब पी कर आता था तो मानसी उसे डांटती भी और समझाती भी कि यही हाल रहा तो मेरी और बेटे की जिम्मेदारी कैसे उठाओगे. कभीकभी राजू मानसी की बात मान भी लेता था. लेकिन जैसेजैसे दोनों का रिश्ता पुराना होता गया, वैसेवैसे राजू की शराब पीने की लत बढ़ती गई. एक वक्त ऐसा भी आया, जब राजू पूरा पियक्कड़ बन गया, ऊपर से मानसी के साथ मारपीट भी करता था.

वह बीवीबच्चे के बिना रह सकता था, पर शराब के बिना नहीं. जब बात बरदाश्त के बाहर हो गई तो मानसी ने राजू से साफसाफ कह दिया कि उसे दोनों में से किसी एक को चुनना होगा. यह बात भी मानसी के विपरीत ही गई. कोई रास्ता नहीं बचा तो मानसी ससुराल को तिलांजलि दे कर बेटे तनिष्क के साथ अपनी बुआ के पास मुरादाबाद आ गई. मायके चक्करपुर जाने से कोई फायदा नहीं था.
मानसी ग्रैजुएट तो थी ही सुंदर भी थी. उसे उम्मीद थी कि कोशिश करने पर कोई न कोई ऐसी नौकरी जरूर मिल जाएगी, जिस से अपना और बेटे का पेट पाल सके. उस ने कोशिश की तो उसे दिल्ली रोड स्थित एक बड़े डेंटल मैडिकल कालेज में सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई. इस से उस का और तनिष्क का ठीकठीक गुजारा होने लगा. मानसी अपनी वैवाहिक जिंदगी और पति को भूल गई. पति राजू तो उसे पहले ही भूल चुका था.

आलिया को 6 गोलियां लगी थीं. 4 घंटे चले पोस्टमार्टम में पता चला कि उसे 4 गोलियां मारी गई थीं, जो शरीर के आरपार हो गई थीं. जबकि शबाना का कहना था कि उस ने आलिया को 6 गोली मारी थी.
जब 2 गोलियों की जानकारी नहीं मिली तो आलिया के शव को एक्सरे के लिए भेजा गया. एक्सरे में शरीर के अंदर फंसी गोलियां नजर आ रही थीं. डाक्टरों की टीम ने फिर गोलियां तलाशीं, लेकिन सफलता नहीं मिली.

पुलिस की परेशानी

अत: शव को एक बार फिर एक्सरे के लिए भेजा गया. इस एक्सरे में भी छाती में फंसी 2 गोलियां नजर आईं. डाक्टरों ने दोनों गोलियां निकाल दीं. गोलियां लगने से आलिया का लीवर और दोनों फेफड़े छलनी हो गए थे, उस की मौत ज्यादा खून बहने से हुई थी. उस के पेट में जो 7 महीने का गर्भ था, वह भी नष्ट हो गया था.मानसी के मातापिता का निधन हो चुका था. उस के पैतृक गांव चक्करपुर में उस का भाई सूरज शर्मा, बहन पूनम शर्मा और छोटा भाई पिंटू शर्मा रहते थे. पूनम की शादी हो चुकी थी. मानसी मायके इसलिए नहीं गई थी, क्योंकि वह भाइयों पर बोझ नहीं बनना चाहती थी.

थाने में शबाना से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 6-7 महीने पहले भी वह थाने आई थी. अगर तभी उसे आलिया का पता बता दिया गया होता तो शायद आज उस की हत्या न करनी पड़ती. शबाना ने बताया कि 7-8 महीने पहले आलिया गौर ग्रेसियस में किराए के फ्लैट में रह रही थी, तो वह उस से मिलने गई थी.
लेकिन वहां गार्डों ने उसे अंदर नहीं जाने दिया था. वजह यह कि उसे आलिया का फ्लैट या फोन नंबर मालूम नहीं था. उस ने जिद की तो गार्डों ने कहा कि थाने जा कर ले ले पता, वहां दर्ज होता है. वहां से वह थाने आई तो वहां भी आलिया के बारे में नहीं बताया.

‘‘जिस का तुम ने मर्डर किया, उस से तुम्हारी क्या दुश्मनी थी?’’ पूछने पर शबाना का दर्द छलक आया. वह गुस्से भरी रोआंसी आवाज में बोली, ‘‘वह मेरी सौतन थी, मेरे पति की दूसरी बीवी. उस ने धर्म बदल कर निकाह किया था मेरे मर्द से. उस का नाम मानसी शर्मा था, जिसे बदल कर वह आलिया बनी थी.’’
‘‘तुम ने अपने पति को क्यों नहीं रोका इस सब से?’’ एसएसपी अमित पाठक ने पूछा तो शबाना बोली, ‘‘मेरे पति पर जादू कर रखा था, मेरी नहीं उस की सुनता था वह. आलिया मुझे ताना देती थी, तेरे पति की जो भी जमीनजायदाद है, तू रख, लेकिन उस का दिल मेरा ही रहेगा.’’शबाना ने बताया कि उस का पति जफर बाहर ट्रक ले जाने के बहाने घर से जाता था और कईकई दिन आलिया के पास पड़ा रहता था. उस का पूरा खर्च भी वही उठाता था. जफर से आलिया की 4 साल की एक लड़की भी है जिया, जबकि दूसरा बच्चा उस के पेट में था.

शबाना के अनुसार, जफर और आलिया के संबंधों और धर्म बदल कर निकाह करने की बात उसे डेढ़ साल पहले पता चली थी. जबकि दोनों के संबंध 5 साल से थे. जानकारी होने के बाद शबाना ने जासूसी शुरू की, पति की भी और पता लगा कर मानसी उर्फ आलिया की भी. शबाना ने जब जफर पर दबाव डाला तो उसे पता चला कि उस ने मानसी का धर्म परिवर्तन करा कर उस से निकाह कर लिया है. इस बात से उसे धक्का लगा. वह कुछ कहती, उस से पहले ही जफर ने उसे समझाया, ‘‘इसलाम में 2 शादी जायज है, वैसे भी वह अलग रहती है, तुम्हें परेशानी क्या है?’’

शबाना उस वक्त चुप हो गई, लेकिन उस के मन में गुबार भर गया. वह सोचने लगी कि आलिया को पति की जिंदगी से कैसे बाहर करे. अत: उस ने आलिया की खोज शुरू कर दी. छली गई थी मानसी

फसल को पाले से ऐसे बचाएं  

सर्दियों में पाले का असर पौधों पर सब से ज्यादा होता है. यही वजह है कि सर्दी में उगाई जाने वाली फसलों को आमतौर पर 80 फीसदी तक का नुकसान हो जाता है, इसलिए समय रहते फसलों का पाले से बचाव करना बेहद जरूरी हो जाता है.

सर्दियों में जब तापमान 0 डिगरी सैल्सियस से नीचे गिर जाता है और हवा रुक जाती है तो रात में पाला पड़ने की आशंका ज्यादा रहती है. वैसे, आमतौर पर पाला पड़ने का अनुमान वातावरण से लगाया जा सकता है.

सर्दियों में जिस रोज दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे, हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए, दोपहर बाद अचानक ठंडी हवा चलनी बंद हो जाए और आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से हवा रुक जाए तो पाला पड़ सकता है. रात को खासकर तीसरेचौथे पहर में पाला पड़ने की आशंका ज्यादा रहती है.

अध्ययनों से पता चला है कि साधारण तापमान चाहे कितना भी गिर जाए, लेकिन शीत लहर चलती रहे तो फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है. पर अगर हवा चलना बंद हो जाए और आसमान साफ हो तो पाला जरूर पड़ेगा जो रबी सीजन की फसलों के लिए ज्यादा नुकसानदायक है.

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खेतों में पाला पड़ने से होने वाले बुरे नतीजे जो इस तरह है :

* पौधे की पत्तियों और फूलों का  झुलसना.

* पौधे की बंध्यता.

* फलियों और बालियों में दानों का बनना.

* बने हुए दानों के आकार में कमी.

* पराग कोष के विकास का ठहराव.

* प्लाज्मा  झिल्ली की संरचना में यांत्रिक नुकसान.

* पौधों का मरना या गंभीर नुकसान.

* उपज और उत्पाद की क्वालिटी में कमी.

पाले से संरक्षण के कारगर उपाय

आमतौर पर पाले से नुकसान हुए पौधों का संरक्षण प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों माध्यमों से किया जा सकता है. जब अंकुरण की परिस्थिति हो तब सक्रिय विधियों का उपयोग पाले के अंकुरण की परिस्थिति पैदा होने से पहले किया जाता है जिस के लिए निष्क्रय व सक्रिय विधियों का उपयोग किया जा सकता है.

निष्क्रय विधियां

जगह का चुनना : पाले के प्रति संवेदनशील फसलें उगाने के लिए ऐसी जगह चुनी जानी चाहिए जो पाले के लिए जमाव मुक्त हो. बडे़ जलाशयों के पास की जगह आमतौर पर पाले से कम प्रभावित होती है, क्योंकि पानी के ऊपर की हवा जमीन के ऊपर की हवा की तुलना में तेजी से ठंडी होती है.

ठीक से लगे वायुरोधी पेड़ जलवायु को पौधों के अनुकूल बना देते हैं. इन के चलते फसल समय से पहले ही पक जाती है और पाले का जोखिम कम हो जाता है.

झुके हुए क्षेत्रों में वन क्षेत्रों की कमी भी कम ठंडी हवाओं को पलायन की अनुमति दे देती है. इस की वजह से पाले के जमाव के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

फसल प्रबंधन : फसलों की ऐसी प्रजातियों और किस्मों को चुना जाना चाहिए जो कि पाले से पहले ही पक कर तैयार हो जाए. जैसे, जब संकर मक्का बोया जाता है तो वह पाला पड़ने से पहले ही पक कर तैयार हो जाता है.

मिट्टी प्रबंधन : मिट्टी की अवस्था फसल के ऊपरी और निचले भागों को पाले से बचाने के लिए एक उत्तरदायी कारक है. ढीली मिट्टी की सतह ताप के चालन में कमी करती है, इसलिए रात के समय ढीली मिट्टी की सतह का तापमान जमी हुई मिट्टी की अपेक्षा कम होता है.

यही वजह है कि  पाले से बचाव के लिए मिट्टी को जोतना नहीं चाहिए. जरूरत से ज्यादा गीली मिट्टी होने पर सूरज की ऊर्जा का अधिकतम भाग नमी वाष्पन में चला जाता है. ऐसी स्थिति में रात में फसल के लिए गरमी कम मिल पाती है.

दूसरी ओर जरूरत से ज्यादा सूखी मिट्टी भी ताप की कम चालक होती है. इस की वजह से ऊर्जा की कम मात्रा को ही संचित कर पाती है. ऐसी स्थिति में सर्दियों की फसलों को पाले का बुरा नतीजा भुगतना पड़ सकता है.

फसल बोआई और कटाई : पाला संवेदनशील फसलों को पाले की जमाव मुक्त अवधि में ही बोना चाहिए ताकि फसल को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. इस प्रक्रिया को अपनाने से फसल अपेक्षाकृत कम जोखिम अवधि के दौरान अपना जीवनकाल पूरा करती है.

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सक्रिय विधियां

फसल के नीचे आवरण : इस विधि का प्रमुख मकसद सतह से ताप की क्षति को कम करना होता है. इस विधि में उपयोग किए जाने वाले आवरण कई तरह के हो सकते हैं. जैसे, भूसे का आवरण, प्लास्टिक का आवरण, काला सफेद चूर्ण का आवरण वगैरह.

* भूसे का आवरण रात में गरमी को जमीन से बाहर जाने से रोकता है, जिस की वजह से फसल के तापमान में कमी आ जाती है.

* पारदर्शी प्लास्टिक 85-95 फीसदी तक सूरज की विकिरणों को संचित कर उन्हें जमीन तक पहुंचा सकती है. उन्हें वापस वातावरण में जाने नहीं देती और इस तरह जमीन के तापमान में बढ़वार होती है. यह पाले से सुरक्षा के नजरिए से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. इस के उलट काली प्लास्टिक सूरज की विकिरणों को अवशोषित करती है. इस वजह से जमीन के कारण तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है.

* काला चूर्ण सूरज की विकिरणों को दिन के समय अवशोषित करता है और रात में उत्सर्जित. नतीजतन, रात के समय जमीन के तापमान में बढ़ोतरी होती है जो पाले से पाले की सुरक्षा की नजर से बेहद महत्त्वपूर्ण है. इस के उलट सफेद चूर्ण सूरज की विकिरणों को परावर्तित कर देता है और उन्हें जमीन तक पहुंचने ही नहीं देता.

छिड़काव द्वारा सिंचाई

जब पाला पड़ने की आशंका हो तब खेत की सिंचाई करनी चाहिए क्योंकि नमी वाली जमीन में काफी देर तक गरमी सुरक्षित रहती है क्योंकि जब पानी बर्फ में जम जाता है तो प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो 80 कैलोरी प्रति ग्राम के बराबर होता है. इस वजह से मिट्टी के तापमान में बढ़वार होती है.

इस तरह पर्याप्त नमी होने पर शीत लहर व पाले से नुकसान की आशंका कम रहती है. सर्दी में फसल की सिंचाई करने से 0.5-2.0 डिगरी सैल्सियस तक तापमान बढ़ाया जा सकता है.

पवन मशीन : पवन मशीन का उपयोग फसल की सतह पर उपस्थित ठंडी हवा को गरम हवा की परत में बदलने के लिए किया जाता है. यह विधि तभी कारगर हो सकती है, जब सतह के पास की हवा के मध्यम तापमान अंतर अधिक हो. इस विधि से 1-4 डिगरी सैल्सियस तक तापमान बढ़ाया जा सकता है.

गंधक का छिड़काव : जिन दिनों पाला पड़ने की आशंका हो, उन दिनों फसल पर 0.1 फीसदी गंधक के घोल का छिड़काव करना चाहिए. इस के लिए 1 लिटर गंधक के तेजाब को 1,000 लिटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़काव करना चाहिए.

इस छिड़काव का असर 2 हफ्ते तक रहता है. अगर इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की आशंका बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 दिन के अंतर पर दोहराते रहें.

गेहूं, चना, सरसों, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होगा, बल्कि पौधों में लोह तत्त्व की जैविक व रासायनिक सक्रियता में बढ़ोतरी हो जाती है. यह पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने और फसलों को जल्दी पकाने में भी मददगार होती है.

अगर हमें मौसम के पूर्वानुमान से न्यूनतम तापमान, हवा की गति, बादलों की स्थिति की जानकारी मिल जाए तो उचित समय पर फसलों में उपयुक्त प्रबंधन कर के हम फसल को पाले से होने वाले नुकसान से आसानी से बचा सकते हैं.

इस के अलावा हम उपयुक्त प्रबंधन द्वारा समयसमय पर फसल को अनुकूल वातावरण दे कर फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाने में कामयाब हो सकते हैं. इस तरह से समय पर पाले के बुरे असर से सर्दियों में फसलों को बचा कर किसानों की माली हालत को मजबूत बनाया जा सकता है.

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