रिहाना के एक ट्वीट ने भारतीय समाज की वह छवि सामने ला दी है, जो लागातार धर्मांध और महिला विरोधियों द्वारा छुपाई जाती रही है. जो कहती है कि अगर आप एक राय अथवा ओपिनियन देने वाली महिला हैं तो आप की राय पर चर्चा से ज्यादा माहौल इस बात पर गर्म होगा कि आप ने यह कहने की हिम्मत कैसे कर दी. चर्चा का बिंदु आप की राय से अधिक आप का चरित्र होगा, जिसे लगातार तारतार किया जाएगा. फिर शुरू हो जाएगी वह सारी चारित्रिक छींटाकसी जिस के आधार पर सालोंसाल तक महिलाओं के आजाद खयाल कुतरे गए. उन्हें दासी बनाया गया, ना सिर्फ उन की आजादी को रोका गया, साथ ही भोग मात्र की वस्तु समझा गया.

पिछले ढाई महीने से दिल्ली के अलगअलग बौर्डरों व विभिन्न राज्यों में किसानों का आन्दोलन लगातार चल रहा है. किसानों की मुख्य मांग उन तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के लिए है जिसे सरकार ने बिना किसानों के रायमशवरा के आननफानन में पास करा दिया. और जब किसानों ने कानूनों के खिलाफ आन्दोलन किया तो उन्हें आतंकवादी, गद्दार, खालिस्तानी, माओवादी, अराजक अब “विदेशी षडयंत्र” कहा जाने लगा है.

rihanna kisan andolan controversy

मौजूदा सरकार नेदिल्ली को ठीक राजामहाराज व मुगल स्टाइल में किलेबंद कर दिया है. 10-12 लेयर की चारों तरफ से स्थाई बेरिकेडिंग, सीमेंट कंक्रीट की मजबूत दीवार, बड़ेबड़े भारीभरकम कंटेनर, कंटीली तारें, सड़कों पर चौड़ी खाई और फिर शरीर को भेद डालने वाले लंबीलंबी कीलें गाढ़ दीहैं.शरीर को भेदने (ना कि ट्रेक्टर के टायर फाड़ने) का अर्थात स्पष्ट है कि अगर किसान बेरिकेड पार करते हैं तो वह अपनी मौत को बुलावा देते हैं.

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