कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करने लगते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं.

जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रैंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रैंड से नाराज हो जाती है तो बौयफ्रैंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना, वह छिप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा.

यही नहीं, बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रैंड को बुरी लगती हैं. उन सब को छिपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलतेबोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आजादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढ़ने लगेगा.

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तीसरे का वजूद

पतिपत्नी हों या गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड, जब भी दो के बीच किसी तीसरे के आने की सुगबुगाहट होती है तो रिश्तों में खटास आने लगती है. शक का कीड़ा अच्छेखासे रिश्तों की भी नींव खोदने में वक्त नहीं लगाता. जहां विश्वास नहीं वहां शक तुरंत अपनी जड़ जमा लेता है. तीसरे की उपस्थिति अकसर रिश्तों के टूटने की वजह बनती है. किसी तीसरे के आने से सिर्फ रिश्ता ही नहीं टूटता, कई दफा नतीजे बेहद खतरनाक भी निकलते हैं. तीसरे को रास्ते से हटाने के लिए व्यक्ति किसी भी सीमा तक जा सकता है.

अपने अनुसार ढालने का प्रयास

प्यार का अर्थ है जो जैसा है उसे उसी रूप में पंसद करना. यदि बदलने का प्रयास किया जाए तो वह प्यार नहीं, समझौता होता है. जब प्यार का दंभ भरते व्यक्ति सामने वाले की कमियां निकालने लगता है और उसे बदलने को प्रेरित करता है तो वहां जज्बात फीके पड़ने लगते हैं और प्यार भार लगने लगता है.

बातबात पर चिढ़ना

प्यार में रूठनेमनाने की परंपरा बहुत पुरानी है. मगर जब कोई बातबात पर मुंह बनाने लगे या भलाबुरा सुनाने लगे तो स्वाभाविक है कि सामने वाले के सब्र का बांध टूट जाएगा. इंसान किसी की नाराजगियां एक हद तक सहन कर सकता है. मगर जब यह रोज की आदत बन जाए तो प्यार जी का जंजाल लगने लगता है.

तालमेल की कमी

प्यार में इंसान को काफी तालमेल बिठाने होते हैं. दो बिलकुल अलगअलग व्यक्ति जब एकदूसरे के बनना चाहते हैं तो बहुत सी बातों में समझौते करने होते हैं. खानपान, बातचीत, पहनावा, रहनसहन हर तरह से एकदूसरे की परवाह करनी होती है. तालमेल की कमी रिश्ते में खटास ला सकती है.

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