4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के चौराचौरी नामक दो गांवो के क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी थी. जिसमें 22 पुलिसकर्मियो की जिंदा जल कर मौत हो गई थी. हिंसा की इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन को रोक दिया था. अंग्रेजी हुकुमत ने 222 लोगों को आरोपी बनाया था. 19 लोगों को 2 जुलाई 1923 फांसी दे दी गई थी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 4 फरवरी 2021 से पूरे साल चौराचौरी क्रांति को लेकर शताब्दी साल मना रही है. जिसका वचुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 फरवरी 2021 को किया. इसका उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री ने किसानों और लोकतंत्र के महत्व पर चर्चा करते कहा ‘चौराचौरी आंदोलन में किसानों की भूमिका बडी थी. क्रांति से जुडे लोग अलगअलग गांव और पृष्ठभूमि से थे. लेकिन वह मिलकर मां भारती की संतान थे. सामूहिकता का शक्ति से ही गुलामी की बेड़िया तोड़ी गई.’

प्रधानमंत्री ने किसानों का जिक्र किसान आंदोलन को देखते हुये खास मकसद से किया था. प्रधानमंत्री के इस भाषण पर टिप्पणी करते समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा ‘ चौराचौरी जनाक्रोश से सबक लेते हुये प्रधानमंत्री को आंदोलनकरी किसानों की बात को मान लेना चाहिये. कृषि कानून वापस लेने के साथ ही साथ बाकी मांगे भी मान लेनी चाहिये. देश का किसान महीनो आंदोलित है. वह ठंड में अपने साथियों को खाने के बाद भी खेती बचाने में जुटा है. सरकार उनकी मांग को नहीं मान रही. सरकार को संविधान का सम्मान करना चाहिये. लोकतंत्र में किसानों के साथ न्याय सर्वोपरि स्थान रखता है. किसानों के प्रति क्रूरता और जनाक्रोश से देश और समाज में असंतोष पनप रहा है.‘

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