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‘इंडियन आइडल 11’ के मेकर्स ने अनु मलिक को लेकर लिया बड़ा फैसला

‘मीटू’  में बौलीवुड के कई सेलीब्रिटी का नाम सामने आया था. इसमे सिंगर अनु मलिक का भी नाम आया था. जब इन पर आरोप लगे तो वें ‘इंडियन आइडल सीजन 10’  में जज के तौर पर नजर आ रहे थे. लेकिन इनका नाम आने पर इन्हें इस शो से बाहर कर दिया गया.

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आपको बता दें, इंडियन आइडल के अगले सीजन की तैयारियां शुरू हो गई है. ऐसे में एक बार फिर से जज पैनल की लिस्ट में अनु मलिक का नाम सामने आ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेकर्स अनु मलिक को इस शो का हिस्सा बनाना चाहते हैं.

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लेकिन इस शो के मेकर्स ने इस बात को अधिकारिक तौर पर ऐलान नहीं किया है. खबरों के अनुसार बाकी जज नेहा कक्कड़ और विशाल ददलानी इस शो हिस्सा बने रहेंगे.

जब मैं रिश्ता नहीं छुपा रहा हूं, तो शादी क्यों छुपाउंगा: अर्जुन कपूर

बौलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा के अफेयर की खबरें सुर्खियों में छायी रहती है. हालांकि उन्होंने पहले कभी भी अपने रिश्ते को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा. अब हाल ही में अर्जुन अपनी फिल्म ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ की स्क्रीनिंग के दौरान मलाइका के साथ हाथों में हाथ डालकर पहुंचे. इसके अलावा उन्होंने वहां पापराजी के लिए पोज भी दिए.

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फिल्मफेयर में दिए गए इंटरव्यु में अर्जुन अपने रिश्ते को आधिकारिक तौर पर कुबूल करते हुए कहा कि हम सामने आए, क्योंकि हमें महसूस हुआ कि मीडिया ने हमें इज़्जत दी. मीडिया में एक खास तरह की समझदारी है. वो इस बारे में सम्मानजनक, दयालु, ईमानदार और सभ्य रहें. यही कारण है कि मुझे सहज महसूस हुआ.

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक शादी की अफवाहों पर अर्जुन ने कहा था कि जब भी वें शादी करेंगे सबको बताएंगे. उन्होंने कहा, जब मैं रिश्ता नहीं छुपा रहा हूं तो शादी क्यों छुपाउंगा. इसमें छुपाने वाली बात है ही नहीं.

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गौरतलब है कि मलाइका और अर्जुन करीब दो सालों से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं. इस दौरान दोनों सितारे कई मौकों पर एक साथ नजर आए.

पार्ट-2: क्या आप भी हैं अनिद्रा के शिकार?

कल हमने आपको बताया था, आप अनिद्रा के शिकार क्यों होते जा रहे हैं. आज आप इस कड़ी में पढ़ें अनिद्रा दूर करने के उपाय.

पार्ट-1: आप भी हैं अनिद्रा के शिकार?

अनिद्रा दूर करने के उपाय

अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति को दूध का सेवन करना फायदेमंद होता है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीएं. ऐसा करने से रोगी को गहरी नींद आती है.

  1. पीड़ित रोगी को सोने से करीब दो घंटे पहले रात का भोजन कर लेना चाहिए. याद रखें कभी भी खाना खाने के बाद तुरंत सोना के लिए ना जाएं. सोने से पहले हलके गुनगुने पानी से स्नान करना या पैर धोकर सोना भी अच्छा होता है.
  2. शराब की लत छोड़ दें. शराब हमारे तन्त्रिका तन्त्र को बुरी तरह प्रभावित करती है. शुरू में जरूर लगता है कि शराब पीने के बाद थकान दूर हो गयी या अच्छी नींद आयी, लेकिन बाद में यह लत आपकी नींद को ग्रस लेती है.
  3. अन्धेरे कमरे में सोएं. कुछ लोग शयनकक्ष में हल्की लाइट जला कर रखते हैं, यह ठीक नहीं है. इससे नींद में खलल पड़ता है और आप गहरी नींद में जाने से रह जाते हैं.
    4. नींद न आने पर खुद ही कोई भी दवा ना खा लें. नींद न आने पर हल्का मनपसंद म्यूजिक सुनें या कोई किताब पढ़ें. इससे धीरे-धीरे आपको नींद आ जाएगी. कभी-कभी सिरहाना बदलने से भी अच्छी नींद आ जाती है.
    5. शयनकक्ष न तो बहुत ठंडा होना चाहिए और न ही बहुत गर्म. हल्के ठंडे और अंधेरे कमरे में सोना ही बेहतर होता है.
    6. दिन के वक्त न सोएं. ऐसा करने से रात को अच्छी और गहरी नींद नहीं आती है.
    7.  खुद को काम में बहुत ज्यादा न थकाएं. ऐसा करने से शरीर रात भर दर्द और तनाव में रहता है और नींद नहीं आती है.
    8. सुखद सेक्स नींद की गोली की तरह काम करता है. अपने पार्टनर के साथ शारीरिक सुख उठाने के बाद आप आराम से नींद की आगोश में जा सकते हैं.
    9. अगर पार्टनर के खर्राटे आपकी नींद में खलल डालते हैं तो अलग कमरे में सोएं.

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सोते समय भी दिमाग काम करता है

अधिकतर लोगों को लगता है कि सोते वक्त उनका शरीर और दिमाग दोनों निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं. लेकिन यह सच नहीं है. जब आप सोते हैं तो आपके शरीर और दिमाग में इतनी सारी गतिविधियां होती रहती हैं कि शायद आपको यकीन ही ना हो. नींद के दौरान शरीर और दिमाग आपकी सेहत के लिए कई जरूरी काम निपटाते रहते हैं. हम सोने-जागने को जितनी आसान प्रक्रिया समझते हैं, यह उतनी सरल नहीं है. नींद के दो चरण होते हैं – रैपिड आई मूवमेंट और नौन रैपिड आई मूवमेंट.

रैपिड आई मूवमेंट स्टेज

इसका नाम ऐसा इसलिए रखा गया है क्योंकि इस दौरान आपकी आंखों की पुतलियां पलकों के पीछे तेजी से मूवमेंट करती रहती हैं. इस स्टेज में आप सबसे ज्यादा सपने देख रहे होते हैं. आपकी धड़कन, शरीर का तापमान, सांस लेना, ब्लड प्रेशर दिन के स्तर पर आ जाता है. आपका सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम जो स्वत: ही प्रतिक्रिया देता है, सक्रिय हो जाता है. लेकिन इसके बावजूद भी आपका शरीर स्थिर ही रहता है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि रैपिड आई मूवमेंट स्टेज की नींद दिमाग के कचरे को निकालने का काम करती है. आपका दिमाग नींद की इस अवस्था के दौरान उन सारी जानकारियों को डिलीट करने की कोशिश करता है, जिनकी आपको जरूरत नहीं है. कई कठिन पजल्स का जवाब तब लोग ज्यादा अच्छे से दे पाते हैं जब वे अच्छी नींद लेकर उठते हैं. नींद लेने के बाद लोग चीजें ज्यादा बेहतर ढंग से याद कर पाते हैं और कई काम भी अच्छे से कर पाते हैं. जिन लोगों को नींद की दूसरी अवस्थाओं के मुकाबले पर्याप्त रैपिड आई मूवमेंट स्टेज की नींद नहीं मिलती है, वे लोग इस फायदे से वंचित हो जाते हैं.

नौन रैपिड आई मूवमेंट स्टेज

जब आप सोना शुरू करते हैं तो वह अवस्था नौन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप कही जाती है और आप अपने आराम का ज्यादातर वक्त इसी में गुजारते हैं. सबसे पहले हल्की नींद की एन-1 स्टेज आती है और फिर एन-2 और उसके बाद गहरी एन-3 स्टेज. इस दौरान आपका दिमाग धीरे-धीरे बाहरी दुनिया की तरफ से कम रिस्पौसिंव होता जाता है और एन-3 स्टेज में जगना मुश्किल होता है. इस स्टेज में आपके विचार और शरीर के ज्यादातर काम सुस्त पड़ जाते हैं. आप अपनी नींद का आधे से ज्यादा हिस्सा एन-2 फेज में बिताते हैं, जहां पर वैज्ञानिकों के मुताबिक, आप लौन्ग टर्म मेमोरीज मिटाने का काम करते हैं.

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नींद के चक्र

पूरी नींद के दौरान आप कम से कम 3 से 5 बार सारी स्टेज से होकर गुजरते हैं. पहली बार की रैपिड आई मूवमेंट स्टेज केवल कुछ मिनटों की होती है, लेकिन नये साइकल के साथ यह लम्बी होती जाती है. यह स्टेज करीब डेढ़ घंटे तक लम्बी चल सकती है. जबकि एन-3 स्टेज हर नये साइकल के साथ छोटी होती जाती है. अगर आपकी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप किसी भी वजह से खराब हो जाती है तो आपका शरीर अगली रात में इसकी भरपाई करने की कोशिश करता है. कभी-कभी लोग यह कहते सुने जाते हैं कि आज भी मैंने वही कल रात वाला सपना देखा. तो यह इसी वजह से हुआ क्योंकि आपकी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप किसी वजह से खराब हो गयी थी. जब आप युवा और स्वस्थ होते हैं तो इस दौरान रात की नींद का पांचवा हिस्सा गहरी नींद यानी एन-3 स्टेज में ही खर्च करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है और 65 की उम्र पार कर जाते हैं तो यह स्टेज बहुत कम हो जाती है. ऐसे में व्यक्ति अनिद्रा का शिकार हो जाता है. बहुधा थोड़ी सी अनिद्रा से भी रोगी के मन में चिन्ता उत्पन्न हो जाती है. इससे उसके अन्दर चिड़चिड़ापन और हताशा बढ़ने लगती है. ये महत्त्वपूर्ण है कि आप ऐसे व्यक्ति के साथ धीरज से काम लें और समस्या से निपटने में उनकी मदद करते रहें. उनसे उनकी समस्याओं के बारे में बात करें. अगर उन्हें किसी बात की चिंता है, तो हो सकता है बात करने से उनका मन हल्का हो जाए और बेहतर नींद ले पाएं. इसके अलावा हलके हाथों से सिर और बदन की मालिश उन्हें राहत देती है और वे आराम से सो जाते हैं. अगर समस्या गम्भीर है, तो आप उन्हें डौक्टर के पास चलने की सलाह दे सकते हैं.

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4 टिप्स: ऐसे करें झाइयां दूर

चेहरे पर झाइयां होना कई महिलाओं के लिए कठिन समस्या बन जाती है. इससे राहत पाने के लिए आप कई तरह के नुस्खे को आजमाती हैं. यह समस्या सभी उम्र के लोगों को हो सकती है. तो चलिए आज जानते हैं, आप झाइयों से राहत कैसे पा सकती हैं.

  1. टमाटर

टमाटर को काटकर हल्‍के हाथों से चेहरे पर मसाज करें, खासतौर पर झाइयों वाली जगह पर इसका इस्तेमाल करें. इससे कुछ ही दिनों में झाइयां गायब हो जाएंगी और इनका रंग भी हल्‍का हो जाएगा.

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2. डाइट

आप हमेशा ध्यान रखें की जो भी खाना खाए उसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स हों. जिससे आपकी स्किन पर चमक आए और धब्बे भी कम दिखें. अगर आप झाइयों से परेशान हैं तो फिलहाल बाहर का खाना खाना बंद कर दें. अपनी डाइट में हरी सब्जियां और फल शामिल करें. गाजर, अनार का जूस भी आपकी स्किन के लिए फायदेमंद है.

3. फ्रेश क्रीम

फ्रेश क्रीम चेहरे पर लगाने से भी झाइयों और चेहरे संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है. आप झाइयों के लिए फ्रेश क्रीम लेकर उसमें नींबू का रस मिलाएं और इसे कुछ देर के लिए चेहरे पर लगाकर रखें. ऐसा रोज करने से आपके चेहरे को आराम मिलेगा और स्किन ग्लो करेगी.

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4. तुलसी

तुलसी के पत्ते भी चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. तुलसी के पत्तों को नींबू के रस में थोड़ी देर के लिए भिगोकर रखें और उसके बाद तुलसी के पत्तों को चेहरे पर रखें. इसकी चेहरे पर हल्की मालिश भी कर सकते हैं. इससे आपके चेहरे से काले घेरे और झाइयां दूर हो जाएगीं और आपकी स्किन काफी ग्लो करेगी.

कितनी खुश है आज औरत जेवरों-कपड़ों तले…

कितनी खुश है आज औरत ज़ेवरों-कपड़ों तले
चलती-फिरती लाश जैसी रेशमी कफ़नों तले
बन्दिशों को तोड़ कर ताज़ी हवा में सांस लो
क्यों छुपा रखी है अपनी शख़्सियत परदों तले
क्यों तेरी तक़दीर का क़ातिब ज़माना बन गया
क्यों दबा रखा है दुनिया ने तुझे रस्मों तले
अपनी मन्ज़िल खुद तलाशों, अपनी राहें खुद चुनो
एक दिन आ जाएगी जन्नत तेरे कदमों तले
जो खड़ी करता है दीवारें तुम्हारी राह में
रौंद डालो उस नियम-कानून को कदमों तले…

शब्दार्थ 
तक़दीर का क़ातिब – किस्मत लिखने वाला

कैरियर की शुरूआत और पहचान बनाने के लिए टीवी बेहतर है: श्रवण रेड्डी

कल तक फिल्मकारों की नजर में टीवी सीरियलों में अभिनय करने वाले कलाकार अछूत थे, पर अब यह दूरियां खत्म होती जा रही है. इन दिनों कई सफल टीवी कलाकार बौलीवुड में सक्रिय हैं. इसी के साथ अब एक नई बहस छिड़ गयी है कि टीवी सीरियल में अभिनय करने से कलाकार का विकास ठप्प हो जाता है. कई कलाकारों का मानना है कि टीवी में एक सीरियल जितने समय तक प्रसारित होता है, उतने समय तक कलाकार को एक ही तरह की वेशभूषा में एक ही तरह का किरदार निभाना पड़ता है. इससे उसके अंदर अभिनेता के तौर पर विकास नहीं हो पाता. कुछ कलाकार अब कहने लगे हैं कि जिन्हें सिर्फ पैसा कमाना है, वही टीवी पर काम करें.

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मगर कई टीवी सीरियलों में अभिनय करने के बाद 24 मई से ‘‘एमएक्स प्लेअयर्स’’ पर प्रसारित हो रही वेब सीरीज ‘थिंकिस्तान’ में मुंबई के चेंबूर इलाके में परवरिश पाने वाले हेमा का किरदार निभा रहे. अभिनेता श्रवण रेड्डी की राय कुछ अलग है. हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए श्रवण रेड्डी ने कहा- ‘‘मेरी राय में जो काम आपको पहचान दे, जो आपके घर का खर्च चलाए, वह नुकसान नहीं देता. पर यह हर कलाकार पर निर्भर करता है कि वह किस तरह का काम करना चाहता है.

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टीवी सीरियल में जब तक सीरियल चलता रहेगा, कलाकार को एक ही तरह की पोशाक पहनकर उसी तरह की गाड़ियों में घूमना पडे़गा. मैं इस बात से भी इत्तफाक रखता हूं कि टीवी सीरियल में अभिनय करके आप पैसा कमा सकते हैं. शुरूआत के लिए तो टीवी ठीक है. पर उसके बाद यह हर कलाकार कि अपनी खुशी पर निर्भर करता है कि वह किस रूप में कहां खुश है?  एक सीरियल में अभिनय करने से इतनी पहचान बन जाती है कि आप चुनाव जीत जाएं, इतनी पहचान तो एक फिल्मस्टार को भी नही मिलती. पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि टीवी पर लंबे समय तक काम करने से क्रिएटीविटी को नुकसान होता हैं.’’

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परफेक्ट सेल्फी लेने में ये 8 टिप्स करेंगे आपकी मदद

आज के युवाओं में सेल्फी का नया क्रेज आ गया है. कहीं भी जाओ तो सेल्फी, यात्रा के दौरान भी सेल्फी, कुछ खा रहे हैं तो सेल्फी, किसी जगह घूमने पहुंचे हैं तो सेल्फी और बिना किसी वजह के भी सुख-दुख इजहार करने की सेल्फी. लेकिन इतना क्रेज क्यों? इसका एक कारण सोशल मीडिया है. यहां फोटो क्लिक की नहीं कि झट से वह सोशल मीडिया पर पहुंच जाती है.

एक शोध के अनुसार आज के युवाओं में अपनी निजी वस्तुओं को दुनिया के सामने लाने की ललक पैदा हो गई है. जिसके चलते वे सोशल मीडिया का भारी मात्रा में प्रयोग करते हैं.

और युवा ही क्यों, हर वर्ग का इंसान आजकल सेल्फी के बुखार से पीड़ित है तथा इस रोग का पूर्ण आनंद उठा रहा है. यदि आप भी सेल्फी को लेकर क्रेजी हैं तो हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लाए हैं जो आपकी स्लेफी को परफेक्ट बनाएंगे. हम मानते हैं कि आप अच्छी सेल्फी ही लेते होंगे, लेकिन यहां कुछ ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं जो काफी बेसिक हैं और आपको और भी बेहतर सेल्फी लेने में लाभकारी सिद्ध होंगे.

  1. ऑटो सेटिंग…

सेल्फी लेते समय कोशिश करें कि सभी सेटिंग बाईडिफॉल्ट मोड पर हो. क्योंकि इसमें फोन आपके इतना करीब होता है कि लाइट और इफेक्ट अपकी तस्वीर को खराब कर सकते हैं. फोन में सभी सेटिंग ऑटो पर रहना ही बाईडिफॉल्ट मोड है.

2. रोशनी की स्थिति…

ध्यान दें कि सेल्फी लेते समय आपके सासपास अच्छी रोशनी हो, ताकि सेल्फी क्लियर आए. यूं तो मार्केट में फ्रंट कैमरा के साथ भी फ्लैश प्रदान करने वाले कई स्मार्टफोन आ गए हैं, लेकिन यदि आपके पास बिन अफ्लैश वाला फ्रंट कैमरा है तो लाइटिंग का पूरा ध्यान रखें.

3. कैमरा बटन से बचें…

जब आप सेल्फी लेते हैं तो उस वक्त स्क्रीन पर दिए गए कैमरा बटन को टच करना काफी मुश्किल होता है और फोटो खराब हो जाती है. ऐसे में आप सेल्फ टाइमर का उपयोग कर सकते हैं. यह अधिकतम 2 से 3 सेकेंड का होता है, स्क्रीन पर टैप करते ही टाइमर स्टार्ट हो जाएगा और एक परफेक्ट सेल्फी लेगा.

4. ग्रूप फोटोग्राफी से बचें…

आपने शायद ग्रुप्फी का नाम सुना होगा. यह नाम ग्रुप में स्लेफी लेने से बना है. लेकिन आप ग्रुप्फी ना ही लें तो बेहतर होगा. क्योंकि सेल्फी के समय इस बात की हमेशा कोशिश करें कि फोटोग्राफ में कम से कम लोग हों तभी फोटो बेहतर होगा. ग्रूप सेल्फी में अक्सर समस्या होती है. सामने से हर किसी को कवर करना मुश्किल हो जाता है.

5. स्क्रीन के बजाए कैमरा देखें…

सेल्फी लेते समय अक्सर लोग फोन की स्क्रीन की ओर देखते हैं, बजाय फोन के कैमरा में देखने के. यह सेल्फी लेते हुए एक बड़ी गलती साबित होती है. इसलिए कोशिश करें कि स्क्रीन के ऊपर कैमरे में देखें.

6. जूम…

सेल्फी के दौरान जितना हो सके जूम से बचें. क्योंकि आमतौर पर फोन में डिजिटल जूम होता है और यह हर बार जूम के साथ पिक्चर की क्वालिटी को खराब होती है. अगर जूम करना जरूरी है तो आप 2x या 4x तक का ही उपयोग करें.

7. साइड पोज…

सेल्फी के दौरान अक्सर आप सामने से फोटोग्राफी करते हैं. इसके बजाए कोशिश करें कि आप थोड़ा साइड पोज दें. अर्थात फोटो दाईं या बाईं ओर से लें. इस दौरान थोड़ा मुश्करा दें तो तस्वीर और खिलकर आएगी.

8. सेल्फी स्टीक…

आजकल बाजार में सेल्फी स्टीक का बड़ा ही क्रेज है. यदि आप सेल्फी फोटो के बेहद शौकीन हैं तो इसका उपयोग कर सकते हैं. स्टीक की वहज से कैमरा आपसे थोड़ा दूर हो जाता है और आप बड़ी तस्वीर लेने में सक्षम होते हैं. कैमरा बटन स्टीक में ही उपलब्ध होता है.

ये कारण बढ़ा देते हैं जीवन बीमा पौलिसी का प्रीमियम

ये बात तो आप जानते ही होंगे कि जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर आपके जीवन की कई बातें प्रभाव डालती हैं, मसलन, आपकी सेहत, आदतें, व्यवसाय की प्रकृति आदि जीवन बीमा के प्रीमियम राशि को घटा या बढ़ा सकती हैं. उदाहरण के लिए अगर आप सिगरेट या शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति हैं तो आपका जीवन बीमा प्रीमियम ऐसा न करने वाले पॉलिसी धारकों की तुलना में कम होता है.

कोई पॉलिसी खरीदने से पहले हमेशा अन्य कंपनियों की पॉलिसी से तुलना करना जरूरी होता है. साथ ही हम आपसे कहना चाहते हैं कि पॉलिसी का चयन करते वक्त केवल प्रीमियम को ही महत्वता नहीं देनी चाहिए.

हम आपको आज वो 9 कारण बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन बीमा प्रीमियम को बढ़ा सकते हैं…

1. सिगरेट और शराब का सेवन : सिगेरट और शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है. इसकी वजह से बीमारी या मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है. इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करने से पहले आवेदक से इन आदतों के बारे में हमेशा पूछती हैं. आपको बता दें कि यदि आप सिगरेट शराब नहीं पीते हैं तो इस स्थिति में कम प्रीमियम देना होता है. इसके विपरीत अगर आप धूम्रपान के आदी हैं तो प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है.

2. आपके व्यवसाय की प्रकृति : यदि आपका व्यवसाय ऐसा है जिसमें जान का जोखिम अधिक है जैसे कि सी-डाइविंग, बॉम्ब डिफ्यूसिंग यूनिट, फायर फाइटिंग आदि तो इंश्योरेंस कंपनी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में काफी ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती है. कुछ कंपनियां इस तरह के व्यवसायों के लिए इंश्योरेंस कवर देने से इंकार भी कर देती हैं.

3. आवेदक की शारीरिक सेहत : आवेदक की शारीरिक स्थिति भी इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभाती है. अगर आपको हृदय रोग या फिर डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं तो किसी स्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में आपकी प्रीमियम राशि अधिक होती है. इस वजह से इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी जारी करने से पहले आपके हेल्थ स्टेटस की मांग करती है. इतना ही नहीं अगर आवेदक की उम्र निश्चित सीमा से ज्यादा है तो इंश्योरेंस कंपनियां कई बार हेल्थ चेकअप और बेसिक टेस्ट अनिवार्य कर देती हैं

4. पॉलिसी की बीमा राशि : पॉलिसी की अवधि जितनी लंबी होती है प्रीमियम उतना ही कम होता है. इसलिए कम उम्र में बीमा पॉलिसी खरीदने पर इसके लिए दिया जाने वाला प्रीमियम भी कम होता है, क्योंकि ये इंश्योरेंस कवरेज ज्यादा समय के लिए होती है. साथ ही क्लेम के समय मिलने वाली बीमा की राशि के ऊपर भी प्रीमियम निर्भर करता है. आपको बता दें कि आपकी सम-एश्योर्ड राशि जितनी अधिक होगी बीमा प्रीमियम उतना ही ज्यादा होगा.

5. अधिक वजन – अधिक प्रीमियम : यदि आवेदक का वजन, लंबाई और उम्र के अनुपात में ज्यादा है तो बीमा के लिए लगने वाले प्रीमियम की राशि अधिक होगी, ऐसा इसलिए क्योंकि मोटापे की बीमारी से ग्रस्त लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रैशर आदि की संभावनाएं ज्यादा होती है.

6. प्रीमियम भुगतान का तरीका : बीमाकृत व्यक्ति इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान सालाना, साल में दो बार, एक बार में पूरी पेमेंट, तिमाही या फिर मासिक आधार पर करते हैं. यदि कुल राशि की गणना की जाए तो सालाना प्रीमियम बाकी अन्य विकल्पों की तुलना में कम होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी को साल की पूरी राशि पहले ही मिल जाती है.

7. ऑनलाइन या ऑफलाइन पॉलिसी का चयन : कंपनी की पॉलिसी ऑनलाइन पॉलिसी ऑफलाइन पॉलिसी की तुलना में सस्ती होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन खरीदने पर तमाम एजेंट का कमिशन, डिस्ट्रीब्युशन चैनल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट आदि जैसे खर्चे बच जाते हैं. साथ ही ऑनलाइन पॉलिसी खरीदते समय आप पॉलिसी को अपने हिसाब से कस्टामाइज कर सकते हैं.

8. महिलाओं के लिए कम होता है पॉलिसी का प्रीमियम : पॉलिसी का प्रीमियम आपके महिला या फिर पुरूष होने की बात पर भी निर्भर करता है. अभी तक के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पुरूषों की तुलना में महिलाओं की उम्र ज्यादा होती है. ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं के लिए कम प्रीमियम चार्ज करती हैं.

9. जैनेटिक फैक्टर्स : बीमा कंपनी आवेदक से पॉलिसी करवाते वक्त परिवार में पहले से चली आ रही बीमारियों के बारे में भी पूछताछ करती है. ऐसे में अगर आपके परिवार में ऐसी कोई बीमारी चली आ रही है तो कंपनी अपनी पॉलिसी के लिए ज्यादा प्रीमियम राशि चार्ज करती है.

छोटे बच्चों को सुलाने के ये 4 आसान तरीके…

बच्चों को वक्त पर सुलाना माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और जब बात करें नवजात शिशु की तो ये और भी जरुरी हो जाता हैं. छोटे बच्चों (1 साल से 5 साल तक) के लिए 6 से 14 घंटे की नींद बेहद जरुरी हैं. पर आपको अगर अपने बच्चे को सुलाने में दिक्कत होती हैं या बच्चा टाइम से सो नहीं पाता तो ये 4 आसान टिप्स आपके काम आ सकते हैं…

1.सोने का समय तय करना है जरुरी

सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा नियमति रूप से एक सही समय पर सोएं और सही समय से जागे. यह आपके बच्चों के भीतर एक स्वस्थ आदत का संचार करेंगे और आपके बच्चों के बौडी क्लौक को उसके मुताबिक ढालेंगे.

2.कैफीन से रखे दूर

चाय, कौफी और सोडा जैसे कैफीन वाले फूड आइट आपके बच्चों के सोने में मुश्किल पैदा करता हैं. इसलिए आप उन्हें शाम के वक्त इस तरह के पेय पदार्थों से दूर रखें, जिससे उन्हें शाम के वक्त सोने में आसानी होगी.

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3.प्राकृतिक रोशनी से रहेगी अच्छी सेहत

अपने बच्चों को दिन में बाहर जाकर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक रोशनी में रहने को कहें. प्राकृतिक रोशनी के संपर्क में आने से मेलाटोनिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है, जो स्लीप-वेक साइकल को कंट्रोल करता है. यह आपके बच्चों को दिन में जगाए रखने और रात में सोने में मदद करता है.

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4.डरावनी कहानियों से रखे दूर

दोपहर बाद बच्चों को डरावनी कहानियां सुनाने और भूतों की फिल्में दिखाने से बचें. अगर वे अंधेरे कमरे में सोने से डर रहे हैं तो आप उनके लिए नाइट लैंप जला सकते हैं, जिससे उन्हें सोने में आसानी होगी.

तो ये वो 4 तरीके जिससे आप अपने बच्चे को सही नींद दे सकते हैं.

क्या आप भी हैं अनिद्रा के शिकार?

एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा कि दुनिया में सबसे प्यारी चीज क्या है? तो बीरबल ने जवाब दिया कि दुनिया में सबसे प्यारी चीज है, नींद. अगर नींद ठीक से न मिले तो दुनिया की किसी चीज में कोई रस नहीं आता. वास्तव में नींद केवल प्यारी ही नहीं है, बल्कि जीवन के लिए अति आवश्यक चीज भी है. लेकिन यह प्यारी चीज सबके हाथ लगती कहां है? किसी को पत्थर पर सोने से ही आ जाती है, तो कोई मखमली बिस्तर पर भी पूरी रात करवटें बदलता रहता है. दुनिया में सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जो नींद के लिए तरसते हैं. नींद न आने की शिकायत लेकर डौक्टरों के वहां चक्कर काटते हैं. अनिद्रा सिर्फ रात आंखों में काट देने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसके चलते कई दूसरे मानसिक और शारीरिक रोग भी पैदा हो जाते हैं. यहां तक कि कभी-कभी इन्सान डिप्रेशन की हालत में आत्महत्या के लिए भी प्रेरित हो जाता है.

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वर्ष 2008 की बात है जब मैं पहली बार कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर और उनकी मां उज्जवला तिवारी से मिली थी. उन दिनों रोहित शेखर खुद को नारायण दत्त तिवारी का जैविक पुत्र घोषित करने की कानूनी दांवपेंच में फंसे थे. मैं उनके केस की स्थिति जानने के लिए बात कर रही थी. मैंने महसूस किया कि रोहित बिना रुके लगातार बोले जा रहे थे, यहां तक कि वे बीच में इंटरप्ट करने के लिए अपनी मां उज्जवला तक को डांट देते थे. उज्जवला तिवारी उनके आगे बार-बार खामोश हो जाती थीं. करीब चार घंटे अपने केस के बारे में लगातार बोलते रहने के बाद रोहित तब रुके, जब मैं मजबूरन वहां से जाने के लिए उठ खड़ी हुई. उनकी इतनी बातों से मेरा सिर दर्द से झनझनाने लगा था. इतनी देर में मैं यह समझ चुकी थी कि रोहित का बिहेवियर एक नौर्मल आदमी के बिहेवियर से मैच नहीं करता है. वे बहुत तनावग्रस्त और अग्रेसिवनेस के शिकार थे. उनकी यह हालत उनके जीवन में बचपन से जवानी तक चलने वाली कानूनी कार्रवाई, खुद के लिए पिता के नाम की चाह, सामाजिक अपमान, उपेक्षा, कष्ट, दुख और तनाव की वजह से थी. इसके अलावा रोहित अनिद्रा यानी इनसोमिया बीमारी के शिकार थे. वे रात-रात भर जागते रहते थे. चिन्ता में डूबे रहते थे. अपने केस की तैयारियों में जुटे रहते थे. रोहित का रात को देर तक जागना, नींद की ढेरों गोलियां खाना, आधी रात को उठ कर नहाना और दूसरे दिन दोपहर तक सोते रहना गम्भीर बीमारी के लक्षण थे, जिन्हें अनदेखा करना उनके जीवन के लिए बेहद खतरनाक साबित हुआ. आज रोहित शेखर इस दुनिया में नहीं हैं. 16 अप्रैल 2019 की  रात उनकी पत्नी अपूर्वा ने गला दबा कर उनकी हत्या कर दी. अपूर्वा उनकी हत्यारिन है मगर इस हत्या के कारणों में छिपा हुआ एक कारण रोहित की अनिद्रा और उससे उत्पन्न उनकी मानसिक हालत भी जिम्मेदार है, जिसने उन्हें उनकी पत्नी के साथ कभी एक नौरमल जीवन नहीं जीने दिया और उनके व्यवहार से तंग आकर आखिरकार उनकी पत्नी अपूर्वा को ऐसा खतरनाक कदम उठाना पड़ा.

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बदलती जीवनशैली, तनाव और भागदौड़ भरी जिन्दगी के बीच आजकल इनसोमिया लोगों को मानसिक रोगी बना रही है. पर्याप्त और अटूट नींद नहीं मिलने से शरीर और दिमाग को आवश्यक विश्राम नहीं मिल पाता है, जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. चिकित्सकों के अनुसार 18 से 40 वर्ष तक आठ घंटे की नींद और 40 से 50 वर्ष तक स्वस्थ मनुष्य के लिए 6 घंटे की नींद बहुत जरूरी है. 50 वर्ष से अधिक उम्र होने पर नींद कम आने लगती है. अनिद्रा दुनिया भर की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जो हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं में हो रही है.

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