पत्रपत्रिकाओं और इंटरनैट पर ब्लौग्स में युवतियां कौमार्य को ले कर प्रश्न पूछती हैं. एक ब्लौग पर रचना नाम की युवती ने पूछा, ‘‘मेरी शादी होने वाली है. क्या पहली रात को खून आना जरूरी है? मेरे शारीरिक संबंध एक लड़के से बन चुके हैं, क्या मेरे पति को इस बारे में मालूम चल सकता है?’’

ब्लौग पर किसी ‘आंटीजी’ नाम से जवाब दिए गए हैं. जवाब में लिखा है, ‘‘नहीं, ऐसा जरूरी नहीं है. यह एक मिथक है. कौमार्य का पूरा दारोमदार हाइमन यानी झिल्ली से जुड़ा हुआ है. यह झिल्ली आसानी से टूट सकती है. इस का कौमार्य से कोई ताल्लुक नहीं है. जब तक आप खुद अपने पति से यह नहीं बताओगी कि आप ने सैक्स किया है या नहीं, आप वर्जिन हैं या नहीं, तब तक वह इस बात का पता नहीं लगा सकता.’’

युवती फिर पूछती है, ‘‘आप को पक्का पता है मैम, ब्लड जरूरी नहीं है?’’

एक और युवती पूछती है, ‘‘मैं अपने हसबैंड को कैसे प्रूव करूं कि शादी से पहले मैं ने सैक्स नहीं किया?’’

फिर एक युवती पूछती है, ‘‘मेरी योनि ढीली हो गई है. कोई उपाय बताएं. शादी के बाद पति को मालूम पड़ सकता

है क्या?’’

एक युवक ने सवाल किया, ‘‘कैसे पता लगाया जाए कि बीवी ने शादी से पहले सैक्स किया है या नहीं. कोई तरीका तो होगा ही?’’

कौमार्य का भ्रम

योनि की झिल्ली को अकसर कौमार्य से जोड़़ कर देखा जाता है. यानी इस की मौजूदगी कौमार्य का प्रमाण है और उस का भंग होना सहवास की पुष्टि करता है. अकसर पहली बार यौन संबंध के दौरान कसावट और रक्तस्राव होना अक्षत योनि का लक्षण है जो कौमार्य का साक्ष्य माना गया है. इस वजह से युवतियों को आज भी कौमार्य का भय सताता है.

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