सरकारें किसानों की हिमायती बनने का दिखावा कर के उन को लुभानेरिझाने में लगी हैं, इसलिए हर रोज नई स्कीमों के फरमान जारी हो रहे हैं. नेता गाल और अफसर खड़ताल बजा रहे हैं. यह बात अलग है कि ज्यादातर किसान आज भी बदहाल हैं, क्योंकि बहुत से किसानों को सरकारी स्कीमों का फायदा मिलना तो दूर उन्हें पता तक नहीं चलता, क्योंकि निकम्मे व भ्रष्ट सरकारी मुलाजिम किसानों को उन के फायदे की योजनाओं की कानोंकान खबर तक नहीं लगने देते.
सरकारी योजनाओं के ज्यादातर घोड़े कागजों पर दौड़ते हैं. छुटभैए नेता और बिचौलियों की मिलीभगत से हिस्साबांट हो जाता है. सरकारी स्कीमों की छूट व सहूलियतों का फायदा लेने के लिए किसानों को खुद ही जागना होना. अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए उन्हें पत्रपत्रिकाओं का सहारा लेना पड़ेगा.
नईनई तकनीकें सीख कर खेती की लागत घटे, बेहतर इंतजाम से नुकसान घटे व प्रोसैसिंग से आमदनी बढ़े, ऐसी बातें सीखनी होंगी. खेती में कम आमदनी की अहम वजह सही जानकारी की कमी भी है.
दर्जनों व स्कीमें
खाद, बीज, कीड़ेमार दवा व खेती की मशीनें उधार लेने के लिए हर बार किसानों को कर्ज लेने के पहले अपनी खेती के कागज जमा कराने पड़ते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में अब ऐसा नहीं है. ज्यादातर किसान नहीं जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में खेती महकमे की?स्कीमों का फायदा लेने के लिए ह्वश्चड्डद्दह्म्द्बष्ह्वद्यह्लह्वह्म्द्ग.ष्शद्व पर महज एक बार औनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. फिर इस के बाद बारबार कागज जमा कराने का झंझट खत्म.
किसान अपनी जमीन की खतौनी, आधारकार्ड व बैंक पासबुक की फोटोकौपी ले कर अपने जिले में खेती महकमे के दफ्तर, जनसेवा केंद्र या साइबर कैफे में यह काम करा सकते हैं.
अगर इस तरह की बुनियादी जानकारी किसानों को मिले तो सरकारी स्कीमों का फायदा आसानी से लिया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश में किसान अपने खेत से मिट्टी का नमूना ले कर बिना कुछ खर्च किए ही खेती महकमे की लैब से उस की जांच करा सकते हैं. इस की जानकारी ब्लौक दफ्तर के सहायक विकास अधिकारी, कृषि से ली जा सकती है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर दर्ज जांच रिपोर्ट के आधार पर खेत की मिट्टी में जिन चीजों की कमी हो, जरूरी खुराक खेत में डाल कर किसान अपनी पैदावार व आमदनी में इजाफा कर सकते हैं.
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खेती में बीज का चुनाव व खरीद सब से अहम होती?है. अच्छी?क्वालिटी के बीज वाजिब कीमत पर किसानों को मुहैया कराने के लिए उत्तर प्रदेश में सामान्य बीज वितरण की योजना चल रही?है. इस के तहत दलहन व तिलहन के बीजों पर 13,00 रुपए से 7,000 रुपए प्रति क्विंटल तक छूट दी जा रही?है. इस के लिए किसान अपने जिले के कृषि अधिकारी से मिल सकते हैं.
तरक्कीपसंद किसानों की खेती दिखा कर दूसरे किसानों को उसी राह पर चलाने के लिए सरसों की खेती के उम्दा प्रदर्शन पर खाद, बीज वगैरह पर खर्च का 50 फीसदी या 3,000 रुपए प्रति हेक्टेयर, बीज ग्राम स्कीम में गेहूं व धान के प्रदर्शन पर खर्च का 75 फीसदी व आत्मा योजना में तकनीकी प्रदर्शन पर 3,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से छूट दी जाती है.
मशीनों पर छूट
खेती में समय और मेहनत बचा कर बेहतर काम के लिए मशीनों का इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है इसलिए सरकार उन की खरीद पर माली इमदाद देती?है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान उन्हें खरीद सकें.
उत्तर प्रदेश में हाथ से चलने वाली छोटी मशीनों पर 50 फीसदी तक की?छूट दी जा रही है. इस में किसान चैप कटर पर 2,500 रुपए, विनोइंग फैन पर 1,500 रुपए व स्प्रेयर पर 600 रुपए तक की?छूट का फायदा उठा सकते हैं.
पावर से चलने वाली खेती की बड़ी मशीनों की कीमत ज्यादा होती है इसलिए नैपसेक स्प्रेयर पर 3,000 रुपए, डीजल पंप सैट पर 10,000 रुपए, जीरो टिल फर्टिलाइजर ड्रिल पर हैप्पी सीडर व शुगर केन प्लांटर पर
19-19 हजार रुपए, मल्टीक्रौप थ्रेशर, हैरो कल्टीवेटर व पावर चैप कटर पर 25-25 हजार रुपए, रोटावेटर पर 36,000 रुपए, रिपर पर 63,000 रुपए, रिपर कम बाइंडर पर 1 लाख रुपए व लेजर लैवलर पर किसान समहों को
डेढ़ लाख रुपए तक की छूट है. किसान इस की जानकारी कृषि उपनिदेशक के दफ्तर से ले सकते हैं.
छोटे किसानों को खेती की मशीनें किराए पर मुहैया कराने के लिए अगर 8-10 किसान मिल कर अपना एक समूह बनाएं तो वे अपना खुद का कस्टम हायरिंग सैंटर या फार्म मशीनरी बैंक खोल सकते?हैं. हायरिंग सैंटर खोलने के लिए 4 लाख रुपए व फार्म मशीनरी बैंक खोलने के लिए 10 लाख रुपए कीमत की फार्म मशीनों पर 8 लाख रुपए की छूट मिलती है.
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सिंचाई में सहायता
गांव में अमूमन बिजली कम ही आती है. बिजली आए भी तो वोल्टेज कम आती है. उधर डीजल की बढ़ती कीमतों ने फसलों की सिंचाई को महंगा कर दिया है. ऐसे में सोलर पंप सैट का इस्तेमाल करना फायदेमंद है.
किसान अगर बोरिंग खुद करा लें तो 2, 3 व 5 हौर्सपावर का सोलर पंप लगाने पर उत्तर प्रदेश का खेती महकमा 40 से 70 फीसदी तक की छूट देता है.
जमीन के अंदर का पानी सब से ज्यादा फसलों की सिंचाई में खर्च होता है. पानी की कमी वाले इलाकों में फव्वारा यानी स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा?है. इस की एक यूनिट लगाने में तकरीबन 70,000 रुपए खर्च होते?हैं, जो हर आम किसान के बस की बात नहीं है इसलिए सरकार सिंचाई के इस तरीके पर 90 फीसदी तक की छूट दे रही?है ताकि पानी बरबाद न हो. किसानों को कम खर्च में सिंचाई की सहूलियत देने के मकसद से मुहैया कराए जाने वाले एचडीपीई पाइप पर 50 रुपए मीटर की दर से 15,000 रुपए तक की छूट दी जाती है.
केंचुआ खाद में माली इमदाद
कैमिकल खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल ने जमीन की सेहत को काफी हद तक खराब कर दिया है इसलिए केंचुओं की खाद यानी वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन व इस्तेमाल पर खासा जोर दिया जा रहा है. इस की एक यूनिट लगाने पर तकरीबन 8,000 रुपए का खर्च आता है.
ज्यादातर किसानों को पता ही नहीं है कि वर्मी कंपोस्ट को बढ़ावा देने की गरज से फी यूनिट पर 6,000 रुपए की छूट दी जाती है.
खेती का कचरा यानी अवशेष (पराली) का इस्तेमाल कंपोस्ट बना कर जमीन की उपजाऊ ताकत को बढ़ाने में बखूबी किया जा सकता है, जबकि इस को जलाने से माहौल खराब होता है.
देश की राजधानी दिल्ली व उस के आसपास के इलाकों में तो हर साल पराली जलाने से धुंध छा जाती है. गेहूं, धान, गन्ना, दलहन व तिलहन वगैरह फसलों की कटाई के बाद बचे अवशेष का सही इंतजाम करने वाली मशीनों की खरीद पर उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी तक की छूट दी जा रही है.
किसानों को खेती से जुड़े रोजगार देने की गरज से सरकार ने एक अच्छी पहल की है. बीएससी कृषि पास बेरोजगारों को हर विकास खंड में एक एग्रीजंक्शन यानी खेती से जुड़ी चीजें बेचने के लिए मुफ्त लाइसैंस, 1,000 रुपए की दर से 1 साल का दुकान किराया व लिए गए बैंक कर्ज पर 3 साल के लिए 5 फीसदी ब्याज तक की छूट दी जाती है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अलग राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना में पशुपालक जानवरों के नजदीकी अस्पताल में अपने लिए 5 जानवरों का 3 साल तक के लिए बीमा करा सकते हैं.
इस स्कीम में उत्तर प्रदेश का पशुपालन महकमा, बीमा प्रीमियम पर सामान्य तबके के पशुपालकों को 75 फीसदी व अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों को 90 फीसदी तक की छूट देता है.
अकेले उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देश के बाकी राज्यों में भी किसानों के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चल रही हैं.
मसलन दिसंबर, 2018 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान होते ही झारखंड, ओडि़सा व पश्चिम बंगाल में भी कर्जमाफी चालू हो गई और हरियाणा में इस की तैयारी है इसलिए किसानों को जागरूक होना चाहिए.
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सावधानी
गौरतलब है कि सभी स्कीमों में दी जाने वाली छूट किसानों के बैंक खातों में जमा की जाती है इसलिए अपना बैंक खाता जरूर चालू रखें. साथ ही, जो भी चीज नकद या उधार कृषि विभाग के स्टोर से खरीदें, उस की पक्की रसीद जरूर लें वरना छूट नहीं मिलेगी. किसान गूगल प्ले स्टोर से यूपी पारदर्शी किसान नामक मोबाइल एप भी डाउनलोड कर सकते हैं.