सही तकनीक का इस्तेमाल कर के किसान न केवल इस तरह की समस्याओं से बच सकते हैं, बल्कि ज्यादा उपज भी ले सकते हैं.यहां हम बासमती धान की खेती कलैंडर पर रोशनी डाल रहे?हैं, ताकि किसान अपने कामों को समय पर अंजाम दें और अच्छी उपज पाएं.
1 से 15 जून
बीज भरोसेमंद जगह से ही खरीदें. बीजोपचार जरूर करें. 5 किलो बीज के लिए 5 ग्राम एमीसान व एक ग्राम स्ट्रैप्टोसायक्लीन का 10 लिटर पानी में?घोल बनाएं. 24 घंटे तक बीज को उस में डुबोएं. टब एल्यूमिनियम का न हो. थोड़ा बीज का नमूना और थैला सुरक्षित रखें.
16 से 30 जून
अगर पौध पीली पड़ती दिखाई दे तो 3 फीसदी फेरस सल्फेट का छिड़काव करें. पौध उखाड़ने के एक हफ्ते पहले एक बार किसी फफूंदीनाशक का छिड़काव करें. पौधशाला में सिंचाई शाम के समय में करें.
1 से 15 जुलाई
जिन किसानों की धान की पौध 20-25 दिन की हो गई हो, वे सिंचाई करें और सावधानी से पौध उखाड़ कर उस की रोपाई करें. रोपाई के समय 4-5 सैंटीमीटर से ज्यादा पानी न रखें. एक वर्गमीटर में 25-30 पौधे लगाएं. रोपाई 15 जुलाई से पहले खत्म कर लें. पूसा बासमती-1509 की रोपाई 15 जुलाई के बाद ही करें.
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16 से 31 जुलाई
सिंचाई व खरपतवार का ध्यान रखें. नाइट्रोजन की पहली खुराक का बुरकाव करें. जहां पौध मर गए हैं, वहां नई पौध लगा दें. खेत की मेंड़ को साफ रखें. अच्छा रहेगा कि फफूंदीनाशक का छिड़काव मेंड़ पर भी कर दें.
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