समाचारपत्र पत्रिकाओं में आएदिन नरबलि संबंधी समाचार पढ़ने को मिलते रहते हैं. हर समाचार अपने पूर्ववर्ती समाचार की अपेक्षा ज्यादा घृणास्पद, क्रूर एवं हृदय विदारक होता है. झारखंड के रजरप्पा इलाके के छिन्न मस्तिका मंदिर में 31 जनवरी की सुबह एक नौजवान ने खुद की ही बलि चढ़ा दी. उस ने मंदिर के बलि वेदी के पास बैठ कर धारदार हथियार से अपना गला रेत लिया.

मंदिर में पशुबलि की प्रथा है. बलि देने वाले नौजवान की पहचान बिहार के बक्सर जिले के सिमरी ब्लौक के बलिहार गांव के संजय नट के तौर पर हुई है. 35 वर्षीय संजय नट सीआरपीएफ का जवान था.

इसी प्रकार भटिंडा, तल बंडीसाबों के गांव कोटफत्ता में एक तांत्रिक महिला निर्मल कौर ने खुद को भगवान मानते हुए अपने ही मासूम पोतेपोती की पीटपीट कर और करंट लगा कर बलि दे दी. इस कत्ल में बच्चों का पिता तांत्रिक कुलविंद्र सिंह भी शामिल था.

अमृतसर, मजीठा रोड के गांव पंडोरी वड़ैच में, गांव में ही रहने वाले कथित तांत्रिक ने सवा तीन साल के बच्चे तेजपाल को अगवा कर के उस के बाल काटे और तंत्रमंत्र करने के बाद गला दबा कर हत्या कर दी. वह लोगों से कहता था कि वह हर प्रकार के तंत्रमंत्र करता है. उस ने माना कि उस ने तंत्रविद्या के लिए बच्चे की हत्या कर शव को गांव के बाहर सुनसान जगह पर फेंका है.

बच्चे की चाह में पड़ोस की गर्भवती और उस के गर्भस्थ शिशु की बेरहमी से हत्या कर दी गई. मृतका की हाल ही में शादी हुई थी और उस के गर्भ में पहला बच्चा था. पूर्ण और उस की पत्नी जोगिंदर कौर के अनुसार, उन के बेटे गुरप्रीत सिंह की शादी रविंदर कौर के साथ हुई थी. शादी के 5 साल बाद भी उन की बहू मां नहीं बन पाई थी. औलाद हासिल करने के लिए वे पास के गांव हसनपुर कलां में दीशो उर्फ देवा पत्नी सतनाम सिंह के पास पहुंचे. देवा ने औलाद प्राप्ति के लिए उन्हें यह उपाय बताया कि वे किसी 7-8 महीने की गर्भवती महिला का इंतजाम करें और उस का पेट चीर कर उस में से बच्चा निकाल कर रख लें.

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