डोसा किंग के नाम से मशहूर हुए राजगोपाल की कहानी बेहद दिलचस्प है. उन की कहानी से प्रेरणा भी मिलती है और सबक भी. प्रेरणा यह कि अगर आप ठान लें कि आप को जिंदगी में कुछ कर गुजरना है और इस के लिए जीजान से जुट जाएं तो कोई आप को रोक नहीं सकता. और सबक यह मिलता है कि अगर आप पंडे, पुजारियों, तांत्रिकों और ज्योतिषियों के जाल में उलझ गए तो उस से कोई आप को निकाल नहीं सकता, फिर आप उसी में छटपटा कर दम तोड़ने को मजबूर हो जाते हैं.
देश में ऐसे लोगों की भरमार है जो कामयाब तो होते हैं अपनी बुद्धि, मेहनत और लगन के चलते लेकिन इस का श्रेय देते हैं धर्म और उस के पाखंडों को क्योंकि उन के दिलोदिमाग में यह बात गहरे तक बैठी होती है कि आदमी तो निमित्त मात्र है, देता तो ऊपरवाला है और इस के लिए उस के नीचे बैठे दलालों की खुशामद करना जरूरी है.
हर किसी की ख्वाहिश अपार दौलत और शोहरत हासिल करना होती है.
उसे पूरा करने के लोगों के तौरतरीके अलगअलग होते हैं. लेकिन अधिकतर मामलों में वे भगवान से शुरू हो कर भगवान पर ही आ कर खत्म हो जाते हैं. धर्मग्रंथों में चमत्कारी किस्सेकहानियों की भरमार है जिन्हें देख लगता है कि अमीर बनने के लिए मेहनत की नहीं, बल्कि तांत्रिकों, पंडों, पुजारियों और ज्योतिषियों की ज्यादा जरूरत है, जो तरहतरह के उपाय बता कर यह सपना पूरा करा सकते हैं.
अंधविश्वासों के चक्कर में खुद का हो न हो लेकिन इन दुकानदारों का जरूर फायदा होता है जो कई बार अपने यजमान यानी क्लाइंट को ऐसी जगह ले जा कर छोड़ने से भी बाज नहीं आते जहां से हरेक रास्ता बरबादी की तरफ जाता है.