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फादर्स डे स्पेशल: मेरे पापा-11

मेरे पापा बेहद नरमदिल, स्नेहिल स्वभाव वाले इंसान थे. वे हम 3 भाईबहनों के पापा कम, मित्र ज्यादा थे. बात उस समय की है जब मैं करीब 9 साल की थी. सर्दी के दिन थे. मां ने अंगीठी जला कर उस पर चाय बनाने के लिए रखी थी. मैं गरमाहट पाने के लिए अंगीठी के सामने बैठ गई और चाय बनते देखती रही. इतने में मां किसी काम से उठ कर बाहर गईं तो मेरी नजर एक कोयले पर पड़ी जो कुछ टेढ़ा सा हो रहा था. मैं ने चिमटा उठा कर उस कोयले को सीधा करना चाहा तो पतीले का संतुलन बिगड़ गया और खौलती हुई चाय मेरे पैर पर गिर पड़ी.

मैं ने दर्द के मारे चीखना शुरू कर दिया. मेरे रोने की आवाज सुन कर मेरी मां और मेरे पापा भी रसोई में आ गए. मां घबरा कर रोने लगीं.

पापा ने तुरंत मुझे अपनी गोद में उठाया और कुछ दूरी पर स्थित अस्पताल में ले गए जहां डाक्टरों ने मेरा उपचार किया. डाक्टर ने कुछ दिन पैर नीचे न रखने की हिदायत दी थी. मुझे दर्द से ज्यादा इस बात की चिंता थी कि मैं 4-5 दिन तक स्कूल कैसे जाऊंगी.

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मेरी मनोदशा को भांपते हुए पापा रोज सुबह अपनी गोद में उठा कर मुझे मेरी कक्षा में बिठा कर आते थे. पापा के औफिस में लंच का समय होता था. पापा लंच छोड़ कर दोपहर में मुझे फिर से गोद में उठा घर छोड़ कर फिर औफिस चले जाते.

आज मेरे पापा हमारे बीच नहीं हैं पर यह अनुभव और उन की यादें जीवन के अंतिम क्षणों तक मेरे दिल में रहेंगी.

मीनू मोहले, पंजाबी बाग (न.दि.)

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मैं गणित विषय से एमएससी कर चुकी थी. उसी साल मेरे पापा रिटायर हुए थे. मैं ने सोचा कि मैं अब आगे नहीं पढ़ूंगी, नौकरी ढूंढ़ूंगी ताकि घर का खर्च चलाने में पापा की मदद कर सकूं.

एक दिन मेरी सहेली हमारे घर आई और कहने लगी कि उस ने एमफिल में दाखिला ले लिया है. मेरे पापा ने सुन लिया और कहा, ‘‘तुम ने एमफिल का फौर्म क्यों नहीं भरा?’’ मैं ने कहा, ‘‘पापा, मैं और नहीं पढ़ूंगी, नौकरी कर के आप का हाथ बटाऊंगी.’’ पापा ने मुझे डांट कर कहा, ‘‘जब तक मैं हूं, तुम्हें घर की फिक्र करने की जरूरत नहीं. तुम जाओ और एमफिल करो.’’ अगले ही दिन मैं ने फीस भर कर एमफिल में दाखिला ले लिया. अभी मेरी एमफिल पूरी भी नहीं हुई थी कि मेरा राजकीय महाविद्यालय में प्राध्यापिका पद की नौकरी के लिए चयन हो गया. पापा आज हमारे बीच नहीं हैं. मुझे आज भी लगता है कि मुझे यह नौकरी पापा की वजह से ही मिली है.

पूनम कश्यप, विश्वकर्मा कालोनी (न.दि.)

Crime Story: तंत्र का आधा-अधूरा मंत्र

विकास की दौड़ में पिछड़े हुए गांवों का शैक्षिक स्तर भी पिछड़ा हुआ है, जिस की वजह से ऐसे गांवों के लोग अभी भी अंधविश्वासों की

बेडि़यों में जकड़े हुए हैं. कुडरिया गांव के सुघर सिंह के घर इसी अंधविश्वास ने ऐसा…   —’   कुडरिया जिला इटावा का छोटा सा गांव है, जो थाना बकेवर के क्षेत्र में आता है. कुडरिया का सुघर सिंह दोहरे मामूली सा किसान है. 21 फरवरी, 2020 को गांव के कुछ लोग सुघर सिंह दोहरे के घर के सामने वाले रास्ते से निकले तो उन की नजर दरवाजे के पास मरे पड़े भैंस के पड्डे पर गई, जिस की गरदन काटीगई थी.

कुछ लोग अनहोनी की आशंका के मद्देनजर सुघर सिंह के घर के अंदर गए तो हैरत में रह गए. आंगन में एक व्यक्ति की खून से लथपथ लाश पड़ी थी. जरूर कोई गंभीर बात है, सोच कर लोग घर के बाहर आ गए.

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इस खबर से गांव में सनसनी फैल गई. गांव वाले सुघर के मकान के सामने एकत्र होने लगे. इसी दौरान किसी ने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी.

कुछ ही देर में बकेवर के थानाप्रभारी बचन सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. वहां सूने पड़े मकान में एक शव पड़ा हुआ था. वहां के दृश्य को देख लग रहा था कि वहां तांत्रिक क्रियाएं की गई थीं. वहां केवल भैंस के पड्डे की ही नहीं, बल्कि बकरे और मुर्गे की भी बलि दी गई थी. एक थाली में अलगअलग कटोरियों में तीनों का खून रखा था.

थानाप्रभारी ने आसपास के रहने वाले लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की तो पता चला घर में भूतप्रेत का कोई चक्कर था.

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इसी वजह से सुघर सिंह दोहरे ने तंत्रमंत्र क्रिया कराई थी. इसी को ले कर किसी व्यक्ति की बलि दी गई होगी.

इसी बीच संतोष नाम का एक युवक घटनास्थल पर पहुंचा. वह घबराया हुआ था. लाश को देख कर उस ने मृतक की शिनाख्त अपने चाचा हरिगोविंद के रूप में की. गांव मलेपुरा का हरिगोविंद पेशे से तांत्रिक था.

 

तब तक मृतक का बड़ा भाई वीर सिंह, सुघर सिंह के दामाद विपिन के साथ वहां पहुंच गया. कुछ देर में मृतक के अन्य घर वाले भी आ गए. हरिगोविंद की लाश देख कर घर वालों ने रोनाधोना शुरू कर दिया.

सुघर सिंह के घर के बाहर भारी भीड़ जमा होते देख थानाप्रभारी बचन सिंह ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना मिलने पर एएसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह, फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने पूरे मकान का निरीक्षण किया.

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पुलिस ने मकान की छत पर जा कर भी जांच की. घर में बड़ी मात्रा में तंत्रमंत्र में इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी मिली, जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया. तांत्रिक हरिगोविंद के सिर व गले पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे.

मृतक के बड़े भाई वीर सिंह ने बताया कि उस के भाई हरिगोविंद को सुघर सिंह ने विपिन को भेज कर झाड़फूंक के लिए बुलवाया था. सुघर सिंह और उस के घर वाले घटना के बाद से ही फरार थे.

वीर सिंह का आरोप था कि उस के भाई की हत्या साजिशन की गई थी, जिस में सुघर सिंह के सभी घर वाले शामिल थे. पुलिस ने वीर सिंह की तहरीर पर 7 लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 147, 302, 120बी के तहत केस दर्ज किया. 7 आरोपियों में विपिन के अलावा कुडरिया गांव का सुघर सिंह, उस की पत्नी सिया दुलारी, मलेपुरा निवासी दामाद विपिन, तीनों बेटे सतीश, श्यामबाबू व ब्रह्मप्रकाश और श्यामबाबू की पत्नी प्रियंका शामिल थे.

वीर सिंह ने अपनी तहरीर में कहा कि उस के छोटे भाई हरिगोविंद को 20 फरवरी को आरोपी विपिन व श्यामबाबू प्रेत बाधा दूर करने के लिए ले गए थे. श्यामबाबू ने उस के भाई को धमकी भी दी थी कि कई बार बुला कर काफी पैसा खर्च करवा लिया है. अगर आज भूत नहीं उतरा तो समझ लेना, तेरा भूत उतारूंगा.

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एसएसपी आकाश तोमर ने प्रैसवार्ता में बताया कि तथाकथित तांत्रिक की हत्या के मामले में बकेवर पुलिस ने कुडरिया निवासी सुघर सिंह, उस की पत्नी सियादुलारी और मलेपुरा निवासी उस के दामाद विपिन कुमार को गिरफ्तार कर उन के कब्जे से हत्या में इस्तेमाल नल का हत्था और लोहे की पत्ती बरामद की गई है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने तांत्रिक की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया है. हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

कुडरिया के रहने वाले सुघर सिंह दोहरे के 3 बेटे व 2 बेटियां हैं. बेटों में सतीश, श्यामबाबू व ब्रह्मप्रकाश शामिल हैं. मझले बेटे श्यामबाबू की पत्नी प्रियंका व छोटा भाई ब्रह्मप्रकाश काफी समय से बीमार चल रहे थे. दोनों का गांव में ही इलाज कराया गया, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई.

घर के लोगों ने अंधविश्वास के चलते उन पर भूतप्रेत का साया समझ लिया और उस के निदान के लिए उपाय तलाशने लगे.

 

इस बीच उन्होंने कई जानकार तांत्रिक व सयानों से झाड़फूंक कराई. यह सब घर में कई महीनों से चल रहा था, लेकिन प्रियंका व ब्रह्मप्रकाश की बीमारी में झाड़फूंक से कोई फायदा नहीं हो

रहा था.

सुघर सिंह की बेटी सुमन की शादी थाना लवेदी के ग्राम मलेपुरा निवासी विपिन के साथ हुई थी. विपिन ने सुघर सिंह को किसी अच्छे तांत्रिक से क्रिया कराने की सलाह दी. उस ने अपने ही गांव के तांत्रिक हरिगोविंद को तंत्रमंत्र विद्या में पारंगत बता कर उस से पूजापाठ कराने को कहा. हरिगोविंद विपिन का चचेरा चाचा था. उस ने बताया कि तंत्रमंत्र क्रिया कराने से भूत बाधा से मुक्ति मिल जाएगी.

 

इस की जानकारी होने पर एक दिन श्यामबाबू अपने बहनोई विपिन के गांव पहुंचा और अपनी पत्नी व भाई की बीमारी दूर करने के लिए तंत्रमंत्र साधना कराने के लिए कहा.

विपिन ने इस संबंध में अपने तांत्रिक चचेरे चाचा हरिगोविंद, जो लवेदी में रह कर तंत्रमंत्र और झाड़फूंक करता था, से संपर्क किया था. 45 वर्षीय हरिगोविंद की गांव में तांत्रिक के रूप में अच्छी पहचान बनी हुई थी. उस का दावा था कि वह अपनी शक्ति से भूतबाधा से पीडि़त व्यक्ति को मुक्ति दिला सकता है.

घटना से 2 दिन पहले श्यामबाबू बहनोई विपिन के साथ उस के गांव जा कर मिला. तांत्रिक हरिगोविंद के बताए अनुसार तय हुआ कि महाशिवरात्रि से एक दिन पहले यानी 20 फरवरी को तंत्र क्रिया शुरू की जाएगी, जो शिवरात्रि को पशु बलि देने के साथ संपन्न होगी.  तांत्रिक ने कहा कि बलि के बिना भूतबाधा से मुक्ति नहीं मिलेगी. इस के लिए हरिगोविंद ने श्यामबाबू को जरूरी सामान लाने के लिए एक लिस्ट थमा दी.

निश्चित दिन गुरुवार 20 फरवरी को विपिन दिन में ही तांत्रिक हरिगोविंद को ले कर गांव कुडरिया स्थित श्यामबाबू के घर पहुंच गया. इस बीच श्यामबाबू ने तंत्र क्रिया के लिए सभी सामान के साथ बलि के लिए मुर्गे व अन्य पशुओं का भी इंतजाम कर लिया था.

 

सुघर सिंह के घर के आंगन के बीच एक गड्ढा खोद कर उसमें तांत्रिक क्रियाएं शुरू की गई. इस दौरान हरिगोविंद ने मुर्गा, बकरा व पड्डा (भैंस का बच्चा) की बलि देने के साथ ही उन के खून को एक बरतन में इकट्ठा किया और तरहतरह की तांत्रिक क्रियाएं करने लगा. वह जय मां काली के उद्घोष के साथ ही तेजी से सिर हिलाने लगा. इसी बीच उस ने प्रियंका के साथ कुछ गलत हरकतें करनी शुरू कर दीं.

पहले तो घर वाले कुछ नहीं बोले, लेकिन जब तांत्रिक की हरकतें ज्यादा बढ़ गईं, तब घर वालों का खून खौल उठा. इस बात को ले कर घर वालों का तांत्रिक से विवाद हो गया.

विवाद बढ़ने पर उन लोगों ने तांत्रिक हरिगोविंद को दबोच लिया और उस के सिर पर हैंडपंप के हत्थे से और गरदन पर लोहे की पत्ती से प्रहार किए, जिस से उस की मृत्यु हो गई. हत्या करने के बाद सुघर सिंह के घर वाले रात में ही फरार हो गए.

सुघर सिंह का दामाद विपिन तांत्रिक को साथ ले कर कुडरिया आया था, लेकिन वापस लौट कर अपने गांव मलेपुर स्थित घर आ कर सो गया. उस ने मृतक हरिगोविंद के घर वालों को इस बारे में कुछ नहीं बताया. कुडरिया से मलेपुर गांव के बीच की दूरी करीब 9 किलोमीटर है.

हरिगोविंद के घर वालों को शुक्रवार सुबह लगभग 9 बजे घटना की जानकारी मिली. इस पर हरिगोविंद के घर वाले विपिन के घर पहुंच गए. विपिन घर पर सोता हुआ मिला. जब विपिन से हरिगोविंद के बारे में पूछा गया तो उस ने कुछ नहीं बताया. इस पर उन लोगों ने उसे मारापीटा.

 

हरिगोविंद के घर वाले विपिन को ले कर कुडरिया गांव आए. लेकिन उन के पहुंचने से पहले ही मृतक के भतीजे संतोष ने शव की शिनाख्त चाचा हरिगोविंद के रूप में कर दी थी. पुलिस ने पहले विपिन की पत्नी सुमन को भी हिरासत में लिया था, लेकिन आरोपियों में उस का नाम न होने पर छोड़ दिया था.

तांत्रिक हरिगोविंद शादीशुदा था. उस के 4 बच्चे हैं. 2 बेटे व 2 बेटियां. सभी बालिग हैं.

अपनी घरगृहस्थी चलाने के लिए उस ने आसपास के क्षेत्र में तंत्र विद्या में निपुण होने के तौर पर पहचान बना रखी थी. मलेपुर गांव में उस की पहचान तांत्रिक डाक्टर के रूप में थी. तंत्रमंत्र के साथ वह दवाई भी देता था.

मलेपुर गांव के लोगों के अनुसार हरिगोविंद तंत्रमंत्र व झाड़फूंक करता था. वह लंबे समय से अंधविश्वास से ग्रस्त लोगों को अपनी कथित तंत्रविद्या से भूतप्रेत बाधाओं को ठीक करने और उन का मुकद्दर बनाने का दावा करता रहता था.

अज्ञानता के चलते सीधेसादे लोग मामूली बीमार होने पर भी डाक्टर के पास न जा कर सीधे हरिगोविंद के पास झाड़फूंक के लिए चले जाते थे. तंत्रमंत्र और झाड़फूंक के नाम पर वह लोगों से मोटी कमाई करता था.

तंत्र क्रिया के दौरान कथित तांत्रिक हरिगोविंद द्वारा निरीह पशुपक्षियों की नृशंस हत्या का प्रतिफल उसे अपनी जान गंवा कर मिला.

—कथा पुलिस सूत्रों परधारित आ

बागबानों को उन्नति का रास्ता दिखा रहा फल उत्कृष्टता केंद्र

कई दशकों से देश में अनाज, फल और सब्जियों का भले ही उत्पादन बढ़ा हो, लेकिन यह देश की तेजी से बढ़ती आबादी के लिए नाकाफी साबित हो रहा?है. यही वजह है कि उपजाऊ जमीनों की प्रचुरता के बाद भी देश को कई तरह के खाद्यान्नों और कृषि उत्पादों के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर होना पड़ता है.

देश के किसानों की हालत और खेती के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. देश में?क्षेत्रफल के नजरिए से उत्पादन भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन लागत के मुकाबले आज भी किसानों को फायदा नहीं मिल पा रहा है. इस की वजह यही है कि खेती के लिए सरकार की लचर नीतियों से ले कर उन्नत खादबीज, तकनीकी यंत्रीकरण व प्रोसैसिंग भी है.

किसानों के लिए खेती में जो सब से बड़ी समस्या आ रही है, वह है मार्केटिंग की. किसान अनाज, फलफूल, सब्जियां वगैरह उगा तो लेता?है, लेकिन जब उसे बेचने की बारी आती है तो वह सरकार की ढुलमुल नीतियों के चलते खरीद केंद्रों और मंडियों के चक्कर लगा कर थक जाता है. अंत में थकहार कर बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने कृषि उत्पादों को औनेपौने दामों पर बिचौलियों के हाथों बेचने के लिए मजबूर हो जाता है.

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किसानों की समस्याएं यहीं नहीं खत्म हो जाती?हैं, बल्कि सब से बड़ी समस्या कर्ज न चुका पाने की है. किसान कर्ज के बोझ से लगातार दबा रहता?है और कर्जा न चुका पाने की हालत में आत्महत्या जैसे सख्त कदम उठाने को मजबूर हो जाता है.

सरकारी महकमों और उस के मुलाजिमों द्वारा किसानों को बुरी नजर से देखा जाना खेती के बरबाद होने की प्रमुख वजहों में से एक है. इन्हीं वजहों के चलते किसान अपने नौनिहालों को खेतीबारी से दूर नौकरियों के लिए तैयार कर रहे?हैं. अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन खेती करने वाला कोई न बचेगा. तब देश में भुखमरी के हालात पैदा होने में देर नहीं लगेगी.

अगर खेती को बचाना?है और खेती से मुंह मोड़ रहे किसानों और नौनिहालों को खेती से जोड़ना है तो खेती को रोजगार का मजबूत जरीया बनाना होगा. जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यों ही बरबाद और तबाह होते रहेंगे. अगर यही हालात रहे तो देश के सामने खाद्यान्न संकट गहरा सकता है.

किसानों के इन हालात को सुधारने के लिए सरकार द्वारा कोई भी ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा?है जिस से खेती के लिए जरूरी चीजें समय से किसानों को मुहैया हो सकें. कृषि उत्पादों को समय से बाजार और उचित मूल्य मिल सके.

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जिन देशों ने खेती की अहमियत को समझा है, वहां की खेती ने उस देश की तरक्की के न केवल रास्ते खोले हैं बल्कि वहां की खेती की तकनीक भी देशदुनिया में नजीर बन कर उभरी?है. इन्हीं देशों में से एक?है इजरायल.

इजरायल की कृषि तकनीक दुनियाभर में जानी जाती?है. यह सब यों ही नहीं संभव हुआ है बल्कि वहां के नौकरशाह से ले कर जनप्रतिनिधि और नौजवानों से ले कर औरतों तक को अपनी जिम्मेदारियों के अलावा खेतों में काम करते हुए देखा जा सकता?है. खेतीबारी से जुड़ी तकनीक और उस से जुड़ी आधुनिक मशीनरी यहां की खेती को बेहद ही आसान बना देते हैं.

इजरायल सरकार ने अपने इसी अत्याधुनिक कृषि तकनीक के तहत भारत सरकार से हुए एक समझौते के तहत खेती और बागबानी में सहयोग करने पर समझौता किया है.

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भारत सरकार के साथ हुए इस समझौते के तहत उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद में फलसब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यानिक प्रयोग और प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में सैंटर औफ ऐक्सीलैंस फौर फ्रूट यानी फल उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई है. इस के जरीए पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को बागबानी में नईनई तकनीकों का इस्तेमाल कर सस्ती खेती में ज्यादा उत्पादन किए जाने की जानकारी, ट्रेनिंग व तकनीकी मुहैया कराई जा रही है.

इसी के साथ यहां पर उन्नत किस्म के पौधों की नर्सरी तैयार कर बागबानी के जरीए किसानों और नौजवानों को जोड़ कर रोजगार मुहैया कराए जाने का भी काम किया जा रहा है. इस केंद्र के जरीए किसानों को मार्केटिंग और प्रोसैसिंग की जानकारी भी दिए जाने का काम किया जा रहा है.

इजरायल सरकार द्वारा बस्ती जिले के उद्यान विभाग के मुख्य केंद्र बस्ती व प्रदर्शन क्षेत्र बंजरिया को चुना गया है. यहां हाईटैक तरीके से पौधशालाओं में विभिन्न किस्मों की सब्जियों के पौधों व फलदार पौधों की नर्सरी तैयार कर किसानों को मुहैया कराए जाने का काम किया जा रहा है.

इस केंद्र को खेती के हाईटैक संसाधनों से लैस किया गया है. इस में आटोमैटिक सिंचाई व उर्वरक, संयंत्र, मौसम पूर्वानूमान यंत्र, हाईटैक पौधशाला व प्रशिक्षण केंद्र सहित कई तरह की उन्नत तकनीकों को देखा जा सकता?है.

फल उत्कृष्टता केंद्र, बस्ती द्वारा फल व सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को उन्नतशील पौधे हाईटैक नर्सरी, पौलीहाउस के जरीए तैयार कर मुहैया कराए जा रहे हैं. इस केंद्र पर देशविदेशों की उन्नतशील प्रजातियों का संकलन कर उन की नर्सरी तैयार किए जाने का काम भी किया जा रहा है.

राज्य सरकार के सहयोग से बने ‘फल उत्कृष्टता केंद्र’ में बागबानी को बढ़ावा देने के लिए आधुनिकतम तरीकों से काम किया जा रहा है ताकि दूसरे रोजगार की तरफ मुड़ चुके नौजवानों को भी बागबानी से जोड़ कर उन्हें रोजगार मुहैया कराए जाने पर काम किया जा रहा?है. यहां की विशेषताएं, जो इस केंद्र को किसानों के लिए मुफीद जानी जा सकती हैं, निश्चित ही बागबानी की दिशा में एक अनूठा कदम होंगी.

हाईटैक नर्सरी में पौधों को तैयार करने पर किसान लेते?हैं जानकारी : सैंटर औफ ऐक्सीलैंस फौर फ्रूट के क्षेत्र में तकरीबन 1,152 वर्गमीटर में आधुनिक व उच्च तकनीक से युक्त पौधशाला बनाई गई?है. इस में किसानों के लिए हर साल तकरीबन 10,00,000 पौधे तैयार किए जा रहे?हैं. इस का मकसद किसानों को फलसब्जियों से ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए या बीमारियों से मुक्त पौधे मुहैया कराना?है.

पौधशाला में पौधों को इस इस तरह से तैयार किया गया?है जिस से सालभर यहां पौधे तैयार किए जा रहे हैं. इस में पौधों की जरूरत के मुताबिक तापमान कम व ज्यादा किए जाने की सुविधा है.

इस हाईटैक नर्सरी को मजबूत पौलीथिन शीट से तैयार किया गया?है. इस के चलते पौधों के ऊपर कीट व बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है और पौधशाला में पौध उत्पादन के लिए मिट्टी की जगह पर कोकोपीट और वर्मीकुलाइट और परलाइट का इस्तेमाल किया जाता है जिस से बीजों का जमाव अच्छा होने के साथ ही साथ पौधों की बढ़वार भी तेजी से होती?है.

इस पौधशाला में?टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, गोभी, बैगन, पपीता, तोरई, लौकी, भिंडी, कद्दू व करेला वगैरह के सब्जी पौध तैयार कर लागत मूल्य पर ही किसानों को मुहैया कराए जा रहे हैं.

नैचुरली वैंटिलेटेड पौलीहाउस : इस पौलीहाउस को 2,016 वर्गमीटर में लगाया गया है. इस में पौधों को नियंत्रण दशा में रखने पर बड़ी तेजी से पौधों की बढ़वार होती है. इस में आम की विभिन्न प्रजातियों के कलमी पौधे तैयार किए जाते हैं.

यहां से कलम बांधे गए पौधों को परिपक्वता के लिए शेड नैटहाउस में रखा जाता?है. इन पौधों को आटोमैटिक टैक्नोलौजी के जरीए पोषक तत्त्व व पानी मुहैया कराया जाता है. इस में एकसाथ 25,000 कलमी आम के पौधे तैयार किए जा सकते हैं.

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शेड नैटहाउस : ‘फल उत्कृष्टता केंद्र’ में शेड नैटहाउस का भी बंदोबस्त है. यह भी 2,016 वर्गमीटर के क्षेत्र में लगाया गया?है. इस में भी एकसाथ 25,000 कलमी पौधे तैयार कर रखे जा सकते हैं. शेड नैटहाउस में नैचुरली वैंटिलेटेड पौलीहाउस में तैयार किए गए कलमी पौधों को रखा जाता है.

यहां इन पौधों को आटोमैटिक विधि द्वारा तय मात्रा में उर्वरक व पानी मुहैया कराया जाता?है. साथ ही, समयसमय पर पैस्टीसाइड्स का छिड़काव कर रोग व कीट से मुक्त रखा जाता?है. यहां से तैयार किए सेहतमंद पौधे किसानों को बेचे जाते हैं.

इंसैक्ट प्रूफ नैटहाउस: इस केंद्र में तैयार होने वाले आम के कलमी पौधों के लिए 2,016 वर्गमीटर में इंसैक्ट प्रूफ नैटहाउस में आम के 290 मातृ पौध तैयार करने के लिए बड़ेबड़े सीमेंट के गमलों में रोपित किया गया है. इस से कलमी पौधों को तैयार करने के लिए रसायन स्टिक यानी ग्राफ्टिंग, कीट व बीमारी से पूरी तरह मुक्त रहें.

आटोमैटिक फर्टिगेशन यूनिट : बागबानों को सिंचाई व उर्वरक के समुचित इस्तेमाल की जानकारी देने व केंद्र के प्रदर्शन ब्लौक व नैचुरली वैंटीलेटेड के पौधों के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से जुड़े आटोमैटिक फर्टिगेशन यूनिट की स्थापना की गई है. इस के जरीए यहां तैयार होने वाली नर्सरी के पौधों को जरूरत के मुताबिक पोषक तत्त्व व सिंचाई सुविधा मुहैया कराई जाती है.

इस के लिए इस संयंत्र में अलगअलग टैंकों में रखे हुए उर्वरक को इस से जोड़ा गया है. इस में रखे गए खाद, पोषक तत्त्व व उर्वरक खुद ही पानी में घुल कर पौधों में पहुंच जाता है.

आटोमैटिक वैदर स्टेशन : ‘फल उत्कृष्टता केंद्र’ में पौधों को समय से सिंचाई की उपलब्धता के लिए आटोमैटिक वैदर स्टेशन की स्थापना की गई है जो प्रतिदिन के वातावरण में वाष्पीकरण की मात्रा को रिकौर्ड करता?है.

इस केंद्र के प्रभारी अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि आटोमैटिक वैदर स्टेशन द्वारा मिट्टी से पानी के वाष्पीकरण, अधिकतम व न्यूनतम तापमान, आपेक्षित आर्द्रता यानी नमी की रीडिंग 24 घंटे वैदर स्टेशन द्वारा रिकौर्ड की जाती है. इस के आधार पर फसलों को दिए जाने वाले पानी की मात्रा की गणना कर कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग कर दी जाती है.

केंद्र में तैयार हो रहे आम की रंगीन प्रजातियों से बढ़ेगी किसानों की आमदनी : डाक्टर आरके तोमर, संयुक्त निदेशक, उद्यान, बस्ती मंडल ने बताया कि किसानों, महिलाओं और नौजवानों को बागबानी के जरीए रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र पर विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों व भारतीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित की गई आम की रंगीन प्रजातियों के पौधों को संकलित कर उन का मदर ब्लौक लगाया गया है. इस से इलाके के किसानों को आम की रंगीन प्रजाति के पौधे तैयार कर मुहैया करा जा सकें ताकि किसान आम की बागबानी से अच्छी आमदनी ले सकें.

किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिए बागबानी की ट्रेनिंग : प्रभारी अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि बागबानी से जुड़े किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिए इजरायल सरकार के सहयोग से केंद्र परिसर में अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई है. यहां पर बस्ती मंडल सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को बागबानी की नई तकनीक के बारे में बताया जा रहा?है.

पिछले साल यहां पर विभिन्न जिलों के 2150 किसानों को ट्रेंड किया गया था, वहीं इस साल 500 किसानों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है. बीते साल विभिन्न जिलों के

52 किसानों को हरियाणा राज्य के करनाल जिले के घरोंडा में स्थापित सैंटर औफ ऐक्सीलैंस में आधुनिक बागबानी की ट्रेनिंग कराई गई थी.

डाक्टर आरके तोमर ने बताया कि इस केंद्र पर किसानों को फल उत्पादन, सघन बागबानी, नर्सरी तैयार करने, कैनोपी प्रबंधन, पुराने बागों को फिर से सुधारने व ड्रिप

सिंचाई, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खीपालन व माली प्रशिक्षण की जानकारी व ट्रेनिंग दी जा रही?है.

उन्होंने यह भी बताया कि बागबानी की लागत में कमी लाने और कीट व रोगों से पौधों के बचाव के साथ ही उन्नतशील पौधों की नर्सरी तैयार करने से ले कर ज्यादा उत्पादन देने व प्रोसैसिंग के साथसाथ मार्केटिंग से जुड़ी सभी जानकारी केंद्र के जरीए किसानों को दी जा रही है ताकि पूर्वांचल के किसान बागबानी को अपना कर इसे रोजगार का साधन बना सकें. केंद्र का मुख्य मकसद किसानों की आमदनी में इजाफा करने के साथ ही साथ उन के स्वस्थ जीवन स्तर को बढ़ावा देना?भी है.

इस केंद्र से जुड़ी जानकारी, ट्रेनिंग व नर्सरी के लिए यहां के प्रभारी अधिकारी सुरेश कुमार के टेलीफोन नंबर 05542-246843 पर संपर्क किया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक आयोग साबित होगा एक और सफेद हाथी

उत्तर प्रदेश में आयोग अपनो का लाभ पहुंचाने का जरीया रहे है. इनके पदाधिकारी पार्टी और नेताओं के करीबी लोग बनते है. ऐसे में आयोग काम की जगह केवल अपनों को उपकृत करने के काम आते है. ऐसे आयोगों की संख्या साल दर साल बढती जा रही है. इन आयोगो के जरीये करीबियों को मंत्री स्तर का दर्जा देने का काम किया जाता है.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मजदूरों को रोजगार देने के लिये उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग का गठन किया है. सरकार ने कहा है कि इस आयोग के जरीये कोरोना संकट में रोजगार देने का काम किया जायेगा. इस आयोग का काम सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर तलाष करने है. उत्तर प्रदेष सरकार ने दावा किया है कि पूरे देष में पहली बार किसी राज्य ने कामगारों श्रमिकों के लिये ऐसे आयोग का गठन किया है. इस आयोग की घोषणा के साथ आयोग का अध्यक्ष तय नहीं किया गया है. प्रावधान के अनुसार मुख्यमंत्री या उनके द्वारा नामित किया गया व्यक्ति आयोग का अध्यक्ष होगा. इसके अलावा श्रम और सेवायोजन मंत्री इस आयोग के संयोजक होगे. आयोग के दो उपाध्यक्ष होगे. इनमें से एक औद्योगिक विकास मंत्री और दूसरा सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री होगे. आयोग में कुछ सदस्य होगे. आयोग की बैठक महीने मे एक बार होगी.

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उत्तर प्रदेष कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग के गठन को लेकर उत्साहित होने और इससे बहुत ज्यादा उम्मीद करने से पहले यह समझना जरूरी है कि आयोग में पदाधिकारी किस तरह के लोग होगे. अभी तक जितने भी आयोग बने है वह नेताओं, राजनीतिे पार्टियों के खास लोग होते है. आयोग में अलग अलग पद देकर उनको सरकारी सुविधाओं, वेतन, भत्ते, गाडी, आवास नौकर चाकर और स्टाफ का लाभ दिया जाता है. कई आयोग ऐसे है जिनके अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है. कुछ आयोग के अध्यक्षों को मंत्री स्तर का दर्जा देकर उसी स्तर की सुविधाये दी जाती है. मजेदार बात यह है कि हर सरकार एक ही तरह से काम करती है. ऐसे में उत्तर प्रदेष कामगार और श्रमिक आयोग का हाल भी दूसरे आयोगो जैसा ही होगा.

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मंत्री बनने के लिये दलबदलः

उत्तर प्रदेष में भाजपा नेता कल्याण सिंह जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उनके मंत्रिमंडल में 93 मंत्री थे. देष में पहली बार किसी प्रदेष में इतना बडा मंत्रिमंडल बना था. कल्याण सरकार के जम्बो मंत्रिमंडल की वजह बहुत रोचक थी. 1996 में उत्तर प्रदेष में विधानसभा के चुनाव हुये. 425 विधानसभा सीटो में भारतीय जनता पार्टी 173, समाजवादी पार्टी 108, बहुजन समाज पार्टी 66 और कांग्रेस 33 जीत पाई. ऐसे में किसी एक दल को सरकार बनाने का बहुमत नहीं मिला था. प्रदेष में राष्ट्रपति षासन लग गया. कुछ समय के बाद भाजपा और बसपा में तालमेल हुआ और यह तय हुआ कि दोनो पार्टियां 6-6 माह अपना अपना मुख्यमंत्री बनाकर प्रदेष में सरकार चलायेगी. देष के इतिहास में अपनी तरह से पहला प्रयोग था. सबसे पहले बसपा नेता मायावती मुख्यमंत्री बनी.

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6 माह पूरे होने पर मायावती ने अपना समर्थन वापस ले लिया और सरकार को गिराने की योजना चली. ऐसे समय भाजपा सतर्क थी और बसपा के विधायकों को तोड कर कल्याण सिंह की सरकार को बचाने का काम किया. सरकार बचाने के खेल में बसपा के साथ कांग्रेस के कुछ लोग भी अपने दल को छोडकर कल्याण सरकार को समर्थन देने आ गये. दलबदल कर आये विधायकों की मांग थी कि उनको मंत्रिमंडल में जगह दी जाये. इस मांग को पूरा करने और सरकार को बचाने के लिये कल्याण मंत्रिमंडल 93 मंत्रियों वाला ‘जंबो मंत्रिमंडल’ बन गया. यह सिलसिला कमोवेष 2004 तक चलता रहा.

दलबदल का खेल:   

भाजपा ने दूसरे दलों को तोडकर जिस तरह से दलबदल का सिलसिला षुरू किया. उसके चलते विधायक मंत्री पद का लालच करने लगे. मंत्री पद पाने के लिये दलबदल करने लगे. इसके बाद देष और न्यायपालिका में चुनाव सुधार की बातें मुखर होने लगी. अदालत के फैसले चुनाव आयोग ने 2004 में तय किया कि विधायकों की संख्या के 15 प्रतिषत सदस्यों का ही मंत्रिमंडल देखा जा सकता है. चुनाव आयोग का यही वह फैसला थो जिसके बाद आयोग के अध्यक्ष को मंत्री स्तर का दर्जा देकर खुष करने का काम षुरू हो गया. 2004 के बाद उत्तर प्रदेष में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सरकारे बनती बिगडती रही पर अपने लोगो को आयोग का अध्यक्ष बनाने का काम षुरू हो गया. जब यह फैसला आया तब उत्तर प्रदेष में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव प्रदेष के मुख्यमंत्री थे. मंत्रिमंडल की संख्या को कम करने का रास्ता निकालने का जरीय विभिन्न आयोग को बनाया गया. चुनाव सुधार के इसी दौर में सूचना आयोग का गठन हुआ. 2005 में उत्तर प्रदेष सूचना आयोग में मुलायम सिंह यादव ने अपने करीबी पत्रकारों और पार्टी नेताओं को इस आयोग में अध्यक्ष से लेकर सदस्य तक को बनाने का काम किया.

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2009 में जब बसपा की सरकार बनी और मायावती प्रदेष की मुख्यमंत्री बनी तो उनके करीबी सतीष चन्द्र मिश्रा की बहन आभ अग्निहोत्री को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. सतीष चन्द्र मिश्रा की चचेरी बहन दिव्या मिश्रा को महिला कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया. आभा अग्निहोत्री और दिव्या मिश्रा को केवल सतीष चन्द्र मिश्रा की रिष्तेदार होने के कारण यह पद दिये गये थे. 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और अखिलेष यादव प्रदेष के मुख्यमंत्री बने तब भी इन आयोगो में करीबी लोगांे को ही जगह दी गई. महिला आयोग में जरीना उस्मानी और बाल आयोग मंें जूही सिंह जैसे नामों की लिस्ट लंबी हो गई. 2017 में जब उत्तर प्रदेष में भाजपा की पूर्णबहुमत वाली सरकार बनी तो भी यही सिलसिला चलता रहा.

योगी राज में भी आयोग बने सहारा:

भारतीय जनता पार्टी सरकार में भी आयोग अपने को लाभ पहुंचाने का जरीया बने रहे. यहां पर केवल भाजपा ही नहीं आरएसएस और उसके दूसरे संगठनों के लोगों को भी आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य बनाया गया. प्रदेष में आयोगों की लिस्ट भी इसके साथ लंबी होती चली गई. इन आयोगो में गौ सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम, फिल्म विकास परिषद तथा उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम जैसे प्रमुख आयोग है. उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अरविन्द राजभर को उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड का अध्यक्ष और राकेश गर्ग को उपाध्यक्ष नियुक्त किया. राजभर उस समय प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बेटे थे. ओमप्रकाष राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भाजपा का सहयोगी दल के था. बाद में वह भाजपा से अलग हो गये. तब अरविंद राजभर को अपने पद को छोडना पडा.

हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव को फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया गया.  गौ-सेवा आयोग में प्रोफेसर श्याम नन्दन को अध्यक्ष तथा जसवंत सिंह उर्फ अतुल सिंह को उपाध्यक्ष नामित किया गया. प्रोफेसर श्याम नन्दन आरएसएस के करीबी माने जाते है. उत्तर प्रदेश स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रियल कारपोरेशन में जगदीश मिश्रा उर्फ बाल्टी बाबा को अध्यक्ष बनाया गया.  उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, प्रयागराज में डॉक्टर किशन वीर सिंह शाक्य तथा सेवानिवृत्त शिक्षा निदेशक डॉक्टर अवध नरेश शर्मा को सदस्य बनाया गया. उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, प्रयागराज में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉक्टर आर.एन. त्रिपाठी सदस्य नामित किये गये हैं.

उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद में सुदामा राजभर एवं अजय प्रताप सिंह को सदस्य बनाया गया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड में महेश प्रजापति और ओम प्रकाश कटियार को सदस्य के तौर पर नामित किया गया. जयेन्द्र प्रताप सिंह राठौर को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अंशकालिक अध्यक्ष बनाया गया है. यह भाजपा के संगठनमंत्री भ है. राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में सुरेन्द्र नाथ वाल्मीकि को अध्यक्ष तथा मुन्ना सिंह धानुक और लाल बाबू बाल्मीकि को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. राज्य सरकार ने इसके अलावा हिन्दुस्तानी अकादमी, राज्य एकीकरण परिषद, प्रदेश राज्य युवा कल्याण परिषद, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, प्रदेश बीज विकास निगम, लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान, उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड, पूर्वांचल विकास बोर्ड, मत्स्य विकास निगम, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद तथा राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था मंे भी अपने करीबी लोगो का जगह दी.

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भाजपा ने महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में विधायक बिमला बाथम को सीट पर बैठाया है. बिमला बाथम महिलाओं के किसी भी मुददे पर कोई ऐसा काम नहीं कर सकी है जिससे उनकी पहचान बन सके. बहुत सारे ऐसे आयोग भी है जिनमें किसी की नियुक्ति नहीं की गई है. क्योकि यह आयोग किसी भी काम के नहीं है. इनमें जब किसी नेता या अफसर को अध्यक्ष पद देना होता है तो उनकी नियुक्ति कर दी जाती है जिससे उनको उपकृत किया जा सके. कई आयोग ऐेसे है जिनके बजट का बडा हिस्सा अध्यक्ष के गाडी, बंगला और षानषौकत भर का होता है. उत्तर प्रदेष कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है ऐसे में यहां अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और दूसरे पदाधिकारियों को विषेष सुविधायें दी जायेगी. इससे मजदूरों को रोजगार मिलेगा यह केवल दिखावे की बात है. उत्तर प्रदेश में आयोग सफेद हाथी की तरह है जो केवल दिखावे के लिये है काम के लिये नहीं

Hyundai #AllRoundAura: क्लाइमेट कंट्रोल के बेहतरीन फीचर के साथ

हुंडई Aura आपको कार में बैठते ही ड्राइविंग पर निकल जाने का आनंद देती है. आपको इसके फैन सेटिंग और टेम्परेचर सेट करने वाले क्नॉब्स को छेड़ने की बिलकुल ज़रुरत नहीं है, और ये सब संभव हो पाता है इसके अनोखे क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम की वजह से. आप एक बार अपनी पसंद के अनुसार केबिन का टेम्परेचर सेट करके उसके बारे में बिलकुल भूल सकते हैं. उसके बाद ये खुद की केबिन का टेम्परेचर जांच कर उसके अनुसार पंखों की स्पीड और हवा के टेम्परेचर को आपकी पसंद के अनुसार बदल देता है. इससे आपको हमेशा मिलता है एक आरामदायक केबिन

इसके एयर कंडीशनिंग सिस्टम पर लगा इकोकोटिंग लंबे समय तक इसे नए जैसा बनाए रखता है, जिससे आपको एक ज्यादा फ्रेश केबिन मिलता  है. इसका रियर-सीट एयर कंडीशनिंग सिस्टम आपको बहुत ही सुखद अनुभव देने के साथ Aura को एक कम्पलीट पैकेज बनता है. #AllRoundAura.

सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती से पुलिस ने की 9 घंटें तक पूछताछ

सुशांत सिंह हत्याकांड में मुंबई पुलिस लगातार जांच कर रही है. आखिर किस वजह से सुशांत को यह कदम उठाना पड़ा. ते गुरुवार के दिन सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया से पुलिस ने घंटों बातचीत की.

जिससे कई बाते खुलकर सामने आई है. रिया चक्रवर्ती जब पुलिस से जांच के बाद बाहर निकली तो वह बहुत परेशान लग रही थीं. उनसे कुछ लोग सवाल करना भी चाहा लेकिन रिया किसी के सावाल का जवाब देना जरूरी नहीं समझी.

उन्होंने बिना कुछ कहे चुपचाप अपनी कार में जाकर बैठ गई. पुलिस ने इस पूछताछ में रिया चक्रवर्ती से उनके और सुशांत के निजी रिश्ते को लेकर बात कही है.

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इस दौरान पुलिस ने उनसे सुशांत के साथ उनकी बॉन्डिंग कैसी थी, दोनों में कितना प्यार था और उन्होंने सुशांत से आखिर में क्या बातचीत की है. उन सभी सवाल को पूछा गया.

यही नहीं पुलिस ने रिया के फोन को लेकर उनकी आखिरी चैट भी देखी. जिसमें उन्होंने क्या बात की है. इसका खुलासा हुआ. वहीं रिया के फोन का रिकॉर्ड निकाला गया जिसमें चेक किया गया है कि रिया ने सुशांत से लडाई कब की है और क्या बातें हुई हैं. इन सबके बावजूद रिया को घर जानें की इजाजत दी गई.

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रिया चक्रवर्ती और सुशांत सिंह राजपूत का कुछ दिनों पहले झगड़ा हो गया था जिसके बाद रिया दूसरी जगह रहने लगी थी. लेकिन खबर यह भी आ रही है कि दोनों शादी भी करने वाले थे नवंबर में .

इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि सुशांत अंकिता लोखड़ें को बहुत मिस कर रहे थें. उन्हें अपने आप पर बहुत पछतावा हो रहा था कि मैंने अंकिता से ब्रेकअप क्यों किया.

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अपनी ही कस में कस में डूबे सुशांत इस दुनिया को अलविदा कह दिया. सुशांत का जाना किसी को भी अच्छा नहीं लग रहा है. सुशांत की कमी सभी को खल रही हैं.

Medela Flex Breast Pump: वाइफ को दें एक नया तोहफा

मेरी उम्र 38 साल है. मैं और मेरी वाइफ को शादी के 6 साल माता-पिता बनने का सुख मिला. हमारी जिंदगी में बच्चे के आने से हम बेहद खुश हुए, लेकिन बढ़ती उम्र में उसके लिए घर और बच्चे की जिम्मेदारियां संभालना मुश्किल हो रहा था.

मेरी वाइफ को रात-रातभर उठकर बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवानी पड़ती थी. वहीं दोपहर में भी उसका ज्यादात्तर वक्त बच्चे के साथ-साथ घर के कामकाज में निकल जाता था. बच्चे के 2 महीना पूरा होते-होते मेरी वाइफ बेहद परेशान और खोयी हुई रहने लगी थी.

एक दिन मैने एक मैग्जीन में Medela Flex Breast Pump के बारे में पढ़ा. मैग्जीन में मेडेला पंप के बारे में पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मेरी वाइफ की परेशानी और मुसीबत दूर करने के लिए यह एक अच्छा प्रौडक्ट है. इसीलिए मैने इस प्रौडक्ट के बारे में पूरी चीजें पता की कि यह प्रौडक्ट कितना सही और बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है.

पूरी रिसर्च करने के बाद मैने जाना कि Medela Flex Breast Pump और कनेक्टर स्विट्जरलैंड में बनाए जाते हैं. ये पूरी तरह से सुरक्षित और हाईजीनिक होते हैं. साथ ही Medela Flex Breast Pump खाद्य ग्रेड पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) और थर्माप्लास्टिक इलास्टोमर्स (टीपीई) से बने होते हैं, जो बच्चे की सेहत के लिए एकदम सेफ है.

Medela Flex Breast Pump के बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद मैनें अपनी वाइफ को तोहफा दिया, जिसे देखकर वह पहले हैरान हुई. लेकिन जब उसने इस प्रौडक्ट का इस्तेमाल किया तो वह कम परेशान रहने लगी. ब्रेस्ट पंप के इस्तेमाल से वह बच्चे घर के कामों में और अपनी पर्सनल लाइफ पर ध्यान देने लगी. इसी के साथ नींद पूरी होने से मेरी वाइफ का मूड सही रहने लगा, जिसके बाद मेरी वाइफ ने मुझे उसे यह तोहफा देने के लिए थैंक्यू कहा. इससे हमारी जिंदगी में बदलाव आ गया.

अगर आप भी अपनी वाइफ को आपकी जिंदगी को पूरा करने के लिए कोई तोहफा देने की सोच रहे हैं तो Medela Flex Breast Pump आपके लिए एक आसान और सुविधाजनक विकल्प हो सकता है. ये आपकी खुशहाल जिंदगी को पूरा करेगा.

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सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड से बेहद परेशान हैं हिना खान, दिन-रात रहती हैं बेचैन

सुशांत सिंह राजपूत के निधन के आज 4 दिन बीत चुके हैं. लेकिन लोगों को अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत आखिर इतना कैसे टूट गए. सुशांत के कई ऐसे फैंस है जो यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि अब वो हमारे बीच नहीं है.

टीवी इंडस्ट्री से फिल्म में आने वाली एक्ट्रेस हिना खान सुशांत के जाने के बाद से बहुत ज्यादा बैचेन है. हिना को समझ नहीं आ रहा यह सब क्यों हुआ कैसे हुआ. वह हर रोज नई-नई प्रतिक्रिया दे रही है.

सुशांत सिंह राजपूत ने इसी रविवार को अपने फेलैट में फांसी लगाकर जान दे दी है. जान देने से पहले उन्होंने किसी को कुछ बताया नहीं सुशांत सिंह राजपूत अपने घर के एकलौते वारिश थें. वह कई हिट फिल्में भी कर चुके थें. लेकिन ऐसे चले जाना उनका सभी को बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

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हिना खान इस खबर से पूरी तरह टूट चुकी है. उन्हें इस बात से उबरने में थोड़ा वक्त लगेगा. हिना ने पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘मैं कोशिश कर रही हूं कि मैं इन सभी चीजों से बाहर निकलूं लेकिन निकल नहीं पा रही हूं ऐसा पहले कभई नहीं हुआ था. तुम्हारी आत्मा को शांति मिले सुशांत’

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हिना इतनी ज्यादा परेशान है कि उन्हें रात को नींद नहीं आती है. रात में वह बेचैन रहती हैं. कई बार उठकर टहलना शुरू कर देती हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें और क्या न करें.

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हिना ने कुछ देर पहले अपने घर के बालकनी से बाहर निकलकर पोस्ट शेयर किया है कि सुना आसमान हो गया है.

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हिना खान ने जिस तरह से पोस्ट शेयर कर रही हैं. इससे समझा जा सकता है कि सुशांत सिंह किस परिस्थिति में खुद को खत्म किए होंगे. सुशांत कि दिक्कत का अंदाजा लगाना मुश्किल होगा. यह सोचकर हर किसी का दिल बैठ जा रहा है.

अगर आपको भी होता है हल्का पेट दर्द तो हल्के में न लें

 राजेश रात के 2 बजे एकाएक उठ बैठा. उस के पेट में असहनीय दर्द और सीने में जलन हो रही थी. रमेश अपने बेटे राजेश को ले कर तुरंत अस्पताल के आपातकक्ष में पहुंचा. तमाम परीक्षणों से पता चला कि उस की छोटी आंत में घाव है. उसी समय उस को भरती किया गया और डाक्टर की देखरेख में 15 दिनों तक चले इलाज से रोग पर काबू पाया जा सका.

40 वर्षीय मनोरमा का पेट अकसर फूला रहता है. कई बार असहनीय दर्द उठता है और उस के साथ जी मिचला कर उलटियों का सिलसिला शुरू हो जाता है. जब उस की यह परेशानी हद से ज्यादा बढ़ गई तो उस ने पेट के डाक्टर से सलाह ली, तब जा कर पता चला कि उस के पित्ताशय में पथरी है. शल्यक्रिया से उस की पथरी निकाल दी गई. तब जा कर उसे आराम मिला.

पेटदर्द कोई नई बीमारी नहीं है मगर यह रोगी को बेहद दुखी जरूर कर सकती है. खास बात है दर्द के कारणों को खोज कर उचित इलाज करना. आइए, चिकित्सा शास्त्र के माध्यम से इस के कारणों को खोजा जाए :

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पेट में अल्सर

हमारे आमाशय में लगातार हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का निर्माण होता है जो आमाशय की मुलायम दीवारों को जला डालने में सक्षम होता है. आमतौर पर यहां बनने वाला गोंद जैसा लसलसा पदार्थ, जिसे ‘म्यूकस’ कहा जाता है, अम्ल के घातक प्रहारों से आमाशय की रक्षा करता है क्योंकि इस में अम्ल को अपने अंदर घोल कर निष्क्रिय बना डालने की अद्भुत क्षमता होती है. वहीं, यदि अम्ल के घातक हमलों से इस की परत नष्ट हो जाती है तो यह तुरंत अपना पुनर्निर्माण कर के अम्ल के प्रहारों को रोकता है.

इस सामान्य प्रक्रिया के अलावा जब कोई व्यक्ति अधिक चाय, कौफी, मदिरा, धूम्रपान, दर्द निवारक दवाएं, मिर्चमसालों का सेवन करता है तो उस में अम्ल की मात्रा सामान्य से कहीं अधिक बनने लगती है और म्यूकसरूपी रक्षक इन तीव्र हमलों से बच नहीं पाता है. फलस्वरूप, यहां की मुलायम दीवारें जल जाती हैं और ऐसा लंबे समय तक लगातार होता रहे तो आमाशय में ‘घाव’ बन जाते हैं जिसे डाक्टरी भाषा में ‘पेप्टिक अल्सर’ कहते हैं.

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इस प्रकार के रोगियों में सीने व पेट के मिलन स्थल पर ‘जलन के साथ दर्द’ होता है जो कंधों, पीठ और हाथ तक फैल जाता है. यदि घाव पेट यानी आमाशय में है तो दर्द भोजन के आधे से डेढ़ घंटे के भीतर शुरू हो जाता है और यदि घाव ‘छोटी आंत’ में है तो दर्द भोजन के 3 या 4 घंटे बाद होता है.

इस रोग का दर्द ज्यादातर मध्यरात्रि में होता है जिस से व्यक्ति की नींद उचट जाती है, क्योंकि उस समय पेट में भोजन न होने से वह खाली होता है जिस से अम्ल के विध्वंस को रोकने वाला कोई नहीं होता. जब पेट में अम्ल अधिक मात्रा में बनता है तो दबाव बढ़ने से कई बार यह अम्ल छाती के बीचोंबीच भोजन नली को भी क्षति पहुंचाते हुए मुंह के रास्ते भी बाहर निकलता है. इस स्थिति को चिकित्सा विज्ञान में ‘हार्ट बर्न’ के नाम से जाना जाता है.

ऐसे रोगी को थोड़े समय के अंतराल पर हलका भोजन लेते रहना चाहिए, यानी दिन में 5-6 बार. इसी प्रकार भोजन के डेढ़ घंटे बाद 1 कप ठंडा दूध पीते रहना चाहिए क्योंकि भोजन और दूध अम्ल को निष्क्रिय बनाते हैं.

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आधी रात में दर्द होने पर 1 कप दूध व बिस्कुट या डबलरोटी लेने से राहत महसूस होती है. किसी भी दवा का सेवन अपने डाक्टर की सलाह पर ही करें. ऐसे रोगी को भोजन वसायुक्त करना चाहिए जो अम्ल को निष्क्रिय बनाता है और घाव के स्थान पर भी मरहम का कार्य करता है. रोगी को मानसिक तनाव से बचना चाहिए और मिर्चमसाले, शराब, सिगरेट, दर्द निवारक औषधियों से परहेज करना चाहिए.

पैंक्रियाटाइटिस

यह मछलीनुमा अवयव, जो महत्त्वपूर्ण पाचक रस बनाता है, कभीकभी विनाश की ओर अग्रसर हो उठता है. अधिक व लगातार मदिरापान और पित्ताशय की पथरी यदि लंबे समय तक अनियंत्रित रहे तो इस का विनाश सुनिश्चित है. पेट में असहनीय दर्द, जी मिचला कर उलटियां, वजन में तेजी से गिरावट, अति अम्लता का प्रकोप आदि लक्षण प्रकट हो कर स्थिति को भयानक बनाते हैं. मदिरा का त्याग व पाचन क्रिया को प्रोत्साहित करने वाली दवाएं ही बचाव के श्रेष्ठ उपाय हैं.

पित्ताशय की पथरी

पाचक रस, जो लिवर से स्रावित होता है, को ‘पित्त’ कहते हैं. इस में पित्त अम्ल, पित्त लवण आदि मौजूद होते हैं. रक्त का वसीय घटक कोलैस्ट्रौल इसी पित्त अम्लों में घुला रहता है जिन का समीकरण 1:20 से 1:30 होता है. किसी भी कारण से जब यह सामान्य समीकरण अपने निश्चित अनुपात से नीचे गिरने लगता है तो यह रक्त का वसीय घटक कोलैस्ट्रौल, ठोस अवस्था में आ कर पित्त की थैली में जमा हो जाता है व इस के चारों ओर कैल्शियम और रंगीन पित्त के चकत्ते घेरा डाल लेते हैं, जिसे पथरी कहा जाता है.

इस में रोगी को पेट में असहनीय दर्द उठता है जो पीछे पीठ व आगे गले तक भी जाता है और रोगी दर्द से कराह उठता है.पित्ताशय की पथरी 40 वर्ष की आयु से ऊपर की मोटी महिलाओं में अधिक होती है. सोनोग्राफी और सीटी स्कैन जैसी रोग निदान तकनीकों से रोग का पता लगाया जाता है. शल्यक्रिया द्वारा इस का पूर्ण उपचार संभव है.खून में कोलैस्ट्रौल का स्तर और लिवर परीक्षण समयसमय पर करवाते रहना श्रेष्ठ है. लंबे समय तक यदि यह पथरी रोग अनियंत्रित रहे तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

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कुछ सामान्य कारण

  1. कभीकभी मानसिक तनाव की स्थिति में आंतों की संकुचित होने की प्रक्रिया और पाचक रस स्रावन दर बढ़ जाती है जिस की परिणति दस्तों में होती है. इस प्रकार के मल में अधिक मात्रा पानी की होती है.
  2.  कब्ज भी पेटदर्द का एक सामान्य कारण है. मल आंतों में कड़ा हो कर ऐंठन (मरोड़) उत्पन्न करता है. कब्ज निवारण हेतु खूब जल सेवन करें और सलाद खूब खाएं. नियमित व्यायाम बहुत गुणकारी है.
  3. पार्टियों या बाजार में कुछ खाद्य व पेय पदार्थ संक्रमित हो जाते हैं जिन के सेवन से उलटीदस्त शुरू हो जाते हैं. यह फूड पौयजनिंग पेट में मरोड़ भी पैदा करता है.
  4. गरमी के दिनों में उलटीदस्त और पेट में दर्द एक आम शिकायत रहती है. ओआरएस का सेवन उलटीदस्त के कारण शरीर में हुई पानी की कमी को पूरा करता है.

कुछ परीक्षण

  1. अति अम्लता या पेप्टिक अल्सर के निदान के लिए बेरियम मील एक्सरे किया जाता है. इस के लिए बेरियम सल्फेट का घोल पिला कर एक्सरे लिया जाता है जिस से आमाशय और आंतें साफ दिखाई देती हैं और घाव स्पष्ट नजर आता है.
  2. एंडोस्कोपी परीक्षण तकनीक द्वारा आमाशय या आंतों में घाव (पेप्टिक अल्सर) की जांच की जाती है. मुंह या नाक के रास्ते ट्यूब डाल कर इस यंत्र द्वारा इन अंगों को स्पष्ट देखा जा सकता है.
  3. पैंक्रियाज की खास जांच के लिए ‘ईआरसीपी’ तकनीक वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रयोग की जाती है जिस से इस अवयव की भलीभांति जांच होती है.
  4. रक्त परीक्षण जिस में एमाइलेज स्तर, लाइपेज स्तर, कोलैस्ट्रौल स्तर (लिपिड प्रोफाइल) आदि शामिल हैं, से विभिन्न पाचक अंगों की कार्यप्रणाली का स्तर ज्ञात होता है.
  5. मल परीक्षण द्वारा भी इन अवयवों की कार्यप्रणाली के बारे में पता चलता है. मल में रक्तस्राव, जो कई दफा केवल सूक्ष्मदर्शी से ही दिखता है, वस्तुस्थिति को दर्शाता है.

बहरहाल, पेटदर्द को सामान्य समझ कर अनदेखा न करें क्योंकि यह कई रोगों के कारणों का पिटारा हो सकता है. जरूरत है इस का कारण जान कर उचित निदान करने की.

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