सत्रहवीं शताब्दी के एक अंगरेज कवि जार्ज हर्बर्ट ने एक बार लिखा था कि सभी सुगंधों में ब्रेड की महक और जीवन के सभी स्वादों में नमक का स्वाद सर्वोपरि होता है. नमक डालते ही किसी भी पकवान के स्वाद में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन आ जाता है, लेकिन स्वाद का यह संतुलन नमक के संतुलन पर ही निर्भर करता है. एक ओर जहां जरा सा ज्यादा नमक किसी भी भोजन के स्वाद को बिगाड़ देता है वहीं दूसरी ओर नमक जरा सा कम हुआ तो सब मुंह बिचकाने लगते हैं. रसोईघर की इस महत्त्वपूर्ण चीज से एक वैज्ञानिक पहलू भी जुड़ा हुआ है. अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि अत्यधिक नमक हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है और यह कुछ मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकता है.
इस संदर्भ में हमें अपने एक परिचित से जुड़ी एक घटना याद आ रही है. वे योग के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन का जीवन भी बहुत संयमित था. एक दिन उन की छाती में बहुत जोर का दर्द हुआ, साथ ही उन्हें उबकाई भी आ रही थी. उन्होंने सोचा कि शायद गैस व अपच के कारण ऐसा हो रहा था, इसलिए उन्होंने 4 गिलास गरम पानी ले कर उस में थोड़ा नमक मिलाया और वमन क्रिया करने के इरादे से पूरा पानी पी गए. नमक का पानी पीते ही वे चक्कर खा कर गिर गए और कुछ ही क्षणों में उन के प्राण पखेरू उड़ गए.
डाक्टर ने बताया कि असल में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिस की वजह से उन का रक्तचाप भी बढ़ गया था और उन्हें उल्टी होने को हो रही थी. ऐसे में नमक ने जहर का काम किया और उन का रक्तचाप काबू से बाहर हो गया. सही समय पर डाक्टर की सहायता न मिलने पर उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी. यानी नीम हकीम, खतरे जान.
लेकिन ऐसी बात नहीं है कि नमक से केवल नुकसान होता है और उस से कोई फायदा नहीं होता. वैज्ञानिकों का मानना है कि नमक हमारे शरीर में तरल पदार्थ को संयमित रखने में और मांसपेशियों व शिराओं के सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करता है. इस के अलावा सोडियम क्लोराइड पाचक रस पैदा करने में भी सहायक होता है. ये पाचक रस हमारे भोजन को पचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.
पिसा हुआ नमक, जिस का इस्तेमाल हम अपने प्रतिदिन के भोजन में करते हैं, उस में 40 प्रतिशत सोडियम होता है. नमक के शुद्धिकरण के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उस में उस के ज्यादातर खनिज पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और केवल बहुत थोड़ी मात्रा में मैग्नीशियम व कैल्शियम रह जाते हैं. यह मात्रा इतनी कम होती है कि हमारे शरीर को इस का अधिक लाभ नहीं मिल पाता. हमारे बुजुर्ग पुराने जमाने में मोटे नमक का इस्तेमाल किया करते थे. उस में सोडियम की मात्रा ज्यादा हुआ करती थी, जिस की वजह से कई रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती थी. लेकिन अब सोडियम के खतरों से बचने के लिए बाजार में कम मात्रा में सोडियम वाले व आयोडीनयुक्त नमक मिलने लगे हैं.
1 हृदय रोग और नमक
सोडियम एक ऐसे स्पंज की तरह काम करता है जो शरीर में पानी की मात्रा बढ़ा देता है. जितना हम अधिक नमक खाएंगे उतना ही ज्यादा पानी हमारे शरीर में रुका रह जाएगा. इस अधिक पानी के कारण हमारे खून का आयतन बढ़ जाता है, जिस से रक्त की धमनियों पर काम का बो?ा बढ़ जाता है और उन के ऊपर रक्त का दबाव बढ़ जाता है. यह कुछ ऐसा ही है कि आप के नल में अगर पानी तेज दबाव से आता है तो वह नल के वाल्व को खराब कर के अनियंत्रित रूप से बहने लगता है. यही हाल हमारी शिराओं का भी होता है. शिराओं में दबाव बढ़ने के साथ ही हमारे दिल को भी ज्यादा पंपिंग करनी पड़ती है. इस प्रक्रिया से उच्च रक्तचाप का रोग शरीर को घेर लेता है और हमारे दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं.
रक्त के बढ़े हुए दबाव से हमारी धमनियों की भीतरी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिस से ऐसे रासायनिक तत्त्व पैदा होते हैं जिन से धमनियों में सूजन पैदा हो जाती है. अब जब रक्त इन क्षतिग्रस्त धमनियों से हो कर गुजरता है तो खून का कोलैस्ट्रौल धमनियों की दीवारों में जमा होने लगता है और वे संकरी होने लगती हैं. कई बार ये धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, जिस के कारण हम हृदय रोग व लकवे के शिकार हो जाते हैं.
सिंगापुर के एक सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डा. रूथ का कहना है कि इन गंभीर स्थितियों से बचने का केवल एक ही उपाय है कि भोजन में नमक की मात्रा कम से कम कर दी जाए. उन के अनुसार, हृदय रोगियों के लिए नमक एक सफेद जहर है और उन्हें दिनभर में अपने भोजन में एक चम्मच नमक से ज्यादा का सेवन नहीं करना चाहिए.
हमारे शरीर से अनावश्यक तत्त्वों को बाहर निकालने में किडनी यानी गुर्दे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये हमारे शरीर में नमक व पानी का संतुलन भी बनाए रखते हैं. लगातार उच्च रक्तचाप रहने से गुर्दे की रक्त शिराएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिस के कारण गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पाते. ज्यादा नमक खाने से गुर्दे में पथरी होने का खतरा भी बढ़ जाता है. अतिरिक्त सोडियम के कारण पेशाब में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है और यही कैल्शियम अन्य तत्त्वों के साथ मिल कर पथरियां पैदा कर देता है. इसलिए पथरियों से बचने के लिए भी नमक का सेवन कम करना चाहिए.
2. यह बात भी जान लें कि कभीकभार नमक ज्यादा खा लेने से शरीर पर कोई खतरनाक प्रभाव नहीं पड़ता. हमारे स्वस्थ गुर्दे इस अतिरिक्त सोडियम को पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकालने में सक्षम हैं, लेकिन लगातार ज्यादा नमक खाने से गुर्दे भी रोगी रहने लगते हैं और उन में इतनी क्षमता नहीं रहती कि वे अतिरिक्त सोडियम को शरीर से बाहर निकाल सकें.
3. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन के शरीर में नमक खाते ही प्रतिक्रिया होने लगती है और उन का रक्तचाप बढ़ने लगता है. ऐसे लोगों के लिए भी नमक किसी सफेद जहर से कम नहीं है. उन्हें नमक कम से कम खाना चाहिए.
4. अधिक नमक खाने का एक नुकसान यह भी है कि खून में प्लैटलेट्स बनने कम हो जाते हैं. उल्लेखनीय है कि प्लैटलेट्स की वजह से ही चोट लगने पर खून में गाढ़ापन आता है, जिस से खून बहना अपनेआप ही कम हो जाता है. अगर खून में प्लैटलेट बनने बंद हो जाएं तो चोट लगने पर खून बहना बंद ही नहीं होगा और व्यक्ति मौत का ग्रास बन जाएगा. इस के विपरीत, प्लैटलेट की मात्रा अधिक होनी भी शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है और उस से कैंसर जैसा गंभीर रोग पनप सकता है.
नमक की जगह इस्तेमाल करें ये चीजें…
जाहिर है कि आप को अपने प्रतिदिन के भोजन में ज्यादा सोडियम वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए.
भोजन बनाने में भी नमक कम से कम डालें.
भोजन में स्वाद पैदा करने के लिए आप नीबू का रस, अदरक, लहसुन व प्याज का इस्तेमाल करें.
फल व सब्जियों का इस्तेमाल भी ज्यादा से जयादा करें, इन से आप को कुदरती नमक और स्वास्थ्यवर्द्धक तत्त्व मिलेंगे, जो आप के शरीर को पौष्टिक बनाए रखेंगे.
फलों व सब्जियों में नमक की मात्रा बहुत कम होती है. एक सेब में बिलकुल भी नमक नहीं होता, जबकि एक केले में केवल 1 मिलीग्राम ही सोडियम होता है.
घर के सभी लोगों का स्वास्थ्य हमारे रसोईघर पर ही निर्भर करता है, इसलिए गृहिणियां आवश्यक वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत रहें, ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों को जानलेवा रोगों से दूर रख सकें.
यह कोई मुश्किल काम नहीं है, धीरेधीरे हमारी चटोरी जीभ कम नमक की अभ्यस्त हो जाएगी और वह कम नमक वाले भोजन में भी स्वाद ढूंढ़ने लगेगी.