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वार्निंग साइन बोर्ड- भाग 1: निधि के साथ किसने बदसलूकी की थी?

निशा ऑफिस के बाद निधि को लेने स्कूल पहुंची. उसे देखते ही दौड़ कर उस के पास आने वाली निधि ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.

निशा को देखते ही अटैंडैंट ने दवा देते हुए कहा, ‘‘मैम, आज निधि दर्द की शिकायत कर रही थी. डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने यह दवा दी है. आप इस दवा को दिन में 2 बार तो इस दवा को दिन में 3 बार देना.’’

‘‘मुझे फोन कर दिया होता?’’

‘‘हो सकता है न मिला हो, इसलिए डाक्टर को बुला कर दिखाया हो.’’

‘‘ओके, डाक्टर का परचा?’’

‘‘डाक्टर ने परचा नहीं दिया, सिर्फ यह दवा दी है.’’

निशा ने सोचा शायद इस से परचा कहीं खो गया होगा. अत: झूठ बोल रही है… फिर उस ने मन ही मन स्कूल प्रशासन को धन्यवाद दिया. नाम के अनुरूप काम भी है, सोच कर संतुष्टि की सांस ली. निधि को किस कर गोद में उठा कर कार तक ले गई. निधि कार में बैठते ही सो गई. कैसी भागदौड़ वाली जिंदगी है उस की… वह अपनी बेटी को भी समय नहीं दे पा रही है. स्कूल तो ढाई बजे ही बंद हो जाता है पर घर में किसी के न होने के कारण उसे निधि को स्कूल के क्रैच में ही छोड़ना पड़ता है. कभीकभी लगता है कि एक छोटी सी बच्ची पर कहीं जरूरत से ज्यादा शारीरिक और मानसिक बोझ तो नहीं पड़ रहा है. पर करे भी तो क्या करे? अपनेअपने कार्यक्षेत्र में व्यस्त होने के कारण न तो उस के और न ही दीपक के मातापिता का लगातार उन के साथ रहना संभव है. बस एक ही उपाय है कि वह नौकरी छोड़ दे, पर उसे लगता है कि अगर नौकरी छोड़ देगी तो फिर पता नहीं ऐसी नौकरी मिले या न मिले.

घर आ कर निशा ने निधि को जगाने का प्रयास किया. न जागने पर निशा ने उसे यह सोच कर गोद में उठा लिया कि शायद उसे दर्द से अभी आराम मिला हो, इसलिए गहरी नींद में सो रही है. रात को निधि ने खाना भी नहीं खाया. रात में वह बुदबुदाने लगी. उस की बुदबुदाहट सुन कर निशा की नींद खुल गई. उसे थपथपाने लगी तो पाया कि उसे तेज बुखार है. नींद में ही निशा ने उसे दवा दे दी. दवा खाते ही वह पुन: बुदबुदाई, ‘‘मैं गंदी लड़की नहीं हूं. पनिश मत करो अंकल, मुझे पनिश मत करो.’’

निशा समझ नहीं पा रही थी कि निधि ऐसा क्यों कह रही है. क्या उसे किसी ने पनिश किया? पर क्यों? क्या उस का दर्द इसी वजह से है? निधि की दशा देख कर उस ने दूसरे दिन छुट्टी लेने का निर्णय कर लिया वरना पहले कभीकभी ऐसी ही स्थितियों में उस में और दीपक में झगड़ा हो जाता था, बिना यह सोचेसमझे कि उन के इस वादविवाद का उस मासूम पर क्या असर होता होगा? दूसरे दिन निधि सुबह 10 बजे के लगभग उठी. उठते ही वह निशा से चिपक कर रोने लगी और फिर रोतेरोते ही उस ने कहा, ‘‘ममा, मैं अब कभी स्कूल नहीं जाऊंगी.’’

‘‘क्यों बेटा, क्या आप से स्कूल में किसी ने कुछ कहा?’’ उस ने हैरानी से पूछा.

‘‘बस मैं स्कूल नहीं जाऊंगी.’’

‘‘लेकिन बेटा, स्कूल तो हर बच्चे को जाना पड़ता है.’’

‘‘मैं ने कहा न मैं स्कूल नहीं जाऊंगी,’’ कहते हुए वह फफकफफक कर रो पड़ी.

‘‘ठीक है, रो मत बेटा. जब आप स्कूल जाना चाहो तभी भेजूंगी,’’ निशा ने उसे सांत्वना देते हुए कहा.

‘कल स्कूल जा कर टीचर से बात करूंगी. न जाने ऐसा क्या घटित हुआ है इस लड़की के साथ कि हमेशा स्कूल जाने के लिए लालायित रहने वाली लड़की स्कूल ही नहीं जाना चाह रही है… फिर नींद में ‘पनिश…पनिश… कह रही थी,’ सोच कर मन को सांत्वना दी. निशा निधि को नाश्ता करा कर उस के कपड़े बदलने लगी तो उस की पैंटी में खून के निशान देख कर चौंक गई कि 7 वर्ष की उम्र में रजस्वला… दर्द की वजह से वह पैर भी जमीन पर ठीक से नहीं रख पा रही थी. निशा की कुछ समझ में नहीं आया तो उसे डा. संगीता के पास ले जाना उचित समझा.

डा. संगीता ने उसे चैक करने के बाद कहा, ‘‘ओह नो…’’

‘‘क्या हुआ डाक्टर?’’

‘‘निशा, इस बच्ची के साथ रेप हुआ है,’’ डा. संगीता ने उसे अलग ले जा कर बताया.

‘‘रेप’’? पर कहां और कैसे? कल तो स्कूल के अतिरिक्त यह कहीं गई ही नहीं है?’’ डा. संगीता की बात सुन कर निशा ने चौंक कर कहा.

‘‘निशा यह मेरा अनुमान नहीं सचाई है.’’

‘‘क्या,’’ कह कर वह अपना सिर पकड़ कर कुरसी पर बैठ गई कि क्या हो गया है इन नरपिशाचों को… एक 7 वर्ष की बच्ची के साथ ऐसी घिनौनी हरकत… एक नन्ही बच्ची में भी उसे सिर्फ स्त्रीदेह नजर आई… मन क्यों नहीं कांपा इस मासूम के साथ बलात्कार करते हुए… इनसानियत को तारतार करने वाले इनसान के रूप में वह हैवान है… तभी उसे याद आया निधि का नींद में बड़बड़ाना कि प्लीज अंकल, मुझे पनिश मत करो…

‘‘निशा संभालो स्वयं को… तुम बिखर गईं तो बच्ची को कौन संभालेगा? हमें वस्तुस्थिति का पता लगाना होगा,’’ डा. संगीता बोलीं. निशा ने निधि की ओर तड़प कर देखा. उस के चेहरे पर दर्द की लकीरें साफ दिखाई दे रही थीं. वह मासूम चुपचाप डाक्टर की बातों से अनजान उन की ओर देखे जा रही थी. आखिर डा. संगीता ने उस से पूछा, ‘‘बेटा, आप को चोट कैसे लगी?’’

निधि को चुप देख कर निशा ने डा. संगीता का प्रश्न दोहराते हुए पुन: पूछा, ‘‘निधि बेटा, डाक्टर आंटी की बात का उत्तर दो… तुम्हें चोट कैसे लगी?’’

‘‘ममा, मैं नहीं बता सकती वरना मुझे डांट पड़ेगी.’’

‘‘पर क्यों?’’

‘‘मैम ने कहा है कि अगर तुम घर में किसी को बताओगी तो तुम्हें अपने मम्मीपापा की भी डांट सुननी पड़ेगी… आप ने गलती की है, आप एक गंदी लड़की हो इसलिए आप को पनिशमैंट मिला है… ममा मैं ने कुछ नहीं किया… प्रौमिस,’’ कहते हुए उस की आंखें भर आईं.

‘‘बेटा, आप हमें बताओ… हम आप को कुछ नहीं कहेंगे.’’ डा. संगीता के बारबार पूछे जाने पर निधि ने सचाई उगल दी. सचाई सुन कर निशा और डा.  संगीता अवाक रह गईं. एक स्विमिंग इंस्ट्रक्टर का ऐसा अमानवीय व्यवहार…

‘‘निशा तुम उस राक्षस के खिलाफ केस दायर करो. उस के खिलाफ गवाही मैं दूंगी… मैं ने अपने मोबाइल पर निधि का बयान रिकौर्ड कर लिया है,’’ कहते हुए डा. संगीता के चेहरे पर आक्रोश साफ झलक रहा था. डा. संगीता के साथ ने निशा को आत्मिक बल प्रदान किया. पर क्या ऐसा करना उचित होगा? कहीं यह बात समाज में फैल गई तो निधि का जीना दूभर न हो जाए… हमारे समाज में लड़कों के हजार खून माफ हैं पर लड़की के दामन पर लगा एक छोटा धब्बा भी उस के पूरे जीवन पर कालिख पोत देता है… निधि पर इस घटना का बुरा असर न पड़े, इसलिए निशा ने निधि के सोने के बाद ही दीपक को इस घटना के बारे में बताने का निश्चय किया.

दीपक यह सुनते ही भड़क गया. मेज पर हाथ मारते हुए बोला, ‘‘मैं उस कमीने को छोड़ूंगा नहीं… सजा दिलवा कर ही रहूंगा.’’

वार्निंग साइन बोर्ड- भाग 2: निधि के साथ किसने बदसलूकी की थी?

‘‘शांत दीपक शांत…’’

‘‘सुन कर मेरा भी खून खौला था… तुम्हारी जैसी ही बात मेरे भी दिमाग में आई थी, पर अगर हम इस सचाई को दुनिया के सामने लाते हैं तो क्या समाज की उंगली हमारे ऊपर नहीं उठेगी? हो सकता है लोग बच्ची का जीना भी दूभर कर दें?’’ ‘‘शायद तुम्हारा कहना ठीक हो पर ऐसा कर के क्या हम अपराधी को मनमानी करने की छूट नहीं देंगे? आज हमारी बेटी उस की हवस का शिकार हुई है, कल न जाने कितनों को वह वहशी अपनी हवस का शिकार बनाएगा?’’ इस सोच ने अंतत: हमें अपने अंत:कवच से बाहर आने के kahani Hindi warning sine board kahani, hindi kahani online warning sine board , sarita warning sine board, sarita story warning sine board, sarita story online warning sine board, hindi story, best hindi story, hindi story online, story in hindi, Romantic story, Romantic kahani, family story
लिए प्रेरित किया तथा हम ने एफआईआर दर्ज करवाई एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म की. डा. संगीता की गवाही मजबूत सुबूत बनी. बच्ची के आरोपी को पहचानने के बावजूद स्कूल प्रशासन इस आरोप को मान ही नहीं रहा था. मानता भी कैसे उस की अपनी साख पर जो बन आई थी. यह खबर आग की तरह फैली. मीडिया के साथ अन्य बच्चों के मातापिता ने उन की आवाज को बल दिया, क्योंकि आज जो एक बच्ची के साथ हुआ है वह कल को किसी और की बच्ची के साथ भी तो हो सकता है. अंतत: पुलिस ने स्विमिंग इंस्ट्रक्टर को गिरफ्तार कर लिया.

दूसरे दिन यह खबर तमाम समाचारपत्रों में प्रमुखता के साथ छपी. यलो लाइन इंटरनैशनल स्कूल में 7 वर्ष की बच्ची के साथ रेप… स्विमिंग करने के बाद स्विमिंग पूल के पास बने चैंबर में बच्ची कपड़े बदलने के लिए गई थी. उस के पीछेपीछे स्विमिंग इंस्ट्रक्टर भी चैंबर में घुस गया तथा उस के मुंह पर कपड़ा बांध कर उसे डराते हुए उस के साथ जबरदस्ती की तथा किसी को न बताने की चेतावनी भी दी. बच्ची की क्लास टीचर ने जब उसे दहशत में देखा तो अनहोनी की आशंका से उस ने उस से प्रश्न किया. उस के प्रश्न के उत्तर में बच्ची को दर्द…दर्द कहते हुए रोते देख कर क्लास टीचर ने प्रिंसिपल को बताया. प्रिंसिपल ने डाक्टर को बुला कर चैकअप करवाने को कहा. डाक्टर ने उस की ड्रैसिंग कर दवा खाने को दे दी. इस के बाद टीचर ने उसे घर में किसी को कुछ भी न बताने की चेतावनी देने के साथ ही यह भी कहा कि तुम गंदी लड़की हो, इसलिए तुम्हें सजा दी गई. अगर तुम घर में बताओगी तो तुम्हें अपने मम्मीपापा से भी डांट खानी पड़ेगी.

पढ़ कर निशा ने माथा पीट लिया. दनदनाती हुई दीपक के पास गई तथा कहा, ‘‘देखो समाचारपत्र… सब जगह हमारी थूथू हो रही होगी.’’

‘‘थू…थू… किसलिए… हमारी बच्ची की कोई गलती नहीं है.’’

‘‘आप पुरुष हैं शायद आप इसलिए ऐसा सोच रहे हैं… एक लड़की के दामन पर लगा एक छोटा सा दाग भी उसे दुनिया में बदनाम कर देता है.’’

‘‘तो क्या हम उस अपराधी को ऐसे ही छोड़ दें?’’

‘‘मैं ने ऐसा तो नहीं कहा पर मैं नहीं चाहती कि हमारी निधि का नाम दुनिया के सामने आए.’’

‘‘नहीं आएगा… पर मैं अपराधी को सजा दिला कर रहूंगा… मैं ने वकील से बात कर ली है.’’

‘‘वह तो ठीक है पर इस सब में पता नहीं कितना समय लगेगा… मैं अपनी बच्ची को तिलतिल सुलगने नहीं दे सकती… निधि के मनमस्तिष्क से कड़वी यादें मिटाने के लिए हमें यहां से दूर जाना होगा.’’

‘‘दूर?’’

‘‘आप अपना स्थानांतरण करवा लीजिए.’’

‘‘स्थानांतरण इतना आसान है क्या?’’

‘‘निधि के जीवन से अधिक कुछ कठिन नहीं है. अगर आप नहीं करा सकते तो मैं अपने मैनेजमैंट से बात करती हूं. मेरा हैड औफिस दिल्ली में है. वहां की एक लड़की यहां आना चाह रही थी… म्यूचुअल स्थानांतरण होने में कोई परेशानी नहीं होगी.’’ म्यूचुअल ट्रांसफर में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. 1 महीने के अंदर निशा का स्थानांतरण दिल्ली हो गया. पहले दिल्ली जाने से मना करने के कारण औफिस वालों की आंखो में प्रश्न झलके थे, पर फैमिली प्रौब्लम का हवाला दे कर उन का उस ने स्थानांतरण कर दिया. दीपक ने भी स्थानांतरण के लिए आवेदन कर दिया था. दिल्ली में निशा निधि का डीपीएस में दाखिला करवाने के लिए गई, प्रिंसिपल ने उस के ट्रांसफर सर्टिफिकेट को देख कर कहा, ‘‘यलो लाइन इंटरनैशनल स्कूल. वहां कुछ दिन पूर्व स्कूल के स्टाफ के किसी कर्मचारी द्वारा एक बच्ची का रेप हुआ था.’’

‘‘हां, मैम. मेरा यहां स्थानांतरण हो गया है. आप का स्कूल प्रसिद्ध है. इसलिए मैं इस का यहां दाखिला कराना चाहती हूं,’’ उस ने बिना घबराए उत्तर दिया, क्योंकि उसे पता था कि ऐसे प्रश्न शायद आगे भी उठें पर उसे विचलित नहीं होना है. गनीमत है कि निधि उस के साथ नहीं आई थी. उसे वह अपनी मित्र अलका के पास छोड़ आई थी. उस ने सोचा था पहले स्वयं जा कर स्कूल प्रशासन से बात कर ले. पता नहीं दाखिला होगा भी या नहीं.

‘‘संयोग से हफ्ता भर पहले ही स्थानांतरण के कारण फर्स्ट स्टैंडर्ड में एक स्थान रिक्त हुआ है, हम निधि को उस की जगह ले लेंगे… आप फार्म भर दीजिए तथा कल से उसे स्कूल भेज दीजिए.’’

‘‘थैंक्यू मैम,’’ निशा ने उठते हुए उन से हाथ मिलाते हुए कहा.

‘‘मोस्ट वैलकम.’’

अलका उस की बचपन की मित्र थी. अकसर वह उसे बुलाती रहती थी. अत: जैसे ही उसे ट्रांसफर और्डर मिला, उस ने सब से पहले उसे ही फोन किया. उस ने सुनते ही कहा, ‘‘हमारी दिल्ली में तुम्हारा स्वागत है. तुम सीधे मेरे पास ही आओगी.’’ उस की लड़की शुचि डीपीएस में पढ़ती थी. अत: उस ने निधि का दाखिला डीपीसी में कराने का सुझाव दिया था. वैसे तो निशा की ननद विभा भी दिल्ली में रहती थी पर एक तो उस का घर उस के औफिस से दूर था वहीं उसे डर था अगर उसे जरा सी भी भनक लग गई तो निधि का जीना हराम हो जाएगा. वह चलताफिरता अखबार है… उस के पेट में एक भी बात नहीं पचती. उस ने कहीं पढ़ा था कि एक अच्छा मित्र अच्छा हमराज हो सकता है जबकि रिश्तेदार बाल की खाल निकालने से बाज नहीं आते. अपने मन के इसी डर के कारण उस ने उन के पास न जा कर अलका के पास ही रुकना मुनासिब समझा.

दूसरे दिन निशा निधि को स्कूल के लिए तैयार करने लगी तो उस ने कहा, ‘‘ममा, मुझे स्कूल नहीं जाना है.’’

‘‘बेटा, स्कूल तो हर बच्चे को जाना होता है. अगर आप स्कूल नहीं जाओगे तो डाक्टर कैसे बनोगे?’’

‘‘मुझे डाक्टर नहीं बनना है.’’

‘‘घर में रह कर बोर नहीं हो जाओगी… स्कूल में बहुत सारे फ्रैंड्स मिलेंगे. गेम होंगे और आप को अच्छीअच्छी बुक्स भी पढ़ने को मिलेंगी.’’ निधि के चेहरे पर थोड़ी सहजता देख कर निशा ने पुन: कहा, ‘‘शुचि भी आप के साथ जाएगी.’’

‘‘क्या वह भी मेरे साथ मेरी क्लास में पढ़ेगी?’’

‘‘नहीं बेटा, पर वह आप के स्कूल में ही पढ़ती है.’’

‘‘ओके ममा…’’

‘‘शुचि तुम तैयार हो गईं? चलो मैं तुम दोनों को स्कूल छोड़ आती हूं.’’

‘‘आंटी, मेरी बस आ रही होगी.’’

Crime Story: सिपाही की आशिकी

लेखक-कपूर चंद

रंजिश उस विषबेल की तरह होती है, जो बड़े पेड़ों से भी लिपट जाए तो धीरेधीरे उस के वजूद को लीलने लगती है. दिल्ली पुलिस के सिपाही मनोज और फौजी रणबीर ने भी अपने वजूद में ऐसी ही विषबेल पाल रखी थी, जो दोनों…    4मई, 2020 की बात है. मनोज की आंखें खुलीं तो उस ने पास रखे मोबाइल फोन पर नजर डाली. उस समय सुबह के साढ़े 6

बज चुके थे. वह फटाफट उठा और फ्रैश होने चला गया.

दरअसल, मनोज दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था और घर पर रहने के दौरान टहलने जरूर जाता था. उस दिन वह देर से सो कर उठा, इसलिए जल्दबाजी में मौर्निंग वाक पर जाने के लिए तैयार हो गया.

मनोज परिवार सहित हरियाणा के जिला झज्जर के कस्बा बहादुरगढ़ स्थित लाइनपार की वत्स कालोनी में रहता था. मनोज की गली में ही रमेश कुमार भी रहता था. वह रिश्ते में मनोज का चाचा था, लेकिन दोनों हमउम्र थे इसलिए उन की आपस में खूब पटती थी. मनोज चाचा रमेश को साथ ले कर टहलने जाता था.

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मनोज तैयार हो कर चाचा रमेश कुमार के यहां पहुंचा, फिर दोनों नजदीक ही स्थित मुंगेशपुर ड्रेन पर पहुंच कर नहर के किनारे टहलने लगे. दोनों अकसर वहीं पर मौर्निंग वाक करते थे. उन्हें वहां पहुंचे कुछ ही देर हुई थी कि उन के पास एक बाइक आ कर रुकी, बाइक पर अंगौछे से अपना चेहरा ढंके 2 युवक बैठे थे.

इस से पहले कि मनोज और रमेश कुछ समझ पाते, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने पिस्टल निकाल कर मनोज पर निशाना साधते हुए गोली चला दी. लेकिन रमेश ने फुरती दिखाते हुए मनोज को धक्का दे दिया, जिस से मनोज नीचे गिर गया. लेकिन पिस्टल से चली गोली रमेश के सिर में जा लगी. गोली लगते ही रमेश जमीन पर गिर पड़ा.

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एक गोली चलाने के बाद भी बदमाश रुका नहीं, उस ने मनोज पर दूसरी गोली चलाई जो उस के पेट में जा लगी. मनोज को गोली मारने के बाद बाइक सवार फरार हो गए. उधर गोली लगते ही मनोज अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागा.

मनोज ने घायलावस्था में ही अपने भाई संदीप को फोन कर के अपने साथ घटी घटना की जानकारी देते हुए तुरंत मौके पर पहुंचने को कहा. संदीप अपने एक दोस्त को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गया. सिर में गोली लगने से रमेश की मौत हो चुकी थी और मनोज पेट में उस जगह को हाथ से दबाए हुए था, जिस जगह गोली लगी थी.

संदीप ने दोस्त की मदद से मनोज को स्कूटी पर बैठाया और इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने मनोज को मृत घोषित कर दिया. इस गोली कांड की सूचना जब पुलिस को मिली तो थाना लाइनपार के थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार घटनास्थल पर पहुंच गए. डीएसपी राहुल देव भी वहां आ गए.

लौकडाउन के समय में एक पुलिसकर्मी और एक अन्य व्यक्ति की दिनदहाड़े हुई हत्या पर जिला पुलिस प्रशासन सकते में आ गया. इस के अलावा बहादुरगढ़ क्षेत्र में भी सनसनी फैल गई. लोगों में कोरोना को ले कर पहले से ही भय व्याप्त था, इस दोहरे हत्याकांड पर वे और ज्यादा असुरक्षित महसूस करने लगे.

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रमेश कुमार और कांस्टेबल मनोज की हत्या के बाद उन के घरों में कोहराम मच गया. दोनों ही शादीशुदा थे. उन के बीवीबच्चों का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस अधिकारी घर वालों को समझाने की कोशिश कर रहे थे. सूचना पा कर झज्जर से पुलिस कप्तान भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया, इस संबंध में मृतकों के घर वालों से पूछताछ की.

मनोज के भाई संदीप कुमार ने आरोप लगाया कि इस हत्याकांड को इसी कालोनी के रहने वाले फौजी रणबीर सिंह और उस के घर वालों ने अंजाम दिया है. पुलिस कप्तान ने थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार को आदेश दिए कि वह केस को खोलने के लिए जरूरी काररवाई करें.

कप्तान साहब ने सीआईए की 2 टीमों को भी हत्यारों का पता लगाने के लिए लगा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने सिविल अस्पताल जा कर दिल्ली पुलिस के जवान मनोज कुमार की लाश का भी मुआयना किया.

थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार ने घटनास्थल का मुआयना करने के बाद रमेश कुमार की लाश भी पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पुलिस टीमें तत्परता से इस काम में जुट गईं. चूंकि मृतक सिपाही मनोज कुमार के भाई संदीप ने हत्या का आरोप कालोनी में रहने वाले बीएसएफ के जवान रणबीर सिंह और उस के घर वालों पर लगाया था, इसलिए पुलिस को सब से पहले फौजी रणबीर से पूछताछ करनी थी.

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पुलिस टीम जब फौजी रणबीर के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. उस के घर वाले भी पुलिस को सही बात नहीं बता सके. पुलिस को यह पहले ही पता लग चुका था कि रणबीर कुछ दिनों पहले ही छुट्टी ले कर घर आया था.

इस के बाद पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. उस के घर के बाहर पुलिस की चौकसी बढ़ा दी. इतना ही नहीं, मुखबिरों को भी लगा दिया. फौजी रणबीर की तलाश के साथसाथ पुलिस ने शक के आधार पर आपराधिक प्रवृत्ति के कई लोगों को भी पूछताछ के लिए उठा लिया.उन सभी से इस दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की गई. कई तरह से की गई पूछताछ के बाद भी उन बदमाशों से काम की कोई जानकारी नहीं मिल सकी तो उन्हें हिदायतें दे कर घर भेज दिया गया.

घटना के 3 दिन बाद मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने फौजी रणबीर को हिरासत में ले लिया. उस से कांस्टेबल मनोज और उस के चाचा रमेश कुमार की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई. उस ने पुलिस से कहा कि मनोज और उस के घर वाले उस से दुश्मनी रखते हैं. वह भला उन दोनों को क्यों मारेगा.

‘‘जब तुम ने उन्हें नहीं मारा तो घर से लापता क्यों हुए?’’ थानाप्रभारी ने पूछा. ‘‘नहीं सर, मैं लापता नहीं हुआ था बल्कि बहादुरगढ़ में किसी से मिलने गया था.’’ फौजी ने सफाई दी.

पुलिस को लगा कि शायद अब यह आसानी से सच्चाई नहीं बताएगा, लिहाजा उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल मनोज कुमार और रमेश की हत्या उस ने खुद तो नहीं की, लेकिन 20 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस ने यह काम दूसरे लोगों से कराया था.

इस की वजह यह थी कि मनोज ने रणवीर जीना दुश्वार कर रखा था. कई बार समझाने के बाद भी, उस ने समाज में न तो अपनी इज्जत का ध्यान रखा और न ही रणवीर की. पूरे समाज में उस ने खूब बेइज्जती कराई थी.

फौजी ने इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली—

हरियाणा के जिला झज्जर के कस्बा बहादुरगढ़ के लाइनपार क्षेत्र में स्थित वत्स कालोनी का रहने वाला रणबीर सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल था. उस की शादी रूबी (परिवर्तित नाम) से हुई थी. बीएसएफ में होने की वजह से वह काफीकाफी दिनों बाद ही घर आ पाता था. इसी वत्स कालोनी में मनोज कुमार भी रहता था, जो दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था. वह भी शादीशुदा था.

बताया जाता है कि मनोज और रूबी के बीच अवैध संबंध हो गए थे. किसी तरह यह जानकारी रणबीर को हुई तो उस ने न सिर्फ अपनी पत्नी रूबी को बल्कि मनोज को भी बहुत समझाया, लेकिन दोनों ने ही उस की बातों पर अमल नहीं किया.

इस के बाद रणबीर ने पत्नी के साथ सख्ती की, लेकिन वह तो एक तरह से ढीठ हो गई थी. रणबीर भले ही अपनी ड्यूटी पर रहता था, लेकिन उस का ध्यान पत्नी की ओर ही लगा रहता था.

उस के शुभचिंतक फोन पर ही उस की पत्नी की करतूतें उसे बताते रहते थे. रणबीर पत्नी के बारे में सुनसुन कर परेशान हो गया था. लिहाजा उस ने कुछ दिनों पहले पत्नी को तलाक दे दिया था.

फौजी रणबीर से तलाक लेने के बाद रूबी वत्स कालोनी में ही किराए का मकान ले कर रहने लगी. तलाक के बाद वह एक तरह से आजाद हो गई थी. उस ने मनोज से भी संबंध खत्म नहीं किए थे. यह जानकारी फौजी रणबीर को भी मिल चुकी थी.

रणबीर के मन में बस एक बात ही घूम रही थी कि मनोज की वजह से उस के जीवन में अशांति आई थी, तो क्यों न उस को ही ठिकाने लगा दिया जाए. इसी काम के मकसद से कुछ दिन पहले वह छुट्टी ले कर घर आया.

मनोज को ठिकाने लगवाने के लिए उस ने बहादुरगढ़ की लाइनपार स्थित फ्रैंड्स कालोनी में रहने वाले पवन से बात की. पवन मूलरूप से सोनीपत के जौली गांव का रहने वाला था. 2 लाख रुपए में पवन से मनोज की हत्या की बात तय हो गई. फौजी ने उसी समय 5 हजार रुपए उसे एडवांस के तौर पर भी दे दिए.

 

पवन की दोस्ती पश्चिमी दिल्ली के रघुबीर नगर निवासी तेजपाल उर्फ घूणी से थी. पवन और तेजपाल वैसे तो पेंटर थे, लेकिन पैसों के लालच में मनोज की हत्या करने को राजी हो गए. बातचीत तय हो जाने के बाद पवन और तेजपाल कांस्टेबल मनोज की रेकी करने लगे. उन्होंने उस की हत्या हरियाणा में ही करनी तय की.

रेकी के बाद उन्हें पता चला कि मनोज रोजाना मौर्निंग वाक के लिए मुंगेशपुर ड्रेन पर जाता है. सुबह के समय नहर के किनारे सुनसान रहते हैं, इसलिए दोनों को यही समय ठीक लगा.

4 मई, 2020 को मनोज कुमार अपने दूर के रिश्ते के चाचा रमेश कुमार के साथ सुबह 7 बजे के करीब मुंगेशपुर में नहर किनारे घूमने गया, तभी पवन और तेजपाल मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे और उन्होंने मनोज के चक्कर में रमेश को भी मौत के घाट उतार दिया.

फौजी रणबीर से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसी दिन अन्य आरोपियों पवन और तेजपाल उर्फ धूणी को भी हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उन के पास से .32 एमएम की पिस्टल व 7 जीवित कारतूस और वारदात में इस्तेमाल की गई बाइक भी बरामद कर ली.

तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार ने उन्हें कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. घटना में रूबी की कोई भूमिका सामने नहीं आई थी. मामले की जांच थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार कर रहे थे. द्य

—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

ग्रीन/पौलीहाउस में नर्सरी आय व जुड़ाव का जरीया

लेखक-  जितेंद्र द्विवेदी

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के नौतन प्रखंड में ग्राम पंचायत जगदीशपुर का एक टोला डेगौना है, जहां50 प्रतिशत से अधिक किसान सब्जियों की खेती करते हैं. अनुसूचित जाति बहुल इस गांव को बाढ़ तो कभीकभार ही प्रभावित करती है, परंतु मौसम की मार किसानों पर समयसमय पर पड़ती ही रहती है.

असमय वर्षा, अधिक वर्षा, जाड़ा अथवा अधिक गरमी के कारण विशेषकर छोटे, मझोले किसान समय पर सब्जियों की खेती नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें समय पर नर्सरी की उपलब्धता नहीं हो पाती है. जब गोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च आदि के बीजों से नर्सरी तैयार करने का समय होता है, उस समय बरसात का समय होने के कारण उन की जमीन में नमी अधिक होती है, जिस से वे बीज नहीं डाल पाते और समय पर नर्सरी तैयार नहीं होती. नतीजतन उन को दाम भी कम मिलता है.

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यहां पर सब्जी की खेती करने वाले किसानों के समक्ष आने वाली समस्याआें को बिंदुवार देख सकते हैं :

* प्रतिकूल मौसमों के चलते नर्सरी तैयार करने में बाधा आती है.

* नर्सरी के लिए बाजार पर निर्भरता होने के कारण गुणवत्तापूर्ण पौधों की उपलब्धता नहीं हो पाती.

* समय पर नर्सरी के पौधों के न मिलने से उपज और दाम दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

इन समस्याओं से निबटने के लिए गोरखपुर एन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप ने विज्ञान एवं तकनीकी डीएसटी कोर सपोर्ट परियोजना के तहत चयनित किसान छठिया देवी पत्नी सुरेश भगत की जमीन पर एक ग्रीन हाउस बनाने में अपना तकनीकी योगदान दिया. 30 फुट लंबाई व 20 फुट चौड़ाई वाले इस ग्रीनहाउस ने छठिया देवी के खेती की दिशा ही बदल दी.

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अब छठिया देवी व्यावसायिक स्तर पर समय से पूर्व ही नर्सरी तैयार कर उसे स्वयं भी रोप लेती हैं और दूसरे किसानों को भी दे रही हैं. फलस्वरूप उन की खेती समय से हो रही है और बाजार में समय से जाने पर अच्छा दाम मिल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ  अन्य किसानों को नर्सरी के पौधों की बिक्री करने से आय भी प्राप्त हो रही है.

यह पौलीहाउस पौलीथिन और जाली से बनने के कारण इस का उपयोग मौसम के अनुसार किया जा सकता है अर्थात तेज धूप के समय पौलीथिन को हटा कर सिर्फ जाली से ही पौलीहाउस को ढक सकते हैं.

पौलीहाउस में नर्सरी तैयार

करने की तकनीक

* पौलीहाउस में बेड विधि से नर्सरी तैयार की गई.

* बेड भूमि सतह से 6 इंच ऊपर और

4 फुट चौड़ाई व 10 फुट लंबाई में तैयार किया गया.

* बेड की तैयारी में कंपोस्ट खाद, राख, नीम की खली और अंडे के चूर्ण का मिश्रण तैयार कर मिलाया गया.

* लाइन सोइंग विधि का उपयोग करते हुए बीज की बोआई की गई.

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* पंक्ति से पंक्ति की दूरी 5 सैंटीमीटर रखी गई.

* बीज को आधा सैंटीमीटर गहराई में बोआई की गई व बोआई के उपरांत अखबार बिछा कर ऊपर से सूखे खरपतवार से 36 घंटे तक ढक दिया गया.

* 1-2 हलकी सिंचाई हजारे से करें.

ग्रीन/पौलीहाउस का फायदा

ग्रीनहाउस में नर्सरी तैयार करने के फायदे को इस तरह देखा जा सकता है :

* बाहर डाली गई नर्सरी की तुलना में पौलीहाउस में नर्सरी जल्दी तैयार होती है. बाहर की अपेक्षा 10 दिन पहले नर्सरी तैयार हो जाती है.

* पौधों की बढ़वार बाहर की नर्सरी की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से होती है.

* पौलीहाउस में उगाए गए पौधे रोगरोधी और स्वस्थ होते हैं.

* बाहर की अपेक्षा पौलीहाउस में खरपतवार कम उगते हैं.

* पौधों का बारिश से बचाव होता है.

* समय से सब्जियों की खेती हो पाती है.

सीमाएं

* इतने सारे फायदों के साथ एक बिंदु यह भी है पौलीहाउस में तैयार नर्सरी के पौधे अधिक तीव्र गति से बढ़ने के कारण पौधे पतले और लंबे हो जाते हैं.

* तैयार पौधों को पौलीहाउस में अधिक समय तक नहीं रोका जा सकता है.

सबक-भाग 2 : विनीत को परेशान करने के लिए अंजली ने क्या प्लान बनाया?

4 बजे जा कर विनीत का फोन आया. अंजलि ने घबरा कर पूछा कि कहां हैं और औफिस क्यों नहीं गए…फोन क्यों नहीं उठा रहे थे. मगर विनीत का जवाब सुन कर अंजलि के गुस्से का पारावर न रहा. दरअसल, विनीत लता को बस में बैठा कर औफिस जाने के लिए ही निकला था, मगर रास्ते में एक मौल में नई रिलीज हुई फिल्म का पोस्टर देख कर लता का मन हुआ उस फिल्म को देखने का. शो 12 बजे का था. अत: दोनों मौल में ही घूमते रहे और 12 बजे फिल्म देखने बैठ गए. फिल्म का साउंड तो तेज होता ही है. अत: फोन की रिंग सुनाई नहीं दी. अब लता को बस में बैठाने के बाद उस ने मिस्ड कौल देखीं. अंजलि ने विनीत की पूरी बात सुने बिना ही फोन काट दिया. आज तो आनंद के फोन आने से अंजलि को पता चल गया कि विनीत औफिस नही पहुंचा है वरना विनीत तो कभी बताता नहीं. वह 6 बजे घर आता और ऐसे दर्शाता जैसे सीधे औफिस से चला आ रहा है. पहले भी पता नहीं कितनी बार झूठ बोल चुका होगा विनीत… क्या पता सच में फिल्म देखने गए थे या फिर 10 बजे से 4 बजे तक…

जब इनसान का एक झूठ पकड़ा जाता है, तो फिर उस के ऊपर से विश्वास उठ जाता है. फिर उस की हर बात में झूठ की ही गंध आने लगती है. विनीत भी समझ गया था कि इस बार तो अंजलि को बहुत बुरा लगा है और अब वह कई दिनों तक गुस्सा रहेगी. विनीत अपनी गलती समझ गया था, इसलिए अंजलि से बहुत अच्छा बरताव कर रहा था. घर के कामों में हाथ बंटाना, अपना काम समय पर करना. समय पर घर में सामान, सब्जी ला देता. लेकिन अंजलि ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की. न अच्छी न बुरी. वह विनीत की ओर से एकदम तटस्थ और उदासीन हो गई थी. घर के सारे काम सुघड़ ढंग से निबटाती. विनीत से जितना जरूरी होता उतना ही बोलती. एक तरह से घर में उन दोनों के बीच शीत युद्ध जैसी स्थिति बन गई थी.

विनीत को बहुत बैचेनी हो रही थी. अंजलि खुल कर झगड़ा कर लेती तो विनीत भी बहस कर के अपनी सफाई दे देता या उलटा हर बार की तरह अंजलि की सोच को छोटा कह कर उसे ही गलत साबित कर के अपनी गलती ढांप लेता. लेकिन अभी तो अंजलि न बोल कर, न झगड़ा कर के एक तरह से विनीत को अपराधी साबित कर चुकी है. विनीत अंदर ही अंदर अपनी गलती का एहसास कर के अपराधबोध से ग्रस्त हो रहा है. गलती पर गलतियां कर के भी अंजलि पर हावी रहने वाले विनीत को यों अंदर ही अंदर कसमसाते रहना बहुत खल रहा था. 2-4 बार उस ने अंजलि से बात करने की, अपनी सफाई देने की कोशिश की भी पर अंजलि ने उसे नजरअंदाज कर दिया. कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की. 10-12 दिन बाद अचानक सामान उठानेरखने की आवाजें सुन कर विनीत ने दरवाजा खोल कर देखा तो सामने वाले फ्लैट का दरवाजा खुला था और मजदूर सामान अंदर रख रहे थे.

शाम को औफिस से आया तो देखा सामने वाले फ्लैट का दरवाजा बंद था. विनीत ने सोचा इन का सारा सामान रखा गया होगा. चाय पीते हुए उस ने अंजलि से पूछताछ की तो पता चला सामने कोई फैमिली नहीं वरन एक युवक रहने आया है. उसे इसी शहर में नौकरी लगी है और सामने वाला फ्लैट किराए पर ले कर वह यहीं रहेगा. विनीत को अफसोस हुआ. अगर परिवार होता तो ज्यादा अच्छा होता, अंजलि को कंपनी मिल जाती. युवक का रहना न रहना तो बराबर ही है. दूसरे दिन सुबह अंजलि के बात करने की आवाज सुन कर विनीत बाहर आया तो पता चला वह युवक आया था बाई के बारे में कहने. अंजलि ने उस के यहां अपनी बाई भेजने का आश्वासन दे दिया. थोड़ी देर बाद वह पीने का पानी भरने के लिए बरतन लेने आया. विनीत के औफिस जाने तक वह युवक जिस का नाम रोहित था 4-5 बार किसी न किसी काम से अंजलि के पास आया. विनीत ने सरसरी निगाहों से उसे देखा. लंबा, गोराचिट्टा सुदर्शन युवक था.

शाम को विनीत औफिस से घर आया तो अंजलि ने चाय बनाई और रोहित को भी चाय पर बुला लिया. रोहित आया. तीनों ने साथ चाय पी और बातें कीं. विनीत को यह भला लड़का लगा. उस का परिवार पास के ही शहर में रहता था. घर में मम्मीपापा के अलावा दादी, एक छोटी बहन और भाई भी है. थोड़ी देर बातें कर के रोहित चला गया. 4-5 दिन में उस का घर व्यवस्थित हो गया. सामान जमाने में अंजलि ने उस की मदद की. एक दिन विनीत घर आया तो अंजलि घर पर नहीं थी. रोहित के घर पर भी ताला लगा था. 5 मिनट बाद रोहित और अंजलि आ गए. अंजलि रोहित को किचन का कुछ जरूरी सामान खरीदवाने उस के साथ मार्केट गई थी. फिर तो रोज ही घर का कुछ न कुछ सामान लेने रोहित अंजलि को मार्केट ले जाने लगा. कभी ब्रैड, बटर, दूध तो कभी चादरतकिए, परदों का कपड़ा, तो कभी बालटीमग आईना, इत्यादि लेने. अंजलि रोज विनीत के आने से पहले या समय पर वापस आ जाती. रात का खाना तो रोहित साथ ही खाता. 1-2 बार विनीत थोड़ा झुंझला भी गया कि यह क्या रोजरोज उस के साथ बाजार चली जाती हो. ऐसा ही था तो उस की मां आ कर उस का घर क्यों नहीं सैट कर जातीं, तब अंजलि ने कह दिया कि उस की दादी की तबीयत ठीक नहीं है और बहन की परीक्षाएं सिर पर हैं इसलिए वह भी नहीं आ सकती है.

इसी बीच लता फिर उन के यहां आ धमकी. लता के आने से विनीत फिर उस के आगेपीछे घूमने लगा. उसे लगा कि अंजलि यह देख कर परेशान हो जाएगी हर बार की तरह. लेकिन इस बार तो अंजलि ने उन दोनों को पूरी तरह नकार दिया. लता आई तब रोहित की भी छुट्टियां थी. अत: वह सारा दिन अंजलि के यहीं रहता. रोटियां बनाने लता जैसे ही किचन में आई अंजलि तपाक से बाहर चली आई और रोहित को बुला लाई. विनीत का अजब हाल हो रहा था. उस का ध्यान अंजलि और रोहित पर था और मन मार कर लता के साथ किचन में खड़ा होना पड़ रहा था. दोपहर के खाने के समय लता हमेशा की तरह झट से विनीत के पास वाली कुरसी पर बैठ गई तो अंजलि बड़ी खुशी से रोहित के साथ बैठ गई. विनीत का पता नहीं क्यों खाने में मन नहीं लग रहा था. शाम को सब लोग टीवी देखने बैठे थे. लता विनीत के साथ सोफे  पर बैठी थी. बीचबीच में हंसीमजाक करते हुए वह कभी विनीत के कंधे पर हाथ मारती तो कभी पैर पर.

अंजलि दूसरे सोफे पर अकेली बैठी थी. तभी रोहित आ गया और अंजलि के पास बैठ गया. अब वे दोनों टीवी पर चल रहे कार्यक्रम पर कमैंट करते हुए ठहाके लगाने लगे. अंजलि भी हंसते हुए रोहित के हाथ पर या कंधे पर हाथ मार रही थी. विनीत बैठाबैठा कसमसा रहा था. आखिर में विनीत से रहा नहीं गया. वह उठ कर जल्दी सोने चला गया. 10 मिनट बाद लता भी मुंह बना कर अपने कमरे में चली गई. अंजलि जानबूझ कर उस रात बहुत देर बाद सोने गई. जब तक रोहित बैठा रहा वह और अंजलि जोरजोर से हंसीमजाक करते रहे. जब अंजलि सोने के लिए कमरे में गई तो उस ने देखा विनीत मुंह पर चादर लपेटे सोने का नाटक कर रहा था. लेकिन बेचैनी से पहलू बदलने के कारण साफ समझ आ रहा था कि वह जाग रहा है. अंजलि विनीत की ओर पीठ कर के चैन से सो गई.

दूसरे दिन छुट्टी थी. लता फिल्म देखने के लिए विनीत के पीछे पड़ी. विनीत ने चुपचाप से प्लान बनाया और ऐन वक्त पर अंजलि से तैयार होने के लिए कहा. मगर अंजलि भी भला कहां पीछे रहने वाली थी. उस ने तपाक से रोहित को फोन लगा दिया और फिल्म देखने का आमंत्रण दे डाला. विनीत जलभुन गया. वह बैडरूम में आ कर अंजलि पर गुस्सा करने लगा कि रोहित को ले जाने की क्या जरूरत है  तब अंजलि ने दोटूक जवाब दिया कि उस के और लता के बीच वह मूर्खों की तरह मुंह बंद कर के बैठी रहती है. या तो मुझे घर पर रहने दो या फिर रोहित को भी साथ ले चलो. विनीत के पास और कोई चारा नहीं था. वह बेमन से रोहित को भी साथ ले गया. विनीत ने सोचा वह सब से पहले अंजलि को बैठाएगा, फिर लता को उस के बाद वह और फिर अपने पास रोहित को. तब पूरी फिल्म में वह और लता पास बैठेंगे और अंजलि और रोहित 2 कोनों में. लेकिन अंजलि ने पहले ही सीट नंबर सुन लिया और फटाफट सिनेमाहौल में घुस कर रोहित की बगल में बैठ गई. विनीत यहां भी मात खा गया. फिर तो पूरी फिल्म भर उस का मूड़ उखड़ा रहा. लता पहले तो बहुत कोशिश करती रही उस से कि वह पहले की तरह हंसीमजाक करे पर आखिर खुद भी खीज कर चुप हो गई. अलबत्ता अंजलि और रोहित ने पूरी फिल्म बहुत ऐंजौय की. उस के बाद रोहित ने अपनी ओर से डिनर का प्रस्ताव रखा जिसे अंजलि ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

भूमि पूजन से पहले भूमि बचाव कीजिये

प्रधानमंत्री जी अयोध्या में राममंदिर के लिये भूमिपूजन से पहले चीन से देश की जमीन बचाने का काम कीजिये. रामनाम की जगह तोप और बंन्दूक का प्रयोग कीजिये. देश की जनता 20 सैनिको के बलिदान पर आहत है और सोषल मीडिया पर प्रधानमंत्री के 56 इंच के सीने की माप पर सवाल उठा रही है.
चीन भारत की सीमाओं पर अतिक्रमण करता जा रहा है. 20 सैनिकों के शहीद होने की घटना से इस बात का खुलासा हुआ कि चीन ने भारत की भूमि पर कब्जा जमा रखा है. ऐसे समय में भारत सरकार के लिये सबसे पहले जरूरी है कि वह चीन से अपनी जमीन को बचाये.

चीन लगातार भारत की सीमाओं पर अतिक्रमण करता जा रहा है. भारत सरकार चीन के विवाद के दौर में अयोध्या में राम मंदिर के लिये भूमि पूजन की तैयारी में है. जिस दौर में भारत सीमा पर भूमि के विवाद में चीन के साथ 20 सैनिक षहीद हो चुके हो उस समय देष की सरकार को एकसूत्र में खडे होकर सबसे पहले चीन से निपटना चाहिये. चीन विवाद से ध्यान भटकाने के लिये अयोध्या में राममंदिर के लिये भूमिपूजन किया जा रहा है. जिससे लोग राममंदिर के लिये भूमि पूजन और नींव की खुदाई की खुषी में चीन से हो रहे विवाद को भूल जाये और सरकार पर दवाब खत्म हो जाये.

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लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना से झडप के बीच हुये खूनी संघर्ष के बाद देष की जनता में चीन के प्रति गुस्सा भडक उठा है. केन्द्र सरकार पर देष की जनता का दवाब बढने लगा कि वह चीन के साथ अपने कारोबारी रिष्ते खत्म करे. देष भर में चीनी सामान के बहिष्कार होने लगा. पूरे भारत मंे चीन के राष्ट्रपति के पुतले फंूके जाने लगे. इससे भारत सरकार पर दबाव बढने लगा. चीन के साथ विवाद की घटना 15/16 की रात को घटी पर भारत सरकार ने अपना अधिकारिक बयान 17 जून की षाम को जारी किया. इस समय तक पूरे देष में चीन के साथ संघर्ष को लेकर खबरे फैल चुकी. सोषल मीडिया पर चीन के साथ ही साथ भारत सरकार के प्रति भी लोगों का गुस्सा भडक उठा था.

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भारत सरकार के प्रति गुस्से को कम करने के लिये ही अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर के लिये भूमिपूजन के कार्यक्रम को आगे करना जरूरी हो गया. जिससे लोगों का ध्यान चीन के विवाद से हटाकर अयोध्या में भूमिपूजन की तरफ लाया जा सके. अयोध्या में रामजन्मभूमि के लिये भूमिपूजन के लिये 2 जुलाई का कार्यक्रम तय किया गया है. यह कार्यक्रम प्रातः 8 बजे से 10 बजे के बीच किया जायेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये इस कार्यक्रम में जुडेगे. भूमि पूजन के बाद वह अपना संदेष भी देगे.

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भूमि पूजन के लिये अयोध्या की मिट्टी 3 जून को को ही प्रधानमंत्री तक पहंुचा दी गई है. इसी मिटटी का पूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली मेे करेगे. यह मिटटी वहां से अयोध्या आयेगी.
अयोध्या में राममंदिर के भूमिपूजन के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर निर्माण समिति के दूसरे प्रमुख लोग उपस्थित होगे. भूमि पूजन के साथ ही साथ नींव की खुदाई का काम भी शुरू हो जायेगा. प्रधानमंत्री जी देष की जनता चीन के साथ आपके कडे कदम की प्रतीक्षा कर रही है. सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के 56 इंच के सीने की माप पर सवाल खडे हो रहे है. भूमिपूजन से पहले भूमि का बचाव जरूरी है.

जातीय और संप्रदायिक  संधर्ष  में  भेदभाव

उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ जिलो में एक जैसी दो घटनाओं में पुलिस की काररवाई अलग अलग रही. जौनपुर की घटना संप्रदायिक  थी तो वहां सरकार ने तेजी दिखाई और प्रतापगढ की घटना में सवर्ण और पिछडों के बीच झगडा था तो वहां सरकार ने पिछडों के साथ न्याय नहीं किया. इसको लेकर योगी सरकार की सहयोगी अनुप्रिया पटेल सरकार से खफा है.

तो विपक्षी बसपा की नेता मायावती जौनपुर की साम्प्रदायिक घटना में योगी सरकार की करवाई से खुश है. योगी सरकार जिस तरह से साम्प्रदायिक और जातीय संघर्ष को लेकर दोहरी नीति पर चल रही है उस पर सवाल उठने लगे है.

पटेल वर्ग के  पिछडी जाति के लोगों के प्रति अन्याय को देखते हुये भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल (एस) की नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पीडितों से मुलाकात की और कहा कि ‘पुलिस ने एक पक्षीय काम किया है.’ अपना दल एस के विधायक और योगी सरकार में मंत्री जयप्रकाश सिंह ‘जैकी’ और विधायक राजकुमार पाल भी साथ थे.

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अनुप्रिया पटेल के सामने ही वहां के लोगों ने सरकार के विरोधी नारे लगाये. अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार के विरोध में कुछ नहीं कहा और पुलिस पर सारा दोष मढ दिया. सरकार विरोधी नारों के विषय में अनुप्रिया पटेल ने कहा कि ‘सरकार विरोधी नारे जनता की भावना को दिखा रहे थे’.

मायावती की तारीफ से गदगद योगी सरकार प्रतापगढ. की घटना पर योगी सरकार की सहयोगी अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल भले ही खुश ना हो पर जौनपुर की घटना में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार ने तारीफ की. इसको लेकर भाजपा गदगद है. इसकी वजह यह है कि जौनपुरमामले में सरकार ने जो कदम उठाये मायावती के समर्थन से उसको मजबूती मिल गई.

योगी सरकार पर दलित उत्पीडन के मामलों में कडे कदम ना उठाये जाने के  आरोप खत्म हो गये मायावती के बयान से पूरे देश में यह संदेश गया कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दलित उत्पीडन की घटनाओं पर बहुत तेजी से काम करती है. मायावती इसके पहले भी योगी सरकार को क्लीन चिट देती रही है. प्रवासी मजदूरों के मामले में योगी सरकार की जगह कांग्रेस को दोष दिया.

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सहारनपुर में हुई दलित सवर्ण हिंसा में भी मायावती ने दलितों की तरफ से कोई आवाज नहीं उठाई थी. इस बात को लेकर मायावती की आलोचना हुई. नोटबंदी और बेरोजगारी जैसे मुददो पर मायावती ने भाजपा से अधिक कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने का काम किया. ऐसे  में भाजपा के लिये खुशी की बात है कि बसपा नेता उनके साथ खडी दिखाई देती है. वैसे तो उत्तर प्रदेश में विधानसभा में चुनाव के समय मायावती ने दलित और मुसलिम बिरादरी को सबसे अधिक टिकट चुनाव लडने के लिये देकर दलित-मुसलिम गठजोड की हिमायत की थी.

जौनपुर की घटना में जिस तरह से मायावती ने योगी सरकार की तारीफ की उससे भूमिका समझ में नहीं आ रही हैसरकार ने दिखाई तेजी जौनपुर की घटना 9 जून की है. सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के भद गांव में बच्चों के बीच आम तोडने  से शुरू हुए आपसी विवाद का मामला दो वर्गों के संघर्ष तक जा पहुंचा. मामला इतना बढ. गया की दोनों वर्गों में काफी देर तक भिड़ंत हुई.

मामला सिर्फ हमले तक ही नहीं रुकाहमलावरों द्वारा अनसूचित जाति की बस्ती में पहले तोड़फोड़ की गई फिर बस्ती के घरों में आग लगा दी गई. दलितों की बस्ती को 500 लोगों की हमलावर भीड. ने जला दियादलितों के घरों में पहले तोड.फोड. की गई और फिर बस्ती को आग लगा दी गई. इससे दलितों के मवेशी भी मारे गए. इस तरह बेघर होने साथ-साथ उनके समक्ष आजीविका का भी संकट खडा हो गया.

इस मामले में  मामले में पुलिस ने 58 नामजद और 100 अज्ञात आरोपियों को खिलाफ मुकदमा दर्ज  किया है. पुलिस ने इस मामले में समाजवादी पार्टी (एसपी) के नेता जावेद सिद्दीकी सहित 35 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दियामुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए दलितों का घर जलाने के सभी आरोपियों के खिलाफ तत्काल एनएसए के तहत मुकदमा दर्ज करने के साथ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए.

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इस प्रकरण में बरती गई लापरवाही पर गंभीर रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसएचओ के खिलाफ तत्काल विभागीय कार्र वाई करने के आदेश दिए हैं सीएम के निर्देश के चंद मिनट बाद ही एसएचओ संजीव मिश्रा को लाइनहाजिर कर दिया गयापूरो मामले को योगी सरकार की स्पेशल अफसरों की ‘टीम 11’ ने अपन े स्तर पर देखना शुरू किया गया. सीएम योगी ने राज्य डीजीपी को निर्देश दिया कि जातीय और सांप्रदायिक हिंसा एसपी और एसएसपी जिम्मेदार होगे.

मुख्यमंत्री योगी ने पीडित परिवारों के नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से की सहायता की घोषणा की. घटना का जायजा लेने वाराणसी मंडल के आयुक्त दीपक अग्रवाल और आइजी मीणा भी पहुंचे सरकार की नीयत पर सवाल जौनपुर में सरकार की तेजी और प्रतापगढ में सरकार के काररवाई पर सवाल खडे हो रहे है.

लोकमोर्चा के संयोजक अजीत सिंह यादव व सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मैग्स से अवार्डी संदीप पांडेय का कहना है कि ‘जौनपुर जिले के  सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के भदेठी गांव में बच्चों के विवाद में हिंसा को साम्प्रदायिक रंग देकर नफरत की राजनीति की जा रही है.

घटना के वायरल वीडियो को देखने पर मुसलमानों पर हरिजनों की मढ़ई में आगजनी के आरोप संदेह के घेरे में आ गए हैं. हाईकोर्ट  के जज की निगरानी में भद हिंसा मामले की निष्पक्ष जांच हो‘ लोकमोर्चा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने जौनपुर के भद गांव में स्थानीय लोगों से  बातचीत कर घटना की जांच की थीरिपोर्ट  के आधार पर अजीत सिंह और संदीप पांडेय ने कहा कि भदेठी मामले को लेकर पुलिस की यह कहानी संदिग्ध प्रतीत होती है कि 300 से अधिक मुस्लिम पक्ष के लोगों ने हरिजन बस्ती पर हमला कर मढ़हियों में आग लगा दी.

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इतनी बडी संख्या में भीड हमला करती तो घायलों की संख्या बहुत अधिक होती. घटना के वायरल वीडियो में मात्र 8-10 युवक दिखाई दे रहे हैं और उनका पहनावा मुसलमानों ज ैसा नहीं दिखता. वीडियो में एक आदमी आग लगाने के कृत्य को स्वीकार करता हुआ सुनाई देता है और कहता है कि उसने आग लगाकर गलती की. जाहिर है.

आगजनी की घटना मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए अंजाम दी गई अजीत सिंह और संदीप पांडेय कहते है कि ‘संघ -भाजपा और खुद मुख्यमंत्री योगी ने मामले को साम्प्रदायिक रंग देकर ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए इसे एक अवसर के बतौर लिया है. भय और आत  पैदा करने के लिए बेगुनाहों पर फर्जी मुकदमें लाद कर जेल भेजने के बाद आनन फानन में उनपर गैंगेस्टर एक्ट और एनएसए लगाने का एलान मुख्यमंत्री योगी ने किया है.

घटनाक्ररम के अनुसार 9 जून को जौनपुर जनपद में सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के भद गांव की हरिजन बस्ती में मुस्लिम पक्ष के कुछ लड़के गए थे. हरिजन पक्ष के बच्चों से मामूली बात को लेकर कहासुनी हो गई थी. विवाद बढ़ जाने पर दोनों पक्ष आपस में भिड. गए और मारपीट शुरू हो गई.

इसमें मुस्लिम पक्ष के जैद, प्लावर, नवीद समेत 6 व हरिजन पक्ष के तीन बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. परिजनों ने घायलों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया. इसके बाद एक समुदाय के 300 से अधिक लोगों आरोप लगा कि उन्होने हरिजन बस्ती पर हमला करके आधा दर्जन मडहों को आग के हवाले कर दियाअजीत सिंह और संदीप पांडेय सवाल उठाते कहते है कि ‘इतने बडें हमले में न किसी को चोट आई और न कोई घायल हुआ इससे भी इस कहानी पर संदेह पैदा होता है’.

पुलिस प्रशासन ने बिना किसी निष्पक्ष जांच के एकतरफा कार्यवाही की और 58 नामजद और 100 अज्ञात पर गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर 38 लोगों को जेल भेज दिया. पुलिस आतंक के  चलते गांव के मुसलमान घरों को छोड कर भाग गए है.

पुलिस प्रशासन भाजपा के  इतने दबाब में है कि गंभीर तौर पर घायल 6 मुस्लिम युवकों की कोई रिपोर्ट  तक दर्ज  नहीं की गई है. जेल भेजे गए लोगों में सपा नेता जावेद सिद्दीकी भी शामिल है. जिनके  बारे में स्थानीय गांव वासियों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक विद्वेष के कारण फंसाया गया हैअजीत सिंह और संदीप पांडेय का आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी और भाजपा ने केवल साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भद  हिंसा मामले पर इतनी तेजी दिखाई है.

जबकि प्रदेश में हिंसा और अपराध की अन्य घटनाओं पर कोई संज्ञान तक नहीं लिया. प्रतापगढ़ जनपद के गोविंदपुर गांव में सवर्ण सामंती ताकतों द्वारा सत्ता के संरक्षण में पटेल बिरादरी के किसानों मजदूरों के परिवारों पर बर्बर हमला किया गया, घरों में आगजनी की गई, महिलाओ से बदसलूकी की गई.

लेकिन 8 दिन तक पीड़ितों की एफआईआर तक दर्ज  नहीं कि गई. उन्होंने मांग की है कि भद हिंसा मामले की हाईकोर्ट  के जज की निगरानी में निष्पक्ष जांच हो, बेगुनाहों पर लगे मुकदमें हटाय

जाएं उन्हें जेल से रिहा किया जाए. बेगुनाहों पर एनएसए और गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमें लगाने की

प्रक्रिया को रोका जाए. गंभीर घायल मुस्लिम युवकों की एफआईआर दर्ज  कराई जाए.

सरकार से खफा ‘अपना दल‘

एक तरफ बसपा नेता मायावती योगी सरकार से खुश है दूसरी तरफ योगी सरकार में सहयोगी अपना दल (एस) प्रतापगढ जिले मे हुये सवर्ण पिछडा झगडे में सरकार की भूमिका से खुश नहीं है. घटना अनुसार पटटी तहसीज के धूंई गांव के रामआसरे तिवारी के खेत में पडोसी गांव गोविंदपुर के नन्हें वर्मा की गाय चली गई थी. इसे लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया था. इस मामले को लेकर परसद गांव में पंचायत थी. पंचायत में धूई  प्रधान के बेटे अनिल तिवारी के  साथ पुलिस भी मौजूद थी. पंचायत में विवाद सुलझने  के बाद अनिल घर जा रहे थे. इस दौरान गोविंदपुर गांव में अफवाह फैल गई कि नन्हें वर्मा पक्ष के लोगों  ने  प्रधान पुत्र अनिल तिवारी के लोगों ने  पीट दिया है. इस पर गोविंदपुर और परसद गांव से  भारी संख्या में लोग पुहंच गये.

रास्ते में प्रधान पुत्र अनिल तिवारी पर हमला बोल दिया. उनको बचाने  के  लिए आए उनके भाई ललित तिवारी और भतीजे विवेक और अभिषेक को भी पीटा गया. गोविंदपुर गांव के  सोनलाल, रामसुख वर्मा, रमेश वर्मा समेत तीन दर्जन लोगों ने तीनों को पीटकर लहुलूहान कर दियाआरोप है कि हमलावरों ने पिटाई के दौरान उनके कीमती सामान भी छीन लिए और फायरिंग करते हुए चले गए. घायल प्रधान पुत्र अनिल तिवारी पट्टी कोतवाली पहुंचे और तहरीर दीबवाल की जानकारी होने पर पट्टी पुलिस गोविंदपुर गांव पहुंची और आठ लोगों को हिरासत में ले लिया. पुलिस उन्हें लेकर आ रही थी तभी ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला बोल दिया. लोग पुलिसकर्मियों पर पथराव करने लगे. इससे  पुलिस बैकफुट पर आ गई. सूचना पाकर एएसपी पूर्वी

सुरेंद्र द्विवेदी आठ थानों की फोर्स के  साथ गांव पहुचे हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज  कर दिया. उपद्रवियों को दौड़ा-दौड पीटाइसके बाद भी बवाली पीछे नहीं हट रहे थे. पुलिस को हालात नियंत्रित करने के  लिए फायरिंग करनी पड़ी. पुलिस ने गांव से  महिलाओं-पुरुषों समेत 24 लोगों को हिरासत में लिया. एसपी

प्रतापगढ अभिषेक सिंह ने बताया कि कुछ लोगों ने एक-दो पत्थर फेंके थे. किसी पुलिसकर्मी को चोट  नहीं आई हैं. पट्टी कोतवाली पुलिस ने बवाल के मामले में धूंई गांव के प्रधान पुत्र अनिल तिवारी की तहरीर पर गोविंदपुर गांव के सोन, रामसुख वर्मा, रमेश वर्मा समेत 12 नामजद और

पचास अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज  किया हैपट  जाति के लोगों में अंसतोष था कि सवर्णो के मुकाबले उनकी बात नहीं सुनी गईउनके प्रति अन्याय हुआ. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल (एस) की

नेता और पूर्व केंन्द्ररीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पीडितों से मुलाकात की और महिलाओं से बात करने को बाद कहा कि ‘पुलिस ने एक पक्षीय काम किया है.’ अपना दल एस के विधायक और योगी सरकार में मंत्री जयप्रकाश सिंह ‘जैकी’ और विधायक राजकुमार पाल भी साथ थे. अनुप्रिया पटेल के सामने ही वहां के लोगों ने सरकार के विरोधी नारे लगाये.

सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस: कृति सेनन ने लगाई सोशल मीडिया पर लोगों की क्लास

बॉलीवुड एक्टर कृति सेनन अपने को स्टार सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद काफी परेशान हैं. उन्हें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि सुसांत सिंह इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए जा चुके हैं.

अदाकारा कृति सेनन ने अपना दुख सोशल मीडिया पर बयां किया है. कृति सेनन ने अपने पोस्ट पर लिखा है कि सोशल मीडिया एक दम घुटने वाली नकली जगह है. अगर आपने सोशल मीडिया पर आरआइपी नहीं लिखा इसका मतलब कि आप सबसे ज्यादा गलत है. इसका मतलब यह नहीं कि वह पब्लिकली अपनी हर भावना को बताया लेकिन पर्सनली उन्हे भी इस बात का बहुत ज्यादा दुख है.

इन सभी चीजों को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि असली दुनिया झूठी बन चुकी है और सोशल मीडिया असली दुनिया बन चुकी है. कुछ मीडिया के लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सच में अपना आपा खो दिया है.

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ऐसे बुरे वक्त में भला कोई कैसे कह सकता है कि आप लाइव आइए कमेंट कीजिए. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें क्या न करें.

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कार का विंडो खटखटाते हैं और कहते हैं कि मैडम शीशा नीचे करों आपका एक फोटो लेना है भला कोई ऐसे कैसे कर सकता है किसी के अंतिम संस्कार में कोई शामिल होने जा रहा है और आप ऐसे व्यवहार करते हैं कितना बुरा लगता है सुनकर और देखकर.

 

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There are a lot of thoughts crossing my mind.. A LOT! But for now this is all i wanna say!??

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कृप्या आप अपने अंदर थोड़ी सी मानवता रखिए. इससे आपका और हमारा दोनों का भला होगा. कृति सेनन और सुशांत सिंह राजपूत एक-दूसरे के साथ अच्छा बॉन्ड शेयर करते हैं. साथ ही उनकी बहन नपुर सेनन भी सुशांत के साथ अच्छा बॉन्ड शेयर करती थीं. कम वक्त में ही सुशांत की दोस्ती कृति और नुपुर से अच्छी हो गई थी.

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हालांकि कुछ वक्त पहले कृति और सुशांत के रिलेशनशिप की खबरे आ रही थीं. लेकिन कुछ वक्त बाद पता चला कि कृति के साथ इनका ब्रेकअप हो गया है. दोनों हमेशा अच्छे दोस्त थे.

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सुशांत के सुसाइड पर ट्रोल होने के बाद करण जौहर ने उठाया ये चौका देने वाला कदम

बॉलीवुड निर्माता करण जौहर ने एक बेहद ही चौकाने वाला कदम उठाया है. जिसे देखकर सभी लोग हैरान है. फिल्म निर्माता करण जौहर , आलिया भट्ट और भी कई तमाम स्टार्स पर लगातार सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं.

फैंस ने करण जौहर को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया है. वहीं आलिया भट्ट,सोनम कपूर , एकता कपूर को भी  सुशांत के फैंस ने खूब खरी- खोटी सुनाई है. इस बात पर अभी तक आलिया भट्ट और करण जौहर का कोई बयान नहीं आया है. लेकिन जो उन्होंने किया है. उससे साफ –समझ आ रहा है कि उनके पर भी लोगों का दबाव समझ आ रहा है.

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निर्माता निर्देशक करण जौहर ने ट्विटर पर हजारों लोगों को अनफॉलो किया है. इस वक्त उन्होंने सिर्फ 8 लोगों को ही सोशल मीडिया पर फॉलो कर रखा है. जिसमें पीएम मोदी, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अक्षय कुमार और भी चार लोग धर्मा प्रोडक्शन से जुड़े है.

इस बात से साफ समझ में आ रहा है कि कहीं न कही इस खबर से करण जौहर आहात है. जबकी इससे पहले उन्होंने कई सेलिब्रिटी के अकाउंट को उन्होंने ऑनफॉलो किया है.

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एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन पर लोगों पर उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि  ये दिल तोड़ देने वाला है हमारे पास बेहतरीन यादें हैं जो हमने साथ निभाई है. जब तक मुझे पता चला तब बहुत देर हो चुकी थी. सिर्फ और सिर्फ यादें ही बची थी.

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इतना ही नहीं उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर इतना बड़ा पोस्ट लिखकर खुद को सुशांत सिंह का दोषी बताया था. उन्होंने लिखा था मैं पिछले कई साल से तुम्हारे संपर्क में नहीं था लेकिन मुझे लगता था कि तुम्हारे जिंदगी में कुछ लोगों की जरुरत है. जो शायद सिय पर तुम्हारा साथ नहीं दे पाएं और तुम सभी को बिना कुछ बताए छोड़कर चले गए.

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