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Crime Story: गलती गुरतेज की

गुरतेज सिंह के 2 और भाई थे. ये सभी बठिंडा के थाना संगत के गांव मुहाला के आसपास रहते थे. गुरतेज भाइयों से अलग रहता था. उस के पास पैसा भी था और रुतबा भी. शादी के 2 सालों बाद ही वह एक बेटे का बाप बन गया था.

वह सुबह खेती के काम के लिए निकल जाता तो शाम को ही लौटता था. पतिपत्नी एकदूसरे से बहुत खुश थे. लेकिन एक दिन गुरतेज के एक दोस्त ने उसे जो बताया, उस से इस घर की खुशियों में ग्रहण लगना शुरू हो गया. गुरतेज के उस खास दोस्त ने बताया था कि उस ने जसप्रीत भाभी को एक लड़के के साथ शहर के बाजार में घूमते देखा था. लेकिन गुरतेज को उस की बातों पर विश्वास ही नहीं हुआ.

लेकिन यही बात कुछ दिनों बाद किसी दूसरे दोस्त ने बताई तो गुरतेज सोचने को मजबूर हो गया कि दोनों दोस्तों को एक जैसा धोखा नहीं हो सकता.

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इसलिए शाम को घर लौट कर उस ने जसप्रीत से इस बारे में पूछा तो उस ने खिलखिला कर हंसते हुए कहा, ‘‘लगता है, आप के दोस्त भांग पी कर घूमते हैं, इसीलिए आप से बहकीबहकी बातें करते हैं. आप खुद ही सोचिए, मैं आप के बगैर शहर क्या करने जाऊंगी?’’

जसप्रीत के इस जवाब से गुरतेज लाजवाब हो गया. लेकिन यह धोखा नहीं था. इस के 10 दिनों बाद की बात है. यही बात एक रिश्तेदार ने गुरतेज से कही तो घर में झगड़ा होना स्वाभाविक था, जबकि जसप्रीत का अब भी वही कहना था, जो उस ने पहले कहा था.

जसप्रीत की बातों से गुरतेज को लगता कि वही गलत है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सच है और कौन झूठा? लेकिन एक बात तय थी कि कोई न कोई तो झूठ बोल रहा था. काफी सोचनेविचारने के बाद भी गुरतेज को इस समस्या का कोई हल नजर नहीं आया. इसी तरह ऊहापोह में कुछ दिन और बीत गए, इस बार उस के छोटे भाई जगतार ने एक दिन उस से कहा, ‘‘भाई, आप होश में आ जाइए, कहीं ऐसा न हो कि पानी सिर के ऊपर से गुजर जाए और आप को इस की खबर तक न लगे.’’

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इस बार भाई जगतार ने जसप्रीत के बारे में खबर दी तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि सभी सच थे, झूठ जसप्रीत ही बोल रही थी. इसलिए उस दिन गुरतेज ने सख्ती से काम लिया. उस ने जसप्रीत को खूब डांटाफटकारा.

इस के बाद पतिपत्नी दोनों ही सतर्क हो गए. जसप्रीत जहां घर से बाहर निकलने में सावधानी बरतने लगी, वहीं गुरतेज गुपचुप तरीके से उस पर नजर रखने के साथ पड़ोसियों से उस के बारे में पूछता रहता था. इस से गुरतेज को पता चल गया कि उस के खेतों पर जाने के बाद कोई लड़का उस के घर आता है. उस के आने के बाद जसप्रीत बेटे को किसी पड़ोसी के घर छोड़ कर उस लड़के के साथ चली जाती है.

वह लड़का कौन था, यह कोई नहीं जानता था. इस से साफ हो गया कि जसप्रीत के किसी लड़के से संबंध हैं. इस बारे में गुरतेज ने जसप्रीत से कुछ नहीं पूछा. दरअसल, वह उसे रंगेहाथों पकड़ना चाहता था, इसलिए एक दिन घर से वह खेतों पर जाने की बात कह कर गांव में ही छिप गया.

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करीब एक घंटे बाद एक टाटा 407 टैंपो आ कर रुका. उस में से एक लड़का उतर कर गांव की ओर चला गया. गुरतेज ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि इस तरह लोगों के रिश्तेदार अपनी गाडि़यों से आते रहते थे. लेकिन जब कुछ देर बाद टैंपो स्टार्ट होने लगा तो उस ने झांक कर देखा. लड़के के साथ टैंपो में जसप्रीत बैठी थी.

गुरतेज मोटरसाइकिल से टैंपो के पीछेपीछे चल पड़ा, लेकिन वह टैंपो का पीछा नहीं कर सका. कुछ दूर जा कर टैंपो उस की आंखों से ओझल हो गया. कुछ देर वह सड़क पर खड़ा सोचता रहा, उस के बाद घर लौट आया. घर के अंदर कदम रखते ही उस का दिमाग चकरा गया, क्योंकि जसप्रीत घर में बैठी बेटे को खाना खिला रही थी. उसे देख कर गुरतेज की बोलती बंद हो गई.

उस ने सोचा था कि जसप्रीत यार से मिल कर लौटेगी तो वह पूछेगा कि कहां से आ रही है? पर उस ने अपनी आंखों से जो देखा, वह भी झूठा हो गया था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे, उस ने उसे खुद टैंपो में बैठ कर जाते देखा था. यह धोखा कैसे हो गया? गुरतेज के पास अब कहने को कुछ नहीं बचा था, इसलिए वह खामोश रह गया.

लेकिन उस ने जसप्रीत का पीछा करना नहीं छोड़ा. आखिर एक दिन उस ने जसप्रीत को बाजार में एक लड़के के साथ घूमते देख लिया. दोनों उस से कुछ दूरी पर थे. वहां भीड़ थी. गुरतेज के वहां पहुंचने तक लड़का तो गायब हो गया, पर जसप्रीत खड़ी रह गई. अब जसप्रीत के पास अपनी सफाई में कहने को कुछ नहीं था.

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गुरतेज ने घर आ कर जसप्रीत की जम कर पिटाई की, लेकिन उस ने प्रेमी का नाम बताना तो दूर, यह भी नहीं माना कि उस के साथ बाजार में कोई था. लेकिन अब गुरतेज को सच्चाई का पता चल गया था. इसलिए पतिपत्नी में क्लेश रहने लगा. घर में रोजाना लड़ाईझगड़ा और मारपीट आम बात हो गई.

आखिर एक दिन गुरतेज को कुछ बताए बगैर जसप्रीत बेटे को छोड़ कर घर से भाग गई. लेकिन वह अपने किसी प्रेमी के साथ नहीं भागी थी, अपने पिता के घर गई थी. हालांकि जसप्रीत के पिता ने उसे काफी समझाया, पर उस ने उन की एक नहीं सुनी. पिता के घर कुछ दिन रहने के बाद वह अपनी बड़ी बहन के पास बाड़ी गांव चली गई.

दरअसल, जसप्रीत बहन के यहां कुछ दिन रह कर अपने प्रेमी के साथ भाग जाना चाहती थी. लेकिन उस की बहन को न जाने कैसे इस बात का पता चल गया. उस ने यह बात अपने पति को भी बता दी. उन लोगों ने सोचा कि अगर जसप्रीत उन के घर से भागती है तो उन की बदनामी तो होगी ही, साथ ही लोग यही कहेंगे कि जसप्रीत को उन्हीं लोगों ने भगाया है.

यही सोच कर उन्होंने गुरतेज को अपने गांव बुलाया और पतिपत्नी में समझौता करा दिया. गुरतेज जसप्रीत को ले कर गांव आ गया. जसप्रीत ने भी पति से माफी मांगी और वादा किया कि अब वह कभी वैसी गलती नहीं करेगी. पतिपत्नी फिर पहले की ही तरह रहने लगे. जिंदगी की गाड़ी एक बार फिर से पटरी पर दौड़ने लगी.

27 जुलाई, 2017 की रात आम दिनों की तरह गुरतेज और जसप्रीत ने साथसाथ रात का खाना खाया. बेटा पहले ही खाना खा कर सो गया था. खाना खाते ही गुरतेज को बहुत जोर से नींद आ गई तो वह जा कर बैड पर लेट गया. वह पिछले एक सप्ताह से देख रहा था कि खाना खाते ही उसे नींद आ जाती है. लेकिन उस ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

बहरहाल, खाना खा कर वह सो गया. सुबह 4 बजे के करीब उस की आंख खुली तो उसे लगा कि उस का सिर भारीभारी है. वह बिस्तर पर चुपचाप पड़ा रहा. तभी उसे किसी के हंसने और बातें करने की आवाजें सुनाई दीं. उस ने ध्यान लगा कर सुना तो उन की आवाजों के साथ चूडि़यों के खनकने की भी आवाजें आ रही थीं.

अब उस से रहा नहीं गया. वह बैड से उठा. कमरे से बाहर आ कर उस ने जो देखा, उस से उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. गुस्सा और उत्तेजना से उस का पूरा शरीर कांपने लगा. सामने आंगन में बिछी चारपाई पर जसप्रीत एक लड़के के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी. उस दृश्य ने उसे आकाश की ऊंचाइयों से उठा कर पाताल में झोंक दिया था. वही क्या, उस की जगह कोई भी होता, उस का यही हाल होता.

गुरतेज कमरे में गया और दीवार पर टंगी लाइसेंसी बंदूक उतारी और आंगन में पड़ी चारपाई के पास पहुंच कर उस ने बिना कुछ कहे एक गोली जसप्रीत की छाती में तो दूसरी गोली उस के यार को मार कर दोनों को मौत के घाट उतार दिया.

पत्नी और उस के प्रेमी को मौत के घाट उतार कर गुरतेज ने यह बात दोनों भाइयों, गुरप्रीत सिंह और जगतार सिंह को बता दी. इस के बाद इधरउधर भागने के बजाय उस ने थाना पुलिस को फोन कर के कहा कि उस ने अपनी पत्नी और उस के प्रेमी को गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया है. पुलिस आ कर उन की लाशें बरामद कर के उसे गिरफ्तार कर ले. वह घर में बैठा पुलिस का इंतजार कर रहा है.

इस के बाद गुरतेज ने अपने छोटे भाई जगतार से नाश्ता बनवाने तथा बेटे को संभालने को कहा. इस के बाद नहाधो कर घर के आंगन में कुरसी डाल कर बैठ कर पुलिस का इंतजार करने लगा.

सचना मिलते ही थाना संगत के थानाप्रभारी इंसपेक्टर परमजीत सिंह एसआई सुरजीत सिंह, हवलदार जसविंदर सिंह, सिपाही राकेश कुमार, तारा सिंह, तेज सिंह, महिला सिपाही चरनजीत कौर और कर्मजीत कौर को साथ ले कर गांव मलीहा पहुंच गए.

गुरतेज आंगन में कुरसी डाले बैठा था. बाहर गांव वालों की भीड़ लगी थी. वहीं चारपाई पर जसप्रीत और उस के प्रेमी की रक्तरंजित निर्वस्त्र लाशें पड़ी थीं. परमजीत सिंह ने लाशों पर चादर डलवा कर सारी काररवाई कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया.

गुरतेज सिंह उर्फ तेजा को हिरासत में ले कर थाने आ गए. उस के बयान के आधार पर अपराध संख्या 174/2017 पर आईपीसी की धारा 302 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. उसी दिन उसे जिला मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस के बाद परमजीत सिंह ने जसप्रीत के साथ मारे गए उस के प्रेमी के बारे में पता किया तो पता चला कि उस का नाम गुरप्रीत सिंह था. वह गांव मिडू खेड़ा के रहने वाले दिलवीर सिंह का बेटा था. वह टैंपो चलाता था. करीब 2 सालों से जसप्रीत कौर से उस के अवैध संबंध थे.

दोनों शादी करना चाहते थे, वे शादी करते, उस के पहले ही गुरतेज ने उन्हें खत्म कर दिया. लेकिन यहां गलती गुरतेज ने भी की. बेशर्म पत्नी और उस के प्रेमी को मार कर उन्हें क्या मिला, वह तो हत्या के आरोप में जेल चले गए. शायद उन्हें सजा भी हो जाए. ऐसे में उन का घर तो बरबाद हुआ ही, बेटा भी अनाथ हो गया.     ?

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Nutrition Special: फलों का जादू न सिर्फ वजन घटाए बल्कि सेहत भी बनाए

फल हमारी सेहत के लिये काफी लाभकारी होते हैं.फलों मे जादू की शक्ति होती है इन के सेवन से आप अपना वजन बढ़ा भी सकते हैं और घटा भी सकते हैं . लेकिन इस बात को जानते हुए भी आप  जंक फ़ूड जैसे पिज्जा ,बर्गर ,चाऊमीन,चिप्स के लिये क्रेजी होते हैं .जिस कारण आपका शरीर मोटा होता जाता है और अंदर से खोखला व बीमार. इसलिये अगर आप स्वस्थ रहना चाहते है. तो इन फलों को  रोजाना अपनी डाइट मे शामिल करें और खुद स्वस्थ व सेहतमंद बनें.

नियमित रूप  से फलों के सेवन से हमारे हमारे शरीर मे नमी बनी रहती है. और ये शरीर में  बिमारीयों से लड़ने की  क्षमता को  बढ़ाते  हैं. पाचन क्रिया को मजबूत बनाते हैं और वजन घटाने में फलों का जवाब नहीं. फलों मे मौजूद फाइबर्स ,एंटीऔक्सीडेंट, विटामिन हमारा वजन घटाने में मदद करते हैं. यही नहीं फलों  के सेवन से दुबले पतले लोग मोटे भी हो सकते हैं. क्योंकि कुछ फलों मे हाई कैलोरीज होती हैं. जो वजन बढ़ाने मे मदद करती है.

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फल जो वजन घटाएं 

  1. आड़ू

आड़ू गर्मियों का फल है. इसमे 80%फाइबर और पानी पाया जाता है और कैलोरीज बहुत कम मात्रा  मे होती हैं. इसमे विटामिन सी भी भरपूर मात्रा मे पाया जाता हैं जो एंटीऔक्सीडेंट की तरह काम करता है. और चिंकू  इम्यून सिस्टम के लिये भी अच्छा होता है .

2. तरबूज

इसमें 92 प्रतिशत पानी होता है.  इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर और एंटीऔक्सीडेंट होते हैं. विटामिन सी, ए और लाइकोपीन अच्छी मात्रा में होते हैं. इस फल से आप 33 प्रतिशत तेजी से वजन घटा सकते हैं.

3.  सेब

सेब लाल और हरे दोनों ही रंगों में पाया जाता है लेकिन लाल सेब काफी आसानी से मिल जाता है. सेब विटामिन सी के गुणों से भरपूर होता है. लाल सेब में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं. इसके सेवन से भूख कम लगती है व पाचन क्रिया को मजबूत करता है.

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4. एवोकेडो

एवोकेडो में ओमेगा 9 फैटी एसिड की काफी मात्रा पायी जाती है. यह फैट को ऊर्जा में बदलता है व मेटाबौलिज्म को भी मजबूत बनाता है. एवोकेडो के अलावा ओमेगा 9 फैटी एसिड औलिवऔयल व नट्स में भी पाया जाता है.

 फल जो वजन बढ़ाएं 

5. केला

केले मे 108 कैलोरी होती हैं जो 17.5 ग्राम कार्बोहायड्रेट के बराबर होती हैं. केले मे ग्लूकोज़ ,ऊर्जा,प्रोटीन और विटामिन होते हैं, जो लोग दूध के साथ केला खाते  हैं.  उनका वजन तेजी से बढ़ता हैं.

6. चिंकू

चिंकू  में कार्बोहाइड्रेट और शर्करा की मात्रा सबसे अधिक होती है. इसमे  प्रोटीन,फास्फोरस, आयरन और विटामिन ए और सी का अच्छा स्त्रोत है.

7. सूखे एप्रीकोट

स्वादिष्ट होने के कारण अक्सर लोग इसे थोड़ा थोड़ा करके काफी सारा खा लेते हैं यह कैंडी की तरह होता है. इसमें फ्रक्टोज होता है. फ्रक्टोज का ज्यादा सेवन वजन बढ़ाता है.

8. अंगूर

अंगूर मे कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा  में होता है इसलिये हरे अंगूर वजन बढ़ाने मे सहायक होते हैं.

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सावधानी से करें कीटनाशक रसायनों का इस्तेमाल

आमतौर पर कीटनाशी विष बहुत ही घातक होते हैं. इन का इस्तेमाल व रखरखाव बेहद सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि जरा सी असावधानी होने पर बड़ा जोखिम उठाना पड़ सकता है. कीटनाशकों का असावधानी से व अंधाधुंध इस्तेमाल करने से इनसान, मित्र कीटों, पालतू जानवरों व पेड़पौधों के साथसाथ पर्यावरण पर भी घातक प्रभाव पड़ता है. कीटनाशकों का लगातार इस्तेमाल करने से कीटों में कीटनाशियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है व मित्र कीटों की संख्या में कमी आ जाती है नतीजन घातक कीटों की संख्या बढ़ जाती है और उन को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है.कीटनाशी हवा व पानी को भी खराब करते हैं, जिस से इनसानों व दूसरे जीवजंतुओं को नुकसान होता है. लिहाजा कीटनाशियों का उचित प्रयोग व रखरखाव बहुत जरूरी है वरना ये पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं.

कीटनाशियों के जहर को समझ कर सावधानीपूर्वक उन का इस्तेमाल कर के छिड़काव करने वाला अपनेआप को बचा सकता है.

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कीटनाशक हमारे शरीर में सांस द्वारा, त्वचा द्वारा और आंखों के द्वारा पहुंच कर अपना जहरीला असर दिखाना शुरू कर देते हैं.

कीटनाशकों के इस्तेमाल के समय नाक पर मास्क न लगा कर हवा की दिशा के विपरीत छिड़काव करने से व कीटनाशी रखे बंद कमरे में घुसने से कीटनाशी सांस द्वारा हमारे शरीर में घुस जाते हैं. कीटनाशी का छिड़काव या बुरकाव करते समय मुंह पर मास्क न लगाने, खानेपीने या धूम्रपान करने से कीटनाशी शरीर में पहुंच जाते हैं. हवा की दिशा के विपरीत रह कर छिड़काव या बुरकाव करने से या लापरवाही से कीटनाशी हमारे शरीर में आंखों द्वारा भी घुस जाते हैं.

किसानों को कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से पहले, छिड़काव के दौरान व छिड़काव के बाद निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए :

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* नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क कर के कीटों व नुकसान आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करें व उन के द्वारा बताए गए कीटनाशी की तय मात्रा ही खरीदें.

* कीटनाशी अच्छी व भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें.

* सीलबंद कीटनाशी ही खरीदें और पैकेट या डब्बे पर लगी सील को अच्छी तरह से जांच लें.

* ज्यादा जहरीले और सरकार द्वारा प्रतिबंधित कीटनाशकों को नहीं खरीदना चाहिए.

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* डब्बे या पैकेट पर दर्ज इस्तेमाल की तारीख निकल जाने के बाद कीटनाशी को नहीं खरीदना चाहिए.

* आवश्यकतानुसार ही कीटनाशी खरीदना चाहिए.

* कीटनाशी खरीदते समय डब्बे को अच्छी तरह से देख लेना चाहिए कि वह कहीं से टूटा तो नहीं है या उस में लीकेज तो नहीं है.

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* कीटनाशी को खाद्य पदार्थों, चारा व दूसरे घरेलू सामानों के साथ नहीं ले जाना चाहिए.

* दवा खरीदते समय दुकानदार से उस का बिल जरूर लेना चाहिए.                  ठ्ठ

भंडारण और सावधानियां

*      कीटनाशियों को खानेपीने की चीजों के पास नहीं रखा जाना चाहिए.

*      कीटनाशक दवाओं को इनसानों व पशुओं के काम आने वाली दवाओं के साथ भी नहीं रखा जाना चाहिए.

*      कीटनाशियों को बच्चों व पालतू जानवरों की पहुंच से दूर ही रखा जाना चाहिए.

*      कीटनाशियों को ऐसे कमरे में रखना चाहिए, जिस में धूप व हवा की अच्छी व्यवस्था हो.

*      इस्तेमाल के बाद डब्बों को अच्छी तरह से बंद कर देना चाहिए.

छिड़काव से पहले की सावधानियां

* कीटनाशक दवाओं को कभी भी नंगेहाथों से नहीं छूना चाहिए.

* कीटनाशियों का प्रयोग करते समय पैकिंग को खुली हवा में ही खोलना चाहिए.

* पानी में दवा की सही मात्रा को  ही मिलाना चाहिए.

* पैकिंग खोलते समय दवा लीक नहीं होनी चाहिए.

* छिड़काव के लिए खुली व हवादार जगह पर मिश्रण तैयार करना चाहिए.

* मिश्रण तैयार करने के लिए गहरे बरतन को इस्तेमाल करना चाहिए. हमेशा डंडे की मदद से हिलाते हुए मिश्रण तैयार करें.

* 2 या अधिक कीटनाशक एकसाथ नहीं मिलाने चाहिए.

* घोल बनाने के लिए खानेपीने में इस्तेमाल होने वाली चीजों का प्रयोग न करें.

* छिड़काव से पहले स्प्रेयर में पानी भर कर उस के लीकेज की जांच कर लेनी चाहिए.

* घोल बनाने के बाद हाथपैरों को साबुन से धो लेना चाहिए.

छिड़काव के दौरान सावधानियां

* छिड़काव करते समय छिड़काव करने वाले आदमी के साथ एक आदमी और होना चाहिए.

* छिड़काव करते समय सुरक्षा के लिए चश्मा, मास्क, जूते व कवच वगैरह का प्रयोग करना चाहिए.

* छिड़काव करने वाला व्यक्ति स्वस्थ होना चाहिए और उस के शरीर पर किसी प्रकार का कोई घाव नहीं होना चाहिए.

* छिड़काव सुबह या शाम को, जब हवा पूरी तरह से शांत हो तब ही करना चाहिए. तेज हवा में छिड़काव नहीं करना चाहिए.

* बच्चों को छिड़काव करने वाली जगहों पर नहीं आने देना चाहिए.

* छिड़काव करते समय खयाल रखें कि कीटनाशी त्वचा, आंख व मुंह पर न गिरे.

* छिड़काव करते समय कुछ खानापीना नहीं चाहिए.

* कीटनाशी का छिड़काव हमेशा हवा के बहाव की दिशा में ही करना चाहिए.

* छिड़काव यंत्र के बंद नोजल (नली) को खोलने के लिए कभी भी मुंह से फूंक नहीं मारनी चाहिए.

* छिड़काव करते समय यदि कपड़े दवा से गंदे हो जाएं तो तुरंत कपड़े बदल लेने चाहिए.

* छिड़काव करते समय ध्यान रखना चाहिए कि कीटनाशी का रिसाव नहीं हो रहा हो, क्योंकि इस से महंगे कीटनाशी की बरबादी के साथसाथ छिड़काव करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य व पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है.

* छिड़काव करने के बाद कुछ देर आराम करना चाहिए.

* छिड़काव के दौरान छिड़काव करने वाले को चक्कर आने या अस्वस्थ होने पर छिड़काव बंद करवा कर उसे जल्दी से जल्दी डाक्टर के पास पहुंचाना चाहिए और कीटनाशी का लेबल भी साथ में ले कर जाना चाहिए.

छिड़काव के बाद सावधानियां

* बची हुई दवा को अच्छी तरह से पैक कर के स्टोर में पहुंचा देना चाहिए.

* खाली डब्बों को सुरक्षित स्थान पर जला कर नष्ट कर देना चाहिए.

* घोल बनाने वाले बरतन व छिड़काव यंत्र (स्पे्रयर) को अच्छी तरह से पानी से साफ कर के ही स्टोर में रखना चाहिए.

* छिड़काव के समय पहनी गई टोपी, मोजे, जूते, मास्क व चश्मे आदि को पानी से धो कर ही रखना चाहिए.

* छिड़काव करने के बाद साबुन से अच्छी तरह से नहाना चाहिए और छिड़काव के समय पहने गए कपड़ों को अलग से अच्छी तरह से साबुन से धोया जाना चाहिए.

कृषि रसायनों के गलत इस्तेमाल से कई बार घटनाएं घटित हो जाती हैं. लिहाजा ऊपर बताई गई बातों को ध्यान में रखते हुए ही कीटनाशियों का छिड़काव किया जाए तो काफी हद तक इन के हानिकारक असर से बचा जा सकता ह

भगवा ब्रिगेड के निशाने पर अब खेती-किसानी

मोदी सरकार द्वारा किसानों को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के नाम पर संसद में पास किए गए तीनों विधेयक आजादी के बाद देश की खेतीकिसानी और नागरिकों की खाद्य सुरक्षा पर अब तक के  भीषण हमले हैं. नोटबंदी, जीएसटी के पार्ट 2 के रूप में रेलवे, एयरपोर्ट, एनर्जी, दूरसंचार जैसे सैक्टर को अडानी, अंबानी के निजी हाथों सौंप कर  जनता की जेब पर डाका डालने की साजिश की जा रही  है. फसलों के सही दाम न मिलने और खेती में बढ़ रहे घाटे से  आत्महत्या करने को मजबूर  अन्नदाता किसान  को राहत देने के बजाय उन्हें कौर्पोरेट घरानों के जरिए छलने की कोशिश की जा रही है.

एक समय था जब काशी बनारस में पंडेपुजारियों की एक कोरियर सर्विस सीधे स्वर्ग से चलती थी, जिस में धर्मांध लोगों को सशरीर स्वर्ग भेजा जाता था.  इतिहास के पन्नों में दर्ज जानकारी के अनुसार, काशी के पंडे भारी रकम ले कर बेवकूफ लोगों को पकड़ कर उन्हें बुर्ज पर चढ़ा देते थे. वहां कुछ मंत्र पढ़ कर यह कह कर नीचे कुदा देते थे कि यहां मरने वाला सीधे स्वर्ग जाता है. औरंगजेब के जमाने में जब इस की शिकायत मिलने पर जांच की गई तो पता चला कि दानदक्षिणा देने के बाद स्वर्गारोहण के लिए आतुर भक्त  बुर्ज पर करवट ले कर नीचे  जिस कुंए में दाखिल होता था, उस में तलवारों  और खंजरों  की चरखी लगी रहती थी, जो उस के टुकड़ेटुकड़े कर उसे गंगा की मछलियों का आहार बना देती थी. उसी बीच, जोरजोर से बजते ढोलतासे, झांझमंजीरों की तेज आवाजें मरने वालों की चीखपुकार को शोर में दबा देती थीं.

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किसान-मजदूर की राजनीति करने वाले नेता बादल सरोज तंज  कसते हैं कि देश की खेतीकिसानी के लिए ठीक इसी तरह की काशी करवट का एक प्रबंध नरेंद्र मोदी सरकार करने जा रही है. काशी करवट का यह मोदी मौडल 3 जून को मोदी कैबिनेट द्वारा आननफानन पारित किए वे 3 अध्यादेश हैं जिन्हे  5 जून को राष्ट्रपति ने ठप्पा लगा कर जारी कर दिया. पालतू व सरकार का पिछलग्गू मीडिया और आरएसएस  की भगवा ब्रिगेड इन अध्यादेशों को किसानी की कायापलट करने वाला बताने में जुट गए. भगवा ब्रिगेड के वे नेता, जिन्हें खेतीकिसानी से कोई सरोकार नहीं है, टीवी चैनलों की डिबेट में इन अध्यादेशों को किसानों की कायापलट करने का जादुई करिश्मा बताने लगे.

कृषि उपज मंडी और एमएसपी का पिंडदान

ताज़ा कानून किसानों के उत्पाद की खरीद को सूदखोर व्यापारियों के हवाले कर सही दाम मिलने की गारंटी को  खत्म करने की बात कर रहा है. धर्म और पाखंड के भगवा रंग में रंगे राजनीतिक पंडा चाहते हैं कि कृषि उपज मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य का पिंडदान जल्द हो जाए.

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व्यापार तथा वाणिज्य (प्रोत्साहन) तथा सरलीकरण अध्यादेश 2020 किसानों की उपज की सीधी खरीद की पूरी छूट देता है.  भगवा ब्रिगेड के पंडे बता रहे हैं कि इस का फायदा किसान को होगा. पंजाब, हरियाणा के गांव का किसान चेन्नई और नरसिंहपुर जिले का किसान बैंगलुरु जा कर अपनी फसल बेच सकेगा. जिस किसान को अपने गांव से कृषि उपज मंडी तक फसल को ले जाने के लिए ट्रैक्टरट्रौली का जुगाड़ करना पड़ता हो, उसे दूसरे राज्यों में फसल बेचने का सपना दिखाया जा रहा है. मध्यप्रदेश के रमपुरा गांव के किसान पृथ्वीराज सिंह कहते हैं, “”खाद,  बीज और यूरिया की लाइन में लगने वाले गरीब लाचार किसान को  बैंगलुरु और चेन्नई की मंडियों में फसल बेचने का झांसा देना किसान के साथ एक बेहूदा मजाक के सिवा कुछ नहीं है.”

इस कानून का असली मतलब यह है कि बड़े आढ़तिए और कौर्पोरेट कंपनियां अब सीधे गांव  जा कर फसल खरीद सकेंगी. वे देशभर में कहीं भी जा कर खरीदारी कर सकेंगी. वे धनबल के दम पर उपज खरीदी पर अपना एकाधिकार बना लेंगी. उस के बाद किसानों की लूट का आलम क्या होगा, यह पिछली पीढ़ी जानती है कि किस तरह सूदखोर व्यापारी किसानों को अपने फंदे में फंसाता था और औनेपौने दाम पर सारी उपज  खरीद लेता था. प्राकृतिक आपदा की मार पड़ने पर  यही व्यापारी  ऊंची ब्याज दरों पर उन्हें कर्ज दे कर धीरेधीरे उन की यानी किसानों की जमीन भी हड़प जाता था.

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60 के दशक में जा कर इसे कुछ हद तक बदला गया.  किसानों के वोटों के जरिए चुनी कृषि उपज मंडियां बनाने, फसल को मंडी प्रांगण में बोली लगा कर  अधिकतम कीमत पर बेचने और सही कीमत न मिलने पर सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के बंदोबस्त हुए.

हालांकि इस सिस्टम  पर जितना प्रभावी अमल होना चाहिए था, नहीं हुआ,  मगर  2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने वाली सरकार ने इस  अध्यादेश से फसल बेचने की  इस बचीखुची गुंजाइश को ही पूरी तरह समाप्त कर देने के बीज बो दिए हैं. इस अध्यादेश, जो अब कानून बन गया है, की नीयत क्या है, इसे इस के 2 प्रावधानों से समझा जा सकता है.

कानून के अनुसार, इस तरह की खरीदारी करने वाली कंपनियों और व्यापारियों पर किसी भी तरह  का टैक्स नहीं लगाया जाएगा और उन की खरीदारी में होने वाले घपले या बेईमानी को ले कर कोई विवाद उत्पन्न होता है तो राज्य सरकारें उस में कुछ नहीं कर सकेंगी.  नौकरशाह उन विवादों का समाधान करेंगे और वह भी केंद्र सरकार के निर्देशों के आधार पर कर सकेंगे.

सरकार की मंशा साफ है कि कृषि के राज्य का विषय होने के बावजूद न राज्य की  भूमिका होगी, न ही लोकतांत्रिक तरीकों से निर्वाचित राज्य सरकारों की कोई हैसियत होगी.

इस अध्यादेश की धारा 4 में कहा गया है कि किसान को पैसा 3 कार्य दिवसों में दिया जाएगा. किसान का पैसा फंसने पर उसे दूसरे मंडल या प्रांत में बारबार चक्कर काटने होंगे. न तो 2-3 एकड़ जमीन वाले किसान के पास फसलों के पैसे पाने की ताकत है और न ही वे इंटरनैट पर अपना सौदा कर सकते हैं. यही कारण है कि हम इस का विरोध कर रहे हैं.

ठेका खेती को जीवनदान  के साथ खुला मैदान 

 दूसरा कानून,  मूल्य आश्वस्ति तथा कृषि सेवाओं संबंधी किसानों का (सशक्तीकरण तथा संरक्षण) समझौता अध्यादेश 2020  पूरे देश में ठेका खेती लाने की  वकालत करता है.  इस का कितना विनाशकारी व दूरगामी असर होगा, इसे अंगरेजी राज के तजर्बों और 18वीं सदी में जबरिया कराई गई नील की उस खेती के अनुभव से समझा जा सकता है, जिस के नतीजे में लाखों एकड़ जमीन के बंजर होने और 2 अकालों के रूप में इस देश ने देखे और भुगते  हैं.

इस में राज्य सरकारों के पास  ठेका खेती की अनुमति देने या न देने का विकल्प भी नहीं है. उन का काम आंख बंद कर के केंद्र सरकार के हुक्म को लागू करना है. कंपनियों और ठेका खेती कराने वाले धनपतियों की सुरक्षा व संरक्षण के ऐसेऐसे प्रावधान इस अध्यादेश में किए गए हैं जो शायद ही किसी और मामले में हों. अध्यादेश के मुताबिक, कंपनी की किसी भी गड़बड़ी या उस के और किसान के बीच उत्पन्न विवाद पर अदालतें सुनवाई तक नहीं कर सकेंगी.  जो भी करेगा वह कलैक्टर और एसडीएम जैसा नौकरशाह करेगा और वह भी वही करेगा जैसा करने के निर्देश उसे सीधे केंद्र सरकार द्वारा दिए जाएंगे.  रायसेन जिले के छबारा गांव के किसान धर्मेंद्र धाकड़ कहते हैं, “पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम, कलैक्टर जैसे राजस्व महकमे के लोग किसानों की जमीनजायदाद के बंटवारे जैसे कामों को बिना घूस लिए  नहीं करते, उन से किसानों के हितों की अपेक्षा नहीं की जा सकती.”

जमाखोरीमुनाफाखोरी, कालाबाजारी की खुली इजाजत

भगवा ब्रिग्रेड के तीसरे कानून में फसलों  की जमाखोरी, दाम तय करने की मनमानी और कालाबजारी को कानूनी इजाजत देने का काम किया गया है. मोदी सरकार किसानों की  लूट से कौर्पोरेट कंपनियों और व्यापारियों को कराए जाने वाले मुनाफे व कमाई को पर्याप्त नहीं मानती.  इसलिए वह एक और अध्यादेश आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश 2020  भी ले कर आई है.  यह किसी को भी कितनी भी तादाद में अनाज और खाद्यान्न की जमाखोरी करने की छूट देता है. यह अध्यादेश जिस कानून को हटाता है वह आवश्यक वस्तु कानून इसलिए लाया गया था ताकि मुनाफाखोर सस्ते में खाद्यान्न खरीद कर उस की जमाखोरी न कर सकें.  नकली कमी और किल्लत पैदा कर अपने गोदामों में जमा माल की कालाबाजारी न कर सकें और जनता को भुखमरी का शिकार न होना पड़े.

मोदी सरकार ने इसे हटा कर गोदाम में स्टौक जमा करने की सीमा ही समाप्त कर दी है. जमाखोरी करने की छूट कंपनी, आढ़तिए, ट्रांसपोर्टर्स, थोक व्यापारी और यहां तक कि कोल्ड स्टोरेज मालिकों सहित सब को दे दी है.  यह छूट अनाज, दाल, तिलहन, तेल, आलू और प्याज पर लागू होगी. लगता है कि किसान को लूटने के बाद अब आम नागरिकों की थाली पर सरकार की नजर है.

जमखोरी, मुनाफाखोरी को छुट्टा छोड़ने के मामले में यह अध्यादेश बाकी दोनों अध्यादेशों से भी दो कदम आगे है. यह खुद सरकार के हस्तक्षेप की भी सीमा बांधता है और कहता है कि जमाखोरी की सीमा तय करने के बारे में सरकार तभी विचार कर सकती है जब जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं, जैसे आलू, प्याज, तेल आदि की कीमतों के दाम 100 प्रतिशत और खाद्यान्नों के दाम 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जाएं. इस सीमा में बढ़ते हैं, तो सब चंगा है.

कुल मिला कर आपदा को अवसर में बदलने का जुमला किसानों पर आजमाया जा रहा है. चुनावों में भगवा ब्रिगेड को चंदे का इंतजाम करने वाले घरानों के इशारों पर अन्नदाता किसान की मुश्किल कम करने के बजाय और बढ़ाई जा रही है. बहरहाल, नागरिकता संशोधन कानून की तरह इन अध्यादेशों का देश के कोनेकोने में जिस ढंग से विरोध हो रहा है, वह किसान की चिंता को  साफतौर पर जाहिर कर रहा है.

पिछले 3 हफ्तों से मुझे बुखार है,पेशाब के साथ कुछ उजला डिस्चार्ज भी होता है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल
पिछले 3 हफ्तों से 99 से 100 डिग्री के बीच बुखार रहा है. पेशाब के साथ कुछ उजला डिस्चार्ज भी होता है. पैथोलौजिस्ट ने पेशाब में संक्रमण की शंका जाहिर की है. मुझे क्या करना चाहिए?

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जवाब
आप की मूत्रनली में संक्रमण की आशंका लगती है. आप की बीमारी के लक्षण उतने खराब नहीं हैं. इसलिए कल्चर टैस्ट के लिए पेशाब दे कर रिपोर्ट का इंतजार किए बगैर इलाज शुरू कर दें. इलाज के आलावा भी काफी सावधानियां बरतनी होंगी. जैसेकि 24 घंटों में कम से कम डेढ़ लिटर पानी पीना, हर बार पेशाब करने के बाद जननांग को अच्छी तरह साफ करना और गौल ब्लैडर को यथासंभव खाली रखना.

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अजाबे जिंदगी -भाग 1 : क्या एक औरत होना ही कुसूर था नईमा का

जीवनशाह चौराहे के दाईं ओर की लंबी सी गली के उस पार कच्ची दीवारों और खपरैल वाले घरों का सिलसिला शुरू हो जाता है. ज्यादातर आबादी मुसलमानों की है जो अपने पुश्तैनी धंधों को कंधे पर लाद कर, सीमित आय और बढ़ती महंगाई के बीच समीकरण बैठातेबैठाते जिंदगी से चूक जाते हैं. वक्त से पहले उन के खिचड़ी हुए बाल, पोपले मुंह और झुकी हुई कमर उन की अभावोंभरी जिंदगी की दर्दनाक सचाई को उजागर करते हैं.

टिमटिमाते असंख्य तारों से भरा स्याह आकाश, पश्चिम से आती सर्द पुरवा, उस समय सहम कर थम सी जाती जब मुकीम का आटो तेज आवाज करता हुआ गली में दाखिल होता. आसपड़ोस के लोग रात के खाने से फ्री हो कर अपनेअपने दुपट्टों और लुंगी के छोर से हाथ पोंछते हुए अगरबत्ती की सींक से खाने के फंसे रेशों को दांतों से निकालने का काम फुरसत में करने लगते. अचानक बरतन पटकने और मुकीम की लड़खड़ाती आवाज की चीखचिल्लाहट, नींद से जागे बच्चों के रोने की आवाज और आखिर में नईमा को बाल खींच कर कच्चे आंगन में पटकपटक कर मारते हुए मुकीम की बेखौफ हंसी के तले दब जाती नईमा की दर्दभरी चीखें. यह किस्सा कोई एक दिन का नहीं, रोज की ही कहानी बन गया था. मांसल जिस्म की मंझोले कद वाली नईमा की रंगत सेमल की रुई की तरह उजली थी. शादी के बाद हर साल बढ़ने वाली बच्चों की पौध ने उस के चेहरे पर कमजोरी की लकीरें खींच दी थीं. अंगूठाछाप नईमा, आटो चला कर चार पैसे कमा कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर लेने वाले मुकीम को सौंप दी गई थी. 15 वर्गफुट के दायरे में सिमटी नईमा की जिंदगी नागफनी का ऐसा फूल बन कर रह गई जिसे तोड़ कर गुलदान में सजाने की ख्वाहिश एकदम बचकानी सी लगती. पूरे 10 सालों तक, हर रात शराब के भभके के बीच कत्ल की रात बनती रही और हर दिन जिंदगी को नए सिरे से जीने की आस में धीरेधीरे शबनम की तरह पिघलती रही.

गम, परेशानी, अभाव और जिल्लतों के बीच जीती नईमा शौहर के मीठे बोल को तरसती. सबकुछ समय पर छोड़ कर राहत की सांस लेने की लाख कोशिशें करती. हर रोज मुकीम की बेबुनियाद और तर्कहीन बातों को चुपचाप बरदाश्त करना, बेवजह मार खाना, जाने कितनी रातें भूखी सो जाने के बावजूद उस दिन नईमा सिर से पांव तक थरथरा गई जब सब्जी में नमक जरा सा कम होने पर मुकीम के तलाक, तलाक, तलाक के शब्दों ने कानों में सीसा घोल दिया. ‘जाहिल मुकीम ने बिना सोचेसमझे यह क्या कर दिया,’ बस्ती के समझदार मर्द और औरतें मन ही मन बुदबुदाने लगे. ‘‘औरत चाहे फूहड़ हो, बदमिजाज हो, मर्द को अगर बाप का दरजा दिला दे तो मर्द उसे हर हाल में जिंदगीभर बरदाश्त कर लेता है, लेकिन मजहबी और दुनियाबी उसूलों से अनभिज्ञ, गंवार मुकीम, तो बस नाम का ही मुसलमान रह गया,’’ बीड़ी कारखाने के मालिक खालिक साहब की अलीगढ़ में पलीबढ़ी बीवी ने कहा. उस रात नईमा आंगन में बैठी रोरो कर सितारों से अपना कुसूर पूछती रही और चांद से अपने बिगड़े समय को संवारने के लिए फरियाद करती रही. मुकीम, अपने किए से बेखबर, पस्त सा, बच्चों के पायताने दिनचढ़े तक पड़ा रहा.

पौ फटते ही मसजिद से उठती अजान की आवाज सुन पड़ोसी समीर का मुरगा पंख फड़फड़ा कर बांग देने लगा. बूढ़ों की खांसखंखार शुरू हो गई और सूरज की पहली किरण के जमीन को चूमते ही मोहसिन की दादी बकरी के थन को पानी से धोते हुए नईमा को देखते ही मुंह बिचका कर बोलीं, ‘‘नासपीटी कितनी बेशरम है, रात को खसम ने तलाक दे दिया मगर यह कम्बख्तमारी मनहूस सूरत लिए अभी तक यहीं मौजूद है. कसम से, एक की जनी होती तो चली न जाती अपने पेशइमाम बाप के घर.’’ थोड़ी ही देर में नईमा के आसपास बच्चों और औरतों का जमघट सा लग गया. करीमन बूआ बोलीं, ‘‘तलाक के बाद औरत अपने मरद के घर नहीं रह सकती, मौलाना कदीर साहब ने बतलाया था तकरीर में.’’ सुनते ही गुलबानो ने चट लुकमा दिया, ‘‘तलाक के बाद भी यह खूंटे गाड़ कर बैठी है यहां. बड़ी दीदेफटी औरत है. अरे, चलोचलो, झोंटा पकड़ कर गली से निकाल बाहर करो वरना इस के लच्छन और ढिठाई देख कर हमारे घरों की बहुएं भी सिर उठाने पर आमादा हो सकती हैं.’’

3-4 तंदुरुस्त और जाहिल औरतों ने नईमा को लगभग खींचते हुए जीवनशाह चौराहे तक पहुंचा दिया. नईमा रोती रही, रहम की भीख मांगती रही लेकिन एक भी जिगर वाला मर्द या औरत नईमा की मदद के लिए आगे नहीं आया. न ही किसी ने मुकीम की बेजा हरकत का विरोध किया. इसलाम में तलाक देने का हक सिर्फ मर्द को ही दे रखा है. इंसानी जज्बात का मखौल उड़ाती मर्द की करतूत ने बस्ती की हर औरत को भीतर तक कंपकंपा दिया. जाने कब किस का शौहर मुकीम का रवैया दोहरा दे. औरत की ममता, प्यार, अपनापन और वफा सब मजहबी कानूनों के हाथों में ठहरे पत्थरों के वार से बुरी तरह लहूलुहान होते रहे.

नईमा के अब्बा जीविकोपार्जन के लिए पेशइमामत के बाद बचे हुए वक्त में किले के उस पार वाले महल्ले में जा कर बच्चों को उर्दू व अरबी पढ़ा कर अपने और अपनी बूढ़ी बीवी के लिए बमुश्किल दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाते थे. नईमा और उस के 5 बच्चों का मुंह भिगोने के लिए दलिया तक जुटाना मुश्किल होने लगा. नईमा और उस की अम्मा दिनभर बीड़ी बनातीं, कभी किसी की रजाईगुदड़ी सिल देतीं. किसी के सलवारकुरते पर गोटाटिकली का काम कर के चटनीरोटी का खर्च निकाल लेतीं. 6 साल का बड़ा बेटा छिपछिप कर घर से चुराई हुई बीड़ी पीता और गुलेल से फाख्ता मारने की कोशिश में दिनभर गलीमहल्ले में फिरता रहता. बीवीबच्चों की जिम्मेदारी के सिर से हटते ही मुकीम का आटो अब अपने घर की तरफ मुड़ने के बजाय खुशीपुरा की उस गली की तरफ मुड़ जाता जहां समाज के मवाद को पैसों के बल पर ब्लौटिंगपेपर की तरह सोखा जाता है.

6 महीने की मौजमस्ती के बाद गांठ का पैसा चूकने लगा. आटोरिकशे के लिए बैंक से लिए गए कर्ज की किस्त की रकम जमा करने के लिए नोटिस आने लगे. घर खस्ता हालत में था. खुशीपुरा की दुत्कार कानों को भेदने लगी. तब मुकीम को बच्चों के चेहरे याद आने लगे. नईमा का खामोशी से उस का जुल्म सहना दिलोदिमाग को कुतरने लगा. औंधे पड़े बरतन, टूटा हुआ चूल्हा मुकीम को कोसने लगा तो वह जा कर एक मौलाना के सामने सिर झुका कर खड़ा हो गया. अपनी भूल पर पछताते हुए कोई रास्ता निकालने के लिए गिड़गिड़ाने लगा. उक्त मौलाना ने कहा, ‘‘दूसरा निकाह कर लो मियां. अच्छेखासे हट्टेकट्टे हो, आटो चलाते हो, एक अदद बीवी का पेट तो पाल लोगे.’’

‘‘मौलाना साहब, इस खड़खडि़या से 7 पेट पल ही रहे थे. एक की क्या बात है.’’ वही मर्दाना अकड़ सिर उठाने लगी ही थी कि इस सोच ने एकदम पस्त कर दिया, ‘खिचड़ी बालों वाले 5 बच्चे के बाप को कौन अपनी बेटी देगा. अभी तो बच्चे नईमा के पास हैं. दूसरा निकाह करते ही वह कोर्ट में अपील कर देगी. उन सभी का खानाखर्चा देतेदेते तो मेरी ये खड़खडि़या भी बिक जाएगी.’

‘‘तो आखिर तुम चाहते क्या हो?’’ मौलाना को गुस्सा आने लगा.

‘‘हुजूर 8-9 सालों में जितना नईमा ने मुझे बरदाश्त किया, उतना कोई दूसरी औरत नहीं करेगी. वह ही समझती है मुझे. गलती तो मुझ से हो गई. उस को ही बच्चों के साथ वापस बुलवाने का इंतजाम कर दीजिए तो एहसान मानूंगा.’’ ठोकर खाने के बाद पछतावे के आंसू मौलाना का दिल पिघलाने लगे. ‘‘हूं, एक बार और अच्छी तरह सोच लो. 15 दिनों के बाद मिलना, तब कुछ सोचेंगे,’’ टालते हुए मौलाना अपने घर की तरफ बढ़ गए थे. अजीब मुसलमान है, तलाक के नफानुकसान मालूम नहीं, बस, लठ्ठ की तरह मजलूम औरत पर ठोंक दिया ‘तलाक’. अब जख्म भरने की दवा मांगते फिर रहा है, जाहिल कहीं का. मुसलमान मजहबी उसूलों को उस रूमाल की तरह समझने लगे हैं जिस की एक तह से मुंह पोंछा जाता है और दूसरी तह से जूता साफ किया जाता है.

मुकीम रिश्तेदारों को नईमा के पास सुलह के लिए भेजने लगा. जुमालो चच्ची मुंह में जर्दे वाले पान का बीड़ा चबाते हुए नईमा के पास पहुंचीं और बोलीं, ‘‘नईमा, जो हुआ उसे भूल जा और मुकीम को माफ कर दे, अपने लिए न सही, बच्चों की खातिर माफ कर दे.’’

‘बच्चे?’ चौंकी नईमा. औरत की सब से बड़ी कमजोरी और सब से बड़ी हिम्मत बच्चे ही तो होते हैं. ये बच्चे बेबाप के न हो जाएं. लोग उन पर तलाकशुदा मां के बेलगाम बच्चे होने का फिकरा न कस दें. तिलमिलाहट में बच्चे तब क्या मेरी कुर्बानियों को सही माने में समझ पाएंगे. नहीं, नहीं, सब सह लूंगी लेकिन, बच्चों की हिकारतभरी निगाहें तो मुझे जिंदा ही जमीन में गाड़ देंगी. मुकीम शराबी, अफीमची है तो क्या हुआ, है तो मेरे बच्चों का बाप. मेरा शौहर है, मेरा वसीला है. परंपरागत और बेहद लिजलिजी सी थोपी गई सोच ने नईमा के तपते लोहे से गुस्से को माफ कर देने वाली दरिया में डाल दिया. छन्न सी आवाज के साथ धुंआ सा उठा. काला कसैला धुंआ जो सदियों से औरत के कमजोर फैसलों पर वक्त की कालिमा पोतता रहा है.

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स्टाइलिश गायिका एवं संगीतकार सोनल प्रधान और टीवी एक्टर कंवर ढिल्लन साथ नज़र आएंगे म्यूजिक वीडियो ‘याद बारिश में’

शानदार गायक एवं संगीतकार सोनल प्रधान ने अभिनेता सनी देओल की ब्लैंक, निर्देशक विक्रम भट्ट की माया -2 और ज़ख़्मी तथा जीत गांगुली की  नींदें में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. अब, स्टाइलिस्ट गायक संगीतकार एक और ब्लॉकबस्टर संगीत वीडियो में अभिनय करने के लिए तैयार हैं, जिसका शीर्षक ‘याद बारीश में’ है.

टीवी एक्टर कंवर ढिल्लों और सोनल प्रधान पहली बार ‘याद बारिश में ’ म्यूजिक वीडियो में नज़र आएंगे. दिलचस्प बात ये हैं की, कंवर के पहले गीत में प्रतिभाशाली गायक सोनल प्रधान उनके साथ हैं. प्रधान ने पहले भी कई ब्लॉकबस्टर प्रदर्शन दिए हैं.  अब इस संगीत वीडियो में ‘याद बारिश में’ शीर्षक से, दर्शक सोनल के अलग रूप को देखेंगे.

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सूत्रों के अनुसार “सोनल और कंवर सबसे रोमांटिक जोड़ी हैं और उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री को पूरी तरह से एक नए स्तर पर लेकर जायेगी.” आगे कहते हुए, “यह एक रोमांटिक गाना है और सोनल को वह करने का मौका दिया जो उसे सबसे ज्यादा पसंद है! गाना मुम्बई में फिल्माया गया है, इस वीडियो की शूटिंग महामारी के कारण बिल्कुल अलग थी. कोविड -19 महामारी के बीच टीम ने मास्क पहनने सहित सभी आवश्यक सावधानी बरती. शूट कम से कम क्रू मेंबर और बहुत ही सख्त प्रोटोकॉल में समाप्त हुई.”

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गायक संगीतकार सोनल प्रधान ने कहाँ “एक अभिनेता के रूप में मेरा पहला संगीत वीडियो होने के नाते, मैं शूटिंग से पहले थोड़ा घबरा गयी थी. लेकिन, निर्देशक सचिन (गुप्ता) सर और सह-अभिनेता कंवर ढिल्लों पूरे शूटिंग में बहुत सहायक थे, इस वजह से मैं सहज महसूस कर रही थी और मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ शॉट देने की पूरी कोशिश की है. यह मेरे लिए एक यादगार अनुभव था!”

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सोनल प्रधान ने म्यूजिक वीडियो के गाने को गाया हैं तथा संगीतबद्ध किया गया है. गीतकार अन्नू ने गाने को लिखा हैं.  रोमांटिक गाने का निर्देशन सचिन गुप्ता ने किया है.

बहू से पहले सास हो जाएगी प्रेग्नेंट, इस सीरियल की कहानी है अलग

सास – बहू के नोक- झोंक पर बनी यह सीरियल ‘हमारी वाली गुड न्यूज’ अगले महीने ऑनएयर होने जा रही है. इस सीरियल की खास बात यह है कि इस सीरियल के मेकर्स कुछ नया प्रयोग करने वाले हैं. दरअसल, इस शो में दिखाया जाएगा की सास प्रेग्नेंट होगी औऱ बहू उनकी देखभाल करेगी.

इस शो का प्रसारण 20 अक्टूबर से जीटीवी पर शुरू होगा. यह शो सोमवार से शनिवार शाम 7.30 बजे प्रसारित किया जाएगा.

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वहीं सूत्रों से खबर यह भी आ रही है कि इस शो की कहानी आगरा के तिवारी परिवार की कहानी है. यह स्टोरी सच्ची घटना पर बनाई गई है. तिवारी परिवार के लोग अपने घर में बहू और बेटे से गुड न्यूज सुनने के लिए तैयार हैं तभी कहानी में ट्विस्ट आ जाता है कि  बहू की जगह सास प्रेग्नेंट हो जाती है और वह अपनी बहू को नीचा देखाने की कोशिश करने लगती है.

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बता दें इस सीरियल में सृष्टि जैन बहू नव्या का रोल अदा कर रही हैं. तो वहीं टीवी जगत की जानी मानी कलाकार जूही परमार रेणुका यानी सास के किरदार में नजर आएंगी. इन दोनों के अलावा भी इस सीरियल में कई चेहरे देखने को मिलेंगे.

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भले ही टीवी जगत में यह नया हो रहा है लेकिन सिनेमा जगत में इस तरह की एक फिल्म आ चुकी है. जिसमें अहम रोल में आयुष्मान खुराना थे तो वहीं नीना गुप्ता सास के रूप में प्रेग्नेंट हुई थी. इस फिल्म का नाम है ‘बधाई हो’ दर्शकों ने इस फिल्म को खूब एजॉय किया था. इस फिल्म में दिखाया गया था कि दादी बनने के उम्र में मां बच्चा पैदा करती है.

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