किसी भी समाचारपत्र या पत्रिका को उठा कर देख लीजिए, उस में विभिन्न बीमारियों के उपचार हेतु नुस्खे अवश्य छपे होते हैं. ये नुस्खे साधारण स्वास्थ्य समस्याओं से ले कर गंभीर बीमारियों तक में आजमाए जाते हैं. क्या ये घरेलू नुस्खे वाकई दवा का काम कर सकते हैं?

घरेलू नुस्खे पूरी तरह बकवास नहीं होते. उन में दम अवश्य होता है. वे बीमारी का निदान नहीं कर पाते, लेकिन उन में थोड़ाबहुत लाभ अवश्य पहुंचा सकते हैं. लेकिन घरेलू नुस्खों की पुस्तक पढ़ कर अपने स्तर पर इलाज करना उचित नहीं है. डाक्टर, वैद्य का काम उन्हें ही करने दें. खुद अपने डाक्टर बनने की कोशिश न करें.

कुछ लोग दोचार किताबों में घरेलू नुस्खे पढ़ कर अपनेआप को डाक्टर या वैद्य मानने लगते हैं और फिर दूसरों को नुस्खे सुझाते रहते हैं. हर व्यक्ति की तासीर या प्रकृति अलगअलग होती है, इसलिए कोई एक नुस्खा हर व्यक्ति पर फिट नहीं बैठ सकता या कारगर नहीं हो सकता.

घरेलू नुस्खों का आधार पेड़पौधे, फूल, उन की जड़, बीज, गुठली होता है या फिर घरेलू मसाले जैसे हलदी, सौंफ, जीरा, इलायची, लौंग, अजवाइन आदि. फल, सब्जियों और वनस्पति से जुड़े घरेलू नुस्खे भी कुछ कम नहीं हैं.

जड़ीबूटियों, भस्म, रसायन, चूर्ण, मिट्टी आदि से जुडे़ नुस्खे भी बहुत हैं. लेकिन कोई भी नुस्खा बिना विशेषज्ञ की सलाह के आजमाना ठीक नहीं है.

घरेलू नुस्खे किसी भी शोधपरीक्षण का नतीजा नहीं होते. दादादादी से सुनी बातें या अखबारों में छपे नुस्खे आजमा कर क्या कोई बीमार व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है? कभी नहीं. घरेलू नुस्खे भले ही तात्कालिक राहत प्रदान करते हों लेकिन बीमारी का उपचार पूरा करने में समर्थ नहीं होते.

किसी भी बीमारी का इलाज अकेले घरेलू नुस्खों से होना संभव नहीं है. बीमारी है तो उस की जड़ में जाना होगा. जब तक उस के मूल कारण का पता नहीं लगाया जाता, उपचार कैसे संभव है? चिकित्सा विज्ञान के अंतर्गत आज बीमारी के उपचार से पूर्व गहन जांच और परीक्षण किए जाते हैं ताकि बीमारी किस स्टेज पर है, इस का पता लगाया जा सके. खूनपेशाब की जांच, एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआई और अन्य जांचों के जरिए बीमारी की जड़ तक पहुंचा जाता है.

कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिन में घरेलू नुस्खों पर निर्भर रहने से उन की गंभीरता या जटिलता बढ़ जाती है. कुछ बीमारियों में तो ताउम्र दवा लेनी ही पड़ती है. यदि इन दवाओं को त्याग कर घरेलू नुस्खों से उपचार करने की कोशिश करेंगे, तो व्यक्ति की जान ही चली जाएगी.

डायबिटीज में घरेलू नुस्खे मन समझाने की चीज हैं. इन नुस्खों के दम पर डायबिटीज ठीक नहीं हो सकती. यदि कोई व्यक्ति दवाओं को छोड़ कर इन नुस्खों पर निर्भर रहता है, तो उस की ब्लडशुगर खतरनाक स्तर पर पहुंच सकती है. डायबिटीज की दवा आमतौर पर नियत समय पर ताउम्र लेनी पड़ती है.

कुछ घरेलू नुस्खे ब्लडप्रैशर नियंत्रित करने के लिए भी होते हैं. लेकिन क्या ये नुस्खे किसी भी व्यक्ति के ब्लडप्रैशर को सामान्य बनाए रखने में कारगर हो सकते हैं? कभी नहीं. यदि हाई ब्लडप्रैशर की समस्या है, तो बुद्धिमानी इसी में है कि घरेलू नुस्खों के चक्कर में न पड़ते हुए डाक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवाएं लें और समयसमय पर अपना ब्लडप्रैशर चैक कराते रहें.

आमतौर पर हाई ब्लडप्रैशर की दवाएं ताउम्र चलती हैं. यदि दवाओं को नजरअंदाज कर किसी घरेलू नुस्खे को अपनाया तो हार्टअटैक आ सकता है, ब्रेन हेमरेज हो सकता है या लकवा मार सकता है. सो, ब्लडप्रैशर का घरेलू नुस्खों से उपचार न करें.

हृदय रोग यानी हार्ट डिजीज में घरेलू नुस्खों का कोई रोल नहीं होता. यदि हृदय में कोई खराबी है, कोई नलिका बंद है या धड़कन असामान्य है, या हार्ट वाल्व में छेद है, तो घरेलू नुस्खों से ये समस्याएं कभी दूर नहीं हो सकतीं. बेहतर होगा कि हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखा कर अपना इलाज कराएं.

कोई भी घरेलू नुस्खा थायराइड का सफलतापूर्वक उपचार नहीं कर सकता. यह हार्मोन से जुड़ी बीमारी है. यदि जरूरी हुआ तो ताउम्र दवाएं लेनी पड़ सकती हैं. दवाओं से ही वह नियंत्रित रहती है.

हाई कोलैस्ट्रौल कई समस्याओं को जन्म दे सकता है. कोई भी घरेलू नुस्खा इस का रामबाण इलाज नहीं है. यदि आप को मालूम है कि आप को हाई कोलैस्ट्रौल की शिकायत है, तो घरेलू नुस्खे से उस के उपचार करने की भूल न करें.

कुछ नुस्खे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के उपचार के भी मिलते हैं. दुनिया में कोई भी घरेलू नुस्खा ऐसा नहीं है जिस से कैंसर ठीक हो या उस के बढ़ने, फैलने को रोका जा सके. यदि ऐसा संभव होता, तो दुनियाभर के कैंसर हौस्पिटल में ताला लग गया होता. बेहतर होगा कि कैंसर की शुरुआत में ही विशेषज्ञ से इलाज कराएं, न कि घरेलू नुस्खे के चक्कर में पड़ें, वरना जान से हाथ धोना पड़ सकता है.

महिलाओं की माहवारी की समस्या के लिए भी लोग घरेलू नुस्खे लिए हाजिर रहते हैं. यही नहीं, बारबार गर्भपात होने से रोकने हेतु भी घरेलू नुस्खे बताए जाते हैं. लेकिन, जब तक उचित उपचार नहीं कराएंगे तो माहवारी नियमित कैसे होगी या गर्भ कैसे रुकेगा.

कब्ज, एसिडिटी, बवासीर आदि पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए ढेरों घरेलू नुस्खे पढ़ने में आते हैं. यही बात पुरुषों की यौन संबंधी समस्याओं जैसे नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि के बारे में लागू होती है. महिलाओं में श्वेत प्रदर या अन्य यौनरोग हेतु भी घरेलू नुस्खे देखे जा सकते हैं. लेकिन इन में से कितनों का रोग दूर हुआ? शायद एक का भी नहीं.

आमतौर पर ये घरेलू नुस्खे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति की आड़ में बताए या सुझाए जाते हैं.

कोई भी डाक्टर या वैद्य सिर्फ घरेलू नुस्खों से उपचार नहीं करता. आयुर्वेद में भी कई छोटीमोटी बीमारियों का इलाज है, लेकिन घरेलू नुस्खों में नहीं.

प्राकृतिक चिकित्सा भी चिकित्सा की एक पद्धति है. लोग सुनेसुनाए या पढ़े हुए घरेलू नुस्खे बता कर स्वयं को चिकित्सक बताने पर तुले रहते हैं. लेकिन कोई भी अकेला नुस्खा बीमारी का उपचार नहीं कर सकता.

कुछ लोगों को किसी खाद्यपदार्थ विशेष से एलर्जी होती है या रिऐक्शन हो सकता है. ऐसे में यदि सुझाए गए नुस्खे में प्रयुक्त किसी चीज से उसे एलर्जी या रिऐक्शन हुआ तो लेने के देने पड़ सकते हैं. तब, ऐसे व्यक्ति को संभालना मुश्किल होता है.

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