आमतौर पर कीटनाशी विष बहुत ही घातक होते हैं. इन का इस्तेमाल व रखरखाव बेहद सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि जरा सी असावधानी होने पर बड़ा जोखिम उठाना पड़ सकता है. कीटनाशकों का असावधानी से व अंधाधुंध इस्तेमाल करने से इनसान, मित्र कीटों, पालतू जानवरों व पेड़पौधों के साथसाथ पर्यावरण पर भी घातक प्रभाव पड़ता है. कीटनाशकों का लगातार इस्तेमाल करने से कीटों में कीटनाशियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है व मित्र कीटों की संख्या में कमी आ जाती है नतीजन घातक कीटों की संख्या बढ़ जाती है और उन को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है.कीटनाशी हवा व पानी को भी खराब करते हैं, जिस से इनसानों व दूसरे जीवजंतुओं को नुकसान होता है. लिहाजा कीटनाशियों का उचित प्रयोग व रखरखाव बहुत जरूरी है वरना ये पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं.

कीटनाशियों के जहर को समझ कर सावधानीपूर्वक उन का इस्तेमाल कर के छिड़काव करने वाला अपनेआप को बचा सकता है.

ये भी पढ़ें- पौष्टिकता से भरपूर राजगिरा

कीटनाशक हमारे शरीर में सांस द्वारा, त्वचा द्वारा और आंखों के द्वारा पहुंच कर अपना जहरीला असर दिखाना शुरू कर देते हैं.

कीटनाशकों के इस्तेमाल के समय नाक पर मास्क न लगा कर हवा की दिशा के विपरीत छिड़काव करने से व कीटनाशी रखे बंद कमरे में घुसने से कीटनाशी सांस द्वारा हमारे शरीर में घुस जाते हैं. कीटनाशी का छिड़काव या बुरकाव करते समय मुंह पर मास्क न लगाने, खानेपीने या धूम्रपान करने से कीटनाशी शरीर में पहुंच जाते हैं. हवा की दिशा के विपरीत रह कर छिड़काव या बुरकाव करने से या लापरवाही से कीटनाशी हमारे शरीर में आंखों द्वारा भी घुस जाते हैं.

किसानों को कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से पहले, छिड़काव के दौरान व छिड़काव के बाद निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए :

ये भी पढ़ें- पुराने बागों को नया बनाएं मुनाफा बढ़ाएं

* नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क कर के कीटों व नुकसान आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करें व उन के द्वारा बताए गए कीटनाशी की तय मात्रा ही खरीदें.

* कीटनाशी अच्छी व भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें.

* सीलबंद कीटनाशी ही खरीदें और पैकेट या डब्बे पर लगी सील को अच्छी तरह से जांच लें.

* ज्यादा जहरीले और सरकार द्वारा प्रतिबंधित कीटनाशकों को नहीं खरीदना चाहिए.

ये भी पढ़ें- पपीते से  बना पपेन काम  का

* डब्बे या पैकेट पर दर्ज इस्तेमाल की तारीख निकल जाने के बाद कीटनाशी को नहीं खरीदना चाहिए.

* आवश्यकतानुसार ही कीटनाशी खरीदना चाहिए.

* कीटनाशी खरीदते समय डब्बे को अच्छी तरह से देख लेना चाहिए कि वह कहीं से टूटा तो नहीं है या उस में लीकेज तो नहीं है.

ये भी पढ़ें- पेरी अरबन एग्रीकल्चर शहर और गांव के बीच पनपता नया किसान

* कीटनाशी को खाद्य पदार्थों, चारा व दूसरे घरेलू सामानों के साथ नहीं ले जाना चाहिए.

* दवा खरीदते समय दुकानदार से उस का बिल जरूर लेना चाहिए.                  ठ्ठ

भंडारण और सावधानियां

*      कीटनाशियों को खानेपीने की चीजों के पास नहीं रखा जाना चाहिए.

*      कीटनाशक दवाओं को इनसानों व पशुओं के काम आने वाली दवाओं के साथ भी नहीं रखा जाना चाहिए.

*      कीटनाशियों को बच्चों व पालतू जानवरों की पहुंच से दूर ही रखा जाना चाहिए.

*      कीटनाशियों को ऐसे कमरे में रखना चाहिए, जिस में धूप व हवा की अच्छी व्यवस्था हो.

*      इस्तेमाल के बाद डब्बों को अच्छी तरह से बंद कर देना चाहिए.

छिड़काव से पहले की सावधानियां

* कीटनाशक दवाओं को कभी भी नंगेहाथों से नहीं छूना चाहिए.

* कीटनाशियों का प्रयोग करते समय पैकिंग को खुली हवा में ही खोलना चाहिए.

* पानी में दवा की सही मात्रा को  ही मिलाना चाहिए.

* पैकिंग खोलते समय दवा लीक नहीं होनी चाहिए.

* छिड़काव के लिए खुली व हवादार जगह पर मिश्रण तैयार करना चाहिए.

* मिश्रण तैयार करने के लिए गहरे बरतन को इस्तेमाल करना चाहिए. हमेशा डंडे की मदद से हिलाते हुए मिश्रण तैयार करें.

* 2 या अधिक कीटनाशक एकसाथ नहीं मिलाने चाहिए.

* घोल बनाने के लिए खानेपीने में इस्तेमाल होने वाली चीजों का प्रयोग न करें.

* छिड़काव से पहले स्प्रेयर में पानी भर कर उस के लीकेज की जांच कर लेनी चाहिए.

* घोल बनाने के बाद हाथपैरों को साबुन से धो लेना चाहिए.

छिड़काव के दौरान सावधानियां

* छिड़काव करते समय छिड़काव करने वाले आदमी के साथ एक आदमी और होना चाहिए.

* छिड़काव करते समय सुरक्षा के लिए चश्मा, मास्क, जूते व कवच वगैरह का प्रयोग करना चाहिए.

* छिड़काव करने वाला व्यक्ति स्वस्थ होना चाहिए और उस के शरीर पर किसी प्रकार का कोई घाव नहीं होना चाहिए.

* छिड़काव सुबह या शाम को, जब हवा पूरी तरह से शांत हो तब ही करना चाहिए. तेज हवा में छिड़काव नहीं करना चाहिए.

* बच्चों को छिड़काव करने वाली जगहों पर नहीं आने देना चाहिए.

* छिड़काव करते समय खयाल रखें कि कीटनाशी त्वचा, आंख व मुंह पर न गिरे.

* छिड़काव करते समय कुछ खानापीना नहीं चाहिए.

* कीटनाशी का छिड़काव हमेशा हवा के बहाव की दिशा में ही करना चाहिए.

* छिड़काव यंत्र के बंद नोजल (नली) को खोलने के लिए कभी भी मुंह से फूंक नहीं मारनी चाहिए.

* छिड़काव करते समय यदि कपड़े दवा से गंदे हो जाएं तो तुरंत कपड़े बदल लेने चाहिए.

* छिड़काव करते समय ध्यान रखना चाहिए कि कीटनाशी का रिसाव नहीं हो रहा हो, क्योंकि इस से महंगे कीटनाशी की बरबादी के साथसाथ छिड़काव करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य व पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है.

* छिड़काव करने के बाद कुछ देर आराम करना चाहिए.

* छिड़काव के दौरान छिड़काव करने वाले को चक्कर आने या अस्वस्थ होने पर छिड़काव बंद करवा कर उसे जल्दी से जल्दी डाक्टर के पास पहुंचाना चाहिए और कीटनाशी का लेबल भी साथ में ले कर जाना चाहिए.

छिड़काव के बाद सावधानियां

* बची हुई दवा को अच्छी तरह से पैक कर के स्टोर में पहुंचा देना चाहिए.

* खाली डब्बों को सुरक्षित स्थान पर जला कर नष्ट कर देना चाहिए.

* घोल बनाने वाले बरतन व छिड़काव यंत्र (स्पे्रयर) को अच्छी तरह से पानी से साफ कर के ही स्टोर में रखना चाहिए.

* छिड़काव के समय पहनी गई टोपी, मोजे, जूते, मास्क व चश्मे आदि को पानी से धो कर ही रखना चाहिए.

* छिड़काव करने के बाद साबुन से अच्छी तरह से नहाना चाहिए और छिड़काव के समय पहने गए कपड़ों को अलग से अच्छी तरह से साबुन से धोया जाना चाहिए.

कृषि रसायनों के गलत इस्तेमाल से कई बार घटनाएं घटित हो जाती हैं. लिहाजा ऊपर बताई गई बातों को ध्यान में रखते हुए ही कीटनाशियों का छिड़काव किया जाए तो काफी हद तक इन के हानिकारक असर से बचा जा सकता ह

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...