लेखक- प्रकाश पुंज
सौजन्य- मनोहर कहानियां
13अगस्त, 2020 की सुबह रुद्रपुर जिले के गांव रामबाग का रहने वाला भवतोष मंडल घूमने के लिए घर से निकला. वह सड़क पर पहुंचा तो उस की नजर करनैल सिंह के ट्यूबवैल पर जा कर ठहर गई. ट्यूबवैल के सामने एक चटाई बिछी थी, जिस पर 2 लोग पड़े थे.
जिज्ञासावश भवतोष मंडल नजदीक पहुंच गया. उन दोनों को देखते ही उन का माथा ठनका. क्योंकि उन में एक उस का बेटा राहुल मंडल था और दूसरी युवती थी, जो गांव के ही डालचंद की बेटी प्रेमा थी. बेटे को प्रेमा के पास लेटा देख उन का परेशान होना स्वाभाविक था.
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राहुल रात से ही घर से गायब था. इस से पहले कि भवतोष की समझ में कुछ आता, उस ने अपने बेटे को उठाने की कोशिश की तो वह नहीं उठा. उस ने उसे बारबार उस का नाम ले कर उठाया. लेकिन वह नहीं उठा. आखिरकार भवतोष मंडल ने राहुल का हाथ पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश की तो पता चला उस का शरीर ठंडा पड़ कर पूरी तरह अकड़ गया है. भवतोष मंडल समझ गया कि उस का बेटा मर चुका है.
भवतोष ने बेटे की मौत की जानकारी अपने बड़े बेटे सचिन को देते हुए घटनास्थल पर पहुंचने को कहा. घर वहां से कुछ ही दूर था. खबर मिलते ही उस के घर वाले फौरन घटनास्थल पर पहुंच गए.
इस जानकारी ने पूरे गांव में सनसनी फैला दी. सुबहसुबह यह खबर मिलते ही गांव के लोग घटनास्थल पर जमा हो गए. अपनी बेटी की मौत की खबर सुन कर डालचंद भी घटनास्थल पर पहुंच गया. लोगों ने एक बार फिर से दोनों को ठीक से चैक किया तो उन्हें लगा कि प्रेमा की अभी सांस चल रही है.
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