किसी भी फसल से ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना किसानों का खास मकसद होता है. यही बात पपीते पर भी लागू होती है. पपीते के फलों व दूध की अलगअलग अहमियत होती है. पपीते का सुखाया हुआ दूध ‘पपेन’ कहलाता है, जो सफेद या हलके क्रीम रंग और हलकी तीखी गंध वाला पाउडर होता है. बाजार में यह पपायोटिन, पपायड, कैरायड वगैरह नामों से जाना जाता है.

व्यापारिक लिहाज से यह फायदेमंद पदार्थ है, जिसे घरों, भोजनालयों और उद्योगों वगैरह में कई तरह से प्रयोग में लाया जाता है. मछली का तेल निकालने में भी यह बहुत कारगर है.

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इस के उपचार से काफी मात्रा में तेल निकलता है, जिस में विटामिन ए व डी ज्यादा होता है. अमेरिका में जौ की ठंडरोधक शराब (चिलप्रूफ बियर) के उत्पादन में इसे उपयोग किया जाता है.

कपड़ा धुलाई उद्योग में कपड़ों से धूल, जमा हुआ मैल, चिकनाई व धब्बे साफ करने में भी यह काम आता है. कपड़ा उद्योग में ऊन व रेशम को सिकुड़ने, खरोंच से बचाने व चमकदमक बनाए रखने के लिए पपेन का इस्तेमाल किया जाता है. यह दूध और कन्फैक्शनरी उद्योगों में बेहतरीन पनीर बनाने और ‘च्यूइंगम’ उत्पादन में भी कारगर होता है.

पपेन में कीटनाशक गुण होने के कारण यह आंतों के गोल कृमि वगैरह का नाश करने में खास असरदार होता है. दाद, दानेदार खुजली, एक्जिमा, झुर्रियां व जख्मों के न भरने जैसी बीमारियों के इलाज में भी इस का इस्तेमाल किया जाता है.

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