Download App

लंगड़ी बुखार से हो सकती है दुधारू पशुओं की मौत

लेखक-डा. नागेंद्र कुमार त्रिपाठी

भारत ने दुग्ध उत्पादन में बड़ी तेजी के साथ विश्व बाजार में अपनी एक पहचान बनाई है. विश्व में आज भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में शीर्ष पर है. जिस स्तर पर हम आज दूध उत्पादन कर रहे हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है. इस लय को बरकरार रखने के लिए हमें अपने दुधारू पशुओं का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है. दुधारू पशुओं को पालने में जो सब से बड़ी समस्या आती है, वह है पशुओं में होने वाली बीमारियां. उन की देखभाल करना जरूरी है. यदि एक पशु में कोई बीमारी हो जाता हैं कि तो दूसरे पशु भी इस का शिकार होने लगते हैं. यदि इन की उचित देखभाल न की जाए, तो बीमारी घातक हो जाती है. कुछ बीमारियां इतनी भयानक होती हैं कि दुधारू पशुओं की मौत तक हो जाती है.

इन बीमारियों में गलघोंटू, मुंहपकाखुरपका और लंगड़ी बुखार मुख्य हैं. लंगड़ी बुखार एक जानलेवा बीमारी है. यदि पशु इस की चपेट में आ जाए और समय पर उस की देखभाल न हो, तो उस की मौत तक हो जाती है. आज हम आप को लंगड़ी बुखार बीमारी के लक्षणों और इस के इलाज के बारे में कुछ जरूरी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. लंगड़ी बुखार वैसे तो यह बीमारी गाय और भैंसों दोनों में होती है. परंतु यह बीमारी गाय में अधिक पाई जाती है. यह एक खतरनाक बीमारी है. सब से पहले पशु की पिछली व अगली टांगों के ऊपरी भाग में भारी सूजन आ जाती है, जिस से पशु लंगड़ा कर चलने लगता है या फिर बैठने लगता है. जिस भाग पर सूजन आई होती है, उसे दबाने पर कड़कड़ की आवाज आती है. इस से बचने के लिए पशु का उपचार शीघ्र करवाना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी के जीवाणुओं द्वारा हुआ जहर शरीर में पूरी तरह फैल जाने से पशु की मौत हो जाती है.

ये भी पढें- नवंबर महीने के खास काम

इस बीमारी से बचने के लिए पशुओं में ‘प्रोकेन पेनिसिलिन’ के टीके लगाए जाते हैं. यह टीके बिलकुल मुफ्त लगते हैं. लंगड़ी बुखार को साधारण भाषा में जहरबाद, फडसूजन, काला बाय आदि नामों से भी जाना जाता है. यह बीमारी पशुओं में कभी भी हो सकती है. मुख्य रूप से यह बीमारी 6 महीने से 2 साल तक की उम्र वाले पशुओं में अधिक पाई जाती है. मुख्य लक्षण इस बीमारी में पशु को तेज बुखार आता है और उस का तापमान 106 डिगरी फारेनाइट से 107 फारेनाइट तक पहुंच जाता है. पशु सुस्त हो कर खानापीना छोड़ देता है. पीडि़त पशु लंगड़ा कर चलने लगता है. यह बीमारी आमतौर पिछले पैरों को अधिक प्रभावित करती है और सूजन घुटने से ऊपर वाले हिस्से में होती है. यह सूजन शुरू में गरम व कष्टदायक होती है, जो बाद में ठंडी व दर्दरहित हो जाती है. पैरों के अलावा सूजन पीठ, कंधे व दूसरी मांसपेशियों वाले हिस्से पर भी हो सकती है. सूजन के ऊपर वाली चमड़ी सूख कर कड़ी होती जाती है.

इस बीमारी में पशु का उपचार जल्दी करवाना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी के जीवाणुओं द्वारा हुआ जहर शरीर में पूरी तरह फैल जाने से पशु की मौत हो जाती है. ऐसी बीमारियों में पशुपालक को चाहिए कि अपने पशु का जल्द से जल्द इलाज कराएं या पहले से ही पशुओं का टीकाकरण करा लें, ताकि भविष्य में पशु को कोई परेशानी न हो. जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष से संपर्क करें.

ये भी पढ़ें- रबी मक्के की आधुनिक खेती

रोकथाम व बचाव * वर्षा ऋतु शुरू होते ही पशु को इस बीमारी का टीका लगवा लेना चाहिए. यह टीका पशु को 6 माह की उम्र पर भी लगाया जाता है. * रोगग्रस्त पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए. * भेड़ों में ऊन कतरने से 3 महीने पहले टीकाकरण करवा लेना चाहिए, क्योंकि ऊन कतरने के समय घाव होने पर जीवाणु घाव से शरीर में प्रवेश कर जाता है, जिस से रोग की संभावना बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ें- आम के खास कीट

* सूजन को चीरा मार कर खोल देना चाहिए, जिस से जीवाणु हवा के संपर्क में आने पर अप्रभावित हो जाता है.

शर्वरी-महिमा देवी को बेटी के घर क्या अच्छा लगा, जिसे वह अपने साथ ले आई

महिमा देवी कुछ दिनों के लिए अपनी बेटी नूपुर के घर गईं तो उस की ननद शर्वरी के व्यवहार व शालीनता ने उन का मन जीत लिया. इसलिए दामाद अभिषेक की गैरहाजिरी में उन्होंने शर्वरी को अपने साथ ही रख लिया. महिमा के इस वात्सल्य व स्नेह का शर्वरी ने क्या प्रतिदान दिया? ‘‘ओशर्वरी, इधर तो आ. इस तरह कतरा कर क्यों भाग रही है,’’ महिमा ने कांजीवरम साड़ी में सजीसंवरी शर्वरी को दरवाजे की तरफ दबे कदमों से खिसकते देख कर कहा था. ‘‘जी,’’ कहती, शरमातीसकुचाती शर्वरी उन के पास आ कर खड़ी हो गई.

‘‘क्या बात है? इस तरह सजधज कर कहां जा रही है?’’ महिमा ने पूछा. ‘‘आज डा. निपुण का विदाई समारोह है न, मांजी, कालेज में सभी अच्छे कपड़े पहन कर आएंगे. मैं ऐसे ही, सादे कपड़ों में जाऊं तो कुछ अजीब सा लगेगा,’’ शर्वरी सहमे स्वर में बोली. ‘‘तो इस में बुरा क्या है, बेटी. तेरी गरदन तो ऐसी झुकी जा रही है मानो कोई अपराध कर दिया हो. इस साड़ी में कितनी सुंदर लग रही है, हमें भी देख कर अच्छा लगता है. रुक जरा, मैं अभी आई,’’ कह कर महिमा ने अपनी अलमारी में से सोने के कंगन और एक सुंदर सा हार निकाल कर उसे दिया. ‘‘मांजी…’’ उन से कंगन और हार लेते हुए शर्वरी की आंखें डबडबा आई थीं. ‘‘यह क्या पागलपन है. सारा मुंह गंदा हो जाएगा,’’ मांजी ने कहा. ‘‘जानती हूं, पर लाख चाहने पर भी ये आंसू नहीं रुकते कभीकभी,’’ शर्वरी ने खुद पर संयम रखने का प्रयास करते हुए कहा. शर्वरी ने भावुक हो कर हाथों में कंगन और गले में हार डाल लिया.

ये भी पढ़ें- सुगंध-भाग 1 : धन दौलत के घमंड में डूबा था राजीव

‘‘कैसी लग रही हूं?’’ अचानक उस के मुंह से निकल पड़ा. ‘‘बिलकुल चांद का टुकड़ा, कहीं मेरी नजर ही न लग जाए तुझे,’’ वह प्यार से बोलीं. ‘‘पता नहीं, मांजी, मेरी अपनी मां कैसी थी. बस, एक धुंधली सी याद शेष है, पर मैं यह कभी नहीं भूलूंगी कि आप के जैसी मां मुझे मिलीं,’’ शर्वरी भावुक हो कर बोली. ‘‘बहुत हो गई यह मक्खनबाजी. अब जा और निपुण से कहना, मुझ से मिले बिना न चला जाए,’’ उन्होंने आंखें तरेर कर कहा. ‘‘जी, डा. निपुण तो खुद ही आप से मिलने आने वाले हैं. उन की माताजी आई हैं. वह आप से मिलना चाहती हैं,’’ कहती हुई शर्वरी पर्स उठा कर बाहर निकल गई थी.

इधर महिमा समय के दर्पण पर जमी अतीत की धूल को झाड़ने लगी थीं. वह अपनी बेटी नूपुर के बेटा होने के मौके पर उस के घर गई थीं. वह जा कर खड़ी ही हुई थी कि शर्वरी ने आ कर थोड़ी देर उन्हें निहार कर अचानक ही पूछ लिया था, ‘आप लोग अभी नहाएंगे या पहले चाय पिएंगे?’ वह कोई जवाब दे पातीं उस से पहले ही नूपुर, शर्वरी पर बरस पड़ी थीं, ‘यह भी कोई पूछने की बात है? इतने लंबे सफर से आए हैं तो क्या आते ही स्नानध्यान में लग जाएंगे? चाय तक नहीं पिएंगे?’ ‘ठीक है, अभी बना लाती हूं,’ कहती हुई शर्वरी रसोईघर की तरफ चल दी. ‘और सुन, सारा सामान ले जा कर गैस्टरूम में रख दे. अंकुश का रिकशे वाला आता होगा. उसे तैयार कर देना. नाश्ते की तैयारी भी कर लेना…’

ये भी पढ़ें- मनचला : कपिल को क्यों आकर्षित कर रही थी वह स्मार्ट लड़की

‘बस कर नुपूर. इतने काम तो उसे याद भी नहीं रहेंगे,’ महिमा ने मुसकराते हुए कहा. ‘मां, आप नहीं जानती हैं इसे. यह एक नंबर की कामचोर है. एक बात कहूं मां, पिताजी ने कुछ भी नहीं देखा मेरे लिए. पतिपत्नी कैसे सुखचैन से रहते हैं, मैं ने तो जाना ही नहीं, जब से इस घर में पैर रखा है मैं तो देवरननद की सेवा में जुटी हूं,’ अब नूपुर पिताजी की शिकायत करने लगी. ‘ऐसे नहीं कहते, अंगूठी में हीरे जैसा पति है तेरा. इतना अच्छा पुश्तैनी मकान है. मातापिता कम उम्र में चल बसे तो भाईबहन की जिम्मेदारी तो बड़े भाईभाभी पर ही आती है,’ महिमा ने समझाते हुए कहा. ‘वही तो कह रही हूं. यह सब तो देखना चाहिए था न आप को. भाई की पढ़ाई का खर्च, फिर बहन की पढ़ाई. ऊपर से उस की शादी के लिए कहां से लाएंगे लाखों का दहेज,’ नूपुर चिड़चिड़े स्वर में बोली थी. ‘ठीक है, यदि मैं सबकुछ देख कर विवाह करता और बाद में सासससुर चल बसते तो क्या करतीं तुम?’ अभिजीत भी नाराज हो उठे थे.

महिमा ने उन्हें शांत करना चाहा. बेटी और पति के स्वभाव से वह अच्छी तरह परिचित थीं और उन के भड़कते गुस्से को काबू में रखने के लिए उन्हें हमेशा ठंडे पानी का कार्य करना पड़ता था. तभी चाय की ट्रे थामे शर्वरी आई थी. साथ ही नूपुर के पति अभिषेक ने वहां आ कर उस गरमागरम बहस में बाधा डाल दी थी. चाय पीते हुए भी महिमा की आंखें शर्वरी का पीछा करती रहीं. उस ने फटाफट अंकुश को तैयार किया,उस का टिफिन लगाया, अभिषेक को नाश्ता दिया और महिमा और उन के पति के लिए नहाने का पानी भी गरम कर के दिया. महिमा नहा कर निकलीं तो उन्होंने देखा कि शर्वरी सब्जी काट रही थी. वह बोलीं, ‘अरे, अभी से खाने की क्या जल्दी है, बेटी. आराम से हो जाएगा.’

‘मांजी, मैं सोच रही थी, आज कालेज चली जाती तो अच्छा रहता. छमाही परीक्षाएं सिर पर हैं. कालेज न जाने से बहुत नुकसान होता है,’ शर्वरी जल्दीजल्दी सब्जी काटते हुए बोली. ‘तुम जाओ न कालेज. मैं आ गई हूं, सब संभाल लूंगी. इस तरह परेशान होने की क्या जरूरत है. मुझे पता है, इंटर की पढ़ाई में कितनी मेहनत करनी पड़ती है,’ महिमा ने कहा. उन की बात सुन कर शर्वरी के चेहरे पर आई चमक, उन्हें आज तक याद है. कुछ पल तक तो वह उन्हें एकटक निहारती रह गई थी, फिर कुछ इस तरह मुसकराई थी मानो बहुत प्यासे व्यक्ति के मुंह में किसी ने पानी डाल दिया हो. दोनों के बीच इशारों में बात हुई व शर्वरी लपक कर उठी और तैयार हो कर किताबों का बैग हाथ में ले कर बाहर आ गई थी. ‘तो मैं जाऊं, मांजी?’ उस ने पूछा. ‘कहां जा रही हैं, महारानीजी?’ तभी नूपुर ने वहां आ कर पूछा. ‘कालेज जा रही है, बेटी,’ शर्वरी कुछ कहती उस से पहले ही महिमा ने जवाब दे दिया. ‘मैं ने कहा था न, एक सप्ताह और मत जाना,’ नूपुर ने डांटने के अंदाज में कहा. ‘जाने दे न नूपुर, कह रही थी, पढ़ाई का नुकसान होता है,’

ये भी पढ़ें- सुगंध-भाग 3 : धन दौलत के घमंड में डूबा था राजीव

महिमा ने शर्वरी की वकालत करते हुए कहा. ‘ओह, तो आप से शिकायत कर रही थी. कौन सी पीएचडी कर रही है? इंटर में पढ़ रही है और वह भी रोपीट कर पास होगी,’ नूपुर ने व्यंग्य के लहजे में कहा. महिमा का मन हुआ कि वे नूपुर को बताएं कि जब वह स्कूल में पढ़ती थी तो उसे कैसे सबकुछ पढ़ने की टेबल पर ही चाहिए होता था और तब भी वह उसी के शब्दों में ‘रोपीट कर’ ही पास होती थी, या नहीं भी होती थी, पर स्थिति की नजाकत देख कर वे चुप रह गई थीं. अभिजीत तो 2 दिन बाद ही वापस चले गए थे पर उन्हें नूपुर के पूरी तरह स्वस्थ होने तक वहीं उस की देखभाल को छोड़ गए थे. शर्वरी दिनभर घर के कार्यों में हाथ बंटा कर अपनी पढ़ाई भी करती और नूपुर की जलीकटी भी सुनती, पर उस ने कभी भी कुछ न कहा. अभिषेक अपने काम में व्यस्त रहता या व्यस्त रहने का दिखावा करता.

छोटे भाई रोहित ने, शायद नूपुर के स्वभाव से ही तंग आ कर छात्रावास में रह कर पढ़ने का फैसला किया था. वह मातापिता की चलअचल संपत्ति पर अपना हक जताता तो नूपुर सहम जाती थी, पर अब सारा गुस्सा शर्वरी पर ही उतरता था. कभीकभी महिमा को लगता कि सारा दोष उन का ही है. वे उसे दूसरों से शालीन व्यवहार की सीख तक नहीं दे पाई थीं. बचपन से भी वह अपने तीनों भाईबहनों में सब से ज्यादा गुस्सैल स्वभाव की थी और बातबात पर जिद करना और आपे से बाहर हो जाना उस के स्वभाव का खास हिस्सा बन गए थे. कुछ दिन और नूपुर के परिवार के साथ रह कर महिमा जब घर लौटीं तो उन के मन में एक कसक सी थी. वे चाह कर भी नूपुर से कुछ नहीं कह सकी थीं. 2 महीने तक साथ रह कर शर्वरी से उन का अनाम और अबूझ सा संबंध बन गया था. कहते हैं, ‘मन को मन से राह होती है,’

पहली बार उन्होंने इस कथन की सचाई को जीवन में अनुभव किया था, पर संसार में हर व्यक्ति को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है और वे चाह कर भी शर्वरी के लिए कुछ न कर पाई थीं. पर अचानक ही कुछ नाटकीय घटना घट गई थी. अभिषेक को 2 साल के लिए अपनी कंपनी की तरफ से जरमनी जाना था. शर्वरी को वह कहां छोड़े, यह समस्या उस के सामने मुंहबाए खड़ी थी. दोनों ने पहले उसे छात्रावास में रखने की बात भी सोची पर जब महिमा ने शर्वरी को अपने पास रखने का प्रस्ताव रखा तो दोनों की बांछें खिल गई थीं. ‘अंधा क्या चाहे दो आंखें,’ फिर भी अभिषेक ने पूछ ही लिया, ‘आप को कोई तकलीफ तो नहीं होगी, मांजी?’ ‘अरे, नहीं बेटे, कैसी बातें करते हो. शर्वरी तो मेरी बेटी जैसी है. फिर तीनों बच्चे अपने घरसंसार में व्यवस्थित हैं. हम दोनों तो बिलकुल अकेले हैं. बल्कि मुझे तो बड़ा सहारा हो जाएगा,’ महिमा ने कहा. ‘सहारे की बात मत कहो, मां. बहुत स्वार्थी किस्म की लड़की है यह सहारे की बात तो सोचो भी मत,’ नूपुर ने अपनी स्वाभाविक बुद्धि का परिचय देते हुए कहा था.

महिमा की नजर सामने दरवाजे पर खड़ी शर्वरी पर पड़ी थी तो उस की आंखों की हिंसक चमक देख कर वे भी एक क्षण को तो सहम गई थीं. ‘हां, तो पापा, आप क्या कहते हैं?’ उन्हें चुप देख कर नूपुर ने अभिजीत से पूछा था. ‘तुम्हारी मां तैयार हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. वैसे मुझे भी नहीं लगता कि कोई समस्या आएगी. शर्वरी अच्छी लड़की है और तुम्हारी मां को तो यों भी कभी किसी से तालमेल बैठाने में कोई परेशानी नहीं हुई है,’ अभिजीत ने नूपुर के सवाल का जवाब देते हुए कहा. इस तरह शर्वरी महिमा के जीवन का हिस्सा बन गई थी और जल्दी ही उस ने उन दोनों पतिपत्नी के जीवन में अपनी खास जगह बना ली थी. एक दिन शर्वरी कालेज से लौटी तो महिमा अपने बैडरूम में बेसुध पड़ी थीं. यह देख कर शर्वरी पड़ोसियों की मदद से उन्हें अस्पताल ले गई. बीमारी की हालत में शर्वरी ने उन की ऐसी सेवा की कि सब आश्चर्यचकित रह गए थे. ‘शर्वरी,’ महिमा ने हाथ में साबूदाने की कटोरी थामे खड़ी शर्वरी से कहा था. ‘जी.’ ‘तुम जरूर पिछले जन्म में मेरी मां रही होगी,’ महिमा ने मुसकरा कर कहा था. ‘आप पुनर्जन्म में विश्वास करती हैं क्या?’ शर्वरी ने पूछा. ‘हां, पर क्यों पूछ रही हो तुम?’

‘यों ही, पर मुझे यह जरूर लगता है कि कभी किसी जन्म में कुछ भले काम जरूर किए होंगे मैं ने जो आप लोगों से इतना प्यार मिला, नहीं तो मुझ अभागी के लिए यह सब कहां,’ कहते हुए शर्वरी की आंखें डबडबा गई थीं. ‘आज कहा सो कहा, आगे से कभी खुद को अभागी न कहना. कभी बैठ कर शांतमन से सोचो कि जीवन ने तुम्हें क्याक्या दिया है,’ महिमा ने शर्वरी को समझाते हुए कहा था. अभिजीत और महिमा के साथ रह कर शर्वरी कुछ इस कदर निखरी कि सभी आश्चर्यचकित रह गए थे. उस स्नेहिल वातावरण में शर्वरी ने पढ़ाई में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. जब कठिनाई से पास होने वाली शर्वरी पूरे विश्वविद्यालय में प्रथम आई थी तो खुद महिमा को भी उस पर विश्वास नहीं हुआ था. उसे स्वर्ण पदक मिला था. स्वर्ण पदक ला कर उस ने महिमा को सौंपते हुए कहा था,

‘इस का श्रेय केवल आप को जाता है, मांजी. पता नहीं इस का ऋण मैं कैसे चुका पाऊंगी.’ ‘पगली है, शर्वरी तू तो, मां भी कहती है और ऋण की बात भी करती है. फिर भी मैं बताती हूं, मेरा ऋण कैसे उतरेगा,’ महिमा ने उसे समझाते हुए कहा, ‘तेन त्यक्तेन भुंजीषा.’ ‘क्या?’ शर्वरी ने चौंकते हुए कहा, ‘यह क्या है? सीधीसादी भाषा में कहिए न, मेरे पल्ले तो कुछ नहीं पड़ा,’ कह कर शर्वरी हंस पड़ी. यह मजाक की बात नहीं है, बेटी. जीवन का भोग, त्याग के साथ करो और इस त्याग के लिए सबकुछ छोड़ कर संन्यास लेने की जरूरत नहीं है. परिवार और समाज में छोटी सी लगने वाली बातों से दूसरों का जीवन बदल सकता है. तुम समझ रही हो, शर्वरी?’ महिमा ने शर्वरी को समझाते हुए कहा था.

‘जी, प्रयास कर रही हूं,’ शर्वरी ने जवाब दिया. ‘देखो, नूपुर मेरी बेटी है, पर उस के तुम्हारे प्रति व्यवहार ने मेरा सिर शर्म से झुका दिया है. तुम ऐसा करने से बचना, बचोगी न?’ महिमा ने पूछा. ‘जी, प्रयत्न करूंगी कि आप को कभी निराश न करूं,’ शर्वरी गंभीर स्वर में बोली थी. शीघ्र ही शर्वरी की अपने ही कालेज में व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हो गई और अब तो उस का आत्मविश्वास देखते ही बनता था. उस की कायापलट की बात सोचते हुए उन के चेहरे पर हलकी सी मुसकान तैर गई थी. ‘‘कहां खोई हो?’’ तभी अभिजीत ने आ कर महिमा की तंद्रा भंग करते हुए पूछा. ‘‘कहीं नहीं, यों ही,’’ महिमा ने चौंक कर कहा. ‘‘तुम्हारी तो जागते हुए भी आंखें बंद रहती हैं. आज लाइब्रेरी से निकला तो देखा शर्वरी डा. निपुण के साथ हाथ में हाथ डाले जा रही थी,’’ अभिजीत ने कहा. ‘‘जानती हूं,’’ महिमा ने उन की बात का जवाब दिया. ‘‘क्या?’’ अभिजीत ने पूछा. ‘‘यही कि दोनों एकदूसरे को बहुत चाहते हैं,’

’ उन्होंने बताया. ‘‘क्या कह रही हो, पराई लड़की है, कुछ ऊंचनीच हो गई तो हम कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे,’’ अभिजीत ने सकपकाते हुए कहा. ‘‘घबराओ नहीं, मुझे शर्वरी पर पूरा भरोसा है. उस ने तो अभिषेक को सब लिख भी दिया है,’’ महिमा बोलीं. ‘‘ओह, तो दुनिया को पता है. बस, हम से ही परदा है,’’ अभिजीत ने मुसकरा कर कहा था. थोड़ी ही देर में शर्वरी दरवाजे पर दस्तक देती हुई घर में घुसी. ‘‘मां, आज शाम को निपुण अपनी मां के साथ आप से मिलने आएंगे,’’ उस ने शरमाते हुए महिमा के कान में कहा. ‘‘क्या बात है? हमें भी तो कुछ पता चले,’’ अभिजीत ने पूछा. ‘‘खुशखबरी है, निपुण अपनी मां के साथ शर्वरी का हाथ मांगने आ रहे हैं. चलो, बाजार चलें, बहुत सी खरीदारी करनी है,’’ महिमा ने कहा तो शर्वरी शरमा कर अंदर चली गई. ‘‘सच कहूं महिमा, आज मुझे जितनी खुशी हो रही है उतनी तो अपनी बेटियों के संबंध करते समय भी नहीं हुई थी,’’ अभिजीत गद्गद स्वर में बोले. ‘‘अपनों के लिए तो सभी करते हैं पर सच्चा सुख तो उन के लिए कुछ करने में है जिन्हें हमारी जरूरत है,’’ संतोष की मुसकान लिए महिमा बोलीं.

स्वस्थ खानपान से मेनोपॉज के बाद हार्टअटैक से बचें

लेखिका-डा. तृप्ति रहेजा

मेनोपॉज के बाद हर 3 वयस्क महिलाओं में से एक किसी न किसी प्रकार की कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से पीडि़त होती है. ऐसा पाया गया है कि 50 साल की आयु के बाद हृदय संबंधी बीमारियां महिलाओं की मौत की मुख्य वजह होती हैं

महिलाओं के जीवन में  मेनोपॉजएक प्राकृतिक चरण होता है और इस के होने के करीब 10 वर्षों बाद महिलाओं में हार्टअटैक होने की आशंका बढ़ जाती है. महिलाओं की कुल मौतों में से आधे से अधिक हृदय संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं. ऐसी महिलाएं, जो मीनोपौज से गुजर चुकी हैं, को निम्न बीमारियां हैं तो उन्हें हार्टअटैक आने का जोखिम अधिक है-

ये भी पढ़ें- Winter Special: चमचमाती मुसकान

1    डायबिटीज

2    धूम्रपान

3    हाई ब्लडप्रैशर

4    मोटापा

5    लंबे समय तक बैठे रहने की आदत

6  परिवार में हृदय संबंधी बीमारियों का इतिहास

ये भी पढ़ें- पोस्ट वर्कआउट ग्रूमिंग

एस्ट्रोजन शरीर की रक्त धमनियों को लचीला बनाए रखने में मदद करता है ताकि वे रक्त प्रवाह के अनुसार सिकुड़ सकें और विस्तार कर सकें.  मेनोपॉज के बाद शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है जिस से रक्त धमनियों में कड़ापन आ जाता है और इस से हृदय संबंधी बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है.  मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर घटने से शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं. ब्लडप्रैशर बढ़ने लगता है, एलडीएल यानी बुरा कोलैस्ट्रौल बढ़ने लगता है जबकि एचडीएल यानी अच्छा कोलैस्ट्रौल घट जाता है या समान रहता है और शरीर का वजन बढ़ने लगता है.

हृदय को कैसे सुरक्षित रखें

अगर आप स्वस्थ जीवनशैली का पालन करती हैं तो हृदय संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है. महिलाएं नियमित व्यायाम व अच्छे खानपान को अपनाने के साथ ही धूम्रपान जैसी अस्वस्थ आदतों को छोड़ कर अपने हृदय को स्वस्थ रख सकती हैं. गौरतलब है, धूम्रपान से मेनोपॉज जल्दी आना, खून के थक्के जमने का जोखिम बढ़ना, धमनियों का लचीलापन कम होना और एचडीएल कोलैस्ट्रौल का स्तर कम होता है.

ये भी पढ़ें- बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकते हैं घुटने

स्वस्थ हृदय के लिए खानपान 

ऐसे सुपरफूड्स नहीं होते हैं जिन के खाने से चमत्कार हो जाए, लेकिन संतुलित आहार और अच्छे खानपान की आदतों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम घटाया जा सकता है.

अधिक मात्रा में सब्जियां और फल खाएं : सब्जियां और फल विटामिन व मिनरल्स का बहुत अच्छा स्रोत होते हैं. इन में कैलोरी कम और डाइटरी फाइबर अधिक मात्रा में होते हैं. शाकाहारी आहार से हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलती है. हालांकि, आप को नारियल, तली हुई सब्जियों और कैन्ड फलों के सेवन से परहेज करना चाहिए.

सीमित मात्रा में खाएं : आप कितना खा रही हैं, इस पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना इस पर कि आप क्या खा रही हैं. भोजन की मात्रा को सीमित करने के लिए छोटी कटोरी या छोटी प्लेट का इस्तेमाल करें. कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों और पोषण से भरपूर आहार का अधिक सेवन करें जबकि अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ, जैसे रिफाइंड, प्रोसैस्ड और फास्टफूड, जैसे अधिक सोडियमयुक्त पदार्थों का सेवन बहुत सीमित मात्रा में करें.

चुनें साबुत अनाज : होलग्रेन फाइबर व अन्य पोषक तत्त्वों के अच्छे स्रोत होते हैं और ये ब्लडप्रैशर नियमित करने व हृदय को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. आप को गेहूं का आटा, गेहूं के आटे से बनी ब्रैड, ब्राउन राइस, ज्वार और ओट्स को खानपान में शामिल करना चाहिए. आप को मैदा, सफेद ब्रैड, बिस्कुट, केक, नूडल्स, मफिन्स, वैफल्स, डोनट्स, मक्खन

वाले पौपकौर्न के सेवन से परहेज करना चाहिए.

अस्वस्थ फैट को सीमित करें : रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर अधिक होने से आप की धमनियों में प्लैक जमा हो सकता है, इसे एथैरोस्क्लेरोसिस कहते हैं, इस से आप को हार्टअटैक या स्ट्रोक आने का जोखिम बढ़ जाता है. अपने रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर और हार्टअटैक का जोखिम घटाने के लिए सैचुरेटेड और ट्रांसफैट का सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें. जब भी आप को फैट का इस्तेमाल करना हो तो औलिव औयल या कनोला औयल का इस्तेमाल करें.

एवोकाडो, नट्स, बीजों और मछलियों में मिलने वाले पौलीअनसैचुरेटेड फैट्स भी स्वस्थ हृदय के लिए अच्छे विकल्प हैं. खानपान में स्वस्थ फैट और फाइबर को शामिल करने का आसान सा तरीका है अलसी के बीज जिन में ओमेगा-3-फैटी ऐसिड होता है. आप इन्हें मिक्सर में पीस कर योगर्ट में मिला कर भी खा सकते हैं.

चुनें कम फैट वाले प्रोटीन स्रोत : फैट की कम मात्रा वाले दूध, अंडे, बीन्स, मटर और दालों, सोयाबीन व सोया उत्पाद, लीन मीट और मछली को प्रोटीन के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करें.

नमक का सेवन कम करें : अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सलाह के अनुसार स्वस्थ वयस्कों को दिन में 23 मिलीग्राम यानी एक चम्मच से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.

दिल की सेहत बेहतर बनाने के लिए करें व्यायाम : शारीरिक रूप से सक्रिय रहना हृदय को स्वस्थ रखने की दिशा में सब से मुख्य कदम है. यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाने, आप का वजन नियंत्रित रखने और अधिक कोलैस्ट्रौल के कारण धमनियों को होने वाले नुकसान, अधिक शुगर और हाई ब्लडशुगर को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है.

महिलाओं को हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए जिस से हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम हो सके और वजन घटाने के लिए प्रतिसप्ताह 300 मिनट या इस से अधिक समय तक व्यायाम करना चाहिए.

सैर करना, साइक्ंिलग, डांस करना या तैरना ऐसी गतिविधियां हैं जिन में कम प्रतिरोध के साथ अधिक संख्या में मांसपेशियां शामिल होती हैं और ये अच्छे ऐरोबिक व्यायाम होते हैं.

जीवनशैली में बदलाव : धूम्रपान ऐसा सब से बड़ा जोखिम कारक है जो हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम कई गुना बढ़ा देता है और इस की रोकथाम की जा सकती है. स्वस्थ वजन बनाए रखना हृदय संबंधी बीमारियों से बचने का मुख्य तरीका है.

रिलैक्सेशन जैसे व्यायाम के जरिए तनाव प्रबंधन करने से शरीर में स्वस्थ कैमिकल्स का प्रवाह बढ़ता है. नींद शरीर को दैनिक गतिविधियों के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई करने का प्रकृति का तरीका है. इसलिए कम से कम 7 घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत आवश्यक है.

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराना : मेनोपॉज के बाद नियमित रूप से स्वास्थ्य संबंधी जांच कराने की सलाह दी जाती है जिस से किसी भी संभावित बीमारी का शुरुआती चरण में पता लग जाए और उस की रोकथाम के कदम उठाए जा सकें. नियमित अंतराल पर डाक्टर की सलाह के अनुसार ब्लडप्रैशर, कोलैस्ट्रौल स्तर और ब्लडशुगर स्तर की जांच कराते रहें. इन की जांच कराने से बीमारी का जल्द पता लगाने और इलाज कराने में मदद मिलती है.

एक वक्त था जब शेर हाथी का शिकार भी कर डालते थे

आज भले हाथी धरती पर रहने वाला न केवल सबसे विशाल स्तनपायी हो बल्कि जमीन का सबसे विशालाकार प्राणी हो,जिस कारण उसका  कोई दूसरा जानवर शिकार नहीं कर सकता बशर्ते वह हाथी का बच्चा या कोई बहुत कमजोर या बीमार हाथी न हो  हो, लेकिन हाथी हमेशा से ऐसा नहीं था. शेर के विशालाकार पुरखे हाथियों तक का शिकार कर लेते थे,इस बात की तस्दीक केन्या में करीब एक दशक से भी पहले जो विशाल जीवाश्म मिले थे,उनसे हुई है. लम्बे शोध एवं अध्ययन के बाद जीवाश्मशास्त्रियों ने इस बात का अंततः पता लगा लिया है कि वे जीवाश्म आखिर किस जीव के थे.
जीवाश्म विज्ञानियों के मुताबिक ये जीवाश्म शेर के विशालाकार पुरखों के हैं. जो एक जमाने में विशालकाय हाथियों तक का शिकार कर लेते थे. दरअसल करीब डेढ़ दशक पहले केन्या में मिले विशाल जीवाश्मों को पूरी दुनिया के जीवाश्म वैज्ञानिक बहुत हैरान थे. उन्हें पता नहीं चल पा रहा था कि आखिर वे किस जानवर के हैं. लेकिन अब उन्हें पता चल गया है.ये करीब 2.3 करोड़ साल पहले अफ्रीका में सवाना के घास मैदानों में पाए जाने वाले विशालाकार शेर की हड्डियां हैं. जीवाश्म  वैज्ञानिकों के मुताबिक शेर की यह बहुत ही विशालकाय प्रजाति थी.ये आमतौर पर करीब 1,500 किलोग्राम के हुआ करते थे.इसीलिये ये जब तब हाथियों का और हाथियों जितने बड़े दूसरे जानवरों का भी शिकार कर डालते थे.ये निष्कर्ष ड्यूक और ओहायो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मैथ्यू बोर्थ्स और नैंसी स्टीवंस के हैं.जिनकी बाद में कुछ दूसरे वैज्ञानिकों ने भी पुष्टि की है.
ये भी पढ़ें- रिश्तों की हकीकत दिखाती वृद्धाश्रमों में बढ़ती बुजुर्गों की तादाद
वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष जीवाश्म में मिले निचले जबड़े, दांत और अन्य हड्डियों की जांच के आधार पर निकाला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक़  करीब 2.3 करोड़ साल पहले धरती में ऐसे विशालकाय शेर मौजूद थे. वैज्ञानिकों ने इनका नाम सिम्बाकुबवा कुतोकअफ्रीका दिया है। स्वाहिली भाषा में रखे गए इस नाम का मतलब है ‘बड़े अफ्रीकी शेर’. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘अपने बहुत ही बड़े दांतों के कारण सिम्बाकुबवा बहुत ही खास और विशालकाय मांसाहरी जीव थे, वे आधुनिक शेर के मुकाबले बहुत बड़े,करीब 5-6 गुना बड़े थे.’ रिसर्चरों के अनुमान के मुताबिक ये पृथ्वी पर मायोसिन काल में थे.
पृथ्वी के इतिहास में मायोसिन काल,वह समय है,जब आदम वानर पृथ्वी पर चलना सीख रहे थे। उसी कालखंड के दौरान स्तनधारी जीव खुद को सुरक्षित रखने में सफल हो सके. अध्ययन निष्कर्षों के मुताबिक क्रमिक विकास के चक्र में सिम्बाकुबवा करीब एक करोड़ साल पहले लुप्त हो गए. मालूम हो कि केन्या के मेस्वा पुल के पास सिम्बाकुबवा की हड्डियां करीब डेढ़ दशक पहले मिलीं थीं. लेकिन लंबे समय तक वैज्ञानिकों को यह पता ही नहीं चल पाया था कि ये हड्डियां किस जीव की हो सकती हैं.इतने विशाल शेर की तो उन्होंने दूर-दूर तक कल्पना भी नहीं की थी.
ये भी पढ़ें- आलूप्याज की महंगाई: किसानों के लिए आपदा, दलालों के लिए अवसर
जहां तक हाथी के शिकार किये जाने की कल्पना की बात है तो वह बहुत ही चैंकाने वाली है. क्योंकि हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है. आमतौर पर यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि विशालकाय डायनासोरों के अलावा भी उनका कोई शिकार कर सकता था. हाथी आज की तारीख में जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी तो है ही यह हिम युग के पहले भी ऐसा ही विशालाकार जानवर था.जहां तक मौजूदा हाथी की बात है तो ये एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है. हालांकि आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियां जीवित हैं-लिफस तथा लॉक्सोडॉण्टा.हाथी की तीसरी विशालकाय प्रजाति मैमथ अब लुप्त हो चुकी है.
इन जीवित दो प्रजातियों की भी तीन जातियां ही पहचानी जाती हैं.इनमें से-लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति की दो जातियां है-पहले अफ्रीकी खुले मैदानों का हाथी जिसे बुश या सवाना हाथी भी कहते हैं. दूसरी प्रजाति है, अफ्रीकी जंगलों का हाथी. लिफस जाति का हाथी वास्तव में भारतीय या एशियाई हाथी है. वैसे कुछ शोधकर्ता अफ्रीका के दोनों ही प्रजातियों को एक ही मानते हैं. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक हाथियों की यह चैथी प्रजाति है.हाथियों की ये प्रजाति पश्चिमी अफ्रीका में पायी जाती है. लिफॅन्टिडी की बाकी सारी जातियां और प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं. अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, लेकिन माना जाता है कि मैमथ का बौना स्वरूप सन 2000 ई.पू. तक जीवित रहा.
ये भी पढ़ें- खानपान को लेकर बढ़ती धार्मिक व सांस्कृतिक कट्टरता
आज हाथी जमीन का सबसे बड़ा जीव भले है,लेकिन इसकी संख्या में न केवल निरंतर कमी आ रही है बल्कि यह धीरे-धीरे लुप्त होने की दिशा में अग्रसर है. लेकिन हाथी के जीवन के प्राकृतिक से कहीं ज्यादा मानवीय संकट हैं. कुदरत ने तो उसे जीने की बहुत सहूलियत दी है.धरती में हाथी एकमात्र ऐसा जीव है जिसका गर्भ काल 22 महीनों का होता है. इस कारण हाथी की पैदा हुई संतान सबसे परिपक्व होती है.जन्म के समय हाथी का बच्चा करीब 100 से 110 किलो तक का होता है. हाथी के बच्चे के सलामत जन्म के बाद मरने की आशंका सबसे कम रहती है. वैसे हाथी अमूमन 50 से 75 सालों तक जीता है. अब तक का सबसे दीर्घायु पाने वाला हाथी 82 सालों तक जिंदा रहा है.

जहां तक वजन और आकार की बात है तो पिछले 500 सालों में धरती का सबसे वजनदार हाथी सन 1955 ई॰ में अंगोला में मारा गया था. इस नर हाथी का वजन लगभग 10,900 किलोग्राम था.जमीन से कन्धे तक की इसकी  ऊंचाई 3.96 मी थी जो कि एक सामान्य अफ्रीकी हाथी से लगभग एक मीटर ज्यादा है.इसके ठीक उलट यदि इतिहास के सबसे छोटे हाथी की बात करें तो माना जाता है कि ये ईसा से 2000  सालों पहले तक यूनान के क्रीट द्वीप में पाये जाते थे. ये गाय के बछड़े या सूअर के आकार के होते थे. ज्यादातर एशियाई सभ्यताओं में हाथी को बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है. हाथी एशियाई संस्कृति में अपनी स्मरण शक्ति तथा बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध है.

#BeTheBetterGuy: कोविड-19 से बचना है तो कार को ऐसे करें सेनेटाइज

कोविड-19 इन दिनों तेजी से अपने पांव पसार रहा है, खासकर दिल्ली एनसीआर में इसका खतरा ज्यादा है. कोरोना वायरस से बचने के लिए समय-समय पर कार को सेनेटाइज करना भी बेहद जरूरी है. वरना कार से भी संक्रमण फैल सकता है. जिससे कार चलाने वाले और इसमें बैठने वाले दोनों इसकी चपेट में आ सकते हैं. आप एक बार कार का इस्तेमाल करने के बाद जब दोबोरा ड्राइव करने जाते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि कार को एंटीमाइक्रोबियल धुएं या सतह से सेनेटाइज किया गया हो. ताकि अगली बार जब आप इसमें बैठकर ट्रेवल करें तो सुरक्षा को लेकर आपके मन में शांति रहे और आप निश्चिंत रहें.

ये भी पढ़ें- घर बैठे बुक करें अपनी पसंदीदा कार हुंडई क्रेटा

वहीं कार में आपके साथ कोई भी ट्रेवल करता है तो कार का सेनेटाइजेशन आपके लिए और भी जरूरी हो जाता है. खासकर तब आपकी कार में ट्रेवेल करना वाला व्यक्ति आपके साथ नहीं रहता.

वैसे भी दरवाजे के हैंडल, लिफ्ट के बटन से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. इसलिए कार के हर हैंण्डल, स्टीयरिंग व्हील, गियर नोड, अपोल्स्टरी और सीट को जरूर साफ करें. अगर आप ऐसा करते हैं तो संक्रमण से बच सकते हैं.

ये भी पढ़ें- लंबी यात्रा पर Hyundai Creta देगा आपको हर तरह की सुविधा

#BeTheBetterGuy #Hyundai #Hyundaiindia

बिग बॉस 14: कविता कौशिक और एली गोनी के बीच हुई झपड़ तो , निर्माता ने लिया यह एक्शन

बिग बॉस 14 के आने वाले एपिसोड में कुछ धमाल देखने को मिल सकता है. जिसमें कविता कौशिक और एली गोनी के बीच लड़ाई होगी. दोनों एक दूसरे पर खतरनाक तरीके से अटैक करते नजर आएंगे.

यह लड़ाई तब शुरू हुआ जब कविता कौशिक के लिए रखी गई एप्पी को चुराते हैं. उसके बाद दोनों के बीच लंबी लडाई शुरू हो जाती है. इस बात की जानकारी जैसे ही कप्तान और बिग बॉस को पता चलती है दोनों उन्हें दंडित करते हैं.

इस बात की जानकारी जैसे ही बिग बॉस को लगती है वह घरवालों को कहते हैं जिसने भी यह गंदी हरकत की है उसके सामान को स्टोर रूम में उठाकर रख दिया जाए.

ये भी पढ़ें- अजय सिंह ने जीता इंडियाज बेस्ट डांसर का पहला खिताब, मिला 15 लाख का

 

View this post on Instagram

 

A post shared by The Khabri (@thereal_khabri)

ये भी पढ़ें- बिग बॉस 14: जान कुमार सानू ने बिग बॉस को कहा अलविदा, दर्शकों ने दिए थे

इसके बाद जैसे ही कविता कौशिक एली गोनी के समान को उठाकर बाहर रखती हैं. वैसे ही वह बुरी तरह से भ़ड़क जाते हैं. दोनों के बीच तकरार शुरू हो जाती है. तभी कविता कौशिक बाप शब्द का इस्तेमाल करती हैं. जिसपर एली गोनी भड़कर दोनों बॉक्स गिरा देते हैं. औऱ कविता कौशिक की पैरों पर चोट लग जाती है.

वहीं ताजा खबर की मानें तो ली गोनी को बिग बॉस एक हफ्ते के लिए नॉमिनेट करेंगे. अब देखना यह है कि आगे क्या होता है. कविता कौशिक और एली गोनी के बीच सुलह हो पाती है या नहीं.

बिग बॉस 14: निक्की तम्बोली हो सकती हैं एकता कपूर की अगली नागिन !

बिग बॉस 14 की सबसे लोकप्रिय कंटेस्टेंट हैं निक्की तम्बोली. खबर है कि जल्द ही वह नागिन के अगले सीजन में नजर आ सकती हैं. इस खबर से निक्की तम्बोली क फैंस काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं.

दरअसल, कुछ वक्त पहले निक्की तम्बोली अपने अपकमिंग वेब सीरीज ‘बिच्छु’ का प्रमोशन करने आई थी. इस दौरान एकता कपूर ने जमकर मस्ती किया घर वालों के साथ. इसी बीच निक्की से बात करते हुए एकता कपूर ने कहा कि तुम्हें नागिन में होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- अजय सिंह ने जीता इंडियाज बेस्ट डांसर का पहला खिताब, मिला 15 लाख का

आगे निक्की को एकता कपूर ने कहा कि आप वास्तव में सबसे बेस्ट गेम खेल रही हैं. समझ भी आपको सबसे अच्छा है. इसलिए मैं कह रही हूं कि आपको नागिन में होना चाहिए.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Nikki Tamboli (@nikki_tamboli)


इसके बाद एकता कपूर ने जैस्मिन भसीन की बातों को मैंशन करते हुए कहा कि जिस तरह आप रोई और अपनी बातों को रखा शायद ही ऐसा कोई करता है.

ये भी पढ़ें- बिग बॉस 14: जान कुमार सानू ने बिग बॉस को कहा अलविदा, दर्शकों ने दिए थे सबसे कम वोट

वहीं एकता कपूर के जुबां पर निक्की तम्बोली का नाम ज्यादा सुनने को मिल रहा था. इसलिए सभी लोगों ने कयास लगाया है कि निक्की तम्बोली एकता कपूर की शो कि नागिन हो सकती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Nikki Tamboli (@nikki_tamboli)

वहीं फैंस अभी से निक्की तम्बोली को नागिन के अवतार में देखने के लिए उत्साहित हैं. वहीं फैंस निक्की तम्बोली को बिग बॉस के घर में भी सबसे ज्यादा देखना पसंद करते हैं.

ये भी पढ़ें-अगर बिना प्यार के शादी हो सकती है, तो बिना पति के मां क्यों नहीं बन सकते?” :

हालांकि कई बार निक्की तम्बोली बिग बॉस के घर में विवादों में भी फंस चुकी हैं लेकिन उन्होंने हमेशा से खुद को सही साबित किया है. निक्की तम्बोली अभी तक सबसे अच्छे से गेम को खेल रही हैं.

काले  गेहूं और चने की खेती

आज कोरोना वायरस की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. हालात ये हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से लोग सुबह और शाम की सैर के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में मध्यम वर्ग के साथ अफसर, डाक्टर भी परंपरागत लोकमन, शरबती गेहूं की जगह काले गेहूं की रोटियां खाना पसंद कर रहे हैं.

बताया जाता है कि काले गेहूं की रोटियां सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं, इसलिए काले गेहूं की मांग बाजार में बढ़ने लगी है. किसान भी इस बढ़ती मांग का फायदा उठा कर काले गेहूं की खेती कर के मुनाफा उठा सकते हैं.वैसे तो खेती में नएनए प्रयोग करने वाले किसान काले गेहूं की फसल अपने खेतों में लेते आए हैं. नरसिंहपुर जिले के करताज गांव के किसान राकेश दुबे ने अपने कृषि फार्म पर इसी रबी मौसम में काले गेहूं की फसल तैयार की है.

ये भी पढ़ें- नवंबर महीने के खास काम

उन्नत खेती कर रहे किसान राकेश दुबे बताते हैं कि सामान्य गेहूं के मुकाबले काला गेहूं महंगा बिकता है और जैविक खेती से इस का उत्पादन भी ज्यादा मिलता है. एक एकड़ खेत में 50 किलोग्राम बीज, गोबर की खाद, कृषि यंत्रों और मजदूरी मिला कर 18,000 से 20,000 रुपए का खर्चा आता है.काला गेहूं बाजार में 8,000 हजार से 10,000 रुपए क्विंटल तक बिकता है. उत्पादन भी एक एकड़ में 14 से 16 क्विंटल तक मिल जाता है. किसानों के बीज भी तैयार कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश की गाडरवारा तहसील के रंपुरा गांव के किसान नरेंद्र चौधरी 2 साल से काले गेहूं की खेती कर रहे हैं. इस बार 2 एकड़ खेत में इस को लगाया था, जिस में 32 क्टिंवल काले गेहूं का उत्पादन किया है.
नरेंद्र चौधरी जैविक तरीके से खेती करते हैं, इसलिए इस गेहूं की डिमांड भोपाल में सब से ज्यादा होती है. वे कहते हैं कि लौकडाउन में इस बार गेहूं की मांग ज्यादा रही है और उन का गेहूं घर से ही लोग खरीद कर ले गए. वे कहते हैं कि परंपरागत खेती घाटे का सौदा हो गई है. जैविक तरीके से की गई खेती में लागत कम मुनाफा ज्यादा मिलता है.

ये भी पढ़ें-रबी मक्के की आधुनिक खेती

गाडरवारा तहसील के सासबहू बांसखेड़ा गांव के किसान सुरेंद्र गुर्जर ने भी अपने खेतों में काले गेहूं की खेती कर अपने लिए नई राह बनाई है. उन्होंने अपने खेत में उगे काले गेहूं को फिल्म ऐक्टर आशुतोष राणा को भेंट कर उस की खासीयत बताई, तो उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर उगाने की सलाह दी. मोहाली में ईजाद किया गया काला गेहूं पंजाब के मोहाली में 7 सालों की रिसर्च के बाद गेहूं की इस नई किस्म को नैशनल एग्री फूड बायोटैक्नोलौजी इंस्टीट्यूट (नाबी) ने विकसित किया है. नाबी के पास इस का पेटेंट भी है. इस गेहूं की खास बात यह है कि इस का रंग काला है. डाक्टरों की मानें, तो काले गेहूं में कैंसर, डायबिटीज, तनाव, दिल की बीमारी और मोटापा जैसे बीमारियों को रोकने की क्षमता है.

नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजैक्ट हैड डा. मोनिका गर्ग के अनुसार, इस गेहूं की बालियां भी आम गेहूं जैसी हरी होती हैं. पकने पर दानों का रंग काला हो जाता है.उन्होंने बताया कि नाबी ने काले गेहूं के अलावा नीले और जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित की है.इस गेहूं के अनोखे रंग इस गेहूं के अनोखे रंग के बारे में कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि फलोंसब्जियों और अनाजों के रंग उन में मौजूद प्लांट पिगमैंट या रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर होते हैं. काले गेहूं में एंथोसायनिन नाम के पिगमैंट होते हैं. इस की अधिकता से फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग नीला, बैंगनी या काला हो जाता है.

यह नैचुरल एंटीऔक्सीडैंट भी हैं. इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. आम गेहूं में एंथोसायनिन की मात्रा 5 से 15 प्रति मिलियन तक होती है, लेकिन काले गेहूं में यह 40 से 140 प्रति मिलियन के आसपास होती है.एंथोसायनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है. काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है. हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्त्व समान मात्रा में होते हैं.

ये भी पढ़ें- आम के खास कीट

गाडरवारा अस्पताल के डाक्टर राकेश बोहरे बताते हैं कि काला गेहूं खाने से कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां नहीं होतीं. अपनी एंटीऔक्सीडैंट खूबियों की वजह से इनसानों के लिए काला गेहूं सेहतमंद होता है. इम्यूनिटी बढ़ाने और कोरोना जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए भी काला गेहूं को सेहतमंद माना जा रहा है.

कैमिकल के इस्तेमाल से पैदा किए जा रहे परंपरागत गेहूं की किस्मों से भले ही किसान खूब उत्पादन ले रहे हैं, लेकिन सरकारी खरीद और फसल का सही मूल्य समय पर न मिलने की समस्याओं से भी जूझ रहे हैं. ऐसे में नवाचारी तौरतरीकों से काले गेहूं का उत्पादन कर किसान मुनाफा भी कमा सकते हैं.
किसान भाई काले गेहूं और चने की खेती की विस्तार से जानकारी के लिए नरेंद्र चौधरी के मोबाइल नंबर 9589233818 और राकेश दुबे के मोबाइल नंबर 9425438313 पर संपर्क कर सकते हैं.

ठ्ठकाला चना भी है गुणकारी

काले चने की खेती काफी समय से होती रही है. काला चना लगभग हर घर में बहुत आसानी से मिल जाता है. कुछ लोग इस की सब्जी बना कर खाना पसंद करते हैं, कुछ उबाल कर खाना, कुछ अंकुरित, तो कुछ भून कर. आप चने को चाहे जिस रूप में खाएं, लेकिन इसे खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. इस में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और दूसरे मिनरल्स होते हैं.
हालांकि चने का इस्तेमाल हर तरह से फायदेमंद है, लेकिन अंकुरित काला चना खाना सब से अधिक फायदेमंद होता है. इसे खाने से क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के के साथ ही साथ फास्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम की जरूरत भी पूरी हो जाती है. इस के साथ ही काले चने के और भी कई फायदे हैं :
* चना फाइबर से भरपूर होता है. इस लिहाज से ये पाचन क्रिया के लिए विशेष फायदेमंद होता है. रातभर भिगो कर रखे गए चने को खाने से कब्ज की समस्या में फायदा होता है. साथ ही, जिस पानी में चने को भिगोया गया हो, उस पानी को फेंकने के बजाय पीने से भी फायदा होगा.
* चना खाने से ऊर्जा मिलती है. आप चने को गुड़ के साथ लेते हैं तो ये और फायदा करेगा.
* डायबिटीज के मरीजों के लिए भी चने का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है.
* अगर आप एनिमिक हैं, तो चने को अपनी आदत में शुमार कर लें. एनीमिया के मरीजों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है.

ये भी पढ़ें- कैमिकल दवाओं का कहर

गेहूं की नई प्रजाति कुदरत 9 : कम पानी में भी मिले अच्छी उपज

छोटा पौधा तकरीबन 85 सैंटीमीटर, बाल की लंबाई तकरीबन 10 इंच, एक बाल में तकरीबन 70-80 दाने होते हैं. इस का दाना मोटा, लंबा व चमकदार है. 1,000 दाने का वजन तकरीबन 70-75 ग्राम है, तो वहीं जिंक आयरन की मात्रा 48 प्रतिशत है.रबी सीजन की फसल गेहूं की नई प्रजाति कुदरत 9 शुगर और दूसरी बीमारियों में काफी लाभदायक है. इस की खूबी यह है कि पौधा छोटा होने के कारण तेज आंधीतूफान आने पर भी गिरता नहीं है. इतना ही नहीं, नई प्रजाति कुदरत 9 में प्रचलित प्रजातियों से डेढ़ गुना अधिक उत्पादन क्षमता होती है.

पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात के लाखों किसान इस प्रजाति को लगा कर बीज से बीज बना रहे हैं. इस की फसल अच्छी जा रही है. यह किस्म तकरीबन 110-120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस की बोआई में प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज लगता है और यह फसल 2-3 पानी में पक जाती है.किसान भाई खेत में गेहूं की फसल देख कर गेहूं बीज की और्डर बुकिंग कर रहे हैं. 4 से 5 गुना मुनाफा मिल रहा है. घर बैठे किसान भाई स्वरोजगार पा रहे हैं.

अधिक जानकारी के लिए कुदरत कृषि शोध संस्था, टडि़या, वाराणसी, उत्तर प्रदेश से भी संपर्क कर सकते हैं. बीज उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त कर इस प्रजाति को पौधा किस्म प्राधिकरण संस्था, दिल्ली के प्रकाश सिंह रघुवंशी के नाम रजिस्टर्ड किया है. 4 बार इन्हें प्रथम राष्ट्रपति पुरस्कार व लाइफटाइम एचीवमैंट पुरस्कार से सम्मानित किया है.नैशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अहमदाबाद, गुजरात इन बीजों को देश के कई कृषि विश्वविद्यालयों जैसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश, चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश व नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश गेहूं अनुसंधान, करनाल, हरियाणा, डा. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार में वितरित कर रहा है.
अधिक जानकारी के लिए प्रकाश सिंह रघुवंशी के मोबाइल नंबर 9580246411, 7020307801, 9415643838 पर संपर्क करें.

 

Crime Story: अंधेरा लेकर आई चांदनी

सौजन्या- सत्यकथा

डाक्टर संजय सिंह भदौरिया बरेली के धनेटा-शीशगढ़ मार्ग से सटे आनंदपुर गांव में रहते
थे. उन के पिता राजेंद्र सिंह गांव के संपन्न किसान थे. परिवार में मां और पिता के अलावा एक छोटा भाई हरिओम और एक बहन पूनम थी. पूनम का विवाह हो चुका था.

संजय डाक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1999 में बरेली के एक अस्पताल में अपनी सेवाएं देने लगे. सन 2000 में नीलम से उन का विवाह हो गया. लेकिन काफी समय बाद भी उन्हें संतान सुख नहीं मिला.
छोटे भाई हरिओम का विवाह बाद में हुआ. हरिओम के 3 बेटे हुए. संजय ने उन्हीं में से एक बेटे को गोद ले लिया था. कई अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने के बाद डा. संजय ने अपना अस्पताल खोलने का निश्चय किया.5 साल पहले उन्होने गौरीशंकर गौडि़या में किराए पर एक इमारत ले कर अस्पताल खोला.

ये भी पढ़ें- Crime Story: फेसबुक की धोखाधड़ी

अस्पताल का नाम रखा ‘आनंद जीवन हौस्पिटल’. अस्पताल अच्छा चलने लगा. लेकिन घर से काफी दूर होने के कारण आनेजाने में दिक्कत होती थी. इसलिए डा. संजय कहीं घर के नजदीक अस्पताल खोलने पर विचार करने लगे. 6 महीने तक गौडि़या में अस्पताल चलाने के बाद संजय ने अपने गांव आनंदपुर से 2 किलोमीटर की दूरी पर विकसित गांव दुनका में एक इमारत किराए पर ले ली. इमारत दुनका गांव निवासी नत्थूलाल की थी, जिसे संजय ने 8 हजार रुपए मासिक किराए पर लिया था. संजय ने अपनी जरूरत के हिसाब से इमारत में बने हाल को 2 हिस्सों में बांट दिया.

एक हिस्से में बैठ कर वह मरीजों को देखते थे. जबकि दूसरा हिस्सा एडमिट किए गए मरीजों के लिए था. मरीजों को दवा भी वहीं दी जाती थी, यह काम उन के छोटे भाई हरिओम सिंह भदौरिया करते थे.
हरिओम बड़े भाई के अन्य कामों में भी सहयोग करते थे. संजय और हरिओम के मामा नत्थू सिंह भी उन के साथ लगे रहते थे. संजय कई सालों से हिंदू युवा वाहिनी से भी जुडे़ थे.

पिछले 5 सालों में संजय का अस्पताल अच्छा चल निकला था. रात में वह अधिकतर अस्पताल में ही रुकते थे. घर जाते तो कुछ ही देर में वापस लौट आते थे. रात में वह अस्पताल परिसर में चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सोते थे. इमारत के बाहर लोहे का एक बड़ा सा गेट था, जो दिन में खुला रहता था लेकिन रात में बंद कर दिया जाता था. रात में कोई मरीज आता तो गेट खोल दिया जाता था.
16/17 सितंबर की रात डा. संजय अस्पताल परिसर में चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सो गए. उन के भाई हरिओम अस्पताल के अंदर मामा नत्थू सिंह के साथ सोए थे.17 सितंबर की सुबह 6 बजे हरिओम उठ कर बाहर आए तो बड़े भाई संजय को मृत पाया. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन की हत्या कर दी थी. यह देख कर हरिओम के मुंह से चीख निकल गई. चीख की आवाज सुन कर मामा नत्थू सिंह भी वहां आ गए. भांजे को मरा पाया तो वह भी सकते में आ गए.

ये भी पढ़ें- Crime Story: अनचाहा पति

हरिओम ने अपने घर वालों को सूचना देने के बाद शाही थाना पुलिस को घटना के बारे में बता दिया. थोड़ी देर में शाही थाना इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

हिंदू युवा वाहिनी के तहसील अध्यक्ष डा. संजय भदौरिया की हत्या की खबर फैलते देर नहीं लगी. हिंदू नेता की हत्या से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया. कई थानों की पुलिस और फील्ड यूनिट के साथ एसएसपी रोहित सिंह सजवान स्वयं मौके पर पहुंच गए.पुलिस अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक के गले, चेहरे, पेट व आंख पर किसी तेज धारदार हथियार से वार किए गए थे. हत्या इतनी बेदर्दी से की गई थी जैसे हत्यारे को मृतक से बेइंतहा नफरत रही हो.

अस्पताल की इमारत के मालिक दुनका में रहने वाले नत्थूलाल थे. पीछे की ओर उन के भाई की दुकानों के टीन शेड में सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पुलिस ने उन कैमरों की रिकौर्डिंग की जांच की.रिकार्डिंग में रात साढ़े 3 बजे के करीब एक युवक अस्पताल में खड़ी टाटा मैजिक के पीछे से निकलते दिखा. वह संजय की चारपाई के नजदीक आया. फिर उस ने मच्छरदानी हटाते ही धारदार छुरे से संजय पर वार करने शुरू कर दिए. एक मिनट के अंदर उस ने संजय का काम तमाम कर दिया और जिस रास्ते से आया था, उसी रास्ते से वापस लौट गया.

ये भी पढ़ें-Crime Story: प्यार का अंजाम

हत्यारे युवक को हरिओम ने पहचान लिया. वह दुनका का ही रहने वाला इमरान था. हत्यारे की पहचान होते ही पुलिस अधिकरियों ने उस की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए.पुलिस की कई टीमें इमरान की तलाश में लग गईं. इंसपेक्टर वीरेंद्र राणा की टीम ने दोपहर पौने एक बजे इमरान को रतनपुरा के जंगल में खोज निकाला. पुलिस को आया देख इमरान ने 315 बोर के तमंचे से पुलिस पर फायर कर दिया, जिस से कोई पुलिसकर्मी हताहत नहीं हुआ.

जवाब में पुलिस ने उस के पैर को निशाना बना कर गोली चला दी, जो सीधे इमरान के पैर में लगी. गोली लगते ही इमरान के हाथ से तमंचा छूट गया और वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगा. पुलिस ने उसे दबोच लिया. इमरान के पास से पुलिस ने एक तमंचा, एक खोखा कारतूस, 2 जिंदा कारतूस और आलाकत्ल छुरा बरामद कर लिया. थाने ला कर जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो पूरा मामला आइने की तरह साफ हो गया.

इमरान शाही थाना क्षेत्र के गांव दुनका में रहता था. वह भाड़े पर टाटा मैजिक चलाता था. इस से पहले वह संजय के अस्पताल के मालिक नत्थूलाल के यहां ड्राइवर था. इमरान की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. उस के पिता छोटे तांगा चलाते थे. इमरान 3 भाइयों में सब से बड़ा था.इमरान के घर से कुछ दूरी पर चांदनी उर्फ मायरा बानो (परिवर्तित नाम) रहती थी. नाम के अनुसार उस के रूप की चांदनी भी लोगों को लुभाती थी.

ये भी पढ़ें- Crime Story: पराया धन, पराई नार पर नजर मत डालो क्योंकि…

उम्र के 18वें बसंत में चांदनी का यौवन अपने चरम पर था. खूबसूरत देहयष्टि वाली चांदनी युवकों से बात करने में हिचकती थी, वह बातबात में शरमा जाती थी. यौवन द्वार पर आते ही उस में कई परिवर्तन आ गए थे, शारीरिक रूप से भी और सोच में भी.कई युवक उस के आगेपीछे मंडराते थे, लेकिन चांदनी इमरान को पसंद करती थी. इमरान काफी स्मार्ट था, वह उस की नजरों से हो कर दिल में उतर गया था. इमरान भी उस के आगेपीछे मंडराता था.

दोनों एकदूसरे से परिचित थे. घर वाले भी एकदूसरे के घर आतेजाते थे. ऐसे में उन के बीच बातचीत होती रहती थी. लेकिन जब से उन के बीच प्यार के अंकुर फूटने लगे थे, तब से उन के बीच संकोच की दीवार सी खड़ी हो गई थी.जब भी इमरान उस की आंखों के सामने होता तो उस की निगाहें उसी पर जमी रहतीं. चेहरे पर इस की खुशी साफ झलकती थी. इमरान को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल तो वैसे भी चांदनी के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों से एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. दोनों इस बात को महसूस भी करते थे, लेकिन बात जुबां पर नहीं आ पाती थी.

एक दिन चांदनी जब इमरान के घर गई तो उस समय वह घर में अकेला था. चांदनी को देखते ही इमरान का दिल तेजी से धड़कने लगा. उसे लगा कि दिल की बात कहने का इस से अच्छा मौका नहीं मिलेगा. इमरान ने उसे कमरे में बैठाया और फटाफट 2 कप चाय बना लाया.चाय का घूंट भर कर चांदनी उस से दिल्लगी करती हुई बोली, ‘‘चाय तो बहुत अच्छी बनी है. बेहतर होगा कहीं चाय की दुकान खोल लो. खूब बिक्री होगी.’’

‘‘अगर तुम रोजाना दुकान पर आ कर चाय पीने का वादा करो तो मैं दुकान भी खोल लूंगा.’’ इमरान ने चांदनी की बात का जवाब उसी अंदाज में दिया तो चांदनी लाजवाब हो गई.
दोनों इसी बात पर काफी देर हंसते रहे, फिर इमरान गंभीर हो कर बोला, ‘‘चांदनी, मुझे तुम से एक बात कहनी थी.’’‘‘हां, कहो न.’’‘‘सोचता हूं कहीं तुम बुरा न मान जाओ.’’‘‘जब तक कहोगे नहीं कि बात क्या है तो मुझे कैसे पता चलेगा कि अच्छा मानना है कि बुरा.’’‘‘चांदनी, मैं तुम से दिलोजान से प्यार करता हूं. ये प्यार आज का नहीं बरसों का है जो आज जुबां पर आया है. ये आंखें तो बस तुम्हें ही देखना पसंद करती हैं, तुम्हारे पास रहने से दिल को करार आता है. तुम्हारे प्यार में मैं इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

इमरान के दिल की बात जुबां पर आई तो सुन कर चांदनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया. पलकें झुक गईं, होंठों ने कुछ कहना चाहा लेकिन जुबां ने साथ नहीं दिया. चांदनी की यह हालत देख कर इमरान बोला, ‘‘कुछ तो कहो चांदनी. क्या मैं इस लायक नहीं कि तुम से प्यार कर के तुम्हारा साथ पा सकूं.’’
‘‘क्या कहना ही जरूरी है, तुम अपने आप को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. सच पूछो तो जो हाल तुम्हारा है, वही हाल मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया था. पर डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’

चांदनी ने अपनी चाहत का इजहार कर दिया तो इमरान खुशी से झूम उठा. उसे लगा जैसे सारी दुनिया की दौलत चांदनी के रूप में उस की झोली में आ समाई हो.एक बार दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ तो फिर उन के मिलनेजुलने का सिलसिला बढ़ गया. अब दोनों रोज गांव के बाहर एक सुनसान जगह पर मिलने लगे. वहां दोनों एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते. जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती गई.

इसी बीच एक दिन चांदनी को पेट दर्द की समस्या हुई तो उस ने इमरान को बताया. इमरान डा. संजय भदौरिया से परिचित था. इसलिए वह चांदनी को इलाज के लिए संजय के अस्पताल ले आया. डा. संजय ने चांदनी का चैकअप किया, फिर कुछ दवाइयां लिख दीं, जोकि उन के हौस्पिटल के मैडिकल स्टोर में उपलब्ध थीं, हरिओम ने पर्चे में लिखी दवाइयां दे दीं.

चांदनी को देखते और उसे छूते समय संजय को एक सुखद अनूभूति हुई थी. चांदनी की खूबसूरती को देख संजय की आंखें चुंधिया गई थीं, दिल में भी उमंगें उठने लगी थीं. उस दिन के बाद चांदनी संजय के पास दवा लेने के लिए अकेले ही आने लगी. संजय उसे अकेले में देखता और उस से खूब बातें करता. बातोंबातों में उस ने चांदनी को अपने प्रभाव में लेना शुरू कर दिया. उस ने चांदनी से दवा के पैसे लेना भी बंद कर दिया था.

चांदनी भी संजय से खुल कर बातें करती थी. एक दिन संजय ने उस से कहा, ‘‘चांदनी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. लगता है मैं तुम्हें बहुत चाहने लगा हूं.’’यह कह कर संजय ने चांदनी के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं. यह सुन कर चांदनी पल भर के लिए चौंकी, फिर बोली, ‘‘आप मुझ से उम्र में बहुत बड़े हैं और शादीशुदा भी. ऐसे में प्यार मुझ से…’’‘‘पगली, प्यार उम्र और बंधन को कहां देखता है, जिस से होना होता है, हो जाता है. तुम मुझे अब मिली हो, अगर पहले मिल जाती तो मैं तुम से ही शादी करता. खैर अब वह तो हो नहीं सकता, उस की क्या बात करें. मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगा, तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा.’’

‘‘मैं इमरान से प्यार करती हूं और हम दोनों शादी भी करने वाले हैं.’’‘‘इमरान से प्यार कर के तुम्हें क्या मिलेगा? वह एक मामूली इंसान है. तुम्हारी खुशियों का खयाल नहीं रख पाएगा. मेरे पास पैसा है, शोहरत है. मैं तुम्हारे लिए बहुत कुछ कर सकता हूं. हर तरह से…’’‘‘आप की बात तो सही है लेकिन…’’ दुविधा में पड़ी चांदनी इस से आगे कुछ नहीं बोल पाई.‘‘सोच लो, विचार कर लो, वैसे भी जिंदगी के अहम फैसले जल्दबाजी में नहीं लिए जाते. कोई जल्दी नहीं है, आराम से सोच कर बता देना.’’इस के बाद चांदनी अस्पताल से घर लौट आई. उस के दिमाग में तरहतरह के विचार उमड़घुमड़ रहे थे. इमरान उस का प्यार था लेकिन सिर्फ प्यार से अच्छी जिंदगी नहीं गुजारी जा सकती थी. अच्छी जिंदगी के लिए पैसों की जरूरत
होती है, वह जरूरत संजय से पूरी हो सकती थी.

संजय के प्यार को स्वीकार कर के वह अच्छी जिंदगी गुजार सकती थी. आगे चल कर वह उसे शादी के लिए भी मना सकती थी, नहीं तो वह उस की दूसरी बीवी की तरह ताउम्र गुजार सकती थी. चांदनी का मन बदल गया और उस का फैसला संजय के हक में गया था.अगले ही दिन चांदनी संजय के अस्पताल पहुंच कर उस से मिली. उस के चेहरे की खुशी देख कर संजय जान गया था कि चांदनी ने उस का होने का फैसला कर लिया है. फिर भी अनजान बनते हुए उस ने चांदनी से पूछ लिया, ‘‘तो चांदनी, तुम ने क्या सोचा…इमरान या मैं?’’

‘‘जाहिर है आप, आप को न चुनती तो मैं यहां वापस आती भी नहीं.’’ चांदनी ने बड़ी अदा से मुसकराते हुए कहा. संजय उस का फैसला सुन कर खुश हो गया.उस दिन के बाद से संजय और चांदनी का मिलनाजुलना बढ़ गया. दोनों एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए. इन नजदीकियों के बाद चांदनी ने इमरान से दूरी बनानी शुरू कर दी. चांदनी का अपने प्रति रूखा व्यवहार देख कर इमरान को उस पर शक हो गया. वह उस पर नजर रखने लगा. जल्द ही उसे सारी सच्चाई पता चल गई.

इस बात को ले कर वह चांदनी से तो झगड़ा ही, संजय से भी लड़ा. संजय ने उसे डांटडपट कर वहां से भगा दिया. अपनी प्रेमिका को अपने से दूर जाते देख कर इमरान बौखला गया. वह उस दिन को कोसने लगा जब वह चांदनी को इलाज के लिए संजय के पास ले गया था. संजय ने उस की पीठ में छुरा घोंपा था. इसलिए उस ने संजय की जिंदगी छीन लेने का फैसला कर लिया.

16/17 सितंबर की रात साढ़े 3 बजे के करीब वह संजय के अस्पताल में घुसा. उस ने संजय को बाहर चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सोते देखा. वह चारपाई के नजदीक पहुंचा और मच्छरदानी हटा कर साथ लाए छुरे से संजय पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए. सोता हुआ संजय चीख तक न सका और उस की मौत हो गई. संजय को मौत के घाट उतारने के बाद इमरान जिस रास्ते से आया था, उसी रास्ते से अस्पताल से बाहर निकल गया. वहां से जाने के बाद वह रतनपुरा के जंगल में जा कर छिप गया.

लेकिन उस का गुनाह तीसरी आंख में कैद हो गया था, जिस के बाद पुलिस को उस तक पहुंचने में देर नहीं लगी. इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा ने हरिओम को वादी बना कर इमरान के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस के अलावा मुठभेड़ के दौरान पुलिस पर जानलेवा हमला करने के लिए भी उस के खिलाफ धारा 307 का मुकदमा भी दर्ज किया गया.

आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद इमरान को न्यायालय में पेश
कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज
दिया गया.

सफलता के लिए पांच “स’ का पालन करे

लेखक-विनय सिंह 

सफलता के लिए स का पांच रूप का नित्य पालन करे, सफलता आपके कदमो में होगी. हरेक व्यक्ति को जिंदगी में कभी न कभी खास बनने के अवसर आते हैं लेकिन अक्सर वे गलतफहमी या फिर खुद को कम आंकने के कारण मंजिल नहीं पाते. जिन्दगी के हर मूड पर हर मुश्किलों को आसन करने वाले पांच ’स‘ को अपने जीवन में उतारे, और अपने जीवन को सफल बनाये.

समुचित शिक्षा:-शिक्षा किसी को भी महान बनती है, एक श्रेष्ठ विचार के लिए शिक्षित व्यक्ति का होना आवश्यक है. अच्छी और पूरी शिक्षा सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. बदलती दुनिया, बदलती तकनीक, आइडिया, अपरच्युनिटी और इनवायरमेंट काफी अहम है. इसलिए अलग-अलग गुण हासिल करने में खुद को लचीला बनाएं. अच्छी शिक्षा कभी व्र्यथ नहीं जाती. पढ़ने और सिखाने का कोई उम्र नही होता, इसलिए आपको जहाँ भी मौका मिले ज्ञान बटोरने में कंजूसी ना कीजिये.

ये भी पढ़ें- Winter Special: मंगौड़ी पापड़ की सब्जी, जानें कैसे बनाएं

सर्वर्श्रेष्ठ प्रदर्शन :- आप जहां भी, जैसे भी काम कर रहे हैं, अपना र्सवश्रेष्ठ प्र्रदशित करें. आप जहां भी काम कर रहे हैं, गहरी जानकारी रखें. सबकुछ सीखने की कोशिश करें, भले ही आपने किसी क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन की हो. इससे आप पूरे आत्मविश्वास के साथ काम कर पाएंगे.

समय प्रबंधन : – समय प्रबंधन आपके हर काम को सफल बनाने में 50 प्रतिशत तक मददगार होती है. सफल और असफल लोगों के समय में काफी अंतर होता है. फुर्तीले, समय के साथ व्यवस्थित रहने वाले के कदम सफलता हमेशा चूमती है. हर काम को चुनौती के तौर पर लेना सफल लोगों का शगल होता है जिसे वे बेहतर प्रबंधन के जरिए अंजाम देते हैं. अगर जिंदगी के हर मोड़ पर सफल होना है, तो समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा.

ये भी पढ़ें- Winter Special: ऐसे बनाएं मल्टीग्रेन गा​र्लिक ब्रेड

संवाद :- आपका संवाद आपके सोच का दर्पण होता है. अपने विचार प्रकट करना और दूसरे के विचार सुनना अहम गुण हैं. संवाद के लिए तीन बातें महत्वपूर्ण हैं- कंटेंट, प्लानिंग और प्रजेंटेशन. किसी भी विषय पर अपनी बात रखने से पहले उस विषय का गहन अध्ययन जरूरी है. इसके बाद कंटेंट तैयार कर बोलने का अभ्यास करें. पत्र-पत्रिकाओं के अलावा किताबें पढ़ना भी एक कला है. हल्के-फुल्के उपन्यास, कथा साहित्य के साथ विभिन्न ज्ञानर्वधक चैनल से काफी जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं.

ये भी पढ़ें- अलसी के लड्डू बनाने का आसान तरीका, सर्दी में होगा फायदा

संयम: – जिंदगी के हर मोड़ पर मुश्किलों का पहाड़ो का सामना करना पड़ता है, जो हमारी सफलता हो निश्चित करती है, इसमें हमारा संयम हम सभी को एक नई शक्ति प्रदान करती है,जिसके मदद से हर समस्या को दूसरों के नजरिए से देखने समझने की कोशिश करते है. मुश्किलों के समय निम्न बातो का ध्यान रखते हुए अपने आप को सदा संयम में रखे.अपनी तारीफ खुद कभी न करें. हमेशा ऐसे काम करें कि दूसरी आपकी तारीफ करें. ऐसे मामलों में संयम बरतें. घर-परिवार से लेकर ऑफिस की छोटी-छोटी बातें को तूल न दें. दूसरों की बातें भी मानें. इस बात से कोई र्फक नहीं पड़ता, यदि आपसे जूनियर या सीनियर ने आपको कुछ कह दिया. दूसरों की छोटी-छोटी बातों को मानकर और छोटी-छोटी गलतियों को माफ कर आप उनकी नजरों में महान बनते हैं. दूसरों को खुशी देने से आप भी खुद खुश रहेंगे.

 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें