एक किराने की दुकान में काम करने वाला पी. राजगोपाल ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह करोड़पति बन जाएगा और उस की कंपनी 21 देशों में कारोबार करने लगेगी. इसका श्रेय वह एक ज्योतिषी को देता है. मगर यही ज्योतिषी एक दिन उस के लिए काल भी बन जाएगा, यह भी उस ने नहीं सोचा होगा.

इस की शुरुआत तब हुई जब एक ज्योतिषी ने उसे तीसरी शादी करने के लिए बोल दिया. एक बार उस ने एक अखबार के पत्रकार से बातचीत करते हुए कहा था, ‘‘मेरी जिंदगी तो ज्योतिष की भविष्यवाणी से बदल गई. उस ने मुझ से कहा था कि तुम एक रेस्टोरैंट खोलो. मैं ने उन का कहा माना और आज जो कुछ हूं ज्योतिषी की ही वजह से.’’

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पी राजगोपाल जैसेजैसे पैसा कमाता गया वैसेवैसे वह अंधविश्वासी और धर्मभीरु भी बनता गया. दौलत की अकड़ में वह खुद को बादशाह मानने लगा था और धीरेधीरे ऐयाश भी हो गया था.

घोर अंधविश्वासी

कहते हैं जब पैसा आता है तो व्यक्ति को घमंड आ जाता है. वह खुद को अच्छा और सामने वाले को नकारा समझने लगता है. राजगोपाल के पास पैसा आया तो खुद को सर्वश्रेष्ठ समझना और सामने वाले को नकारा समझना उस की बङी भूल थी. सब से बड़ी गलती तो उस ने तब कर दी जब वह घोर अंधविश्वासी भी बन बैठा. वह घंटों पूजापाठ करता और माथे पर बड़ा सा तिलक लगाता. ज्योतिषियों से अपना भविष्य पूछता और वह जो कहता वही करता.

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धीरेधीरे जब उस का व्यवसाय बढऩे लगा तो पी राजगोपाल डोसा किंग के नाम से मशहूर होने लगा. उस की कंपनी दक्षिण भारतीय व्यंजन की रैस्टोरैंट चेन सर्वाना भवन देशविदेश में धूम मचाने लगी. फिलहाल कंपनी का कुल राजस्व लगभग 1 करोड़ डौलर से ज्यादा का है और कंपनी में 8 हजार से अधिक लोग काम करते हैं.

दौलत बढ़ा तो राजगोपाल की महत्त्वाकांक्षाएं भी बढ़ गईं. उस ने 2 शादियां कीं और हद की बात यह है कि तीसरी शादी करने की सोची. वह फिर ज्योतिषी के पास गया. शादी की बाबत बात की और भविष्य पूछा. यजमान का दिल तोडऩा उचित नहीं देख ज्योतिष ने भविष्यवाणी कर दी, ‘‘यह तीसरी शादी तुम्हारे लिए लाभकारी है.’’

पतन की शुरुआत

बस यहीं से राजगोपाल का पतन शुरू हो चुका था. दरअसल, तीसरी शादी वह अपनी ही कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी की बेटी से करना चाहता था. एक दिन उस युवती को देखा तो उस को दिल दे बैठा. मगर वह युवती शादीशुदा थी. वह युवती को महंगे से महंगा उपहार भेंट करने लगा.

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उधर युवती के पति संतकुमार को अपनी पत्नी से दूरी बनाने के लिए वह दबाव बनाने लगा. राजगोपाल चाहता था कि संतकुमार अपनी पत्नी से नाता तोड़ ले तो उस के लिए रास्ता साफ हो जाएगा. पर संतकुमार ने इस के लिए साफ मना कर दिया.

इस से बौखला कर राजगोपाल ने 28 सितंबर, 2001 को संतकुमार का अपहरण करवा दिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए युवती और उस के परिवार वालों ने एफआईआर करवा दी. तब अचानक 12 अक्तूबर, 2001 को संतकुमार पुलिस कमिश्नर के औफिस में दिखा और उस ने अपहरण के दौरान अपने साथ हुए बदसलूकी के बारे में बताया.

खौफनाक इरादे

संतकुमार के लौट आने से परिवार वालों ने राहत की सांस ली. मगर इस के अगले 6 दिन बाद ही संतकुमार का फिर से अपहरण हो गया. युवती से एकतरफ मुहब्बत में पागल पी राजगोपाल ने उस पर पति से नाता तोड़ शादी करने के लिए दबाव बनाने लगा. युवती नहीं मानी. राजगोपाल ने उसे ढेरों प्रलोभन दिए, रानी बना कर रखने का ख्वाब दिखाया मगर फिर भी वह नहीं मानी तो उस के अगले दिन उस के पति संतकुमार का शव कडाइकोनाल के टाइगर जंगल में पड़ा मिला.

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इस हत्या से इलाके में सनसनी फैल गई. कोई भी पी राजगोपाल के खिलाफ बोलने से डर रहा था. सब मौन थे. लेकिन अपने पति की हत्या से आहत युवती ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पी राजगोपाल को मुख्य आरोपी बताया. इस हत्या मेंं  संलिप्त 5 अन्य लोगों पर भी मुकदमा चलाया गया.

ले डूबा अंधविश्वास

तब साल 2004 में चेन्नई की एक अदालत ने पी राजगोपाल और 5 अन्य लोगों को दोषी ठहराते हुए 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई. मगर युवती इतने भर से नहीं मानी. उस ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील की. यहां 5 साल मुकदमा चलने के बाद न्यायालय ने दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए 55 लाख रुपए का जुरमाना भी लगाया.

तब मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वणा भवन के मालिक पी राजगोपाल सुप्रीम कोर्ट  पहुंचा. मगर सुप्रीम कोर्ट ने भी मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया.

कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई के दौरान भी पी राजगोपाल ने यह माना था कि तीसरी शादी करने के लिए वह ज्योतिषी की शरण में गया था. तब ज्योतिषी ने बताया था कि उस की तीसरी शादी सफल होगी और वह पहले से ज्यादा मजबूत बनेगा और ढेरों पैसा कमाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने जब उस के खिलाफ सजा सुनाई तो वह बारबार रहम की भीख मांग रहा था, बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला दे रहा था.

राजगोपाल की ऐयाशी, दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर रखना और अंधविश्वासी होना ही अंतत: उस को ले डूबा. अब हालांकि सवर्णा भवन कंपनी को उस के 2 बेटे चलाएंगे पर राजगोपाल की बाकी बची जिंदगी सलाखों के पीछे ही गुजरेगी.

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