सत्येंद्र और सारिका एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे, सत्येंद्र के पिता सारिका को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो गए थे. लेकिन सारिका के पिता राकेश लोध नहीं माने.
उस दिन मई 2019 की 17 तारीख थी. आसमान पर काले बादल छाए थे और सुबह से ही बूंदाबांदी हो रही थी. उन्नाव के अतरी गांव का रहने वाला अरविंद खराब मौसम की परवाह किए बगैर अपने खेत पर खरबूजे तोड़ने पहुंच गया. दरअसल अरविंद ताजे खरबूजे खेत से तोड़ता फिर झल्ली में रख कर साइकिल से गांवगांव में फेरी लगाने निकल जाता था.
उस दिन जब वह खरबूजे तोड़ रहा था तभी उस की निगाह खेत से कुछ दूरी पर झाड़ी के पास पड़ी. वहां कुछ कुत्ते घूम रहे थे. वे अपने पंजों से जमीन को कुरेद रहे थे. अरविंद के मन में जिज्ञासा जागी तो उस ने खरबूजे तोड़ने बंद कर दिए और कुत्तों के झुंड के पास पहुंच गया. वहां अरविंद ने जो देखा, उस से उस के होश उड़ गए.
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जमीन के अंदर कोई लाश दफन थी. लाश का एक हाथ व एक पैर कुत्तों ने जमीन खोद कर बाहर निकाल लिया था और उसे नोंच रहे थे. यह देखते ही अरविंद उसी समय बदहवास सा गांव की ओर भागा और गांव पहुंच कर यह जानकारी लोगों को दे दी.
जिस ने भी अरविंद की बात सुनी, वही उस के खरबूजे के खेत की ओर भागा. देखते ही देखते खेत पर लोगों की भीड़ जुट गई. उसी समय किसी ने जमीन में शव दफन होने की जानकारी हाजीपुर पुलिस चौकी में दे दी तो चौकी इंचार्ज हामिद 2-3 सिपाहियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को सूचना दी, फिर पुलिसकर्मियों की मदद से शव को जमीन से बाहर निकलवाया.