फरवरी और मार्च आम के लिए खास महत्त्व वाले महीने होते?हैं. इन्हीं महीनों में आम में बौर आने का समय होता है या बौर लग चुका होता है. बौर लगने से ले कर तोड़ाई तक आम के तमाम दुश्मन कीट होते हैं, जो जरा सी सावधनी हटने पर बड़ा नुकसान कर देते हैं. आइए जानते हैं आम की फसल में लगने वाले खास कीटों और उन की रोकथाम के बारे में.

मैंगो हापर : इसे कुटकी, भुनगा या लस्सी कीट के नाम से?भी जाना जाता है. इस कीट का प्रकोप बौर निकलते ही जनवरीफरवरी में शुरू हो जाता है. यह एक छोटा, तिकोने शरीर वाला भूरे रंग का आम का सब से खतरनाक कीट?है. ये कीट आम की नई पत्तियों व फूलों का रस चूसते?हैं. प्रभावित भाग पर इन के द्वारा छोड़े गए स्राव से सूटी मोल्ड (काली फफूंदी) उग जाती?है. इस से पत्तियों का भोजन बनने का काम रुक जाता?है.

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इस की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 40 ईसी 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या डाईमेथोएट 30 ईसी 1.5-2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या 50 फीसदी घुलनशील कार्बोरिल 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रहे कि कीटनाशक का पहला छिड़काव बौर की 2-3 इंच अवस्था पर, दूसरा छिड़काव उस के 15-20 दिनों बाद और तीसरा छिड़काव जब फल सरसों के दाने के आकार के हो जाएं तब किया जाना चाहिए.

मैंगो मिली बग : इसे चेंपा के नाम से भी जानते हैं. यह कोमल शाखाओं व फूलों के डंठलों पर फरवरी से मई तक चिपका हुआ पाया जाता?है. यह कोमल भागों का रस चूस कर एक लसलसा पदार्थ छोड़ता?है, जो कि फफूंदी रोगों को बढ़ावा देता?है. इस से ग्रसित फूल बिन फल बनाए ही गिर जाते हैं.

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