लेखक-डा. नागेंद्र कुमार त्रिपाठी

भारत ने दुग्ध उत्पादन में बड़ी तेजी के साथ विश्व बाजार में अपनी एक पहचान बनाई है. विश्व में आज भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में शीर्ष पर है. जिस स्तर पर हम आज दूध उत्पादन कर रहे हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है. इस लय को बरकरार रखने के लिए हमें अपने दुधारू पशुओं का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है. दुधारू पशुओं को पालने में जो सब से बड़ी समस्या आती है, वह है पशुओं में होने वाली बीमारियां. उन की देखभाल करना जरूरी है. यदि एक पशु में कोई बीमारी हो जाता हैं कि तो दूसरे पशु भी इस का शिकार होने लगते हैं. यदि इन की उचित देखभाल न की जाए, तो बीमारी घातक हो जाती है. कुछ बीमारियां इतनी भयानक होती हैं कि दुधारू पशुओं की मौत तक हो जाती है.

इन बीमारियों में गलघोंटू, मुंहपकाखुरपका और लंगड़ी बुखार मुख्य हैं. लंगड़ी बुखार एक जानलेवा बीमारी है. यदि पशु इस की चपेट में आ जाए और समय पर उस की देखभाल न हो, तो उस की मौत तक हो जाती है. आज हम आप को लंगड़ी बुखार बीमारी के लक्षणों और इस के इलाज के बारे में कुछ जरूरी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. लंगड़ी बुखार वैसे तो यह बीमारी गाय और भैंसों दोनों में होती है. परंतु यह बीमारी गाय में अधिक पाई जाती है. यह एक खतरनाक बीमारी है. सब से पहले पशु की पिछली व अगली टांगों के ऊपरी भाग में भारी सूजन आ जाती है, जिस से पशु लंगड़ा कर चलने लगता है या फिर बैठने लगता है. जिस भाग पर सूजन आई होती है, उसे दबाने पर कड़कड़ की आवाज आती है. इस से बचने के लिए पशु का उपचार शीघ्र करवाना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी के जीवाणुओं द्वारा हुआ जहर शरीर में पूरी तरह फैल जाने से पशु की मौत हो जाती है.

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