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क्या मंजिल तक पहुंच पाएगी स्वाभिमान से संविधान यात्रा

दलितों के सर एक बड़ा खतरा इन दिनों आरक्षण के छिन जाने का मंडरा रहा है. 3 तलाक और 370 के बाद अब भाजपा सरकार अगला अहम कदम उठाएगी जो उसके हिंदूवादी एजेंडे का हिस्सा होगा इस पर देशी से ज्यादा विदेशी मीडिया की नजरें हैं. कुछ का अंदाजा है कि भाजपा पहले राम मंदिर निर्माण को प्राथमिकता देगी जबकि कुछ को आशंका है कि वह पहले आरक्षण खत्म करेगी और उसके तुरंत बाद राम मंदिर का काम लगाएगी जिससे संभावित दलित विद्रोह और हिंसा का रुख राम की तरफ मोड़ा जाकर उसे ठंडा किया जा सके.

पिछले दिनी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने फिर आरक्षण को लेकर अपनी मंशा और मंसूबे यह कहते जाहिर कर दिये हैं कि आरक्षण विरोधी और समर्थकों को सौहाद्रपूर्ण माहौल में बैठकर इस मसले पर विमर्श करना चाहिए. विमर्श यानि तर्क कुतर्क और बहस जिसमें स्वभाविक तौर पर हल्ला मचेगा और यही भगवा खेमा चाहता है.

यह विमर्श हालांकि एकतरफा ही सही सोशल मीडिया पर लगातार तूल पकड़ रहा है जिसमें सवर्ण भारी पड़ रहे हैं और इसकी अपनी कई वजहें भी हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार दलित बड़े पैमाने पर भाजपा की तरफ झुके थे तो इसकी बड़ी वजह बतौर प्रधानमंत्री पेश किए गए खुद नरेंद्र मोदी का उस तेली साहू जाति का होना था जिसकी गिनती और हैसियत आज भी दलितों सरीखी ही है. प्रसंगवश यहां मध्यप्रदेश के जबलपुर का उल्लेख जरूरी है जहां के साहू मोहल्ले और तेली गली में आज भी लोग सुबह सुबह इस जाति के लोगों का चेहरा देखने से कतराते हैं. शेष देश इस मानसिकता से अछूता नहीं है.

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तब लोगों खासतौर से दलितों को लगा था कि भाजपा केवल सवर्णों की नहीं बल्कि उनकी भी पार्टी है जो उसने एक लगभग दलित चेहरा पेश किया. इसके बाद भी भाजपा ने दलित प्रेम का अपना दिखावा जारी रखा और तरह तरह के ड्रामे किए जिनमे उसके शीर्ष नेताओं का दलितों के घर जाकर उनके साथ खाना खाना और दलित संतों के साथ कुम्भ स्नान प्रमुख थे. इसका फायदा उसे मिला भी और दलित उसे वोट करता रहा. 2019 के चुनाव में आरक्षण मुद्दा बनता लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक की सुनामी उसे बहा ले गयी और राष्ट्रवाद के नाम पर सभी लोगों ने मोदी को दोबारा चुना.

3 तलाक और 370 की कामयाबी के बाद जैसे ही मोहन भागवत ने आरक्षण पर विमर्श की बात की तो दलित समुदाय बैचेन है क्योंकि अब राजनीति में उसका कोई माई बाप नहीं है और बहिन जी कही जाने बाली बसपा प्रमुख मायावती भाजपा के सुर में सुर मिला रहीं हैं. दूसरे पांच साल में भाजपा तकनीकी तौर पर दलितों को दो फाड़ कर चुकी है और कई नामी दलित नेता उसकी गोद में खेल रहे हैं. और जिन्होंने उसकी असलियत भांपते इस साजिश का हिस्सा बने रहने से इंकार कर दिया उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर निकाल फेकने में भी भाजपा ने देर नहीं की इनमे सावित्री फुले और उदित राज के नाम प्रमुख हैं.

कांग्रेस का दांव

इधर कांग्रेसी खेमे को समझ आ रहा है कि उसकी खिसकती जमीन की बड़ी वजह परंपरागत वोटों का उससे दूर हो जाना है जिनमे मुसलमानों से भी पहले दलितों का नंबर आता है. अब वह भुल सुधारते फिर दलितों को अपने पाले में लाने स्वाभिमान से संविधान नाम की यात्रा निकालने जा रही है. इस बाबत उसका फोकस हाल फिलहाल दिवाली के आसपास प्रस्तावित तीन राज्यों हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव हैं.

कुछ दिन पहले ही कांग्रेस की अन्तरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के नेताओं से मुलाक़ात कर इस यात्रा को हरी झंडी दे दी है जिसके तहत फिर से दलितों को कांग्रेस से जोड़ने युद्ध स्तर पर कोशिशें की जाएंगी. कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के मुखिया नितिन राऊत की मानें तो स्वाभिमान से संविधान यात्रा के तहत हरेक विधानसभा में एक कोआर्डिनेटर नियुक्त किया जाएगा जो अपनी विधानसभा में इस यात्रा को आयोजित करेगा.

दलितों को लुभाने का यह दांव कितना सफल हो पाएगा यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे लेकिन कांग्रेस की एक बड़ी मुश्किल यह है कि उसके पास भी बड़े और जमीनी दलित नेताओं का टोटा है दूसरे वह इस यात्रा में आरक्षण छिन जाने का षड्यंत्र दलितों को नहीं बताएगी बल्कि चलताऊ बातें करेगी .

मोहन भागवत सहित कई वरिष्ठ भाजपाई नेता सीपी ठाकुर और नितिन गडकरी भी जातिगत आरक्षण खत्म करने की मंशा जाहिर कर चुके हैं जिन्हें कांग्रेस चुनावी मुद्दा न बनाने की गलती या चूक करेगी तो तय है यह यात्रा निरर्थक ही साबित होगी क्योंकि भाजपा ने दलितों को धर्म कर्म के नाम पर एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसाने में कामयाबी हासिल कर ली है जिसमे वह अभिमन्यु की तरह छटपटा रहे हैं.

इधर सोशल मीडिया पर भगवा खेमा लगातार यह कह रहा है कि छुआछूत और जातिगत भेदभाव सहित दलित प्रताड़ना के मामले अब अपवाद स्वरूप ही होते हैं. फसाद या बैर की असल जड़ तो आरक्षण है जिसके चलते दलित अपनी योग्यता नहीं दिखा पा रहे हैं. सवर्ण तो चाहते हैं कि दलित युवा अपनी काबिलियत के दम पर आगे आकर हिन्दुत्व की मुख्यधारा से जुड़ें, उनका इस मैदान में स्वागत है.

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यह कतई हैरानी की बात नहीं कि मुट्ठी भर दलित युवा इसे एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं और ये वे दलित हैं जिन्हे अपने ही समुदाय के लोगों की बदहाली की वास्तविकता और इतिहास सहित भविष्य का भी पता नहीं. ये लोग भरे पेट हैं, शहरी हैं और सम्पन्न होने के चलते यह मान बैठे हैं कि पूरा दलित समुदाय ही उन्हीं की तरह है जिसे आरक्षण की बैशाखी फेंक देना चाहिए. यही दलित युवा भाजपा की ताकत हैं जो आरक्षण खत्म होने पर निर्विकार और तटस्थ रहकर अपने ही समाज की बरबादी में उल्लेखनीय योगदान देंगे क्योंकि सवर्ण उन्हें गले लगाकर बराबरी का दर्जा देता है. उनके लिए यह षड्यंत्रकारी बराबरी ही भगवान का प्रसाद है .

बारीकी से गौर किया जाये तो भाजपा दलितों को बहला फुसला कर आरक्षण छोड़ने राजी करने की भी कोशिश कर रही है और वही धौंस भी दे रही है जो 3 तलाक और 370 के मुद्दों पर मुसलमानों को दी थी कि यह कोई बदला या ज्यादती नहीं बल्कि तुम्हारे भले की ही बात है . अगर सीधे से नहीं मानोगे तो यह काम दूसरे तरीकों से भी किया जा सकता है लेकिन भाईचारा और भलाई इसी में है कि सहमत हो जाओ .

अब ऐसे में अगर कांग्रेस की यात्रा हवाहवाई बातों और सीबीएससी की बढ़ी हुई फीस जैसे कमजोर मुद्दों में सिमटकर रह गई तो लगता नहीं कि वह मंजिल तक पहुंच पाएगी अगर उसे वाकई दलितों के वोट और समर्थन चाहिए तो भाजपा की असल मंशा तो दलितों के कान में पिघले शीशे की तरह डालना ही होगी नहीं तो न उसका भला होगा और न ही दलितों का.

रिटर्न गिफ्ट- भाग 2: अंकिता को बर्थडे पर क्या गिफ्ट मिला

मम्मी के एक सहयोगी के बेटे की बरात में हम शामिल हुए तो पहले मेरी मुलाकात शिखा से हुई थी. मेरी तरह उसे भी नाचने का शौक था. हम दोनों दूल्हे के बाकी रिश्तेदारों को नहीं जानते थे, इसलिए हमारे बीच जल्दी ही अच्छी दोस्ती हो गई थी.

खाना खाते हुए शिखा ने अपने पापा राकेशजी से मेरा परिचय कराया था. उस पहली मुलाकात में ही उन्होंने अपने हंसमुख स्वभाव के कारण मुझे बहुत प्रभावित किया था. जब शिखा और मेरे साथ उन्होंने बढि़या डांस किया तो हमारे बीच उम्र का अंतर और भी कम हो गया, ऐसा मुझे लगा था.

शिखा से मेरी मुलाकात रोज ही होने लगी क्योंकि हमारे घर पासपास थे. अकसर वह मुझे अपने घर बुला लेती. जब तक मेरे लौटने का समय होता तब तक उस के पापा को आफिस से आए घंटा भर हो चुका होता था.

उन के साथ गपशप करने का मुझे इंतजार रहने लगा था. वह मेरा बहुत ध्यान रखते थे. हर बार मेरी मनपसंद खाने की कोई न कोई चीज वह मुझे जरूर खिलाते. उन के साथ हंसतेबोलते घंटे भर का समय निकल जाने का पता ही नहीं लगता था.

फिर उन्होंने मुझे घर तक छोड़ आने की जिम्मेदारी ले ली तो हम आधा घंटा और साथ रहने लगे. इस आधे घंटे के समय में उन्होंने मेरी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जान लिया था.

जब पापा की सड़क दुर्घटना में 6 साल पहले मौत हुई थी तब मैं 14 साल की थी. मम्मी तो बुरी तरह से टूट गई थीं. उन्हें रातदिन रोते देख कर मैं कभीकभी इतनी ज्यादा दुखी और उदास हो जाती कि मन में आत्महत्या करने का विचार पैदा हो जाता. उस वक्त के बाद से मैं ने भगवान को मानना ही छोड़ दिया है.

शिखा से मुझे उन के बारे में काफी जानकारी हासिल हुई : ‘वैसे तो मेरे पापा बहुत खुश रहते हैं पर कभीकभी अकेलापन उन्हें बहुत उदास कर जाता है. मैं उन से अकसर कहती हूं कि अकेलेपन को दूर करने के लिए कोई जीवनसाथी ढूंढ़ लो पर वह हंस कर मेरी बात टाल जाते हैं. मेरी शादी हो जाने के बाद तो पापा बहुत अकेले रह जाएंगे.’

शिखा को अपने पापा के लिए यों परेशान देख कर मुझे काफी हैरानी हुई थी.

‘मुझे तो शादी उसी युवक से करनी है जो मम्मी को अपने साथ रखने को राजी होगा. पापा की जगह मैं सारी जिंदगी उन की देखभाल करूंगी,’ मैं ने अपना फैसला शिखा को बताया तो वह चौंक पड़ी थी.

‘शादीशुदा बेटी का अपने मातापिता को साथ रखना हमारे समाज में संभव नहीं है अंकिता, और न ही मातापिता विवाहित बेटी के घर रहना चाहते हैं,’ शिखा की इस दलील को सुन कर मुझे गुस्सा आ गया था.

‘अगर ऐसा कोई चुनाव करना पड़ा तो मैं शादी करने से इनकार कर दूंगी पर मम्मी को अकेले छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता,’ मैं इस विषय पर शिखा से बहस करने को तैयार हो गई थी.

‘अच्छा यह बता कि तुझे अपने पापा की कितनी बातें याद हैं?’

‘वह गे्रट इनसान थे, शिखा. तभी तो हमारी जिंदगी में उन की जगह आज तक कोई दूसरा आदमी नहीं ले पाया है और न ले पाएगा,’ मेरी आंखों में अचानक आंसू छलक आए तो शिखा ने विषय बदल दिया था.

शिखा के पापा के साथ मेरे संबंध इतने करीबी हो गए थे कि उन से रोज मिले या फोन पर लंबी बात किए बिना मुझे चैन नहीं मिलता था.

उन्होंने जब पार्क के सामने कार रोकी तो मैं झटके से पुरानी यादों की दुनिया से निकल आई थी.

‘‘आओ,’’ उन्होंने बड़े अधिकार से मेरा हाथ पकड़ा और पार्क के गेट की तरफ बढ़ चले.

उन के हाथ का स्पर्श मैं बड़ी प्रबलता से महसूस कर रही थी. इस का कारण यह था कि उन को ले कर मेरे मन के भावों में पिछले दिनों बदलाव आया था.

करीब सप्ताह भर पहले मुझे घर छोड़ने के लिए जाते हुए उन्होंने इसी अंदाज में मेरा हाथ पकड़ कर कहा था, ‘‘अंकिता, तुम मुझे हमेशा अपना अच्छा दोस्त और शुभचिंतक मानना. हमारे बीच जो संबंध बना है, मैं उसे और ज्यादा गहराई और मजबूती देना चाहता हूं. क्या तुम मुझे ऐसा करने का मौका दोगी?’’

‘‘हम अच्छे दोस्त तो हैं ही,’’ उन की आंखों में अजीब सी बेचैनी के भाव को पहचान कर मैं ने जमीन की तरफ देखते हुए जवाब दिया था.

‘‘मैं तुम्हें दुनिया भर की खुशियां देना चाहता हूं.’’

‘‘थैंक यू, सर,’’ उस समय के बाद से मैं ने उन के लिए ‘अंकल’ का संबोधन त्याग दिया था.

उस दिन उन्होंने अपनी बात को आगे नहीं बढ़ाया था. रात भर करवटें बदलने के बाद मुझे ऐसा लगा कि हमारा रिश्ता उस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा था जिसे समाज गलत मानता है.

कम उम्र की लड़की के बड़ी उम्र के आदमी से प्यार हो जाने के किस्से मैं ने भी सुने थे, पर ऐसा कुछ मेरी जिंदगी में भी घट सकता है, यह मैं ने कभी नहीं सोचा था.

मेरा मन कह रहा था कि आज राकेशजी मुझ से प्रेम करने की बात अपनी जबान पर लाने वाले हैं. मैं उन्हें बहुत पसंद करती थी लेकिन उन के साथ गलत तरह का रिश्ता रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता था. मैं अपनी मां और शिखा की नजरों में कैसे गिर सकती थी?

इन्तकाम : भाग 7

धारावाहिक के छठे भाग में आपने पढ़ा कि होटल ताज में मशहूर गायिका निक्की खान के रूप में निकहत को सामने देखकर संजीव की हालत खराब हो गयी. वह प्रोग्राम बीच में छोड़ कर घर भाग आया, लेकिन दूसरे दिन निकहत से मिलने की तमन्ना लेकर वह फिर होटल ताज पहुंच गया, जहां निकहत से मुलाकात के बाद दोनों के बीच पुराना प्यार फिर जी उठा और संजीव निकहत के साथ मुम्बई जाने को तैयार हो गया… अब आगे.

निकहत के साथ मुम्बई चलने का औफर पाकर संजीव बेहद खुश था. नयी निकहत की चमक-दमक और प्रेमाकर्षण ने उसे बुरी जकड़ लिया था. दूसरे दिन मोनिका को बिजनेस सम्बन्धी जरूरी काम बताकर वह नियत समय पर सामान सहित एयरपोर्ट पर मौजूद था. मोनिका को तो वैसे भी पति से ज्यादा फिक्र अपने दोस्तों और पार्टियों की हुआ करती थी, सो उसकी सेहत पर कोई फर्क न पड़ा.

संजीव निकहत के साथ मुम्बई आ गया. निकहत का शानदार बंगला, कीमती फर्नीचर, नये मौडल की कारें, नौकर-चाकर, जेवर-कपड़े, बैंक-बैलेंस देखकर उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टर निकहत के बंगले पर सलाम बजाने आते थे. घण्टों उसके इंतजार में बैठे रहते थे. रुपयों की गड्डियां और चेक उसके सेक्रेटरी को थमा कर जाते थे. इतनी अमीरी और शानो-शौकत की तो संजीव ने कल्पना भी नहीं की थी. वह ज्यादा से ज्यादा समय निकहत के करीब रहने की कोशिश करता. निकहत भी विभिन्न पार्टियों में उसके साथ बेतकल्लुफी से आती-जाती थी. उसकी और संजीव की इसकदर नजदीकियां कुछ लोगों के दिलों में जलन पैदा कर रही थी, तो कुछ अपनी किस्मत को कोस रहे थे. प्रोग्राम-पार्टियों इत्यादि में डांस फ्लोर पर उसका पार्टनर सिर्फ, और सिर्फ संजीव ही हुआ करता. दूसरों के निमन्त्रण को वह शालीनता से ठुकरा देती थी. प्रेसवालों के लिए तो यह बहुत जोरदार खबर थी. उन्हें तो वैसे भी मशहूर लोगों के प्राइवेट मामलों में ज्यादा दिलचस्पी होती है. निकहत और संजीव की नजदीकियों की चटखारेदार खबरों से जहां फिल्मी पत्रिकाओं की बिक्री बढ़ रही थी, वहीं टीवी चैनल वालों की टीआरपी भी. पत्र-पत्रिकाओं में दोनों के रोमांस के चर्चे जोर-शोर से नमक-मिर्च लगकर छपने लगे – ‘मशहूर पौप सिंगर निक्की खान का दिल आया भी, तो शादीशुदा बिजनेसमैन संजीव पर’. बात चारों तरफ फैल चुकी थी.

संजीव को मुम्बई आये काफी वक्त गुजर गया था. वह निकहत से अब जुदा नहीं होना चाहता था, बल्कि जल्द से जल्द उससे शादी कर लेने की फिराक में था. निकहत की खूबसूरती और उसकी दौलत को पा लेने की लालसा मन में लिये वह कई बार उसके सामने शादी का प्रस्ताव रख चुका था, मगर निकहत हर बार हंस कर टाल जाती थी.

आज भी चाय पीते वक्त चल रही बातों का रुख वह इसी ओर मोड़ता हुआ बोला…

‘अब हमें और देर नहीं करनी चाहिए निकहत…’

‘किस मामले में…?’ निकहत ने अनजान बनते हुए पूछा, हालांकि वह उसकी बात अच्छी तरह समझ रही थी.

‘शादी के मामले में…’ वह उसकी आंखों में झांकता हुआ बोला.

‘देखो संजीव…’ दो क्षण की चुप्पी के बाद निकहत बोली, ‘मैं कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती. तुम पहले ही शादीशुदा हो और हिन्दू लौ के अनुसार अपनी पत्नी के रहते तुम दूसरी शादी नहीं कर सकते… फिर मेरा करियर काफी ऊंचाई पर है… दुनिया मुझे जानती है, मुझे चाहती है… मैं किसी कानूनी पचड़े में पड़ कर अपना करियर बर्बाद नहीं करना चाहती…’ उसने साफ शब्दों में दिल की बात कह दी, ‘संजीव, मैं कोई भी गैर-कानूनी काम नहीं करूंगी.’

‘अगर मैं मोनिका से तलाक ले लूं, तब तो तुम राजी हो…?’ संजीव व्यग्रता से बोला.

‘हां, तब कोई अड़चन नहीं है…’ वह खुश हो गयी, ‘मैं खुद तुम्हारे बिना नहीं जी सकती संजीव…’ उसने करीब आकर प्यार से उसके गले में अपनी बाहें डाल दीं, ‘आई लव यू संजीव…’

‘निकहत…’ संजीव ने उसे कस कर बाहों में भर लिया.

‘मैं कल ही वापस जाकर वकील से मिलता हूं, अब ये दूरी और बर्दाश्त नहीं होती है, निकहत…’ वह उसके कानों में फुसफुसाया.

‘ओ…संजीव… तुम कितने अच्छे हो…’ निकहत उससे बुरी तरह लिपट गयी.

सेक्स लाइफ को सुखी बनाए सहजन

सब्जी की दुकान पर आपने लंबी हरी-हरी सहजन की फलियां तो देखी होंगी, जिसे सुरजने की फली या कुछ क्षेत्रों में मुंगने के फली भी कहा जाता है. सहजन की यह फली केवल बढ़िया स्वाद ही नहीं, बल्कि सेहत और सौंदर्य के बेहतरीन गुणों से भी भरपूर है.

सहजन में एंटी बैक्टीरियल गुण होता है, इसलिए त्वचा पर होने वाली कोई समस्या या त्वचा रोग में यह बेहद लाभदायक है. सहजन का सूप खून की सफाई करने में मददगार है. खून साफ होने की वजह से चेहरे पर भी निखार आता है. इसकी कोमल पत्तियों और फूलों को भी सब्जी के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जो आपको त्वचा की समस्याओं से दूर रखकर जवां बनाये रहने में मददगार है. महिलाओं के लिए तो सहजन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है. यह पीरियड्स सम्बन्धी परेशानियों के अलावा गर्भाशय की समस्याओं से भी बचाये रखता है और उन्हें बेहतर सेक्स लाइफ प्रदान करता है.

आज की जिन्दगी में कौम्पटीशन बहुत बढ़ गया है. हर आदमी काम के बोझ से दबा हुआ है. सुबह और शाम काम ही काम. ऐसे में मैरिज लाइफ पर इफेक्ट पड़ना तो लाजिमी है. थकान की वजह से कई-कई दिन गुजर जाते हैं कि पति-पत्नी को रोमांस का वक्त ही नहीं मिलता है. वक्त मिलता है तो लोग सेक्स से ज्यादा सोना पसन्द करते हैं. मानसिक और शारीरिक थकान वैवाहिक जीवन का सुख नहीं लेने देती. ऐसे में सहजन का सूप वह फाायदा देगा, जो किसी डौक्टर की दवाई नहीं दे सकती. इससे आपकी सेक्सुअल हेल्थ बेहतर हो जाएगी.

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इसमें जरा भी शक नहीं है कि सहजन आपकी सेक्स पावर को बढ़ाने में मदद करता है. इस मामले में यह महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए फायदेमंद है. पुरुषों में यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने और वीर्य को गाढ़ा करने में मददगार है. गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद होता है. गर्भावस्था में इसका सेवन करते रहने से शिशु के जन्म के समय आने वाली समस्याओं से भी बचा जा सकता है.

बचपन में नानी-दादी सहजन यानी ड्रमस्टिक की सब्जी, सूप वगैरह कितने चाव से बनाती-खिलाती थीं. हम सहजन के टुकड़ों को दाल में, सांभर में, सब्जी या गोश्त के साथ कैसे मजे ले-लेकर चूस-चूस कर खाते थे. दक्षिण भारतीय लोग तो अपने ज़्यादातर भोज्य पदार्थों में सहजन का इस्तेमाल करते हैं, चाहे साम्भर हो, रस्म हो या मिक्स वेज. दरअसल हमारे बुजुर्ग जानते हैं कि सहजन में कई तरह के रोगों को दूर करने की क्षमता है. सर्दी-खांसी, गले की खराश और छाती में बलगम जम जाने पर सहजन खाना बहुत फायदेमंद होता है. सर्दी लग जाने पर तो मां सहजन का सूप पिलाती थी. सहजन में विटामिन सी, बीटा कैरोटीन, प्रोटीन और कई प्रकार के लवण पाये जाते हैं. ये सभी तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और शरीर के पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी हैं.

सहजन में विटामिन सी का स्तर उच्च होता है जो आपकी रोग प्रतरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई बीमारियों से आपकी रक्षा करता है. बहुत ज्यादा सर्दी होने पर सहजन फायदेमंद है. इसे पानी में उबालकर उस पानी की भाप लेना बंद नाक को खोलता है और सीने की जकड़न को कम करने में मदद करता है. अस्थमा की शिकायत होने पर सहजन का सूप पीना फायदेमंद होता है. सहजन का सूप पाचन तन्त्र को मजबूत बनाने का काम करता है और इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या नहीं होने देते हैं. कब्ज ही बवासीर की जड़ है. सहजन का सेवन करते रहने से बवासीर और कब्जियत की समस्या नहीं होती है. वहीं पेट की अन्य बीमारियों के लिए भी यह फायदेमंद है. डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए भी सहजन के सेवन की सलाह दी जाती है. तो अगर बीमारियों को दूर रखना है तो सहजन से दूरी न बनाएं.

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ये हैं विश्व की सबसे छोटी 5 चिड़ियां

आज आपको विश्व की सबसे  छोटी चिड़ियों के बारे में बताते हैं.  आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमे से कुछ नन्ही चिड़ियां आपकी हथेली से भी छोटे हैं. तो आइए जानते हैं विश्व की सबसे छोटे चिड़ियों के बारे में.

  1. लेसर गोल्डफिंच

3.7 से 4.3 तक की अधिकतम लंम्बाई वाली लेसर गोल्डफिंच संभवत उत्तरी अमेरिका ही नहीं पूरे विश्व की सबसे छोटी फिंच है. ये स्पिनस जीनस प्रजाति की पक्षी है. पीले रंग की छाती वाली इस चिड़िया का वजन 0.28 से 0.41 आउंस के बीच ही होता है.

2. रेड चीक्ड काौर्डन ब्लू

ये रंगबिरंगी चिड़िया अफ्रीकन फिंच है जिसके आसमानी नीले रंग के पंख होते हैं. इस प्रजाति की चिड़ियों के नर पक्ष्री के गालों पर लाल रंग का घेरा होता है जिसे देख कर लगता है कि वो स्थायी रूप से ब्लश कर रहे हैं. इस चिड़िया की लंबाई बमुश्किल 5 इंच होती है और वजन महज .35 आउंस. पूर्वी अफ्रीका में मिलने वाला ये पक्षी पूरी दुनिया में पालतू पक्षियों का व्यवसाय करने वालों का पसंदीदा है.

3. गोल्डक्रस्ट

कौन कहता है कि शहंशाह होने के लिए आप को आकार में भी विशाल होना होगा. नन्ही मुन्नी गोल्डक्रस्ट का साइंटफिक नाम रेगुलस रेगुलस  है जिसका मतलब ही होता है युवराज यानि होने वाला राजा. शायद इसीलिए उसके सर पर प्राकृतिक रूप से पीले रंग का ताज होता है. कोयल के परिवार की ये चिड़िया पूरे यूरोप में सबसे छोटी होती है. इसकी लंबाई 3.3–3.7 इंच से अधिक नहीं होती आैर वजन 0.16–0.25 आउंस के बीच का होता है.

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4. कोस्टास हमिंगबर्ड

ये नन्हीं सी हसीन चिड़िया आपको एक बार में अपना दीवाना बना लेगी. उत्तरी अमेरिका के तटीय इलाकों में पायी जाने वाली इस रंग बिरंगी चिड़िया की लंबाई 3-3.5 इंच से ज्यादा नहीं होती है. जबकि इसका वजन होता है महज 0.1 आउंस. दुनिया भर में पाई जाने वाली हमिंगबर्डस में कोस्टास हमिंगबर्ड सबसे छोटी होती है.

5. वर्डिन

दक्षिण पश्चिमी अमेरिका और मैक्सिको में पाया जाने वाला ये नन्हा पक्षी वर्डिन पेंडुलिन टाइट प्रजाति का होता है. पूर्ण विकसित होने के बाद भी इसकी लंबाई 4.5 इंच से ज्यादा नहीं होती है. इसका फ्लोरोसेंट पीला चेहरा इसकी सबसे बड़ी खासियत होता है.

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होमकेयर टिप्स: ऐसे चमकाएं अपने घर के फर्श को

अक्सर आपके घर में लोगों को आना-जाना लगा रहता हैं, ऐसे में फर्श पर गंदगी फैलना लाजिमी है. लेकिन कई बार फर्श पर ऐसे दाग पड़ जाते है कि जिन्हें घंटों मेहनत लगाकर साफ करने पर भी चमकाया नहीं जा सकता.

ऐसे में फर्श मैला नजर आने लगता है. अगर आप भी अपने घर के फर्श को चमकाएं रखना चाहती हैं तो आज हम आपको कुछ घरेलू उपाय बताएंगे, जो घर के फर्श को चमका सकते हैं.

नींबू– फर्श को चमकाने में नींबू सबसे अच्छा तरीका है. थोड़े से पानी में नींबू का रस मिलाएं और इस पानी से फर्श को साफ करें. इससे फर्श पर मौजूद सारे दाग आसानी से साफ हो जाएंगे.

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सिरका– अगर घर में लाइट कलर की टाइल्स लगी है तो 1 कप सिरके में पानी डालें. अब उसी पानी के साथ फर्श को साफ करें. इससे फ्लोर चमकता दिखाई देगा. इसे रोजाना करें, तभी अच्छा परिणाम मिलेगा.

साबुन और गर्म पानी– एक बाल्टी में गर्म पानी और साबुन या सर्फ मिला लें. फिर इस पानी में पोछा लगाएं. इससे फर्श अच्छे से साफ होगा और उसका कालापन भी गायब हो जाएगा.

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जानें कैसे बनाएं दही पूरी

पूरी, आलू, दही और सेव डालकर तैयार होने वाली दही पूरी खाने में जितनी टेस्टी है, उसे बनाना उतना ही आसान है. हर उम्र के लोग इसे खाना पसंद करते हैं. तो चलिए जानते हैं, कैसे बनाएं दही पूरी

सामग्री

दही एक कप

धनिया पत्ता मुठ्ठीभर

नमक चुटकीभर

चीनी 1 चम्मच

जीरा पाउडर एक चौथाई चम्मच

पानी पूरी 15 (तोड़ी हुई)

उबला हुआ आलू 2 (चौकोड़ कटा हुआ)

सेव एक चौथाई कप

चाट मसाला तीन चौथाई चम्मच

लाल मिर्च पाउडर एक चौथाई चम्मच

हरी चटनी एक चौथाई चम्मच

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बनाने की वि​धि

सबसे पहले एक बर्तन में दही, नमक और चीनी को अच्छी तरह से मिक्स करें.

अब पानी पूरी वाली पूरी को एक प्लेट पर सजा लें.

पूरी के ऊपर से कटा हुआ आलू, चाट मसाला पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और जीरा पाउडर डालें.

ऊपर से 2-3 चम्मच हरी चटनी और दही डाल दें.

धनिया का पत्ता और सेव से सजाकर तुरंत सर्व करें.

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जगमोहन रेड्डी की राह पर अमित जोगी

आखिरकार वही हुआ जो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के पुत्र और जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित ऐश्वर्या जोगी की चाहत थी. अमित जोगी हर दूसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  को चैलेंज करते थे कि मुझे गिरफ्तार किया जाए. मुझे गिरफ्तार किया जाए. अंततः उनकी मंशा 3 सितंबर को भूपेश बघेल ने पूरी कर दी .

छत्तीसगढ़ की राजनीति के जानकार जानते हैं कि मुख्यमंत्री की शपथ के साथ प्रदेश में भाजपा के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह भूपेश के कोप के भाजन बने हैं. डौक्टर रमन और उनके खासुलखास दांए बांए सहित पुत्र अभिषेक सिंह, दामाद पुनीत गुप्ता पर अनेक जांच गंभीर प्रकरण कांग्रेस सरकार ने लाद दिए हैं.

इधर अपने घुर विरोधी रहे अजीत जोगी पर भूपेश बघेल की ‘वक्र’ दृष्टि है इसे सभी जानते हैं मगर भूपेश बघेल उतने तल्ख नहीं हुए जितने भाजपा की मंडली पर रहे हैं. संभवत: इसका कारण अजीत जोगी का विशाल कद और पूर्ववर्ती खट्टे -मीठे संबंध रहे हैं. इधर अजीत जोगी ने भी आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार पर ‘नम्र’ दृष्टि रखी हुई थी.प्रत्यक्ष प्रमाण संसदीय चुनाव रहा जिसमें अजीत जोगी मैदान में उतरते तो कांग्रेस के एक या फिर दोनों बस्तर और कोरबा प्रत्याशी खेत रह जाते.

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अमित जोगी का चैलेंज, गेम- चेंजलर छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस की बखत नहीं बन पाने के पश्चात अमित जोगी ने अपने पिताश्री की बनाई राजनीतिक धरोहर जनता कांग्रेस जोगी पार्टी की कमान संभालने के बाद धुआंधार ढंग से भूपेश बघेल पर आक्रमण प्रारंभ कर दिया. छत्तीसगढ़ के कोने कोने में घूम-घूम कर ज्वलंत मुद्दे उठाए और हर दिन हुंकार भरी की भूपेश बघेल दम है तो मुझे गिरफ्तार करो  !

30 अगस्त को थाने पहुंच ज्ञापन सौंपा की भूपेश बघेल अपने राजनीतिक शौचालय की गंदगी फैला रहे हैं, मेरे पिता को जाति मामले पर रंजिश वश फंसाया गया है एफ आई आर दर्ज किया गया है .भूपेश बघेल में दमखम है तो मुझे गिरफ्तार करें. यह एक इंतेहा थी, जिस पर प्रदेश के दूसरे नंबर के बड़े नेता टी. एस. सिंहदेव की प्रतिक्रिया आई-” अमित की इच्छा पूरी होगी प्रशासन अपना काम करेगा.” और सिंहदेव दिल्ली सोनिया गांधी के पास पहुंच गए. इघर भूपेश बघेल के इशारे पर अमित जोगी को गिरफ्त में ले लिया गया. सबसे महत्वपूर्ण यह की जिस तरह श्री कृष्ण ने शिशुपाल को सौ गालियां तक की छूट दे रखी थी और उसके पश्चात सुदर्शन चक्र चलाया था संभवत: यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ. जब अमित के चैलेंज की इंतहा हुई तो ‘गिरफ्तारी’ हो गई ।… मगर रूकिए… छत्तीसगढ़ की राजनीति का यह घटनाक्रम एक ‘चैलेंजर गेम’ मे भी बदल सकता है, कैसे … आगे देखते हैं…

भूपेश की घेराबंदी है यह ?

इसमें कोई दो राय नहीं की अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के राजनीतिक परिवारों में अपना अहम स्थान रखते हैं. और प्रारंभ से प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहे हैं. यह वह शख्सियत है जो कभी मौन नहीं रहती सदैव संघर्षरत रहती है. ऐसे में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अमित जोगी का यह कदम भूपेश बघेल को घेरना है और यह संदेश प्रसारित करना भी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल “क्रूरता” के साथ अपने राजनीतिक विरोधियों को निपटा रहे हैं.अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सरकार के इस कदम से अमित जोगी और उनकी पार्टी को जनता की कितनी सिम्पैथी मिलती है .मगर एक बड़ा सच यह है कि जिस प्रकरण में अमित जोगी को गिरफ्त में लिया गया है वह चुनाव में उनकी दोहरी नागरिकता को छिपाने का है और 2013 के विधानसभा चुनाव के दरम्यान दी गई शपथ का है. मजे की बात यह की तब अमित जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार थे और भाजपा प्रत्याशी समीरा पैकरा ने शिकायत की थी. यही कारण है कि भाजपा के बड़े नेता डा. रमन सिंह, धर्मजीत कौशिक ,प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी इस मामले पर खामोश है.

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 राजनीति के “केंद्र” में आना चाहते हैं

प्रदेश की राजनीति में अमित ऐश्वर्या जोगी केंद्र में आना और रहना चाहते हैं. इसके लिए हर हथकंडा, राजनीतिक आंदोलन प्रोपेगेंडा होगा. और- राजनीति में सब जायज भी है.इस तरह अमित जोगी अपनी पार्टी को जनता के बीच ले जाकर राजनीतिक परिस्थितियां बदलना चाहते हैं .उन्होंने एक दफे कहा था जगन रेड्डी जब 15 साल संघर्ष कर के मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो यह एक उदाहरण है. जगन रेड्डी को एक तरह से अपना आदर्श बना अमित जोगी छत्तीसगढ़ की राजनीति में पेंगे भर रहे हैं.अब यह भविष्य के गर्भ में है कि आने वाले समय में एक और दो नंबर की पार्टियों को नेस्तनाबूद कर क्या अमित जोगी अपना लक्ष्य प्राप्त कर पाएंगे.

अब ‘नेटफ्लिक्स’ के लिए ‘द व्हाइट टाइगर’ का सह निर्माण व उसमें अभिनय करेंगी प्रियंका

प्रियंका चोपड़ा ने अरविंद अदिगा की किताब ‘‘द व्हाइट टाइगर’’ को पढ़ा था, तभी से इसकी तारीफ करती रही हैं. अब वह उसी किताब पर‘‘नेटफ्लिक्स’’ के लिए बन रही फिल्म में राज कुमार राव के साथ प्रियंका चोपड़ा अभिनय करने वाली हैं. इस बात की नई घोषणा ‘नेटफ्लिक्स’’ ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर की है. मजेदार बात यह है कि प्रियंका चोपड़ा जोनस स्वयं इस फिल्म का मुकुल देवड़ा के साथ मिलकर सह निर्माण भी करेंगी. फिल्म का निर्देशन हौलीवुड फिल्म ‘‘फारेनहाइट 451’’के निर्देशक रामिन बाहरानी करेंगी. इस फिल्म में आदर्श गौरव भी अहम किरदार निभाएंगे.

मशहूर ईरानियन अमरीकन निर्देशक रामिन बहरानी 2005 से अब तक करीबन आठ फिल्मों का लेखन व निर्देशन कर चुके हैं. उनकी हर फिल्म ने तमाम अवार्ड हासिल किए. प्रियंका चोपड़ा जोनस ने एक बयान जारी कर कहा है- ‘‘जब मैंने अरविंद की इस किताब को पढ़ा, तो इसकी मार्मिक कहानी मेरे दिल को छू गयी थी. मैं तो बहुत रोमांचित हो गयी थी. यह कहानी कच्ची महत्वाकांक्षा और अपने लक्ष्य को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने की है.इस कहानी की सिनेमाई प्रस्तुति के लिए मैं ‘नेटफ्लिक्स’ और रामिन बहारानी के साथ काम करने को लेकर अति उत्साहित हूं. मैं पहली बार राज कुमार राव के साथ काम करने को लेकर भी उत्साहित हूं. हम अगले माह यानी कि अक्टूबर माह से भारत में इस फिल्म की शूटिंग करेंगे.’’

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वैसे ‘‘नेटफ्लिक्स’’ ने अप्रैल 2018 में ही रामिन बाहरानी के निर्देशन में इस फिल्म के बनने की घोषणा की थी. उस वक्त रमानी बाहरानी ने कहा था- ‘‘मैं इसे सिर्फ भारतीय नहीं बल्कि सार्वभौमिक कहानी मानता हूं और मेरी राय में विश्व का हर इंसान इस कहानी व इसके किरदार के साथ खुद को जुड़ा पाएंगे. इस उपन्यास में भी ‘लौयन’ और ‘स्लमडौग मिलेनियर’ फिल्मों की ही तरह भारतीय पृष्ठभूमि में सामाजिक मुद्दों की खोज की गयी है. एक व्यक्ति की व्यक्तिगत कहानी में पूरे देश का दायरा समाहित होता है. अमीर व गरीब की अवधारणा वैश्विक है.’’

RAMIN-BAHRANI

जबकि राज कुमार राव कहते हैं- ‘‘मैं खुद को भाग्यशली समझता हूं कि मैंने बौलीवुड में उस वक्त कदम रखा है,जब कलाकार को रोमांचक काम करने का अवसर मिल रहा है. मैं एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘द व्हाइट टाइगर’ का हिस्सा बनने को लेकर अति उत्साहित हूं. मैं तो निर्देशक रामिन के काम का भी प्रशंसक रहा हूं.’’

उधर लेखक व निर्देशक रामिन बाहरानी ने बयान जारी कर कहा है- ‘‘मैं पिछले एक दशक से अरविंद अदिगा की किताब ‘‘द व्हाइट टाइगर’’ पर फिल्म बनाना चाहता था. मेरी यह ख्वाहिश अब नेटफ्लिक्स, प्रियंका चोपड़ा और मुकुल देवड़ा के प्रयासों के चलते पूरी होने जा रही है.’’

ज्ञातब्य है कि उपन्यासकार अरविंद अदिगा और निर्देशक रामिन बाहरानी एक साथ कोलंबिया विश्वविद्यालय में सहपाठी थे. रमानी के अनुसार अरविंद ने इस उपन्यास के कुछ पन्ने उनके घर में ही लिखे थे. कौलेज के बाद भी यह दोनों अच्छे दोस्त बने हुए हैं.

‘‘द व्हाइट टाइगर’’ की कहानी एक चाय बेचने वाले इंसान की है,जो कि एक दिन न सिर्फ बहुत बड़ा उद्योगपति बनता है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनता है. पर इस बीच उसकी अपनी एक अति कठिन संघर्ष यात्रा भी है. मूलतः भारतीय लेखक अरविंद अदिगा का अंग्रेजी भाषा का ‘‘द व्हाइट टाइगर’’ पहला उपन्यास है, जो कि 2008 में प्रकाशित हुआ था. और इसी वर्ष इसे चालिसवें ‘‘मैन बूकर प्राइज’’ से नवाजा गया था. इसमें वैश्विक स्तर पर विश्व में भारत के वर्ग संघर्ष का हास्यप्रद चित्रण है. यह लकहानी है एक गांव के लड़के बलराम हलवाई की है. उसे अपनी चचेरी बहन के दहेज की रकम को चुकाने के लिए पढ़ाई छोड़कर अपने भाई के साथ धनबाद में एक चाय की दुकान में काम करना पड़ता है. चाय बनाते बनाते वह ग्रहकों की आपसी बातचीत से भारत सरकार की अर्थव्यवस्था को समझने का प्रयास करता है. समय निकालकर ड्रायविंग भी सीखता है.फिर वह दिल्ली आता है, जहां वह अपने ही गांव के जमींदार/अमीर इंसान की कार का ड्रायवर बन जाता है. दिल्ली में ही सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा गरीब व अमीर के बीच के भेद को समझता है. उसे एक अति कटु अनुभव से गुजरना पड़ता है, जिसके चलते वह एक दिन अपने मालिक की हत्या व उसके पैसे चुराकर बंगलौर पहुंचता है. बंगलौर में एक पुलिस अधिकारी को घूस देकर वह अपना टैक्सी का व्यापार शुरू करता है. अंततः एक दिन वह बहुत बड़ा उद्यमी बन जाता है. इस डार्क उपन्यास में जाति,धर्म और वफादारी ,भ्रष्टाचार व गरीबी जैसे कई मुद्दे उठाए गए हैं. इसमें बलराम के माध्यम से आजादी को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं.

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उपन्यासकार अरविद अदिगा दूसरे कम उम्र के चर्चित उपन्यासकार हैं. न्यूयार्क टाइम्स ने उनके उपन्यास को बेस्ट सेलर कहा. वैसे प्रियंका चोपड़ा जोनस, ‘‘नेटफिलक्स’’ के लिए फिल्म ‘‘वी कैन बी हीरोज’’ के अलावा एक अनाम भारतीय फिल्म कर रही हैं. जबकि दीवाली के अवसर पर प्रियंका चोपड़ा की हिंदी फिल्म ‘‘स्काय इज द पिंक’’ प्रदर्शित होने वाली है.

वायरल हो रही रणबीर और आलिया की वेडिंग फोटोज, जानें क्या है सच

बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट और रणबीर कपूर के अफेयर के चर्चे की खबर काफी समय से आ रही है. कई बार आलिया पब्लिकली भी अपने रिलेशनशिप पर हिंट भी दे चुकी हैं. दरअसल कौफी विद करन के एक एपिसोड में आलिया और रणबीर साथ गए थे. हालांकि ये दोनों सुपरस्टार्स कई इवेंट पर एक साथ स्पौट किए गए हैं.

आपको बता दें, जब रणबीर और आलिया की शादी की कुछ तस्वीरें वायरल होने लगीं. हर कोई इन तस्वीरों को देखकर हैरान रह गया. वायरल हो रही इन तस्वीरों में आलिया दुल्हन के लिबास में पूरी तरह सजी दिखाई दे रही हैं. वहीं उनके सामने रणबीर कपूर भी दूल्हे के गेटअप में खड़े हैं. रणबीर, आलिया को एक दूसरे को देख रहे हैं तो वहीं आलिया भी शर्माती दिखाई दे रही हैं.

इन तस्वीरों को रणबीर आलिया के एक फैनपेज ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है. ये तस्वीरें देखने के बाद तो जैसे फैंस के बीच हलचल मच गई. हर कोई ये पूछ रहा है क्या उन दोनों की शादी हो गई है? पर आप इन तस्वीरों की सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे.

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दरअसल ये तस्वीरें पूरी तरह फेक हैं. इन तस्वीरों में आलिया तो असली हैं लेकिन रणबीर कपूर की फोटोशौप तस्वीर दिखाई गई है. जी हां तो ये फोटोशौप का कमाल है.किसी विज्ञापन शूट के लिए आलिया दुल्हन बनी है और दूल्हा रणबीर नहीं बल्कि कोई और मौडल है. इस विज्ञापन से आलिया की ये फोटो लेकर फोटोशौप से रणबीर-आलिया की शादी की तस्वीरें बना दी गई हैं.

वैसे काफी दिनों से ये बात चर्चे में है कि रणबीर और आलिया जल्द ही शादी कर सकते हैं. हालांकि अभी तक अपने रिश्ते पर इन दोनो ने कोई बयान दिया है.

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