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4 टिप्स: कमर दर्द से ऐसे पाएं राहत

जिस तरह की हमारी जीवनशैली हो गई है उसके कारण हमें कई तरह की परेशानियां होने लगी हैं. इनमें कमर दर्द कुछ प्रमुख परेशानियों में से एक हैं.

जिस तरह की हमारी जीवनशैली हो गई है उसके कारण हमें कई तरह की परेशानियां होने लगी हैं. इनमें कमर दर्द कुछ प्रमुख परेशानियों में से एक हैं. सुस्त लाइफस्टाइल और लंबे समय तक औफिस में बैठने से कमर दर्द की परेशानी होती है. पर अगर आपकी लाइफस्टाइल एक्टिव है, आप एक्सरसाइजेज करते रहते हैं तो आप इस परेशानी से निजात पा सकते हैं.  पर जिस तरह की लोगों की जिंदगी भागदौड़ वाली हो गई है, सबके लिए एक्सरसाइज कर पाना मुश्किल होता है. लोगों के पास उतना वक्त नहीं होता.  ऐसे में हम आपको कुछ बेहद आसान एक्सरसाइजेज बताने वाले हैं जिसमें बिना पसीना बहाए, सिर्फ घर में बैठ कर आप कमर दर्द को दूर सर सकते हैं.

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  1. कुर्सी पर बैठ कर एक हाथ ऊपर की ओर ले जाएं और दूसरे हाथ की ओर झुकें. कम से कम 20 सेकेंड तक इस पोजिशन में रहें और दूसरे हाथ से भी ऐसा ही करें.

2. अपने हाथों से अपने दोनों घुटनों को पकड़ें और उसे ऊपर की ओर खीचें. इससे आपकी कमर में खिंचाव होगा. इस पोजिशन में 15 से 20 सेकेंड तक रहें और इसे 4 से 5 बार तक करें.

3. अपनी ऐड़ी को जमीन पर रख लें. उसे बिल्कुल सीधा रखें. इसके बाद अपने शरीर को आगे की ओर खींचे. इस दौरान अपने शरीर को बिल्कुल सीधा रखें. इसे करीब 30 सेकेंड्स तक 5 से 6 बार करें.

4. कुर्सी पर बैठ कर अपने हाथों को अपनी जांघ के नीचे दबा लें. इसके बाद अपने शरीर को आगे की ओर झुकाएं. इससे आपकी कमर में खिचाव होगा. इसे 3 से 5 बार तक करें.

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मोह का जाल : भाग 1

‘‘तनु बेटा, जा कर तैयार हो जा. वे लोग आते ही होंगे,’’ मां ने प्यारभरी आवाज में मनुहार करते हुए कहा. ‘‘मां, मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि मैं विवाह नहीं करूंगी. मुझे पसंद नहीं है यह देखने व दिखाने की औपचारिकता. मां, मान भी लो कि यह रिश्ता हो गया, तो क्या मैं सुखी वैवाहिक जीवन बिता पाऊंगी? जब भी उन्हें पता चलेगा कि मैं एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हूं तो क्या वे मुझे…’’ मैं आवेश में कांपती आवाज में बोली.

‘‘बेटा, तू ने मन में भ्रम पाल लिया है कि तुझे गंभीर बीमारी है. प्रदूषण के कारण आज हर 10 में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीडि़त है. दमा रोग आज असाध्य नहीं है. उचित खानपान, रहनसहन व उचित दवाइयों के प्रयोग से रोग पर काबू पाया जा सकता है. अनेक कुशल व सफल व्यक्ति भी इस रोग से ग्रस्त पाए गए हैं. ज्यादा तनाव, क्रोध इस रोग की तीव्रता को बढ़ा देते हैं. हमारे खानदान में तो यह रोग किसी को नहीं है, फिर तू क्यों हीनभावना से ग्रस्त है?’’ मां ने समझाते हुए कहा.

‘‘तुम इस बीमारी के विषय में उन लोगों को बता क्यों नहीं देतीं,’’ मैं ने सहज होने का प्रयत्न करते हुए कहा.

‘‘तू नहीं जानती है, बेटी, तेरे डैडी ने 1-2 जगह इस बात का जिक्र किया था, किंतु बीमारी का सुन कर लड़के वालों ने कोई न कोई बहाना बना कर चलती बात को बीच में ही रोक दिया,’’ असहाय मुद्रा में मां बोलीं.

‘‘लेकिन मां, यह तो धोखा होगा उन के साथ.’’

‘‘बेटा, जीवन में कभीकभी कुछ समझौते करने पड़ते हैं, जिन्हें करने का हम प्रयास कर रहे हैं.’’ लंबी सांस से ले कर मां फिर बोलीं, ‘‘इतनी बड़ी जिंदगी किस के सहारे काटेगी? जब तक हम लोग हैं तब तक तो ठीक है, भाई कब तक सहारा देेंगे? अपने लिए नहीं तो मेरे और अपने डैडी की खातिर हमारे साथ सहयोग कर बेटा. जा, जा कर तैयार हो जा,’’ मां ने डबडबाई आंखों से कहा.

कुछ कहने के लिए मैं ने मुंह खोला किंतु मां की आंखों में आंसू देख कर होंठों से निकलते शब्द होंठों पर ही चिपक गए. अनिच्छा से मैं तैयार हुई. मन कह रहा था कि किसी को धोखा देना अपराध है. मन की बात मन में ही रह गई. भाई रंजन ने आ कर बताया कि वे लोग आ गए हैं. मां और डैडी स्वागत के लिए दौड़े. 2 घंटे कैसे बीते, पता ही नहीं चला. मनुज अत्यंत आकर्षक, हंसमुख व मिलनसार लगा. लग ही नहीं रहा था कि हम पहली बार मिल रहे हैं. पहली बार मन में किसी को जीवनसाथी के रूप में प्राप्त करने की इच्छा जाग्रत हुई.

वे लोग चले गए, किंतु मेरे मन में उथलपुथल मच गई. क्या वे मुझे स्वीकार करेंगे? यदि स्वीकार कर भी लिया तो कच्ची डोर से बंधा बंधन कब तक ठहर पाएगा?

2 दिनों बाद फोन पर रिश्ते को स्वीकार करने की सूचना मिली तो बिना त्योहार के ही घर में त्योहार जैसी खुशियां छा गईं. डैडी बोले, ‘‘मैं जानता था रिश्ता यहीं तय होगा. कितना भला व सुशील लड़का है मनुज.’’

किंतु मैं खुश नहीं थी. जनमजनम के इस रिश्ते में पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है, सो, पता प्राप्त कर चुपके से एक पत्र मनुज के नाम लिख कर डाल दिया. धड़कते दिल से उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी.

एक हफ्ता बीता, 2 हफ्ते बीते, यहां तक तीसरा भी बीत गया. उस के पत्र का कोई उत्तर नहीं आया. मनुज का विशाल व्यक्तित्व खोखला लगने लगा था. स्वप्न धराशायी होने लगे थे कि एक दिन कालेज से लौटी तो दरवाजे की कुंडी में 3-4 पत्रों के साथ एक गुलाबी लिफाफा था. उस का भविष्य इसी लिफाफे में कैद था. जीवन में खुशियां आने वाली हैं या अंधेरा, एक छोटा सा कागज का टुकड़ा निर्णय कर देगा. पत्र खोल कर पढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी.

‘प्यारी तनु,मां आज किटी पार्टी में गई थीं. सो, बैग से चाबी निकाल कर ताला खोला. कड़कड़ाती ठंड में भी माथे पर पसीने  कीबूंदें झलक आई थीं. स्वयं को संयत करते हुए पत्र खोला. लिखा था :

तुम्हें जीवनसाथी के रूप में प्राप्त  कर मेरा जीवन धन्य हो जाएगा. तुम बिलकुल वैसी ही हो जैसी मैं ने कल्पना की थी.’

मन में अचानक अनेक प्रकार के फूल खिल उठे, सावन के बिना ही जीवन में बहार आ गई. चारों ओर सतरंगी रंग छितर कर तनमन को रंगीन बनाने लगे. मैं ने भी उन के पत्र का उत्तर दे दिया था.

2 महीने के अंदर ही वैदिक मंत्रों के मध्य अग्नि को साक्षी मान कर मेरा मनुज से विवाह हो गया. दुखसुख में जीवनभर साथ निभाने के कसमेवादों के साथ जीवन के अंतहीन पथ पर चल पड़ी. विदाई के समय मां का रोरो कर बुरा हाल था. चलते समय मनुज से बोली थीं, ‘‘बेटा, नाजुक सी छुईमुई कली है मेरी बेटी, कोई गलती हो जाए तो छोटा समझ कर माफ कर देना.’’

मेरी आंखें रो रही थीं किंतु मन नवीन आकांक्षाओं के साथ नए पथ पर छलांग मारने को आतुर था. कानपुर से फैजाबाद आते समय मनुज ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया था तथा धीरेधीरे सहला रहे थे, और मैं चाह कर भी नजरों से नजरें मिलाने में असमर्थ थी. कैसा है यह बंधन… अनजान सफर में अनजान राही के साथ अचानक तनमन का एकाकार हो जाना, प्रेम और अपनत्व नहीं, तो और क्या है.

ससुराल में खूब स्वागत हुआ. सास सौतेली थीं, किंतु उन का स्वभाव अत्यंत मोहक व मृदु लगा. कुछ ने कहा कि कमाऊ बेटा है इसीलिए उस की बहू का इतना सत्कार कर रही हैं. यह सुन कर सौम्य स्वभाव, मृदुभाषिणी सास के चेहरे पर दुख की लकीरें अवश्य आईं, किंतु क्षण भर पश्चात ही निर्विकार मूर्ति के सदृश प्रत्येक आएगए व्यक्ति की देखभाल में जुट जातीं.

ननद स्नेहा भी दिनभर भाभीभाभी कहते हुए आगेपीछे ही घूमती. कभी नाश्ते के लिए आग्रह करती तो कभी खाने के लिए. प्रत्येक आनेजाने वाले से भी परिचय करवाती. मनुज भी किसी न किसी काम के बहाने कमरे में ही ज्यादा वक्त गुजारते. मित्र कहते, ‘‘वह तो गया काम से. अभी से यह हाल है तो आगे क्या होगा?’’ मन चाहने लगा था, काश, वक्त ठहर जाए, और इसी तरह हंसीखुशी से सदा मेरा आंचल भरा रहे.

पूरे हफ्ते घूमनाफिरना लगा रहा. 2 दिनों बाद ऊटी जाने का कार्यक्रम था. देर रात्रि मनुज के अभिन्न मित्र के घर से हम खाना खा कर आए. पता नहीं ठंड लग गई या खानेपीने की अनियमितता के कारण सुबह उठी तो सांस बेहद फूलने लगी.

‘‘क्या बात है? तुम्हारी सांस कैसे फूलने लगी? क्या पहले भी ऐसा होता था?’’ मुझे तकलीफ में देख कर हैरानपरेशान मनुज ने पूछा.

‘‘मैं ने अपनी बीमारी के बारे में आप को पत्र लिखा था,’’ प्रश्न का समाधान करते हुए मैं ने कहा.

‘‘पत्र, कौन सा पत्र? तुम्हारे पत्र में बीमारी के बारे में तो जिक्र ही नहीं था.’’

लगा, पृथ्वी घूम रही है. क्या इन को मेरा पत्र नहीं मिला? मैं तो इन का पत्र प्राप्त कर यही समझती रही कि मेरी कमी के साथ ही इन्होंने मुझे स्वीकारा है. तनाव व चिंता के कारण घबराहट होने लगी थी. पर्स खोल कर दवा ली, लेकिन जानती थी रोग की तीव्रता 2-3 दिन के बाद ही कम होगी. दवा के रूप में प्रयुक्त होने वाला इनहेलर शरम व झिझक के कारण नहीं लाई थी. यदि किसी ने देख लिया और पूछ बैठा तो क्या उत्तर दूंगी.

बीमारी को ले कर इन्होंने घर सिर पर उठा लिया. इन का रौद्ररूप देख कर मैं दहल गई थी. आखिर गलती हमारी ओर से हुई थी. बीमारी को छिपाना ही भयंकर सिद्ध हुआ था. मेरा लिखा पत्र डाक एवं तार विभाग की गड़बड़ी के कारण इन तक नहीं पहुंच पाया था.

‘‘बेटा, आजकल के समय में कोई भी रोग असाध्य नहीं है. हम बहू का इलाज करवाएंगे. तुम क्यों चिंता करते हो?’’ मनुज को समझाते हुए सासससुर बोले.

‘‘पिताजी, मैं इस के साथ नहीं रह सकता. मैं ने एक सर्वगुणसंपन्न व स्वस्थ जीवनसाथी की तलाश की थी न कि रोगी की. क्या मैं इस की लाश को जीवनभर ढोता रहूंगा? अभी यह हाल है तो आगे क्या होगा?’’ कड़कती मुद्रा में ये बोले.

‘‘पापा, भैया ठीक ही तो कह रहे हैं,’’ स्नेहा, मेरी ननद ने भाई का समर्थन करते हुए कहा.

‘‘तुम चुप रहो. अभी छोटी हो, शादीविवाह कोई बच्चों का खेल नहीं है जो तोड़ दिया जाए,’’ पितासमान ससुरजी ने स्नेहा को डांटते हुए कहा.

‘‘मैं कल ही अपने काम पर लौट रहा हूं.’’ कुछ कहने को आतुर अपने पिता को चुप कराते हुए, मनुज घर से चले गए.

मनुज की बातों से व्याकुल सास मेरे पास आईं. मेरी आंखों से बहते आंसुओं को अपने आंचल से पोंछते हुए बोलीं, ‘‘बेटी घबरा मत, सब ठीक हो जाएगा. बेवकूफ लड़का है, इतना भी नहीं समझता कि बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है. इस की वजह से विवाह जैसे पवित्र संबंध को तोड़ा नहीं जा सकता. हां, इतना अवश्य है कि राजेंद्र भाईसाहब को बीमारी के संबंध में छिपाना नहीं चाहिए था.’’

‘‘मांजी, मम्मीपापा ने छिपाया अवश्य था, किंतु मैं ने इन्हें सबकुछ सचसच लिख दिया था. इन का पत्र प्राप्त कर मैं समझी थी कि इन्होंने मेरी बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया है, वरना मैं विवाह ही नहीं करती,’’ कहतेकहते आंचल में मुंह छिपा कर मैं रो पड़ी थी.

डाक्टर भी आ गए थे. रोग की तीव्रता को देख कर इंजैक्शन दिया तथा दवा भी लिखी. रोग की तीव्रता कम होने लगी थी, किंतु इन के जाने की बात सुन कर मन अजीब सा हो गया था. सारी शरम छोड़ कर सासूजी से कहा, ‘‘मम्मी, क्या ये एक बार, सिर्फ एक बार मुझ से बात नहीं कर सकते?’’

सासुमां ने मनुज से आग्रह भी किया, किंतु कोई भी परिणाम न निकला. जाते समय मैं भी सब के साथ बाहर आई. इन्होंने मां और पिताजी के पैर छुए, बहन को प्यार किया और मेरी ओर उपेक्षित दृष्टि डाल कर चले गए. सासुमां ने दिलासा देते हुए मेरे कंधे पर हाथ रखा तो मैं विह्वल स्वर में बोल उठी, ‘‘मां, मेरा क्या होगा?’’

इन्तकाम : भाग 8

संजीव निकहत से शादी के सपने अपनी आंखों में संजोए अपने शहर लौट आया. वह जल्द से जल्द अपने वकील से मिल कर मोनिका से तलाक के बारे में डिस्कस करना चाहता था. अपने शहर पहुंच कर जब संजीव मोनिका के बाप की दी हुई कोठी की जगह अपने पुराने बंगले में अपनी मां रजनीदेवी के पास पहुंचा तो उसको जो नयी बात पता चली, उसने उसकी सारी परेशानी बैठे-बिठाये ही हल कर दी. दरअसल टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए उसके और निक्की खान के रोमान्स के चर्चे पहले ही मोनिका और उसके पिता सेठ राजनारायण तक पहुंच चुके थे. सेठ राजनारायण ने इस बात को लेकर संजीव के मां-बाप को काफी खरी-खोटी सुनायी थी और उनसे सारे सम्बन्ध खत्म कर लिये थे. मोनिका का गुस्सा तो सातवें आसमान पर था. वह तो अब संजीव की शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी. यहां तक कि उसने खुद अपने वकील से मिलकर तलाक के कागजात तैयार करवा कर उसके घर भिजवा दिये थे, जिन पर सिर्फ संजीव को हस्ताक्षर भर करने थे. सेठ राजनारायण ने संजीव को अपने तमाम कारोबार और कोठी से बेदखल कर दिया था. यह सारी बातें संजीव की मां रजनीदेवी संजीव को फोन पर बताना चाहती थीं, मगर संजीव ने तो मुम्बई जाते ही अपना फोन नम्बर ही बदल दिया था. अखबारों के जरिए रजनीदेवी को पता चला था कि वह निक्की खान के साथ रह रहा है तो उन्होंने निक्की खान के बंगले पर भी कई बार फोन किया, लेकिन किसी ने उनकी बात संजीव से नहीं करवायी.

रजनीदेवी बदहवास सी अपने बेटे को यह तमाम बातें सुना रही थीं, मगर संजीव मोनिका के भेजे तलाक के पेपर्स में ही घुसा हुआ था. उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सफलता इस तरह यहां खुद बाहें फैलाए उसका इंतजार कर रही थी. सेठ राजनारायण और मोनिक ने तो उसकी सारी परेशानियां हल कर दी थीं. वह बेहद खुश था. अब उसका रास्ता पूरी तरह साफ था. निकहत से शादी करने में अब कोई अड़चन ही शेष न थी.

संजीव अपने तलाक की डिक्री लेकर मुम्बई वापस लौटा तो उसके हर्ष की कोई सीमा न थी. प्रसन्नता के अतिरेक में उसने निकहत को अपनी बाहों में उठा लिया.

‘निकहत…’ वह खुशी से झूमता हुआ बोला, ‘ये देखो…’ उसने अटैची में से तलाक की डिक्री निकाल कर उसके सामने रख दी, ‘अब हमारी राह में कोई रुकावट नहीं है निकहत… अब हम एक हो सकते हैं… जो तुम चाहती थीं, वही हुआ… निकहत… निकहत…’ वह मारे खुशी के बदहवास हुआ जा रहा था.

‘हां संजीव, जो मैं चाहती थी वही हुआ…’ निकहत के चेहरे पर व्यंगात्मक मुस्कान आ गयी.

‘निकहत, अब हम जल्दी ही शादी कर लेंगे…’ वह व्यग्रता से बोला.

निकहत कुछ न बोली, वह बस एकटक उसका चेहरा देखती रही. संजीव के चेहरे में उसे एक लालची भेड़िया नजर आ रहा था… जो लालच का लार चुआती अपनी लाल-लाल जीभ लपलपाता हुआ उसे खा जाना चाहता था… निकहत के मुंह में एक कड़वाहट सी भर गयी.

‘तुम चुप क्यों हो निकहत…?’ वह उसे खामोश देखकर हैरानी से बोला, ‘क्या तुम खुश नहीं हो…?’

‘आज से ज्यादा खुशी तो मुझे कभी हासिल नहीं हुई, संजीव…’ निकहत की वाणी में व्यंग्य स्पष्ट था, मगर संजीव इस व्यंग्य को समझ नहीं पाया. वह तो खुशी के अथाह समन्दर में गोते लगा रहा था.

‘जी तो चाहता है मैं आज ही तुमसे शादी कर लूं निकहत…’ वह खुशी के अतिरेक में निकहत को अपनी बांहों में भर लेने को उतावला हो उठा, लेकिन निकहत उसकी बात सुनकर चार कदम पीछे हट गयी…

‘शादी…?’ कैसी बात कर रहे हो संजीव…? शादी-ब्याह तो बराबर वालों में होता है…’ उसके शब्दों में कठोरता आ गयी.

‘निकहत…?’ संजीव ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा.

‘हां संजीव, तुम्हीं ने तो कहा था कि इस मामले में परिवार, बिरादरी और स्टेटस हर चीज का ख्याल रखना पड़ता है, फिर तुम्हीं बताओ हमारी शादी भला कैसे हो सकती है? आखिर हमारे मुकाबले में तुम्हारा क्या स्टेटस है…?’

निकहत का एक-एक शब्द संजीव पर बम की भांति गिरा. वह समझ नहीं पा रहा था कि निकहत को आखिर हुआ क्या है?

‘निकहत… मैं तुमसे प्यार करता हूं…’ वह गिड़गिड़ाया.

‘प्यार…? ये शब्द तुम्हारी जुबान से अच्छा नहीं लगता संजीव… तुम और तुम्हारा प्यार तो मेरे लिए उसी दिन मर गया था, जब तुमने मेरे प्यार की कीमत दौलत से चुकानी चाही थी, वह भी उधार की दौलत से… और आज तो मैंने तुम्हारी लाश पर सिर्फ अपने इन्तक़ाम का कफ़न डाला है… संजीव आज जाकर मेरे दिल की धधकती हुई ज्वाला शान्त हुई है…’ निकहत के चेहरे से संजीव के लिए गहरी नफरत टपक रही थी.

संजीव का चेहरा क्रोध से लाल हो गया, ‘मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोड़ूंगा नागिन…’ वह फुंफकारता हुआ उसकी ओर झपटा.

‘खबरदार… तुम खुद यहां से जिन्दा बचकर नहीं जा पाओगो, अपने पीछे देखो…’ निकहत चीखी.

वह पीछे की ओर पलटा तो दो हथियारबंद गार्डों ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया.

‘कमीनी…’ उसके मुंह से निकहत के लिए गालियों की बौछार निकलने लगी… वह गार्ड की पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश करता हुआ चीखा, ‘आखिर तूने अपना त्रियाचरित दिखा ही दिया…’

‘त्रियाचरित का ये खेल मैंने तुम्हीं से सीखा है संजीव…’ निकहत  ने शान्ति से जवाब दिया, ‘याद रखो औरत अगर बदला लेने पर आ जाए तो इस दुनिया की तो क्या, खुदा की ताकत भी उसे रोक नहीं सकती है. मुझे खुशी है कि आज मैंने अपने सबसे बड़े दुश्मन से अपना इन्तक़ाम ले लिया…’

‘गार्ड… इसके हाथ-पैर बांध दो…’ उसने अपने सुरक्षागार्डों को आज्ञा दी और खुद फोन पर कोई नम्बर डायल करने लगी.

अगली सुबह मीडिया चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज और समाचार पत्रों की मुख्य खबर थी –

‘मशहूर पौप सिंगर निक्की खान को कत्ल करने की कोशिश में संजीव गोयल हथियार सहित गिरफ्तार.’

नया ट्रैफिक कानून: दुनिया का सबसे बड़ा मजाक

केंद्र सरकार द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था की दुशचिंता के तहत जुलाई 2019 में नया ट्रैफिक कानून पारित किया  गया है. आजाद भारत का यह ऐसा सबसे बड़ा कानून बन सकता है जिसे आवाम सिरे से मानने से इनकार कर रही है. केंद्र सरकार के द्वारा पास किए गए इस कानून पर जितना व्यंग्य -विनोद, वक्रोक्ति के द्वारा मजाक उड़ाया जा रहा है वह भी अद्भुत है.

सोशल मीडिया में व्यंग्य के साथ जो कुछ लिखा जा रहा है वह इस कानून की सच्चाई व बानगी को उजागर कर रहा है. प्रस्तुत है कुछ मीम्स,कुछ व्यंग्य बाण जो इस कानून की बघ्घिया उड़ा रहे हैं.

पहला: अगर आपकी पुरानी मोटर साइकिल की कीमत 10 हजार से कम रह गई हो तो चालान काटने से बेहतर है बाइक दरोगा जी को सप्रेम भेंट कर दो.

 दूसरा: हमारे यहां नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत बनाए गए चालान को  भरने के लिए आकर्षण दरों पर लोन दिया जाता है.

तीसरा : नौकरी 15 हजार की भी नहीं और चालान 10 हजार का. और ऊपर से जुर्माने तो ऐसे ठोके  हैं जैसे सड़के यूरोप जैसी हो.

चौथा: रेपिस्ट अगर 18 वर्ष से कम का हो तो उसे छोड़ देंगे पर बाइक अट्ठारह से कम का चलाएगा तो बाप को 3 साल की सजा ! नियम बना रहे हो या मनोहर कहानी भाग – 2

पांचवा: पुलिस – साहब इसके पास चालान भरने के पैसे नहीं है इसकी किडनी निकलवा लूं क्या ! ( इस कार्टून में पुलिस वाला एक वाहन चालक को खड़ा कर उसके वाहन की चाबी अपने हाथ में रख अफसरों से आदेश मांग रहा है )

कुल जमा ऐसे कार्टून, मीम्स और चुटकुले आम लोगों के मध्य सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे हैं जो यह बता रहे हैं कि नया मोटर व्हीकल एक्ट कितना असंगत त्रुटिपूर्ण है. और लोगों में उसके प्रति कितना गुस्सा,नाराजगी है. आम आदमी अपना क्रोध ऐसे ही तो निकालता है.

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आप की हस्ती को नंगा कर रहा है !

नये मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर जैसी आम आदमी में जो प्रतिक्रिया आई है, वह अभूतपूर्व है . दरअसल, केंद्र सरकार  जल्द से जल्द सारे कानून प्रावधानों को दुरुस्त करना चाहती है । जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयं संघ के घुटे हुए पीर वर्षों से सत्ता की बाट जोह रहे थे .70 वर्षों बाद भाजपा के रूप में एक मौका मिला है “वैतरणी” पार करने के लिए…

अब हालत यह है कि देश, जिनके हाथों में है वे सब कुछ अच्छा बुरा जो उनके दिमाग में वर्षों से भरा हुआ है उसे उड़ेल देना चाहते हैं .प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रीगण जल्द से जल्द अपना काम पूरा करना चाहते हैं और इस आपाधापी में कुछ अच्छा तो कुछ बुरा ( गलत! ) भी हो रहा है अब आगे भुगतना, तो देश की आम जनता को है. नोटबंदी, जीएसटी,राम मंदिर, कश्मीर सहित अनेक मसले हैं जो वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार के बही खाते में दर्ज है. इन्हीं में एक है यह हमारे आज का विषय – नया मोटर व्हीकल एक्ट. जो व्यंग्य विद्रूप  के माध्यम से जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और इसी माध्यम से इस कानून की असलियत खुल कर हमारे सामने आ रही हैं.

कभी एक भिश्ती ने  चमड़े का सिक्का” चलाया  था

इतिहास में ऐसे किस्से अमर हो जाते हैं . मुगल सम्राट हुमायूं के शासनकाल में ऐसे ही एक भिश्ती को जब एक दिन का राजा बनाया गया था तो उसने चमड़े का सिक्का चला दिया था.नितिन गडकरी केंद्रीय परिवहन मंत्री है. नि:संदेह उन्होंने विगत 5 वर्षों में देश की सड़कों को बेहतर बनाने का ऐतिहासिक वर्क किया है. मगर इतिहास तो आपके छिद्रो को स्मरण रखता है आपकी अच्छाई, आदर्श, राष्ट्रप्रेम की कसौटी पर ऐसे छिद्र पलीता लगा देंगे.

दरअसल, मोटर व्हीकल एक्ट 2019 घर में बैठकर, मैं कह रहा हूं!की तर्ज पर संसद में पास कर दिया गया.उस पर जो वृहद चर्चा होनी थी राजग की नरेंद्र मोदी सरकार ने नहीं करायी. परिणाम स्वरुप यह कानून एक मजाक बन गया है और यातायात पुलिस की कमाई का जरिया बन जाएगा. यही कारण है की एक चुटकुला सोशल मीडिया पर दौड़ रहा है – आईएएस 10 लाख, डॉक्टर 8 लाख, इंजीनियर 5 लाख, ट्रैफिक दरोगा 20 लाख ।  जी हां यह है आज के दूल्हे की दरें .

गडकरी अच्छा चाहते हैं, हो गया बुरा !

दरअसल नितिन गडकरी देश की ट्रैफिक व्यवस्था के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं यह उनके काम कार्य पद्धति से बारंबार सामने आया है. सड़कों पर लोग मर रहे हैं यह भी सत्य है मगर उसे रोकने जो व्यवस्था उनके दिमाग में उपजी, उसमे चुक हो गई है.यह वही देश है जहां केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है ऐसे में कुछ तो कारण है…

अब मंत्री, अफसर, नेता की जेबें  भरी हुई हैं,  वे सोचते हैं आम आदमी भी पैसे वाला है, नहीं है तो डर कर सड़क पर निकलेगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा. हेलमेट, लाइसेंस, सिंगनल उल्लंघन को टारगेट बनाने की जगह अगर गडकरी साहब! चार पहिया वाहनों पर नकेल कसते तो यह हंगामा और अवाम के बीच केंद्र सरकार का पानी नहीं उतरता…..वृहदकाय महंगे वाहन और सड़कों पर कानून नियमों को तोड़ते मालवाहक वाहनों पर आपको नकेल कसनी होगी अन्यथा देश की सड़कों की हालत आप क्या ईश्वर भी नहीं सुधार सकता. यही वृहदकाय वाहन यही ऊंची गाड़ियां  आमतौर पर दुर्घटना कारित करती हैं. सड़कों को बर्बाद करती हैं .इनके पास पैसे भी हैं मगर आप छोटे मोटे ट्रैफिक हवलदार, इस्पेक्टर और अधिकारी की भांति उनके दबाव प्रभाव में है. दो टूक शब्दों में हमारी यही राय है की चार पहिया वाहनों पर लगाम लगाइये, सब ठीक हो जाएगा.

चलते -चलते – आजकल सोशल मीडिया से निकलकर राष्ट्रीय मीडिया पर न्यूज़ चल रहे हैं -” 15 हजार की स्कूटी पर 23 हजार का जुर्माना !” यह एक लाइन नए मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ा रही है.

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गर्ल्स हौस्टल: लड़कियों की आजाद दुनिया

गर्ल्स हौस्टल के अंदर लड़कियों की एक अलग ही दुनिया होती है और उन्हें कई तरह के डर भी सताते हैं साथ ही एक छोटे से बंद कमरे में की दुनिया कभी-कभी बहुत ही नीरस सी हो जाती है. वैसे तो बहुत सी लड़कियों का ये ख्वाब होता है कि मैं भी गर्ल्स हौस्टल में रहुंगी और अकेले रह कर परिवार के किसी दबाव और डर के बिना मस्ती से जिऊंगी लेकिन जब वो हौस्टल में आती हैं तब समझ आता है कि परिवार के साथ रहना ही कितना अच्छा होता है क्योंकि जो सुरक्षा जो प्यार आपको अपने परिवार से मिलता है वो किसी से भी नहीं मिलता और ये कहने का तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है कि हर गर्ल्स हौस्टल ऐसे होते है कि आपको सुरक्षा ही न मिलें बहुत से हौस्टल अच्छे भी होते हैं जहां आपको कंपंनी अच्छी मिल जाती है तब आपको हौस्टल में अच्छा लगने लगता है और आप मज़े से रहती हैं.लेकिन फिर भी वहां आपको अपनी सुरक्षा का डर तो लगा ही रहता है.

अगर सिर्फ सुरक्षा की बात करें तो हौस्टल में अगर गार्ड न हो और ढंग की वार्डन न हो तो हौस्टल असुरक्षित ही रहता है साथ ही लड़कियों को अपने सामानों के चोरी होने का एक अलग ही डर होता है क्योंकि रूम पार्टनर पता नहीं कैसी मिले उसका व्यवहार कैसा हो ये नहीं पता होता और हमें उसी के साथ रूम शेयर करके रहना होता है.अक्सर ऐसा होता है कि किसी के कपड़े चोरी हो गए,किसी का पैसा चोरी हो जाता है हौस्टल से. इसलिए हौस्टल में कितनी ही सुरक्षा चाक चौबंद क्यों न हो लेकिन ये कुछ ऐसे डर हैं जो लड़कियों के मन हमेशा बने रहते हैं और कहीं न कहीं ये सही भी है क्योंकि ज्यादातर लड़कियों के साथ ऐसा होता है और हुआ है….मैं एक लेखक होते हुए ये बात आपसे इसलिए कह रहीं हूं क्योंकि मैं खुद भुक्तभोगी हूं इसलिए इतना तो पता है कि हौस्टल की जिंदगी कैसी होती है.

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भले ही इन बातों की चिंता होती हो लेकिन गर्ल्स हौस्टल में लड़कियां मस्ती भी खूब करती हैं और अपनी जिंदगी भी खुलकर मजें में जीती हैं.एक दूसरे की बुराई करना, लड़ना-झगड़ना सब चलता है…. लेकिन मेरी ये सलाह है उन लड़कियों को जो हौस्टल में हैं या जो कभी रहने जाएंगी कि कभी कुछ गलत मत करना जिससे मां-बाप का सिर शर्म से झुके. हमेशा उन्हें गर्व की अनुभूती कराना. और कभी-कभी तो ऐसा भी होता है जब हौस्टल में कुछ लड़कियां खुद को हेड गर्ल समझने लगती हैं तो भाई मेरी सलाह है ऐसे लोगों से दूर ही रहें तो ज्यादा बेहतर होगा. लेकिन इन सबके बावजूद भी कुछ गर्ल्स हौस्टल ऐसे भी हैं जहां लड़कियां एक परिवार की तरह रहती हैं और एक-दूसरे का सर्पोट भी करती हैं. साथ मिलकर पार्टी भी करती हैं और जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद भी करती हैं लेकिन हर हौस्टल ऐसे नहीं होते हैं इसलिए सावधान रहें और अपनी हर बात हर किसी से शेयर भी न करें क्योंकि कौन आपका भला चाहेगा और कौन बुरा ये बात आपको नहीं पता होती.

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खरीफ फसल और खरपतवार को कृषि यंत्रों से ऐसे करें नियंत्रण

खेतीबारी में अब किसानों की मेहनत को कम करने के लिए मशीन बनाने वालों ने ऐसे ऐसे यंत्र बना दिए हैं, जो बड़े काम के साबित हो रहे हैं. खरीफ की फसल में कुछ यंत्र बड़े उपयोगी होते हैं, जो किसानों को खरपतवार हटाने में मददगार बनते हैं. ऐसे ही कुछ कृषि यंत्रों की जानकारी का लाभ उठाइए.

खरीफ के मौसम में मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों को किसान उगाते हैं जो अनाज के अलावा पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस के अलावा दलहनी फसलों में अरहर, मूंग, उड़द, ज्वार आदि की भी खेती की जाती है.

इन फसलों से अच्छी उपज लेने के लिए किसान उन्नत किस्म के बीज बोने के साथ समयसमय पर फसल में खादपानी भी देते?रहें. इस के बावजूद भी फसल में कुछ समय बाद अनेक तरह के खरपतवार उग आते हैं जो खेत में बोई गई फसल की बढ़वार में रुकावट पैदा करते हैं.

खरपतवार खासकर बोआई के 15 दिन बाद ही पनपने लगते हैं इसलिए किसानों को चाहिए कि वे इन खरपतवारों की रोकथाम पर खासा ध्यान दें जिस से फसल से बेहतर उपज ले सकें.

खरपतवार रोकने के लिए समयसमय पर निराईगुड़ाई करना बहुत जरूरी है. निराईगुड़ाई के लिए आज देश में अनेक कृषि यंत्र मौजूद हैं जो इस काम को आसान बनाते हैं. हाथ से चलाने वाले यंत्रों के अलावा पावरचालित यंत्र भी हैं. अनेक छोटेबड़े कृषि यंत्र निर्माता इन्हें बना रहे हैं.

निराईगुड़ाई में कृषि यंत्रों का इस्तेमाल :ध्यान रखें कि ये कृषि यंत्र लाइन में बोई गई फसलों के लिए बेहतर नतीजे देते हैं इसलिए फसल की बोआई लाइनों में ही करनी चाहिए, जबकि बिखेर कर बोई गई फसल में ये यंत्र कारगर नहीं हैं और इस तरह से बोई फसल में पैदावार भी कम ही मिलती है.

पावर वीडर यंत्र

यह मध्यम आकार का यंत्र है. पावर वीडर यंत्र ऐसे किसानों के लिए फायदेमंद है जो बड़ी मशीनें नहीं खरीद पाते हैं. छोटे साइज से ले कर बड़े साइज तक में यह यंत्र आता है. अपनी सुविधानुसार इस का इस्तेमाल किया व खरीदा जा सकता?है.

यह यंत्र लाइन में बोई गई सब्जियों, गन्ना, कपास, फूलों की फसल, दलहनी फसलें वगैरह सभी के लिए फायदेमंद है. पहाड़ी इलाकों के लिए भी यह यंत्र सुविधाजनक होता?है क्योंकि ऐसे इलाकों में छोटेछोटे खेत होते?हैं जहां बड़े यंत्रों का पहुंचना कठिन होता है.

पावर वीडर यंत्र को चलाना बहुत ही आसान है. इस में एक इंजन लगा होता है जो यंत्र के हिसाब से कम या?ज्यादा शक्ति का हो सकता?है. ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका के पिछले कई अंक में इस प्रकार के अनेक यंत्रों की जानकारी दी गई है.

देश में अनेक प्रगतिशील किसान और कृषि यंत्र निर्माता हैं जो ऐसे यंत्रों को बना रहे हैं जिस से किसान फायदा उठा सकते हैं.

सरकार की तरफ से इन कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकारी अनुदान भी दिया जाता है जो राज्य और जाति के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है.

पावर वीडर यंत्र खरीदते समय सरकारी अनुदान का फायदा लेने के लिए जिला कृषि अधिकारी या जिला उद्यान या बागबानी कार्यालय में मिलें. जरूरी कागजात जमा कराने के बाद वरीयता के आधार पर इन यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है.

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ट्रैकऔन कल्टीवेटर

कम वीडर

ट्रैकऔन कंपनी के इस निराईगुड़ाई यंत्र से गन्ना, कपास, मैंथा, फूल, पपीता, केला, सब्जियां व दूसरी लाइनों में बोई गई फसलों की निराईगुड़ाई की जाती है. साथ ही, इस यंत्र से खेत में डाली गई खाद को भी आसानी से मिलाया जा सकता है.

इस यंत्र से निराईगुड़ाई का खर्चा बहुत कम आता है. इस यंत्र को कहीं भी ले जाना आसान है. इस यंत्र को धकेलना

नहीं पड़ता. यह चलाने में बहुत ही आसान है और जरूरत के मुताबिक रोटर की चौड़ाई

12 से 18 इंच व गहराई घटाईबढ़ाई जा सकती है इसलिए इस यंत्र से खेत की जुताई की जा सकती है.

पैट्रोल और डीजल से चलने वाले इस के 2 मौडल बाजार में मुहैया हैं. इन दोनों मौडलों में एयरकूल्ड 4 स्टोक इंजन लगा है. मशीन का कुल वजन तकरीबन 80 किलोग्राम है.

बीसीएस का इटैलियन

पावर वीडर

‘पावर वीडर कई यंत्रों का लीडर’ जी हां, इस यंत्र पर यह बात सटीक बैठती है. पावर वीडर से निराईगुड़ाई के अलावा अनेक काम किए जा सकते हैं. बीसीएस ने पावर वीडर के साथ ऐसे यंत्रों को पेश किया है जिन्हें इस वीडर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है:

लौन मूवर : इस यंत्र को पावर वीडर से जोड़ कर लौन, बागबगीचे की घास को आसानी से काटा जाता है.

सीड ड्रिल : इस यंत्र को पावर वीडर से जोड़ कर खेत की बोआई कर सकते हैं.

स्प्रे पंप : पावर वीडर के साथ स्प्रे पंप जोड़ कर आटोमैटिक तरीके से खेत में कृषि रसायनों का छिड़काव या अन्य तरल पदार्थ का भी छिड़काव कर सकते हैं.

ग्रास कटर: यह घास काटने का कृषि यंत्र?है. इसे पावर वीडर के आगे जोड़ कर चलाया जाता?है. यह बड़ी ही सफाई के साथ घास काटता है.

बीसीएस के कृषि यंत्रों के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए मोबाइल फोन नंबर 09758577305, 09416668485 पर संपर्क कर सकते हैं.

अशोका पावर वीडर

डीजल व पैट्रोल दोनों से चलने वाले इस यंत्र से कपास, गन्ना, लाइन में बोई गई सब्जियां वगैरह की निराईगुड़ाई की जाती है.

ज्यादा जानकारी के लिए आप कंपनी के फोन नंबर 91-5924-273176 या मोबाइल नंबर 09412636370 पर बात कर सकते हैं.

फाल्कन पावर वीडर

यह कंपनी पावर वीडर के अलावा अनेक प्रकार के बागबानी में काम आने वाले यंत्र बनाती है.

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मजिस्ट्रेटों पर सत्ता का दबाव

कानूनों की आड़ में आम आदमी की स्वतंत्रता छीनने की आदत सरकार में इतनी बुरी तरह फैली हुई है कि अंगरेजों के समय जो कानून नागरिकों के बचाव के लिए बने थे, उन्हें वह तोड़मरोड़ कर जनता के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है. अंगरेजों से पहले इस देश में जंगलराज था चाहे वह हिंदू राजाओं का समय रहा हो या मुसलिम राजाओं का. कोतवाल जब चाहे, जिसे चाहे बंदी बना सकता था. राजा जब चाहे जिसे चाहे अंधेरी कोठरी में डाल सकता था.

भारतीय दंड विधि और दंड प्रक्रिया संहिता नागरिकों को हक देने के लिए बने कि अगर पुलिस किसी को किसी भी आरोप में गिरफ्तार करे, तो उसे 24 घंटे में शहर के मजिस्ट्रेट के सामने लाए और तब मजिस्ट्रेट तथ्यों की ऊपरी जांचपड़ताल करने के बाद ही कैद में रखने की इजाजत दे. इस नियम का धीरेधीरे जम कर दुरुपयोग होने लगा. प्रशासन, पोलिटिशियन और पुलिस के दबाव में मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत पर छोड़ते ही नहीं हैं.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ले कर एक औरत के धरने आदि के बनाए गए एक वीडियो पर मानहानि और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. प्रशांत कनौजिया नामक पत्रकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और मजिस्ट्रेट ने जमानत नहीं दी कि जांच चल रही है. यह कैसी जांच थी कि आरोपी को जेल में रहना पड़े?

मजिस्ट्रेट न संविधान की भावना सुनते हैं न कानून के शब्दों को देखते हैं. लगभग मशीनी तरह से वे पुलिस का साथ दे कर जेल भेजने में जल्दबाजी दिखाते हैं. कई बार तो बंद आरोपी को वकील का इंतजाम करने का समय तक नहीं मिलता.

मजिस्ट्रेटों में न्याय की जगह अन्याय करने की शक्ति कहां से आती है, दरअसल, ऊपर तक की सरकारें इन को शह देती हैं कि नागरिकों को कुचलो, दबाओ, बंद करो, संविधान की हत्या करो. उत्तर प्रदेश के उक्त मामले में प्रशांत का केस जब सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो बजाय नागरिक के पक्ष में खड़े होने के, नागरिक के संवैधानिक हितों की रक्षा करने के, संवैधानिक हक वाले अतिरिक्त सौलिसिटर जनरल कहते रहे कि मामला तो पहले से मजिस्ट्रेट के पास है, अगर छूट चाहिए तो अपील करने के लिए सैशन कोर्ट जाओ, फिर हाईकोर्ट, फिर डिवीजन बैंच और उस के बाद यहां सुप्रीम कोर्ट. यानी, तब तक जेल में सड़ो.

जब सर्वोच्च न्याय अधिकारी इस तरह की बात करेंगे तो निचले दर्जे के मजिस्ट्रेट डरेंगे ही. वे पुलिस की सुनेंगे, पुलिस के सामने खड़े होने की हिम्मत न रखेंगे, चाहे इस दौरान नागरिक सड़ता रहे और 2-4 साल बाद बेगुनाह ही पाया जाए. यह गनीमत है कि न्यायपालिका ने सरकार से जज नियुक्त करने का हक अब छीन लिया है. हां, पुलिस रिपोर्ट तो वही पुलिस आज भी बनाती है जो किसी को भी पकड़ कर मजिस्ट्रेट या जज के सामने खड़ा करती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में नागरिक को तुरंत राहत दी, यह संतोष की बात है, पर यदि साथ में निचली अदालत के मजिस्ट्रेट का तबादला भी कर देती, तो शायद ज्यादा अच्छा होता.

सारा अली खान ने शेयर की पुरानी फोटो तो कार्तिक आर्यन ने किया ऐसा कमेंट

बौलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. इंस्टाग्राम पर उन्होंने अपनी एक पुरानी फोटो शेयर की हैं. ये फोटो कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर छा गई. दरअसल सारा ने इंस्टाग्राम एकाउंट से अपनी मां के साथ वाली एक पुरानी तस्वीर शेयर की.

इस तस्वीर में सारा और उनकी मां व एक्ट्रेस अमृता सिंह प्यार भरे पोज में  दोनों साथ नजर आ रही हैं. सारा ने इस फोटो के कैप्शन में लिखा, ”पुरानी तस्वीर, जब मुझे फेंका नहीं जा सकता था.” सारा के इस फोटो को यूजर्स काफी पसंद कर रहे हैं तो कई यूजर्स मजेदार कमेंट भी कर रहे हैं.सारा ने अपनी इस फोटो का खुद मजाक बनाया.

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वैसे तो सारा हमेशा चर्चे में बनी रहती हैं. कभी अपनी आने वाली फिल्मों तो कभी कार्तिक आर्यन से अपनी रिलेशनशिप को  भी लेकर और अब इस फोटो के लेकर सारा काफी चर्चे में हैं. लेकिन सारा के इस तस्वीर पर कार्तिक ने भी प्यारा सा कमेंट किया और उनकी चुटकी ली. सबसे पहला कमेंट कार्तिक आर्यन का ही आया. कार्तिक ने कमेंट में लिखा, ये लड़की ‘सारा अली खान’ जैसी लग रही है.

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हाल ही में बौलीवुड अदाकारा जरीन खान ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की थीं. इस फोटो में उन्होंने व्हाइट कलर का क्रौप टौप और ब्लैक कलर की जींस पहनी थी. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. लेकिन इस फोटो में उनके स्ट्रेच मार्क्स दिख रहे थे. इस वजह से यूजर्स उन्हें काफी ट्रोल करने लगे.

हालांकि कुछ यूजर्स ने उनकी तारीफ भी की पर कुछ यूजर्स ने जरीन के स्ट्रेच मार्क्स को लेकर उनका मजाक बनाया. इसी बीच अनुष्का शर्मा उनके सपोर्ट में आईं और ट्रोल करने वाले यूजर्स को करारा जवाब दिया. अनुष्का ने लिखा- जरीन तुम बहुत खूबसूरत और स्ट्रांग हो. जैसी हो वैसे परफेक्ट हो.

इसके बाद जरीन ने अनुष्का शर्मा का शुक्रिया आदा किया. उन्होंने लिखा इस प्यार और सपोर्ट के लिए शुक्रिया.. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक अब जरीन खान  ने अनुष्का के  इस सपोर्ट को लेकर कहा है कि  ये उनका अच्छा जेस्चर है. हम दोनों तो दोस्त भी नहीं हैं. बस सोशल गैदरिंग्स में ही मिले हैं.

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जरीन ने  ये भी कहा, कैसे एक मजबूत महिला दूसरों को पहचानती है और कैसे वह एक लंबा सफर तय करती है और फिर भी फोटोशौपिंग की आवश्यकता होती है. लेकिन वो इसे सोशल मीडिया पर रियल रखना पसंद करती है.

जरीन खान ने यूजर्स को मुंहतोड़ जवाब भी दिया, जरीन ने लिखा कि जो लोग ये जानना चाहते हैं कि मेरे पेट को क्या हुआ? मैं उन्हें बता दूं कि ये एक ऐसे इंसान का नेचुरल पेट है जिसने 50 किलो से ज्यादा वजन घटा लिया हो. ये ना तो फोटोशौप किया गया है और ना ही इसकी सर्जरी की गई है.

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कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ खुद संकट में फंसे, डीके शिवकुमार ऐसे बने कांग्रेस के चहेते नेता

आपने चर्चित वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स तो देखी होगी. सेक्रेड गेम्स के पहले सीजन में गायतोंडे की भूमिका निभा रहे अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी सैफ अली खान से कहता है कि सब मरेंगे केवल त्रिवेदी ही बचेगा. बहुत ही चर्चित डौयलाग था. लगता है कांग्रेस के साथ भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है. कांग्रेस के तमाम बड़े नेता जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. पहले ईडी और सीबीआई ने पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तार किया. पूरे देश ने देखा होगा कि कैसे चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया. 24 घंटे के नाटक के बाद सीबीआई के अधिकारी उनके घर की दीवार लांघ कर अंदर दाखिल हुए और फिर चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया.

चिदंबरम की पेशी ही चल रही थी कि कांग्रेस का एक और बड़ा नेता जांच एजेंसियों के रडार पर आ गया. इस नेता का नाम है डीके शिवकुमार. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को मनी लौन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. ईडी ने चार दिन तक उनसे पूछताछ की उसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी में हलचल मच गई. आनन-फानन में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का ट्वीट आया. इसके बाद सुरजेवाला की मीडिया पर प्रतिक्रिया भी आई. कांग्रेस कह रही है कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है. राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है.

अब आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिरकार डीके शिवकुमार कौन हैं. क्यों कांग्रेस इनकी गिरफ्तारी से इतनी ज्यादा हमलावर हो गई.

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कौन हैं डीके शिवकुमार

डीके शिवकुमार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तो है कि इसके अलावा उनको कांग्रेस का संकट मोचक भी कहा जाता है. कर्नाटक में इन्होंने एचडी कुमारस्वामी को फ्लोर टेस्ट पास करवाया था. इसके बाद दोबारा भी काफी प्रयास किए लेकिन सरकार बचाने में सफल नहीं हो पाए. बताया जाता है कि जब भी सरकार पर कोई संकट आता था तो कांग्रेसी नेताओं को इन्ही के आलीशान रिसौर्ट में ठहराया जाता था. खास बात ये है कि रिसौर्ट राजनीति का जनक भी इन्हीं को कहा जाता है. जिसका पालन हल पार्टी कर रही है.

कुछ महीने पहले आपने कर्नाटक का सियासी नाटक बाखूबी देखा होगा. यहां पर बागी विधायकों को मनाने और कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन टूटने से बचाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर सौंपी गई थी. रिसौर्ट राजनीति के जनक इस नेता ने अपने सभी विधायकों को अपने ही रिसौर्ट में ठहरवा दिया. तमाम कोशिशों को ग्रहण लग गया और भाजपा इस खेल में बाजी मार गई और कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि येदियुरप्पा पर भी ग्रहण लगा हुआ है. वो आज तक कभी भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था कि जब डीकेएस का रिसौर्ट कांग्रेस के लिए रक्षा कवच बना है. 2002 में जब महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख की सरकार पर खतरा आया तब वहां के विधायकों को कांग्रेस शासित कर्नाटक भेज दिया गया था. ये विधायक कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री डीके शिवकुमार के रिसौर्ट में रुके थे और विलासराव देशमुख की सरकार बच गई थी. इस बार फिर से डीकेएस का ईगलटन रिसौर्ट कांग्रेस के लिए लकी साबित हुआ. कांग्रेस के सभी विधायकों को यहीं रखा गया था. जब विधायकों को बस से हैदराबाद ले जाया गया तो उस बस में सबसे आगे डीकेएस खुद बैठे थे.

खास बात तो यह है कि इस नेता के बारे में कहा जाता है कि ये बेहद चतुर और तेज बुद्धि वाला नेता है. डीकेएस के पास करोड़ों की संपत्ति है. 2019 के हलफनामे में डीके शिवकुमार ने अपने पास 70 करोड़ की चल संपत्ति और 548 करोड़ की अचल संपत्ति की जानकारी दी थी. जबकि इसके पहले 2013 में उनके पास 46 करोड़ की चल संपत्ति और 169 करोड़ की अचल संपत्ति थी. 2019 में दी गई जानकारी के मुताबिक डीके शिवकुमार के परिवार के ऊपर 220 करोड़ की देनदारी है. इसमें उनकी बेटी ऐश्वर्या के ऊपर 46 करोड़ की देनदारी है जबकि उनके पास 107 करोड़ की संपत्ति है.

डीकेएस का नाम राजनीतिक गलियारों पर तब जाना जाने लगा जब उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव पर लड़ा और इतिहास भी रचा. वोक्कालिगा समुदाय के मजबूत दावेदार देवेगौड़ा हार गए. फिर दस साल बाद, शिवकुमार ने विधानसभा में देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी को हराया था.

उस समय की सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल मचाते हुए उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव में कनकपुरा लोकसभा सीट से अनुभवहीन तेजस्विनी को खड़ा कराकर देवगौड़ा को मात दी. लेकिन इसके बाद भी जब पार्टी ने जेडीएस और देवगौड़ा परिवार से हाथ मिलाकर कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाने का फैसला किया तो उन्होंने एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया.

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