रेटिंग: ढाई स्टार
निर्देशक: ओवैस खान
कलाकार: प्रतीक बब्बर, सिद्धांत कपूर, इशिता राज शर्मा, अनिता राज दलिप ताहिल, शुभा राजपूत व अन्य.
अवधिः एक घंटा 49 मिनट
मुस्लिम समाज के प्रचलित तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित किए जाने के बाद फिल्मकार ओवैस खान इसी मुद्दे पर हास्य और दोस्ती के रिश्ते की चाशनी के साथ फिल्म ‘‘यारम’’ लेकर आए हैं, जिसके अंत में तीन तलाक खत्म हो जाने को लेकर वर्तमान सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में अभिनेता शक्ति कपूर का एक लंबा चैड़ा भाषण भी है.
कहानीः
फिल्म की कहानी बचपन के तीन दोस्तों रोहित बजाज (प्रतीक बब्बर), साहिल (सिद्धांत कपूर) और जोया (इशिता राज शर्मा) की है. फिल्म शुरू होती है रोहित के मीरा (शुभ राजपूत) से मिलने से. रोहित व मीरा अपने अपने माता-पिता की रजामंदी से इस मुलाकात के बाद तय करते हैं कि शादी तीन महीने बाद होगी. इन तीन माह में मीरा, रोहित को समझ लेंगी और फिर अंतिम निर्णय ले सकती हैं. उसके बाद रोहित अपने व्यापार के सिलसिले में मारीशस पहुंचता है, जहां उसे पता चलता है कि उसके बचपन के दोस्तों साहिल और जोया की जिंदगी में तूफान आ गया है. साहिल और जोया ने शादी कर ली थी. लेकिन तीन साल बाद रोहित के मारीशस पहुंचते ही साहिल ने तीन बार तलाक शब्द बोलकर जोया को तलाक दे देता है. उसके बाद साहिल को अपनी गलती का एहसास होता है. साहिल को लगता है कि वह जोया के बिना रह नहीं सकता. इसलिए अब मुस्लिम परंपरा के अनुसार हलाला करा कर दोबारा जोया से शादी करना चाहता है. इसके लिए वह रोहित से मदद मांगते है. साहिल चाहता है कि रोहित, जोया से शादी कर ले. उसके बाद रोहित, जोया को तलाक दे दे.जिससे साहिल फिर से जोया से शादी कर सके. रोहित को पता है कि अब कानून बन गया है, जिसके चलते तीन बार तलाक कह देने से तलाक नहीं होता. इसलिए वह जोया से मिलकर एक नई योजना बनाता है, जिससे साहिल को सबक सिखाया जा सके. रोहित, साहिल से कहता है कि वह धर्म परिवर्तन करके जोया से शादी करेगा और फिर विलेन बनकर तलाक दे देगा. साहिल खुश हो जाता है. लोगों की नजर में रोहित व जोया की मुस्लिम परंपरा के अनुसार शादी होती है. इस शादी में साहिल या रोहित के माता-पिता मौजूद नहीं रहते. शादी के बाद रोहित साहिल से कह देता है कि वह जोया को तलाक नहीं देगा, क्योंकि वह तो बचपन से ही जोया से शादी करना चाहता था. अब साहिल को लगता है कि उसके जिगरी दोस्त ने उसे धोखा दिया है. उधर जोया और रोहित पति और पत्नी की तरह रहते हुए ऐसी हरकतें साहिल के सामने करते रहते हैं, जिससे साहिल को गुस्सा आता है. तो दूसरी तरफ रोहित के पिता साहिल को समझाते हैं कि प्यार के मायने यह हैं कि आप अपने प्यार को हमेशा खुश रखें. उसके बाद साहिल अपनी तरफ से जोया को खुशी पहुंचाने के लिए कुछ काम करता है.
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इसी बीच रोहित, साहिल और अपने माता-पिता को बता देता है कि जोया मां बनने वाली है. और वह उसके बच्चे का पिता. इस खुशी में रोहित एक पार्टी रखते हैं. इस पार्टी में कई मेहमानों के साथ साथ रोहित के माता पिता और साहिल भी आते हैं. इस पार्टी में साहिल कह देता है कि उसे रोहित से यह उम्मीद नहीं थी. कुछ बातें होती हैं और फिर रोहित बताता है कि साहिल और जोया की शादी टूटी ही नहीं. क्योंकि अब तीन तलाक कह देने से शादी नहीं टूटती. इसके अलावा जोया और रोहित ने शादी का सिर्फ नाटक किया था. रोहित का मकसद प्यार और शादी को लेकर साहिल को सही राह दिखानी थी.
निर्देशनः
फिल्मकार ने एक गंभीर मुद्दे को हास्य के साथ पेश करते हुए पूरी तरह से हास्यास्पद बना दिया है. फिल्म में शक्ति कपूर का जो भाषण है, उससे यह जाहिर होता है कि यह फिल्म वर्तमान सरकार के निर्णय का प्रचार करने के मकसद से बनाई गई है, जो कि गलत है. इसी विषय पर बेहतरीन पटकथा के साथ बेहतरीन फिल्म बन सकती थी. मगर फिल्मकार ऐसा करने से वंचित रह गए. अपनी कहानी व पटकथा पर थोड़ी सी मेहनत करते तो यह एक क्लासिक फिल्म बन सकती थी. फिल्म की एडीटिंग भी गड़बड़ हैं.
अभिनयः
प्रतीक बब्बर और सिद्धांत कपूर का साधारण अभिनय भी इस फिल्म की एक कमजोर कड़ी है. इशिता राज शर्मा ने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. अनीता राज ने साबित किया कि अभी भी वह अच्छी अभिनेत्री हैं. दलीप ताहिल इस फिल्म एकदम नए अवतार में नजर आए और अपने किरदार में शानदार अभिनय किया है. अभिनेत्री शुभा राजपूत के हिस्से करने को कुछ खास रहा नहीं.
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