ऐसा कर दिखाया है राजस्थान के झुंझुनूं जिले की चिड़ावा तहसील के महरमपुर के बाशिंदे राजाराम ने, जो फलफूल व छायादार पौधे तैयार कर हर साल

4 लाख रुपए कमा रहा?है. नर्सरी के काम में हो रही ज्यादा आमदनी को देख कर उस ने आगामी साल में एक लाख पौधे तैयार करने की ठानी?है.

स्नातक की डिगरी हासिल करने के बाद राजाराम ने फल, छायादार पौधे व फूलों के पौधों की बढ़ती मांग को देख कर अपनी खेती लायक जमीन पर नर्सरी लगाने की ठानी. राजाराम को नए पौधे तैयार करने की जानकारी नहीं थी. उस के परिवार के आशाराम के यहां हरियाणा से नर्सरी का काम करने वाले लोग आते थे. उन से राजाराम ने कलमी पौधे तैयार करने के लिए कटिंग, बडिंग, ग्राफ्टिंग की तकनीक सीखी और 2 साल पहले उन के साथ काम भी किया. जब वह पूरी तरह से सीख गया तो उस ने अपनी 2 बीघा जमीन में नर्सरी लगा ली.

नर्सरी में राजाराम खुद कटिंग, बडिंग, ग्राफ्टिंग व दूसरे काम करता और परिवार के दूसरे लोग मिट्टी में खाद मिलाने, दीमक व दूसरे रोगों की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते व थैलियां तैयार करने का काम करते.

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जब परिवार के सभी लोग मेहनत के साथ काम करते हैं तो इस के अच्छे नतीजे मिलने लगे जिस से तैयार पौधा सूखा नहीं. हालात ये रहे कि राजाराम ने पहले साल ही तकरीबन 50,000 पौधे तैयार किए, जिन की महज 4 महीने में बिक्री होने से उसे तकरीबन 2 लाख रुपए आसानी से मिल गए.

जब राजाराम को नर्सरी के पौधे तैयार करने में तकनीकी जानकारी की जरूरत होती तो रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान के कृषि माहिरों से जरूर मिलता. पहले साल हुए मुनाफे को देख कर राजाराम ने अगले साल दोगुने जोश से नर्सरी पौधे तैयार करने शुरू किए. उस ने किन्नू, मौसमी, संतरा, आम, जामुन, करंज, पपीता के अलावा गुलमोहर, शीशम, देशी बबूल, नीम के हाई क्वालिटी के पौधे तैयार किए.

पौधों की क्वालिटी को देखते हुए राजाराम के पौधों की मांग राजस्थान के सभी जिलो के अलावा पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी?बढ़ने लगी. आज हालात ये हैं कि राजाराम पौधों की मांग को पूरा नहीं कर पा रहा है.

पौधों की बढ़ती मांग को देखते हुए राजाराम आने वाले साल में तकरीबन एक लाख पौधे तैयार करेगा, जिस से उस की आमदनी भी बढ़ जाएगी.

राजाराम की कामयाबी देख कर क्षेत्र के गांव बिसाऊ व मलसीसर के किसानों ने भी नर्सरी लगाना शुरू कर दिया है. चिड़ावा क्षेत्र में फलदार पौधों की मांग को देखते हुए रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान के सहयोग से अब तक 14 नर्सरियां लग चुकी हैं.

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