डा. रिंकी कपूर

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण एवं शरीर व त्वचा पर अंदर से बाहर तक इसके नुकसान वास्तविक हैं और इनसे बचने का कोई तरीका नहीं. हर बीतते दिन के साथ वायु प्रदूषण के व्यापक प्रभाव चिंता का विषय बनते जा रहे हैं. वायु प्रदूषण के कारण त्वचा को सांस लेना मुश्किल हो गया है और त्वचा रूखी होती जा रही हैं एवं इसमें जरूरी पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं.

हमारी त्वचा बाहरी तत्वों से हमारी रक्षा करती है. इस त्वचा पर पराबैंगनी किरणें, सिगरेट का धुआँ तथा विभिन्न मशीनों से निकलने वाला धुआं पड़ता है, जिसमें घुलनशील कार्बनिक कंपाउंड एवं एरोमैटिक हाईड्रोकार्बन और ओजोन होते हैं. हमारी त्वचा इस केमिकल्स एवं प्रदूषक तत्वों से हमारी रक्षा करती है. हालांकि यदि आप अपनी त्वचा को वायु प्रदूषण से नहीं बचाएंगे, तो हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व विभिन्न समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

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समयपूर्व बुढ़ापा

भूरे धब्बे

स्किन का असमान टोन

डिहाईड्रेशन

मुहांसे

एटोपिक डर्मेटिटिस

सोरियासिस

एक्जेमा

रोसाकिया

त्वचा का कैंसर

विविध वायु प्रदूषकों के कारण त्वचा अलग अलग तरह से प्रभावित होती है. उदाहरण के लिए नाईट्रोजन डाई आक्साईड एवं सल्फर डाई आक्साईड जैसे वायु प्रदूषक यूवीआर एवं यूवी रेडिएशन को फैला देते हैं, लेकिन स्माग में भी ये एक्टिव अवयव होते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. वायु प्रदूषण का प्रभाव अनेक तत्वों पर निर्भर होता है, जैसे प्रदूषक तत्वों की प्रकृति क्या है और त्वचा वायु प्रदूषण के कितने संपर्क में है तथा उसकी इंटीग्रिटी क्या है. त्वचा की सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता असीमित नहीं तथा पर्यावरण के तत्वों में निरंतर रहने से त्वचा की आत्मरक्षा की प्रणाली कम हो जाती है. परिणामस्वरूप, त्वचा प्राकृतिक एंटीऔक्सीडैंट बनाने की अपनी क्षमता खो देती है.

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