बोल्डरिंग यानी चट्टानों पर चढ़ने का एकदम नया और पहले से कहीं ज्यादा रोमांचक तरीका. इस तरह से जिस चट्टान पर चढ़ाई की जाती है, वह छोटी होती है. ऐसी ही छोटी चट्टानों को कहते हैं बोल्डर. खास बात यह है कि इन चट्टानों पर सिर्फ हाथों व पैरों का प्रयोग कर चढ़ा जाता है. यानी किसी प्रकार की रस्सी या पहाड़ पर चढ़ने के काम आने वाले किसी भी साजोसामान का प्रयोग नहीं होता.
यह खेल काफी खतरनाक भी है. कई बार लोग अपना शौक पूरा करने के लिए किसी विशाल कमरे में बनी चट्टान जैसी संरचना पर चढ़ते हैं. वैसे ज्यादातर लोग विशेष प्रकार के जूते जरूर पहनते हैं. अपने हाथों को भी वे एकदम सूखा रखते हैं ताकि हाथ फिसले नहीं. कमरे के अंदर बनाई गई नकली चट्टान के नीचे मोटी दरी भी बिछा दी जाती है ताकि कोई गिरे तो दरी की वजह से उसे ज्यादा चोट न लगे.
कई बार चट्टान पर चढ़ने वाला क्षैतिज अवस्था यानी जमीन के समानांतर भी ऊपर की ओर चढ़ता है. इसे नाम दिया गया है ट्रेवरसेज. इस खेल की प्रतियोगिता अंदर यानी नकली चट्टानों और बाहर यानी प्राकृतिक चट्टानों पर भी होती है. ये खेल शारीरिक ताकत के अलावा अंगुलियों की ताकत बढ़ाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है.
ऐसी चट्टानें ग्रेनाइट की होती हैं, जो दरारों से भरी होती हैं. इन पर चढ़ना आसान होता है.
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हर देश में चाहे वह अमेरिका हो या कनाडा या फिर भारत, इस खेल को खेलने वालों ने कई स्थान यानी चट्टानें चिह्नित की हैं, जो इस खेल के लिए सब से ज्यादा उपयुक्त चट्टानें हैं.