डा. बालाजी विक्रम, पूर्णिमा सिंह सिकरवार

आम की खेती के लिए पौध रोपाई आमतौर पर 10-12 मीटर पर की जा रही है. इस में केवल 70-100 पेड़ एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगाए जा सकते हैं. इस प्रणाली के तहत उपलब्ध क्षेत्र या जमीन का बहुत अधिक कुशलता से उपयोग नहीं किया जा सकता है. इस वजह से कम पैदावार मिलती है, वहीं पासपास पौध की रोपाई से बाग को 375-450 से अधिक पेड़ों को रोपा जा सकता है.

पासपास तय दूरी पर बाग लगाने के लिए जमीन के मुहैया होने में लगातार गिरावट, बागबानी ऊर्जा की बढ़ती मांग, ऊर्जा व जमीन की लागत में लगातार गिरावट के नतीजे हैं. पेड़ों की बढ़ी हुई तादाद प्रति हेक्टेयर के अलावा एक उच्च घनत्व वाला बाग, रोपने के बाद 2-3 सालों के भीतर असर में आना चाहिए.

जैसेजैसे पेड़ का घनत्व बढ़ेगा, पैदावार तकरीबन 2,500 टन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ जाएगी.

उच्च घनत्व वाले बागों में न केवल शुरुआती सालों में प्रति यूनिट क्षेत्र में अच्छी पैदावार मिलती है, वहीं खालिस मुनाफा भी होता है. अच्छे उर्वरक, खादपानी, पौधों की सुरक्षा के उपायों को अपना कर खरपतवार नियंत्रण पर काबू पाना आसान होता है. इसलिए यह तकनीक  ‘आम्रपाली’ आम के लिए विकसित की गई थी जो आनुवंशिक रूप से बौनी किस्म है. पेड़ों को त्रिकोणीय प्रणाली के साथ (2.5 मीटर × 2.5 मीटर) लगाने की सिफारिश की गई है. इस में प्रति हेक्टेयर 1,600 पेड़ हैं.

यदि मुमकिन हो, तो बाग को साफसुथरी जगह पर लगाया जाना चाहिए. इस प्रणाली में रूटस्टौक्स को सीधे बाग में लगाया जाना चाहिए, जो बाद में खेत में ही तैयार हो जाता है.

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