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‘नींबू’ बना सबसे ‘मारक यंत्र’

अगर नींबू और नारियल रखने से वाहन की सुरक्षा होती तो भारत में कोई दुर्घटना ही नहीं होती. लड़ाकू विमान राफेल के टायर के नीचे ‘नींबू’ रखने से विमान की सुरक्षा हो ना हो पर हरियाणा और महाराष्ट चुनाव के पहले पूजापाठ के मुददे को वापस चर्चा में ला दिया है. राफेल के नीचे ‘नींबू’ देख कर विदेशी भले ही चौंक रहे हो पर भारत के लोग इसे धर्म से जोड़ कर देख रहे है. उनकी निगाह में यह धर्म और रक्षा से जुड़ा मसला है. जनता में इसी भ्रम को सरकार बनाये रखना चाहती है. जिससे धर्म के नाम पर उसे वोट मिलते रहे.

विजयादशमी के दिन केन्द्र के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस में लड़ाकू विमान राफेल को खरीदने के बाद सबसे पहले नींबू और ओम लिखा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कन्याभोज और गाय को गुड़ खिलाया. देश का एक वर्ग इन घटनाओं की आलोचना कर रहा है तो वहीं पूजा पाठ का समर्थन करने वाले लोग सरकार के कदम के साथ खड़े है. भाजपा को लग रहा है कि पूजापाठ के दम पर ही वह आगे भी चुनाव जीत जायेगी. ऐसे में वह अपने इस कदम की तारीफ कर रही है. देश की जनता पर जिस तरह से पूजापाठ का नशा चढा है. उसे भाजपा अपने लिये मुफीद मान रही है. यही वजह है कि हरियाणा महाराष्ट के विधानसभा चुनावों में स्टार प्रचारक के रूप में सबसे अधिक मांग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है.

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सरकार ने देश की सुरक्षा के लिये लड़ाकू विमान राफेल खरीदा. इसके बाद राफेल की सुरक्षा के लिये नींबू खरीदे. देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस में राफेल पर 3 मिनट की उड़ान भरने से पहले राफेल पर ओम का निशान बनाया इसके बाद राफेल के टायर के नीचे नींबू रखने का टोटका किया. राफेल की खरीददारी में भ्रष्टाचार के आरोप में घिरी सरकार टायर के नीचे नींबू रखने के बाद सोशल मीडिया पर आलोचनाओं से घिर गई. लड़ाकू विमान राफेल से अधिक चर्चा नींबू मिर्चा की होने लगी. किसी ने इसे राफेल से अधिक ताकतवर बताया तो किसी ने इसको सबसे ताकतवार मान कर सीमा की सुरक्षा करने के लिये कहा.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी के दिन फ्रांस में लड़ाकू विमान राफेल से उड़ान भरने से पहले राफेल के पहिये के नीचे नींबू रखे और विमान पर ओम का निशान बनाया. जैसे ही राफेल के पहिये के नीचे नींबू रखी तस्वीरें वायरल हुई आलोचनाओं का एक दौर सोशल मीडिया पर शुरू हो गया. देश में लड़ाकू विमान राफेल से अधिक चर्चा ‘नींबू मिर्चा’ की शुरू हो गई. सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार को सलाह देना शुरू कर दिया किया अब पाकिस्तान से सुरक्षा के लिये सीमा पर कंटीले तारों की जगह पर नींबू के पेड़ लगवाने चाहिये.
आम लोगों के द्वारा ही नहीं विपक्ष ने भी केन्द्र सरकार के इस काम की आलोचना की. टीवी चैनलों पर इसको लेकर बहस शुरू हो गई. केन्द्र में सरकार चलाने वाली भरतीय जनता पार्टी ने इसको धर्म और कर्मकांड से जोड़ कर इसका प्रचार किया. सरकार का यह काम कोई अचानक नहीं हो गया था. यह उनकी योजना का हिस्सा है. इसके बहाने वह हिन्दुत्व के एजेंडे का जनता के बीच मजबूती से रखना चाहते है. सरकार ने योजना के अनुसार विजयादशमी के दिन का चुनाव किया. विजयादशमी के दिन भारत में क्षत्रिय बिरादरी के शस्त्र पूजन का रिवाज है. इसी दिन राम के द्वारा रावण को मारे जाने को प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाता है.

केन्द्रीय गृहमंत्री क्षत्रिय है. ऐसे में विजयादशमी के दिन उनको लड़ाकू विमान राफेल को लेने फ्रांस भेजा गया. फ्रांस में एक भव्य समारोह आयोजित करके लड़ाकू विमान भारत को दिया गया. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी ओम बनाकर और नींबू रखकर इसकी पूजा की और फिर उडान भरी. भाजपा ने विजयदशमी, क्षत्रिय और शस्त्र पूजन को सामने रखा. लड़ाकू विमान के टायर के नीचे नींबू रखकर पूरा मामला पूजापाठ से जोड़ दिया. असल में भाजपा को लग रहा है कि उसका पूजा पाठ का मामला अभी भी जनता के बीच काम कर रहा है ऐसे में वह पूजापाठ को ही आगे कर रही है.

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भारत में टोटकों पर सबसे अधिक भरोसा किया जाता है. नींबू और मिर्चा का प्रयोग नजर उतारने के लिये बहुत पहले से किया जा रहा है. जनता में यह टोटके पूरी तरह से रचेबसे है. राफेल के टायर के नीचे नींबू को देखकर विदेशियो को भले ही आश्चर्य हो रहा था. वह सोच रहे थे कि विज्ञान के इस युग में भी भारत के लोग अभी भी पूजा और टोटकों में घिरे हुये है. अगर नींबू रखने से वाहन की सुरक्षा हो सकती तो भारत में कोई दुर्घटना ही नहीं होती. भारत में अधिकांश वाहनों की खरीददारी के समय नींबू और नारियल टायर के नीचे रखा जाता है.

दिशा पाटनी ने दिखाया सिक्स पैक एब्स

बौलीवुड एक्ट्रेस बागी गर्ल, दिशा पाटनी फिटनेस को लेकर काफी एक्टिव रहती हैं. वे अकसर सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती हैं. अपने फैंस से कनेक्ट रहने के लिए वह अकसर इंस्टाग्राम हैंडल से वीडियोज और तस्वीरें शेयर करती रहती हैं. दिशा अपनी फिटनेस के साथ साथ जिमनास्ट के मूव्स के लिए भी फेमस हैं. हाल ही में दिशा ने एक मस्त हौट फोटोशूट करवाया है और  इस वीडियो को उन्होंने इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया है. ये शूट calvin klein ब्रैंड के लिए किया गया है. सेक्सी ब्लैक ब्रा में दिशा बेहद बोल्ड और खूबसूरत लग रही थीं. इसमे उनका लुक बहुत ही खूबसूरत लग रहा था.

एक्टिंग कैरियर

बौलीवुड में फिल्म ‘एम एस धोनी  से सुशांत सिंह राजपूत के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस दिशा पटानी कुछ फिल्मों से ही सबके दिलों पर छा गईं. अपने एक्टिंग और टैलेंट  और बोल्ड फोटो शूट की वजह से पर उन्होंने लाखों फैंस का दिल जीता और कुछ बोल्ड फोटो की वजह से ट्रोल का शिकार भी हुई. बोल्ड फोटो की वजह से कई भद्दे कमेंट्स का सामना भी करना पड़ा. आपको बता दें,  एक्ट्रेस दिशा पटानी किसी फिल्मी बैकग्राउंड से  नही हैं. आज वो जिस मुकाम पर है उसके लिए उन्हें काफी संघर्ष भी करना पड़ा था.

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एक  रिपोर्ट के मुताबिक एक्ट्रेस दिशा पटानी ने कहा कि अगर लोग आपको पसंद नहीं करते तो इसमें आप कुछ नहीं कर सकते हैं. दिशा पटानी ने इंटरव्यू में कहा, ‘लोग हमेशा मेरे साथ दयालू रहे हैं और उन्होंने मुझे अपनाया है. अगर आपको जनता पसंद नहीं करती है तो इसका स्टार किड होने से कोई लेना-देना नहीं होता.अगर आप प्रतिभाशाली और मेहनती हैं तो लोग आपको जरूर अपनाएंगे.

दिशा पटानी ने आगे कहा, ‘ये बिल्कुल भी मैटर नहीं करता कि आप कहां से हैं. शाहरुख खान  उस समय कुछ नहीं थे जब वह फिल्म इंडस्ट्री में आए थे और आज देखिए उन्हें.’

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वर्क फ्रंट

दिशा के वर्क फ्रंट की बात करें तो आखिरी बार दिशा पटानी फिल्म ‘भारत’ में नजर आईं थीं. इस फिल्म में उनके साथ सलमान खान और कैटरीना कैफ लीड रोल में थे. इसके बाद अब दिशा फिल्म ‘मलंग’ में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म में उनके साथ अनिल कपूर और आदित्य रॉय कपूर लीड रोल में हैं. खबरों की माने तो दिशा जल्द ही एक अनाम मूवी में कार्तिक आर्यन संग नज़र आएंगी. और ‘किक 2’ जैसी फिल्मों में भी दिखाई देंगी.

बोल्ड लुक

दिशा पाटनी अपने लुक्स और तस्वीरों को लेकर काफी सुर्खियों में रहती हैं. इसके पहले दिशा ने बाथटब में लाइट मेक अप के साथ  कुछ फोटोज क्लिक कराई थी जिसमें उनके लुक्स को देखकर सभी  सभी दंग रह गए थे. दिशा ने एक इनरवेयर प्रोडेक्ट बेचने वाली कंपनी का प्रोडेक्ट इंडोर्स करते हुए फोटो पोस्ट की है. इस तस्वीर में बेहद बोल्ड लग रही हैं.

उनके रेड कलर की बिकनी में फोटो को देखने के बाद कुछ फैन्स उनकी तारीफ कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.

ट्रोल की शिकार

दिशा की पोस्ट के कमेंट बौक्स में एक यूजर ने लिखा- ऐसी होती हैं भारतीय नारी? जिनको साड़ी पहननी होती है. ये अपना शरीर प्रदर्शन कर रही हैं. क्या यही संस्कार हैं? आप बॉलीवुड स्टार हैं इसका मतलब ये नहीं है कि आप कुछ भी करेंगी. थोड़ी तो शर्म कर लो. वहीं एक अन्य यूजर लिखता है- इतनी बेशर्मी क्यों? एक अन्य फौलोवर ने लिखा- शर्म कर लो भइया. दिशा की शेयर की गई इस फोटो को अबतक 16 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. जबकि कमेंट्स की संख्या 21 हजार से ज्यादा है. दिशा की पोस्ट पर पौजिटिव कमेंट्स से ज्यादा निगेटिव कमेंट्स ही किये गए हैं.

ऐसी अफवाह है कि दिशा अभिनेता टाइगर श्रौफ को डेट कर रही हैं. हालांकि दोनों ने ही अपने रिश्ते को लेकर चुप्पी साध रखी है.

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’: कस्टडी केस जीतने से पहले इस कड़े इम्तिहान से गुजरेगा कार्तिक

छोटे पर्दे का मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में लगातार महाट्विस्ट चल रहा है. फिलहाल कहानी का एंगल कैरव की कस्टडी केस के इर्द गिर्द घूम रही है. पिछले एपिसोड में आपने देखा कि पहली सुनवाई में कैरव की कस्टडी रद्द हो चुकी है. तो वही  दूसरी सुनवाई से पहले कार्तिक की वकील दामिनी मिश्रा नायरा के खिलाफ ठोस सबूत इकठ्ठा करने में जुटी है.

हाल ही में दिखाया गया है कि दामिनी ने ही कार्तिक और नायरा को किडनैप करवाया. और इतना ही नहीं उन गुंडों ने कार्तिक और नायरा को बेहोशी का इंजेक्शन भी दे दिया.  नशे की हालत में नायरा और कार्तिक अपनी पुरानी बातों को याद करने लगे और फिर इमोशनल हो गए थे और एक दूसरे के साथ रोमांटिक पल भी गुजारे. नशे के हालत में ही दोनों ने  फिर से शादी कर ली.

आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि कार्तिक और नायरा गुंडों से बचकर भाग निकलेंगे और दोनों खुद को बचाने के लिए सिंघानिया हाउस में छिप जाएंगे. और वो दोनों एक ही कमरे में पूरी रात गुजारेंगे. अब देखना ये दिलयस्प होगा कि जब वेदिका को पता चलेगा तो वो क्या करती है.

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असल आने वाले दिनों में सुवर्णा कार्तिक से कैरव की कस्टडी केस को वापस लेने के लिए कहेगी वो कार्तिक के समझाने की कोशिश करेगी और कहेगी, उसके फैसले से न वेदिका को खुशी मिलेगी और ना ही उससे नायरा को कुछ हासिल होगा. इन सबके बीच कहीं ना कहीं वह खुद भी काफी परेशान हो रहा है. अब तो ये आने वाले एपिसोड में ही पता चलेगा कि अपनी मां की बात सुनने के बाद कार्तिक क्या फैसला लेगा.

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शादी से पहले कौंट्रासैप्टिव पिल लें या नहीं ?

किशोरावस्था में अकसर किशोर दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित हो शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. वे प्रेमालाप में सैक्स तो कर लेते हैं, परंतु अपनी अज्ञानता के चलते प्रोेटैक्शन का इस्तेमाल नहीं करते जिस के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की लैंगिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 15 से 19 वर्ष की 1.6 करोड़ लड़कियां गर्भधारण कराती हैं. इस छोटी उम्र में गर्भधारण करने का सब से बड़ा कारण किशोरों का अल्पज्ञान और नामसझी है. बिना प्रोटैक्शन के किए जाने वाले सैक्स से सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन सर्वाइकल कैंसर और हाइपरटैंशन जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है. ये बीमारियां लड़के व लड़की दोनों को हो सकती हैं.

किशोरों में प्रैगनैंसी और असुरक्षित सैक्स से होने वाली बीमारियों को ले कर मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाईनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से बात की. उन्होंने किशोरों के इस्तेमाल हेतु कौंट्रासैप्टिव पिल्स और उन के खतरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी:

कौंट्रासैप्टिव पिल क्या है और इसे कब व कैसे लेना चाहिए?

यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है. इसे पोस्ट कोर्डल और मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहते हैं. आई पिल एक हारमोन है. इस का बैस्ट इफैक्ट तब होता है जब इसे सैक्स के 1 घंटे के आसपास लें. इसे 72 घंटों में 2 बार 24 घंटों के अंतराल में लिया जाता है. इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव की तब जरूरत होती है जब लड़की के साथ बलात्कार हुआ हो. अनचाहे गर्भ का खतरा हो या फिर कंडोम फट जाए. लोग विथड्रौल तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं. इस में यदि अंडरऐज ईजैक्यूलेशन हो गया हो तो फिर इस पिल का इस्तेमाल करते हैं. यदि पीरियड अनियमित हैं और आप सुरक्षा को ले कर चिंतित हैं तो इस स्थिति में भी इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जरूरत होती है.

यदि कोई लड़की इसे आदत बना ले तो इस के क्या विपरीत प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, इसे आदत नहीं बनाना चाहिए. इस के बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं. यदि लड़की किशोरी हो तो सब से पहले तो उसे सैक्स ऐजुकेशन होनी चाहिए. आजकल तो यह नैट में भी उपलब्ध है. 8वीं और 9वीं कक्षा की किताबों में भी इस की जानकारी दी गई है. लड़कियों को पता होना चाहिए कि यह पिल किस प्रकार काम करती है. इस की डोज हैवी होती है. हैवी डोज लेने से मासिकचक्र प्रभावित होता है. वह अनियमित हो जाता है. इस के अलावा उलटियां व चक्कर आना, स्तनों में दर्द, पेट में दर्द और असमय रक्तस्राव हो सकता है. यदि आप सैक्सुअली ऐक्टिव हैं तो आप को कौंट्रासैप्टिव का प्रयोग केवल इमरजैंसी में ही करना चाहिए. इस के साइड इफैक्ट में सब से बड़ा खतरा ट्यूब की प्रैगनैंसी का है. इसलिए यदि इमरजैंसी शब्द कहा जा रहा है तो केवल इमरजैंसी में ही प्रयोग करें. वैसे भी यह 90% ही कारगर है 100% नहीं.

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शादी से पहले इस पिल के इस्तेमाल करने पर क्या लड़की को शादी के बाद गर्भधारण करने में किसी तरह की परेशानी हो सकती है?

अगर लड़की ने लगातार दवा का इस्तेमाल किया है तो बिलकुल होगी. कभीकभार लेने पर परेशानी नहीं आएगी. यदि इस से मासिकचक्र प्रभावित हुआ है तो परेशानी होनी लाजिम है, क्योंकि आप ने ओवुलेशन प्रौसैस यानी अंडा बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है. आई पिल का अधिक इस्तेमाल ट्यूब जोकि अंडे को कैच करती है की वेर्बिलिटी को रेस्ट्रेट कर देता है. ऐसे में जब आप शादी से पहले हर बार अपने ओवुलेशन को डिस्टर्ब करेंगी तो शादी के बाद गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है.

बाजार में और किस तरह की कौंट्रासैप्टिव पिल्स हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सके?

भारत में केवल पिल उपलब्ध है, जो लिवोनोगेरट्रल है. इस में एक टैबलेट 750 माइक्रोग्राम की होती है. ये 2 टैबलेट 24 घंटों के अंतराल में ली जाती हैं. भारत में 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट अभी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उस की डोज अत्यधिक हैवी है. आजकल इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव में एक और दवा, अंडर ट्रायल है, जिसे यूलीप्रिस्टल कहते हैं. चूंकि यह अभी अंडर ट्रायल है, इसलिए इस का प्रयोग केवल डाक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए.

क्या इस पिल के अलावा कोई दूसरा बेहतर विकल्प है?

यह पिल तो इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है ही, इस के अलावा और कई बर्थ कंट्रोल हैं. सब से अच्छा कंडोम ही है. यह बहुत सी संक्रमण वाली बीमारियों से बचाता है और इस के प्रयोग से इन्फैक्शन भी नहीं होता. इस के अलावा दूसरे

बर्थ कंट्रोल ऐप्लिकेशन भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे वैजिनल टैबलेट्स. इन्हें कंडोम के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. यदि फर्टाइल पीरियड में सैक्स किया जाए तो कंडोम और वैजिनल टैबलेट, दोनों का ही प्रयोग करें. आजकल ओवुलेशन का पता लगाने के लिए किट्स भी उपलब्ध है. उन से पता लगाएं. वैजिनल टैबलेट्स और कंडोम का एकसाथ इस्तेमाल करें. इस से डबल सुरक्षा मिलेगी.

क्या कंडोम 100% सुरक्षित है?

हां, यदि इस का इस्तेमाल ठीक तरह से किया जाए तो यह बैस्ट कौंट्रासैप्शन है. लड़कियां सैक्स के दौरान वैजिनल टैबलेट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से सुरक्षा दोगुनी हो जाएगी.

यदि लड़की मां बनने के डर से एक की जगह 2 या 3 गोलियां खा ले तो इस के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, जो डोज जैसे लिखी है उसे वैसे ही लें. न तो दवा स्किप करें और न ही समय से पहले व ज्यादा लें. यदि आई पिल लेने के 3 हफ्ते बाद तक सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया तो ट्यूब की प्रैगनैंसी हो सकती है. यदि 3 हफ्ते बाद तक पीरियड्स न हों तो प्रैगनैंसी टैस्ट करें.

यदि लड़की यह पिल खा कर किसी प्रकार की परेशानी महसूस करती है और घर वालों को इस बारे में न बता कर चुप रहती हैं तो क्या इस के कोई दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं?

जब कोई लड़की सैक्सुअली ऐक्टिव है और किसी लड़के के साथ सैक्स कर सकती है तो वह चुपचाप जा कर डाक्टर से कंसल्ट भी कर सकती है. यदि लड़की कमा रही है और पढ़ीलिखी है तो डाक्टर की सलाह लेने में हरज क्या है? घर वालों से तो वैसे भी किसी तरह की परेशानी नहीं छिपानी चाहिए. किसी न किसी से जरूर शेयर करनी चाहिए. यदि पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पतालों के डाक्टर फ्री सलाह देते हैं.

इस पिल से ट्यूब की प्रैगनैंसी होने का खतरा होता है जो जानलेवा हो सकता है. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सुरक्षित होने के बावजूद आई पिल से गर्भाशय के बाहर की प्रैगनैंसी हो सकती है जिस से लड़की की जान को खतरा हो सकता है.

युवाओं को सुरक्षित सैक्स संबंधी क्या सलाह देना चाहेंगी?

युवाओं को यह बताना चाहूंगी कि यदि वे 18 साल से बड़े हैं और सैक्स करते हैं तो इस में कोई बुराई नहीं है, मगर कंडोम का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. असुरक्षित सैक्स एचआईवी, एसटीआई व सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण हो सकता है. लव, अफेयर, सैक्स और फिजिकल रिलेशनशिप अपनी जगह है और सुरक्षा अपनी जगह. शरमाएं नहीं, बल्कि सही सलाह लें.

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क्या आपको किसी खास मौके के लिए फटाफट बढ़ाने हैं बाल ?

अगर आपको किसी खास मौके के लिए बाल बढ़ाने हैं तो आपको कुछ टिप्स बताते है. जो  बाल बढ़ाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.

रेग्युलर ट्रिमिंग करवाएं

अगर आप जल्दी बाल बढ़ाना चाहती हैं तो आपको इन्हें रेग्युलर्ली ट्रिम करवाना होगा. इससे स्प्लिट एंड्स खत्म होते हैं, जिससे बाल टूटते नहीं और हेयर ग्रोथ होती है.

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हीट से डैमेज बचाएं

स्टाइलिंग प्रौडक्ट्स जैसे स्ट्रेटनर्स और कर्लर्स आपके बाल डैमेज करते हैं। बालों की तेजी से ग्रोथ के लिए उनका हेल्दी होना जरूरी है.

सही पोषण लें

बाल बढ़ाने के लिए आपको सही डायट लेनी चाहिए, बाल बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी फैक्टर है. आपको प्रोटीन जैसे अंडे, दही और नट्स लेने की जरूरत है.

ज्यादा शैंपू न करें

रोजाना शैंपू करने से स्कैल्प के नेचुरल औइल निकल सकते हैं, जो बालों को रिपेयर करने के लिए जरूरी होते हैं. हफ्ते में 3-4 बार ही बाल धोएं.

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बालों में औयल जरूर लगाएं

सप्ताह में कम से कम दो बार अपने बालों का जरूर मसाज करें. इससे आपके बालों को सही पोषण मिलेगा.

फेस्टिवल स्पेशल : ऐसे बनाएं कस्टर्ड कसाटा

फेस्टिवल के मौके पर आप कस्टर्ड कसाटा जरूर ट्राई करें. यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ खाने में भी लाजवाब है.

सामग्री

1/3 कप कस्टर्ड पाउडर

1/3 कप चीनी

1/3 कप पानी

3 सफेद ब्रैड किनारे कटी हुई

3 कप दूध

2 बड़े चम्मच काजू

पिस्ता व बादाम कटे हुए

2 बड़े चम्मच टूटीफ्रूटी

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बनाने की विधि

दूध में ब्रैड भिगो अच्छी तरह मैश कर लें. कस्टर्ड पाउडर, चीनी और पानी मिला कर घोल तैयार करें. एक नौनस्टिक पैन में आंच पर अच्छी तरह घोटें. गाढ़ा बन जाए. तब इसे निकाल लें.

अब दूधब्रैड वाला मिश्रण आंच पर घोटें. थोड़ा सा गाढ़ा हो जाए तो उसे भी निकाल लें. कस्टर्ड पाउडर वाले मिश्रण को ब्रैड वाले मिश्रण में मिला कर चर्न करें ताकि एकसार हो जाए.

ठंडा करें फिर एक ऐल्यूमिनियम के बरतन जिस में आइसक्रीम जमाते हैं उस में ड्राईफू्रट और टूटीफ्रूटी डाल कर फ्रीजर में रख दें. 6-7 घंटों में कस्टर्ड कसाटा तैयार हो जाएगा.

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– व्यंजन सहयोग : नीरा कुमार

सुलझ न सकी परिवार की मर्डर मिस्ट्री: भाग 2

सुलझ न सकी परिवार की मर्डर मिस्ट्री: भाग 1

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आखिरी भाग

पुलिस दूसरे दिन भी वैज्ञानिक के परिवार की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी रही. हालांकि मौके के हालात और सुसाइड नोट से साफ था कि डा. प्रकाश ने पत्नी, बेटी व बेटे की हत्या के बाद खुद आत्महत्या की थी. लेकिन फिर भी पुलिस यह सोच कर हर एंगल से जांच करती रही कि कहीं यह कोई साजिशपूर्ण तरीके से किसी बाहरी व्यक्ति की ओर से की गई वारदात तो नहीं है.

मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को डा. प्रकाश के घर में बाथरूम में मिले 3 मोबाइल फोन से मदद मिलने की उम्मीद थी, इसलिए इन मोबाइलों की काल डिटेल्स निकलवाई गई. इस के अलावा इन मोबाइलों का डेटा रिकवर करने का प्रयास भी किया गया.

फोरैंसिक लैब की जांच में पता चला कि बाथरूम में मिले 3 मोबाइलों में एक वाटरप्रूफ था, लेकिन उस पर पैटर्न लौक था, जिस से वह खुल नहीं सका. पुलिस को दूसरे दिन डा. प्रकाश के घर से 2 मोबाइल और मिले. ये मोबाइल भी बंद थे. इन को भी साइबर एक्सपर्ट के पास भेजा गया. उन के फ्लैट से मिले लैपटौप और आईपैड को जांच के लिए सीआईडी की साइबर लैब भेजा गया.

पुलिस ने अदिति के दोस्तों से भी अलगअलग पूछताछ की. उन्होंने बताया कि अदिति ने उन से नौकरी छूटने की वजह से पापा के तनाव में होने की चर्चा की थी. अदिति के दोस्तों से पुलिस को ऐसी कोई ठोस वजह पता नहीं चली जिस से इस मामले की गुत्थी सुलझने में मदद मिलती.

सन फार्मा कंपनी में पूछताछ में पता चला कि डा. प्रकाश ने स्वेच्छा से नौकरी छोड़ी थी. कंपनी में उन का पद और सैलरी पैकेज काफी अच्छा था. कंपनी में किसी से उन का कोई विवाद भी सामने नहीं आया.

डा. सोनू सिंह के बारे में पुलिस को पता चला कि उन का बौद्ध धर्म से जुड़ाव था. उन्होंने अपनी सोसायटी में बौद्ध धर्म के अनुयाइयों की कम्युनिटी भी बनाई हुई थी. इस कम्युनिटी की वह ग्रुप लीडर थीं. सोसायटी में सोनू सिंह को बोल्ड महिला माना जाता था जबकि प्रकाश सिंह सौम्य स्वभाव के थे.

तीसरे दिन भी काफी माथापच्ची और जांचपड़ताल के बावजूद पुलिस को इस मामले में कोई तथ्य हाथ नहीं लगा. यह जरूर पता चला कि सोनू सिंह, अदिति और आदित्य की हत्या में जिस चाकू का उपयोग किया गया था, वह करीब एक साल पहले डा. प्रकाश सिंह द्वारा ही खरीदा गया था.

अदिति ने उस समय सोप डायनामिक्स स्टार्टअप शुरू किया था. वह घर में कौस्मेटिक व कुछ विशेष साबुन बनाती थी. अदिति ने साबुन व अन्य सामान के टुकड़े करने के लिए यह चाकू पिता से मंगवाया था.

डा. प्रकाश के घर मिले 4 कुत्तों को ले कर भी विवाद हो गया. ये कुत्ते अदिति का दोस्त उस की याद के रूप में सहेज कर अपने पास रखना चाहता था जबकि दूसरी तरफ अदिति की मौसी सीमा अरोड़ा इन कुत्तों को अपने साथ ले जाना चाहती थीं.

विवाद बढ़ने पर यह मामला पीपुल फौर एनिमल संस्था के जरिए सांसद मेनका गांधी तक पहुंच गया. मेनका गांधी के हस्तक्षेप से चारों कुत्तों को पुलिस की निगरानी में नैशनल डौग शेल्टर होम भेज दिया गया.

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चौथे दिन नौकरानी जूली से पूछताछ में सामने आया कि सन फार्मा की नौकरी छोड़ने के बाद डा. प्रकाश अधिकांश समय घर पर रहते और यूट्यूब पर वीडियो देखते थे. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि डा. प्रकाश ने शायद यूट्यूब देख कर हत्याकांड की योजना बनाई होगी.

नौकरानी ने बताया कि कुछ दिन पहले फ्लैट में फरनीचर का काम हुआ था. उस दौरान कारपेंटर अपना एक हथौड़ा इसी घर में छोड़ गया था. संभवत: उसी हथौड़े से डा. प्रकाश ने परिवार के 3 सदस्यों की जान ली.

पांचवें दिन पुलिस ने दोनों पक्षों के रिश्तेदारों की मौजूदगी में डा. प्रकाश के घर की तलाशी ली. इस की वीडियोग्राफी भी कराई गई. घर की अलमारियों और लौकरों में रखे दस्तावेजों की भी जांच की गई. हालांकि पुलिस को तलाशी और जांचपड़ताल में ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिस से डा. प्रकाश की परेशानी और इस हत्याकांड के पीछे के कारणों का पता चलता.

छठे दिन पुलिस को मोबाइल फोनों की जांच रिपोर्ट मिली. इस में बताया गया कि डा. सोनू व अदिति के मोबाइल में डेटा नहीं मिला. वाट्सऐप चैट व गैलरी से फोटो, वीडियो डिलीट थे. इस से यह नया सवाल खड़ा हो गया कि क्या डा. प्रकाश ने हत्या के बाद पत्नी व बेटी के मोबाइल का डेटा डिलीट किया था. अगर उन्होंने डेटा डिलीट किया था तो उस में ऐसे क्या मैसेज व फोटो थे. रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने इन मोबाइल फोनों के डेटा रिकवर करने के लिए साइबर एक्सपर्ट की मदद ली.

बाद में की गई जांच में पुलिस को ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिन से इस मामले में रहस्य की कोई परत उजागर हो पाती. इस बीच 8 जुलाई को डा. प्रकाश के परिजनों ने पुलिस उपायुक्त (पूर्व) सुलोचना गजराज को एक पत्र दे कर इस पूरे मामले को एक साजिश का परिणाम बताया और इस की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. परिजनों ने सुसाइड नोट की हस्तलिपि पर भी सवाल उठाए.

डा. प्रकाश की बड़ी बहन के दामाद कौशल का कहना था कि इस वारदात के पीछे जमीन का विवाद भी हो सकता है. इस का कारण है कि उन की मामीजी यानी सोनू सिंह के पिता की वाराणसी की जमीन को ले कर सोनू सिंह और उन की बहन के बीच विवाद था.

पलवल वाले स्कूल की जमीन को ले कर भी कुछ विवाद चल रहे थे. यह जमीन डा. प्रकाश ने अपनी बहन शकुंतला से पैसे उधार ले कर खरीदी बताई गई. परिजनों का यह भी कहना था कि डा. प्रकाश का 2 साल पहले मेदांता अस्पताल में बाइपास औपरेशन हुआ था. औपरेशन से उन की जिंदगी तो बच गई थी, लेकिन वे अंदर से पूरी तरह खोखले हो गए थे.

कौशल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री को इस मामले में पत्र लिख कर सुसाइड नोट की हस्तलिपि और दस्तखतों पर भी सवाल उठाए. इस के लिए उन्होंने डा. प्रकाश की ओर से कुछ दिन पहले दिए गए एक चैक की फोटोप्रति भी संलग्न की.

कौशल के अनुसार, सुसाइड नोट पर किए हस्ताक्षर पर डा. प्रकाश के जैसे हस्ताक्षर बनाने का प्रयास किया गया है जबकि वे असली हस्ताक्षर नहीं हैं.

यह बात भी सामने आई कि डा. प्रकाश अपनी ससुराल वालों की वाराणसी की जमीन एकडेढ़ करोड़ रुपए में बेचना चाहते थे. इस जमीन पर सोनू सिंह की बहन भी दावा जता रही थीं. जमीन बेचने के सिलसिले में डा. प्रकाश जल्दी ही बनारस भी जाने वाले थे.

चर्चा यह भी है कि डा. प्रकाश पर बैंकों और रिश्तेदारों का काफी कर्ज था. इस कर्ज को ले कर वह तनाव में थे. गुरुग्राम के मकान की किस्तें भी समय पर नहीं चुकाने की बात सामने आई थी.

सन फार्मा की नौकरी छोड़ने के बाद वह अलग से तनाव में थे. हालांकि कहा यही जा रहा है कि उन की हैदराबाद की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नई नौकरी की बात हो गई थी. इस के लिए वह 3 जुलाई को फ्लाइट से हैदराबाद भी जाने वाले थे, लेकिन इस से पहले ही यह मामला हो गया.

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डा. प्रकाश की मौत के बाद उन की संपत्तियों को ले कर अलगअलग दावे जताने की चर्चा भी शुरू हो गई थी. हालांकि औपचारिक रूप से तो किसी पक्ष ने दावे नहीं किए थे, लेकिन दोनों ही पक्षों के लोग अपनेअपने तरीकों से डा. प्रकाश और उन की पत्नी की संपत्तियों और कर्ज के बारे में पता लगा रहे थे.

कहा जा रहा है कि डा. प्रकाश की अधिकांश संपत्तियां उन की पत्नी सोनू सिंह के नाम से हैं. सोनू की बहन सीमा अरोड़ा ने डा. प्रकाश के कुछ स्कूल खोलने के लिए स्टाफ को कह दिया है.

बहरहाल, डा. प्रकाश सिंह का हंसताखेलता खुशहाल परिवार उजड़ गया. कथा लिखे जाने तक पुलिस को इस मामले में कोई ऐसा सुराग नहीं मिला, जिस के जरिए रहस्य का परदा उठ पाता. डा. प्रकाश ने अपनी जान से ज्यादा प्यारी बेटी और बेटे के अलावा पत्नी को मौत के घाट उतारने के बाद खुद आत्महत्या क्यों कर ली, यह रहस्य सा बन कर रह गया है.

पुलिस को कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं मिला. डा. प्रकाश के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों से भी पुलिस कोई सुराग नहीं लगा सकी. ऐसे भी कोई साक्ष्य नहीं मिले कि इस वारदात में किसी बाहरी व्यक्ति का हाथ हो. इन सभी कारणों से वैज्ञानिक प्रकाश के परिवार की हत्या और आत्महत्या का मामला फिलहाल मिस्ट्री बन कर रह गया.

सौजन्य: मनोहर कहानियां

सावधान! बच्चों पर न डालें पढ़ाई का प्रेशर

अगर आप भी बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालते हैं तो हो जाइए सावधान क्योंकि बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालना मतलब बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालना और उसकी जिंदगी बर्बाद करना है. एक बच्चा जब प्रेशर में आकर पढ़ाई करता है तो ना ही उसका पढ़ाई में मन लगता है और ना ही उसे वो अच्छे से कर पाता है.

आप सभी ने थ्री इडियड मूवी तो देखी ही होगी उस फिल्म का भी यही संदेश था कि मशीन बनकर या प्रेशर में आकर हम कभी भी पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. हम सिर्फ एक मशीन ही बनकर रह जाते हैं.और फिर ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो हमसे हमारी जिंदगी के खुशी के पल को छीन ले या जिंदगी को..

आपने खबरें तो बहुत सी सुनी होंगी कि बच्चें ने फेल होने के डर से आत्महत्या कर ली या फिर कम नंबर आए बच्चा डीप्रेशन  में चला जाता है. 2018 में एक रिर्पोट आई जिसके अनुसार हर 24 घंटे में करीब 26 बच्चों ने आत्महत्या की…इसका कारण था पढ़ाई का प्रेशर,सफल न हो पाने का डर….  पैरेंट्स अक्सर बच्चों को वो करने के लिए मजबूर करते हैं जो बच्चा नहीं करना चाहता जैसे कि अगर बच्चा मैथ्स नहीं पढ़ना चाहता या उसकी दिलचस्पी सिंगिंग या डासिंग में होती है तो भी उसे मजबूरी में मैथ्स लेना पड़ता है या उसे इंजिनियरिंग करने को कहा जाता है. ज्यादातर मां-बाप यही सोचते हैं कि उनका बेटा डौक्टर, ल़ौयर या इंजिनियर बने लेकिन अगर बच्चा वो नहीं करना चाहता तो बेमन से वो पढ़ाई करता है और फिर कई बच्चे फेल होने के डर से आत्महत्या कर लेते हैं तो कई इस डर से की वो अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाए.

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बच्चों को  वो करने दें जिसमें उनकी रूची हो जरा सोचिए अगर आप उनको उनकी मर्जी की पढ़ाई करने देंगे उनपर प्रेशर नहीं डालेंगे तो बच्चा अपनी लाइफ के उन चीजों में आगे जा सकता है जो वो करना चाहता. आप खुद सोचिए क्या आज संगीत में करियर नहीं है, क्या आज फोटोग्राफी में करियर नहीं है,या फिर डासिंग में करियर नहीं है? कोई अच्छा पत्रकार बन रहा है तो कोई अच्छा पेंटर….

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बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर कम होने से वो बिमार भी कम पड़ते हैं और साथ ही जब वो अपनी रुची का कार्य करते हैं तो उस कार्य में वो जरूर सफल होते हैं.आजकल प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई कि अगर पढ़ाई के प्रेशर की वजह से बच्चे को लगता है कि वो सफल नहीं हो पा रहा है ऐसे में वो कुछ गलत भी कर बैठता है.आगे निकलने की होड़ में वो नकल तक का सहारा लेता है जो कहीं से भी सही नहीं है.एग्जाम की टेंशन, लाइफ की टेंशन की वजह से नींद भी पूरी नहीं हो पाती है और बच्चा मानसिक तनाव से गुजरता है.

पढ़ाई के प्रेशर पड़ने से बच्चा दिमाग पर ज्यादा जोर देता है क्योंकि वो खुद उसे करना नहीं चाहता उसका मन नहीं होता.और ये बच्चे की सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता.और पढ़ाई के नाम पर बच्चों को मशीन बना देना बिल्कुल भी सही नहीं है.एक रिर्पोट के मुताबिक जब बच्चों से ज्यादा उम्मीदें या आशाएं होती हैं जो कि बच्चा पूरा नहीं कर सकता है फिर भी अभिभावकों के कारण वो कोशिश करता है तो ऐसे में बच्चा सबसे ज्यादा तनाव में रहता है. माना कि हर अभिभावक चाहता है कि उसके बच्चे कुछ अच्छा करें लेकिन अच्छे के चक्कर में वो अपने बच्चों को मानसिक तनाव देते हैं साथ ही जब दूसरों से तुलना करते हैं तो बच्चे का आत्मविश्वास घटता है ऐसे में जो बच्चा करना चाहता है वो भी नहीं कर पाता है.इसलिए कभी भी अपने बच्चे की किसी दूसरे बच्चे से तुलना न करें.बच्चा जो करना चाहता है उसेक लिए उसे प्रेरित करें,अगर वो पढ़ाई में कमजोर है तो उसका उत्साह बढ़ाएं कि वो कर सकता है और उसे डांटे नहीं बल्कि प्यार से समझाएं और उसका साथ दें.

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आजकल तो बच्चे खेल कूद में इतना आगे जा रहें हैं कि नेशनल गेम्स खेल कर गोल्ड मेडल जीत कर देश का मां-बाप का नाम रौशन कर रहे हैं…हो सकता है आपके भी बच्चें में कुछ ऐसी ही प्रतिभा हो.अगर आपके बच्चे को पढ़ाई करना बोरिंग लगता है तो उसके साथ खेल-खेल में पढ़ाई को मनोरंजनात्मक तरीके से पढ़ा सकते हैं जो आपके बच्चे को अच्छा लगेगा.बच्चों को कुछ समझाने के लिए उनके ही अंदाज में उनकी किसी मनपसंद चीज का उदाहर दें.इस तरह से आप उसके पढ़ाई को रोचक बना सकते हैं.

धन्नो : भाग 2

अनु को दिल्ली आए अब 10-12 वर्ष हो गए थे. अब तो वह शिक्षा मंत्रालय में, शिक्षा प्रणाली के योजना विभाग में कार्य करने लगी थी. अत: उस स्कूल के बाद छात्रों व अध्यापकों के साथ उस की नजदीकियां खत्म हो गई थीं. अकसर अनु को वहां की याद आती थी. उस स्कूल की लगभग सभी अध्यापिकाएं….सब के जीवन में कहीं न कहीं कोई न कोई कमी तो थी ही. कोई स्वास्थ्य से परेशान तो कोई अपने पति को ले कर दुखी. कोई समाज से तो कोई मकान से.

जहां सब सुख थे, वहां भी हायतौबा. मिसेज भंडारी बड़े हंसमुख स्वभाव की महिला थीं, संपन्न, सुंदर व आदरणीय. उन्हें ही अनु कार्यभार सौंप कर आई थी. वे अकसर अपनी सास के बारे में बात करती और कहती थीं, ‘‘मेरी सास के पास कोई दुख नहीं है, फिर भी वे दुख ढूंढ़ती रहती हैं, वास्तव में उन्हें सुखरोग है.’’

एक दिन अनु दिल्ली के एक फैशनेबल मौल में शौपिंग करने गई थी. वहां अचानक उसे एक जानापहचाना चेहरा नजर आया. करीने से कढ़े व रंगे बाल, साफसुथरा, मैचिंग सिल्क सलवार- सूट, हाथों में पर्स. पर्स खोल कर रुपयों की गड्डी निकाल कर काउंटर पर भुगतान करते हुए उन के हाथ और हाथों की कलाइयों पर डायमंड के कंगन.

‘‘भानुमतीजी, आप…’’अविश्वास के बीच झूलती अनु अपलक उन्हें लगभग घूर रही थी.

‘‘अरे, अनु मैडम, आप…’’

दोनों ने एकदूसरे को गले लगाया. भानुमती के कपड़ों से भीनीभीनी परफ्यूम की खुशबू आ रही थी.

अनु ने कहा, ‘‘अब मैं मैडम नहीं हूं, आप सिर्फ अनु कहिए.’’

अनु ने देखा 4-5 बैग उन्हें डिलीवर किए गए.

‘‘आइए, यहां फूडकोर्ट में बैठ कर कौफी पीते हैं,’’ अनु ने आग्रह किया.

‘‘आज नहीं,’’ वे बोलीं, ‘‘बेटी आज जा रही है, उसी के लिए कुछ गिफ्ट खरीद रही थी. आप घर आइए.’’

अनु ने उन का पता और फोन नंबर लिया. मिलने का पक्का वादा करते हुए दोनों बाहर निकल आईं. अनु ने देखा, एक ड्राइवर ने आ कर उन से शौपिंग बैग संभाल लिए और बड़ी सी गाड़ी में रख दिए. अनु की कार वहीं कुछ दूरी पर पार्क थी. दोनों ने हाथ हिला कर विदा ली.

भानुमतीजी की संपन्नता देख कर अनु को बहुत खुशी हुई. सोचने लगी कि बेचारी सारी जिंदगी मुश्किलों से जूझती रहीं, चलो, बुढ़ापा तो आराम से व्यतीत हो रहा है. अनु ने अनुमान लगाया कि बेटा होशियार तो था, जरूर ही अच्छी नौकरी कर रहा होगा. समय निकाल कर उन से मिलने जरूर जाऊंगी. भानुमतीजी के 3-4 फोन आ चुके थे. अत: एक दिन अनु ने मिलने का कार्यक्रम बना डाला. उस ने पुरानी यादों की खातिर उन के लिए उपहार भी खरीद लिया.

दिए पते पर जब अनु पहुंची तो देखा बढि़या कालोनी थी. गेट पर कैमरे वाली सिक्योरिटी. इंटरकौम पर चैक कर के, प्रवेश करने की आज्ञा के बाद अनु अंदर आई. लंबे कौरीडोर के चमकते फर्श पर चलतेचलते अनु सोचने लगी कि भानुमतीजी को कुबेर का खजाना हाथ लग गया है. वाह, क्या ठाटबाट हैं.

13 नंबर के फ्लैट के सामने दरवाजा खोले भानुमतीजी अनु की प्रतीक्षा में खड़ी थीं. खूबसूरत बढि़या परदे, फर्नीचर, डैकोरेशन.

‘‘बहुत खूबसूरत घर है, आप का.’’

कहतेकहते अचानक अनु की जबान लड़खड़ा गई. वह शब्दों को गले में ही घोट कर पी गई. सामने जो दिखाई दिया, उसे देखने के बाद उस में खड़े रहने की हिम्मत नहीं थी. वह धम्म से पास पड़े सोफे पर बैठ गई. मुंह खुला का खुला रह गया. गला सूख गया. आंखें पथरा गईं. चश्मा उतार कर वह उसे बिना मतलब पोंछने लगी. भानुमतीजी पानी लाईं और वह एक सांस में गिलास का पानी चढ़ा गई. भानुमतीजी भी बैठ गईं. चश्मा उतार कर वे फूटफूट कर रो पड़ीं.

‘‘देखिए, देखिए, अनुजी, मेरा इकलौता बेटा.’’

हक्कीबक्की सी अनु फे्रम में जड़ी 25-26 साल के खूबसूरत नौजवान युवक की फोटो को घूर रही थी, उस के निर्जीव गले में सिल्क के धागों की माला पड़ी थी, सामने चांदी की तश्तरी में चांदी का दीप जल रहा था.

‘‘कब और कैसे?’’

सवाल पूछना अनु को बड़ा अजीब सा लग रहा था.

‘‘5 साल पहले एअर फ्रांस का एक प्लेन हाइजैक हुआ था.’’

‘‘हां, मुझे याद है. अखबार में पढ़ा था कि पायलट की सोच व चतुराई के चलते सभी यात्री सुरक्षित बच गए थे.’’

‘‘जी हां, ग्राउंड के कंट्रोल टावर को उस ने बड़ी चालाकी से खबर दे दी थी, प्लेन लैंड करते ही तमाम उग्रवादी पकड़ लिए गए थे परंतु पायलट के सिर पर बंदूक ताने उग्रवादी ने उसे नहीं छोड़ा.’’

‘‘तो, क्या वह आप का बेटा था?’’

‘‘हां, मेरा पायलट बेटा दुष्यंत.’’

‘‘ओह,’’ अनु ने कराह कर कहा.

भानुमतीजी अनु को आश्वस्त करने लगीं और भरे गले से बोलीं, ‘‘दुष्यंत को पायलट बनने की धुन सवार थी. होनहार पायलट था अत: विदेशी कंपनी में नौकरी लग गई थी. मेरे टब्बर का पायलट, मेरी सारी जिंदगी की जमापूंजी.’’

‘‘उस ने तो बहुत सी जिंदगियां बचा दी थीं,’’ अनु ने उन के दुख को कम करने की गरज से कहा.

‘‘जी, उस प्लेन में 225 यात्री थे. ज्यादातर विदेशी, उन्होंने उस के बलिदान को सिरआंखों पर लिया. मेरी और दुष्यंत की पूजा करते हैं. हमें गौड तुल्य मानते हैं. भूले नहीं उस की बहादुरी और बलिदान को. इतना धन मेरे नाम कर रखा है कि मेरे लिए उस का हिसाब भी रखना मुश्किल है.’’

अनु को सब समझ में आ गया.

‘‘अनुजी, शायद आप को पता न होगा, उस स्कूल की युवा टीचर्स, युवा ब्रिगेड ने मेरा नाम क्या रख रखा था?’’

अस्वस्थ व अन्यमनस्क होती हुई अनु ने आधाअधूरा उत्तर दिया, ‘‘हूं… नहीं.’’

‘‘वे लोग मेरी पीठ पीछे मुझे भानुमती की जगह धनमती कहते थे, धनधन की माला जपने वाली धन्नो.’’

अनु को उस चपरासी की शरारती हंसी का राज आज पता चला.

‘‘कैसी विडंबना है, अनुजी. मेरे घर धन आया तो पर किस द्वार से. लक्ष्मी आई तो पर किस पर सवार हो कर…उन का इतना विद्रूप आगमन, इतना घिनौना गृहप्रवेश कहीं देखा है आप ने?’’

यह है दुनिया का दूसरा बड़ा पार्क, जो पहाड़ पर स्थित है

इस पार्क में सब से ऊपर हरक्यूलिस की विशाल प्रतिमा लगी है. इस के अलावा यहां पर खास तरह के हाइड्रो न्यूमेटिक उपकरण लगे हैं, जिन से यहां लगे फव्वारों में पानी प्रवाहित होता है. पिछली एक शताब्दी से टेक्नोलौजी में काफी परिवर्तन आया है. इधर कुछ दशकों से तो टेक्नोलौजी में ऐसी क्रांति सी आई है कि ज्यादातर चीजें डिजिटल होती जा रही हैं.

अब टेक्नोलौजी ने भले ही हर क्षेत्र में तरक्की कर ली है, लेकिन बीसवीं सदी के शुरुआती दौर तक ऐसा कुछ नहीं था. पुराने जमाने के बादशाहों और राजामहाराजाओं के महलों में फव्वारे भी होते थे, जिन के अवशेष अभी हैं. उस समय भव्य भवन कुछ इस तरह बनाए जाते थे कि उन में पंखे, कूलर अथवा एसी की जरूरत नहीं होती थी.

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आप मुगल काल में बने किलों में जा कर पुराने जमाने की टेक्निक को देख समझ सकते हैं. लाल किला इस की साक्षात मिसाल है. बर्ग पार्क की बात करें तो दूसरे विश्वयुद्ध के समय बमबारी के दौरान इस पार्क को काफी नुकसान हुआ था. 1968 से 1974 के बीच इसे दोबारा आर्ट म्युजियम बनाया गया.

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