बातचीत

नेपाल में गणतंत्र की स्थापना हुए अभी 11 साल ही हुए हैं. इस दौरान वहां कई राजनीतिक और सामाजिक बदलाव देखने को मिले हैं जिन में से कुछ सुखद भी हैं तो कुछ कटु भी. अच्छी बात यह है कि नेपाल में अब कई परिवर्तन हो रहे हैं. एक तरफ कभी गुलाम न रहे इस देश की समृद्ध और संपन्न विरासत है तो दूसरी तरफ गरीबी और क्षेत्रीय व जातिगत संघर्ष भी हैं.

नेपाल की राजनीति में इन दिनों उपप्रधानमंत्री उपेंद्र यादव एक प्रमुख चेहरा हैं जो हर लिहाज से भारत से संबंध मधुर बनाए रखने के प्रबल पक्षधर हैं. यहां पेश हैं उन से की गई बातचीत के अंश :

बाढ़ को ले कर बिहारवासी कह रहे हैं कि हर वर्ष नेपाल की यही कहानी है. नेपाल से कोसी नदी का पानी छोड़ने से बिहार के कई इलाकों में बाढ़ से लोगों का जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है. मौतें हो जाती हैं. इस के लिए क्या आप कोई ठोस कदम उठा रहे हैं.

कोसी नदी व बाढ़ की बात है तो यह दोनों देशों की समस्या है. समस्या के साथसाथ अपौर्चुनिटी भी है. बारिश होगी तो बाढ़ आएगी. बाढ़ न तो नेपाल को पहचानती है और न भारत को. भारत में खासकर बिहार ज्यादा प्रभावित होता है. बाढ़ को पासपोर्ट और वीजा भी नहीं लगता. कोई पुलिस भी इसे रोक नहीं पाती. उधर भी बाढ़ इधर भी बाढ़. बाढ़ से दोनों मुल्कों के लोगों को बचाने के लिए, उस से जो नुकसान हुआ है उस को मिनिमाइज करने के लिए नेपाल और भारत को मिल कर काम करने होंगे, क्योंकि सोर्स तो नेपाल है और सोर्स से ही कंट्रोल करते आना होगा ताकि दोनों मुल्कों के लोग इस समस्या से बचें. दूसरी ओर पानी काफी उपयोगी चीज है, उसे स्टोर कर इरिगेशन, इलैक्ट्रिक व कई चीजों में उपयोग किया जा सकता है. इस से दोनों देशों को फायदा है.

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