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‘नच बलिए 9’: सेट पर हुआ हादसा, ‘कसौटी 2’ की निवेदिता बसु को आई चोट

स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाला शो ‘कसौटी जिंदगी के 2’ की निवेदिता बासु उर्फ पूजा बनर्जी को काफी चोट आई है. दरअसल ‘नच बलिए 9’  के सेट पर उन्हें चोट आई है. इसी वजह से टीवी अदाकारा पूजा बनर्जी इस डांस रियल्टी शो में हिस्सा नहीं ले पाएंगी.

ये एक्ट्रेस अपने पति संदीप सेजवाल के साथ नजर आने वाली थी. लेकिन डांस की रिहर्सल के साथ ही उनके साथ एक हादसा हो गया और पैर में मोच आ गई है. इस वजह से पूजा बनर्जी अभी इस डांस रियल्टी शो में दिखाई नहीं देने वाली. दोनों स्टार्स इस शो के लिए अपने डांस परफौर्मेंस के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे. लेकिन प्रैक्टिस के दौरान दोनों को ही चोट लग गई और दोनों बुरी तरह से घायल हुए है.

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अब एक्ट्रेस को इस टीवी शो के बाद को अपने डेली सोप कसौटी जिंदगी के 2 की शूटिंग के दौरान भी काफी दिक्कतें आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें ‘कसौटी जिंदगी के 2’ की शूटिंग के दौरान चलने फिरने में दिक्कत आ रही थी. इसी कारण चलते उन्होंने शो मेकर्स से चलने फिरने के सीन न देने की अपील की है. इस चोट की वजह से उन्हें मेकअप से चोट के निशान छुपाने पड़ रहे है.

खबरों के मुताबिक एक्ट्रेस ने कहा है, ‘यह काफी दर्दनाक है. मुझे चोट आई है जिसके चलते मैं सही ढंग से चल भी नहीं पा रही हूं. चोट के निशान भी पड़ गए है. ‘कसौटी जिंदगी के ’ में  शूटिंग में मुझे काफी दिक्कत आ रही थी. मेरी चोट के चलते कैमरापर्सन को भी काफी दिक्कत हो रही थी.

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‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’: नायरा और कार्तिक से नफरत करने लगेंगे लव-कुश

स्टार प्लस का मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में आए दिन दर्शकों को धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिल रहे है. अब जल्द ही इस सीरियल में दो धमाकेदार एंट्री होने वाली है. पिछले एपिसोड में आपने देखा कि नायरा लीजा से कह रही है अगर अखिलेश, सुरेखा संग खुश नहीं है तो उन्हें लीजा से शादी करनी पड़ेगी. नायरा की ये सारी बात सुन लेगी और वो इस सच्चाई को मानने से इंकार करेगी और नायरा को जोरदार थप्पड़ भी मारेगी.

अब इस शो के अपकमिंग एपिसोड में आपको कुछ नया देखने को मिलेगा. मेकर्स जल्द ही इस शो में लव और कुश को बड़ा दिखाने वाले है. जी हां अब इस सीरियल की कहानी एक नयी मोड़ लेने वाली है. आने वाले नए एपिसोड में नयापन लाने के लिए सुरेखा-अखिलेश और लीजा के एंगल को भी निकाल दिया है. पिछले एपिसोड में आपने देखा कि कार्तिक और नायरा को लीजा-अखिलेश के एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में पता चल चुका है.

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अखिलेश की सच्चाई जानकर पूरे गोयनका परिवार में खूब हंगामा भी होने वाला है. सुरेखा तुरंत ही अखिलेश से तलाक लेने का फैसला भी करेगी. इस एंगल के खत्म होने के बाद सीरियल में लव-कुश की रीएंट्री होगी. खबरों के अनुसार लव-कुश भले ही नायरा और कार्तिक को अपना सब कुछ मानते थे, लेकिन रीएंट्री के बाद वह उनसे नफरत करने लगेंगे.

दरअसल उनको ये लगने लगेगा कि नायरा और कार्तिक की वजह से ही उनके माता-पिता का तलाक होने वाला है. फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कि कार्तिक और नायरा लव-कुश को कैसे समझाएंगे और आगे की कहानी क्या मोड़ लेने वाली है. तो वही उधर नायरा और कार्तिक एक दूसरे के काफी करीब आ रहे हैं. जो वेदिका को नागवार गुजरेगा. ये तो निश्चित है इस शो में आने वाले दिनों में आपको धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिलेंगे.

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अजब गजब: इस अनोखी कंघी के बारे में जानकर हैरान हो जाएंगे आप

आपने  कंघी तो खूब देखी होंगी. आमतौर पर लोग कंघी अपने पास भी रखते है. आज आपको एक ऐसी  कंघी के बारे में बताते हैं, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे.  जी हां  दरअसल, ये कंघी नौर्मल कंघियों से बिल्कुल अलग है.  और इस कंघी के पीछे कई राज है.

इस कंघी की खूबियां

दरअसल, इस कंघी की खासियत ये है की इसका साइज एक नार्मल कंघी से बहुत ज्यादा अलग है. यह इतनी बड़ी कंघी  है कि इसको  देखकर लोग हैरान रह जाते है. इसके साथ एक बड़ी कैची जिनका साइज भी नार्मल साइज की कंघी से ज्यादा बड़ा है.

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खबरों के मुताबिक, चांग्शा शहर के 2 टैलेंटेड डिजाइनर ने इसे मिलकर बनाया है और रोड पर सबके बाल इसी कंघी व कैंची से काटते हैं. इस कारण इनको देखने के लिए लोग दूर दूर से भी आते हैं. हेयर स्टाइल सर्विस के नाम से बाल काटने वाले हेयर हेयर स्टाइलिश को बहुत से लोगों से निंदा मिली, लेकिन एक साहसी लडक़ी ने आगे बढकर इस नई कंघी का टेस्ट लिया है.

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पालक खेती से लें भरपूर फायदा

पालक विटामिनों और खनिज पदार्थों से भरपूर फसल है. इसे सेहत का खजाना भी कहा जाता है. इस की पत्तियों का प्रयोग सब्जी के अलावा नमकीन पकोड़े, आलू के साथ मिला कर और भुजिया बना कर किया जाता है.

पालक खाने से शरीर को पोषक तत्त्व हासिल होते हैं. ज्यादा मात्रा में प्रोटीन, कैलोरी, खनिज पदार्थ, कैल्शियम और विटामिन ए, विटामिन सी का यह एक मुख्य साधन है जो दैनिक जीवन के लिए बहुत जरूरी है.

भूमि व जलवायु

पालक की खेती ठंडे मौसम में किए जाने की जरूरत होती?है. इस की खेती के लिए ज्यादा तापमान की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ जगह पर वसंत मौसम में भी इसे पैदा करते हैं यानी जायद की फसल के साथ पैदा करते?हैं.

खेत की तैयारी

पालक की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन सब से उत्तम बलुई दोमट होती है. पालक को हलकी अम्लीय जमीन में भी उगाया जा सकता है. उर्वरा शक्ति वाली जमीन में बहुत ज्यादा उत्पादन किया जा सकता?है.

पालक के खेत में पानी के निकलने का सही बंदोबस्त होना चाहिए. जमीन का पीएच मान 6.0 से 6.7 के बीच ही अच्छा होता है.

3-4 बार खेत की जुताई कर खेत को तैयार करना चाहिए. जुताई के समय हरी या सूखी?घास, खरपतवार वगैरह को खेत से बाहर निकाल कर जला देना चाहिए.

गोबर की खाद और रासायनिक खादों का इस्तेमाल?: पालक की फसल के लिए 18-20 ट्रौली गोबर की सड़ी खाद और 100 किलोग्राम डीएपी प्रति हेक्टेयर की

दर से बोने से पहले खेत तैयार करते समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए व पहली और दूसरी कटाई के बाद 20-25 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर देने  से फसल की पैदावार अच्छी मिलती है.

घर के बगीचे के लिए?भी यह एक मुख्य फसल है. क्यारी तैयार करते समय 4-5 टोकरी गोबर की सड़ी खाद या डाई अमोनियम फास्फेट 500 ग्राम 8-10 वर्गमीटर के लिए मिट्टी में बोआई से पहले मिला देते?हैं. बाद में फसल को बढ़ने के बाद काटते?हैं तो हर कटाई के बाद 100 ग्राम यूरिया उपरोक्त क्षेत्र में छिड़कना चाहिए, जिस से पत्तियों की बढ़वार जल्दी होती है और सब्जी के लिए पत्तियां जल्दीजल्दी मिलती रहती हैं.

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उन्नतशील प्रजातियां

पालक की कुछ मुख्य प्रजातियां हैं जिन को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा बोने की सिफारिश की जाती?है, वे निम्नलिखित हैं:

पालक आल ग्रीन : इस प्रजाति को बोने से एकसाथ हरी पत्तियां हासिल होती?हैं. पत्तियां 40 दिन में कटने के लिए तैयार हो जाती हैं. पत्तियां छोटीबड़ी न हो कर एकजैसी होती हैं. वृद्धि काल अंतिम सितंबर से जनवरी माह में शुरू का समय होता है. इसे 5-6 बार काटा जा सकता है.

पालक पूसा ज्योति : यह प्रजाति ज्यादा पैदावार देती?है. पत्तियां समान, मुलायम होती?हैं और गहरे हरे रंग की होती हैं. पहली कटाई

40-45 दिनों में शुरू हो जाती है. सितंबर से फरवरी माह के अंत तक पत्तियों की बढ़वार ज्यादा होती है.

फसल की 8-10 बार कटाई की जाती है.

यह फसल 45,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार देती है.

पालक पूसा हरित : इस प्रजाति के पौधे ऊंचे, एकसमान और अच्छी बढ़वार वाले होते हैं. यह ज्यादा पैदा देने वाली प्रजाति है जो सितंबर माह से मार्च माह तक अच्छी बढ़वार करती है.

तय दूरी पर करें बोआई

पालक की बोआई का उचित समय सितंबर से नवंबर माह का है. देरी से बोई जाने वाली फसल फरवरी माह में भी बोई जाती है

जो देर तक सब्जी देती है. इस तरह से नवंबर माह से अप्रैल माह तक पालक की सब्जी मिलती रहती है.

पालक को कतारों में भी बोया जाता है जो कि आगे सुविधाजनक रहता है. कतार से कतार की दूरी 20-35 सैंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 5-10 सैंटीमीटर रखते हैं. बीज की गहराई 1-2 सैंटीमीटर रखनी चाहिए.

बोने का तरीका

पालक की बोआई 2 तरीकों से की जाती?है. पहली विधि में बीज को खेत में छिटक कर बोते हैं. इसे छिटकवां विधि कहते हैं. दूसरी विधि में बीज को समान दूरी पर कतारों में बोते?हैं. कतारों की विधि सब से अच्छी रहती है. इस में निराई, गुड़ाई और कटाई आसानी से हो जाती है.

पालक के खेत के लिए बीज की

40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा की जरूरत होती?है. अच्छे अंकुरण के लिए खेत में नमी का होना जरूरी है. बोने के बाद बीज को जमीन की ऊपरी सतह में मिला देना चाहिए.

बगीचे के लिए बीज की मात्रा 100-125 ग्राम 8-10 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए सही होती?है. पालक को गमलों में भी लगाया जा सकता है. एक गमले में 4-5 बीज बोने चाहिए. गमलों से भी समयसमय पर अच्छी पैदावार मिलती है. बोने के बाद बीज को हाथ से मिट्टी में मिला देना चाहिए और पानी अंकुरण के दौरान देना चाहिए.

सिंचाई और निराईगुड़ाई: पालक की फसल के लिए पहली सिंचाई अंकुरण के 6-7 दिन बाद करनी चाहिए. बीज की बोआई जमीन में पर्याप्त नमी होने पर करनी चाहिए. इस तरह से सर्दियों में 12-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए.

जायद या देर से बोने वाली फसल के लिए सिंचाई की ज्यादा जरूरत पड़ती?है. इस तरह से पालक की फसल के लिए सिंचाई व नमी को लगातार बनाए रखना बहुत ही जरूरी है.

बगीचे की फसल के लिए भी नमी के लिए जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहना चाहिए. गमलों में नमी के मुताबिक 2-3 दिन के बाद और जायद की फसल के लिए रोज शाम के समय ध्यान से पानी देते रहना चाहिए. पानी देते समय यह ध्यान रहे कि गमलों में लगे पौधे टूटे नहीं और फव्वारे से पानी ज्यादा ऊपर से नहीं देना चाहिए.

पालक की फसल में रबी फसल के खरपतवार ज्यादा हो जाते हैं. इन को पहली, दूसरी सिंचाई के तुरंत बाद खेत में निराईगुड़ाई करते समय उखाड़ या निकाल देना चाहिए. इस प्रकार से 2-3 निराइयां फसल में करना जरूरी?है. ऐसा करने से फसल की उपज ज्यादा अच्छी मिलती है.

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पालक की कटाई: पालक की कटाई डेढ़दो महीने के बाद शुरू हो जाती?है. पालक की शाखाओं को कुछ ऊपर से काटना चाहिए, जिस से अगला फुटाव जल्दी हो जाए. नाइट्रोजन की मात्रा देने से और भी जल्दी शाखाएं तैयार हो जाती हैं. इस तरह से एक फसल से 4-5 कटाइयां मिल जाती हैं. बाद में कटाई न कर के बीज के लिए छोड़ा जा सकता है. कटाइयां 8-10 दिन के अंतराल पर करते रहनी चाहिए. कटाई दरांती या हंसिया से करनी चाहिए.

रोगों से पौधों का बचाव : पालक की फसल में 2 बीमारियां ज्यादा लगती हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाती हैं. पहली है, डंपिंग औफ और दूसरी है पाउडरी मिल्ड्यू.

डंपिंग औफ बीमारी में छोटा पौधा पिचक जाता?है और मर जाता?है. यह बीमारी पायथीयम अल्टीयम कवक द्वारा लगती है. इस पर नियंत्रण के लिए सैरासन या सीडैक्स कवकनाशक से बीजों को उपचारित कर के बोना चाहिए.

पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी से पालक की फसल को ज्यादा नुकसान होता है. इस बीमारी में पौधों की पत्तियों पर छोटेछोटे पीले रंग के धब्बे बन जाते हैं जो आगे चल कर बड़ा रूप ले लेते हैं और पूरा पौधा ही खराब हो जाता है. नियंत्रण के लिए सल्फर का धूल भी फायदेमंद होता है. ऐसे रोगी पौधों को उखाड़ कर जला देना चाहिए.

पालक की फसल में कुछ कीट भी नुकसान पहुंचाते हैं. कैटरपिलर व ग्रासहोपर मुख्य कीट हैं जो फसल पर लगते हैं. इन पर नियंत्रण के लिए बीएचसी या डीडीटी पाउडर का छिड़काव करना चाहिए. पालक को छिड़काव से 10 दिन बाद तक इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए.

उपज : पालक की उपज प्रत्येक किस्म या प्रजाति के ऊपर निर्भर करती है. पूसा आल ग्रीन 30,000 किलोग्राम और पूसा ज्योति की उपज 45,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपज हासिल होती है. औसतन प्रत्येक प्रजाति की उपज 25-35 हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पैदावार मुहैया हो जाती है. बगीचे में भी 20-25 किलोग्राम पत्तियां हासिल हो जाती हैं जो समयसमय पर मिलती रहती हैं.

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अभिनेता : भाग 5

सागर का हाथ थामे सरिता अपने बेडरूम में पहुंची तो विनय वहां नहीं था. शायद वह किसी अन्य कमरे में सोया हुआ था. गुलाबी रंग की दीवारों वाला सरिता का यह बेडरूम हल्की-हल्की रोशनी में नहाया किसी सुहागकक्ष की तरह सजा हुआ था. सामने पड़े डबलबेड पर रेशमी चादर बिछी हुई थी, जिस पर लाल गुलाब की पंखुड़ियां बिखरी हुई थीं. चारों तरफ बेला और गुलाब के फूलों की लड़ियां लटकी थीं. इत्र और फूलों की महक चहूं ओर बसी हुई थी. सरिता ने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. सागर असमंजस में था… वह कुछ पूछना चाहता था…

‘सरिता… तुम…?’

‘सागर… आज तोहफे में तुमसे जो कुछ मांगू, दोगे न अपनी दोस्त को…?’ वह उसके बिल्कुल निकट आकर बोली.

‘हां…’ सागर ने लड़खड़ाती आवाज में हामी भरी.

वह सागर को खींचकर बिस्तर पर ले आयी.

‘सागर… मैं आज सचमुच दुल्हन बनना चाहती हूं… तुम मुझे सजाओगे… अपने हाथों से… सागर, मैं औरत होने का सुख पाना चाहती हूं… मुझे नहीं मालूम कि जब पहली बार पति अपनी पत्नी का घूंघट उठाता है तो कैसी अनुभूति होती है… सागर, मुझे तुम्हारे सिवा किसी ने हाथ नहीं लगाया… और आज… मैं अपना सर्वस्त्र तुम्हें समर्पित करती हूं… मैं आत्मा की गहराइयों से जिसे अपना पति मानती हूं, वह तुम हो… मैं सम्पूर्ण औरत बनने का सुख पाना चाहती हूं… सागर…’ वह उसके सीने से लग गयी.

‘सरिता… ये सब ठीक नहीं है…’ उसने समझाना चाहा.

‘नहीं सागर… अगर ये पाप है तब भी मुझे इसी की कामना है…. मुझे आज सुकून चाहिए… मैं थक गयी हूं… मैं कुछ दिन आराम से जीना चाहती हूं… तुम्हारी बाहों में… आंसुओं से दूर… मुझे कुछ दिनों की खुशी दे दो… यही मेरा तोहफा होगा, सागर…’ उसने विनती की.

सागर उसकी इस मांग पर हैरान था. उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था. वह उसके सामने सुन्न सा बैठा था.

तुम इतना परेशान क्यों हो सागर…? इस सबकी तो आदत है तुम्हें… ये सब तो तुम पैसा खर्च करके हासिल करते हो, तो आज मुफ्त में क्यों नहीं…? क्या इसलिए कि आज ये सब कुछ मैं चाह रही हूं तुमसे…? कितने स्वार्थी हो तुम…’ उसने उलाहना दिया.

‘सरिता… तुम…’ सागर कुछ कह पाये इससे पहले ही सरिता ने अपने होंठों से उसके होंठ बन्द कर दिये. सागर की नसों में जैसे करेंट दौड़ पड़ा. उसने सरिता को अपने सीने में भींच लिया.

पूरे एक महीना शिमला की वादियों में दोस्ती की अनगिनत परिभाषाएं रची गयीं और उसके बाद दोनों अपने-अपने शहरों को लौट गये.

जुदाई की वह घड़ी आज सागर की आंखों के सामने चलचित्र सी उभर आयी. उस साधारण शक्लो-सूरत वाली लड़की में जो कुछ था वह गजब का था. सागर देर तक शिमला की यादों में डूबता-उतराता रहा. उसे याद आया कि उस दिन सरिता विनय के साथ वापस लखनऊ लौट रही थी. सागर दोनों को सीऑफ करने स्टेशन गया था. स्टेशन पर उसका हाथ थामकर सरिता ने बहुत प्यार से कहा था… ‘मैं प्रार्थना करूंगी कि तुम्हारा हर सपना पूरा हो सागर… तुम अपने हर ख्वाब को साकार करो… मुझे यकीन है कि सब कुछ पाने के बाद तुम एक दिन जरूर लौटोगे… वापस… यहां… मेरे पास… सिर्फ मेरे पास…’ उसकी आंखें विश्वास से चमक रही थीं.

‘नहीं सरिता… अब मैं तुमसे कभी नहीं मिलना चाहता… तुमने तोहफे के रूप में जो कुछ भी चाहा, मैंने तुम्हें दिया… मगर अब… हमारे रास्ते अलग हैं… मुझे बहुत ऊपर जाना है… अब मैं तुमसे कभी नहीं मिलूंगा…’ सागर ने ठहरे और धीमे स्वरों में दृढ़ता से कहा.

‘सागर… आदमी को कभी किसी बात की प्रतिज्ञा नहीं करनी चाहिए… पता नहीं, कब, कहां, कौन सी प्रतिज्ञा टूट जाए… प्रतिज्ञाएं अक्सर ही टूटती हैं… मैं तुमसे प्यार करती हूं… और हमेशा करूंगी… तुम नहीं चाहते तो मैं तुमसे कभी नहीं मिलूंगी… कभी फोन तक नहीं करूंगी… मगर तुम आओगे… एक दिन जरूर आओगे… मुझे विश्वास है…’

गाड़ी चल पड़ी. वह धीरे-धीरे उससे दूर होती चली गयी… बहुत दूर… कितने बरस बीत गये… दिल-दिमाग में उसकी छवि भी धुंधली पड़ गयी… उसकी तरफ से कोई भी सूचना बीते पच्चीस बरसों में सागर को नहीं मिली… जिन्दगी अपने ज्वार-भाटे के साथ आगे बढ़ती गयी… सागर ने खूब नाम कमाया, खूब धन कमाया, एक मशहूर मॉडल से शादी की, उसकी बेवफाई देखी, इकलौती बेटी को अपनी बाहों में दम तोड़ते देखा, खुद को जर्रा-जर्रा बिखरते देखा, अपनी जिन्दगी को आसमान से वापस जमीन पर उतरते देखा और आज…. जिन्दगी के दरवाजे पर फिर सरिता खड़ी थी… अपनी बाहें फैलाए… इंतजार करती… साहिल के रूप में संदेश देती…

‘अरे सागर साहब… आप यहां अंधेरे में खड़े क्या कर रहे हैं…? कहां-कहां ढूंढ आया मैं आपको… आज का कार्यक्रम तो बहुत अच्छा रिकॉर्ड हुआ है…’ कार्यक्रम प्रभारी अनिल त्यागी की आवाज से सागर कपूर की तन्द्रा भंग हुई. न जाने कितनी देर से वह इस जगह पर खड़े बीती यादों के सागर में गोते लगा रहे थे. साहिल शर्मा को गये तो काफी वक्त बीत चुका था. जीवन की इतनी बड़ी सच्चाई का सामना करके सागर कपूर हतप्रभ थे. आज उन्हें समझ में आया कि सरिता ने पच्चीस साल पहले तोहफे के रूप में उनसे क्या ले लिया. साहिल को एक बार फिर से देखने के लिए उनका मन छटपटाने लगा. अपना खून जब अपनी ओर खींचता है तो इंसान पर किसी चीज का जोर नहीं चलता. सागर कपूर के हाथ में साहिल का विजिटिंग कार्ड थरथरा रहा था और उनकी गाड़ी हवा से बातें करती उड़ी जा रही थी… वहीं… जहां उनकी सरिता थी… उनका बेटा था… उनका साहिल… सरिता की बात कितनी सच निकली… ‘तुम एक दिन जरूर आओगे… यहां… मेरे पास… मुझे विश्वास है…’

और सागर सचमुच लौट रहा था अपनी सरिता के पास… पूरे पच्चीस सालों के बाद…

ऐसे बनाएं हनी चिकन

आज आपको मसालेदार हनी चिकन बनाने की रेसिपी बताते हैं. जो बहुत टेस्टी है और आप इसे आसानी से घर पर बना सकते हैं.

सामग्री

चिकन ब्रेस्‍ट- 500 ग्राम

कार्नफ्लोर- 2 चम्‍मच

प्‍याज- 1

अदरक-लहसुन पेस्‍ट- 2 चम्‍मच

नींबू का रस- 1 चम्‍मच

हरी प्‍याज- 1 गुच्‍छा

हरी मिर्च- 2

शहद- 1 चम्‍मच

चिली सौस- 2 चम्‍मच

सोया सौस- 1 चम्‍मच

काली मिर्च पाउडर- 1 चम्‍मच

नमक- स्‍वादानुसार

पानी- 2 कप

तेल- 1 कप

तिल- 1 चम्‍मच

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बनाने की  विधि

सबसे पहले चिकन के पीस को नींबू, नमक और मिर्च मिला कर आधे घंटे के लिये मैरीनेट कर लें. आधे घंटे एक गहरे पैन में तेल डालें. अब एक कटोरे में कार्नफ्लोर एक चम्‍मच और दो चम्‍मच पानी मिलाएं.

फिर इससे चिकन को कोट कर लें और गरम तेल में डीप फ्राई करें. आंच को हल्‍का ही रखें और चिकन को क्रिस्‍प तल लें.

जब चिकन फ्राई हो जाए तब उसे निकाल कर प्‍लेट में रखें और फिर पैन में एक चम्‍मच तेल डाल कर गर्म करें. तेल गरम होने पर उसमें कटी प्‍याज डाल कर 4 मिनट तक मध्‍यम आंच पर फ्राई करें.

फिर अदरक लहसुन पेस्‍ट, हरी मिर्च डाल कर भूनें. अब 1 चम्‍मच सोया सौस, कार्नफ्लोर, चिली सौस और आधा कप पानी डाल कर मिक्‍स करें. उसके बाद शहद, चिकन पीस और नमक डालें.

इसे लगातार चलाते रहे और बाद में हरी प्‍याज काट कर उस पर छिड़कर गैस बंद कर दें. जब चिकन तैयार हो जाए तब उस पर तिल छिड़क कर सर्व करें.

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खेल जो हो गया फेल: भाग 1

भाग-1

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के कैंट क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और पौश कालोनी है, जिसे राम प्रसाद बिस्मिल पार्क के नाम से जाना जाता है. अमर शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल का इस कालोनी से गहरा संबंध था. उन्होंने यहीं छिप कर अंग्रेजों से लोहा लिया था.

इस वीआईपी कालोनी में विभिन्न रोगों के कई विख्यात चिकित्सकों के अपने निजी नर्सिंगहोम हैं. इसी पौश कालोनी में मनोरोगियों के पूर्वांचल के जानेमाने चिकित्सक 65 वर्षीय रामशरण दास उर्फ रामशरण श्रीवास्तव रहते हैं. उन का आवास और नर्सिंगहोम दोनों ही बिस्मिल पार्क रोड पर स्थित हैं.

रोज की तरह 16 मई, 2019 की सुबह निर्धारित समय पर डा. रामशरण दास अपने क्लीनिक पर जा कर बैठे और मरीजों को देखने लगे. 4 घंटे मरीजों को देखने के बाद दोपहर करीब 2 बजे वह लंच करने घर जाने के लिए  उठे ही थे कि उन के मोबाइल की घंटी बज उठी. उन्होंने मोबाइल के स्क्रीन पर डिस्पले हो रहे नंबर को ध्यान को देखा.

नंबर किसी अपरिचित का था. उन्होंने काल रिसीव नहीं की. फोन कमीज की जेब में रख कर वह घर की ओर बढ़ गए. उन्होंने सोचा कोई परिचित होगा तो दोबारा काल करेगा. क्लीनिक से निकल कर जैसे ही वह घर की तरफ बढे़ तभी दोबारा फोन की घंटी बजने लगी.

डा. रामशरण दास ने कमीज की जेब से फोन निकाल कर देखा तो उस पर डिस्पले हो रहा नंबर पहले वाला ही था. उन्होंने काल रिसीव कर हैलो कहा तो दूसरी ओर से रोबीली सी आवाज आई, ‘‘क्या मैं डा. रामशरण श्रीवास्तव से बात कर रहा हूं?’’

‘‘हां, मैं डा. रामशरण श्रीवास्तव ही बोल रहा हूं.’’ अपना नाम सुन कर वे चौंके. दरअसल, लोग डाक्टर को रामशरण दास के नाम से जानते थे. लेकिन फोन करने वाले ने उन्हें रामशरण श्रीवास्तव कह कर संबोधित किया तो वह चौंके, क्योंकि ये नाम उन के करीबी ही जानते थे. उन्होंने चौंकते हुए पूछा, ‘‘आप कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘मैं ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस चौकी से चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह बोल रहा हूं.’’ फोन करने वाले ने अपना परिचय दिया.

‘‘जी, बताइए मैं आप की क्या मदद कर सकता हूं.’’ परिचय जानने के बाद डा. रामशरण ने सम्मानपूर्वक सवाल किया.

‘‘डाक्टर साहब, आप शाम को ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस चौकी पर आ कर मुझ से मिल लीजिए. ज्योति सिंह नाम की एक महिला ने आप के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.’’ यह सुन कर डाक्टर दास हतप्रभ रह गए. उन्होंने बुझे मन से पूछा, ‘‘महिला ने मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन मैं तो ऐसी किसी महिला को नहीं जानता जिसे मुझ से कोई शिकायत हो.’’

‘‘शाम को जब आप चौकी पर आएंगे तो पता चल जाएगा.’’ इतना कह कर दूसरी ओर से फोन काट दिया गया.

एक पल के लिए डा. रामशरण दास को ये बात मजाक लगी. उन्होंने सोचा कि किसी परिचित को उन का मोबाइल नंबर मिल गया  होगा और वह मजाक कर रहा होगा. लेकिन मन ही मन वे परेशान भी थे.

आखिर कौन ऐसी महिला है जिस ने उन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. इसी उधेड़बुन में वह घर पहुंचे और जल्दी ही लंच कर के क्लीनिक लौट आए. उन का घर नर्सिंगहोम परिसर में द्वितीय तल पर था.

उन के मन में बारबार फोन करने वाले व्यक्ति की बातें गूंज रही थीं. क्लीनिक आने के बाद वे कुछ देर वहां बैठे और फिर सच्चाई जानने के लिए शाम 6 बजे के करीब ड्राइवर को ले कर कार से ट्रांसपोर्टनगर चौकी जा पहुंचे.

चौकी पहुंच कर उन्होंने पहरे पर तैनात संतरी से चौकी प्रभारी शिवप्रकाश सिंह से मिलने की बात कही. संतरी ने उन्हें चौकी प्रभारी शिवप्रकाश सिंह से मिलवा दिया. खाकी वरदी पहने शिवप्रकाश सिंह रिवाल्विंग चेयर पर बैठे थे. डा. रामशरण दास ने उन्हें अपना परिचय दिया तो उन्होंने डाक्टर दास का गर्मजोशी से स्वागत किया. डाक्टर सामने खाली पड़ी कुरसी पर बैठ गए.

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चौकी इंचार्ज का यह एटिट्यूड देख कर डा. रामशरण दास को थोड़ा अजीब महसूस हुआ. फिर भी उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया था. उन से थोड़ी देर इधरउधर की बात करने के बाद शिव प्रकाश उन्हें ले कर विजिटर रूम में चले गए. कमरे में 2 अलगअलग कुरसियां पड़ी थीं. एक कुरसी पर चौकी इंचार्ज खुद बैठ गए और दूसरी पर डाक्टर दास.

शिवप्रकाश ने एक फाइल से शिकायती पत्र निकाला और डाक्टर की ओर बढ़ा दिया. शिकायती पत्र किसी ज्योति सिंह नाम की युवती ने दिया था. उस में लिखा था कि 6 मार्च, 2019 की शाम को वह डाक्टर दास के क्लीनिक पर गई थी. वह अंतिम मरीज थी और क्लीनिक में सन्नाटा था.

रात हो गई थी. डाक्टर दास ने कहा कि रात में अकेली कैसे जाओगी, मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा. उन्होंने उसे कार में बैठाया और ट्रांसपोर्टनगर स्थित अमरुतानी (अमरुद का बगीचा) ले गए. जहां उन्होंने उस के साथ रेप किया. चीखने पर उन्होंने जान से मारने की धमकी दी. बाद में उसे कुछ रुपए दे कर भगा दिया.

पत्र दिखा कर चौकी इंचार्ज सिंह ने डाक्टर दास से कहा कि यह पत्र स्पीडपोस्ट के जरिए 12 मार्च, 2019 को मिला था, लेकिन चुनावी  व्यस्तता की वजह से वह इस शिकायत की जांच नहीं कर सके.

शिकायती पत्र में महिला द्वारा रेप की बात का जिक्र देख कर डाक्टर दास के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. पत्र पढ़ कर उन की आंखों के सामने अंधेरा छा गया. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले. उन के चेहरे पर खुद ब खुद परेशानी और डर के मिलेजुले भाव उभर आए.

शिकायती पत्र फाइल में रखते हुए चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह ने डाक्टर दास से कहा, ‘‘रेप के मामलों में बड़ेबड़े बर्बाद हो जाते हैं. इसी शहर के डाक्टर डी.पी. सिंह, विधायक कुलदीप सेंगर या फिर मंत्री गायत्री प्रसाद को देखें, आज तक जेल में सड़ रहे हैं. सोच लो, मैं मदद करने की कोशिश करूंगा.’’

रेप के हश्र की जो तसवीर चौकी इंचार्ज ने डाक्टर दास के सामने पेश की थी, उसे सुन कर वह एक बार फिर पसीनापसीना हो गए. लेकिन उन्हें चौकी इंचार्ज की मदद करने वाली बात खटकी. उस समय डाक्टर दास वापस क्लीनिक लौट आए.

वह अपने क्लीनिक पर लौट तो जरूर आए लेकिन उन का हालबेहाल था. वे इस सोच में डूबे थे कि उन की किसी ज्योति सिंह से कभी मुलाकात हुई थी या नहीं. आखिर वह उन पर ऐसा घिनौना आरोप क्यों लगा रही है. फिर उन्होंने दूसरे नजरिए से सोचना शुरू कर दिया. यानी कहीं उन्हें फंसाने के लिए उन के विरुद्ध कोई बड़ी साजिश तो नहीं रची जा रही.

उन्होंने जब से शिकायती पत्र पढ़ा था, परेशान होते हुए भी इस बात को किसी से बता नहीं पा रहे थे. वजह यही कि लोग सुन कर उन के बारे में क्या सोचेंगे. बात मीडिया तक पहुंच गई तो उन की इज्जत की धज्जियां उड़ जाएंगी.

काफी सोचविचार के बाद डाक्टर दास को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने इस बारे में अपनी पत्नी को सब कुछ बता दिया. बात सुन कर पत्नी भी परेशान हो गईं. दोनों इस नतीजे पर पहुंचे कि सोचने से कुछ नहीं होगा. इस मुसीबत से निकलने के लिए उन्हें कोई कारगर रास्ता तलाश करना होगा.

उसी रात 10 बजे के करीब उन के मोबाइल पर एक फोन और आया. डिसप्ले नंबर देख कर उन का चेहरा खुशी से खिल उठा. वह नंबर एक परिचित का था, जो शहर के न्यूज चैनल सिटी वन का पत्रकार था. उस का नाम प्रणव त्रिपाठी था. उसे डाक्टर दास बेटे की तरह मानते थे और स्नेह भी करते थे.

डा. रामशरण दास ने काल रिसीव करते हुए कहा, ‘‘कैसे हो बेटा?’’

‘‘फर्स्टक्लास डाक्टर अंकल,’’ उत्तर दे कर प्रणव ने उन से पूछा, ‘‘और आप कैसे हैं अंकल?’’

‘‘क्या बताऊं बेटा, ठीक भी हूं और नहीं भी.’’ डाक्टर दास ने नर्वस हो कर कहा.

‘‘बात क्या है, अंकल. ऐसी बात तो आप ने कभी नहीं की. मेरे लायक सेवा हो बताइए, मैं आप की पूरी मदद करूंगा.’’

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‘‘नहीं बेटा, तुम ने मेरे लिए इतना सोचा, यही मेरे लिए काफी है. आज के जमाने में कोई कहां दूसरे के लिए सोचता है. एक बात है, जिस में तुम्हारी मदद की जरूरत है.’’ सकुचाते हुए डाक्टर दास बोेले.

‘‘हां…हां… अंकल बताइए. मैं आप के लिए क्या कर सकता हूं?’’

‘‘तुम तो न्यूज चैनल के रिपोर्टर हो और पुलिस विभाग में तुम्हारी अच्छी पकड़ भी है.’’

‘‘हां, अंकल है, पुलिस अधिकारियों से मेरे अच्छे संबंध हैं. पर बात क्या है?’’

इस के बाद डा. रामशरण दास ने प्रणव त्रिपाठी को पूरी बात बता दी. उन की बात सुन कर उस ने मदद करने की हामी भी भर दी. प्रणव से बात करने के बाद डाक्टर दास को थोड़ी शांति मिली. मन का बोझ कुछ कम हो गया. उस रात उन्होंने आराम की भरपूर नींद ली.

अगली सुबह वह उठे तो खुद को तरोताजा महसूस कर रहे थे. दिन भर वे अपने क्लीनिक में व्यस्त रहे. फिर रात को वे खा पी कर सो गए. रात एक बजे ट्रांसपोर्ट नगर के चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह अकेले ही डा. दास के रामप्रसाद बिस्मिल पार्क स्थित आवास पर पहुंच गए. उस समय डा. दास गहरी नींद में थे.

डाक्टर दास के आवास पर पहुंच कर शिवप्रकाश ने डोरबेल बजाई तो उन की नींद खुल गई. उन्होंने दरवाजा खोला तो चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह को देख कर अवाक रह गए. उन्होंने उसे ड्राइंगरूम में ले जा कर बैठा दिया और खुद कपड़े चेंज कर के उस के पास जा बैठे.

करीब 2 घंटे तक शिवप्रकाश सिंह वहीं बैठा रहा और रेप के शिकायत वाले लेटर को मुद्दा बना कर उन से पूछताछ करता रहा. बाद में उस ने कहा, ‘‘देखो डाक्टर, शिकायत करने वाली लड़की ज्योति और मुझे 5-5 लाख रुपए दे दो, वरना जेल भेज दूंगा. उस के बाद क्या होगा तुम समझना.’’

चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह की बात और आवाज में बदतमीजी और रुआब आ गया था. उस की धमकी सुन कर डाक्टर दास बुरी तरह परेशान हो गए. कोई रास्ता न देख उन्होंने शिवप्रकाश से अगले दिन दोपहर तक का समय मांग लिया.

चौकी इंचार्ज के वहां से जाने के बाद डाक्टर दास ने थोड़ी राहत की सांस ली. वह समझ गए कि ये पूरी साजिश पैसों के लिए रची गई है. इस खेल में उन का कोई परिचित भी है, जो उन से संबंधित पूरी जानकारी चौकी इंचार्ज को दे रहा है. ऐसा कौन है यह बात उन की समझ में नहीं आ रही थी. यह बीती 17 मई की बात है.

खैर, अगले दिन 18 मई, 2019 की दोपहर चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह डाक्टर रामशरण दास के क्लीनिक पर पहुंच गए. उस समय डाक्टर दास मरीजों की जांच करने में व्यस्त थे. क्लीनिक पहुंचते ही शिवप्रकाश सिंह ने कंपाउंडर से अपने आने की सूचना उन्हें भेजवा दी.

चौकी इंचार्ज के आने की सूचना मिलते ही डाक्टर साहब परेशान हो गए. वे समझ गए कि बिना पैसे लिए उस से पीछा छूटने वाला नहीं है. उन्होंने सफेद रंग के बैग में 2 हजार और 5 सौ रुपए के नोटों के बंडल बना कर 8 लाख रुपए जमा कर लिए थे. उन्होंने कंपाउंडर से कह कर चौकी इंचार्ज शिवप्रकाश सिंह को अपने चैंबर मे बुलवा लिया.

कंपाउंडर की सूचना मिलते ही शिवप्रकाश डा. दास के चैंबर में जा पहुंचा. चैंबर में डा. दास अकेले थे. शिवप्रकाश को देखते ही उन का खून खौल उठा, लेकिन वे अपने गुस्से को पी गए. वे उसे एक पल के लिए भी बरदास्त नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने रुपए से भरा बैग उसे दे दिया.

रुपए मिलते ही चौकी इंचार्ज के चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई. जैसे ही रुपए से भरा बैग ले कर चौकी इंचार्ज क्लीनिक से जाने लगा, वैसे ही डा. दास ने चौकी इंचार्ज के सामने उस महिला से मिलने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी, जिस ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. रामशरण दास की बात सुन कर चौकी इंचार्ज शिवप्रसाद नहीं कुछ बोला और वहां से रुपयों से भरा बैग ले कर चला गया.

शिवप्रकाश सिंह के क्लीनिक से जाने के बाद रामशरण दास पत्नी को साथ ले कर सीधे इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. एस.पी. गुप्ता के घर जा पहुंचे और अपने साथ हुई शरमनाक घटना के बारे में उन्हें विस्तार से बता कर उन से मदद की मांग की.

बात काफी गंभीर थी. आईएमए के अध्यक्ष डा. एस.पी. गुप्ता ने सचिव राजेश गुप्ता को तुरंत अपने आवास पर बुलाया. साथ ही संगठन के सभी पदाधिकारियों को भी बुलवा लिया. आईएमए के पदाधिकारी डाक्टर दास को ले कर एसएसपी के औफिस गए. चूंकि उस दिन चुनाव था, इसलिए डाक्टर सुनील गुप्ता की एसएसपी से मुलाकात नहीं हो पाई.

डा. दास को ले कर सभी पदाधिकारी शिकायत करने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पीआरओ द्वारिका तिवारी से मिलने गोरखनाथ मंदिर जा पहुंचे. इन लोगों ने पीआरओ द्वारिका प्रसाद से मुलाकात कर के उन्हें लिखित शिकायत दे दी.

सौजन्य: मनोहर कहानी

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सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है ?

आयुष्मान जबसे दिल्ली आया है घर के खाने से दूर हो गया है. सुबह ब्रेड बटर और अंडा, दोपहर में औफिस की कैंटीन से मैगी या ब्रेड पकौड़ा-चटनी और रात में सरदार जी के ढाबे पर तीखे मसालेदार सब्जी-रोटी. जब इससे मन उकता जाता है तो पीजा या मोमोज से काम चला लेता है. शुरू में तो उसको बाहर का खाना बहुत अच्छा लगा. जब अपने घर में था तब मम्मी चावल, दाल, रोटी के साथ घिया, तोरई, कद्दू, भिंडी जैसी सब्जियां खिलाती थीं. बड़ा फीका-फीका सा लगता था सब. दिल्ली में नौकरी लगी तो आयुष्मान कुछ ज्यादा ही चटोरा हो गया. चाहता तो शाम को घर लौट कर चावल-दाल बना सकता था, मगर उसने खाना बनाने का कोई झंझट नहीं पाला. जिस पीजी में रहता था उसके नीचे खाने-पीने के अनेक ढाबे थे, हर तरह का खाना मिलता था, मगर इस चटोरेपन का खामियाजा आयुष्मान को जल्दी ही भुगतना पड़ा.

आजकल खाने के बाद उसके सीने में भयानक दर्द और जलन शुरू हो जाती है. खाना खाने के बाद देर तक ऐसा लगता है जैसे खाना सीने पर ही धरा है. हजम ही नहीं हो रहा. कभी-कभी तो जलन इतनी तीव्र हो जाती है कि मुंह में मिर्ची जैसा पानी आने लगता है और फिर उल्टी हो जाती है. रात देर तक उसको डकारें आती रहती हैं, गैस पास होती रहती है. इस चक्कर में वह ठीक से सो भी नहीं पाता. डायजीन की न जाने कितनी बोतलें खाली कर चुका है मगर जलन से छुटकारा नहीं मिलता. गैस की वजह से सिर और शरीर भी दुखता रहता है.

पहले बुढ़ापे में मसालेयुक्त खाना न पचने की वजह से सीने में जलन, अपच, गैस जैसी शिकायतें हुआ करती थीं, मगर आजकल युवा वर्ग में यह शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं. खासतौर पर अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में अकेले रहने वाले और बाहर का खाना खाने वाले युवाओं में. ढाबे या होटल का खाना ज्यादातर रिफाइंड आयल या डालडा जैसे फैट में बनाया जाता है. एक बार तलने के लिए यूज करने के बाद ढाबेवाले उसे फेंकते नहीं हैं, बल्कि दसियों बार उसी तेल का इस्तेमाल चीजों को फ्राई करने के लिए करते हैं, जो सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है. इसके अलावा स्वाद बनाने के लिए तीखे मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. कई बार मसालों की क्वालिटी भी खराब होती है. वहीं बाहर की रोटी में मैदे का इस्तेमाल बहुत होता है, जो आंतों के लिए ठीक नहीं है. यह सब चीजें सेहत को बेतरह नुकसान पहुंचाती हैं.

महानगरों में सीने में जलन की समस्या भयावह तरीके से बढ़ रही है. गैस बनने की वजह से दर्द भी बना रहता है. सीने में दर्द उठने पर लोग अक्सर घबरा जाते हैं कि कहीं दिल सम्बन्धी किसी गम्भीर बीमारी ने तो नहीं घेर लिया. मगर सीने में दर्द का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि आपको दिल का दौरा पड़ने वाला है. बल्कि सीने में दर्द उठना इस बात का सूचक हो सकता है कि आपका खानपान ठीक नहीं है और इसे समय रहते सुधारे जाने की जरूरत है. मगर हां, जब भी सीने में दर्द उठे तो सर्वप्रथम नजदीकी डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें, अपने आप कोई दवा शुरू न करें.

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अगर आप ज्यादा वसायुक्त, तेज मसालेदार आथवा कम पोषण वाले भोजन का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो यह सीने में दर्द उठने की एक महत्वपूर्ण वजह बन सकता है. इसके अलावा एसिडिटी, सर्दी, कब्ज, तनाव, बदहजमी, धूम्रपान आदि भी इस दर्द की वजह हो सकते हैं. यदि आप चाहते हैं कि आपको इस समस्या का सामना न करना पड़े, तो कुछ खास चीजों का सेवन करना प्रारम्भ कर दीजिए, इससे आपका कोलेस्ट्रौल लेवल भी कम होगा और वजन भी कंट्रोल में रहेगा. साथ ही अपच की समस्या दूर होने से सीने में दर्द और जलन से भी छुटकारा मिलेगा.

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लहसुन : लहसुन में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं. इसी वजह से इसे ‘वंडर मेडिसिन’ के  नाम से भी जाना जाता है. बस आप प्रतिदिन खाली पेट लहसुन की एक या दो कली खाना शुरू कर दीजिए. अगर आपकी छाती में दर्द और गैस की समस्या है तो इससे लाभ मिलेगा. साथ ही साथ लहसुन आपका कोलेस्ट्रौल स्तर कम करेगा और दिल की धमनी की दीवार पर फैट की परत बनने से भी रोकेगा, जिससे आपके दिल में औक्सीजन और खून का प्रवाह बेहतर होगा. लहसुन खून को गाढ़ा होने से रोकता है. जिससे हृदय में खून का प्रवाह सुचारू रूप से होने लगता है.

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हल्दी : हल्दी में भी बहुत अधिक मात्रा में आयुर्वेदिक गुण होते हैं, जो हमारे शरीर की कई तरह की बीमारियों को दूर करने के लिए लाभकारी हैं. अगर आपको दिल सम्बन्धी कोई परेशानी होती है या सीने में दर्द होता है तो आप इसका उपयोग भोजन में मसाले के रूप में करें, साथ-साथ इसे दूध में भी डालकर पीना शुरू कर दीजिए. इससे आपको सीने के दर्द से राहत मिलेगी.

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अदरक : अगर आपको एसिडिटी अथवा गैस की वजह से छाती में दर्द और जलन हो रही है तो अदरक वाली चाय का सेवन करें. अदरक में मौजूद औषधीय तत्व सीने में दर्द के साथ साथ खांसी, जुकाम तथा अन्य कई रोगों को ठीक करने में सहायक है.

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तुलसी : सीने में दर्द होने पर तुलसी और अदरक का काढ़ा बनाकर उसमें स्वादानुसार शहद डाल कर सेवन कीजिए, इससे आपको दर्द से बहुत राहत मिलेगी. तुलसी में एंटी बैक्टीरियल ही नहीं, अपितु एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी मौजूद होते हैं जो हमारे हृदय के लिए फायदेमंद है.

mulethi

मुलेठी : मुलेठी एक तरह की बूटी है, जो साधारणतया गले में खराश होने पर चूसी जाती है. इसको चूसने से जो रस निकलता है वह न केवल हमारी पाचन क्रिया सम्बन्धी परेशानियों को दूर करता है, बल्कि हमारे सीने में हो रहे दर्द में भी राहत देता है.

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धार्मिक अंधविश्वास

समाचारपत्र पत्रिकाओं में आएदिन नरबलि संबंधी समाचार पढ़ने को मिलते रहते हैं. हर समाचार अपने पूर्ववर्ती समाचार की अपेक्षा ज्यादा घृणास्पद, क्रूर एवं हृदय विदारक होता है. झारखंड के रजरप्पा इलाके के छिन्न मस्तिका मंदिर में 31 जनवरी की सुबह एक नौजवान ने खुद की ही बलि चढ़ा दी. उस ने मंदिर के बलि वेदी के पास बैठ कर धारदार हथियार से अपना गला रेत लिया.

मंदिर में पशुबलि की प्रथा है. बलि देने वाले नौजवान की पहचान बिहार के बक्सर जिले के सिमरी ब्लौक के बलिहार गांव के संजय नट के तौर पर हुई है. 35 वर्षीय संजय नट सीआरपीएफ का जवान था.

इसी प्रकार भटिंडा, तल बंडीसाबों के गांव कोटफत्ता में एक तांत्रिक महिला निर्मल कौर ने खुद को भगवान मानते हुए अपने ही मासूम पोतेपोती की पीटपीट कर और करंट लगा कर बलि दे दी. इस कत्ल में बच्चों का पिता तांत्रिक कुलविंद्र सिंह भी शामिल था.

अमृतसर, मजीठा रोड के गांव पंडोरी वड़ैच में, गांव में ही रहने वाले कथित तांत्रिक ने सवा तीन साल के बच्चे तेजपाल को अगवा कर के उस के बाल काटे और तंत्रमंत्र करने के बाद गला दबा कर हत्या कर दी. वह लोगों से कहता था कि वह हर प्रकार के तंत्रमंत्र करता है. उस ने माना कि उस ने तंत्रविद्या के लिए बच्चे की हत्या कर शव को गांव के बाहर सुनसान जगह पर फेंका है.

बच्चे की चाह में पड़ोस की गर्भवती और उस के गर्भस्थ शिशु की बेरहमी से हत्या कर दी गई. मृतका की हाल ही में शादी हुई थी और उस के गर्भ में पहला बच्चा था. पूर्ण और उस की पत्नी जोगिंदर कौर के अनुसार, उन के बेटे गुरप्रीत सिंह की शादी रविंदर कौर के साथ हुई थी. शादी के 5 साल बाद भी उन की बहू मां नहीं बन पाई थी. औलाद हासिल करने के लिए वे पास के गांव हसनपुर कलां में दीशो उर्फ देवा पत्नी सतनाम सिंह के पास पहुंचे. देवा ने औलाद प्राप्ति के लिए उन्हें यह उपाय बताया कि वे किसी 7-8 महीने की गर्भवती महिला का इंतजाम करें और उस का पेट चीर कर उस में से बच्चा निकाल कर रख लें.

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बलि कुकर्म क्यों

नरबलि का पाश्विक कुकर्म क्यों? इस का उत्तर है- हमारी धार्मिक विरासत. आम जनता को असुविधा में डाल कर व यातायात अवरुद्ध कर गलियों, महल्लों व शहरों की मुख्य सड़कों पर रातभर जागरणजगराते किए जाते हैं. इन में ‘तारा रानी’ की कथा कही जाती है. इस में कहा जाता है कि राजा हरिश्चंद्र ने बच्चे को काट कर उस के मांस का प्रसाद तैयार किया. देवी की कृपा से बच्चा फिर जीवित हो गया. और हरिश्चंद्र को देवी ने दर्शन दे कर उस की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर दीं.

इसी प्रकार ‘ध्यानू भक्त’ द्वारा अपनी गरदन काट कर देवी को भेंट करने वाला प्रसंग भी जगरातों में गाया जाता है. देवी ने प्रसन्न हो कर ध्यानू भक्त को आशीर्वाद दिया. उसे जीवित किया. और उस की सभी मनोकामनाएं पूरी कर दीं.

जगरातों में गाई जाने वाली ये कथाएं जनसाधारण को मानसिक रूप से नरबलि अथवा आत्महत्या की अप्रत्यक्ष प्रेरणा देती हैं.

मंगलवार व्रत कथा : इस कथा के अनुसार मंगलिया की माता घर में आए साधु को अपना बेटा इसलिए सौंप देती है ताकि वह उस की पीठ पर आग जला कर खाना तैयार कर सके. घर में आए साधु ने 3 बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा – ‘तू अपने बेटे को बुला. मैं उसे औंधा लिटा कर, उस की पीठ पर भोजन बनाऊंगा.’

वृद्ध महिला ने सुना तो उस के पैरोंतले की धरती खिसक गई. मगर वह वचन हार चुकी थी. उस ने मंगलिया को पुकार कर साधु के हवाले कर दिया.

मगर साधु ऐसे ही मानने वाला न था. उस ने वृद्ध महिला के हाथों से ही मंगलिया को औंधा लिटा कर उस की पीठ पर आग जलवाई. आग जला कर, दुखी मन से वृद्ध महिला अपने घर के अंदर जा घुसी.

साधु जब भोजन बना चुका, तो उस ने वृद्धा को बुला कर कहा कि वह मंगलिया को पुकारे ताकि वह आ कर भोग लगा ले. वृद्धा आंखों में आंसू भर कर कहने लगी कि अब आप उस का नाम ले कर मेरे हृदय को मत दुखाओ. लेकिन साधु महाराज न माने, तो वृद्धा को भोजन के लिए मंगलिया को पुकारना पड़ा.

पुकारने की देर थी कि मंगलिया बाहर से हंसता हुआ घर में दौड़ा आया. मंगलिया को जीताजागता देख कर

वृद्धा को सुखद आश्चर्य हुआ. वह साधुमहाराज के चरणों में गिर पड़ी.

ऐसी कथाओं का ही प्रभाव है कि औरतें, अपनी संतान, पति व गृहस्थ धर्म की उपेक्षा कर के साधुसंतों की सेवा करना पुण्य समझती हैं और पुण्य लाभ के लोभ में पड़ कर अपने बेटे/बेटियों तक की बलि चढ़ा देने में संकोच व लज्जा का भाव अनुभव नही करतीं.

इस कथा से जनसाधारण को यह संदेश भी जाता है कि आप के घर में साधु रूप में कोई भी (चाहे चोर, लुटेरा ही क्यों न हो) आ जाए तो उस की किसी भी प्रकार से उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. वह जो भी गहने, सोना, चांदी व धन मांगे, सहर्ष उसे दे देना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि आगंतुक साधु न जाने किस देवता का रूप हो.

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सत्यनारायण व्रत कथा : यह कथा अकसर हर मास हिंदू घरों में करवाई जाती है. हर पूर्णिमा को सत्यनारायण का व्रत लाखों हिंदू घरों में रखा जाता है. स्त्रियां, लड़कियां और बच्चे इस व्रत को अधिकतर रखते हैं. व्रती लोग पूरे विधिविधान का पालन करते हुए श्रद्धा व विश्वास के साथ सत्यनारायण की कथा स्वयं करते हैं अथवा कथावाचकों से सुनते हैं. कथा के अंतिम अध्याय में व्रत का माहात्म्य बताते हुए कहा गया है :

धार्मिक: सत्यसन्यश्र्य साधुमौरध्वजोडभवत.

देहार्ध क्रक चैश्छित्त्वादत्त्वा मोक्षमवाप ह.

(सत्यनारायण व्रत कथा, अध्याय 5, श्लोक 22)

अर्थात, धार्मिक और सत्यवती साधु (पिछले जन्म में सत्यव्रत के प्रभाव से दूसरे जन्म में) मोरध्वज नाम का राजा हुआ. उस ने आरे से चीर कर अपने पुत्र की आधी देह भगवान विष्णु को अर्पित कर मोक्ष प्राप्त किया.

कथा मोेरध्वज : भगवान अपने एक भक्त मोरध्वज के पास साधु रूप में पहुंचे. उन्होंने राजा से कहा कि तुम और तुम्हारी रानी दोनों अपने हाथों से अपने बेटे को आरे से चीर कर और उस का मांस बना कर हमें भी खिलाओ और स्वयं भी खाओ. ऐसा करते हुए तुम में से किसी की आंखों में आंसू नहीं आने चाहिए अन्यथा हम रुष्ट हो कर श्राप दे देंगे.

राजा ने बेटे को पाठशाला से बुलवाया, चीरा, पकाया और साधु को परोस दिया. साधु ने राजा और रानी को भी अपने बेटे का मांस खाने को मजबूर किया. जब उन्होंने उस का कुछ भाग खा लिया, तब वह साधु रानी से बोला, ‘अपने बेटे को आवाज दो.’

रानी के पुकारने पर बेटा बाहर से उस कमरे में हंसता हुआ आ गया. राजा और रानी दोनों अति प्रसन्न हुए. उन की हर मुराद पूरी हो गई. साधु अदृश्य हो गया. राजारानी मृत्यु के बाद स्वर्ग में गए.

उल्लेखीय है कि दशहरे के अवसर पर इस पौराणिक कथा पर आधारित झांकियां निकाली जाती हैं, दूसरे कई धार्मिक अवसरों पर भी इसे आधार बना कर नाटक खेले जाते हैं.

इस पौराणिक कथा ने आज तक नरबलि को जनसाधारण के अवचेतन में जीवित रखा है. यद्यपि, अंगरेज सरकार ने 1845 में नरबलि को दंडनीय घोषित कर दिया था. इस कथा का ही प्रभाव है कि नरबलि को अपराध घोषित किए जाने के बाद भी इस प्रकार की घटनाएं होती रहती हैं.

यह कथा व्यक्ति को, जनसाधारण को आत्मघात या बलि की प्रेरणा देती है. भावुक भक्त सोचते हैं कि यदि हम अपना कोई प्रिय अंग, बेटा अथवा बेटी आदि काट कर भगवान को अर्पित कर देंगे, तो इस से प्रसन्न हो कर भगवान राजा मोरध्वज की ही भांति हमें भी आशीर्वाद देंगे और सारी मनोकामनाएं पूरी कर देंगे. यही नहीं, मोक्ष का लाभ मिल जाएगा, आवागमन के चक्कर से मुक्ति मिल जाएगी और बैकुंठ में स्थायी निवास प्राप्त हो जाएगा.

पाठ्यपुस्तकें : पाठयक्रमों में ‘हितोपदेश’ व ‘पंचतंत्र’ की निर्धारित कुछ कहानियां भी इस के लिए जिम्मेदार हैं. इन में ‘शूद्रक वीरवर’ की कथा बहुत प्रसिद्ध है. इस कथा में वीरवर से लक्ष्मी कहती है कि यदि तुम अपने सर्वांग सुंदर बेटे की सर्व मंगला देवी के मंदिर में बलि चढ़ा दोगे तो तुम्हारे राजा का राज्य चिरस्थायी हो जाएगा. वह उस के कथनानुसार बच्चे की बलि देने के बाद अपनी बलि भी चढ़ा देता है. देवी बहुत प्रसन्न होती है. वह उसे और उस के बच्चे को जीवित कर देती है. दूसरे दिन उसे राज्य भी इनाम में मिल जाता है.

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इस प्रकार की कथाकहानियां पढ़ने वाले बच्चों के अर्धचेतन मन में बलि व आत्मघात की महिमा प्रतिष्ठित हो जाती है. पुरोहित, ज्योतिषी, चेले, तांत्रिक, तथा संतानप्राप्ति व गुप्त खजाने प्राप्त करने के लिए इस प्रकार के पाश्विक कुकृत्य करने का परामर्श देने वाले प्रतिष्ठित महिमा को पुष्ट करने में सहायक सिद्ध होते हैं. इसी प्रतिष्ठित व पुष्ट महिमा से वशीभूत हो कर वे जीवन में अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए ‘पुण्य कर्म’ कर बैठते हैं.

हम ने एंटीसैटेलाइट मिसाइल तो विकसित कर ली, परंतु, देश में व्याप्त व्यापक अंधविश्वास, अस्वच्छता, बेरोजगारी, गरीबी, आर्थिक व सामाजिक विकास और सड़कों पर बने बड़ेबड़े गड्ढों की उपेक्षा कर दी. विदेशों में सड़कों पर स्वचालित यंत्रों द्वारा यातायात नियंत्रित किया जाता है. यदि कोई कुत्ता सड़क को गंदा करता है तो संबंधित कुत्ते का मालिक उस के लिए जिम्मेदार होता है.

इस के विपरीत, हमारी सड़कों पर आवारा कुत्तों, आवारा पशुओं को भ्रमण करते हुए अकसर देखा जा सकता है. हम ने कितनी प्रगति की है, इस का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि हम औलाद की चाह में दूसरे के बेटेबेटी की किस प्रकार निर्मम हत्या कर के आज भी बलि दे कर हजारों साल पुरानी कबायली परंपराओं का इस वैज्ञानिक युग में भी अंधानुकरण कर रहे हैं.

हम जिन विकसित व विकासशील देशों का अंधानुकरण करते हुए हाथ में स्मार्टफोन ले कर अर्धनग्न होते हुए स्वयं को प्रगतिवादी बता रहे हैं, वहां मोक्षविचार नगण्य है. वहां प्रतिदिन यातायात अवरुद्ध कर रातभर जागरण नहीं किए जाते. वहां भाग्य के भरोसे न रह कर कठोर परिश्रम पर बल दिया जाता है. यही कारण है कि जापान ने हिरोशिमा व अमेरिका ने वर्ल्ड टे्रड सैंटर का पहले से अधिक तकनीक से युक्त निर्माण कुछ ही वर्षों में कर लिया, लेकिन, हम आज भी राममंदिर मुद्दे पर ही रुके हुए हैं. आज भी हम ‘तारा रानी’ व ‘ध्यानू भक्त’  की कथाएं सुन कर आनंदित हो रहे हैं.

कभी चीन की अर्थव्यवस्था हमारी अर्थव्यवस्था से भी बदतर थी. परंतु, यह उन लोगों के कठोर परिश्रम का ही फल है कि आज चीन की अर्थव्यवस्था व सैन्यशक्ति से सारा संसार ही भयभीत व हैरान नहीं, अपितु ईश्वर को भी वहां छिप कर रहना पड़ता है. इस के विपरीत, ‘निश्चित कर्म के सिद्धांत’ का अनुपालन करते हुए हम ने परान्नभोजी निट्ठलों की एक लंबी सेना व अनगिनत धार्मिक स्थलों का निर्माण करने में अपनी ऊर्जा लगा दी.

धर्मांध देशों में धर्म ने अकर्मण्यता बढ़ाई है. धर्म, ईश्वर, आत्मा, मोक्ष में आस्था के चलते लोग चमत्कार की आशा में कठोर परिश्रम का प्रयास नहीं करते.

इस के विपरीत अमेरिका, चीन, रूस, जरमनी, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया जैसे देश निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर हो रहे हैं. नीदरलैंड, चेक गणराज्य, फ्रांस ऐसे देश हैं जो कभी हमारी भांति ही अत्यधिक धार्मिक थे. परंतु, अब इन देशों में भी ईश्वर विचार गौण हो रहा है और ये आगे निकल जाने के लिए प्रयत्नशील दिखाई दे रहे हैं.

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धर्मगुरुओं की मजबूत पकड़ से मुक्त होने और उन्हें सत्ताच्युत करने के बाद ही इंग्लैंड विज्ञान में प्रगति पथ पर अग्रसर हो सका. 18वीं शताब्दी के अंतिम व 19वीं शताब्दी के आरंभिक दशकों में वहां हुई औद्योगिक क्रांति इसी वैचारिक तथा धार्मिक क्रांति का परिणाम थी.

‘ये रिश्ता कहलाता है’: क्या सुरेखा मारेगी नायरा को जोरदार थप्पड़ ?

स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाला मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में लगातार आपको धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. हाल ही में इस शो ने 3000 एपिसोड पूरे किए है. ये शो टीआरपी में टौप पर भी बना हुआ है. इन दिनों इस सीरियल में आपने देखा होगा कि नायरा और कार्तिक नजदीक आ गए हैं. जो दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है.

तो वही कार्तिक के चाचा अखिलेश और नायरा की दोस्त लीजा के रिलेशनशिप का खुलासा हो चुका है. कार्तिक-नायरा को उनके रिश्ते की सच्चाई पता चल चुकी है. खबरों के अनुसार इस शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि नायरा अपनी दोस्त लीजा से वादा करेगी कि वो उसे न्याय दिलाएगी. और अगर अखिलेश, सुरेखा संग खुश नहीं है तो उन्हें लीजा से शादी करनी पड़ेगी. नायरा की ये सारी बात सुन लेगी और वो इस सच्चाई को मानने से इंकार करेगी और नायरा को जोरदार  थप्पड़ भी मारेगी.

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पिछले एपिसोड में दिखाया गया कि ये रिश्ता में गोयंका फैमिला एक पुराने केस को जीतने की खुशी में जश्न मनाती है. साथ ही सभी तीज का सेलिब्रेशन भी करते हैं. कार्तिक, नायरा का अनजाने में व्रत भी खुलवाता है. और वही गोयनका हाउस में एंट्री से नाराज वेदिका कार्तिक को तलाक देने का फैसला करती है. इसके अलावा वेदिका गोयनका हाउस भी छोड़कर चली जाएगी.

दरअसल, आपने  तीज के मौके पर देखा कि कार्तिक, नायरा को पानी पिलाकर उनका व्रत खोलता है, जिसे वेदिका देख लेती है. नायरा और कार्तिक को एक साथ देखकर वेदिका को एहसास होता है कि इन दोनों को कोई भी अलग नहीं कर सकता. इसलिए वेदिका कार्तिक को तलाक देकर उन दोनों की जिंदगी से दूर जाने का फैसला करती है.

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