बीती सदी के उत्तरार्द्ध तक धरती के ऊपर या नीचे पानी की कमी नहीं थी. हां, धरती से पानी निकालने वाले संसाधनों की कमी जरूर थी. धीरेधीरे दुनिया भर में नएनए साधनों का विकास हुआ. एक से एक अच्छी तकनीक सामने आती चली गईं.

तकनीकों का यह आलम है कि धरती के हजारों फीट नीचे से पानी निकालना तो आसान हो ही गया, इंसान अथाह गहराइयों वाले समुद्र के नीचे से गैस और तेल निकालने लगा है. कई जगहों पर तो अंडरवाटर रेस्टोरेंट तक बन गए हैं.

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लेकिन पिछली और उस से पिछली सदी में स्थिति यह थी कि आदमी को जमीन में गड्ढा कर के पानी निकालना पड़ता था. दक्षिण अफ्रीका के विंबरले स्थित इस बड़े गहरे गड्ढे को देखिए. दावा है कि हाथों से खोदा गया यह दुनिया का सब से बड़ा गड्ढा है. हालांकि इस बात पर विवाद है.

वैसे कहा यह भी जाता है कि इस गड्ढे को 1871 से 1914 के बीच 50 हजार मजदूरों ने कुदाल और फावड़े से खोद कर यहां से 2720 किलोग्राम (1,36,00,000 कैरट) हीरे निकले थे. यह गड्ढा 42 एकड़ में फैला है. इस की चौड़ाई 463 मीटर और गहराई 240 मीटर है. हां, पानी और मलबा गिरने से अब इस की गहराई केवल 215 मीटर रह गई है.

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