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देहमुक्ति : भाग 1

सुबह टीवी औन कर न्यूज चैनल लगाया तो रिपोर्टर को यह कहते सुन कर कि अपने शोषण के लिए औरतें स्वयं दोषी हैं, मन गुस्से से भर गया. फिर खिन्न मन से टीवी बंद कर दिया. सोचने लगी कि हर समय दोषी औरत की क्यों? आजकल जो भी घटित हो रहा है वह क्या कुछ नया है? न तो बाबा नए हैं न ही आश्रम रातोंरात बन गए. फिर अशांत मन से उठ कर चाय बनाने रसोईघर में घुस गई. पर मन था कि गति पकड़ बैठा और न जाने कब की भूलीबिसरी यादें ताजा हो गईं, फिर सारा दिन मन उन यादों के इर्दगिर्द घूमता रहा. बहुत कोशिश की इन यादों से बाहर आने की पर मन न जाने किस धातु का बना है? लाख साधो, सधता ही नहीं.

कभी लगता है कि नहीं हमारा मन हमारे कहने में है. लेकिन फिर छिटक कर दूर जा बैठता है. जीवन के घेरे में न जाने कितनी बार मन को परे धकेल देते हैं. पर आज तो जैसे इस मन का ही साम्राज्य था.

आज न जाने क्यों मौसी बहुत याद आ रही थीं. हम बच्चे इतना कुछ समझते नहीं थे. कमला मौसी आतीं तो बहुत खुश हो जाते. वे मां की बड़ी बहन थीं. लेकिन मां और मौसी बातें करतीं तो हमें वहां से हटा देती थीं. कहती थीं, ‘‘जाओ बच्चो अपना खेल खेलो.’’

उन की आधीअधूरी बातें कानों में जाती, तो भी पल्ले नहीं पड़ती थीं. बस जो भी समझ में आता था वह यह था कि मौसी बालविधवा है. शायद उस समय हमें विधवा का अर्थ भी ठीक से नहीं पता था. थोड़ा बड़ा होने पर जब मां से पूछा कि मौसी बालविधवा क्यों हैं, तो मां ने बस इतना ही कहा कि मौसाजी, मौसी को बहुत छोटी उम्र में छोड़ कर, परलोक सिंधार गए थे और फिर कभी कुछ पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि वक्त के साथसाथ हम भी बड़े होते चले गए.

मौसी की शादी एक अच्छे घराने में हुई थी. काफी धनदौलत थी. पर मौसाजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था. वे अपने मांबाप के अकेले बेटे और मौसी से उम्र में काफी बड़े थे. उन के स्वास्थ्य की सलामती के लिए घर में पूजापाठ चलते रहते. वृंदावन से एक गुरुजी का भी आनाजाना था. वे कुछ दिन वहीं रुकते और सब सदस्य उन के आदेशों का पालन करते. गुरुजी को भगवान जैसा पूजा जाता था. उन के आदेश को सब पत्थर की लकीर मानते थे.

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मौसी से जो भी कार्य मौसाजी के स्वास्थ्य के लिए करने को कहा जाता, मौसी पूरे यत्न से करतीं. मुझे याद है एक बार गुरुजी ने कड़ाके की सर्दी में उन्हें रात में मिट्टी की 1001 गौरी की पिंडलियां बनाने के लिए कहा तो इतनी छोटी उम्र में भी मौसी ने नानुकुर किए बिना बना दीं. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. उन के रत्न भी मौसाजी को नहीं बचा पाए.

किसी ने कहा कि बहुत छोटी है, दूसरा विवाह करा दो, तो किसी ने सती होने की सलाह दी. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. गुरुजी ने कहा कि इसे भगवान की सेवा में लगा दो. सब को वही सही लगा.

एक यक्ष प्रश्न यह भी था कि संतान न होने की वजह से इतनी बड़ी जायदाद को कौन संभालेगा? परिवार वालों ने रिश्तेदारी में से ही एक लड़का गोद ले लिया और अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ससुराल वाले मौसी की तरफ से उदासीन हो गए. घर को वारिस की जरूरत थी. यह जरूरत पूरी होते ही मौसी की हैसियत नौकरानी से कुछ ही ज्यादा रही. फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा. वे सिर्फ शांतिपूर्वक रहना चाहती थीं.

दिन बीतते चले गए और लोगों का व्यवहार मौसी से बदलता चला गया. एक दिन वृंदावन से गुरुजी ने संदेश भिजवाया कि बहू को गुरुसेवा के लिए वृंदावन भेज दो, पुण्य मिलेगा.

घर के सभी सदस्यों ने बिना सोचविचार किए उन्हें वृंदावन भेज दिया. हमेशा की तरह मौसी ने भी बिना कुछ कहे बड़ों की आज्ञा का पालन किया. वैसे भी एक हकीकत यह भी है कि आज भी बहुत सी विधवाओं को वृंदावन में भीख मांगते देखा जा सकता है. पर मौसी को एक आश्रम में आश्रय मिल गया. अब मौसी कुछ दिन वृंदावन और कुछ दिन अपने घर रहतीं.

रुपएपैसों की कोई कमी नहीं थी. इसलिए गुरुजी के कहने पर वृंदावन में एक बड़ा सा आश्रम बनवा दिया गया. धीरेधीरे मौसी का वृंदावन से आना बंद हो गया और वे उसी आश्रम में एक कमरा बनवा कर रहने लगीं. कहीं न कहीं लोगों का बदलता व्यवहार और नजरिया इस का एक बड़ा कारण रहा.

कभीकभी मम्मी की और मौसी की फोन पर बात हो जाती. पर बात करने के बाद मां बहुत दुखी रहती थीं. एक दिन में पस्थितियां कुछ ऐसी बन गई कि मां ने गुस्से में वृंदावन जाने का निश्चय कर लिया और फिर घर से चल दीं. पर भाई ने उन्हें अकेले नहीं जाने दिया और वह भी उन के साथ कुछ दिनों के लिए वृंदावन चला गया. मां को मौसी से मिल कर बहुत खुशी हुई. पर मौसी ने उन्हें यहां 2 दिन से ज्यादा रुकने नहीं दिया.

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मौसी ने कहा, ‘‘इस तरह से नाराजगी में घर छोड़ कर तूने सही नहीं किया, सुधा. मेरी बात कड़वी लगेगी पर स्त्री को हमेशा एक संरक्षण की जरूरत पड़ती है. शादी से पहले पिता और भाई, शादी के बाद पति और बुढ़ापे में बेटा. समाज में इस से इतर स्त्री को सम्मानपूर्वक जीने का हक नहीं मिलता. आगे से यह गलती दोबारा मत दोहराना. अकेली औरत का दर्द मुझ से ज्यादा कौन समझ सकता है?’’

वापसी में मां ने भाई से कहा, ‘‘बेटा, मौसी के चरणस्पर्श करो.’’

मगर भाई ने पैर छूने से इनकार कर दिया. मां को बहुत बुरा लगा. मौसी ने यह कह कर कि बच्चा है भाई के सिर पर हाथ रखा. लेकिन भाई ने उन का हाथ झटक दिया. शायद मौसी भाई की आंखों में अपने लिए नफरत साफ देख पा रही थीं. इसलिए उन्होंने मां को गुस्सा करने नहीं दिया. शांत रहने का आदेश दे कर बिदा करा.

घर आ कर मां और भाई में बहुत कहासुनी हुई. मां मौसी के खिलाफ कुछ सुनना नहीं चाहती थीं, पर भाई था कि एक ही बात की रट लगाए हुए था, ‘‘वह मौसी नहीं वेश्या है, वेश्या?’’ यह सुनते ही मां ने तड़ाक से एक थप्पड़ जड़ दिया.

मर्यादा की हद से आगे: भाग 2

एक रोज कल्लू के बड़े भाई दयाशंकर ने फोन पर उसे बताया कि मां की तबीयत खराब है. एक महीने से उस का बुखार नहीं उतर रहा है. मां की बीमारी की जानकारी मिलने पर कल्लू चिंतित हो उठा. उस ने अपने दोस्त पवन से विचारविमर्श किया और फिर मां का इलाज कानपुर के हैलट अस्पताल में कराने का निश्चय किया.

इस के बाद वह फैजाबाद गया और मां को कानपुर ले आया. मां की देखभाल के लिए वह बहन मानसी को भी साथ ले आया था. कल्लू ने मां को हैलट अस्पताल में दिखाया. डाक्टर ने लक्ष्मी को देख कर अस्पताल में भरती तो नहीं किया, लेकिन कुछ जांच और दवाइयां लिख दीं. इस तरह घर रह कर ही लक्ष्मी का इलाज शुरू हो गया.

कल्लू के पल्लेदार दोस्त पवन को जब पता चला कि कल्लू अपनी मां को इलाज के लिए कानपुर ले आया है तो वह उस की बीमार मां से मिलने उस के घर पहुंचा. कल्लू ने अपनी मां और बहन मानसी से उस का परिचय कराया. पवन ने खूबसूरत मानसी को देखा तो पहली ही नजर में वह उस के दिल की धड़कन बन गई. पवन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि काले कलूटे भाई की बहन इतनी खूबसूरत होगी.

पवन पाल अब कल्लू की बीमार मां को देखने के बहाने उस के घर आने लगा. जब भी वह आता, फल वगैरह ले कर आता. इस दरम्यान उस की नजरें मानसी पर ही टिकी रहतीं. जब कभी दोनों की नजरें आपस में टकरातीं तो मानसी की पलकें शरम से झुक जातीं.

पवन जब मानसी की मां लक्ष्मी से बतियाता तो वह मानसी के रूपसौंदर्य की खूब तारीफ करता. मानसी अपनी तारीफ सुन कर मन ही मन खुश होती. इस तरह आतेजाते पवन मानसी पर डोरे डालने लगा.

पवन पाल शरीर से हृष्टपुष्ट व सजीला युवक था. कमाता भी अच्छा था. रहता भी खूब ठाटबाट से था. मानसी को भी पवन का घर आना अच्छा लगने लगा था. वह भी उसे मन ही मन चाहने लगी थी. कभीकभी पवन बहाने से उस के अंगों को भी छूने की कोशिश करने लगा था. इस छुअन से मानसी सिहर उठती थी.

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आखिर पवन और मानसी का प्यार परवान चढ़ने लगा. कभीकभी पवन पाल उस से शारीरिक छेड़छाड़ के साथ हंसीमजाक भी करने लगा था. मानसी दिखावे के लिए छेड़छाड़ का विरोध करती थी, लेकिन अंदर ही अंदर उसे सुख की अनुभूति होती थी. प्यार की बयार दोनों तरफ से बह रही थी, लेकिन प्यार का इजहार करने की हिम्मत दोनों में से एक की भी नहीं थी.

आखिर जब पवन से नहीं रहा गया तो उस ने एक रोज एकांत पा कर मानसी का हाथ थाम कर कहा, ‘‘मंजू, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना मुझे सब कुछ सूनासूना लगता है. तुम्हारी चाहत ने मेरा दिन का चैन और रातों की नींद छीन ली है.’’

मानसी अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, ‘‘पवन, पहली ही मुलाकात में तुम मेरी पसंद बन गए थे. लेकिन मैं अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकी. अब जब तुम ने प्यार का इजहार कर ही दिया तो मैं मन ही मन खुशी से झूम उठी. मुझे भी तुम्हारा प्यार स्वीकार है. मैं तुम्हारा साथ दूंगी.’’

मानसी की बात सुन कर पवन खुशी से झूम उठा. वह उसे बांहों में भर कर बोला, ‘‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’’

25 साल की उम्र पार कर चुकी मानसी जवान थी. आर्थिक स्थिति खराब होने से घर वाले उस के हाथ पीले नहीं कर सके थे. इस उम्र में वह पुरुष साथी की जरूरत महसूस कर रही थी. पवन का साथ उसे अच्छा लगा और उस ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. दोनों के मन मिले तो उन के तन मिलने में भी ज्यादा देर नहीं लगी.

दोस्ती के नाते मानसी पवन की बहन थी, लेकिन उन दोनों ने भाईबहन के पवित्र रिश्ते को तारतार कर दिया था. अब वह इस रिश्ते को बारबार रौंद रहे थे. इसी बीच एक रोज कल्लू ने पवन और मानसी को लिपटतेचिपटते देख लिया. यह देख उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत मानसी और पवन से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों ने ही कल्लू को बरगला दिया.

कहते हैं शक का बीज बड़ी जल्दी फूलताफलता है. कल्लू के दिमाग में भी शक का बीज पड़ गया था. वह दोनों पर नजर रखने लगा. पर निगरानी के बावजूद मानसी और पवन का मिलन हो ही जाता था.

कल्लू ने अपनी बहन मानसी को डांटडपट और धमका कर दोनों के संबंध के बारे में पूछताछ की. लेकिन मानसी ने पवन को क्लीनचिट दे दी. इस से कल्लू को लगने लगा कि वह व्यर्थ में ही दोनों के संबंधों पर शक कर रहा है.

कल्लू पवन पर शक न करे और उसे घर आने के लिए मना न करे, इस के लिए पवन ने कल्लू की आर्थिक मदद करना शुरू कर दिया. यही नहीं पवन कल्लू के घर शराब की बोतल भी लाने लगा. इस का परिणाम यह हुआ कि कल्लू के घर पवन का बेरोकटोक आनाजाना होने लगा.

मानसी के पास मोबाइल नहीं था. उस ने पवन से डिमांड की तो उस ने मानसी को मोबाइल ला कर दे दिया. अब पवन को कल्लू के घर की जानकारी भी मिलने लगी और दोनों आपस में प्यार भरी रसीली बातें भी करने लगे.

पवन और मानसी के संबंधों को ले कर कल्लू के पड़ोसियों में भी कानाफूसी होने लगी थी. पड़ोसियों ने कल्लू के कान भरे और पवन के घर आने पर प्रतिबंध लगाने को कहा. इस पर कल्लू ने पवन को सख्त लहजे में मानसी से दूर रहने की चेतावनी दे दी. लेकिन पवन ने पड़ोसियों पर दोस्ती तोड़ने का आरोप लगाया और नाटक कर कल्लू को मना लिया. पवन अब तभी घर आता, जब कल्लू घर में मौजूद रहता.

लेकिन अप्रैल 2019 के पहले हफ्ते में एक रोज कल्लू ने पवन को अपनी बहन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल, उस रोज शाम को पवन बोतल ले कर आया और दोनों ने बैठ कर शराब पी.

कल्लू ने उस शाम कुछ ज्यादा पी ली, जिस से वह बिना खाना खाए ही चारपाई पर लुढ़क गया और खर्राटे भरने लगा. मानसी और पवन ने कल्लू की हालत देखी तो आंखों ही आंखों में इशारा कर रंगरेलियां मनाने का मन बना लिया.

मानसी और पवन रंगरेलियां मना ही रहे थे कि कल्लू की नींद खुल गई. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो उस का खून खौल उठा. उस ने मानसी की पीठ पर एक लात जमाई तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठी. पवन भी उठ बैठा.

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सामने कल्लू खड़ा था. मारे गुस्से से उस की आंखें लाल हो रही थीं. वह चीख कर बोला, ‘‘बेशर्म लड़की, शरम नहीं हाती रात के अंधेरे में गुल खिलाते हुए. मुझे शक तो पहले से ही था, पर तुम दोनों मेरी आंखों में धूल झोंकते रहे.’’

कल्लू का गुस्सा देख कर पवन तो भाग गया, पर मानसी कहां जाती. कल्लू ने उस की जम कर पिटाई की. मानसी चीखतीचिल्लाती रही और कल्लू उसे पीटता रहा. मानसी की बेहयाई और अवैध रिश्तों की बात जब लक्ष्मी को पता चली तो उस ने माथा पीट लिया. लक्ष्मी ने भी मानसी को खूब फटकार लगाई और समझाया भी.

इस घटना के बाद कल्लू और पवन की दोस्ती टूट गई. दोनों ने साथ खानापीना भी बंद कर दिया था. जब भी कल्लू का सामना पवन से हो जाता तो उस का खून खौल उठता. वह सोचता, जिस दोस्त पर वह भाई से भी ज्यादा भरोसा करता था, उसी ने उस की इज्जत पर डाका डाल दिया. ऐसे दोस्त से तो दुश्मन अच्छा होता है. वह जितना सोचता, उतनी ही दोस्त के प्रति नफरत पैदा होती.

दोस्त मर्यादा की हद से गुजर गया था. कल्लू ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. अपनी योजना के तहत कल्लू अपनी मां लक्ष्मी और बहन मानसी को अपने घर फैजाबाद छोड़ आया.

कानपुर लौट कर वह अपने काम पर लग गया. उस ने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया कि उस के दोस्त पवन पाल ने उस की पीठ में विश्वासघात का छुरा घोंपा है.

उन्हीं दिनों एक शाम कल्लू पनकी पड़ाव शराब ठेके पर बैठा था. उसी टेबल पर पवन भी आ कर बैठ गया. दोनों की आंख मिली तो कल्लू ने नफरत से मुंह घुमा लिया. इस पर पवन बोला, ‘‘कल्लू भाई, मैं आप का अपराधी हूं. आप मुझे जो सजा देना चाहें, दे सकते हैं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू साजिश के तहत दोस्ती करना चाहता था. अत: वह बोला, ‘‘पवन, मैं तुम्हारे अक्षम्य अपराध को माफ तो कर रहा हूं पर तुम्हारे प्रति मेरे मन में जो सम्मान था उसे भूल नहीं पाऊंगा.’’

इस के बाद दोनों गले मिले और साथ बैठ कर शराब पी. फिर तो यह सिलसिला बन गया. जब भी दोनों मिलते साथ बैठ कर खातेपीते.

पवन पाल को लगा कि कल्लू ने उसे माफ कर दिया है, पर यह उस की बड़ी भूल थी. उस ने सोचीसमझी रणनीति के तहत पवन से समझौता किया था. दोस्ती करने के बाद कल्लू अपनी योजना को सफल बनाने में जुट गया और समय का इंतजार करने लगा.

28 जून, 2019 की शाम रमाशंकर उर्फ कल्लू पनकी गल्ला गोदाम से घर वापस आ रहा था. उस के हाथ में लोहे का हुक (बोरा उठाने वाला) था. जब वह पनकी नहर पुल पर पहुंचा तभी उसे पवन पाल मिल गया. पुल पर बैठ कर दोनों कुछ देर बतियाते रहे. फिर उन का शराब पीने का प्रोग्राम बना. कल्लू बोला, ‘‘पवन, उस रोज तुम ने मुझे पिलाई थी, आज मेरी बारी है. तुम यहीं रुको, मैं शराब की बोतल, गिलास और कोल्डड्रिंक ले कर आता हूं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू जब खानेपीने का सामान ले कर लौटा तब तक रात के 9 बज चुके थे. कल्लू पवन को साथ ले कर इंडस्ट्रियल एरिया के नगर निगम पार्क पहुंचा, जहां सन्नाटा पसर चुका था. कल्लू और पवन एक बेंच पर बैठ कर शराब पीने लगे. कल्लू ने अपनी योजना के तहत पवन को कुछ ज्यादा शराब पिला दी.

पवन पर जब नशा हावी हुआ तो उस के पैर लड़खड़ाने लगे. उसी समय कल्लू ने पीछे से पवन पर हमला कर दिया. वह हाथ में पकड़े लोहे के हुक से पवन के सिर पर वार पर वार करने लगा. नुकीली हुक सिर में घुसी तो सिर फट गया और खून बहने लगा. पवन वहीं लड़खड़ा कर गिर गया. कुछ ही देर बाद उस की मौत हो गई. दोस्त की हत्या करने के बाद कल्लू फरार हो गया.

इधर सुबह को मार्निंग वाक पर लोग पार्क में पहुंचे तो उन्होंने एक युवक की लाश पड़ी देखी और पनकी पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस जांच में दोस्त द्वारा दोस्त की हत्या करने की सनसनीखेज कहानी सामने आई.

11 जुलाई, 2019 को थाना पनकी पुलिस ने अभियुक्त रमाशंकर उर्फ कल्लू को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

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मर्यादा की हद से आगे: भाग 1

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मानसी परिवर्तित नाम है.

सौजन्य: मनोहर कहानी

चांद से चेहरे पर पिंपल

उस शाम मौल में अंकिता को देखकर तो मैं उसे पहचान ही नहीं पायी. अभी तीन साल पहले की बात है, जयपुर में एक फैशन शो के दौरान अंकिता को रैम्प पर देखा था. कितनी सुन्दर और ग्लैमरस दिख रही थी वेस्टर्न ड्रेस में. चांद सा चमकदार और चिकना चेहरा स्टेज पर क्या कांति बिखेर रहा था. और आज ऐसी निस्तेजता फैली थी उसके चेहरे पर. गाल और माथे पर काले-काले निशान, मवादभरे मोटे-मोटे पिंपल्स से सारा चेहरा खराब हो गया था. उसको देखकर किसी का भी मन घिन्न से भर उठे. वह खुद माथे पर दुपट्टा डाले खरीदारी कर रही थी. दुपट्टे ने उसका ज्यादातर चेहरा छिपा रखा था. बातचीत में पता चला कि एकाध पिंपल्स निकले तो उसने उन्हें फोड़ दिया, फिर किसी से पूछे बगैर ही बाजार से कोई क्रीम खरीद कर लगा ली, फिर क्या था पूरा चेहरा ही पिंपल्स से भर गया. कई डॉक्टर्स को दिखाया पर ये पिंपल्स ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. आजकल वह किसी होमियोपैथिक डॉक्टर से ट्रीटमेंट ले रही है.

जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही जो चीज युवाओं को सबसे ज्यादा परेशान करती है वह है चांद से जवां चेहरे पर उग आने वाले गंदे पिंपल्स. युवावस्था में पिंपल्स से हर कोई परेशान होता है. किसी किसी को कम तो किसी को बहुत ज्यादा परेशान करते हैं ये पिंपल्स. मौसम में बदलाव और स्किन केयर प्रोडक्ट्स को बिना जांचे-परखे यूज करने का नतीजा है पिंपल्स. स्किन टाइप कोई भी हो, जवानी की ओर कदम बढ़ाते किशोरों को पिंपल्स की समस्या तो झेलनी ही पड़ती है. पिंपल्स लगभग सभी को होते हैं. कुछ लोगों के चेहरे धीरे-धीरे साफ हो जाते हैं, मगर अधिकतर लोगों के चेहरों पर यह पिंपल्स दाग छोड़ जाते हैं. लड़के और लड़कियों दोनों के चेहरों पर निकलने वाले पिंपल्स के बारे में यह जानना जरूरी है कि वह किस टाइप के हैं क्योंकि हर किसी को अलग-अलग तरह के पिंपल्स होते हैं, जिनका ट्रीटमेंट भी अलग-अलग होता है. पिंपल्स को फोड़ने या बिना डौक्टर की सलाह के कोई भी क्रीम यूज कर लेने से यह चेहरे को बदरंग कर देते हैं. आइये जानें कि पिंपल्स कितने प्रकार के होते हैं –

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ब्लैकहेड्स

ये ज्यादातर नाक पर या उसके आसपास माथे या ठुड्डी पर होते हैं. यह काले रंग के और थोड़ा सख्त होते हैं. इन्हें ओपन कमडोंस भी कहा जाता है. इसमें पिंपल का मुंह खुला होता है और इसमें बाकी पिंपल्स की तरह सूजन नहीं होती. आमतौर पर फेशियल करवाने के दौरान ब्यूटी एक्सपर्ट इन्हें निकाल देती हैं, लेकिन कभी-कभी यह काफी सख्त होते हैं और आसानी से नहीं निकलते. ज्यादा दबा कर निकालने की कोशिश करने पर यह सूज जाते हैं और चेहरे को ज्यादा खराब करते हैं. इसलिए पहले इसे एंटीसेप्टिक क्रीम से ठीक करें. इससे ब्लैकहेड्स के आसपास की त्वचा थोड़ी मुलायम हो जाएगी और सूजन इत्यादि भी खत्म हो जाएगी. फिर फेशियल के दौरान मुंह पर गर्म पानी की भांप देने के बाद आप इन्हें आसानी हटा सकते हैं. अगर परेशानी ज्यादा हो तो स्किन के डौक्टर से सलाह जरूर लें.

वाइटहेड्स

पिंपल्स के ऊपरी ओर मौजूद हल्के सफेद रंग की लेयर, इसे क्लोज्ड कमडोन्स कहा जाता है. कभी-कभार ये एक्ने पर भी हो जाते हैं. ये छूने में सख्त होते हैं, इन्हें भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाकर ठीक किया जा सकता है.

पैपुल्स

चेहरे के वो लाल छोटे-छोटे दाने जिसमें खुजली ज्यादा होती है पैपुल्स कहलाते हैं. ये चेहरे के पोर्स बंद होने की वजह से होते हैं. इन्हें बार-बार हाथ लगाने से इनमें खुजली और चुभन ज्यादा बढ़ती है. इन्हें डॉक्टर की सलाह से क्रीम लगाकर ठीक किया जाता है.

नोड्यूल्स

चेहरे के वो लाल रंग के मोटे दाने, जिनकी शुरुआत में खुला पौइन्ट कहीं नहीं दिखता, नोड्यूल्स कहलाते हैं. ये जितने बाहर होते हैं उतना ही स्किन के अंदर भी होते हैं. ज्यादातर नोड्यूल्स में पस नहीं होता, लेकिन यह बहुत सख्त होते हैं. इन्हें दवाईयों से ही ठीक किया जा सकता है, इसलिए डर्मेटोलौजिस्ट की बतायी हुई मेडिसिन से ही इसका इलाज करें.

पस्टुल

इसे आप फुंसी भी बोल सकते हैं, जो बाहर से हल्के पीले रंग की होती है. इसे खुद ही सावधानी से फोड़कर इसमें से पस निकालकर ठीक किया जा सकता है, लेकिन कई बार इसमें से निकलने वाले बैक्टीरिया आसपास की स्किन पर फैल कर वहां भी फुंसियां पैदा कर देते हैं. इसलिए इसके उपचार के लिए स्किन स्पेशलिस्ट की सलाह अवश्य लें.

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सिस्ट

एक्ने के एक और खतरनाक रूप को सिस्ट कहते हैं, जो स्किन के बाहर नहीं, बल्कि अंदर की ओर होता है. बाहर से स्किन सिर्फ हकी सूजी हुई नजर आती है. ये पिंपल अंदर की ओर बढ़ता है और इसमें पस भी भर जाता है, जिस वजह से बहुत ज्यादा दर्द होता है. स्किन स्पेशलिस्ट सिस्ट की गहराई देखकर उसे फोड़ते हैं या फिर दवाइयों से इसके पस को सुखा कर इसका इलाज करते हैं.

पिंपल्स से छुटकारा दिलाएं यह घरेलू उपाय

कपूर

चेहरे के पिंपल्स हटाने के लिए कपूर विशेष रूप से उपयोगी है. थोड़ा सा कपूर नारियल तेल में मिला कर उसका पेस्ट बना लेें व उसे पिंपल्स पर लगाएं. इससे एक सप्ताह में ही आपको असर दिखायी देगा.

एलोवेरा

एलोवेरा चेहरे के लिए कई तरह से उपयोगी है. एलोवेरा के इस्तेमाल से पिंपल्स भी मिटा सकते हैं और स्किन भी मुलायम और दागरहित बना सकते हैं. एलोवेरा में थोड़ी हल्दी, नींबू का रस व थोड़ा बेकिंग सोडा मिला कर पेस्ट बनाएं व इसे चेहरे पर पिंपल्स व इनके कारण उत्पन्न दाग पर लगाएं इससे जहां आपके पिंपल्स जड़ से खत्म होंगे वहीं चेहरा भी मुलायम और साफ हो जाएगा.

मुल्तानी मिट्टी

मुल्तानी मिट्टी शरीर के लिए कई तरह से उपयोगी है. आप मुल्तानी मिट्टी में थोड़ा सा गुलाब जल  मिला कर गाढा पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर लगाएं. सूखने के बाद चेहरे को पानी से धो लें. इसके नियमित प्रयोग से चेहरा पिंपल्स से मुक्त हो जाएगा.

करेला

करेला आपने स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है व सैकड़ों बिमारी को जड़ से समाप्त करने मे सक्षम होता है अगर आपके चेहरे  बार-बार मुहांसे हो रहे हैं तो आप प्रतिदिन एक करेला पानी मेें उबालें व उस पानी को पी लें. इससे आपको बार-बार पिंपल्स से छुटकारा मिलेगा.

कच्चा पपीता

पका हुआ पपीता आपके पिंपल्स को बढ़ा सकता है, लेकिन कच्चा पपीता पिंपल्स की दवा है. कच्चे पपीते को काट कर उसे अपने पिंपल्स पर हल्के हाथों से रगड़ें. इससे निकले द्रव से पिंपल्स खत्म होते हैं.

गुलाब का प्रयोग

चेहरे की सुन्दरता के लिए गुलाब बहुत उपयोगी होता है. पिंपल्स होने पर गुलाब की कुछ पंखुड़ियों को नींबू के रस में  मिलाकर पेस्ट बनाएं. इस पेस्ट को चेहरे पर तीस मिनट लगाने के बाद ठंडे पानी से धो लें. इससे आपके पिंपल्स जल्दी ठीक हो जाएंगे.

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा चेहरे की सुन्दरता के लिए कई तरह से उपयोग किया जाता है. चेहरे पर अधिक कील मुहांसे होने पर आप थोड़ा सा बेकिंग सोडा लेकर उसमें पानी डाल कर पेस्ट बनाएं. चाहें तो कुछ बूंदे हाइड्रोजन परौक्साइड की भी मिला लें. इस पेस्ट का प्रयोग पिंपल्स पर करने से वह समाप्त हो जाते हैं.

मलाई

दूध उबालने के बाद ठंडा होने पर उस पर जमने वाली मलाई को उतार लें. इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिला कर चेहरे पर अच्छी तरह रगड़ें. इसके बाद इसे एक घंटा लगा छोड़ दें और बाद में ठंडे पानी से धो लें. इससे कील-मुहांसे दूर होकर चेहरा साफ और मुलायम बनता है.

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शहद

शहद कई तरह की बीमारियों में काम आता है. खांसी होने पर भी शहद का प्रयोग किया जाता है. पिंपल्स होने पर शहर की कुछ बूंदों में नींबू का रस मिला कर चेहरे पर लगाएं. इसके लगातार उपयोग से पिंपल्स जड़ से खत्म हो जाते हैं और चेहरा भी दमकने लगता है.

आहार पर ध्यान दें

अगर आपके चेहरे पर पिंपल्स हैं तो आपको खानपान पर ध्यान देना जरूरी है. आप तली हुई व गर्मी वाले आहार से दूर रहें  व सलाद व फलों का अधिक से अधिक सेवन करं.े इसके आपके पिंपल्स धीरे-धीरे समाप्त होने लगेंगे व दोबारा कभी नही होगें.

कौस्मेटिक्स का उपयोग ना करें

अगर आपके चेहरे पर अधिक पिंपल्स हैं तो आप कॉस्मेटिक्स का उपयोग बिल्कुल ना करें. कॉस्मेटिक्स में प्रयुक्त रसायनों से पिंपल्स की संख्या बढ़ती है. बेहतर होगा कि आप चेहरे पर गुलाब जल का ही इस्तेमाल करें.

फलों, सब्जियों और अनाज से होने वाली एलर्जी के ये हैं लक्षण

एलर्जी का कारण सिर्फ धुल -मिटटी, खुसबू, धुआं या मौसम से होने वाली एलेर्जी  ही नहीं होती बल्कि हमारे रोजमर्रा में खाये जाने वाले फल ,सब्जी,या अनाज भी इस की वजह  हो सकती  है. लेकिन एलर्जी का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. एलर्जी का  कारण हर व्यक्ति  में अलग अलग हो सकते है. हमारा शरीर कई बार कुछ पदार्थों को लेकर काफी संवेदनशील हो जाता है. इन पदार्थों का सेवन करते ही उसका असर भी शरीर पर दिखने लगता है. कभी कभी कोई पदार्थ खाने के थोड़े समय बाद ही शरीर में खुजली होना, लाल  चखते होना या रेशेज  होना ऐसे कई कारण हो सकते है. दुनियाभर में लगभग 6% बच्चे व 4% फूड एलर्जी से पीड़ित हैं.

क्या है एलर्जी

जब हमारा शरीर किसी चीज को लेकर ओवर-रिएक्ट करता है तो उसे एलर्जी कहते हैं.  इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम कुछ खास चीजों को स्वीकार नहीं कर पाता और नतीजा  रिएक्शन के रूप में दिखता है.  ज्यादातर एलर्जी खतरनाक नहीं होतीं, लेकिन कभी-कभार समस्या गंभीर भी हो सकती है.

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पहचाने एलर्जी के लक्षण

बेचैनी होना .

आंखों में जलन होना .

दस्त या कब्ज, पेट दर्द और वजन बढ़ना या कम होना.

चक्कर आना, जोड़ों या हड्डियों में दर्द और एनीमिया.

महिलाओं में मासिक धर्म का अनियमित होना.

त्वचा पर निशान बनना या खुजली होना .

कारण

सब्जी, फलों से एलर्जी

सब्जी व फल उगाने के दौरान जो कीटनाशक दवाइयां प्रयोग मे लायी  जाती हैं तो कुछ लोगों को उन कीटनाशक दवाइयों से एलर्जी होती  है.  जिस कारण ऐसे फल, सब्जी खाने से उनको एलर्जी  का  सामना  करना पड़ता है. अगर आपके साथ ऐसा हो तो आप और्गेनिक सब्जी और फल खा सकते हैं. इस तरह के फल-सब्जी सिंथेटिक कीटनाशकों से मुक्त होती हैं. अगर इनके प्रयोग से एलर्जी ठीक हो जाती है तो आप उन चीजों का सेवन कतई न करें जो आपको नुकसान दे .लेकिन अगर आपको और्गेनिक फल सब्जी खाने से भी फायदा न हो तो तो आपको किसी विशेष फल या सब्जी से एलर्जी हो सकता है. उदाहरण के लिए जिन्हें लेटेक्स से एलर्जी होती है वो केला, ऐवोकेडो, किवी जैसे फलों का सेवन न करें .कुछ लोगों को  सब्जी और फल किसी खास रूप में एलर्जी नहीं देते. जैसे कि सेब का मुरब्बा ,एप्पल पाई  खाने से कुछ नहीं होता लेकिन ताजा सेब खाने से एलर्जी हो जाती है. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि हाई हीट पर पकाने से एलर्जी पैदा करने वाले प्रोटीन खत्म हो जाते हैं.

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अनाज से एलर्जी

यह एलर्जी 150 लोगों में एक को होती है, इस बीमारी का कारण है शरीर का ग्लूटेन नामक प्रोटीन को अवशोषित न कर पाना. ऐसे में जब भी व्यक्ति ग्लूटेन युक्त किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करता है, तो वह बीमार हो जाता है. इस बीमारी को सीलिएक कहते है यह छोटी आंत की बीमारी है. यह बीमारी गेहूं, राइ और जौ  जैसे ग्लूटेन वाले पर्दार्थो से होती है .यह किसी भी व्यक्ति को बचपन ,किशोरावस्था से लेकर वयस्क होने तक किसी भी उम्र में हो सकती है . जरूरी है कि रोटी, अनाज युक्त नाश्ता, पास्ता और पिज्जा  जैसे  किसी पदार्थ का सेवन न करें क्योंकि इसमे ग्लूटेन होता है . गेहूं के आटे की जगह मक्का या चावल का आटा प्रयोग मे लें. एलर्जी से बचने का उपाय सिर्फ मरीज के ही हाथों में होता है.

अजब गजब: कपड़ों से चार्ज करें फोन

एक शोध के मुताबिक मोबाइल फोन और टेबलेट पहने हुए कपड़ों से ही चार्ज किए जा सकेंगे. जी हां, ये हम नहीं कह रहे बल्कि नौटिंग्घम ट्रसेंट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि एक छोटा सा सोलर पैनल शर्ट आदि की जेब में लगाया जा सकेगा. जब आप अपने मोबाइल को जेब में रखेंगे तो वह चार्ज होने लगेगा. इस छोटे से अजूबे चार्जर को नाम दिया गया है चार्जिंग डौक.

शोधकर्ताओं ने इस चार्जर की विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा कि आकार में 3 मिमी लंबे और 1.5 मिमी चौड़े इस यंत्र को एक फोन को चार्ज करने में 2000 पैनल की जरूरत पड़ेगी. साथ ही सोलर पैनल की इस तकनीक से कार्बन का उत्सर्जन भी कम किया जा सकता है. ये कपड़ों की जेब किसी पावर बैंक की तरह ही काम करेगा, जिसमें किसी भी तरह के सौकेट का प्रयोग नहीं होगा. इसकी खास बात ये है कि इस सोलर पैनल से चार्जिंग के दौरान इस खास पोशाक को पहनने वाले को किसी तरह का अहसास नहीं होगा.

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आप ये सोच रहे होंगे कि इस चिप के चलते कपड़ों को धोया नहीं जायेगा पर ऐसा नहीं है. खबर के मुताबिक इस खास चिप को रेजिन से कवर कर दिया गया है जिससे कपड़ों को धाने पर उस पर पानी का असर नहीं होगा.

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सेक्स स्कैंडल में नेता अधिकारी

मछलियां कर रहीं थी मगरमच्छों का शिकार 

यह देह व्यापार और ब्लैकमेलिंग का वैसा और कोई छोटा मोटा मामला नहीं है जिसमें लोगों को पता चल जाये कि पकड़े गए लोगों के नाम, बल्दियत और मुकाम क्या हैं बल्कि हैरतअंगेज बात इस हाइ प्रोफाइल मामले की यह है कि इसमें उन औरतों के नाम और पहचान उजागर हो जाना है, जो अपने हुस्न के जाल में मध्यप्रदेश के कई नेताओं और आईएएस अफसरों को फंसाकर करोड़ों रुपए कमा चुकी हैं .

खूबसूरत, स्टायालिश, सेक्सी और जवान औरत किसी भी मर्द की कमजोरी होती है लेकिन जब वे मर्द अहम ओहदों पर बैठे हो तो बात चिंता की हो जाती है. क्योंकि इनकी न केवल समाज में इज्जत और रसूख होता है बल्कि ये वे लोग हैं जो सरकार की नीतियां रीतियां बनाते हैं . करोड़ों का लेनदेन इनके कहने पर होता है. सूट बूट में चमकते दमकते दिखते रहने वाले इन खास लोगों में बस एक बात आम लोगों जैसी होती है. वह है जवान औरत का चिकना शरीर देखते ही उस पर बिना सोचे समझे फिसल जाना.

फिसल तो गए लेकिन अब इनका गला सूख रहा है, नींद उड़ी हुई है और हलक के नीचे निवाला भी नहीं उतर रहा. वजह यह डर है कि खुदा न खासता अगर नाम और रंगरेलियां मनाते वीडियो उजागर और वायरल हो गए तो कहीं मुंह दिखाने काबिल नहीं रह जाएंगे. जांच एजेंसियां यह भी पूछेंगी कि इन बालाओं पर लुटाने ढेर सी रकम आई कहां से थी और ब्लैकमेलिंग से बचने इन्हें कैसे कैसे उपकृत किया गया. यानी ब्लैकमेलिंग की रकम का बड़ा हिस्सा एक तरह से सरकार दे रही थी .

यह है मामला : इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर नाम हरभजनसिंह ने 17 सितंबर को पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी कि 2 औरतें उसे ब्लैकमेल कर रही हैं. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. भोपाल की आरती दयाल की हरभजन से दोस्ती थी. आरती एक एनजीओ चलाती है और कई अफसर और नेताओं से उसके नजदीकी संबंध हैं और इतने गहरे हैं कि एक आइएएस अफसर ने तो उसे मीनाल रेसीडेंसी जैसे पाश इलाके में एक महंगा फ्लैट दिला रखा था. यह आईएएस अफसर भोपाल और इंदोर का कलेक्टर भी रह चुका है.

आरती इस अफसर को ब्लैकमेल कर रही थी जिससे पीछा छुड़ाने इस अफसर ने उसे होशंगाबाद रोड पर एक प्लाट भी दिलाया था. आरती ने इसके बाद भी उसका पीछा छोड़ा या नहीं यह तो भगवान कहीं हो तो वही जानें लेकिन आरती ने दूसरा शिकार हरभजन सिंह को बनाया. उसने हरभजन की दोस्ती नरसिंहगढ़ की 18 साला छात्रा मोनिका यादव से करा दी. कम उम्र में ही दुनियादारी में माहिर हो गई मोनिका ने हरभजन को अपना दीवाना बना लिया जिसके चलते हरभजन उसका भजन करने लगा और आरती पूजा करने एक दिन उसे एक होटल के कमरे में ले गया.

मोनिका और उसकी गुरुमाता आरती ने प्यार के इस पूजा पाठ को कैमरे में कैद कर लिया ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आए. उधर मोनिका के गुंदाज बदन और नई नई जवानी का रस चूस रहे हरभजन को पता ही नहीं चला कि सेक्स करते वक्त वह कैसा लगता है और कैसी कैसी हरकतें करता है. यह सब मोनिका और आरती ने उसे चलचित्र के जरिये दिखाकर अपनी दक्षिणा जिसे ब्लैकमेलिंग कहते हैं मांगी तो वह सकपका उठा.

कोई 8 महीने बेचारा साबित हो गया हरभजन ईमानदारी से पैसे देता रहा लेकिन हद तब हो गई जब इन दोनों ने और 3 करोड़ रु की मांग कर डाली. बस इस भारी भरकम मांग से उसकी सब्र टूट गई तो उसने इंदौर के पलासिया थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस को मामला इतना दिलचस्प लगा कि उसने बिना हेलमेट वालों के चालान बगैरह बनाने जैसा अपना पसंदीदा काम एक तरफ रखते तुरंत ही कार्रवाई शुरू कर दी .

ऐसे मौकों पर पुलिस जाने क्यों समझदार हो जाती है उसने प्लान बनाया और मोनिका व आरती को रकम की पहली किश्त 50 लाख रु लेने इंदौर बुलाया. ये दोनों इंदौर पहुंची तो विजय नगर इलाके में इन्हें यू आर अंडर अरेस्ट बाला फिल्मी डायलौग मारते गिरफ्तार कर लिया .

दो दो श्वेताएं : जिसे पुलिस कहानी का खत्म होना मान रही थी वह दरअसल में कहानियों की शुरुआत थी. पूछताछ में आरती ने बताया कि ब्लैकमेलिंग के इस खेल में और भी महिलाएं शामिल हैं इनमें दो के नाम एक से श्वेता जैन हैं. पहली श्वेता 39 साल की है और भोपाल के मीनाल रेसीडेंसी में रहती है उसके पति का नाम विजय जैन है और दूसरी श्वेता जैन के पति का नाम स्वप्निल जैन है. 48 साल की यह श्वेता भोपाल की सबसे महंगी टाउनशिप रिवेरा में रहती है. तलाक़शुदा आरती ने बड़ी शराफत और पूरी ईमानदारी से बताया कि वह छतरपुर की रहने बाली है और वहां भी दस लोगों को ब्लैकमेल कर चुकी है यानी यह उसका फुल टाइम जौब है.

भोपाल पुलिस ने भी सड़क चलते वाहन चालकों को बख्शते इन श्वेताओं को गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों भी बड़ी शानोशौकत वाली निकलीं. सागर की रहने वाली श्वेता जैन के यहां से पुलिस ने 14 लाख 17 हजार रुपए बरामद किए. यह श्वेता एक इलेक्ट्रिक कंपनी की भी मालकिन निकली. इसके पास से 2 महंगी कारें मर्सिडीज और औडी भी मिलीं. साल 2013 में इसने सागर विधानसभा से चुनाव लड़ने भाजपा से टिकट भी मांगा था लेकिन भाजपा के ही एक बड़े नेता ने उसका टिकट कटवा दिया था. इसके बाद भी उसके भाजपा नेताओं से अच्छे और गहरे संबंध थे.  दूसरी श्वेता (स्वप्निल बाली) के पास से भी एक औडी कार मिली. पता यह भी चला कि वह मूलतः जयपुर की रहने वाली है और उसका पति पेशे से थेरेपिस्ट है और अक्सर पब पार्टियों में देखा जाता है .

इन दोनों को भाजपा विधायक ब्रजेन्द्र सिंह ने मकान किराए पर दिया है इसके पहले ये एक दूसरे भाजपा विधायक दिलीप सिंह परिहार के मकान में किराए से रहते थे इस मकान में इन दिनों भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा भारती रह रही हैं. पूरी छानबीन का सार यह रहा कि दोनों खूबसूरत श्वेताओं के पास बेशुमार दौलत और जायदाद है और इनके पास ऐशो आराम के तमाम सुख साधन भी मौजूद हैं .

दो दो मास्टर माइंड : इतना होने के बाद और भी महिलाओं के नाम सामने आए इनमे से असली मास्टर माइंड कौन है यह तय होना अभी बाकी है. कुछ लोग सागर बाली श्वेता को ही मास्टर माइंड मान रहे हैं तो कुछ की नजर में असली सरगना बरखा भटनागर है. बरखा अपने पहले पति को तलाक दे चुकी है और उसने दूसरी शादी अमित सोनी से की है. अमित सोनी कभी कांग्रेस के आईटी सेल से जुड़ा था और साल में 2015 में बरखा भी कांग्रेस में आ गई थी.

ये दोनों भी एक एनजीओ चलाते हैं जो एग्रीकल्चर से जुड़े प्रोजेक्ट लेता है. साल 2014 में बरखा का नाम देह व्यापार के एक मामले में आया था तब से वह सक्रिय राजनीति से अलग हो गई थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात श्वेता जैन से हुई थी. बरखा वक्त वक्त पर कई कांग्रेसी दिग्गजों के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती है. सागर बाली श्वेता को एक बार सागर में एक कलेक्टर साहब के पत्नी ने रंगे हाथों पकड़ा था.

जलवा था इनका : बीएससी में पढ़ रही मोनिका यादव को आरती ने गिरोह में शामिल किया था. जो जवान थी और जल्द ही अफसरों और नेताओं को अपने हुस्न जाल में फसाने में माहिर हो गई थी. कई नेताओं के यहां भी उसका आना जाना था .

जब राज खुलना शुरू हुये तो पता यह भी चला कि इन पांचों की तूती प्रशासनिक गलियारों में भी बोलती थी इनके कहने पर तबादले होते थे, नियुक्तियां भी होतीं थीं और ठेके भी मिलते थे. ये तीन पूर्व मंत्रियों सहित सात आइएएस अफसरों को ब्लैकमेल कर रहीं थीं और पूरी दिलेरी से कर रहीं थीं. हाल तो यह भी था कि इनके पकड़े जाने के बाद कई अफसर पुलिस हेड क्वार्टर फोन कर पुलिस अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे कि उनका नाम सामने न आए .

इनके मोबाइलों में कईयों की ब्लू फिल्में हैं .

इन पर नकाब क्यों : लेकिन पुलिस उनके नाम उजागर नहीं कर रही है आमतौर पर जैसा कि ऊपर बताया गया है ऐसे मामलों में पुलिस महिलाओं के नाम छुपाती है और पुरुषों के उजागर कर देती है पर यह मामला है जिसमें महिलाओं के नाम और फोटो उजागर किए गए और महापुरुषों के नहीं .

पुलिस क्यों इन सफेदपोशों के चेहरों पर नकाब ढके हुये है: यह बात भी साफ उजागर है कि कथित आरोपी महिलाओं को उसने गुनहगार मानते उनकी जन्म कुंडलियां मीडिया के जरिये बांच दीं लेकिन अय्याश और रंगीन मिजाज नेताओं और अफसरों को वह बचा रही है. जबकि जनता को पूरा हक है कि वह इन के बारे में जाने. ऐसा होगा, ऐसा लग नहीं रहा क्योंकि सरकार नहीं चाहती कि इन सफेदपोशों की बदनामी हो.

महज हरभजन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर सारी कार्रवाई होना पुलिस की नियत और मंशा को शक के कटघरे में खड़ी कर रही है. जिन जिन रसूखदारों के साथ इनके आपत्तिजनक फोटो व वीडियो मिले हैं उनके नाम उजागर हों तो समझ आए कि वाकई ये ब्लैकमेलर हैं .            

फिल्म समीक्षाः प्रस्थानम

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः मान्यता दत्त

लेखक व निर्देशकः देवा कट्टा

संगीतकारः अंकित तिवारी, फरहाद सामजी

कलाकारः संजय दत्त,जैकी श्राफ, मनिषा कोईराला,चंकी पांडे, अली फजल, सत्यजीत दुबे, अमायरा दस्तूर, इशिता राज शर्मा

अवधिः दो घंटे 41 मिनट

बौलीवुड में राजनीति पर केंद्रित कई फिल्में बन चुकी हैं. उसी ढर्रे पर हिंदी फिल्म ‘‘प्रस्थानम’’ है, जो कि 2010 की तेलगू भाषा में इसी नाम से बनी फिल्म का हिंदी रीमेक है. फिल्मकार ने प्रचारित किया था कि उनके पात्र ‘महाभारम’ से प्रेरित हैं. मगर इसी तरह के किरदारों से सजी कई फिल्में बन चुकी हैं. कहानी मानव स्वभाव का ही चित्रण करती है.

कहानीः

फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश में बल्लीपुर के एमएलए बलदेव प्रताप सिंह (संजय दत्त) और उनके परिवार के इर्द गिर्द घूमती है. बलदेव सिंह को अपने सौतेले बेटे आयुष (अली फजल) का पूरा समर्थन हासिल है. लोग आयुष को ही बलदेव का राजनीतिक वारिस मानते हैं. यूं भी आयुष काफी परिपक्व व राजनीतिक चालें चलने में माहिर हैं. मगर आयुष के सौतेले भाई विवान (सत्यजीत दुबे) बेहद बिगड़ैल व हिंसक स्वभाव के हैं. वह बिना सोचे समझे कोई भी कदम उठा लेते हैं. विवान सत्ता व ताकत को छीनने में यकीन रखता है. इन तीनों पुरुषों की जिंदगी बलदेव सिंह की पत्नी सरोज (मनीषा कोइराला) से बंधी हुई है. मगर आयुष और विवान दोनो भाई एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. आयुष के साथ बलदेव प्रताप के विष्वस्त साथी बादशाह (जैकी श्राफ) हैं. जबकि विवान के साथ व्यवसायी खत्री (चंकी पांडे) हैं, जो कि बलदेव प्रताप से दुष्मनी रखते है. एक सीन में खत्री कहता है- ‘‘फल न मिले तो पेड़ को काट दो, पेड़ न मिले, तो जड़ ही काट दो. ’’मगर दो भाईयों की राजनीतिक विरासत को संभालने की प्रतिस्पर्धा के चलते भाई ही भाई के खून के प्यासे हो जाते है. उसके बाद पिता बलदेव जो कदम उठाते है, वह तो राजनीतिक पार्टी व घर को तहस नहस करने के लिए काफी हैं.

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लेखन व निर्देशनः

लेखक व निर्देशक देवा कट्टा ने 2010 में इसे तेलगू भाषा में तीन घंटे की फिल्म बनायी थी. पर हिंदी में यह दो घंटे 21 मिनट की है. जहां तक पटकथा का सवाल है तो कुछ भी नयापन नही है. फिल्म ‘‘प्रस्थानम’ देखते समय दर्षक को ‘सरकार’ या ताजातरीन फिल्म ‘कलंक’ की याद आ जाती है. इंटरवल से पहले तो लेखक व निर्देशक हर किरदार को ही स्थापित करते रह जाते हैं. इंटरवल के बाद कहानी आगे बढ़ती है, तो एक्शन व खून खराबा ही ज्यादा है.

मगर फिल्म के कुछ संवाद काफी बेहतर बन पड़े हैं. मसलन- ‘‘‘राजनीति शेर की सवारी है, जिस पर से उतरने के बाद मौत है.’’

फिल्मकार का सारा ध्यान संजय दत्त, अली फजल व सत्यजीत दुबे के किरदारों की ही तरफ रहा, जिसके चलते कई किरदार ठीक से विकसित नहीं हुए, तो कुछ किरदार बेवजह ही जोड़े गए हैं, जिनका कहानी से कोई संबंध ही नजर नहीं आता.

इसके अलावा फिल्म में महिला किरदारों को सही परिपेक्ष्य में पेश ही नही किया गया. फिल्म में गाने गलत जगहों पर ठूंसे गए हैं, जो कि कहानी को तहस नहस करने का ही काम करते हैं. पार्श्व संगीत जरुरत से ज्यादा लाउड है.

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अभिनयः    

बलदेव के किरदार में संजय दत्त के अभिनय की तारीफ करनी ही पड़ेगी. संजय दत्त ने एक राजनेता व अपने बेटों की आपसी लड़ाई के चलते परेशान पिता के किरदार को बहुत संयत ढंग से निभाया है. अली फजल ने आयुष के किरदार को अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान की है. विवान के छोटे किरदार में सत्यजीत दुबे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहते हैं. विलेन के किरदार में चंकी पांडे जमते जा रहे हैं. जैकी श्राफ की परफौर्मेंस पर उंगली नही उठ सकती. अमायरा दस्तूर को अपने अभिनय में निखार लाने के लिए काफी मशक्कत करने की जरुरत है.

स्वामी चिन्मयानंद: काम न आया दांवपेंच

अटल सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद ने अपने उपर बलात्कार का आरोप लगने के बाद खुद को बचाने और आरोप लगाने वाली लड़की को फंसाने का हर दांव पेंच आजमाया. सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आने के बाद उनका कोई दांव पेंच काम नहीं आया. उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने चिन्मयानंद को बचाने का हर काम किया पर सुप्रीम कोर्ट के दबाव के आगे उन्हें झुकना पडा. उत्तर प्रदेश पुलिस ने बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की और अन्य लोगों के खिलाफ 5 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का मुकदमा लिखा था. दिल्ली मे लड़की ने जब बलात्कार का मुकदमा लिखाया और प्रमाण के रूप में 48 वीडियों सौंपे तब सरकार ने एसआईटी जांच के लिये पहल की. एसआईटी की जांच में बिलम्ब होता देखकर पीड़ित लड़की ने खुद के आत्मदाह की बात कही तो उत्तर प्रदेश सरकार, चिन्मयानंद और पुलिस की बदनामी पूरे देश में होने लगी. ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार के लिये स्वामी चिन्मयानंद को बचाना संभव नहीं हुआ.

20 सितम्बर को एसआईटी ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि चिन्मयानंद को उनके आश्रम से गिरफ्तार किया गया. एसआईटी टीम ने जांच कर चिन्मयानंद को गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल कराया. इसके साथ चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के आरोप में भी 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि चिन्मयानंद की गिरफ्तारी में कोई देरी नहीं हुई है. वीडियो के परीक्षण के बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है.

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एसआईटी से खुश नहीं थी पीड़ित:

शाहजहांपुर की रहने वाली लड़की उत्तर प्रदेश की पुलिस एसआईटी और सरकार से खुश नहीं थी. उसने एसआईटी की जांच के तरीके पर सवाल उठाये और खुद के आत्मदाह की बात भी कही थी. पीड़ित लड़की का कहना था कि मुकदमा लिखे जाने से लेकर बाद तक पुलिस चिन्मयानंद के दबाव में काम कर रही थी. जिस वजह से उसे दिल्ली में एफआईआर करानी पड़ी. कोर्ट के संज्ञान में मामला होने के बाद भी पुलिस की जांच ठीक दिशा में नहीं चल रही थी. ऐसे में लड़की की शिकायत बहुत गंभीर मसला बन गया. चिन्मयानंद का भाजपा नेता होने से सरकार पर सवाल खड़े होने लगे. ऐसे में चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के बाद सरकार पर दवाब काफी हद तक खत्म होता नजर आ रहा है.

पीड़ित लड़की ने जब चिन्मयानंद पर बलात्कार का मुकदमा लिखाया तो पुलिस ने उसका मुकदमा नहीं लिखा पर लड़की और उसके कुछ साथियों पर रंगदारी का मुकदमा लिख लिया. इसके बाद लड़की गायब हुई. उसने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी. मामला चर्चा में आया और लड़की की एफआईआर दिल्ली में लिख कर शाहजहापुर ट्रांसफर की गई. लड़की ने अपने प्रमाण में 48 वीडियों दिखाये तो बलात्कार के प्रमाण थे.

सोशल मीडिया पर रखी बात:

एलएलएम यानि मास्टर औफ लौ की पढ़ाई करने वाली छात्रा ने 24 अगस्त 2019 को एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करके पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और बीजेपी के नेता स्वामी चिन्मयानंद पर शोषण का आरोप लगाया. इसके बाद लड़की गायब हो गई. 30 अगस्त को लड़की के पिता ने शाहजहांपुर कोतवाली में धारा 364 और धारा 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने चिन्मयानंद के खिलाफ धमकी और अपहरण की धाराओं में केस दर्ज कर लड़की तलाश शुरू कर दी. लडकी तलाश के लिये पोस्टर लगाये गये. जिसको लेकर लड़की की जानकारी उजागर करने आरोप पुलिस को झेलना पड़ा.

इस दौरान उच्च न्यायलय ने मामले का संज्ञान लेते हुये सनुवाई शुरू कर दी. जस्टिस आर भानुमति और एएस बोपन्ना ने कहा कि लड़की को अकेला नहीं छोड़ सकते .कानून लड़की और उसके अधिकारों की रक्षा करेगा. लड़की और उसके भाई को सरकारी सुरक्षा में मनचाही जगह पर पढ़ने का अधिकार है. इस बीच छात्रा की बरामदगी राजस्थान से की गई. वहां से उसे दिल्ली ले जाया गया. चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के बाद पीड़ित लड़की राहत की सांस ले रही होगी.

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‘ये हैं मोहब्बते’: ‘ईशी मां का रोल’ को लेकर दिव्यांका त्रिपाठी ने कही चौंकाने वाली बात

टीवी की मशहूर एक्ट्रेस अदाकारा दिव्यांका त्रिपाठी ने हाल ही में डिजिटल डेब्यू किया है. आपको बता दें, दिव्यांका एएलटी बालाजी की वेब सीरीज कोल्ड लस्सी और चिकन मसाला में नजर आई है और इस सीरीज में इनके अपोजिट राजीव खंडेलवाल दिखे है. इस सीरीज में दर्शक दिव्यांका और राजीव की  केमेस्ट्री को काफी पसंद कर रहे है.

‘ये है मोहब्बतें’ शो में दिव्यांका ‘ईशी मां’ के रोल में काफी मशहूर हुई. इस सीरियल को औनएयर हुए 6 साल हो चुके हैं. लम्बे समय से ये सीरियल कम रेटिंग्स के चलते टीआरपी लिस्ट में जगह नहीं बना पा रहा है. कुछ महीनों पहले सुनने में आया था कि ये शो बंद होने वाला है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिव्यांका से  इस सीरियल के बारे में पूछा गया कि क्या वह सालों से इस सीरियल को करते थक चुकी है?  तो उनका जवाब  सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. उन्होंने कहा ‘कभी-कभी ऐसा टाइम आया कि जब मुझे ऐसा महसूस हुआ. क्योंकि कई बार इस सीरियल की कहानी एक जैसी ही हो रही थी या फिर कहानी को बार-बार रिपीट किया जा रहा था. आप 6 साल तक क्या नया दिखाएंगे?

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दिव्यांका ने आगे कहा कि, ‘मुझमें ईशी मां बस चुकी है. कई लोगों का घर इस सीरियल से ही चल रहा है. जब भी मैं सेट पर जाती हूं, लाइटमैन, क्रू मेम्बर्स मुझसे हमेशा पूछते है कि क्या मैं इस शो को छोड़ रही हूं क्योंकि एक मुख्य किरदार के जाने के बाद से रेटिंग्स पर काफी असर पड़ जाता है और मैं उन लोगों की उम्मीदें नहीं तोड़ना चाहती हूं. वो लोग मुझे मोटिवेट करते है काम करने के लिए लेकिन हां मैं ईशी मां करके बोर हो चुकी हूं.

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‘बिग बौस 13’: इस शो में अब ‘रश्मि देसाई’ लेंगी सात फेरे

कलर्स टीवी का मशहूर रियलिटी शो ‘बिग बौस 13’ जल्द ही शुरू होने वाला है. जी हां और इस शो का फैन्स को भी बेसब्री से इंतजार है. इस शो का प्रीमियर 29 सितंबर को होने वाला है. पहले की तरह इस शो के होस्ट सुपरस्टार सलमान खान ही करने वाले हैं.  इस शो के पिछले सीजन की टीआरपी कुछ कास नहीं रही, इस वजह से ‘बिग बौस’ में इस बार एक बड़ा बदलाव किया है. ‘बिग बौस 13’ वें सीजन में सिर्फ सेलिब्रिटी ही हिस्सा लेंगे. शो में हिस्सा लेने वाले कई प्रतियोगियों के नाम सामने आए है.

इनमें से एक नाम ‘उतरन’ सीरियल की तपस्या… जी हां यानी रश्मि देसाई. टीवी की मशहूर एक्ट्रेस रश्मि देसाई भी ‘बिग बौस 13’ में हिस्सा लेने वाली हैं. खबरों के अनुसार इस शो में रश्मि देसाई हिस्सा लेंगी और तो और वो बिग बौस के घर में ही अरहान खान संग सात फेरे भी लेंगी. जी हां बिग बौस के घर में आप रश्मि देसाई की शादी भी देखेंगे.

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बता दें, रश्मि देसाई अरहन खान से शादी करेंगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक बिग बौस के घर में पहले रश्मि देसाई की एंट्री होगी और बाद में अरहान खान एंट्री लेंगे. उसके बाद शो में दोनों की शादी होगी. वैसे ये पहली बार नहीं है कि बिग बौस के घर में किसी की शादी होगी. इससे पहले भी सारा खान ने अली मर्चेंट से शादी रचाई थी, जी हां! हालांकि दोनों की शादी चली नहीं और दोनों अलग भी हो गए.

इसके बाद भोजपुरी एक्ट्रेस मोनालीसा ने भी इस शो में बौयफ्रेंड विक्रांत से शादी की, दोनों की शादी अच्छी चल रही है. और अब रश्मि देसाई इस शो में शादी करेंगी. रश्मि की पहली शादी 2012 में टीवी एक्टर नंदीश संधू से हुई थी. लेकिन 3 साल बाद दोनों ने तलाक ले लिया.

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