जरूरी फसलों के लिहाज से भी अक्तूबर माह की काफी अहमियत है. खरीफ फसलों की कटाई की शुरुआत इसी महीने से हो जाती है. इस के अलावा रबी की फसलें लगाने के लिए इसी माह खेतों की तैयारी का काम भी शुरू कर दिया जाता है.

अक्तूबर माह में किए जाने वाले खेती किसानी के खास कामों का ब्योरा:

* धान की तैयार हो चुकी मध्य व अगेती किस्मों की कटाई का काम इस माह निबटाएं. गहाई के बाद धान का भंडारण करें. भंडारण करते समय खयाल रखें कि दानों में नमी 10-14 फीसदी से ज्यादा न रहे, वरना उन के खराब होने का अंदेशा रहता?है.

* इसी माह धान की बासमती किस्मों में फूल आने का समय होता है, उस के लिए खेत में नमी बनाए रखें यानी जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहें.

* धान की फसल की जांचपड़ताल करते रहें. अगर उस में कीड़ों या रोगों का प्रकोप नजर आए तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर बचाव का बंदोबस्त करें.

* इस माह में गन्ने की बोआई की जाती?है. इस की बोआई का काम मध्य अक्तूबर तक जरूर निबटा लें.

* चाहें तो गन्ने के साथ सरसों भी बो सकते?हैं. इस से आप का फायदा बढ़ जाएगा.

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* इस बात का खयाल रखें कि अक्तूबर के तीसरेचौथे हफ्ते तक ठंड बढ़ने लगती है, तब गन्ने की बोआई करना ठीक नहीं होता क्योंकि जाड़े की वजह से पौधों का जमाव सही तरीके से नहीं होता है.

* गन्ने की उम्दा किस्मों की जानकारी के लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें. वैसे, गन्ने की जल्दी पकने वाली किस्में हैं को. शा. 95255, को. शा. 8436 व को. शा. 96268, वहीं दूसरी ओर गन्ने की मध्यम या देरी से पकने वाली किस्में?हैं को. शा. 92423 व को. पंत 84212 वगैरह.

* अगर सरसों व राई को बोने का इरादा हो तो यह काम भी अक्तूबर माह के पहले या दूसरे हफ्ते में निबटा लें. राई व सरसों की बोआई से पहले खेत की बाकायदा तैयारी करना न भूलें.

* गेहूं की बोआई की बुनियाद भी इसी माह में ही डाली जाती है. इस काम के लिए खेत की अच्छी तरह से तैयारी करें. खेत की तैयारी के समय इस बात का पूरा खयाल रखें कि खेत में पिछली फसल का कचरा व खरपतवार बचे न रहें.

* गेहूं की अगेती और मध्यम किस्मों की बोआई करने के लिए खेतों का पलेवा मध्य अक्तूबर के बाद करें, ताकि नवंबर के पहले से तीसरे हफ्ते के दौरान बोआई की जा सके.

* गेहूं की अगेती मध्यम और पछेती किस्मों की बोआई किस्मों के मुताबिक तय समय पर ही करें. इस बारे में जरूरत के मुताबिक कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें.

* जौ की बोआई का काम अक्तूबर व नवंबर माह में किया जा सकता है. मतलब, 1 अक्तूबर से ले कर 30 नवंबर के बीच कभी भी जौ बोई जा सकती है.

* जौ की बोआई के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. बोआई से पहले बीजों को फफूंदीनाशक से उपचारित जरूर करें.

* असिंचित क्षेत्रों में चना, मटर व मसूर की बोआई का काम 7 से 21 अक्तूबर के बीच निबटाएं. बोआई से पहले खेत को ठीक से तैयार करें और खरपतवारनाशी दवा का इस्तेमाल करें.

* चना व मटर की बड़े दाने वाली किस्मों की बोआई के लिए 75 से 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. छोटे दाने वाले चने की बोआई के लिए 60-70 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. मसूर की बोआई के लिए 40-50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें.

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* कई बार अक्तूबर माह में अरहर की फसल पर पत्ती लपेटक व फली बेधक कीटों का प्रकोप हो जाता है. इन कीड़ों की रोकथाम के लिए 35 ईसी वाली मोनोक्रोटोफास दवा को पानी में घोल कर फसल पर छिड़काव करें.

* दाने के तौर पर बोई गई उड़द, मूंग, मक्का, ज्वार व बाजरे की फसलें आमतौर पर अक्तूबर माह तक पक कर तैयार हो जाती हैं. इन पकी फसलों की तुरंत कटाई करें, जिस से कि रबी फसल की तैयारी हो सके.

* अकसर अक्तूबर माह के दौरान मूंगफली की फसल में टिक्का रोग का हमला हो जाता है. ऐसा होने पर फसल खराब हो जाती?है. लिहाजा, कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर दवा का इस्तेमाल करें.

* आलू की बोआई के लिए अक्तूबर माह का समय ज्यादा मुफीद होता है. इस के लिए खेत को अच्छी तरह से जोत कर उस में भरपूर मात्रा में कंपोस्ट या सड़ी गोबर की खाद मिलाएं. खाद डालने के 2-3 हफ्ते बाद अच्छी किस्म के आलू की बोआई करें.

* शलगम, गाजर व मूली वगैरह जड़ वाली सब्जियों की बोआई के लिए अक्तूबर का महीना मुफीद रहता है. खेत को अच्छी तरह तैयार कर के इन सब्जियों को बोएं.

* वैसे तो लहसुन, धनिया, पालक व मेथी वगैरह की बोआई सितंबर माह में ही कर दी जाती है, मगर ऐसा न होने पर इन्हें अक्तूबर माह में भी बो सकते हैं. इस से खास फर्क नहीं पड़ता?है.

* अक्तूबर माह में अदरक व हलदी की फसलें पनपने लगती हैं, लिहाजा उन में मिट्टी चढ़ाने का काम करें. मिट्टी चढ़ाने के दौरान खेत से खरपतवार निकाल दें.

* हलदी की फसल को पर्ण धब्बा रोग से बचाने के लिए डायथेन एम 45 दवा की 2 ग्राम मात्रा पानी में घोल कर छिड़काव करें. खेत में जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें.

* अगर फूलगोभी की रोपाई अभी तक नहीं हो पाई?है, तो यह काम फौरन निबटाएं. रोपाई से पहले सड़ी गोबर की खाद डाल कर बाकायदा खेत की तैयारी करें. रोपाई करने के फौरन बाद खेत की हलकी सिंचाई करें.

* अगस्तसितंबर माह के दौरान लगाई गई सब्जियों के खेतों की निराईगुड़ाई करें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. कीड़ों या रोगों का प्रकोप नजर आने पर माकूल दवाओं का इस्तेमाल करें.

* तमाम तरह की तैयार सब्जियों की तोड़ाई कर के उन्हें बाजार में भेजने का बंदोबस्त करें.

* आमतौर पर अक्तूबर माह तक अमरूद की बरसाती फसल खत्म हो जाती है, लिहाजा बचेखुचे अमरूदों को तोड़ कर बगीचे की सफाई करें.

बीमारी की वजह से खराब हुए पेड़ों की टहनियों को काट कर जला दें. जरूरत के मुताबिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें.

* अपने आम के बगीचे की जुताई करें और पेड़ों के थालों की अच्छी तरह सफाई करें. अकसर आम के पेड़ों में अक्तूबर माह के आसपास गुच्छा नाम की बीमारी लग जाती?है. ऐसा होने पर इस की रोकथाम के लिए नेफ्थलीन एसिटिक एसिड 200 पीपीएम वाले घोल का छिड़काव करें.

* अपने लीची के बगीचे की अच्छी तरह से सफाई करें. अक्तूबर माह में अकसर लीची के पेड़ों पर छाल खाने वाली इल्ली का हमला हो जाता?है. इस की रोकथाम के लिए शायोडान दवा के 0.2 फीसदी वाले घोल का छिड़काव करें.

* अगर आप को मवेशियों के लिए चारे की दरकार है, तो बरसीम की बोआई करें, ताकि आने वाले दिनों में हरे चारे की दिक्कत न हो.

* अक्तूबर माह में सर्दी के मौसम की शुरुआत हो जाती है, जो इनसानों के साथसाथ जानवरों के लिए भी घातक है. इसलिए अपने मवेशियों को सर्दी से बचाने का माकूल बंदोबस्त करें. खासकर बछियाबछड़े और पडि़यापड़वे को शुरुआती ठंड से बचाएं, क्योंकि वे इसे झेल नहीं पाते और नतीजा खतरनाक होता है.

* मवेशियों को?ठंड से बचाने के लिए आप अपने इलाके के कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिकों से सही सलाह ले सकते हैं.

* गायभैंस के छोटे बच्चों को खीस पिलाने में कंजूसी न करें, क्योंकि खीस उन्हें सर्दी सहित तमाम परेशानियों से बचाती है.

* इस दौरान हीट में आने वाली गायभैंसों को पशुचिकित्सक द्वारा कृत्रिम तरीके से गाभिन कराएं.

* गायभैंसों की अलग सी आवाज व अंग से होने वाले डिस्चार्ज से उन के हीट में आने का अंदाजा लगाया जा सकता है.

* डाक्टर से सलाह ले कर अपने पालतू पशुओं को जरूरी टीके लगवाएं व पेट के कीड़े मारने वाली दवा पिलाएं.

* मुरगी के शेड को भी सर्दी के लिहाज से महफूज बना दें. उस की सफाई कर के?ठंड से बचाव के इंतजाम करें.

* मुरगी के चूजे सर्दी नहीं झेल पाते. लिहाजा, उन के बचाव के पूरे इंतजाम करें.

* डाक्टर की सलाह के मुताबिक मुरगेमुरगियों को भी जरूरी टीके लगवाएं.

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