आशीष यूं तो बहुत अच्छा कर्मचारी है, मन लगा कर काम करता है, हरेक की मदद करने के लिए भी तैयार रहता है, मगर उससे दोस्ती करने या उसके साथ एक प्याली चाय तक पीने के लिए कोई तैयार नहीं होता है. लंच टाइम में वह अकेला ही अपनी डेस्क पर बैठ कर लंच करता है, और चाय के वक्त टीस्टौल पर भी अकेला ही नजर आता है. वजह है उसके सांसों की बदबू, जो उसके साथियों को उससे दूर रखती है. उसके पास चंद मिनट खड़ा होना भी दुश्वार है. औफिस की लिफ्ट में अगर वह गया है तो दूसरा आदमी लिफ्ट में घुसते ही बदबू के मारे नाक पर रूमाल रख कर बाहर हो जाता है.
कई बार हमें पता ही नहीं चलता कि हमारे मुंह से आने वाली दुर्गन्ध हमारे आसपास के वातावरण को कितना प्रदूषित कर देती है. वहीं दूसरों के मन में हमारी छवि भी बहुत खराब हो जाती है. दांतों की सड़न के कारण मुंह से आने वाली बदबू बीमारियों का कारण भी बनती है. आजकल ज्यादातर औफिस एयरकंडीशनर लगे होने के कारण बिल्कुल बंद बनाये जाते हैं, ताकि ठंडी हवा बाहर न निकले. सारी खिड़कियों पर बंद शीशे होते हैं. ताजी हवा का आवागमन ही बंद होता है. ऐसे में कर्मचारियों के मुंह से निकलने वाली गंदी और बदबूदार हवा उसी हवा में मिल जाती है, जो सब सांस में ले रहे हैं. एक नई स्टडी बताती है कि ऑफिस में ऐसी खराब हवा फैलाने के जिम्मेदार इंसान हैं. शोध में पाया गया है कि एक आम आदमी औफिस में अमूमन एक हफ्ते में 40 घंटे तक बिताता है. इन घंटों में ऑफिस के बंद कमरों या हॉल में खराब हवा यानी वायु प्रदूषण फैलने की एक बड़ी वजह इंसानों की सांसों की बदबू भी है. अब अमेरिकन असोसिएशन फौर एरोसोल रिसर्च कौन्फ्रेंस में विस्तार से इस समस्या से निपटने पर विचार हो रहा है. यह कॉन्फ्रेंस 14 से 18 अक्टूबर तक पोर्टलैंड में होगी.
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दिन-दिन बढ़ते वायु प्रदूषण का हमारे शरीर और सेहत पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है इसे लेकर दुनियाभर में गंभीरता दिखायी जा रही है और लोग इसे लेकर चिंतित भी हैं. प्रदूषित हवा की वजह से फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियां, दिल से जुड़ी बीमारियां और कैंसर तक होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. जब हम वायु प्रदूषण के बारे में सोचते हैं, तो पहला ख्याल यही आता है कि बाहर सड़कों की प्रदूषित हवा से बचें. घर से बाहर हवा में ऐसा जहर अमूमन गाड़ियों से निकलने वाले धुएं और गंदगी घोलते हैं. लेकिन इस शोध के बाद पता चलता है कि इन्सानों की सांसों की बदबू भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है.
हवा में किन प्रदूषक तत्वों का हो रहा उत्सर्जन
इस स्टडी के को-औथर ब्रैन्डन बूर कहते हैं कि अगर आप चाहते हैं कि आपके औफिस काम करने वाले कर्मचारियों की प्रौडक्टिविटी बेहतर हो और उन्हें काम करने के लिए बेहतर एयर क्वालिटी मिले तो यह बेहद जरूरी है कि आप इस बात को समझें कि आपके औफिस की हवा में क्या है और किस तरह के प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन हवा में हो रहा है. औफिस की आंतरिक एयर क्वालिटी को क्या चीज प्रभावित करती है और किस तरह इंसान इंडोर एयर पलूशन में भागीदार हैं.
ब्रैन्डन बूर कहते हैं कि औफिस के वेंटिलेशन सिस्टम के अलावा हमारी सांसों में मौजूद कम्पाउंड आइसोप्रीन, बौडी डियोड्रेंट, मेकअप, हेयर केयर प्रोडक्ट्स, बाल, नाखून जैसी चीजों से निकलने वाली स्मेल भी औफिस के अंदर और बाहर की एयर क्वालिटी को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है.
डेली ऐक्टिविटीज बनती हैं बदबू का कारण
ज्यादातर लोगों का ऐसा मानना है कि मुंह की साफ-सफाई सही ढंग से न करने या गलत फूड हैबिट्स की वजह से मुंह से बदबू आने लगती है. इनके अलावा दिनभर में हम कुछ ऐसी ऐक्टिविटीज भी करते हैं जो मुंह की बदबू का कारण बनती हैं लेकिन आमतौर पर लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता. अमेरिकन डेंटल असोसिएशन के मुताबिक, सही समय पर खाना न खाने से भी मुंह में ड्रायनेस होने लगती है जिससे मुंह से बदबू आ सकती है. इसके अलावा ठीक से ब्रश न करना, सही टूथपेस्ट का इस्तेमाल न करना, दांतों की सड़न, तम्बाकू युक्त चीजों का सेवन, धूम्रपान आदि से उत्पन्न बदबू भी आॅफिस की हवा को खराब करती है.
समस्या को हल्के में न लें
अगर नियमित रूप से और अच्छी तरह से ब्रश करने के बाद भी आपके मुंह से बदबू आती है तो तुरंत डौक्टर से सलाह मशविरा लें. विशेषज्ञों की मानें तो मुंह से लंबे समय तक बदबू आना टाइप 2 डायबीटीज, लंग्स, लिवर और किडनी संबंधित बीमारी होने का संकेत हो सकता है.