चर्चित अदाकारा भूमि पेडनेकर और फिल्म‘‘घोस्ट‘‘ के हीरो शिवम भार्गव में समानता यह है कि दोनों ने अपने करियर की शुरूआत ‘‘यशराज फिल्मस’’ में बतौर सहायक कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में की थी. ‘भूमि पेडणेकर’ को बतौर अभिनेत्री  यशराज फिल्मस की फिल्म ‘‘दम लगा के हाइसा’ मिल गयी. जबकि शिवम भार्गव को नए फिल्मकार की फिल्म ‘‘सिद्धार्थ’’  मिल गयी. फिल्म‘‘सिद्धार्थ ’’अब तक सिनेमाघरों में पहुंच नही पायी है. मगर इसी फिल्म को देखकर विक्रम भट्ट ने उन्हें अपनी फिल्म ‘‘घोस्ट’’ का हीरो बनाया. ये फिल्म 18 अक्टूबर को प्रदर्शित होने वाली है.

अभिनय को करियर बनाने की बात कब आपके दिमाग में आयी?

मैं लखनऊ के हजरतगंज इलाके का रहने वाला हूं. मेरे पिता लव भार्गव पोलीटीशियन हैं. वैसे मेरे पिता ने कुछ वर्ष पहले मुजफ्फर ली निर्देशित फिल्म ‘‘जौनसार’’ में अभिनय भी किया था. इसके अलावा हाल ही में मीरा नायर के निर्देशन में बीबीसी का एक शो भी किया है. तो मेरे खून में कहीं न कहीं अभिनय रहा है. सच कहूं तो मेरे पिता भी अभिनता ही बनना चाहते थे. पर उन्हें सही मौका नहीं मिला था. इसलिए उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मुझे भी बचपन से ही अभिनय करना था.पर उन्होंने कहा कि पहले पढ़ाई पूरी कर लो, तो मैंने मन लगाकर पढ़ाई की. मेरी उच्च शिक्षा पुणे में हुई. फिर मैंने इंग्लैंड जाकर मास्टर्स की डिग्री हासिल की. फिर 2010 के अंत में मैं मुंबई आया. तब से मुंबई में संघर्ष चल रहा है. मुंबई आने का मकसद फिल्मों में अभिनय करना ही था.

2010 से 2019 यानी कि नौ वर्ष हो गए. इन नौ वर्षो की आपकी यात्रा कैसी रही?

मुंबई पहुंचने के बाद एक डेढ़ साल तक मैंने ‘यशराज फिल्मस’ में बतौर कास्टिंग असिस्टेंट काम किया. ‘मेरे ब्रदर की दुल्हन’, ‘लेडीस वर्सेस रिक्की बहल’, ‘इश्कजादे’ सहित तीन चार फिल्मों में कलाकारों के चयन का काम किया. फिल्म की क्रेडिट में मेरा नाम था. उसके बाद मैंने खुद अपनी अभिनय प्रतिभा को निखारने के लिए एक्टिंग की ट्रेनिंग ली. वर्कशौप किया. नृत्य सीखा. फिर औडीशन देना शुरू किया. कई एड फिल्में की. मैंने मुकुंद मिश्रा के निर्देशन में एक फिल्म ‘‘सिद्धार्थ’’ की, इसमें मेरे साथ महेश भट्ट ने भी अभिनय किया है. उसके बाद मैंने कुछ वेब सीरीज की है. एक वेब सीरीज ‘‘द ट्रिप’’ बिंदास पर आयी. अब विक्रम भट्ट के निर्देशन में फिल्म ‘‘घोस्ट’’ की है, जो कि 18 अक्टूबर को रिलीज हो रही है.

ये भी पढ़ें- विवेक ओबेरौय : “मुंबई आर्ट फेयर कला को अभिजात्य नही तो अधिक प्रवेश के योग्य सुलभ बनाता है

फिल्म ‘‘सिद्धार्थ’’को लेकर क्या कहेंगे?

यह फिल्म सिद्धार्थ नामक एक लड़के की यात्रा है. उसके साथ इतना कुछ होता है कि वह अल्कोहलिक बन जाता है. फिर उसकी जिंदगी में कई खराब चीजें होती हैं. फिर कैसे वह अपनी जिंदगी को संभालता है. इसी यात्रा के दौरान उसकी जिंदगी में मनाली में लामा के रूप में महेश भट्ट जी आते हैं. फिर कैसे सिद्धार्थ की अपनी जिंदगी में सब कुछ सही होता है.

फिल्म ‘‘सिद्धार्थ’’ कब रिलीज होगी?

इसकी जानकारी मुझे नही है.लंबे समय से निर्माता से मेरी कोई बात नहीं हो पायी है.

‘‘यशराज फिल्मस’’ में तो भूमि पेडणेकर भी असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर थीं?

जी हां! मैंने और भूमि ने मिलकर फिल्म ‘‘इशकजादे’’ की कास्टिंग की थी. हम लोग साथ में इलाहाबाद, लखनऊ व बरेली सहित कई जगह गए थे.

‘‘यशराज फिल्मस’’ ने भूमि पेडनेकर को अभिनय का मौका दिया?

सर, ऐसा नहीं है कि उन्होंने फिल्में दी. फिल्म तभी मिलती है, जब आप फिल्म की कहानी व किरदार में फिट बैठते हों. एक्टिंग भी सही करनी है. मैंने भी ‘यशराज फिल्मस’ में औडीशन दिए. औडीशन में मुझे पसंद किया गया. मगर निर्देशक के वीजन में सही नहीं उतरा. हर किरदार को लेकर निर्देशक का भी अपना एक विजन होता है. अगर मैं निर्देशक के विजन में फिट नहीं बैठ रहा, तो काम नहीं मिलेगा. यह उम्मीद करना कि वह मुझे जानते हैं या मैने इस कंपनी में बतौर असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर काम किया है, इसलिए वह मुझे फिल्म देंगे, गलत है. मैं तो कम से कम एक्सपेक्ट नहीं कर सकता. पर जिन्हें मेरा काम पसंद आएगा, वह मुझे बुलाकर काम देंगे. मसलन,विक्रम भट्ट साहब ने फिल्म ‘सिद्धार्थ’ में मेरा काम देखा था, उन्हें मेरा काम अच्छा लगा. तो उन्होंने मुझे बुलाकर फिल्म ‘‘घोस्ट’’ दी.

फिल्म‘‘घोस्ट’’क्या है..इसमें आप  क्या कर रहे हैं?

यह फिल्म लंदन के एक सत्यघटनाक्रम पर है. इसमें मैंने लंदन में रह रहे एक पोलीटीशियन करण खन्ना का किरदार निभाया है. जिनकी पत्नी का खून हो जाता है. इस घर में सिर्फ करण खन्ना ही रहते हैं, इसलिए उन्हें दोषी ठहराया जाता है. जबकि उसे एक भूत/आत्मा ने मारा है. तब उसका मुकदमा एक वकील लड़ती है, फिर बहुत कुछ घटित होता है.

फिल्म में आपका करण खन्ना का किरदार किस तरह से आगे बढ़ता है?

इस फिल्म की कहानी बहुत अच्छी है, जिसमें बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न हैं. अमूमन जिस तरह के घटनाक्रम एक हौरर फिल्म में होते हैं. इसमें डराने वाले सारे एलीमेंट हैं. लेकिन हमारी कहानी में एक्चुअली में बहुत कुछ हो रहा है, जो आपको देख कर ही पता चलेगा.

ये भी पढ़ें- राजस्थान में टैक्स फ्री हुई “सांड की आंख”

आपने जो वेब सीरीज की हैं, उनका क्या रिस्पांस मिला?

बहुत अच्छा रिस्पौन्स मिला. ‘द ट्रिप’ की कहानी व किरदार दोनों लोगों को बहुत पसंद आए. एक अन्य सीरीज ‘‘बौम्बस’’ में जो मेरा किरदार था, मेरे मतलब का ही था. इसमें फुटबौल के इर्द गिर्द कहानी थी.

इसके अलावा क्या कर रहे हैं?

सच तो यही है कि दो तीन फिल्मों को लेकर सिर्फ बातचीत हो रही है. तय कुछ भी नही है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...