भारत और चीन के बीच ये दूसरी इन्फौर्मल समिट हो रही है. समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई पहुंचें फिर उनका ग्रांड वेलकम किया गया. तमिलनाडु के सबसे प्राचीन शहर महाबलीपुरम में पीएम मोदी ने जिनपिंग की खूब आवभगत की. इस दौरान एक चीज पर सबकी निगाहें टिक गई. वो था पीएम मोदी का परिधान. हालांकि पीएम मोदी को हर एक अवसर पर आपने हमने सूट कुर्ता पैजामा में देखा है लेकिन यहां पीएम मोदी ने तमिल परिधान पहने हुए थे. लोगों के बीच ये एक चर्चा का विषय बन चुका था. क्योंकि पीएम मोदी को ऐसे पहली बार देखा जा रहा था. शुक्रवार सुबह से ही ट्विटर पर #gobackmodi ट्रेंड कर रहा था. ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब भी पीएम मोदी साउथ का दौरा करते हैं तो वहां उनके खिलाफ विरोध के स्वर फूटते हैं. दक्षिण भारतीय मानते हैं कि राजनीति में उत्तर भारत का वर्चस्व है और वो अपने ही कायदे कानून हम पर थोपना चाहते हैं. हिंदी दिवस के दिन गृहमंत्री अमित शाह के भाषा पर दिए बयान के बाद काफी उबाल मचा था.

शाम करीब पांच बजे चीनी राष्ट्रपति का स्वागत करने जब पीएम मोदी कार से उतरे तो वह तमिल संस्कृति से सराबोर थे. उन्होंने तमिलनाडु की पारंपरिक ‘करायी वेष्टि’ (हरे रंग के किनारे वाली धोती), अंगवस्त्रम और आधे बाजू की सफेद कमीज पहनी थी. पीएम की इस पहल की प्रशंसा पट्टाली मक्कल कच्ची और अन्य ने भी की. यह सीधे तौर पर उन लोगों को जवाब था जो बीजेपी और पीएम मोदी पर आरोप लगाते रहते हैं कि वह उत्तर भारतीय भाषा और संस्कृति को तमिल प्राइड पर थोपते हैं.

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अनौपचारिक मुलाकात के कारण चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी पूरे बाजू की कमीज और काले रंग का पैंट पहना था. पट्टाली मक्कल कच्ची के संस्थापक एस रामदास ने कहा कि प्रधानमंत्री को तमिलों के पारंपरिक परिधान वेष्टि में देखना हर्ष का विषय है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘दुनिया को तमिल संस्कृति को जानने दो.’ कर्नाटक के संस्कृति और पर्यटन मंत्री सीटी रवि ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां की संस्कृति और परंपरा का सम्मान किया है. वह तमिल लोगों की वेशभूषा में टहलते हुए बहुत ही सहज दिख रहे थे.

आपको बता दें कि तमिलनाडु में मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की नजर अपने गठबंधन सहयोगी एआईएडीएमके के जरिए बीजेपी के लिए इस ‘अभेद्य किले’ में पैठ जमाने की होगी. तमिलनाडु बीजेपी की प्राथमिकता सूची में शामिल है क्योंकि हालिया चुनाव में दक्षिण के इस सूबे में मोदी मैजिक काम नहीं कर पाया. भाजपा दक्षिण में भी अपनी पैठ बनाना चाहती है ताकि अगर कहीं और नुकसान हो तो उसकी भरापाई की जा सके. पीएम मोदी ने तमिल संस्कृति के हिसाब से जो किया उससे वहां की जनता को एक मैसेज तो गया कि पीएम हमारी संस्कृति से वाकिफ है. जिस वक्त पीएम मोदी लुंगी पहने हुए घूम रहे थे तो कहीं से भी असहज नहीं लग रहे थे. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव पी. मुरलीधर राव के मुताबिक, शिखर वार्ता के लिए तमिलनाडु का चुनाव बीजेपी के लिए भी बेहद मुफीद है. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के बारे में धारणा है कि यह एक हिंदी पार्टी है. मोदी के तमिलनाडु दौरे में इजाफा से यह समझ बढ़ेगी कि सूबा हमारे लिए राजनीतिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है.’ ऐसे में पीएम मोदी के वेष्टि पहनने को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

दूसरी ओर, पारंपरिक नजरिए से देखें तो तमिलनाडु में वेष्टि या एक विशेष प्रकार की धोती पुरुषों के मुख्य परिधानों में से एक है. तमिलनाडु के लोगों का वेष्टि के साथ भावनात्मक संबंध है. ऐसे में ऐतिहासिक नगर महाबलीपुरम में हो रही मुलाकात के मौके पर प्रधानमंत्री ने स्थानीय कल्चर को ध्यान में रखते हुए ही इस परिधान को चुना है.

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पीएम मोदी ने जिनपिंग को तोहफे में तंजावुर की एक पेंटिंग और एक नचियारकोइल दीप दिया. पेंटिंग में देवी सरस्वती को वीणा बजाते हुए देखा जा सकता है. इस दीप को नचियारकोइल ब्रांच का अन्नम दीप कहा जाता है. इसे आठ मशहूर कलाकारों ने मिलकर तैयार किया है. छह फीट ऊंचे और 108 किलोग्राम वजन के इस दीप को पीतल से बनाया गया है, जिस पर सोने की परत चढ़ी है. इसे बनाने में कुल 12 दिन का समय लगा. सबसे पहले इसे पैथर समुदाय के लोगों ने बनाया था. ये लोग 1857 में पहले नागरकोइल से त्रावणकोर आए थे फिर वहां से नचियारकोइल आकर बस गए.

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