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क्योंकि सरकार मजबूत है जी

देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या 2 लाख से अधिक जा पहुंचा है और अब तो हजारों की संख्या में रोज नए मामले सामने आ रहे हैं. सरकार ने हाथ खङे कर दिए और जनता के पास ताली और थाली बजाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.

देश में जब कोरोना से लगभग 1 हजार लोग पीङित थे तो तालाबंदी थी, सब बंद था। अब 2 लाख से अधिक पीङित हो गए तो सब खोल दिया.

आखिर क्यों बंद किया और फिर क्यों खोल दिया? सरकार की योजना तब क्या थी और अब क्या है? यह पूछने की गलती शायद ही कोई करे. ऐसा कोई करेगा तो उस पर गद्दार का तमगा लग सकता है. राष्ट्रभक्ति का प्रमाण मांगा जा सकता है.

इसलिए, जनता जनार्दनो, अब तो वाकई में आप ताली ही बजाओ क्योंकि यही प्रभु इच्छा है और यही आप का नसीब भी.

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पूछोगे तो फंसोगे

देश में जब कोरोना का अलर्ट जारी हुआ था, तब सरकार ने आदेश दिया था कि एअरपोर्ट पर हर किसी को स्क्रीनिंग से गुजरना होगा.

पर यह विडंबना ही है कि लाखों लोग देश में आए मगर स्क्रीनिंग हुआ आधा से भी कम, परिणाम अब पूरा देश देख भुगत रहा है.

मगर चूंकि सरकार मजबूत है, पूर्ण बहुमत में है और कङा फैसला लेती है तो यह पूछने की भी जहमत कौन उठाए कि ऐसा क्यों किया? वैसा क्यों किया?

सरकार कुछ भी फैसला करे आप सिर्फ ताली ही बजाइए, शंख फूंकिए या फिर घंटी टनटनाइए.

देश में करोड़ों मजदूर बदहाली में हैं, लाखों भूखेप्यासे ही सो रहे हैं। जब सब बंद था तो मजदूरों की स्थिति पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां ही सेंकी गईं, सोशल मीडिया जैसे प्लैटफार्म पर संवेदनाएं जाहिर की गईं. मगर किया किसी सरकार ने कुछ भी नहीं. मगर यह भी कोई पूछने की गलती नहीं करिएगा, क्योंकि सरकार बहुमत में है और मजबूत है और जनता बेचारी तो पहले भी कमजोर थी और आज भी है.

रामभरोसे में सरकार

देश में केरल ऐसा पहला राज्य था जहां कोरोना का पहला मामला आया था. पर मजबूत सरकार को प्रभु पर भरोसा ज्यादा था और विज्ञान पर कम. शायद तभी मजबूत सरकार चैन की नींद सोई थी और कोरोना नामक जीव धीरेधीरे भयानाक रूप में लोगों को डराने लगा था.

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तब मजबूत सरकार ने जरूरी ऐहतियात नहीं बरती. विदेशों से आने वाले अमीर लोगों को आने दिया गया. मगर देश के गरीबों को खानापानी दे पाने में सरकार फिसड्डी साबित रही.

बेचारे 1000-1000 किलोमीटर पैदल चले, गिरेपङे, कभी किसी कार वाले ने सङकों पर रौंदा तो कभी रेलगाड़ियों ने कुचला.

देश की जनता का नसीब ही यही है, बावजूद मजबूत सरकार यही कहती रही कि सब ठीकठाक है.

सुनेगी भी क्यों क्योंकि…

देश में पिछले दिनों डाक्टरों के 3 संगठनों ने मिल कर बयान जारी किया कि लौकडाउन को ले कर, मैडिकल को ले कर, मजदूरों को ले कर सरकार की शुरूआती नीति संतोषजनक नहीं रही. सरकार ने किसी की नहीं सुनी. विदेशी विशेषज्ञों की बातों पर यकीन किया मगर देश के विशेषज्ञों को तवज्जो नहीं दी गई. परिणाम यह हुआ कि अब कोरोना बीमारी खतरनाक होने जा रही है, जो आगे क्या कहर बरपाएगी कहना मुश्किल है.

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मगर देश में मजबूत सरकार है. उसे अभी 5 साल शासन करने से कोई नहीं रोक सकता.

इसी अहं में देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रहा है और इसी अहं में देश में तबाही भी मची है.

मगर चूंकि सरकार मजबूत है और गरीब जनता कमजोर, तो फिर कुछ भी पूछने की गलती न करिएगा, गद्दार कहला सकते हैं.

अब तो सरकार की बात मानिए और प्रभु के श्रीचरणों में फूलमालाएं नियमित अर्पित करते रहिए. घर की बालकनी में ताली बजाइए, थाली बजाइए और कभीकभी शंख फूंकिए, क्योंकि अब तो प्रभुजी ही बेङापार लगाएंगे…

यूजर्स ने किया गंदा कमेंट तो भड़की ऐश्वर्या, पुलिस से की शिकायत

फिल्म और टीवी जगत के स्टार्स को आए दिन ट्रोलर्स का सामना करना पड़ता है. कुछ स्टार तो ऐसे हैं जो इन सभी बातों को अनदेखा कर देते हैं तो वहीं कुछ स्टार्स इग्नोर करने के बजाए उस पर एक्शन लेते हैं. इन्ही सभी के बीच सीरियल सास बिना ससुराल कहा कि एक्ट्रेस  ऐश्वर्या सखूजा का नाम भी खूब चर्चा में बना हुआ है.

ऐश्वर्या को ट्रोलर्स ने परेशान कर रखा है. वहीं इसी बीच ऐश्वर्या ने खुद को चुप रखने की बजाए इस पर एक्शन लेना सही समझा.

ऐश्वर्या ने यूजर्स के कमेंट पर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है. एश्वर्या ने गंदे कमेंट पर मुंबई पुलिस को टैग करते हुए पूछा है कि क्या किसी को किसी के निजी जीवन में दखल देने और ऐसे गंदे कमेंट करने का अधिकार है. मैं चाहतू हूम इस पर तुरंत करवाई हो.

 

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आगे ऐश्वर्या ने लिखा कि यह लिखना क्यों ठीक है मैं क्यों चुप रहूं. यह सब चुप रहकर सुनना सही है क्या? किसी को ऐसे मैसेज भेजने और कहने का कोई अधिकार नहीं है. मेरा मतलब है ना कोई दोस्त, ना कोई सेलिब्रिटी.

दरअसल चिराग रंका नाम के एक यूजर ने ऐशवर्या के फिगर पर गंदा कमेंट किया था. जिसके बाद ऐश्वर्या को यह कदम उठाना पड़ा.

 

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इस पोस्ट को ऐश्वर्या ने इंस्टाग्राम के साथ-साथ ट्विटर पर बी पोस्ट कर दिया है. जिसके बाद यूजर ने तुरंत ऐश्वर्या से मांफी मांगी और कहा कि मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं.

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वहीं सोशल मीडिया पर ऐश्वर्या सखूजा के कमेंट पर कई फैंस ने उन्हें सपोर्ट करते हुए कहा है कि इस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए.

ऐश्वर्या यू तो कई सीरियल्स में नजर आ चुकी हैं लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा पसंद सास बिना ससुराल कहा सीरियल में पसंद किया गया था.

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इन दिनों ऐशवर्या अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिता रही हैं. उन्हें भी बाकी सभी कलाकारों की तरह लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार है.

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इन दिनों टीवी क्वीन एकता कपूर लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. कभी अपने सीरियल्स को लेकर तो कभी अपने निजी जीवन में होने वाले घटनाओं को लेकर. कुछ दिन पहले सीरियल नागिन 4 को लेकर कई तरह की बातें हो रही थी तो वहीं इन दिनों एक बार फिर हिंन्दुस्तानी भाऊ और एकता कपूर के बीच विवाद की खबरें आ रही है.

दरअसल एडल्ट वेब सीरीज xxx-2 को लेकर बिग बॉस 13 में नजर आ चुके हिन्दुस्तानी भाऊ ने टीवी निर्भाता के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाया है. उनका कहना है कि इस वेब सीरीज में सेना के जवानों का अपमान किया गया है. इसलिए मैं इस सीरिज के खिलाफ हूं.

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हिन्दुस्तानी भाऊ ने एकता कपूर को लीगल नोटिस भेज दिया है. जिस वजह से उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेनेल्टी भारत सरकार को देनी पड़ेगी.

आगे हिन्दुस्तानी भाऊ ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि एकता कपूर को अपने वेब सीरिज से सभी एडल्ट सीन को हटाना होगा. और साथ ही उन्हें वादा करना होगी कि आगे भविष्य में वह कभी ऐसा वेब सीरीज नहीं बनाएंगी.

 

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Fav song of my fav boy! ) also #gendaphool ! How music has no language!!!

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आने वाले 14 दिनों तक अगर एकता कपूर ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया तो उनके ऊपर करवाई हो सकती है.

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इसके अलावा उनहोंने अल्ट बालाजी को भी नोटिस भेज रखा है. साथ ही हिन्दुस्तानी भाऊ ने ये भी कहा है कि अगर इस पर करवाई नहीं हुई तो हम इस पर आंदोलन करेंगे.

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अब देखना है कि एकता कपूर इस बारे में क्या जवाब देती हैं. उनका इस खबर पर क्या प्रतिक्रिया आता है. फिलहाल अभी तक एकता कपूर का कोई बयान नहीं आया है. वैसे सभी दर्शकों को एकता कपूर के जवाब का इंतजार है.

अगर बात करें एकता कपूर के सीरियल की तो वह इन दिनों वह अपने अपकमिंग सीरियल नागिन 5 के शूटिंग में व्यस्त है. इस सीरियल में कई नए-नए कलाकार नजर आने वाले है.

पुरुषों के लिए जरूरी है प्राइवेट पार्ट्स की सफाई

पुरुषों में अक्सर गुप्त अंगों को नज़रअंदाज कर दिया जाता हैं . लिंग और ग्रोइन वाले हिस्से में बहुत गंदगी, पसीना इकट्ठा होता हैं . इसके अलावा इंन्फेक्शन और खुजली भी हो जाती हैं . स्वच्छता जानकारी की कमी पुरुषों में होने वाले इंन्फेक्शन और बीमारियों का एक प्रमुख कारण है जैसे दाद, कैंडिडिआसिस, छाले, बैलेन्टिस, आदि . जबकि काफी समय से पुरुषों की निजी स्वच्छता के बारे में न तो ज्यादा चर्चा की गई और न ही लिखा गया, लेकिन अब माहौल बदल गया है . बाजार में पुरुषों के निजी स्वच्छता उत्पादों की उपलब्धता के साथ, वह अब अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर सकते हैं और इंन्फेक्शन को रोक सकते हैं . नियमित रूप से कुछ निजी और बुनियादी आदतों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है .

ग्रूमिंग : 

सफाई और अच्छी स्वच्छता रखने के लिए नियमित रूप से गुप्त अंग के बालों को ट्रिम या शेव करें . यह देख लें कि आप शेविंग से पहले और बाद में अपने गुप्तअंग को गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करें . ध्यान रहे कि आप हर बार नए रेजर का उपयोग करें . यदि इलेक्ट्रिक शेवर का उपयोग कर रहे हैं, तो आप उपयोग करने से पहले और बाद में रेजर के ऊपरी सिरे को साफ करें . अपनी ग्रोइन और गुप्त अंग के आस-पास की त्वचा को एक साफ, मुलायम कपड़े से पोंछ लें जिससे आपकी त्वचा में जलन न हो . कैमिकल-आधारित हेयर रिमूवल उत्पादों का उपयोग न करें क्योंकि वे आपकी कोमल और सेंसटिव त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं .

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अपने प्राइवेट पार्ट्स को रोज साफ करें : 

अपने लिंग को नियमित रूप से धोना एक अच्छी आदत है . आप मिली जानकारी का स्वच्छता बनाए रखने और धोने में उपयोग कर सकते हैं जो कीटाणुओं को दूर रखने में मदद करता है . अपनी गुप्त अंग की चमड़ी को वापस लें और लिंग के ऊपरी सिरे और चमड़ी के अंदरूनी हिस्सों को अच्छी तरह से धो लें ताकि स्मेग्मा के निर्माण को रोका जा सके – एक सफ़ेद पदार्थ जो दुर्गेंध बाहर निकालता है . इसे धीरे से पोंछे और गर्मी में आने वाले पसीने के दिनों के लिए आप अच्छी गुणवत्ता वाले गैर-सुगंधित टाल्क पाउडर का उपयोग कर सकते हैं .

अच्छी क्वालिटी वाले अंडरगारमेंट : 

हमेशा अच्छी क्वालिटी वाले अंडरवियर का उपयोग करें जो अच्छी तरह से फिट हो और न तो बहुत टाइट हो और न ही बहुत ढीला हो . कॉटन कपड़े से बने अंडरवियर लें जो आपके स्किन और अंगों को सांस लेने की अनुमति देते हैं . सिंथेटिक मटिरियल से ज्यादा पसीना और नमी होती है, जिससे जलन और खुजली हो सकती है .

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सेक्स से पहले और बाद में स्वच्छता बनाए रखें : 

सैक्स करने से पहले अपने लिंग और उसके आसपास के दूसरे अंगों को धो लें और सेक्स के बाद फिर धोना याद रखें . यह अच्छी आदत आपको किसी भी तरह के इंन्फेक्शन को होने से रोकती है जो आपके साथी को भी हो सकता है .

 पुरुषों के लिए सुरक्षित स्वच्छता उत्पाद : 

आपके निजी अंगों की त्वचा शरीर के बाकी हिस्सों की त्वचा की तुलना में ज्यादा सेंसटिव होती है और इसलिए इनको विशेष देखभाल की आवश्यकता है . अगर आपकी त्वचा ज्यादा सेंसटिव है, तो आपको ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए और अच्छी क्वालिटी वाले गुप्तअंगों को धोने के उत्पाद का चयन करना चाहिए . बुकलेट पर दिए गए निर्देशों में (Do’s) पर ध्यान दें और जिसपर (Don’ts) लिखा है, उसे न करें . कोमलता का धोते समय ध्यान रखें . यह देख लें कि पानी गर्म है या बहुत गर्म है क्योंकि यह आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है . सस्ते, कम-क्वालिटी वाले उत्पादों से स्पष्ट तौर पर हानिकारक कैमिकल हो सकते हैं जो आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं . पुरुषों के गुप्त अंगों की देखभाल वाले उत्पादों में जैल-आधारित सफाई वाला पोछा, टैल्कम पाउडर, आफ्टर-शेव बाम और अल्ट्रा-सॉफ्ट क्लीनिंग ब्रश हैं

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निष्कर्ष
स्वस्थ शरीर और अच्छे यौन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए गुप्त अंगों की स्वच्छता आवश्यक है . अपने गुप्तअंगों को साफ रखना भी उतना ही ज़रुरी है जितना आपके बालों और चेहरे को धोना, क्योंकि यह आपको अंदरुनी रुप से स्वस्थ बनाए रखने के लिए ज़रुरी है . अगर आप सेक्स करने को लेकर एक्टिव नहीं हैं, तो भी इंन्फेक्शन को रोकने के लिए गुप्त अंगों में स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है . अगर आप किसी भी उत्पाद के इस्तेमाल के की वजह से किसी भी असुविधा, खुजली, जलन, सूजन या दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो इसका इस्तेमाल बंद करें और देरी किए बिना डॉक्टर से परामर्श करें .

विकास बगारिया, संस्थापक, पी सेफ  से बातचीत पर आधारित..

Crime Story: वीआईपी एकस्कौर्ट सर्विस का सच

पिछले कुछ दिनों से कानपुर में जिस तरह से कालगर्ल रैकेट्स का भंडाफोड़ हो रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि रैकेट चलाने वालों ने इस औद्योगिक नगरी को अपना केंद्र बिंदु बना लिया है. इन के रैकेट में देश की ही नहीं विदेशी बालाएं भी अपने हुनर में इतनी एक्सपर्ट हैं कि…  —सुरेशचंद्र मिश्र   रवि शर्मा ने जो समय तय किया था, उसी समय पर प्रमोद गुप्ता कानपुर के मोतीझील पार्क पहुंच

गया. पार्क के गेट पर ही बेचैन सा एक व्यक्ति चहलकदमी करता दिखा. वह नीली जींस और सफेद रंग की टीशर्ट पहने था. पहचान के लिए उस ने प्रमोद को अपनी यही ड्रैस बताई थी. अत: प्रमोद समझ गया कि यही व्यक्ति रवि शर्मा है. इस के बावजूद आश्वस्त होने के लिए उस ने अपने मोबाइल में सेव किया हुआ रवि का फोन नंबर डायल किया. पलक झपकते ही घंटी बजने लगी.

उस व्यक्ति ने फोन निकालने के लिए जैसे ही जेब में हाथ डाला, प्रमोद ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. जिस से घंटी बजनी बंद हो गई. इस से प्रमोद को यकीन हो गया कि सामने वाला व्यक्ति रवि शर्मा ही है. अत: वह तुरंत उस के पास जा पहुंचा, ‘‘हैलो सर, मैं प्रमोद गुप्ता हूं.’’

गर्मजोशी से दोनों के हाथ मिले. रवि मुसकराया, ‘‘आप ही फोन की घंटी बजा कर मेरी शिनाख्त कर रहे थे.’’

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प्रमोद भी मुसकराया, ‘‘पहली मुलाकात में ऐसा करना पड़ता है.’’

‘‘वैसे भी अगर मैं ने अपने उस दोस्त का हवाला न दिया होता जो अकसर आप के यहां आता है तो मेरे अरमान मचलते ही रह जाते.’’ रवि बोला.

‘‘क्या करें सर, अपना धंधा ही ऐसा है कि फूंकफूंक कर कदम रखना पड़ता है. पता नहीं पुलिस कब किस को बोगस कस्टमर बना कर जाल बिछा दे. इसीलिए अजनबी से डीलिंग करने में सावधानी बरतनी पड़ती है.’’ वह हंसने लगा, ‘‘आप को टेंशन हुई, उस के लिए सौरी. आइंदा आप को शक की निगाह से नहीं देखूंगा.’’

‘‘कोई बात नहीं गुप्ताजी, मैं आप की प्रौब्लम समझता हूं.’’ रवि भी हंसने लगा, ‘‘शिकवाशिकायत हो गई. अब काम की बात की जाए. चलिए, पार्क में बैठ कर इत्मीनान से बात करते हैं.’’

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दोनों मोतीझील पार्क के एक कोने में जा कर बैठ गए. उस समय उन दोनों के अलावा आसपास कोई तीसरा नहीं था. प्रमोद गुप्ता ने काम की बात शुरू करने के पहले चुटकी ली, ‘‘फोन पर आप से बातचीत के बाद मैं ने अनुमान लगाया था कि एक रात की दुलहन की डिमांड करने वाला चढ़ती उम्र का कोई शख्स होगा लेकिन आप तो पकी उम्र के निकले.’’

‘‘गुप्ताजी, 2 ही स्टेज पर आदमी की तबीयत गजब की रंगीन होती है,’’ रवि हंसा, ‘‘पहली बार तब जब उस पर नईनई जवानी आती है. दूसरी स्टेज तब जब उस की उम्र ढलने लगती है.

मेरी भी उम्र ढलने लगी है, सो तबीयत रंगीन है.’’

प्रमोद खिलखिला कर हंसा, ‘‘यार, कुछ भी हो आप आदमी दिलचस्प हैं.’’

‘‘और भी दिलचस्प तब हुआ जाता है जब कोई हसीना सामने हो.’’ रवि ने कहा.

‘‘सर, मेरे होते हुए अब आप को निराश या परेशान होने की जरूरत नहीं.’’ प्रमोद का स्वर व्यावसायिक हो गया. वह रहस्यमय अंदाज में फुसफुसा कर बोला, ‘‘आइटम तो जबरदस्त है, लेकिन उस के लिए आप को मोटी रकम खर्च करनी पड़ेगी.’’

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रवि शर्मा ने प्रमोद की आंखों में देखा, ‘‘फीस तो बताइए.’’

‘‘घंटे भर के 5 हजार और पूरी रात के 30 हजार.’’

‘‘कुछ कम नहीं हो सकता. पहली बार आप से डीलिंग कर रहा हूं, इसलिए डिस्काउंट तो मिलना चाहिए.’’ रवि ने कहा.

‘‘सर, मैं ने आप को डिसकाउंट के बाद का ही रेट बताया है.’’ चारों तरफ सतर्क निगाह डालने के बाद वह दबी जुबान में बोला, ‘‘आप जैसे अमीर और शौकीनों के लिए ही मैं ने लक्ष्मी को दिल्ली से बुलाया है. यहां तो वह केवल एक रात का 30 हजार ले रही है लेकिन दिल्ली में एक रात के वह पूरे 50 हजार वसूलती है. उस की संगत पाने को इतनी रकम देने वालों की कमी भी नहीं है.’’

 

कुछ देर सोचने के बाद रवि शर्मा मुसकराया, ‘‘लेकिन शर्त यह है कि लक्ष्मी को देखने और समझने के बाद ही पूरी रकम दूंगा.’’

‘‘मंजूर.’’ प्रमोद बोला, ‘‘आप फिलहाल 5 हजार एडवांस दे दीजिए.’’

रवि शर्मा ने तुरंत 5 हजार रुपए प्रमोद गुप्ता को दे दिए. रुपए जेब में रख कर प्रमोद बोला, ‘‘कल्याणपुर आवास विकास 3 में शनि मंदिर देखा है न, उसी रोड पर त्रिपाठी भवन है. शाम का धुंधलका फैलते ही आप वहां आ जाना.

लक्ष्मी को देखनेसमझने का मौका मिल जाएगा. हालांकि इनकार की गुंजाइश नहीं है, मगर किसी कारण लक्ष्मी आप को पसंद नहीं आई तो मेरे पास दूसरी लड़कियां भी उपलब्ध हैं. कम से कम 5 लड़कियां तो आप के सामने पेश कर ही दूंगा. उन में से किसी एक को चुन लीजिएगा, उन का रेट भी कम होगा.’’

‘‘मुझे क्या करना है, यह मैं लक्ष्मी को देखने के बाद तय करूंगा.’’ रवि शर्मा बोला, ‘‘फिलहाल यह बताइए कि दिल्ली में धूम मचाने वाली लक्ष्मी, कानपुर क्यों आ गई और आप उसे यहां लाने में सफल कैसे हुए?’’

‘‘कौन्ट्रैक्ट सर, कौन्ट्रैक्ट.’’ प्रमोद राजदाराना अंदाज में बोला, ‘‘कानपुर हो या दिल्ली, मुंबई हो या कोलकाता, चेन्नै हो या बेंगलुरु, असलियत यह है कि देश भर में जितनी कालगर्ल्स हैं वे सब कठपुतलियां हैं. उन की डोर जिन की अंगुलियों में फंसी होती है, उन से मेरा संपर्क है.’’

‘‘यानी आप लोग एकदूसरे को लड़कियां सप्लाई करते हैं.’’

‘‘सर, ऐसा न करें तो आप लोगों को हर बार फ्रैश आइटम न मिले,’’ प्रमोद मुसकराया, ‘‘पैसा खर्च करने वाला बारबार एक ही आइटम के साथ नहीं बैठ सकता न. हर बार उसे नई देह चाहिए होती है.’’

‘‘प्रमोदजी, अभी आप ने बताया कि लक्ष्मी दिल्ली में 50 हजार में डील करती है तो फिर वह घाटे का सौदा करने कानपुर क्यों चली आई?’’

‘‘यह बिजनैस का सीक्रेट है सर, फिर भी मैं आप को बता रहा हूं.’’ प्रमोद ने दबी जुबान में बताया, ‘‘हम रैकेटियर समयसमय पर दूसरे शहरों, राज्यों यहां तक कि दूसरे देशों से कौन्ट्रैक्ट पर लड़कियां बुलाते हैं.

‘‘जैसे हमारे पास इस समय पश्चिम बंगाल और नेपाल की भी लड़कियां हैं. इस में कभी मोटा मुनाफा तो कभी छोटा नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस के अलावा बाजार का सिद्धांत कालगर्ल पर भी लागू होता है. कोई कालगर्ल अगर हमेशा उपलब्ध होती है तो कस्टमर उस का चेहरा देखदेख कर बोर होने लगता है. सो उस की मार्केट वैल्यू घट जाती है. एक महीने के लिए लक्ष्मी इसीलिए दिल्ली के मार्केट से हटी है ताकि वहां उस की डिमांड बनी रहे.’’

‘‘और आप लोग आपस में कौन्ट्रैक्ट करते कैसे हो?’’ रवि ने पूछा, ‘‘मतलब यह कि लड़की का आदानप्रदान कैसे होता है?’’

‘‘हमारे सारे राज जान कर क्या करेंगे सर?’’

‘‘यूं ही, बस अपनी जानकारी के लिए पूछ रहा हूं.’’

‘‘शाम को आएंगे तो बता दूंगा. शाम होने में अभी 3 घंटे बाकी हैं. उस के बाद मिलते हैं.’’ कह कर प्रमोद गुप्ता उठ खड़ा हुआ. उस ने एक बार फिर रवि से हाथ मिलाया और मोतीझील पार्क से बाहर निकल गया.

 

कुछ देर तक रवि शर्मा अकेला बैठा प्रमोद गुप्ता और लक्ष्मी के बारे में सोचता रहा. फिर वहां से निकल कर उस सड़क पर चल पड़ा जो उसे उस की मंजिल तक ले जाती थी.

शाम का धुंधलका फैलते ही रवि शर्मा आवास विकास-3 स्थित त्रिपाठी भवन पहुंच गया. प्रमोद गुप्ता उन का ही इंतजार कर रहा था. उस ने उत्साह से रवि का स्वागत किया और ड्राइंगरूम में ले जा कर सोफे पर बिठाया. रवि को वहां कोई दूसरा नजर नहीं आया तो वह बेचैनी से बोला, ‘‘गुप्ताजी, आप की लक्ष्मी नजर नहीं आ रही, भीतर है क्या?’’

गुप्ता हंसा, ‘‘बड़ी कालगर्ल के नखरे भी बड़े होते हैं. वह आएगी तब जब आप ‘यस’ कहेंगे.’’

 

‘‘भई छोटी रकम की बात नहीं है. 30 हजार जैसी बड़ी रकम है. आप की संतुष्टि के लिए 5 हजार रुपए एडवांस भी दे चुका हूं. जब तक लक्ष्मी को देखूंगा नहीं, तो यश कैसे कर सकता हूं.’’ रवि शर्मा ने कहा.

‘‘अभी दिखा देता हूं,’’ प्रमोद ने उठ कर अलमारी से एक एलबम निकाली और रवि के हाथों में पकड़ा दी, ‘‘लीजिए सर, लक्ष्मी हाजिर है.’’

रवि ने एलबम खोली तो उस में लक्ष्मी के तमाम उत्तेजक तथा  भिन्नभिन्न मुद्राओं के अश्लील फोटो लगे थे. एक फोटो में लक्ष्मी सिर से पांव तक दिखाई दे रही थी. उस ने जींस और टौप पहना हुआ था. दूसरा फोटो उस के चेहरे का मुसकराता हुआ क्लोजअप था. प्रमोद का दावा गलत नहीं था. फोटो देख कर कोई भी आहें भर सकता था.

रवि एलबम देख चुका तो प्रमोद ने पूछा, ‘‘सर, है न 30 हजार की चीज?’’

‘‘प्रमोदजी, फोटो से ठीक से कुछ समझ में नहीं आता.’’ रवि ने एलबम बंद कर के उसे लौटाते हुए कहा, ‘‘आप लक्ष्मी को बुलाइए.’’

प्रमोद ने भीतर की ओर मुंह कर के लक्ष्मी को पुकारा तो वह पलक झपकते ही ड्राइंगरूम में आ कर रवि शर्मा के सामने खड़ी हो गई. उस ने तपाक से रवि से हाथ मिलाया, ‘‘सर, मैं ही हूं आप की लक्ष्मी.’’

रवि ने हौले से उस का हाथ दबाया, ‘‘वाकई चीज तुम मस्तमस्त हो.’’

डील होते देख प्रमोद खुश था. रवि से मुखातिब हो कर बोला, ‘‘सर, बातों में क्यों टाइम खराब कर रहे हो. बाकी रकम चुकाइए और कमरे में जा कर ऐश कीजिए.’’

 

‘‘हां, लक्ष्मी के हुस्न की चकाचौंध में मैं यह तो भूल ही गया था कि आप को 25 हजार रुपए चुकाने हैं.’’ रवि ने लक्ष्मी के हाथ से अपना हाथ खींच लिया और जेब से सेलफोन निकालते हुए बोला, ‘‘रुपए गाड़ी में रखे हैं, मैं ड्राइवर से मंगवाता हूं.’’

इस के बाद रवि ने एक नंबर मिला कर कहा, ‘‘डैशबोर्ड में रुपए रखे हैं. उन्हें ले कर त्रिपाठी भवन आवास विकास-3 आ जाओ.’’

 

5 मिनट भी नहीं लगे कि डोरबैल बजी. रवि प्रमोद से मुखातिब हुआ, ‘‘मेरा ड्राइवर रुपए ले आया. जा कर ले लीजिए.’’

प्रमोद गुप्ता ने खुशीखुशी ज्यों ही दरवाजा खोला, उसे धक्का दे कर कई पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी भीतर घुस आए. पुलिस को देखते ही लक्ष्मी बदहवास हो कर खड़ी हो गई. जबकि प्रमोद गुप्ता इत्मीनान से बैठा रहा.

तेजदिमाग प्रमोद रवि शर्मा को पैनी नजरों से देखने लगा. उसे शक हो रहा था कि रवि पुलिस का आदमी है. प्रमोद कुछ बोल पाता, उस से पहले ही रवि शर्मा बोल पड़ा, ‘‘प्रमोद, मैं रवि शर्मा नहीं बल्कि इंसपेक्टर कल्याणपुर अजय सेठ हूं. अब तुम हमारे जाल में फंस चुके हो.’’

उन्होंने लक्ष्मी और प्रमोद को हिरासत में ले लिया.

पुलिस टीम ने पूरे घर की छानबीन की तो प्रमोद गुप्ता के अलावा 4 युवक और लक्ष्मी के अलावा 2 अन्य लड़कियां मिलीं. सभी को हिरासत में ले लिया. दोनों युवतियां अलगअलग कमरे में अपने ग्राहकों के साथ हमबिस्तर थीं.

 

इस तरह पुलिस टीम ने सैक्स रैकेट सरगना प्रमोद गुप्ता सहित 5 युवक और 3 युवतियों को पकड़ लिया, जबकि प्रमोद का सहयोगी विनीत शुक्ला पुलिस के हाथ नहीं लगा.

पुलिस टीम को मौके से 8 मोबाइल फोन, 8 आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, 2 वोटर आईडी कार्ड, एक ट्रेन टिकट, 50 रुपए का एक नेपाली नोट, 5300 रुपए नगद, कामोत्तेजक दवाएं, स्प्रे तथा अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई. पुलिस सभी को गिरफ्तार कर थाना कल्याणपुर ले आई. यह बात 5 मार्च, 2020 की रात 8 बजे की है.

दरअसल, एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार को गोपनीय सूत्र से पता चला था कि कानपुर (पश्चिम क्षेत्र) में हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट सक्रिय है. उस का सारा काम कौन्ट्रैक्ट तथा औनलाइन बुकिंग के जरिए होता है.

इस रैकेट का परदाफाश करने के लिए एसपी साहब ने एक उच्चस्तरीय टीम का गठन किया. इस टीम में सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार, थानाप्रभारी (कल्याणपुर) अजय सेठ, एसआई एस.के. सिंह तथा थाने के तेजतर्रार आधा दरजन पुलिसकर्मियों को सम्मिलित किया गया. टीम के सहयोग के लिए सर्विलांस टीम तथा क्राइम ब्रांच की टीम को भी लगा दिया गया था.

सर्विलांस टीम ने जांच शुरू की तो पता चला कि इंटरनैशनल एस्कार्ट सर्विस पर परी डौटकौम नाम की साइट से हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का संचालन किया जा रहा है. इस में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल के अलावा नेपाल, थाइलैंड और जापान तक की लड़कियां शामिल हैं.

यह पता चलते ही कल्याणपुर थानाप्रभारी अजय सेठ ने अपने मुखबिरों के सहयोग से देहव्यापार करने वालों का पता लगाया तो प्रमोद गुप्ता का नाम सामने आया. अजय सेठ ने प्रमोद गुप्ता की कुंडली खंगाली तो सब पता चल गया.

प्रमोद गुप्ता के बारे में मिली सूचनाओं से अजय सेठ ने सीओ अजय कुमार तथा एसपी अनिल कुमार को भी अवगत करा दिया. इस के बाद सेठ ने प्रमोद गुप्ता को कानून के जाल में फांसने की योजना बनानी शुरू किया.

 

इंसपेक्टर अजय सेठ ने अपने सूत्रों से प्रमोद गुप्ता का मोबाइल नंबर और उस के एक परमानेंट कस्टमर का नाम जान लिया. इस के बाद तो उन्होंने 5 मार्च, 2020 को उस से फोन पर बात की. प्रमोद पहले तो अजय सेठ से झूठ बोलता रहा, किंतु जब उन्होंने उस के नियमित ग्राहक का हवाला दिया तो उस ने शाम 4 बजे मोतीझील पार्क के गेट पर मिलने को कह दिया.

 

प्रमोद गुप्ता से मोतीझील पर मुलाकात करने के बाद अजय सेठ ने अपनी टीम के साथ मिल कर आगे की रणनीति तय की थी. ग्राहक के तौर पर वह प्रमोद के घर गए और फिर ड्राइवर से रुपए मंगाने के बहाने पुलिस टीम को फोन कर दिया.

छापा मारने के लिए यह पूर्वनियोजित संकेत था. छापे में 5 पुरुष तथा 3 युवतियां पकड़ी गईं.

पकडे़ गए युवकों में एक संचालक प्रमोद गुप्ता था, जबकि ग्राहकों में अंकित कुमार सोनकर, शिवम कश्यप, अमित कुमार तथा मंजेश शुक्ला थे. पकड़ी गई युवतियों में लक्ष्मी मलिक, लक्ष्मी मंडल तथा किरन थापा शामिल थीं. इन में 2 युवतियां पश्चिम बंगाल की थीं जबकि एक नेपाल की थी.

पुलिस ने जब इन से पूछताछ की तो सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. अत: सीओ अजय कुमार ने वादी बन कर धारा 3, 4, 5, 6 देहव्यापार निरोधक कानून तथा धारा 6, 20, 21 रनिंग औफ ब्रोथेल हाउस के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, इस प्रकार थी—

हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का सरगना प्रमोद गुप्ता मूलरूप से औरैया जिले के बेला थानांतर्गत गांव हरदू का रहने वाला था. उस के पिता रमेशचंद्र गुप्ता किसान हैं. उन की 3 संतानों में प्रमोद सब से बड़ा था. वह तेजतर्रार तथा वाचाल था. बीए करने के बाद वह नौकरी की तलाश में वह कानपुर आ गया.

 

प्रमोद ने कानपुर में अपना ठिकाना कल्याणपुर में बनाया. वहां उस ने किराए पर मकान लिया और वहीं रह कर काकादेव कोचिंग सैंटर में सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गया. 3 साल बीत गए पर उस की कहीं नौकरी नहीं लगी. कुछ समय तक वह परेशान रहा. आर्थिक परेशानियों से जूझने के लिए प्राइवेट नौकरी करने लगा.

इन्हीं दिनों उस की मुलाकात विनीत शुक्ला नाम के युवक से हुई. वह नवाबगंज में रहता था और प्राइवेट जौब करता था. विनीत पढ़ालिखा और रंगीनमिजाज था. वह अकसर सैक्स की भूख मिटाने कालगर्ल्स के ठिकानों पर जाया करता था.

 

कानपुर शहर के कुख्यात कालगर्ल सरगनाओं से उस की अच्छी जानपहचान थी. दोनों में दोस्ती हुई तो विनीत ने प्रमोद को भी देहसुख का चसका लगा दिया. फिर तो प्रमोद भी रंगीनमिजाज बन गया. दोनों साथ मिल कर खातेपीते और फिर साथ ही अय्याशी करते.

प्रमोद और विनीत पढ़ेलिखे युवक थे, साथ ही महत्त्वाकांक्षी भी. उन की बहुत ज्यादा पैसे कमाने की महत्त्वाकांक्षा थी, लेकिन प्राइवेट नौकरी से उन की यह तमन्ना पूरी नहीं हो पा रही थी. इसलिए ये कोई ऐसा धंधा करना चाहते थे जिस में कम पूंजी से अधिक धन कमाया जा सके. उन्होंने इस बाबत विचार किया तो जिस्मफरोशी के धंधे पर दोनों की सहमति बनी. इस के बाद दोनों इस धंधे को क्रियान्वित करने में जुट गए.

विनीत तथा प्रमोद का कानपुर शहर की अनेक सैक्स नायिकाओं और देहजीवाओं से सीधा संपर्क हो गया था. उन के माध्यम से दोनों ने इस धंधे में पैर फैलाए. उन्होंने अंबेडकर नगर (कल्याणपुर) में एक फ्लैट किराए पर लिया और सैक्स रैकेट चलाने लगे. शुरू में उन्हें इस धंधे में कुछ कठिनाई आई, लेकिन उस के बाद उन का धंधा फलनेफूलने लगा.

दोनों ने पुरानी सैक्स नायिकाओं की मदद से रैकेटियरों का पता लगाया, जो बडे़ शहरों से कौन्ट्रैक्ट पर कालगर्ल्स भेजते थे. इस के बाद वे दोनों भी कौन्ट्रैक्ट पर बड़े शहरों से अंतरराज्यीय कालगर्ल्स को डिमांड के आधार पर अपने अड्डे पर मंगाने लगे.

दोनों का यह रैकेट चलने लगा तो इस धंधे को बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया. वह इंटरनैशनल एस्कौर्ट सर्विस नाम की वेबसाइट के जरिए सैक्स रैकेट का संचालन करने लगे. वेबसाइट पर उन का वाट्सऐप नंबर उपलब्ध रहता था.

कस्टमर के संपर्क करने पर वे उसे वाट्सऐप पर लड़कियों के फोटो रेट के साथ भेज देते थे. कालगर्ल की खूबसूरती के हिसाब से उस का रेट 3 से 5 हजार होता था. पूरी रात का 20 से 30 हजार तक लिया जाता था.

 

अगस्त, 2019 में प्रमोद और विनीत ने अपना ठिकाना बदल लिया. पुराने ठिकाने पर जब सुगबुगाहट होने लगी तो पकड़े जाने के डर से उन्होंने ठिकाना बदल दिया और आवास विकास

3 कल्याणपुर में 10 हजार रुपए महीने के किराए पर एक आलीशान मकान ले लिया.

यह मकान चंद्रक्रांत त्रिपाठी का था. वह कैंसर रोग से पीडि़त थे और उन का इलाज दिल्ली में चल रहा था. इलाज के लिए वह पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहे थे. इलाज में पैसों की कमी आने पर ही गीता ने प्रमोद को अपना मकान किराए पर दिया था.

 

अब तक प्रमोद गुप्ता ने अपने सैक्स रैकेट का दायरा और भी बढ़ा लिया था. उस ने रैकेट में नेपाल, जापान और थाइलैंड की देहजीवाओं को भी शामिल कर लिया था. हालांकि उन के रेट हाई थे, फिर भी ग्राहक मिल जाते थे.

मार्च 2020 के पहले हफ्ते में प्रमोद ने 3 कालगर्ल्स को दिल्ली तथा नोएडा से कौन्ट्रैक्ट पर बुलाया था. इन में 2 पश्चिम बंगाल तथा एक नेपाल की थी. संचालक प्रमोद गुप्ता ने इन कालगर्ल्स की बुकिंग भी कर ली थी.

इधर इस हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट की जानकारी एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार को लगी तो उन्होंने एक पुलिस टीम का गठन किया. फिर 5 मार्च, 2020 को टीम ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया.

उस समय प्रमोद का साथी विनीत शुक्ला बच निकला था, क्योंकि वह 2 कालगर्ल्स को कार से ले कर किसी होटल गया था. जहां ग्राहक उस का इंतजार कर रहे थे. छापे की भनक लगते ही वह फरार हो गया था.

सैक्स के अड्डे से पकड़ी गई लक्ष्मी मंडल पश्चिम बंगाल के 24 परगना की रहने वाली थी. उस की मां की मृत्यु हो गई थी और पिता शराबी था. एक दिन ठेके पर बाप ने ज्यादा शराब पी ली तो एक युवक उसे छोड़ने घर आ गया. उस का नाम रहमान था.

रहमान की नजर लक्ष्मी पर पड़ी तो उसे देखता ही रह गया. लक्ष्मी की खूबसूरती पर रहमान फिदा हुआ तो वह अकसर लक्ष्मी के घर आने लगा. वह उस के बाप की आर्थिक मदद भी करने लगा.

 

रहमान दिखने में स्मार्ट था. बातें भी लच्छेदार करता था, इसलिए लक्ष्मी भी उस की ओर आकर्षित होने लगी थी. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. चाहत बढ़ी तो एक रोज रहमान ने अपने प्यार का इजहार कर दिया. लक्ष्मी ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. फिर कुछ दिनों बाद रहमान उसे दिल्ली ले आया.

रहमान चांदनी चौक में रहता था. वह कालगर्ल्स का दलाल था. दिल्ली की कई सैक्स रैकेट संचालिकाओं से उस की जानपहचान थी. वह पश्चिम बंगाल से गरीब तबके की खूबसूरत लड़कियों को शादी के बहाने बरगला कर दिल्ली लाता और फिर सैक्स रैकेट संचालिकाओं को बेच देता.

 

लक्ष्मी को भी उस ने मौसी (संचालिका) के घर चांदनी चौक छोड़ा फिर फरार हो गया. संचालिका ने उसे समझाबुझा कर देह व्यापार के धंधे में उतार दिया. इस के बाद लक्ष्मी मंडल सैक्स रैकेटियरों की कठपुतली बन गई. उसे कौन्ट्रैक्ट पर एक शहर से दूसरे शहर भेजा जाने लगा. लक्ष्मी को पैसा और देहसुख दोनों मिलते थे, सो वह इस धंधे में रम गई.

3 मार्च, 2020 को लक्ष्मी मंडल कौन्ट्रैक्ट पर कानपुर में सैक्स रैकेट संचालक प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर पहुंची थी. उसे धंधा करते अभी 2 दिन ही बीते थे कि पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ी गई.

देह व्यापार के अड्डे से पकड़ी गई किरन थापा काठमांडू, नेपाल की रहने वाली थी. उस के मातापिता बेहद गरीब थे और बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलता था. 4 बहनों में वह सब से बड़ी थी. उस का एक रिश्तेदार गाजियाबाद में रहता था. वह उसे नौकरी दिलाने के बहाने गाजियाबाद लाया था.

यहां उस ने कुछ महीने तक उस का दैहिक शोषण किया फिर घर से निकाल दिया. अनजान शहर में वह कहां जाती. वह गाजियाबाद स्टेशन पहुंची तो उसे अधेड़ उम्र की एक महिला मिली. वह उसे गाजियाबाद की दीपक विहार कालोनी ले आई.

वह महिला सैक्स रैकेट संचालिका थी. उस ने उसे भी देह व्यापार के धंधे में उतार दिया. बाद में संचालिका उसे कौन्ट्रैक्ट पर दूसरे शहरों में भेजने लगी.

कानपुर शहर के प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर वह 50 हजार रुपए के कौन्ट्रैक्ट पर 3 दिनों के लिए आई थी. लेकिन 5 मार्च को जब प्रमोद के अड्डे पर छापा पड़ा तो वह भी पकड़ी गई. रात 12 बजे उस की वापसी की टिकट थी लेकिन, उस के पहले ही वह पकड़ी गई.

पुलिस छापे में पकड़ी गई लक्ष्मी मलिक पश्चिम बंगाल के 24 परगना के रजलपुर की रहने वाली थी. उस के पिता की मृत्यु हो चुकी थी और मां ने दूसरा ब्याह रचा लिया था. उस का सौतेला बाप उस पर बुरी नीयत रखता था.

एक दिन मां की गैरमौजूदगी में सौतेले बाप ने उसे हवस का शिकार बनाने की कोशिश की तो वह घर से भाग खड़ी हुई. बस स्टाप पहुंची तो उस की हालत पर एक अधेड़ आदमी को तरस आ गया. वह उसे कोलकाता ले आया.

 

उस ने लक्ष्मी को एक माह तक रखा. इस बीच उस ने उसे बाप जैसा प्यार दिया. एक रोज उस के घर एक व्यक्ति आया. उस ने एकांत में बैठ कर बात की. फिर वह अधेड़ बोला, ‘‘बेटी, तुम इन के साथ दिल्ली जाओ. यह वहां तुम्हारी नौकरी लगवा देंगे. तुम्हारी जिंदगी मजे से कटेगी.’’

मजबूर लक्ष्मी मलिक उस युवक के साथ दिल्ली आ गई. उस ने लक्ष्मी को 2 महीने तक जमुनापार की झोपड़पट्टी में रखा. वह मानव तस्कर था. उस ने लक्ष्मी मलिक को पैसों के लालच में देह संचालक के हवाले कर दिया.

उस ने लक्ष्मी मलिक को जिस्मफरोशी के धंधे में उतार दिया. लक्ष्मी जवान व खूबसूरत थी. अत: उसे कौन्ट्रैक्ट पर लखनऊ, बनारस, आगरा व कानपुर भी भेजा जाने लगा. जिस से रैकेटियर की अच्छी कमाई होने लगी.

 

लक्ष्मी मलिक भी 3 मार्च, 2020 को एक सप्ताह के लिए 50 हजार रुपए के कौन्ट्रैक्ट पर प्रमोद गुप्ता के ठिकाने पर आई थी किंतु 5 मार्च को जब प्रमोद के ठिकाने पर पुलिस का छापा पड़ा, उस समय वह एक ग्राहक के साथ थी.

ग्राहक के तौर पर पकड़े गए कल्याणुपर (अंबेडकरनगर) निवासी अमित कुमार और बगदौधी (बिठूर) निवासी मंजेश शुक्ला पेशे से व्यापारी हैं. दोनों दोस्त हैं और कपड़े का व्यवसाय करते हैं. मौजमस्ती के लिए दोनों कालगर्ल्स की तलाश में रहते थे.

एक रोज मंजेश शुक्ला को वेबसाइट के माध्यम से आवास विकास 3 में चलने वाले सैक्स रैकेट के बारे में पता चला. उस ने इस की जानकारी अपने दोस्त अमित कुमार को दी. इस के बाद दोनों ने संचालक से मोबाइल पर बात की और एक घंटे के लिए 2 कालगर्ल्स की बुकिंग 6 हजार रुपए में कर ली थी.

5 मार्च, 2020 की रात 8 बजे अमित और मंजेश प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर पहुंचे. दोनों ने रकम चुकाई और कालगर्ल के साथ रूम में चले गए. अभी दोनों अलगअलग रूम में कालगर्ल के साथ हमबिस्तर थे कि पुलिस का छापा पड़ा और कालगर्ल के साथ दोनों पकड़े गए. पकड़े जाने के बाद दोनों ने पुलिस से छोड़ देने की गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने उन की एक नहीं सुनी.

औरैया के फफूंद थाने के जुआं गांव निवासी अंकित सोनकर तथा निराला नगर निवासी शिवम कश्यप भी वाट्सऐप इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर के जरिए सैक्स रैकेट से जुड़े थे. 5 मार्च की रात दोनों मौजमस्ती के लिए प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर पहुंचे थे, लेकिन वह रात उन के लिए मनहूस साबित हुई. वहां पुलिस का छापा पड़ा और दोनों भी पुलिस के चंगुल में फंस गए.

6 मार्च, 2020 को थानाप्रभारी ने सभी आरोपियों को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट एस.के. सिंह की अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जिला जेल भेज दिया गया. एक आरोपी विनीत शुक्ला फरार था. पुलिस उस की तलाश में जुटी थी.

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं जिस के साथ मैं ने कई बार शारीरिक संबंध भी बनाए, मैं ने कई बार उसे दूसरी लड़कियों के साथ मौजमस्ती करते देखा है, आप ही बताएं कि मैं क्या करूं?

सवाल
मेरी उम्र 23 वर्ष है और मैं एक लड़के से प्यार करती हूं जिस के साथ मैं ने कई बार शारीरिक संबंध भी बनाए. वह मुझ से शादी करने के लिए कह रहा है. लेकिन मैं ने कई बार उसे दूसरी लड़कियों के साथ मौजमस्ती करते देखा है. मेरी फैमिली काफी रिच है. आप ही बताएं कि मैं क्या करूं?

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जवाब
सच्चा प्यार तो वह होता है जिस में हम एकदूसरे के प्रति सच्चे मन से समर्पित होते हैं और कभी उसे धोखा देने के बारे में नहीं सोचते. आप ने तो जिसे अपने मन के साथ तन भी समर्पित कर दिया, उस के बाद भी वह दूसरी लड़कियों के साथ मौजमस्ती कर रहा है तो इस का मतलब है कि उसे आप से नहीं, बल्कि आप के तन और आप की दौलत से प्यार है. तभी तो वह आप से शादी करने के लिए कह रहा है.

ऐसे में अगर आप खुद की जिंदगी को बरबाद नहीं करना चाहतीं तो इस रिश्ते को सिर्फ दोस्ती तक ही सीमित रखें. इसी में भलाई है वरना शादी के बाद उस की आप के होते हुए और लड़कियों से नजदीकियां न आप को जीने देंगी न मरने, इसलिए दिल से नहीं, बल्कि दिमाग से फैसला लें.

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समझें इशारे ताकि न मिले धोखा

भले ही आप एक नया रिश्ता शुरू कर रही हैं या फिर पहले से ही किसी रिश्ते में हैं और अपने प्रेमी को बहुत प्यार करती हैं, उस पर भरोसा करती हैं तो उसी भरोसे, प्यार और विश्वास की अपेक्षा आप उस से भी अवश्य करती होंगी. जब दो लोग एकदूसरे को पूरी ईमानदारी से चाहें तो जिंदगी बहुत खुशनुमा हो जाती है, लेकिन अगर दोनों में से एक भी स्वार्थपूर्ति और धोखा देने की राह पर चल निकलता है तो दूसरे साथी को समझने में देर नहीं करनी चाहिए.

अगर आप को भी पिछले कुछ दिनों से अपने साथी पर शक हो रहा है तो इन इशारों को समझें और सही निर्णय लें :

इग्नोर करना

कालेज में नजर पड़ने पर भी जब वह आप को इग्नोर करे और खाली पीरियड में आप के साथ टाइम स्पैंड करने के बजाय अपने दोस्तों के साथ हंसीमजाक में व्यस्त रहने लगे. आप के बारबार पास आने पर चिपकू कहे, तो समझ लीजिए अब बात आप की सैल्फ रिस्पैक्ट पर आ गई है. अब आप उस के पीछे भागना छोड़ दें और साथी के इग्नोरैंस को समझने की कोशिश करें तथा उस से थोड़ी दूरी बना लें, तब खुद ब खुद यह पता चल जाएगा कि आप का रिश्ता कितना मजबूत है.

डेट पर इंतजार करवाना

डेट फिक्स होने पर जो पहले आप का घंटों इंतजार करता था, आज आप के एक मिनट भी लेट होने पर झल्लाना शुरू कर दे. सिर्फ यही नहीं बल्कि जब पूरी सिचुएशन ही बदलने लगे और वह आप का नहीं बल्कि आप उस का इंतजार करने लगें तो समझ जाएं कि मामला गड़बड़ है.

झूठ बोलना

सच्चा प्यार विश्वास की नींव पर टिका होता है और वहां झूठ का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन अगर आप का प्रेमी आप से छोटीछोटी बातों में झूठ बोलता है, तो समझ लीजिए कि वह आप के और अपने रिश्ते के बारे में भी झूठ बोल रहा है. इस बारे में उस से खुल कर बात करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

फोन करना कम कर देना

जहां पहले प्रेमी आप को दिन में कई बार कौल करता था और मना करने पर भी उसे आप की चिंता या आप से बात करने का मन होता था, वह अब कौल ही नहीं करता या बहुत कम करता है और बिजी होने का बहाना बनाता है. अगर आप कौल करती हैं तो घंटों उस का फोन बिजी रहता है, तो समझ लीजिए कि दाल में कुछ काला है.

डिमांड पूरी न करना

अब यह डिमांड फिजिकली भी हो सकती है और जनरल किसी बात को ले कर भी जैसे कि मूवी दिखाना, कोई नई ड्रैस दिलाना, किसी रैस्टोरैंट में खाना खिलाना आदि. पहले मुंह से बात निकलते ही बौयफ्रैंड उसे पूरा करने की कोशिश करता था, लेकिन अब चिढ़ कर वह साफ इनकार कर देता है.

पैसे की तरफ भागना

अगर प्रेमी पैसे को प्यार से ज्यादा अहमियत देने लगे और बातबात पर पैसे की बात करे, यहां तक कि अमीर युवतियों पर लाइन मारने लगे तो समझ लीजिए कि आप का नाता ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है.

मिलने से कतराना

पहले आप से रोज मिलने की जिद करने वाला पार्टनर जब खुद से मिलने की बात करने से भी कतराने लगे और आप के कहने पर भी मिलने की इच्छा न जताए तो यह समझें कि उसे अब आप में इंट्रस्ट नहीं है.

किसी और युवती के साथ घूमना

अगर आप ने अपने बौयफ्रैंड को कई बार किसी और युवती के साथ घूमते देखा है, तो उसे हलके में न लें. भले ही वह लाख दलीलें दे कि वह सिर्फ उस की अच्छी दोस्त है और उस से किसी काम से मिला था, लेकिन आप उस पर पूरी तरह से विश्वास न करें, बल्कि उस पर नजर रखें. अगर शक सही निकले तो समय रहते बौयफ्रैंड के धोखे और उस की हरकतों से आप को सचेत होना होगा.

फोन हिस्टरी डिलीट होना

अगर प्रेमी के कौल रिकौर्ड, मैसेज रिकौर्ड आदि बिलकुल क्लीन रहते हैं और वह आप को अपना फोन देने से भी हिचकिचाने लगा है, तो समझ लें कुछ गड़बड़ जरूर है.

खर्च करने से बचें

पहले आप पर हजारों रुपए लुटा देने वाला प्रेमी अब हर बार छुट्टे न होने के बहाने बना कर बिल आप से भरवाए, आप पर खर्च करना भी बंद कर दे. तो समझ लें कि वह आप को अपनी लाइफ का इतना अहम हिस्सा नहीं समझता.

तारीफ करना बंद कर दे

क्या वह पहले हमेशा आप की तारीफ किया करता था और अब अचानक उस ने आप की तारीफ करना बंद कर दिया, बल्कि अब उसे आप के हर काम में नुक्स नजर आने लगा है? वह आप की किसी भी बात की तारीफ न करता हो, तो समझ लीजिए कि उस ने ये बातें किसी और के लिए बचा कर रख ली हैं.

शादी के बारे में बात करने से बचे

जब भी आप प्रेमी से अपनी और उस की शादी के बारे में बात करें तो उस का टालमटोल करना और नाराज होना यह दर्शाता है कि वह आप को सीरियसली नहीं ले रहा है.

धोखे की आशंका हो तो…

जैसे ही आप को पता चले कि आप का प्रेमी आप को धोखा दे रहा है या फिर चीटिंग कर रहा है तो उसे छोड़ने में ज्यादा वक्त न लगाएं. वह आप को छोड़े इस से पहले ही आप उसे छोड़ दें ताकि आप की सैल्फ  रिस्पैक्ट बनी रहे.

–       ऐसा करने से पहले अपने लव लैटर्स, कार्ड्स और जरूरी सामान उस से वापस ले लें.

–       प्रेमी का साथ छूटने पर डिप्रैशन में जाने के बजाय इस बात की खुशी मनाएं कि चलो, अच्छा है ऐसे गलत युवक से आप का पीछा जल्दी ही छूट गया.

–       अब अपना मन पढ़ाई में लगाएं और उसे भूलने की कोशिश करें. इस से अच्छे युवक आप को मिल जाएंगे.

फादर्स डे स्पेशल: बेटी की चिट्ठी- पिता के नाम एक भावुक कर देने वाला खत

प्यारे पापा, नमस्ते.

सभी बच्चों की वरदियां बन गई हैं, पर मेरी अभी तक नहीं बनी है. मैडम रोज डांटती हैं. किताबें भी पूरी नहीं खरीदी हैं. जो खरीदी हैं, उन पर भी मम्मी ने खाकी जिल्द नहीं चढ़ाई है. अखबार की जिल्द लगाने के लिए मैडम मना करती हैं. कोई भी बच्चा अखबार की जिल्द नहीं चढ़ाता.

आप जल्दी घर पर आएं और वरदी व जिल्द जरूर लाएं. मम्मी ने मुझे जो टीनू की पुरानी वरदी दी थी, वह अब छोटी हो गई है. कई जगह से घिस भी गई है. मम्मी की आंख में दर्द रहता है.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*प्यारे पापा, नमस्ते.

मेरे जूते और जुराबें फट गई हैं. मां ने जूते सिल तो दिए थे, मगर उन में अंगूठा फंसता है. ऐसे में दर्द होता है. मैडम कहती हैं कि जूते छोटे पड़ गए हैं, तो नए ले लो. ये सारी उम्र थोड़े ही चलेंगे. मेरे पास ड्राइंग की कलर पैंसिलें नहीं हैं. रोजरोज बच्चों से मांगनी पड़ती हैं. आप घर आते समय हैरी पौटर डब्बे वाली कलर पैंसिलें जरूर लाना.

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हमारे स्कूल में फैंसी बैग कंपीटिशन है, पर मेरा तो बैग ही फट गया है. आप एक अच्छा सा बैग भी जरूर ले आना, नहीं तो मैं उस दिन स्कूल नहीं जाऊंगी.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

हमारे स्कूल का एनुअल फंक्शन 15 दिन बाद है. सभी बच्चे कोई न कोई प्रोग्राम दे रहे हैं. मुझे भी देना है. कोई अच्छी सी ड्रैस ले आना. मम्मी के सिर में दर्द रहता है. डाक्टर ने बताया कि चश्मा लगेगा, तभी दर्द ठीक होगा. उन की नजर बहुत कमजोर हो गई है.

सभी बच्चों ने गरम वरदियां ले ली हैं. ठंड बढ़ गई है. गरमी वाली वरदी रहने दें, अब सर्दी वाली वरदी ही ले आएं. मम्मी ने इस बार भी अखबार की जिल्द चढ़ाई थी. मैडम ने 10 रुपए जुर्माना कर दिया है. 2 महीने की फीस भी जमा करानी है. आप इस बार पैसे ले कर जरूर आना, नहीं तो मेरा नाम काट दिया जाएगा.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

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मैडम ने कहा है कि स्कूल बस का किराया नहीं दे सकते, तो पैदल आया करो. कम से कम फीस तो हर महीने भेज दिया करो, नहीं तो किसी खैराती स्कूल में जा कर धूप सेंको. स्कूल में डाक्टर अंकल ने हमारा चैकअप किया था. मेरे नाखूनों पर सफेदसफेद धब्बे हैं. डाक्टर अंकल ने बताया कि कैल्शियम की कमी है. मम्मी की आंखें ज्यादा खराब हो गई हैं. वे दिनरात अखबार के लिफाफे बनाती रहती हैं. मैडम ने कहा है कि अगर घर पर कोई पढ़ा नहीं सकता, तो ट्यूशन रख लो.

पापा, आप घर वापस क्यों नहीं आते? मुझे आप की बड़ी याद आती है. मम्मी कहती हैं कि आप रुपए कमाने गए हो, फिर भेजते क्यों नहीं?

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

मैं ने ट्यूशन रख ली है, मगर आप पैसे जरूर भेज देना. अगले महीने से इम्तिहान शुरू हो रहे हैं. सारी फीस देनी होगी. आप वरदी नहीं लाए. मुझे ठंड लगती है. मैडम कहती हैं कि यह लड़की तो ठंड में मर जाएगी. क्या मैं सचमुच मर जाऊंगी?

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पापा, ट्यूशन वाले सर भी रुपए मांग रहे हैं. वे कहते हैं कि जब रुपए नहीं हैं, तो पढ़ क्यों रही हो? किसी के घर जा कर बरतन साफ करो. हां पापा, मुझे ड्राइवर अंकल ने स्कूल बस से नीचे उतार दिया. आजकल पैदल ही स्कूल जा रही हूं. पढ़ने का समय नहीं मिलता. हमारी गाय भी थोड़ा सा दूध दे रही है. मम्मी कहती हैं कि चारा नहीं है. लोगों के खेतों से भी कब तक लाते रहेंगे.

पापा, आप हमारी बात क्यों नहीं सुनते?
आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

मेरे सालाना इम्तिहान हो गए हैं. मां ने गाय बेच कर सारी फीस जमा करा दी. ट्यूशन वाले सर के भी रुपए दे दिए हैं. बाकी बचे रुपयों से मां के लिए ऐनक खरीदनी पड़ी. पिछले दिनों आए तूफान व बारिश से घर की छत उखड़ गई है.

पापा, आप खूब सारे रुपए ले कर जल्दी घर आएं, तब तक मेरे इम्तिहान का रिजल्ट भी निकल जाएगा. पापा, क्या आप को हमारी याद ही नहीं आती? हमें तो आप हर पल याद आते हैं.

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आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

मेरा रिजल्ट आ गया है. मैं अपनी क्लास में फर्स्ट आई हूं. मुझे बैग, जूते और वरदी लेनी है. और हां पापा, इस बार मैं पुरानी नहीं, नई किताबें लूंगी. पुरानी किताबों के कई पन्ने फटे होते हैं.

आजकल स्कूल में मेरी छुट्टियां चल रही हैं. सभी बच्चे बाहर घूमने जाते हैं. मैं भी मम्मी के साथ कागज के लिफाफे बनाना सीख रही हूं, ताकि इस बार मुझे स्कूल पैदल न जाना पड़े.

पापा, बारिश में छत से पानी टपकता है. बाकी बातें मैं आप के घर आने पर करूंगी. अब की बार आप घर नहीं आए, तो मैं आप को कभी चिट्ठी नहीं लिखूंगी. तब तक मेरी और आप की कुट्टी.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

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स्मृति की लिखी इन सभी चिट्ठियों का एक बड़ा सा बंडल बना कर संबंधित डाकघर ने इस टिप्पणी के साथ उसे वापस भेज दिया, ‘प्राप्तकर्ता पिछले साल हिंदूमुसलिम दंगों में मारा गया, जिस की जांच प्रशासन ने हाल ही में पूरी की है, इसलिए ये सारी चिट्ठियां वापस भेजी जाती हैं.’

सरकारी राशन में मिल रही प्लास्टिक दाल, सेहत से खिलवाड़

आजकल गरीबों पर तो मानो चौतरफा मार पड़ रही है. एक ओर जहां गरीब भुखमरी की मार झेल रहा है, वहीं सरकार भी मारने में पीछे नहीं है. क्योंकि सरकारी राशन में अब प्लास्टिक दाल मिल रही है यानी धांधली की बू नजर आ रही है.

राशन बांटने वाले सरकार को कुसूरवार ठहरा रहे हैं, वहीं सरकार भी उचित कार्यवाही का झुनझुना थमा कर लीपपोती में लगी है.

गरीब कार्डधारक अपनी समस्या बता रहे हैं कि प्लास्टिक दाल खा कर क्या हमारी तबीयत नहीं बिगडे़गी, वहीं राशन देेने वाले यही कह रहे हैं कि हम क्या करें जो एफसीआई के गोदाम से आ रहा है, वही बांट रहे हैं, पर कार्डधारक इस बात को सुनने को तैयार नहीं. यही वजह है कि वे दुकान पर जम कर हंगामा कर रहे हैं.

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भले ही यह कसबा छोटा है, पर जब हंगामा मचा तो पता चला कि यहां प्लास्टिक दाल कार्डधारक लाभुकों को बांटी जा रही है और लोग लेने से मना कर रहे हैं.

इन लोगों का यही कहना है कि राशन सही नहीं मिल रहा है, जबकि राशन देने वाले कह रहे हैं कि जब खाद्य आपूर्ति विभाग ही इसे परोसने का काम कर रहा है तो इस में वे क्या कर सकते हैं.

गढ़वा, झारखंड के कांडी इलाके में हुई यह घटना 4 जून, 2020 की है. खाद्य आपूर्ति विभाग ही लोगों को प्लास्टिक मिली चना दाल दे रहा है तो वे क्या कर सकते हैं. जब प्रखंड मुख्यालय के कांडी बाजार स्थित जन वितरण प्रणाली

के डीलर सत्यम स्वयं सहायता समूह के द्वारा दर्जनों लाभुक कार्डधारकों के बीच राशन बांटने में अनियमितता देखने को मिली तो इन लोगों ने जन वितरण की दुकान पर जम कर बवाल काटा. साथ ही,  इन लोगों ने यह भी बताया कि डीलर द्वारा मनमानी तौर पर राशन वितरण में भी राशन की कटौती की जा रही है.

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इस मामले को ले कर कार्डधारक लाभुकों ने जन वितरण प्रणाली की दुकान पर जम कर हंगामा किया, वहीं लाभुकों के बीच वितरित की गई चना दाल में प्लास्टिक का दाना मिला होने के कारण लाभुकों ने हाथ में दाल ले कर प्लास्टिक के दाने को दिखाया. दाल के ही आकार का प्लास्टिक का उजला दाना देख कर लोग भड़क उठे.

बचाव में अपनी सफाई देते हुए डीलर कांति देवी ने बताया कि इस तरह की दाल एफसीआई के गोदाम से ही मिली है. इस में हमारी कोई भूमिका नहीं है. उक्त दाल का उठाव 14 मई को प्रखंड परिसर में स्थित गोदाम से किया गया था. दाल बोरे में पैक थी. ऐसे में वह दाल में प्लास्टिक का दाना क्यों मिलावट कर दाल का वितरण करेंगी.

उन्होंने कहा कि जिस समय कार्डधारक लाभुकों को चना दाल मिली, वे दाल ले कर अपने घर चले गए, पर बाद में दाल के साथ प्लास्टिक का दाना मिला कर दाल दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं.

इस मामले में प्रदीप कुमार, एसडीओ सह प्रभारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी, गढ़वा ने कहा कि मामला संगीन है. जांच का आदेश प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बीडीओ को दिया. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही डीलर के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी.

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मामला उजागर होने के बाद इस मामले में कार्यवाही तो की जाएगी, यह तो तय है, पर तब तक कई लोग इस तरह की प्लास्टिक दाल का सेवन कर चुके होंगे, साथ ही अपनी सेहत को दुरुस्त बनाने के बजाय बिगाड़ चुके होंगे.

प्लास्टिक मिली चना दाल हर लिहाज से पेट के लिए बहुत ही नुकसानदायक है, वहीं इसे खाने से पेट संबंधी बीमारी या कैंसर जैसी घातक बीमारी  लगने की संभावना हो सकती है. यह खिलवाड़ कितना उचित है? क्या सरकार इस पर ध्यान देगी?

सास भी कभी बहू थी

सास भी कभी बहू थी : भाग 4

यह मुझे दिन पर दिन क्या होता जा रहा है? वह मन ही मन घबराती है. दिमाग पर एक धुंध सी छाई रहती है. जब धुंध कभी छंटती है तो उसे एकएक बात याद आती है.

उसे हठात याद आया कि एक बार ज्योति ने टमाटर का सूप बनाया था और उसे भी थोड़ा पीने को दिया. उसे उस का स्वाद बहुत अच्छा लगा. ‘अरे बहू, थोड़ा और सूप मिलेगा क्या?’ उस ने पुकार कर कहा.

 

थोड़ी देर में रसोइया कप में उस के लिए सूप ले आया. सुमित्रा खुश हो गई. उस ने एक घूंट पिया तो लगा कि इस का स्वाद कुछ अलग है.

उस ने रसोइए से पूछा तो वह अपना सिर खुजाते हुए बोला, ‘‘मांजी, सूप खत्म हो गया था. मेमसाब बोलीं कि अब दोबारा सूप कौन बनाएगा. सो, उन्होंने थोड़ा सा टमाटर का सौस गरम पानी में घोल कर आप के लिए भिजवा दिया.’’

सुमित्रा ने सूप पीना छोड़ दिया. उस का मन कड़वाहट से भर गया. अगर उस ने अपनी सास के लिए ऐसा कुछ किया होता तो वे उस की सात पुश्तों की खबर ले डालतीं, उस ने सोचा.

एक बार उस को फ्लू हो गया.

3-4 दिन से मुंह में अन्न का एक दाना भी न गया था. उसे लगा कि थोड़ा सा गरम दूध पिएंगी तो उसे फायदा पहुंचेगा. वह धीरे से पलंग से उठी. घिसटती हुई रसोई घर तक गई, ‘‘बहू, एक प्याला दूध दे दो. इस समय वही पी कर सो जाऊंगी. और कुछ खाने का मन नहीं कर रहा.’’

‘‘दूध?’’ ज्योति मानो आसमान से गिरी, ‘‘ओहो मांजी, इस समय तो घर में दूध की एक बूंद भी नहीं है. मैं ने सारा दूध जमा दिया है दही के लिए. कहिए तो बाजार से मंगा दूं?’’

‘‘नहीं, रहने दो,’’ सुमित्रा बोली.

वह वापस अपने कमरे में आई. क्या सब के जीवन में यही होता है? उस ने मन ही मन कहा. वह हमेशा सोचती आई कि जब वह बहू से सास बन जाएगी तो उस का रवैया बदल जाएगा. वह अपनी बहू पर हुक्म चलाएगी और उस की बहू दौड़दौड़ कर उस का हुक्म बजा लाएगी लेकिन यहां तो सबकुछ उलटा हो रहा था. कहने को वह सास थी पर उस के हाथ में घर की बागडोर न थी. उस की एक न चलती थी. उस की किसी को परवा न थी. वह एक अदना सा इंसान थी, कुणाल के प्रिय कुत्ते टाइगर से भी गईबीती. टाइगर की कभी तबीयत खराब होती तो उसे एक एसी कार में बिठा कर फौरन डाक्टर के पास ले जाया जाता पर सुमित्रा बुखार में तपती रहे तो उस का हाल पूछने वाला कोई न था. वह अपनी इस स्थिति के लिए किसे दोष दे.

उसे लग रहा था कि वह एक अवांछित मेहमान बन कर रह गई है. वह उपेक्षित सी अपने कमरे में पड़ी रहती है या निरुद्देश्य सी घर में डोलती रहती है. उस का कोई हमदर्द नहीं, कोई हमराज नहीं. वह पड़ीपड़ी दिन गिन रही है कि कब सांस की डोर टूटे और वह दुनिया से कूच कर जाए.

सास हो कर भी उस की ऐसी दशा? यह बात उस के पल्ले नहीं पड़ती. एक जमाना था कि बहू का मतलब होता था एक दबी हुई, सहमी हुई प्राणी जिस का कोई अस्तित्व न था, जो बेजबान थी और जिस पर मनमाना जुल्म ढाया जा सकता था, जिसे दहेज के लिए सताया जा सकता था और कभीकभी नृशंसतापूर्वक जला भी दिया जाता था.

आज के जमाने में बहू की परिभाषा बदल गई है. आज की बहू दबंग है. शहजोर है. वाचाल है. ईंट का जवाब पत्थर से देने वाली. एक की दस सुनाने वाली. वह किसी को पुट्ठे पर हाथ नहीं रखने देती. उस से संभल कर पेश आना पड़ता है. उस के मायके वालों पर टिप्पणी करते ही वह आगबबूला हो जाती है. रणचंडी का रूप धारण कर लेती है. ऐसी बहू से वह कैसे पेश आए. उसे कुछ समझ में न आता था.

उसे याद आया कि उस की सास जब तक जीवित रहीं, हमेशा कहती रहीं, ‘अरी बहू, यह बात अच्छी तरह गांठ बांध ले कि तेरा खसम तेरा पति बाद में है, मेरा बेटा पहले है. वह कोई आसमान से नहीं टपका है तेरी खातिर, उसे मैं ने अपनी कोख में 9 महीने रखा और जन्म दिया है और मरमर कर पाला है. उस पर तेरे से अधिक मेरा हक है और हमेशा रहेगा.’

सुमित्रा अगर ज्योति से ये सब कहने  जाएगी तो शायद ज्योति कहेगी कि मांजी आप को अपना बेटा मुबारक हो. आप रहो उसे ले कर. मैं चली अपने बाप के घर. और आप

लोगों को शीघ्र ही तलाक के कागजात मिल जाएंगे.’

सुमित्रा यही सब सोचने लगी.

हाय तलाक का हौवा दिखा कर बहू घरभर को चुप करा देगी. सुमित्रा की तो सब तरह से हार थी. चित भी बहू की, पट भी उस की.

सुमित्रा ने अपना सिर थाम लिया. सारी उम्र सोचती रही कि वह सास बन जाएगी तो ऐश करेगी. अपने घर पर राज करेगी. पर आज उसे लग रहा था कि सास बन कर भी उस के जीवन में कुछ खास बदलाव नहीं आया. क्या यह नए जमाने का दस्तूर था या बहू की पढ़ाई की कारामात थी या उस के पिता की दौलत का करिश्मा था या फिर बहू की परवरिश का कमाल?

उस की बहू तेजतर्रार है, मुंहजोर है, निर्भीक है, स्वच्छंद है, काबिल है और अपने नाम का अपवाद है.

और सुमित्रा पहले भी बहू थी और आज सास होने के बाद भी बहू है.

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