देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या 2 लाख से अधिक जा पहुंचा है और अब तो हजारों की संख्या में रोज नए मामले सामने आ रहे हैं. सरकार ने हाथ खङे कर दिए और जनता के पास ताली और थाली बजाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.

देश में जब कोरोना से लगभग 1 हजार लोग पीङित थे तो तालाबंदी थी, सब बंद था। अब 2 लाख से अधिक पीङित हो गए तो सब खोल दिया.

आखिर क्यों बंद किया और फिर क्यों खोल दिया? सरकार की योजना तब क्या थी और अब क्या है? यह पूछने की गलती शायद ही कोई करे. ऐसा कोई करेगा तो उस पर गद्दार का तमगा लग सकता है. राष्ट्रभक्ति का प्रमाण मांगा जा सकता है.

इसलिए, जनता जनार्दनो, अब तो वाकई में आप ताली ही बजाओ क्योंकि यही प्रभु इच्छा है और यही आप का नसीब भी.

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पूछोगे तो फंसोगे

देश में जब कोरोना का अलर्ट जारी हुआ था, तब सरकार ने आदेश दिया था कि एअरपोर्ट पर हर किसी को स्क्रीनिंग से गुजरना होगा.

पर यह विडंबना ही है कि लाखों लोग देश में आए मगर स्क्रीनिंग हुआ आधा से भी कम, परिणाम अब पूरा देश देख भुगत रहा है.

मगर चूंकि सरकार मजबूत है, पूर्ण बहुमत में है और कङा फैसला लेती है तो यह पूछने की भी जहमत कौन उठाए कि ऐसा क्यों किया? वैसा क्यों किया?

सरकार कुछ भी फैसला करे आप सिर्फ ताली ही बजाइए, शंख फूंकिए या फिर घंटी टनटनाइए.

देश में करोड़ों मजदूर बदहाली में हैं, लाखों भूखेप्यासे ही सो रहे हैं। जब सब बंद था तो मजदूरों की स्थिति पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां ही सेंकी गईं, सोशल मीडिया जैसे प्लैटफार्म पर संवेदनाएं जाहिर की गईं. मगर किया किसी सरकार ने कुछ भी नहीं. मगर यह भी कोई पूछने की गलती नहीं करिएगा, क्योंकि सरकार बहुमत में है और मजबूत है और जनता बेचारी तो पहले भी कमजोर थी और आज भी है.

रामभरोसे में सरकार

देश में केरल ऐसा पहला राज्य था जहां कोरोना का पहला मामला आया था. पर मजबूत सरकार को प्रभु पर भरोसा ज्यादा था और विज्ञान पर कम. शायद तभी मजबूत सरकार चैन की नींद सोई थी और कोरोना नामक जीव धीरेधीरे भयानाक रूप में लोगों को डराने लगा था.

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तब मजबूत सरकार ने जरूरी ऐहतियात नहीं बरती. विदेशों से आने वाले अमीर लोगों को आने दिया गया. मगर देश के गरीबों को खानापानी दे पाने में सरकार फिसड्डी साबित रही.

बेचारे 1000-1000 किलोमीटर पैदल चले, गिरेपङे, कभी किसी कार वाले ने सङकों पर रौंदा तो कभी रेलगाड़ियों ने कुचला.

देश की जनता का नसीब ही यही है, बावजूद मजबूत सरकार यही कहती रही कि सब ठीकठाक है.

सुनेगी भी क्यों क्योंकि…

देश में पिछले दिनों डाक्टरों के 3 संगठनों ने मिल कर बयान जारी किया कि लौकडाउन को ले कर, मैडिकल को ले कर, मजदूरों को ले कर सरकार की शुरूआती नीति संतोषजनक नहीं रही. सरकार ने किसी की नहीं सुनी. विदेशी विशेषज्ञों की बातों पर यकीन किया मगर देश के विशेषज्ञों को तवज्जो नहीं दी गई. परिणाम यह हुआ कि अब कोरोना बीमारी खतरनाक होने जा रही है, जो आगे क्या कहर बरपाएगी कहना मुश्किल है.

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मगर देश में मजबूत सरकार है. उसे अभी 5 साल शासन करने से कोई नहीं रोक सकता.

इसी अहं में देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रहा है और इसी अहं में देश में तबाही भी मची है.

मगर चूंकि सरकार मजबूत है और गरीब जनता कमजोर, तो फिर कुछ भी पूछने की गलती न करिएगा, गद्दार कहला सकते हैं.

अब तो सरकार की बात मानिए और प्रभु के श्रीचरणों में फूलमालाएं नियमित अर्पित करते रहिए. घर की बालकनी में ताली बजाइए, थाली बजाइए और कभीकभी शंख फूंकिए, क्योंकि अब तो प्रभुजी ही बेङापार लगाएंगे…

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