23 नवंबर 1950 को उत्तर प्रदेश के छोटे से कसबे रामपुर, उत्तर प्रदेश में रजा मुराद का बचपन बीता. आज उन की एक्टिंग का हर कोई दीवाना है. उन्होंने 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया.

साल 1965 में जौहर-महमूद इन गोवा से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले रजा मुराद कई फिल्मों में हीरोइनों पर जुल्म करते और उन्हें परेशान करते नजर आते रहे हैं. पर असल जिंदगी में वे बिलकुल उलट हैं. आज भी वे बेहद मिलनसार हैं. उन की बहुत सी फिल्मों ने  दर्शकों के दिलों पर एक्टिंग की यादगार छाप छोड़ी है. चाहे संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत हो या रणधीर कपूर की फिल्म हिना.

69 साला रजा मुराद को एक्टिंग का शौक बचपन से ही था. उन्होंने इस की तालीम फिल्म एवं टैलीविजन संस्थान से ली. उन्हें फिल्मों में काम करने का कितना शौक था, उन की इस बात से पता चलता है, जब उन्होंने कहा था कि हम तो फिल्म खाते हैं, फिल्म सोते हैं और फिल्म ही ओढ़ते हैं… साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि उन की आवाज में तो जादू है ही, पर एक्टिंग भी उन की पहचान है.

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रजा मुराद अपनी बात कहते हैं कि कोरोना का असर हर तबके के लोगों पर पड़ा, वहीं फिल्म इंडस्ट्री भी अछूती नहीं रही. पिछले 2 महीने यानी 22 मार्च से फिल्म इंडस्ट्री के सभी काम ठप हैं, चाहे फिल्म की शूटिंग हो या गीत रिकौर्डिंग या फिर कैमरामैन का काम, पर अब महाराष्ट्र में अनलौक के दौरान कुछ छूट दी गई है.

महाराष्ट्र सरकार द्वारा फिल्मों की शूटिंग 20 जून से दोबारा शुरू होने से फिल्म इंड्रस्ट्री में खुशी की लहर है, तो वहीं कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जिन को अपने फिल्मी कैरियर की चिंता सता रही है. वजह, 65 साल से ज्यादा उम्र के कलाकारों को सुरक्षा की दृष्टि से शूटिंग करने पर रोक लगाना.

जी हां, यह बात सौ फीसदी सच है. इस मसले पर फिल्मी कलाकार राजा मुराद काफी खफा हैं. उन का मानना है कि सरकार का यह फैसला बेसिरपैर का है, बेबुनियाद है, ये बात बिलकुल भी प्रैक्टिकल नहीं है.

हम कोई खिलाड़ी नहीं हैं, जिन का फार्म गुजरते वक्त से साथ ढलता है. हम तो कलाकार हैं. हमारा हुनर तो गुजरते वक्त के साथ और ज्यादा निखरता है. क्या आप अमिताभ बच्चन से कहेंगे कि आप काम करना छोड़ दें या मिथुन चक्रवर्ती, प्रेम चोपड़ा, शक्ति कपूर, अनिल कपूर से कहंगे कि आप काम न करें. या फिर आप श्याम बेनेगल, महेश भट्ट, डेविड धवन से भी यही कहेंगे कि आप अब फिल्में न बनाएं. ये सविधान में रूलिंग है कि आप किसी को चाहे वे किसी भी उम्र का क्यों न हो, आप उसे उस की रोजीरोटी कमाने से नहीं रोक सकते.

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वे आगे कहते हैं कि आप फिट हैं कि नहीं काम करने के लिए, इस का फैसला करने के लिए कोई मैडिकल प्रैक्टिसनर होना चाहिए, जो कलाकार की जांच कर उन्हें काम करने के लिए क्लीन चिट दे सके.

और अगर कोई सीनियर ऐक्टर मैडिकल सर्टिफिकेट के साथ ये दावा करता है कि मैं फिट हूं तो उसे काम करने की इजाजत मिलनी चाहिए. क्या आप पार्लियामैंट में जा कर कहेंगे कि सीनियर नेता को इस का हिस्सा नहीं बनना चाहिए, या चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. मेरे हिसाब से ये फिजूल का प्रतिबंध है. सीनियर कलाकारों को काम न करने देने के इस फैसले से मैं सहमत नहीं हूं.

वैसे भी कोरोना तो हर उम्र के लोगों को हुआ है. बच्चे भी हैं और बड़ेबुजुर्ग भी. यह फैसला गलत है. सरकार को इंडियन फिल्म एसोसिएशन की तरफ से चिट्ठी लिखी गई है, जिस में इस मुद्दे को दर्ज कराया गया है.

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रजा मुराद की यह सोच कहीं उन पर ही भारी न पड़ जाए, इसलिए कोई कुछ भी नहीं बोल रहा है, पर सचाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. रोजीरोटी का संकट अब फिल्म इंडस्ट्री पर भी 65 साल से बड़ी उम्र के लोगों पर मंडराएगा, यह तय है.

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