पिछले कुछ दिनों से कानपुर में जिस तरह से कालगर्ल रैकेट्स का भंडाफोड़ हो रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि रैकेट चलाने वालों ने इस औद्योगिक नगरी को अपना केंद्र बिंदु बना लिया है. इन के रैकेट में देश की ही नहीं विदेशी बालाएं भी अपने हुनर में इतनी एक्सपर्ट हैं कि…  —सुरेशचंद्र मिश्र   रवि शर्मा ने जो समय तय किया था, उसी समय पर प्रमोद गुप्ता कानपुर के मोतीझील पार्क पहुंच

गया. पार्क के गेट पर ही बेचैन सा एक व्यक्ति चहलकदमी करता दिखा. वह नीली जींस और सफेद रंग की टीशर्ट पहने था. पहचान के लिए उस ने प्रमोद को अपनी यही ड्रैस बताई थी. अत: प्रमोद समझ गया कि यही व्यक्ति रवि शर्मा है. इस के बावजूद आश्वस्त होने के लिए उस ने अपने मोबाइल में सेव किया हुआ रवि का फोन नंबर डायल किया. पलक झपकते ही घंटी बजने लगी.

उस व्यक्ति ने फोन निकालने के लिए जैसे ही जेब में हाथ डाला, प्रमोद ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. जिस से घंटी बजनी बंद हो गई. इस से प्रमोद को यकीन हो गया कि सामने वाला व्यक्ति रवि शर्मा ही है. अत: वह तुरंत उस के पास जा पहुंचा, ‘‘हैलो सर, मैं प्रमोद गुप्ता हूं.’’

गर्मजोशी से दोनों के हाथ मिले. रवि मुसकराया, ‘‘आप ही फोन की घंटी बजा कर मेरी शिनाख्त कर रहे थे.’’

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प्रमोद भी मुसकराया, ‘‘पहली मुलाकात में ऐसा करना पड़ता है.’’

‘‘वैसे भी अगर मैं ने अपने उस दोस्त का हवाला न दिया होता जो अकसर आप के यहां आता है तो मेरे अरमान मचलते ही रह जाते.’’ रवि बोला.

‘‘क्या करें सर, अपना धंधा ही ऐसा है कि फूंकफूंक कर कदम रखना पड़ता है. पता नहीं पुलिस कब किस को बोगस कस्टमर बना कर जाल बिछा दे. इसीलिए अजनबी से डीलिंग करने में सावधानी बरतनी पड़ती है.’’ वह हंसने लगा, ‘‘आप को टेंशन हुई, उस के लिए सौरी. आइंदा आप को शक की निगाह से नहीं देखूंगा.’’

‘‘कोई बात नहीं गुप्ताजी, मैं आप की प्रौब्लम समझता हूं.’’ रवि भी हंसने लगा, ‘‘शिकवाशिकायत हो गई. अब काम की बात की जाए. चलिए, पार्क में बैठ कर इत्मीनान से बात करते हैं.’’

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दोनों मोतीझील पार्क के एक कोने में जा कर बैठ गए. उस समय उन दोनों के अलावा आसपास कोई तीसरा नहीं था. प्रमोद गुप्ता ने काम की बात शुरू करने के पहले चुटकी ली, ‘‘फोन पर आप से बातचीत के बाद मैं ने अनुमान लगाया था कि एक रात की दुलहन की डिमांड करने वाला चढ़ती उम्र का कोई शख्स होगा लेकिन आप तो पकी उम्र के निकले.’’

‘‘गुप्ताजी, 2 ही स्टेज पर आदमी की तबीयत गजब की रंगीन होती है,’’ रवि हंसा, ‘‘पहली बार तब जब उस पर नईनई जवानी आती है. दूसरी स्टेज तब जब उस की उम्र ढलने लगती है.

मेरी भी उम्र ढलने लगी है, सो तबीयत रंगीन है.’’

प्रमोद खिलखिला कर हंसा, ‘‘यार, कुछ भी हो आप आदमी दिलचस्प हैं.’’

‘‘और भी दिलचस्प तब हुआ जाता है जब कोई हसीना सामने हो.’’ रवि ने कहा.

‘‘सर, मेरे होते हुए अब आप को निराश या परेशान होने की जरूरत नहीं.’’ प्रमोद का स्वर व्यावसायिक हो गया. वह रहस्यमय अंदाज में फुसफुसा कर बोला, ‘‘आइटम तो जबरदस्त है, लेकिन उस के लिए आप को मोटी रकम खर्च करनी पड़ेगी.’’

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रवि शर्मा ने प्रमोद की आंखों में देखा, ‘‘फीस तो बताइए.’’

‘‘घंटे भर के 5 हजार और पूरी रात के 30 हजार.’’

‘‘कुछ कम नहीं हो सकता. पहली बार आप से डीलिंग कर रहा हूं, इसलिए डिस्काउंट तो मिलना चाहिए.’’ रवि ने कहा.

‘‘सर, मैं ने आप को डिसकाउंट के बाद का ही रेट बताया है.’’ चारों तरफ सतर्क निगाह डालने के बाद वह दबी जुबान में बोला, ‘‘आप जैसे अमीर और शौकीनों के लिए ही मैं ने लक्ष्मी को दिल्ली से बुलाया है. यहां तो वह केवल एक रात का 30 हजार ले रही है लेकिन दिल्ली में एक रात के वह पूरे 50 हजार वसूलती है. उस की संगत पाने को इतनी रकम देने वालों की कमी भी नहीं है.’’

 

कुछ देर सोचने के बाद रवि शर्मा मुसकराया, ‘‘लेकिन शर्त यह है कि लक्ष्मी को देखने और समझने के बाद ही पूरी रकम दूंगा.’’

‘‘मंजूर.’’ प्रमोद बोला, ‘‘आप फिलहाल 5 हजार एडवांस दे दीजिए.’’

रवि शर्मा ने तुरंत 5 हजार रुपए प्रमोद गुप्ता को दे दिए. रुपए जेब में रख कर प्रमोद बोला, ‘‘कल्याणपुर आवास विकास 3 में शनि मंदिर देखा है न, उसी रोड पर त्रिपाठी भवन है. शाम का धुंधलका फैलते ही आप वहां आ जाना.

लक्ष्मी को देखनेसमझने का मौका मिल जाएगा. हालांकि इनकार की गुंजाइश नहीं है, मगर किसी कारण लक्ष्मी आप को पसंद नहीं आई तो मेरे पास दूसरी लड़कियां भी उपलब्ध हैं. कम से कम 5 लड़कियां तो आप के सामने पेश कर ही दूंगा. उन में से किसी एक को चुन लीजिएगा, उन का रेट भी कम होगा.’’

‘‘मुझे क्या करना है, यह मैं लक्ष्मी को देखने के बाद तय करूंगा.’’ रवि शर्मा बोला, ‘‘फिलहाल यह बताइए कि दिल्ली में धूम मचाने वाली लक्ष्मी, कानपुर क्यों आ गई और आप उसे यहां लाने में सफल कैसे हुए?’’

‘‘कौन्ट्रैक्ट सर, कौन्ट्रैक्ट.’’ प्रमोद राजदाराना अंदाज में बोला, ‘‘कानपुर हो या दिल्ली, मुंबई हो या कोलकाता, चेन्नै हो या बेंगलुरु, असलियत यह है कि देश भर में जितनी कालगर्ल्स हैं वे सब कठपुतलियां हैं. उन की डोर जिन की अंगुलियों में फंसी होती है, उन से मेरा संपर्क है.’’

‘‘यानी आप लोग एकदूसरे को लड़कियां सप्लाई करते हैं.’’

‘‘सर, ऐसा न करें तो आप लोगों को हर बार फ्रैश आइटम न मिले,’’ प्रमोद मुसकराया, ‘‘पैसा खर्च करने वाला बारबार एक ही आइटम के साथ नहीं बैठ सकता न. हर बार उसे नई देह चाहिए होती है.’’

‘‘प्रमोदजी, अभी आप ने बताया कि लक्ष्मी दिल्ली में 50 हजार में डील करती है तो फिर वह घाटे का सौदा करने कानपुर क्यों चली आई?’’

‘‘यह बिजनैस का सीक्रेट है सर, फिर भी मैं आप को बता रहा हूं.’’ प्रमोद ने दबी जुबान में बताया, ‘‘हम रैकेटियर समयसमय पर दूसरे शहरों, राज्यों यहां तक कि दूसरे देशों से कौन्ट्रैक्ट पर लड़कियां बुलाते हैं.

‘‘जैसे हमारे पास इस समय पश्चिम बंगाल और नेपाल की भी लड़कियां हैं. इस में कभी मोटा मुनाफा तो कभी छोटा नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस के अलावा बाजार का सिद्धांत कालगर्ल पर भी लागू होता है. कोई कालगर्ल अगर हमेशा उपलब्ध होती है तो कस्टमर उस का चेहरा देखदेख कर बोर होने लगता है. सो उस की मार्केट वैल्यू घट जाती है. एक महीने के लिए लक्ष्मी इसीलिए दिल्ली के मार्केट से हटी है ताकि वहां उस की डिमांड बनी रहे.’’

‘‘और आप लोग आपस में कौन्ट्रैक्ट करते कैसे हो?’’ रवि ने पूछा, ‘‘मतलब यह कि लड़की का आदानप्रदान कैसे होता है?’’

‘‘हमारे सारे राज जान कर क्या करेंगे सर?’’

‘‘यूं ही, बस अपनी जानकारी के लिए पूछ रहा हूं.’’

‘‘शाम को आएंगे तो बता दूंगा. शाम होने में अभी 3 घंटे बाकी हैं. उस के बाद मिलते हैं.’’ कह कर प्रमोद गुप्ता उठ खड़ा हुआ. उस ने एक बार फिर रवि से हाथ मिलाया और मोतीझील पार्क से बाहर निकल गया.

 

कुछ देर तक रवि शर्मा अकेला बैठा प्रमोद गुप्ता और लक्ष्मी के बारे में सोचता रहा. फिर वहां से निकल कर उस सड़क पर चल पड़ा जो उसे उस की मंजिल तक ले जाती थी.

शाम का धुंधलका फैलते ही रवि शर्मा आवास विकास-3 स्थित त्रिपाठी भवन पहुंच गया. प्रमोद गुप्ता उन का ही इंतजार कर रहा था. उस ने उत्साह से रवि का स्वागत किया और ड्राइंगरूम में ले जा कर सोफे पर बिठाया. रवि को वहां कोई दूसरा नजर नहीं आया तो वह बेचैनी से बोला, ‘‘गुप्ताजी, आप की लक्ष्मी नजर नहीं आ रही, भीतर है क्या?’’

गुप्ता हंसा, ‘‘बड़ी कालगर्ल के नखरे भी बड़े होते हैं. वह आएगी तब जब आप ‘यस’ कहेंगे.’’

 

‘‘भई छोटी रकम की बात नहीं है. 30 हजार जैसी बड़ी रकम है. आप की संतुष्टि के लिए 5 हजार रुपए एडवांस भी दे चुका हूं. जब तक लक्ष्मी को देखूंगा नहीं, तो यश कैसे कर सकता हूं.’’ रवि शर्मा ने कहा.

‘‘अभी दिखा देता हूं,’’ प्रमोद ने उठ कर अलमारी से एक एलबम निकाली और रवि के हाथों में पकड़ा दी, ‘‘लीजिए सर, लक्ष्मी हाजिर है.’’

रवि ने एलबम खोली तो उस में लक्ष्मी के तमाम उत्तेजक तथा  भिन्नभिन्न मुद्राओं के अश्लील फोटो लगे थे. एक फोटो में लक्ष्मी सिर से पांव तक दिखाई दे रही थी. उस ने जींस और टौप पहना हुआ था. दूसरा फोटो उस के चेहरे का मुसकराता हुआ क्लोजअप था. प्रमोद का दावा गलत नहीं था. फोटो देख कर कोई भी आहें भर सकता था.

रवि एलबम देख चुका तो प्रमोद ने पूछा, ‘‘सर, है न 30 हजार की चीज?’’

‘‘प्रमोदजी, फोटो से ठीक से कुछ समझ में नहीं आता.’’ रवि ने एलबम बंद कर के उसे लौटाते हुए कहा, ‘‘आप लक्ष्मी को बुलाइए.’’

प्रमोद ने भीतर की ओर मुंह कर के लक्ष्मी को पुकारा तो वह पलक झपकते ही ड्राइंगरूम में आ कर रवि शर्मा के सामने खड़ी हो गई. उस ने तपाक से रवि से हाथ मिलाया, ‘‘सर, मैं ही हूं आप की लक्ष्मी.’’

रवि ने हौले से उस का हाथ दबाया, ‘‘वाकई चीज तुम मस्तमस्त हो.’’

डील होते देख प्रमोद खुश था. रवि से मुखातिब हो कर बोला, ‘‘सर, बातों में क्यों टाइम खराब कर रहे हो. बाकी रकम चुकाइए और कमरे में जा कर ऐश कीजिए.’’

 

‘‘हां, लक्ष्मी के हुस्न की चकाचौंध में मैं यह तो भूल ही गया था कि आप को 25 हजार रुपए चुकाने हैं.’’ रवि ने लक्ष्मी के हाथ से अपना हाथ खींच लिया और जेब से सेलफोन निकालते हुए बोला, ‘‘रुपए गाड़ी में रखे हैं, मैं ड्राइवर से मंगवाता हूं.’’

इस के बाद रवि ने एक नंबर मिला कर कहा, ‘‘डैशबोर्ड में रुपए रखे हैं. उन्हें ले कर त्रिपाठी भवन आवास विकास-3 आ जाओ.’’

 

5 मिनट भी नहीं लगे कि डोरबैल बजी. रवि प्रमोद से मुखातिब हुआ, ‘‘मेरा ड्राइवर रुपए ले आया. जा कर ले लीजिए.’’

प्रमोद गुप्ता ने खुशीखुशी ज्यों ही दरवाजा खोला, उसे धक्का दे कर कई पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी भीतर घुस आए. पुलिस को देखते ही लक्ष्मी बदहवास हो कर खड़ी हो गई. जबकि प्रमोद गुप्ता इत्मीनान से बैठा रहा.

तेजदिमाग प्रमोद रवि शर्मा को पैनी नजरों से देखने लगा. उसे शक हो रहा था कि रवि पुलिस का आदमी है. प्रमोद कुछ बोल पाता, उस से पहले ही रवि शर्मा बोल पड़ा, ‘‘प्रमोद, मैं रवि शर्मा नहीं बल्कि इंसपेक्टर कल्याणपुर अजय सेठ हूं. अब तुम हमारे जाल में फंस चुके हो.’’

उन्होंने लक्ष्मी और प्रमोद को हिरासत में ले लिया.

पुलिस टीम ने पूरे घर की छानबीन की तो प्रमोद गुप्ता के अलावा 4 युवक और लक्ष्मी के अलावा 2 अन्य लड़कियां मिलीं. सभी को हिरासत में ले लिया. दोनों युवतियां अलगअलग कमरे में अपने ग्राहकों के साथ हमबिस्तर थीं.

 

इस तरह पुलिस टीम ने सैक्स रैकेट सरगना प्रमोद गुप्ता सहित 5 युवक और 3 युवतियों को पकड़ लिया, जबकि प्रमोद का सहयोगी विनीत शुक्ला पुलिस के हाथ नहीं लगा.

पुलिस टीम को मौके से 8 मोबाइल फोन, 8 आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, 2 वोटर आईडी कार्ड, एक ट्रेन टिकट, 50 रुपए का एक नेपाली नोट, 5300 रुपए नगद, कामोत्तेजक दवाएं, स्प्रे तथा अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई. पुलिस सभी को गिरफ्तार कर थाना कल्याणपुर ले आई. यह बात 5 मार्च, 2020 की रात 8 बजे की है.

दरअसल, एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार को गोपनीय सूत्र से पता चला था कि कानपुर (पश्चिम क्षेत्र) में हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट सक्रिय है. उस का सारा काम कौन्ट्रैक्ट तथा औनलाइन बुकिंग के जरिए होता है.

इस रैकेट का परदाफाश करने के लिए एसपी साहब ने एक उच्चस्तरीय टीम का गठन किया. इस टीम में सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार, थानाप्रभारी (कल्याणपुर) अजय सेठ, एसआई एस.के. सिंह तथा थाने के तेजतर्रार आधा दरजन पुलिसकर्मियों को सम्मिलित किया गया. टीम के सहयोग के लिए सर्विलांस टीम तथा क्राइम ब्रांच की टीम को भी लगा दिया गया था.

सर्विलांस टीम ने जांच शुरू की तो पता चला कि इंटरनैशनल एस्कार्ट सर्विस पर परी डौटकौम नाम की साइट से हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का संचालन किया जा रहा है. इस में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल के अलावा नेपाल, थाइलैंड और जापान तक की लड़कियां शामिल हैं.

यह पता चलते ही कल्याणपुर थानाप्रभारी अजय सेठ ने अपने मुखबिरों के सहयोग से देहव्यापार करने वालों का पता लगाया तो प्रमोद गुप्ता का नाम सामने आया. अजय सेठ ने प्रमोद गुप्ता की कुंडली खंगाली तो सब पता चल गया.

प्रमोद गुप्ता के बारे में मिली सूचनाओं से अजय सेठ ने सीओ अजय कुमार तथा एसपी अनिल कुमार को भी अवगत करा दिया. इस के बाद सेठ ने प्रमोद गुप्ता को कानून के जाल में फांसने की योजना बनानी शुरू किया.

 

इंसपेक्टर अजय सेठ ने अपने सूत्रों से प्रमोद गुप्ता का मोबाइल नंबर और उस के एक परमानेंट कस्टमर का नाम जान लिया. इस के बाद तो उन्होंने 5 मार्च, 2020 को उस से फोन पर बात की. प्रमोद पहले तो अजय सेठ से झूठ बोलता रहा, किंतु जब उन्होंने उस के नियमित ग्राहक का हवाला दिया तो उस ने शाम 4 बजे मोतीझील पार्क के गेट पर मिलने को कह दिया.

 

प्रमोद गुप्ता से मोतीझील पर मुलाकात करने के बाद अजय सेठ ने अपनी टीम के साथ मिल कर आगे की रणनीति तय की थी. ग्राहक के तौर पर वह प्रमोद के घर गए और फिर ड्राइवर से रुपए मंगाने के बहाने पुलिस टीम को फोन कर दिया.

छापा मारने के लिए यह पूर्वनियोजित संकेत था. छापे में 5 पुरुष तथा 3 युवतियां पकड़ी गईं.

पकडे़ गए युवकों में एक संचालक प्रमोद गुप्ता था, जबकि ग्राहकों में अंकित कुमार सोनकर, शिवम कश्यप, अमित कुमार तथा मंजेश शुक्ला थे. पकड़ी गई युवतियों में लक्ष्मी मलिक, लक्ष्मी मंडल तथा किरन थापा शामिल थीं. इन में 2 युवतियां पश्चिम बंगाल की थीं जबकि एक नेपाल की थी.

पुलिस ने जब इन से पूछताछ की तो सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. अत: सीओ अजय कुमार ने वादी बन कर धारा 3, 4, 5, 6 देहव्यापार निरोधक कानून तथा धारा 6, 20, 21 रनिंग औफ ब्रोथेल हाउस के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, इस प्रकार थी—

हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का सरगना प्रमोद गुप्ता मूलरूप से औरैया जिले के बेला थानांतर्गत गांव हरदू का रहने वाला था. उस के पिता रमेशचंद्र गुप्ता किसान हैं. उन की 3 संतानों में प्रमोद सब से बड़ा था. वह तेजतर्रार तथा वाचाल था. बीए करने के बाद वह नौकरी की तलाश में वह कानपुर आ गया.

 

प्रमोद ने कानपुर में अपना ठिकाना कल्याणपुर में बनाया. वहां उस ने किराए पर मकान लिया और वहीं रह कर काकादेव कोचिंग सैंटर में सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गया. 3 साल बीत गए पर उस की कहीं नौकरी नहीं लगी. कुछ समय तक वह परेशान रहा. आर्थिक परेशानियों से जूझने के लिए प्राइवेट नौकरी करने लगा.

इन्हीं दिनों उस की मुलाकात विनीत शुक्ला नाम के युवक से हुई. वह नवाबगंज में रहता था और प्राइवेट जौब करता था. विनीत पढ़ालिखा और रंगीनमिजाज था. वह अकसर सैक्स की भूख मिटाने कालगर्ल्स के ठिकानों पर जाया करता था.

 

कानपुर शहर के कुख्यात कालगर्ल सरगनाओं से उस की अच्छी जानपहचान थी. दोनों में दोस्ती हुई तो विनीत ने प्रमोद को भी देहसुख का चसका लगा दिया. फिर तो प्रमोद भी रंगीनमिजाज बन गया. दोनों साथ मिल कर खातेपीते और फिर साथ ही अय्याशी करते.

प्रमोद और विनीत पढ़ेलिखे युवक थे, साथ ही महत्त्वाकांक्षी भी. उन की बहुत ज्यादा पैसे कमाने की महत्त्वाकांक्षा थी, लेकिन प्राइवेट नौकरी से उन की यह तमन्ना पूरी नहीं हो पा रही थी. इसलिए ये कोई ऐसा धंधा करना चाहते थे जिस में कम पूंजी से अधिक धन कमाया जा सके. उन्होंने इस बाबत विचार किया तो जिस्मफरोशी के धंधे पर दोनों की सहमति बनी. इस के बाद दोनों इस धंधे को क्रियान्वित करने में जुट गए.

विनीत तथा प्रमोद का कानपुर शहर की अनेक सैक्स नायिकाओं और देहजीवाओं से सीधा संपर्क हो गया था. उन के माध्यम से दोनों ने इस धंधे में पैर फैलाए. उन्होंने अंबेडकर नगर (कल्याणपुर) में एक फ्लैट किराए पर लिया और सैक्स रैकेट चलाने लगे. शुरू में उन्हें इस धंधे में कुछ कठिनाई आई, लेकिन उस के बाद उन का धंधा फलनेफूलने लगा.

दोनों ने पुरानी सैक्स नायिकाओं की मदद से रैकेटियरों का पता लगाया, जो बडे़ शहरों से कौन्ट्रैक्ट पर कालगर्ल्स भेजते थे. इस के बाद वे दोनों भी कौन्ट्रैक्ट पर बड़े शहरों से अंतरराज्यीय कालगर्ल्स को डिमांड के आधार पर अपने अड्डे पर मंगाने लगे.

दोनों का यह रैकेट चलने लगा तो इस धंधे को बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया. वह इंटरनैशनल एस्कौर्ट सर्विस नाम की वेबसाइट के जरिए सैक्स रैकेट का संचालन करने लगे. वेबसाइट पर उन का वाट्सऐप नंबर उपलब्ध रहता था.

कस्टमर के संपर्क करने पर वे उसे वाट्सऐप पर लड़कियों के फोटो रेट के साथ भेज देते थे. कालगर्ल की खूबसूरती के हिसाब से उस का रेट 3 से 5 हजार होता था. पूरी रात का 20 से 30 हजार तक लिया जाता था.

 

अगस्त, 2019 में प्रमोद और विनीत ने अपना ठिकाना बदल लिया. पुराने ठिकाने पर जब सुगबुगाहट होने लगी तो पकड़े जाने के डर से उन्होंने ठिकाना बदल दिया और आवास विकास

3 कल्याणपुर में 10 हजार रुपए महीने के किराए पर एक आलीशान मकान ले लिया.

यह मकान चंद्रक्रांत त्रिपाठी का था. वह कैंसर रोग से पीडि़त थे और उन का इलाज दिल्ली में चल रहा था. इलाज के लिए वह पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहे थे. इलाज में पैसों की कमी आने पर ही गीता ने प्रमोद को अपना मकान किराए पर दिया था.

 

अब तक प्रमोद गुप्ता ने अपने सैक्स रैकेट का दायरा और भी बढ़ा लिया था. उस ने रैकेट में नेपाल, जापान और थाइलैंड की देहजीवाओं को भी शामिल कर लिया था. हालांकि उन के रेट हाई थे, फिर भी ग्राहक मिल जाते थे.

मार्च 2020 के पहले हफ्ते में प्रमोद ने 3 कालगर्ल्स को दिल्ली तथा नोएडा से कौन्ट्रैक्ट पर बुलाया था. इन में 2 पश्चिम बंगाल तथा एक नेपाल की थी. संचालक प्रमोद गुप्ता ने इन कालगर्ल्स की बुकिंग भी कर ली थी.

इधर इस हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट की जानकारी एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार को लगी तो उन्होंने एक पुलिस टीम का गठन किया. फिर 5 मार्च, 2020 को टीम ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया.

उस समय प्रमोद का साथी विनीत शुक्ला बच निकला था, क्योंकि वह 2 कालगर्ल्स को कार से ले कर किसी होटल गया था. जहां ग्राहक उस का इंतजार कर रहे थे. छापे की भनक लगते ही वह फरार हो गया था.

सैक्स के अड्डे से पकड़ी गई लक्ष्मी मंडल पश्चिम बंगाल के 24 परगना की रहने वाली थी. उस की मां की मृत्यु हो गई थी और पिता शराबी था. एक दिन ठेके पर बाप ने ज्यादा शराब पी ली तो एक युवक उसे छोड़ने घर आ गया. उस का नाम रहमान था.

रहमान की नजर लक्ष्मी पर पड़ी तो उसे देखता ही रह गया. लक्ष्मी की खूबसूरती पर रहमान फिदा हुआ तो वह अकसर लक्ष्मी के घर आने लगा. वह उस के बाप की आर्थिक मदद भी करने लगा.

 

रहमान दिखने में स्मार्ट था. बातें भी लच्छेदार करता था, इसलिए लक्ष्मी भी उस की ओर आकर्षित होने लगी थी. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. चाहत बढ़ी तो एक रोज रहमान ने अपने प्यार का इजहार कर दिया. लक्ष्मी ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. फिर कुछ दिनों बाद रहमान उसे दिल्ली ले आया.

रहमान चांदनी चौक में रहता था. वह कालगर्ल्स का दलाल था. दिल्ली की कई सैक्स रैकेट संचालिकाओं से उस की जानपहचान थी. वह पश्चिम बंगाल से गरीब तबके की खूबसूरत लड़कियों को शादी के बहाने बरगला कर दिल्ली लाता और फिर सैक्स रैकेट संचालिकाओं को बेच देता.

 

लक्ष्मी को भी उस ने मौसी (संचालिका) के घर चांदनी चौक छोड़ा फिर फरार हो गया. संचालिका ने उसे समझाबुझा कर देह व्यापार के धंधे में उतार दिया. इस के बाद लक्ष्मी मंडल सैक्स रैकेटियरों की कठपुतली बन गई. उसे कौन्ट्रैक्ट पर एक शहर से दूसरे शहर भेजा जाने लगा. लक्ष्मी को पैसा और देहसुख दोनों मिलते थे, सो वह इस धंधे में रम गई.

3 मार्च, 2020 को लक्ष्मी मंडल कौन्ट्रैक्ट पर कानपुर में सैक्स रैकेट संचालक प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर पहुंची थी. उसे धंधा करते अभी 2 दिन ही बीते थे कि पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ी गई.

देह व्यापार के अड्डे से पकड़ी गई किरन थापा काठमांडू, नेपाल की रहने वाली थी. उस के मातापिता बेहद गरीब थे और बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलता था. 4 बहनों में वह सब से बड़ी थी. उस का एक रिश्तेदार गाजियाबाद में रहता था. वह उसे नौकरी दिलाने के बहाने गाजियाबाद लाया था.

यहां उस ने कुछ महीने तक उस का दैहिक शोषण किया फिर घर से निकाल दिया. अनजान शहर में वह कहां जाती. वह गाजियाबाद स्टेशन पहुंची तो उसे अधेड़ उम्र की एक महिला मिली. वह उसे गाजियाबाद की दीपक विहार कालोनी ले आई.

वह महिला सैक्स रैकेट संचालिका थी. उस ने उसे भी देह व्यापार के धंधे में उतार दिया. बाद में संचालिका उसे कौन्ट्रैक्ट पर दूसरे शहरों में भेजने लगी.

कानपुर शहर के प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर वह 50 हजार रुपए के कौन्ट्रैक्ट पर 3 दिनों के लिए आई थी. लेकिन 5 मार्च को जब प्रमोद के अड्डे पर छापा पड़ा तो वह भी पकड़ी गई. रात 12 बजे उस की वापसी की टिकट थी लेकिन, उस के पहले ही वह पकड़ी गई.

पुलिस छापे में पकड़ी गई लक्ष्मी मलिक पश्चिम बंगाल के 24 परगना के रजलपुर की रहने वाली थी. उस के पिता की मृत्यु हो चुकी थी और मां ने दूसरा ब्याह रचा लिया था. उस का सौतेला बाप उस पर बुरी नीयत रखता था.

एक दिन मां की गैरमौजूदगी में सौतेले बाप ने उसे हवस का शिकार बनाने की कोशिश की तो वह घर से भाग खड़ी हुई. बस स्टाप पहुंची तो उस की हालत पर एक अधेड़ आदमी को तरस आ गया. वह उसे कोलकाता ले आया.

 

उस ने लक्ष्मी को एक माह तक रखा. इस बीच उस ने उसे बाप जैसा प्यार दिया. एक रोज उस के घर एक व्यक्ति आया. उस ने एकांत में बैठ कर बात की. फिर वह अधेड़ बोला, ‘‘बेटी, तुम इन के साथ दिल्ली जाओ. यह वहां तुम्हारी नौकरी लगवा देंगे. तुम्हारी जिंदगी मजे से कटेगी.’’

मजबूर लक्ष्मी मलिक उस युवक के साथ दिल्ली आ गई. उस ने लक्ष्मी को 2 महीने तक जमुनापार की झोपड़पट्टी में रखा. वह मानव तस्कर था. उस ने लक्ष्मी मलिक को पैसों के लालच में देह संचालक के हवाले कर दिया.

उस ने लक्ष्मी मलिक को जिस्मफरोशी के धंधे में उतार दिया. लक्ष्मी जवान व खूबसूरत थी. अत: उसे कौन्ट्रैक्ट पर लखनऊ, बनारस, आगरा व कानपुर भी भेजा जाने लगा. जिस से रैकेटियर की अच्छी कमाई होने लगी.

 

लक्ष्मी मलिक भी 3 मार्च, 2020 को एक सप्ताह के लिए 50 हजार रुपए के कौन्ट्रैक्ट पर प्रमोद गुप्ता के ठिकाने पर आई थी किंतु 5 मार्च को जब प्रमोद के ठिकाने पर पुलिस का छापा पड़ा, उस समय वह एक ग्राहक के साथ थी.

ग्राहक के तौर पर पकड़े गए कल्याणुपर (अंबेडकरनगर) निवासी अमित कुमार और बगदौधी (बिठूर) निवासी मंजेश शुक्ला पेशे से व्यापारी हैं. दोनों दोस्त हैं और कपड़े का व्यवसाय करते हैं. मौजमस्ती के लिए दोनों कालगर्ल्स की तलाश में रहते थे.

एक रोज मंजेश शुक्ला को वेबसाइट के माध्यम से आवास विकास 3 में चलने वाले सैक्स रैकेट के बारे में पता चला. उस ने इस की जानकारी अपने दोस्त अमित कुमार को दी. इस के बाद दोनों ने संचालक से मोबाइल पर बात की और एक घंटे के लिए 2 कालगर्ल्स की बुकिंग 6 हजार रुपए में कर ली थी.

5 मार्च, 2020 की रात 8 बजे अमित और मंजेश प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर पहुंचे. दोनों ने रकम चुकाई और कालगर्ल के साथ रूम में चले गए. अभी दोनों अलगअलग रूम में कालगर्ल के साथ हमबिस्तर थे कि पुलिस का छापा पड़ा और कालगर्ल के साथ दोनों पकड़े गए. पकड़े जाने के बाद दोनों ने पुलिस से छोड़ देने की गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने उन की एक नहीं सुनी.

औरैया के फफूंद थाने के जुआं गांव निवासी अंकित सोनकर तथा निराला नगर निवासी शिवम कश्यप भी वाट्सऐप इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर के जरिए सैक्स रैकेट से जुड़े थे. 5 मार्च की रात दोनों मौजमस्ती के लिए प्रमोद गुप्ता के अड्डे पर पहुंचे थे, लेकिन वह रात उन के लिए मनहूस साबित हुई. वहां पुलिस का छापा पड़ा और दोनों भी पुलिस के चंगुल में फंस गए.

6 मार्च, 2020 को थानाप्रभारी ने सभी आरोपियों को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट एस.के. सिंह की अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जिला जेल भेज दिया गया. एक आरोपी विनीत शुक्ला फरार था. पुलिस उस की तलाश में जुटी थी.

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