आजकल गरीबों पर तो मानो चौतरफा मार पड़ रही है. एक ओर जहां गरीब भुखमरी की मार झेल रहा है, वहीं सरकार भी मारने में पीछे नहीं है. क्योंकि सरकारी राशन में अब प्लास्टिक दाल मिल रही है यानी धांधली की बू नजर आ रही है.

राशन बांटने वाले सरकार को कुसूरवार ठहरा रहे हैं, वहीं सरकार भी उचित कार्यवाही का झुनझुना थमा कर लीपपोती में लगी है.

गरीब कार्डधारक अपनी समस्या बता रहे हैं कि प्लास्टिक दाल खा कर क्या हमारी तबीयत नहीं बिगडे़गी, वहीं राशन देेने वाले यही कह रहे हैं कि हम क्या करें जो एफसीआई के गोदाम से आ रहा है, वही बांट रहे हैं, पर कार्डधारक इस बात को सुनने को तैयार नहीं. यही वजह है कि वे दुकान पर जम कर हंगामा कर रहे हैं.

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भले ही यह कसबा छोटा है, पर जब हंगामा मचा तो पता चला कि यहां प्लास्टिक दाल कार्डधारक लाभुकों को बांटी जा रही है और लोग लेने से मना कर रहे हैं.

इन लोगों का यही कहना है कि राशन सही नहीं मिल रहा है, जबकि राशन देने वाले कह रहे हैं कि जब खाद्य आपूर्ति विभाग ही इसे परोसने का काम कर रहा है तो इस में वे क्या कर सकते हैं.

गढ़वा, झारखंड के कांडी इलाके में हुई यह घटना 4 जून, 2020 की है. खाद्य आपूर्ति विभाग ही लोगों को प्लास्टिक मिली चना दाल दे रहा है तो वे क्या कर सकते हैं. जब प्रखंड मुख्यालय के कांडी बाजार स्थित जन वितरण प्रणाली

के डीलर सत्यम स्वयं सहायता समूह के द्वारा दर्जनों लाभुक कार्डधारकों के बीच राशन बांटने में अनियमितता देखने को मिली तो इन लोगों ने जन वितरण की दुकान पर जम कर बवाल काटा. साथ ही,  इन लोगों ने यह भी बताया कि डीलर द्वारा मनमानी तौर पर राशन वितरण में भी राशन की कटौती की जा रही है.

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इस मामले को ले कर कार्डधारक लाभुकों ने जन वितरण प्रणाली की दुकान पर जम कर हंगामा किया, वहीं लाभुकों के बीच वितरित की गई चना दाल में प्लास्टिक का दाना मिला होने के कारण लाभुकों ने हाथ में दाल ले कर प्लास्टिक के दाने को दिखाया. दाल के ही आकार का प्लास्टिक का उजला दाना देख कर लोग भड़क उठे.

बचाव में अपनी सफाई देते हुए डीलर कांति देवी ने बताया कि इस तरह की दाल एफसीआई के गोदाम से ही मिली है. इस में हमारी कोई भूमिका नहीं है. उक्त दाल का उठाव 14 मई को प्रखंड परिसर में स्थित गोदाम से किया गया था. दाल बोरे में पैक थी. ऐसे में वह दाल में प्लास्टिक का दाना क्यों मिलावट कर दाल का वितरण करेंगी.

उन्होंने कहा कि जिस समय कार्डधारक लाभुकों को चना दाल मिली, वे दाल ले कर अपने घर चले गए, पर बाद में दाल के साथ प्लास्टिक का दाना मिला कर दाल दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं.

इस मामले में प्रदीप कुमार, एसडीओ सह प्रभारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी, गढ़वा ने कहा कि मामला संगीन है. जांच का आदेश प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बीडीओ को दिया. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही डीलर के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी.

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मामला उजागर होने के बाद इस मामले में कार्यवाही तो की जाएगी, यह तो तय है, पर तब तक कई लोग इस तरह की प्लास्टिक दाल का सेवन कर चुके होंगे, साथ ही अपनी सेहत को दुरुस्त बनाने के बजाय बिगाड़ चुके होंगे.

प्लास्टिक मिली चना दाल हर लिहाज से पेट के लिए बहुत ही नुकसानदायक है, वहीं इसे खाने से पेट संबंधी बीमारी या कैंसर जैसी घातक बीमारी  लगने की संभावना हो सकती है. यह खिलवाड़ कितना उचित है? क्या सरकार इस पर ध्यान देगी?

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