कोरोना संक्रमण से बचाव के संदेश में सरकारी प्रचार में कहा जाता है कि हमें बीमारी से लडना है बीमारो से नहीं. भगवा गैंग ने पाखंड और नफरत फैलाने के लिये जमातियों के बहाने समाज में धर्मो के बीच दूरिया फैलाने का काम किया. कोरोना के मरीजो की बढती संख्या से अब यह साफ हो गया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति से फैलता है. जाति और धर्म से नहीं.

संकट के दौर में जानवर और इंसान भी आपस में बैर भूलकर एक जगह रहते है. कोई किसी पर हमला नहीं करता है. धर्म के नाम पर इंसान सकंट के दौर में भी हिन्दू मुसलिम करने से पीछे नहीं रहे. कोरोना संक्रमण को लेकर जमातियो के बहाने एक वर्ग को संक्रमण फैलाने का जिस तरह से जिम्मेदार माना गया. उसने समाज की सोंच को बदला और आपसमें नफरत और भेदभाव का वातावरण बनाया. यह भेदभाव केवल धर्म के नाम पर ी नहीं था. गरीब और मजदूर के नाम पर भी किया गया. जहां गरीब सडको पर पैदल चलने और हादसों में शिकार होकर मरने के लिये मजबूर थे वही अमीर वर्ग को बस और हवाई जहाज से उनके घरो तक पहंुचाने का काम किया गया.कानपुर की डाक्टर आरती लालचंदानी का वीडियो उसी समय का है जब कोरोना संक्रमण के लिये जमातियों को जिम्मेदार माना जा रहा था. जैसी समाज में धारणा बन रही थी वह धारणा वीडियों में डाक्टर आरती लालचंदानी ने व्यक्त की थी.

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कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में भगवा गैंग ने सबसे पहले यह प्रयास किया कि इसका पूरा ठिकरा जमातियों के उपर फोडा जा सके. इसका पूरा प्रयास सरकार से लेकर संगठन के स्तर तक चलाया गया. इसके तहत जमातियों के उपर तमाम तरह के मुकदमें कायम किये गये. जमातियों के द्वारा क्वायरटाइन घरों में किये जा रहे उत्पातों के भी वीडियों वायरल हुये. ऐसा लगने लगा कि जैसे करोना संक्रमण की वजह यह जमाती लोग ही थे. दक्षिण दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज में शामिल लोगों में 1200 जमातियों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. सभी सरकारों ने अपनी सूचनायें दिल्ली पुलिस को दी. 28 से 31 मार्च के दौरान तब्लीगी मरकज से 2300 जमाती निकाले गए थे. इसके बाद दिल्ली के विभिन्न मुस्लिम बाहुल्य इलाकों, मस्जिद व मदरसों में छिपे करीब 1300 जमातियों को दिल्ली पुलिस ने ढूंढ़ निकाला था. इनमें जो कोरोना पॉजिटिव मिलने उन्हें भर्ती करा दिया गया था. अन्य सभी को क्वारंटाइन किया गया है.

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इन बातों को लेकर भगवा गैंग ने प्रचार करना शुरू किया. असल में भगवा गैंग यह चाहता था कि कोरोना संकट के लिये जमातियों को ही जिम्मेदार ठहराया जाये. जिससे समाज में हिन्दू मुसलिम के बीच की दूरी को पैदा किया जाये और धार्मिक दूरी फैलाकर हिन्दूत्व के वोटबैंक को मजबूत किया जा सके. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से खुद कोरोना संकट के लिये जमातियों को आरोपी ठहराने लगे. असल में केन्द्र और प्रदेश सरकार दोनो को यह लग रहा था कि कोरोना संक्रमण को फैलने से वह नहीं रोक सकते ऐसे में अपनी नाकामी छिपाने के लिये जमातियों पर निशाना लगाना शुरू कर दिया था. इस प्रचार में भगवा गैंग भी शामिल हो गया. इसका असर डाक्टरों और दूसरे वर्ग के लोगों पर भी दिखने लगा.
कानपुर की डाक्टर आरती लालचंदानी ः

कोरोना के लिये जिम्मेदार जमाती है. यह अफवाह अपना काम करने लगी. केवल जनता ही नहीं पढालिखा वर्ग भी यही समझने और वैसा ही व्यवहार करने लगा. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की डाक्टर आरती लालचंदानी का वीडियो वायरल होने के साथ यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि भगवा गैंग अपने मिशन में सफल रहा है. उत्तर प्रदेश के कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य ने तब्लीगी जमातियों को टेरेरिस्ट बताया था. इस वीडियों में डाक्टर लालचंदानी कह रही है ‘कहना नहीं चाहिए पर ये तो टेरेरिस्ट हैं. इनको हम वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं. हम अपना रिर्सोसेज एग्जॉस्ट कर रहे हैं. हम अपने डॉक्टरों को बीमार कर रहे हैं. हमारे 100 पीपीई किट इन पर खराब हो रहे हैं. हमें तो किट सब्सिडी में मिल रही है. लेकिन, सरकार दो हजार-ढाई हजार रुपए इन पर खर्च कर रही है. ये सब खर्च हम इन पर कर रहे हैं.

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वीडियो वायरल होने पर सफाई देते कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर प्रोफेसर आरती लालचंदानी. करीब 2 माह पहले के वीडियो मे सफाई देते कहा कि ‘वीडियो से छेड़छाड़ की गई. मुझे ब्लैकमेल करने की नीयत से इस वीडियो वायरल किया गया है. हमने दोषियों पर कार्रवाई से पहले शासन से दिशा-निर्देश मांगा है. डाक्टर लालचंदानी ने नया वीडियो जारी करके सफाई देेते कहा कि ‘कई मुस्लिम भाई बहन की अपनों की तरह सेवा की है. यह घटना 75 दिन पहले की है और इसे बदनीयती से मेरे विरोधियों ने अब जाकर रिलीज किया है. मेरे संपर्क में कई मुस्लिम भाई-बहन और बच्चे हैं, जिन्हें मैंने अपनों की तरह प्यार किया है. उनकी सेवा की है. यहां तक कि तब्लीगी जमात के जिन मरीजों ने हमारे हेल्थ वर्कर्स पर हमला किया था. हमने उनसे भी अच्छे रिश्ते बनाए. उन्होंने कुछ दिनों के भीतर माफी मांग ली थी. हमने भोजन-पानी और दवाओं से उनकी हर तरह से तीमारदारी की. इसके लिए उन्होंने हमारा शुक्रिया भी अदा किया.

आरती के खिलाफ काररवाई की मांग 

डाक्टर आरती ने कहा कि वह कुछ मीडियाकर्मियों से अनौपचारिक बातचीत कर रही थीं तभी चुपके से वीडियो बनाया गया. इस वीडियों के वायरल होने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई. समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी ने डीएम ब्रह्मदेव राम तिवारी को राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन देकर प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. शहर काजी मौलाना आलम रजा खान नूरी की अगुवाई में कई मुस्लिम संगठनों ने प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. डाक्टर आरती लालचंदानी जैसी सोंच रखने वाले एक दो लोग नहीं है. बडी संख्या में ऐसे लोग है जो कोरोना को लेकर यह मानते थे कि कोरोना फैलाने जमातियों का सबसे बडा हाथ था. यही नहीं सरकार ने जब इन लोगों के खिलाफ कडे कदम उठाये तो बहुत लोग खुश भी होते रहे.

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सोशल मीडिया पर यह खूब देखने को मिला. सोशल पर जमातियांे के विरोध में पूरा एक वर्ग सक्रिय हो गया. यह भगवा गैंग का वही वर्ग है जिसने पांखड को फैलाने में पूरी तरह से मदद की. यह लोग समाज को यह बताने का प्रयास करते रहे कि कोरोना संकट जमातियों के कारण हुआ है. धर्म के नाम पर फैलाई गई दूरी का लाभ उठाया. समाज में नफरत का बीज बोने में सफल रहे. कहतें है कि संकट के समय जानवर भी हमला नहीं करता और इंसान को किसी तरह का नुकसान नहीं पहंुचाता. धर्म के नाम पर आपसी भेदभाव इतना बढ गया कि कोरोना संकट के समय भी धर्म के नाम पर लोग आपस में लडते झगडते रहे.
कोरोना संक्रमण बढने के साथ यह बात भी साफ होने लगी कि संक्रमण धर्म, जाति या समुदाय से नहीं फैलता है. यह संक्रमित व्यक्ति से फैलता है. वह किसी भी जाति धर्म और समुदाय का हो सकता है. जब प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हुआ तो यह संक्रमण उनके द्वारा भी बाकी समाज तक पहुंचते दिखने लगा. आरती लालचंदानी की फोटो लगा सकती है. इसके साथ कुछ जामती लोगों की फोटो लग सकती है.

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