एकतरफ जहाँ पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को जड़मूल से खत्म करने के लिए कई तरह के प्रयास और अनुसंधान में लोग लगे हैं. भारत में इससे मुक्ति के लिए लोग नमाज पढ़ रहे हैं. दुआ माँग रहे हैं और लोग हवन और पूजा कर रहे हैं. इसी बीच मंदिर में नर बलि और शिव मंदिर में अपनी जीभ काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने की खबरें भी आ रही हैं. हम जैसा समाज बनायेंगे उसके परिणाम भी उसी तरह का निकलेगा.
ओडिशा के कटक जिले के बन्धहूडा गाँव के ब्राह्मणी देवी मंदिर परिसर में एक पुजारी ने मंदिर में मानव की बलि दे दी.उसे यह विश्वास था कि इससे घातक कोरोना वायरस नष्ट हो जाएगा.पुजारी ने कहा कि भगवान ने उसे सपने में आदेश दिया कि मानव बलि से कोरोना का कहर समाप्त हो जाएगा.पुजारी ने पुलिस के समक्ष कबूल किया कि मैंने कोरोना वायरस को रोकने के लिए आदमी की बलि दी.
दूसरी घटना कोरोना वायरस से अपने गाँव को बचाने के लिए उत्तरप्रदेश के बाँदा जिला अंतर्गत भदावल गाँव की 16 वर्षीय लड़की ने अपनी जीभ काटकर शिवमंदिर में चढ़ा दी.उसके बाद वह बेहोश हो गयी.लोगों ने उसे सदर अस्पताल में भर्ती करायी.
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इसी तरह की एक हिर्दयविदारक घटना बिहार राज्य के भागलपुर जिले में विगत वर्ष घटी है. पीरपैंती थाना क्षेत्र अंतर्गत विनोबा टोला अंतर्गत शिवनंदन ने तांत्रिक के बहकावे में आकर एक पुत्र की चाहत में अपने 11 वर्षीय भतीजे की बलि देक़र हत्या कर दी.शिवनंदन की शादी 12 वर्ष पूर्व हुवी थी.उसे कोई अभी तक औलाद नहीं हुआ था.तांत्रिक ने बताया कि अगर वह किसी अपने रिश्तेदार के बच्चे को बलि देते हो तो तुम्हें सन्तान की अवश्य प्राप्ति होगी.उसके कहने पर शिवनन्दन दीपावली की रात अपने भाई सिकन्दर के पुत्र कन्हैया को पटाखा दिलाने का लालच दिया और गाँव के पास ही बाँस के जंगल में बलि देकर हत्या कर दी.पहले कद्दू की बलि दी गयी उसके बाद कन्हैया की बलि दे दी.इस घटना की निंदा सरेआम की जा रही है.
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