आंखों की सुदंरता के लिये जरूरी यह होता है कि उसके आसपास की त्वचा भी सुदंर हो. आंखांे के आसपास की सुदंर त्वचा से आंखों की सुदंरता बढ जाती है. आंखों में होने वाली कुछ बीमारियों से आंखों के आसपास की त्वचा खराब हो जाती है. इसलिये जरूरत इस बात की है कि इन बीमारियो से बचाव करके आंखो को सुंदर बनाया जाय. आंखों के आसपास की त्वचा को खराब करने के लिये होने वाली बीमारियां किसी भी उम्र में हो सकती है. इनमें आदमी, औरते और बच्चे सभी शामिल है. आंखों के आसपास की त्वचा कई बीमारियों से खराब होती है. इन बीमारियों में बरौनी में होने वाली रूसी, बिलनी ;पलको पर गांठ बननाद्ध, आंख आना ;कंजक्टिवाइटिसद्ध, आंखों का रूखापन, डार्क सरकल ;आंखों के चारो तरपफ काला घेराद्ध, भवों और पलको के बीच चकत्ते नुमा हल्के उभार प्रमुख है. आंखो के वि}ोषज्ञ डाक्टर सौरभ चन्द्रा के साथ इस मुददे पर खास बातचीत हुई.

डार्क सरकल- आंखो के नीचे काले घेरे

आंखों के आसपास की त्वचा को खराब करने वाली सबसे बडी बीमारी को डार्क सरकल कहा जाता है. इस बीमारी में आंखो के चारो तरपफ काले रंग का घेरा बन जाता है. यह आंखो के आसपास की त्वचा के खराब होने से होता है. यह आंखों की सुदंरता को सबसे ज्यादा खराब करता है. यह कालापन नींद की कमी, मानसिक तनाव, शारीरिक थकान, भोजन में विटामिन और दूसरे तत्वो की कमी से हो जाता है. इसको दूर करने के लिये जीवन को नियमित करे. भरपूर नींद ले. तनाव को कम करे. भोजन में पफल हरी सब्जी का प्रयोग खूब करे. सापफ पानी का सेवन भी खूब करे. खीरे को काट कर आंखों के उफपर रखने से डार्क सरकल हटाने में मदद मिलती है.

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बरौनी में रूसी

बरौनी में होने वाली रूसी से आंखो के आसपास की त्वचा खराब हो जाती है. रूसी से  बरौनी में लगातार खुजली होती है. बरौनी के बालों में रूसीनुमा पपडी सी जम जाती है. इससे पलको पर भारीपन महसूस होता है. कभी कभी सूजन भी आ जाती है. इस बीमारी से बरौनी झडने लगती है. उसके आसपास की त्वचा भी खराब लगने लगती है. त्वचा पर चकत्ते पड जाते है वह बदरंग हो जाती है.

जिन लोगो के सिर के बालों में रूसी होती है उनमें यह बीमारी जल्दी हो जाती है. इसके अलावा गंदे हाथों से बार बार पलको का छूना, प्रदूषण वाले माहौल में रहना, खराब किस्म का आइलाइनर, मस्कारा, काजल, आर्टीपिफशियल आइलेंस का प्रयोग करने, किसी दूसरे का प्रयोग किया कास्मेटिक लगाने, जिन लोगो को यह बीमारी हो उनका तौलिया, तकिया और रूमाल प्रयोग करने से यह बीमारी हो जाती है.

बरौनी में रूसी की परेशानी हो तो सबसे पहले बालों की रूसी कस इलाज कराना चाहिये. इसके लिये किसी अच्छे शैम्प्ूा का प्रयोग करे. जिसमें रूसी को खत्म करने की ताकत हो. यह शैम्प्ूा इस तरह का हो जो त्वचा को नुकसान न पहुचाता हो. जब भी कही बाहर से वापस शाम को एक बार गुनगुने पानी से बरौनी को सापफ करके उसकी सिंकाई जरूर करे. सापफ हाथो से इसकी मालिश ध्ीरे ध्ीरे करे. रूई को लेकर कंाच की गोली के आकार की छोटे छोटे 5 से 7 गोले बना ले. इनको थोडे से पानी में उबाल कर ठंडा कर ले. जब त्वचा इस गर्मी को सहने के लिये तैयार हो जाये तो रूई के गोलों का पानी निचोड कर पलको के किनारो की इससे सिकांई करे.

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अच्छे किस्म की क्रीम को हाथ में थोडा सा लेकर बरौनी और पलको के किनारो पर उफपर से नीचे की ओर कम से कम 15 से 20 बार हल्के दबाव के साथ मालिश करनी चाहिये. उफपर की पलको की मालिश करने के लिये नीचे पैरो की ओर देखते हुये करे. नीचे की पलको की मालिश करने के लिये उफपर देखते हुये करनी चाहिये. यह काम रात को सोने से पहले करे और इसको करने के लिये कभी भी आंखों में किसी तरह का कोई मेकअप न करे.

बिलनी – पलको पर गांठ बनना

आंखों के उफपर या नीचे की पलको पर गांठ बन जाने को बिलनी कहते है. इससे आंख के आसपास की त्वचा काली पड जाती है. बिलनी की गांठ को दबाने से आमतौर पर दर्द नही होता है. केवल गांठ सी बन जाती है जो आंखों के आसपास की त्वचा को खराब कर देती है. आंखों की खूबसूरत शेप बिगड जाती है. गुनगुने पानी और कपडे की सिकाई और मलहम की मालिश से यह आमतौर पर ठीक हो जाता है. अगर यह बार बार निकले तो होशियार हो जाये. इसका इलाज आंखो के डाक्टर से मिल कर करे. कभी कभी ज्यादा मीठा खाने से भी यह परेशानी बढ जाती है. चश्में का नम्बर बढने से भी ऐसा हो जाता है. अगर गांठ लम्बे समय से हो और बडी हो तो डाक्टर से मिले.

कभी कभी यह बिलनी आखों की अंदर या बाहर की तरपफ निकलती है तो बहुत दर्द करती है. इसके लिये भी गुनगुनी सिकाई पफायदेमंद होती है. अगर परेशानी इससे ठीक न हो तो डाक्टर से मिले वह इस जगह पर लगाने के लिये मलहम और आंखों में डालने के लिये आईड्राप दे सकते है. जिससे यह जल्दी ठीक हो जाता है. यह दाने आंखों की सही तरह से सपफाई न करने से हो जाते है. मस्कारा या आई लाइनर लगाने और रात को सोने से पहले उनको निकालने में सावधनी नही बरतने से ऐसा हो जाता है.

नाखूना

आंख की श्लेष्मला में एक त्रिाकोण जैसी भददी मटमैली चीज आंख के अदरूनी कोने से स्वच्छ पटल की ओर बढने लगती है. इसका सिरा स्वच्छ पटल की ओर होता है. यह ज्यादातर आंख के नाक वाले कोने की तरपफ से शुरू होता है. कभी कभी यह बडी गोल पुतली के दोनो तरपफ हो जाता है. यह आंखों में दाग का काम करता है. आंखो की सुदंरता का खराब करता है. यह अक्सर गंदे पानी , ध्ूल , ध्ुआं और ध्ूप से लाल होने वाली वाली आंखों में हो जाता है. इससे आंखे बदसूरत हो जाती है और यह आंखों में चुभने भी लगता है.

अगर  नाखूना के बढने की रपतार ज्यादा है तो तत्काल डाक्टर से मिले. ध्ूप में निकलने से पहले रंगीन चश्मे को प्रयोग करे. चश्मा ऐसा हो जो आंखो को पूरी तरह ये ढक लेता हो. जिससे आंख को सीध्े सूर्य की रोशनी न लगे. ध्ूप , ध्ुआ और ध्ूल से आखांे को बचाये.  आंखो को ढकने के लिये अच्छी टोपी भी पहने सकते है. आपरेशन के जरीये ही इसको हटाया जा सकता है. यह आपरेशन आंखोंे के डाक्टर द्वारा किया जाता है. यह आसान भी होता है.

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आंख आना – कंजक्टिवाइटिस

आंखों का लाल होना , उनमें कीचड आना , दर्द होना , बरौनियो का आपस में चिपक जाना और आंखों में जलन का होना आंख आना यानि कंजक्टिवाइटिस कहलाता है. यह अक्सर मौसम बदलने और बीमार आदमी के सम्पर्क में आने से होता है. जब आप बीमार आदमी का तकिया , रूमाल और तौलिया इस्तेमाल करते है तो कंजक्टिवाइटिस हो जाता है. आमतौर पर जब घर में किसी एक को यह बीमारी हो जाती है तो दूसरे लोगो को भी यह बीमारी हो जाती है. कुछ सावधनियां अपनाकर इससे बचा जा सकता है. इस रोग के रोगी के संपर्क में जब भी आये तो हर बार अपने हाथो को अच्छे साबुन से धेये. इस तरह के रोगी की देखभाल सावधनी से करनी होती है. इसके लिये सापफ सपफाई का पूरा ख्याल रखना चाहिये.पानी को उबाल कर थोडा ठंडा हो जाने दे. इसके बाद आंखो को इससे सापफ करे और रूई के गोलो में पानी लेकर आंखो की सिकाई भी करे. आंख में लाली और सूजन ज्यादा हो तो बपर्फ से भी इसकी सिकाई की जा सकती है. डाक्टर की दी गयी दवा आंख में डाले इससे लाभ होगा.

पलको और बरौनियो के बीच पीले रंग के चकत्ते

पलको और बरौनियो के बीच पीले रंग के चकत्ते बन जाते है. इससे कोई बहुत नुकसान नही होता. यह देखने में खराब लगता है. इसको काट कर निकाला जा सकता है. यह आमतौर पर त्वचा की बीमारी होती है. इसको किसी तरह की क्रीम, लोशन और टेबलेट से दूर नही किया जा सकता है.

आंखों में रूखापन

आंख में चुभन , रगडन , जलन का होना , आंख का लाल हो जाना , चिपचिपा लगना और ध्ुंध्ला नजर आना आंखो में रूखेपन की निशानी है. इसका कारण आंसू का अच्छी तरह से न बनना होता है. पलको के ठीक से न खुलने और बंद होने से भी यह रोग हो जाता है. कम पानी पीने वालो और मेनोपॉज होने वाली औरतो को भी यह बहुत होता है. एयरकंडीशन में ज्यादा बैठने वालो को भी इस तरह की परेशानी हो जाती है. सही देखभाल और डाक्टर की सलाह से इसको दूर किया जा सकता

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