शराब पीना अलग बात है और शराबी होना अलग. शराबी जब मनमाफिक शराब पी लेता है तो उसे न तो अच्छेबुरे का ज्ञान रहता है और न रिश्तेनातों का. शराब ने हजारों घर उजाड़े हैं. यही हाल रामभरोसे  का था. दुख की बात यह है कि सजा उस की पत्नी और 4 बेटियों को भोगनी पड़ी. अगर… श्यामा निरंकारी बालिका इंटर कालेज में रसोइया के पद पर कार्यरत थी. वह

छात्राओं के लिए मिड डे मील तैयार करती थी. वह 2 दिन से काम पर नहीं आ रही थी, जिस से छात्राओं को मिड डे मील नहीं मिल पा रहा था. श्यामा शांतिनगर में रहती थी. वह काम पर क्यों नहीं आ रही, इस की जानकारी लेने के लिए कालेज की प्रधानाचार्य ने एक छात्रा प्रीति को उस के घर भेजा. प्रीति श्यामा के पड़ोस में रहती थी और उसे अच्छी तरह जानती थी.

प्रीति सुबह 9 बजे श्यामा देवी के घर पहुंची. घर का दरवाजा अंदर से बंद था. प्रीति ने दरवाजे की कुंडी खटखटाई, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला, न ही अंदर कोई हलचल हुई. श्यामा की बेटी प्रियंका प्रीति की सहेली थी, दोनों एक ही क्लास में पढ़ती थीं. प्रीति ने आवाज दी, ‘‘प्रियंका, ओ प्रियंका दरवाजा खोलो. मुझे मैडम ने भेजा है.’’

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प्रीति की काफी कोशिश के बाद भी दरवाजा नहीं खुला, न ही कोई हलचल हुई.

पड़ोस में श्यामा का ससुर रामसागर रहता था. प्रीति ने दरवाजा न खोलने की जानकारी उसे दी तो वह श्यामा के घर आ गया. उस ने दरवाजा पीटा और ‘बहू…बहू’ कह कर आवाज दी. लेकिन दरवाजा नहीं खुला.

रामसागर ने दरवाजे की झिर्री से झांकने की कोशिश की तो अंदर से तेज बदबू आई. इस से उसे लगा कि जरूर कोई गंभीर बात है. उस ने घबरा कर पड़ोसियों को बुला लिया. पड़ोसियों ने उसे पुलिस में सूचना देने की सलाह दी. यह 1 फरवरी, 2020 की बात है.

सुबह 10 बजे रामसागर बदहवास सा फतेहपुर सदर कोतवाली पहुंचा. कोतवाल रवींद्र कुमार श्रीवास्तव कोतवाली में ही थे. उन्होंने एक वृद्ध व्यक्ति को बदहवास हालत में देखा तो पूछा, ‘‘क्या बात है, इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

‘‘साहब, मेरा नाम रामसागर है. मैं शांतिनगर में रहता हूं. पड़ोस में मेरा बेटा रामभरोसे अपनी पत्नी श्यामा और 4 बेटियों के साथ रहता है. उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद है और भीतर से तेज दुर्गंध आ रही है. मुझे किसी अनिष्ट की आशंका हो रही है. आप मेरे साथ चलें.’’

रामसागर ने जो कुछ बताया, गंभीर था. थानाप्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस टीम साथ ली और रामसागर के साथ रामभरोसे के घर पहुंच गए. उस समय वहां पड़ोसियों का जमघट लगा था. लोग दबी जुबान से कयास लगा रहे थे.

थानाप्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव लोगों को परे हटा कर दरवाजे पर पहुंचे. दरवाजा अंदर से बंद था, उन्होंने आवाज दे कर दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे. घर के अंदर मां और उस की 4 बेटियां थीं. अंदर से दुर्गंध आ रही थी. निस्संदेह कोई गंभीर बात थी. थानाप्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी.

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जानकारी मिलने पर एसपी प्रशांत वर्मा, एएसपी राजेश कुमार और सीओ (सिटी) कपिलदेव मिश्रा मौके पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने पहले जानकारी जुटाई, फिर थानाप्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव को कमरे का दरवाजा तोड़ने का आदेश दिया. रवींद्र कुमार ने अपनी पुलिस टीम की मदद से दरवाजा तोड़ दिया. दरवाजा टूटते ही तेज दुर्गंध का भभका निकला.

पुलिस अधिकारियों ने घर के अंदर जा कर देखा तो उन का दिल कांप उठा. वहां का दृश्य बड़ा वीभत्स था. फर्श पर आड़ीतिरछी 5 लाशें एकदूसरे के ऊपर पड़ी थीं. मृतकों की पहचान रामसागर ने की. उस ने बताया कि मृतकों में एक उस की बहू श्यामा है, 4 उस की नातिन पिंकी (20 वर्ष), प्रियंका (14 वर्ष), वर्षा (13 वर्ष) और रूबी उर्फ ननकी (10 वर्ष) हैं.

सभी लाशें फर्श पर पड़ी थीं. देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे सभी ने जहरीला पदार्थ पी कर आत्महत्या की थी. क्योंकि लाशों के पास ही एक भगौना रखा था, जिस में कोई जहरीला पदार्थ आटे में घोला गया था. संभवत: उसी पदार्थ को पी कर मां तथा बेटियों ने आत्महत्या की थी.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की जांच हेतु फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच की तो पता चला कि उन लोगों ने जहरीला पदार्थ (क्विक फास) पी कर जान दी थी. घर से क्विक फास के 7 पैकेट मिले, 4 खाली 3 भरे हुए.

फोरैंसिक टीम ने जहरीले पदार्थ के सातों पैकेट जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लिए. भगौना तथा उस में घोला गया जहरीला पदार्थ भी जांच के लिए रख लिया गया.

श्यामा और उस की 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबर जिस ने भी सुनी, वही स्तब्ध रह गया. इस दुखद घटना की खबर जब निरंकारी बालिका इंटर कालेज पहुंची तो वहां शोक की लहर दौड़ गई. प्रधानाचार्य ने कालेज की छुट्टी कर दी. छुट्टी के बाद 20-25 छात्राएं शांतिनगर स्थित मृतकों के घर पहुंची. दरअसल, मृतका प्रियंका, रूबी और वर्षा निरंकारी बालिका इंटर कालेज में ही पढ़ती थीं.

जांचपड़ताल के बाद पुलिस अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे कि श्यामा ने आर्थिक तंगी और शराबी पति की क्रूरता से तंग आ कर बेटियों सहित आत्महत्या की है. हत्या जैसी कोई बात नहीं थी. पुलिस अधिकारियों ने पांचों शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

घर में 5 लाशें पड़ी हुई थीं, इतना कुछ हो गया था, लेकिन घर के मुखिया रामभरोसे का कुछ अतापता नहीं था. पुलिस अधिकारियों ने उस के संबंध में पिता रामसागर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रामभरोसे शराबी है. वह दिन भर मजदूरी करता है और शाम को शराब के ठेके पर जा कर शराब पीता है. उस की तलाश ढाबों व शराब ठेकों पर की जाए तो वह मिल सकता है.

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एसपी प्रशांत वर्मा ने सीओ (सिटी) कपिलदेव मिश्रा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिसे रामभरोसे की खोज में लगा दिया गया. पुलिस टीम ने कई शराब ठेकों पर उस की खोज की लेकिन उस का पता नहीं चला. पुलिस टीम रामभरोसे की खोज करते हुए जब जीटी रोड स्थित एक ढाबे पर पहुंची तो वह वहां बरतन साफ करते मिल गया. रामभरोसे को हिरासत में ले कर पुलिस टीम सदर कोतवाली लौट आई.

थानाप्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव ने श्यामा के नशेड़ी पति रामभरोसे के पकड़े जाने की खबर पुलिस अधिकारियों को दी तो एसपी प्रशांत वर्मा और एएसपी राजेश कुमार कोतवाली आ गए. पुलिस अधिकारियों ने रामभरोसे को जब उस की पत्नी और 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या करने की बात बताई तो उस के चेहरे पर पत्नी और बेटियों के खोने का कोई गम नहीं था.

पूछताछ में उस ने बताया कि उस की नशे की लत को ले कर घर में अकसर झगड़ा होता था. 3 दिन पहले उसका पत्नी से झगड़ा और मारपीट हुई थी. श्यामा ने जहर खा कर जान देने की धमकी भी दी थी, लेकिन उस ने नहीं सोचा था कि श्यामा सचमुच बेटियों के साथ जान दे देगी. वह ठंडी सांस ले कर बोला, ‘‘साहब, पूरा परिवार खत्म हो गया है, अगर कोई मुझे जहर ला कर दे दे तो मैं भी जहर खा कर मर जाऊंगा.’’

एएसपी राजेश कुमार ने रामभरोसे पर नफरत भरी निगाह डाली, फिर बोले, ‘‘रामभरोसे, तेरी क्रूरता और नशेबाजी की वजह से तेरी पत्नी व बेटियों ने अपनी जान दे दी. वह तो मर गई, लेकिन तुझे तिलतिल मरने को छोड़ गई. अब पश्चाताप के आंसू बहाने से कोई फायदा नहीं. तुझे तेरे कर्मों की सजा कानून देगा.’’

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने थानाप्रभारी रवींद्र कुमार श्रीवास्तव को आदेश दिया कि रामभरोसे के विरुद्ध आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज करें और उसे जेल भेज दें. रवींद्र कुमार श्रीवास्तव ने मृतका श्यामा के ससुर रामसागर को वादी बना कर रामभरोसे के खिलाफ भादंवि की धारा 309 के तहत मुकदमा दर्ज कर के उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान श्यामा की हताश जिंदगी के दुखद अंत की मार्मिक घटना प्रकाश में आई.

फतेहपुर जिले में एक गांव है नौगांव. इसी गांव के निवासी जयराम की बेटी थी श्यामा. बेटी सयानी हो गई तो 1996 में उस ने श्यामा की शादी रामभरोसे से कर दी.

रामभरोसे का परिवार फतेहपुर शहर के शांतिनगर मोहल्ले में रहता था. परिवार में उस के पिता रामसागर, मां गौरा के अलावा एक भाई दिनेश था.

रामसागर ट्रक ट्रैक्टर की कमानी की मरम्मत करने वाली दुकान पर काम करता था. उस ने रामभरोसे को भी उसी दुकान पर काम में लगा दिया था.

शादी के बाद अन्य औरतों की तरह श्यामा को भी पहले बेटे की चाहत थी. लेकिन उस की यह चाहत तो पूरी नहीं हुई. हां, उस की गोद में एक के बाद एक 4 बेटियां आ गईं. श्यामा की चारों बेटियां पिंकी, प्रियंका, वर्षा और रूबी भले ही किसी को न सुहाती हों, लेकिन उसे तो बेटों जैसी ही लगती थीं. बेटा न हो पाने से श्यामा की सास उस से नाराज रहने लगी थीं.

4-4 बच्चों का पालनपोषण कोई साधारण बात नहीं होती. श्यामा जब बच्चों के पालनपोषण में व्यस्त रहने लगी तो घरेलू कामों में उस का योगदान कम हो गया. काम न करने को ले कर श्यामा और उस की जेठानी सुषमा में झगड़ा होने लगा. वह श्यामा के रूपसौंदर्य से तो जलती ही थी, उस की बेटियों से भी नफरत करती थी. साथ ही सास के कान भी भरती रहती थी. सास सुषमा का पक्ष ले कर श्यामा को भलाबुरा कहती थी.

देवरानीजेठानी का झगड़ा बढ़ा तो घर में कलह ने पांव पसार लिए. रामभरोसे जब मां, भाभी और पत्नी के बीच पिसने लगा तो वह शराब पीने लगा. जिस दिन घर में कलह होती, उस दिन वह कुछ ज्यादा ही पी कर आता. श्यामा उसे टोकती तो वह उसे मारनेपीटने लगता.

नशे में वह मांबाप और भाईभौजाई को भी खूब खरीखोटी सुनाता. इतना ही नहीं, वह घर में तोड़फोड़ भी करता था. उस के उत्पात से पूरा घर सहम जाता था. धीरेधीरे पत्नीबच्चों को भूल कर रामभरोसे अपनी पूरी कमाई नशाखोरी में उड़ाने लगा था.

रोजरोज की कलह से आजिज आ कर रामसागर ने रामभरोसे को घर से अलग कर दिया. रहने के लिए उसे पड़ोस में ही एक कमरे बरामदे वाला मकान दे दिया. रामभरोसे अपनी पत्नी श्यामा और 4 बेटियों के साथ उसी एक कमरे वाले घर में रहने लगा.

लड़ाईझगड़े से निजात मिली तो श्यामा ने राहत की सांस ली. उस ने अपने विनम्र स्वभाव से पति को भी समझाया कि वह शराब पीना छोड़ दे और बेटियों की पढ़ाईलिखाई, पालनपोषण पर ध्यान दे. उस ने यह भी कहा कि वह कमाई का कोई दूसरा रास्ता खोजे, जिस से घरगृहस्थी ठीक से चल सके.

रामभरोसे शराबी जरूर था, लेकिन पत्नीबच्चों से उसे प्यार था. उस ने पत्नी की बात मान कर शराब पीनी छोड़ी तो नहीं, लेकिन कम जरूर कर दी. तब तक रामभरोसे कमानी मरम्मत का हुनर सीख चुका था. उस ने पिता के साथ काम करना छोड़ दिया और शांतिनगर स्थित एक गैराज में कमानी मरम्मत का काम करने लगा. गैराज से उसे अच्छी कमाई होने लगी.

पति कमाने लगा तो श्यामा की घरगृहस्थी सुचारू रूप से चलने लगी. वह पति की कमाई से पूर्णरूप से संतुष्ट न सही, पर असंतुष्ट भी नहीं थी. उस की बड़ी बेटी पिंकी शांतिनगर स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज में पहले से पढ़ रही थी. अब उस ने प्रियंका, वर्षा और रूबी को भी इसी बालिका विद्यालय में दाखिल करा दिया.

श्यामा अपनी बेटियों का जीवन संवारना चाहती थी, इसलिए वह उन के पालनपोषण तथा पढ़ाईलिखाई पर खास ध्यान देने लगी. बेटियों की पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए वह पड़ोस के एक धनाढ्य परिवार में खाना बनाने का काम करने लगी.

समय के साथ श्यामा की बेटियां साल दर साल बड़ी होती गईं. सन 2015 में एक बार फिर श्यामा के जीवन में ग्रहण लगना शुरू हो गया. इस ग्रहण ने उस के जीवन में ही नहीं, बल्कि बेटियों के जीवन में भी अंधेरा कर दिया.

हुआ यह कि जिस गैराज में रामभरोसे कमानी मरम्मत का काम करता था, उसी में एक युवक विपिन काम करता था. साथसाथ काम करते हुए विपिन और रामभरोसे में दोस्ती हो गई. दोस्ती गहरी हुई तो दोनों साथ खानेपीने लगे. दोस्ती के नाते एक रोज रामभरोसे विपिन को अपनेघर ले आया.

घर पर पीनेखाने के दौरान विपिन की नजर रामभरोसे की खूबसूरत बीवी श्यामा पर पड़ी. श्यामा 4 बेटियों की मां जरूर थी, लेकिन उस में यौनाकर्षण बरकरार था. पहली ही नजर में श्यामा विपिन के दिलोदिमाग पर छा गई. वह श्यामा को अपनी अंकशायिनी बनाने के सपने संजोने लगा.

विपिन जानता था कि श्यामा के बिस्तर तक पहुंचने का रास्ता रामभरोसे से हो कर जाता है, इसलिए उस ने रामभरोसे से और भी गाढ़ी दोस्ती कर ली. वह उसे मुफ्त में शराब और मीट खिलाने लगा. यही नहीं, वह गाहेबगाहे उस की आर्थिक मदद भी करता था. विपिन ने जब देखा कि रामभरोसे पूर्णरूप से उस के अहसान तले दब चुका है, तब उस ने कहा, ‘‘रामभरोसे, ठेके पर पीने से मजा किरकिरा हो जाता है. घर में बैठ कर पीने का मजा ही कुछ और है. भाभी के हाथ का पका गोश्त मजा और भी दूना कर देगा.’’

मुफ्त की शराब और गोश्त के लालच में रामभरोसे ने विपिन की बात मान ली. इस के बाद वह मीट की थैली और शराब की बोतल ले कर रामभरोसे के घर पहुंचने लगा. श्यामा मीट पकाती और वे दोनों बैठ कर शराब पीते. फिर साथ बैठ कर ही खाना खाते.

विपिन इस बीच श्यामा को ललचाई नजरों से देखता और उस की खूब तारीफ करता. बच्चों को ललचाने के लिए वह टौफीबिस्कुट लाता था. कभीकभी बच्चों को नकद रुपए भी थमा देता था. यहीं नहीं, वह श्यामा को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसे भी 5 सौ का नोट थमा देता था.

कहते हैं औरत को मर्द की निगाह की अच्छी परख होती है. श्यामा ने भी विपिन की नजर परख ली थी. वह जान गई थी कि विपिन की नजर उस के जिस्म पर है. उस ने उसे पापकुंड डुबोने के लिए पति का सहारा लिया है.

उस के मन में पाप है, अगर इस पाप में वह भागीदार बन गई तो वह बेटियों को भी नहीं छोड़ेगा. श्यामा उस के बढ़ते कदमों को रोकना चाहती थी.

एक दिन शाम को जब विपिन और रामभरोसे आए तो श्यामा दीवार बन कर दरवाजे पर खड़ी हो गई. उस ने साफ कह दिया, ‘‘विपिन, रोजरोज घर पर पीने का तमाशा नहीं चलेगा. पीना है तो ठेके पर जाओ. घर में हमारी बेटियां हैं. मैं उन के सामने तुम्हें शराब नहीं पीने दूंगी.’’

‘‘भाभीजी, आज आप को क्या हो गया जो खानेपीने को मना कर रही हो?’’ विपिन असहज सा हुआ तो वह तीखे स्वर में बोली, ‘‘विपिन, मैं कोई बच्ची नहीं हूं. सब जानती हूं, तुम मेरे घर में पैर क्यों पसार रहे हो. क्यों मेरे पति को गुमराह कर रहे हो, क्यों मेरी आर्थिक मदद करते हो. इन सब बातों का जवाब जानना चाहते हो तो सुनो, क्योंकि तुम्हारी निगाह मेरे जिस्म पर है.’’

कड़वी सच्चाई सुन कर विपिन की बोलती बंद हो गई. वह वापस लौट गया. ठेके पर पीने के दौरान विपिन ने श्यामा के खिलाफ रामभरोसे के खूब कान भरे, बेइज्जत करने का इलजाम लगाया.

देर रात नशे में धुत हो कर रामभरोसे घर आया तो विपिन को घर से बेइज्जत कर भगाने को ले कर श्यामा से भिड़ गया. श्यामा ने पति को समझाने का प्रयास किया, लेकिन उस की समझ में कुछ नहीं आया. उस ने श्यामा को जम कर पीटा. बड़ी बेटी पिंकी मां को बचाने आई तो उस ने उस की भी पिटाई कर दी.

विपिन की चाहत पूरी नहीं हुई तो उस ने श्यामा के जीवन को बरबाद करने का निश्चय कर लिया. शाम होते ही विपिन रामभरोसे को ठेके पर ले जाता. उसे जम कर शराब पिलाता, फिर श्यामा के खिलाफ भड़काता.

इस के बाद रामभरोसे नशे में धुत हो कर घर पहुंचने लगा. वह बातबेबात श्यामा से उलझता, फिर उसे जानवरों की तरह पीटता. बेटियां बचाने आतीं तो उन्हें गला दबा कर मारने की धमकी देता. पासपड़ोस के लोग चीखपुकार सुन कर श्यामा को बचने आते तो वह उन से भी भिड़ जाता. उन्हें भद्दीभद्दी गालियां देता और वापस जाने को कहता.

रामभरोसे जब रातदिन नशे में धुत रहने लगा तो गैराज मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया. विपिन ने भी अब उसे मुफ्त में शराब पिलाना बंद कर दिया था. वह शराब के जुगाड़ के लिए कभी रिक्शा चलाता तो कभी ढाबों पर जा कर बर्तन मांजता. शराब पीने के बाद कभी वह घर आता तो कभी ढाबे पर ही सो जाता. उसे अब न पत्नी की चिंता थी और न बेटियों की.

पति की नशेबाजी से घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी. जब बेटियों के भूखे मरने की नौबत आ गई, तब श्यामा नौकरी की तलाश में जुटी. 8वीं पास श्यामा को अच्छी नौकरी कहां मिलती. उस ने मोहल्ले में ही स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या से संपर्क किया और अपनी व्यथा बता कर जीवनयावन के लिए काम मांगा. प्रधानाचार्या ने श्यामा पर तरस खा कर उसे रसोइया की नौकरी दे दी. इस तरह श्यामा को 2 हजार रुपए माह वेतन पर मिड डे मील बनाने का काम मिल गया.

नौकरी मिलने के बाद श्यामा किसी तरह अपनी बेटियों का पालनपोषण करने लगी. उस की बड़ी बेटी पिंकी अब तक निरंकारी बालिका इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर महात्मा गांधी महाविद्यालय में बीए (फर्स्ट ईयर) में पढ़ने लगी थी.

उस की 3 बेटियां प्रियंका, वर्षा और रूबी निरंकारी बालिका विद्यालय में ही पढ़ रही थीं. श्यामा उन्हें सुबह अपने साथ ले जाती और फिर छुट्टी होने के बाद साथ ही ले आती थी. मिड डे मील का बचा खाना भी वह अपने साथ ले आती जो शाम को मांबेटियों के खाने के काम आता था.

नशेड़ी पति की दहशत से श्यामा व उस की बेटियां डरीसहमी रहती थीं. जब वह ज्यादा नशे में होता तो श्यामा दरवाजा नहीं खोलती थी. इस पर वह दरवाजा तोड़ने का प्रयास करता और खूब गालियां बकता. श्यामा के कमरे के सामने खाली जगह पड़ी थी. उस ने खाली जगह पर घासफूस का एक छप्पर रखवा कर एक चारपाई डलवा दी थी ताकि नशेड़ी पति कमरे के बजाए उसी छप्पर के नीचे सो जाए.

श्यामा की बड़ी बेटी पिंकी 19 साल की हो चुकी थी. वह मोहल्ले के कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना व अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल लेती थी. पिंकी की एक सहेली पूजा थी, जो उस के साथ ही पढ़ती थी. वह उस से कहती थी कि मां के हौसले से ही वह जिंदा है.

पहले वह छोटी बहनों को पढ़ा कर पैरों पर खड़ा करेगी. उस के बाद अपनी शादी की सोचेगी. वह मां का हौसला कभी नहीं टूटने देगी. उस की 14 वर्षीय छोटी बहन प्रियंका कक्षा 9 में और 13 साल की वर्षा 7वीं कक्षा में थीं, जबकि 10 वर्षीय रूबी अभी कक्षा 5 में थी.

रामभरोसे पक्का शराबी था. जिस दिन उस के पास शराब पीने को पैसे नहीं होते, उस दिन वह श्यामा से मांगता. इनकार करने पर वह उसे मारतापीटता और बक्से में रखे पैसे निकाल लेता. पैसा न मिलने पर वह घर का सामान बर्तन, अनाज व कपड़े उठा कर ले जाता और बेच कर शराब पी जाता. वह ऐसा कमीना बाप था, जो बेटियों के गुल्लक तक तोड़ कर पैसे निकाल लेता था.

नशेड़ी पति की हरकतों से परेशान श्यामा की हसरतें अधूरी रह गई थीं. उस के हौसले टूटने लगे थे, वह मानसिक तनाव में रहने लगी थी. कभीकभी वह अपना दर्द अपनी सहयोगी तारावती से बयां करती थी. वह उस से कहती थी कि बड़ी बेटी पिंकी के ब्याह की चिंता सता रही है. घर की माली हालत खराब है, ऐसे में उस की शादी कैसे होगी. पिंकी के अलावा 3 अन्य बेटियां भी हैं, जो साल दर साल बड़ी हो रही हैं.

30 जनवरी की शाम 4 बजे रामभरोसे घर आया. उस समय श्यामा के अलावा उस की चारों बेटियां घर पर ही थीं. रामभरोसे ने आते ही श्यामा से शराब पीने के पैसे मांगे. उस ने पैसा देने से मना किया तो रामभरोसे ने पास में रखा डंडा उठाया और श्यामा को पीटने लगा.

प्रियंका और रूबी शोर मचाने लगीं तो रामभरोसे ने उन्हें भी पीटना शुरू कर दिया. मांबेटी अपनी जान बचा कर भागीं तो उस ने उन का पीछा किया. उन्होंने किसी तरह रामशरण के घर में घुस कर जान बचाई. गुस्से से लाल रामभरोसे घर आया. उस ने घर का सामान तहसनहस कर दिया, घर के बाहर पड़ा छप्पर उलट दिया. फिर वह  शराब पीने ठेके पहुंच गया.

इधर श्यामा पति की हैवानियत से इतनी ऊब गई थी कि उस ने आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया था. वह बाजार से फसलों के बीज बेचने वाली दुकान से क्विक फास के 7 पाउच खरीद लाई. यह दवा गेहूं को घुन से बचाने के लिए गेहूं भंडारण में रखी जाती है.

दवा लाने के बाद श्यामा ने चारों बेटियों को अपने सामने बिठाया और बोली, ‘‘तुम्हारे नशेड़ी बाप की हैवानियत से मैं टूट चुकी हूं. उस के जुल्म अब और नहीं सह पाऊंगी. इसलिए मैं ने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया है.’’

यह सुन कर पिंकी बोली, ‘‘मां, आप तो मेरी संबल हो. आप के हौसले से ही हम जिंदा हैं. जब आप ही नहीं रहोगी तो हम जी कर क्या करेंगे. हम सब एक साथ ही मरेंगे.’’

‘‘शायद तुम ठीक कहती हो. क्योंकि मेरे न रहने पर वह नशेड़ी अपने नशे के लिए या तो तुम सब को बेच देगा या फिर घर को देह व्यापार का अड्डा बना देगा. इसलिए उस के जुल्मों से बचने के लिए आत्महत्या करना ही बेहतर है.’’

जब श्यामा की चारों बेटियां एक राय हो कर मां के साथ आत्महत्या करने को राजी हो गईं, तब श्यामा ने कमरे की अंदर से कुंडी बंद कर दी.

इस से बुरा क्या हो सकता है कि श्यामा के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि जहर मिलाने के लिए कोल्डडिंक या कोई पेय ले आती.

वह चूंकि फैसला कर चुकी थी, इसलिए उस ने भगौने में आटे का घोल बनाया और जहर की 7 में से 4 पुडि़या घोल में मिला दीं.

इस के बाद दिल को कड़ा कर के बारीबारी से चारों बेटियों को घोल पिला दिया और खुद भी पी लिया. जहरीले घोल ने कुछ देर बाद ही अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. सभी मूर्छित हो कर आड़ेतिरछे एकदूसरे पर गिर गईं. उन के प्राणपखेरू कब उड़े, किसी को पता नहीं चला.

लगभग 33 घंटे बाद इस घटना की जानकारी तब हुई, जब निरंकारी बालिका विद्यालय की छात्रा प्रीति श्यामा के घर आई. उस ने दरवाजा न खोलने की जानकारी श्यामा के ससुर रामसागर को दी. रामसागर ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो मां व उस की 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी हुई. पुलिस ने शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो नशेड़ी पति की हैवानियत से ऊब कर आत्महत्या करने की यह घटना प्रकाश में आई.

5 फरवरी, 2020 को थाना सदर कोतवाली पुलिस ने रामभरोसे को फतेहपुर की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया.

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