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Detox Diet Plan: बॉडी Detoxification के लिए खाने में शामिल करें ये 15 चीजें

सब से पहले अपनी डाइट से टौक्सिन का सेवन कम करें, अल्कोहल, कौफी, सिगरेट, रिफाइंड शूगर और सैचुरेटेड फैट, ये सब शरीर में टौक्सिन का कार्य करते हैं और शरीर की कार्यप्रणाली में रुकावट पैदा करते हैं. एक अच्छी डिटौक्स डाइट में 60% तरल और 40% ठोस खाद्य पदार्थ होना चाहिए. डिटौक्सीफिकेशन का पहला नियम है अपने शरीर को हाइड्रेट रखें. डिटौक्स डाइट प्लान के दौरान, फू्रटजूस, वेजीटेबल जूस ही लें और स्मोकिंग, अल्कोहल, कौफी और दूसरे स्टिमुलेट्स से बच कर ही रहें, साथ ही रेड मीट, फैट्स और शूगर वगैरह से बच कर रहें.

पहले 2 से 3 दिन तक शौर्ट व हलकी डाइट लें. डिटौक्सीफिकेशन की साइकिल हफ्ते में 1 दिन और महीने में 3 दिनों की रखें, अगर इस से लंबे समय की डिटौक्सीफिकेशन डाइट लेनी हो तो किसी डायटीशियन की सलाह लें.इस के अलावा पौजिटिव सोच रखें इस से दिमाग फ्रैश रहता है और चुनौतियों को स्वीकार करने में सक्षम होता है. खुद को रिलैक्स रखने के लिए 6 से 8 घंटे की नींद ले, तनाव में न रहें. आप संगीत सुन कर, किताबें पढ़ कर और स्विमिंग कर के तनावमुक्त रह सकते हैं.

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डिटौक्स करने वाले जरूरी आहार

नारियल पानीः

ताजे नारियल के जूस में कई इलेक्ट्रोलाइट्स और एंटीऔक्सीडेंट होते हैं. जो शरीर से टौक्सिंस को निकाल कर बौडी सिस्टम को साफ करते हैं. नारियल पानी में बड़ी मात्रा में बौडी में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की गजब की क्षमता होती है.

ग्रीन टीः

ग्रीन टी में एंटीऔक्सीडेंट्स होने की वजह से यह बौडी के फैट को खत्म करती है. इस से मैटाबोलिज्म भी स्ट्रांग रहता है और हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों से छुटकारा मिलता है. डायजेस्टिव सिस्टम की परेशानियां भी दूर हो जाती हैं.

खीरा, ककड़ीः

खीरे में मौजूद 95% पानी यूरिन के रास्ते से खतरनाक कैमिकल्स और एसिडिक पदार्थों को बाहर कर देता है. बौडी के लिए जरूरी पानी की कमी को ककड़ी खा कर काफी हद तक पूरा किया जा सकता है. पानी बौडी के आधे नुकसानदायक चीजों को डिटौक्सीफाई करने का काम करता है.

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मौसमी फलों का सेवनः

तरबूज, खीरा, ककड़ी, संतरा, अंगूर और सेब का रस, नीबू, अदरक शलगम तथा बीट रूट से बौडी को डिटौक्स कर सकते हैं.

केल की पत्तीः

यह एक बेहतरीन डिटौक्सीफाइंग जूस है. केल पत्ती को पीस कर इस में कुछ बूंदें नीबू रस, 1 चम्मच पिसा हुआ अदरक मिला कर तैयार कर और सुबह सेवन करें.

हरी प्याजः

एंटी औक्सीडेंट और सल्फर से भरपूर हरी प्याज डिटौक्सीफिकेशन (पौइजन केमिकल के प्रभाव को खत्म करना) में मदद करने वाले एंजाइम्स को एक्टिव कर देता है, साथ ही इस में कैलोरी भी बहुत कम होती है.

अखरोटः

इस में ओमेगा-3 होता है, यह दिल को हैल्दी रखता है साथ ही डिटौक्सीफिकेशन का काम भी बखूबी करता है. इस में मौजूद कौपर, मैग्नीशियम और बायोटीन कैंसर की बीमारी को दूर करते हैं.

हरा धनियाः

इस के एंटीसेप्टिक इंग्रीडिएंट्स नुकसानदायक तत्त्वों को सैल्स से दूर रखते हैं. साथ में लीवर की सफाई करने वाले एंजाइम्स को बढ़ाते हैं. इस की पत्तियों को चबा कर खाने से या खाने में डाल कर इस के बीजों को खाने से शरीर में मौजूद हानिकारक कैमिकल्स को आसानी से दूर किया जा सकता है.

सूरजमुखी के बीजः

सेलेनियम कैमिकल और विटामिन ई से भरपूर ये बीज लिवर के काम करने की क्षमता को बढ़ाते हैं. ये बौडी में बैड कोलेस्ट्रौल बनने से भी रोकते हैं. इस में मौजूद मैग्नीशियम दिल को हैल्दी रखने का काम करता है.

पालकः

पालक में डिटौक्सीफाइंग का गुण बड़ी मात्रा में पाया जाता है. इसे सब्जी, सूप या पीस कर पेस्ट तैयार कर के भी ले सकते हैं. नींबू, कालीमिर्च मिला कर पी सकते हैं.

ग्रीन ऐप्पलः

इस का स्वाद थोड़ा तीखा होता है. इसे रोज सुबह के समय लें. यह शरीर को अंदर से साफ करता है.

ब्लू बैरीः

छोटीछोटी ब्लूबैरी में बौडी को डिटौक्स करने के गुण होते हैं. इस में मौजूद एंथोक्रेनाइंस और एंटीऔक्सीडेंट शरीर में जमा विषैले पदार्थों को बाहर निकालते हैं.

विटामिन मिनरल हैं जरूरीः

फोलिक एसिड, विटामिन बी, कैल्सियम, विटामिन सी, डी और बी-12 की मात्रा शरीर में बनाएं रखें. रोजाना जरूरत के अनुसार विटामिन और मिनरल का सेवन करें.

पुदीनाः

यह शरीर में मौजूद टौक्सिन को आसानी से बाहर निकालता है. पुदीने की पत्तियों को मसल लें. फिर उस में नीबू की कुछ बूंदे डाल लें इस में नमक, कालीमिर्च डाल कर खाएं.

Top 10 Best Paneer Recipe in Hindi : टॉप 10 बेस्ट पनीर रेसिपी इन हिंदी

Paneer Recipe in Hindi : इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आएं है सरिता कि 10 best paneer recipe in hindi 2021. जिसमें हम आपको बताने की कोशिश करेंगे कि अगर आप पनीर की सब्जी बनाना चाहते हैं तो सरिता कि Top 10 Best Paneer Recipe से बना सकते हैं.

1.घर पर आसान तरीके से बनाए पनीर टिक्का

paneer tikka recipe hindi

पनीर लगभग हर किसी को पसंद आता है. लोग पनीर को कई तरह से खाना पसंद करते हैं. चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं. पनीर टिक्का बनाने की विधि.

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2. घर पर इस तरह बनाएं तवा पनीर बर्गर, जानें रेसिपी

तवा पनीर बर्गर बनाने के लिए आपको सबसे पहले बर्गर की फिलिंग तैयार करनी होगी.इसके लिए आप सबसे पहले एक प्याज और टमाटर को बारीक काट लें.इसके बाद पनीर को भी बेहद छोटे टुकड़ों में काट लें.अब आप एक तवा या पैन लें.इसमें ऑयल में लहसुन और प्याज डालकर फ्राई करें.अब इसमें टमाटर डालकर पकाएं.अब इसमें एक बड़ा चम्मच टोमेटो कैचप, शेजवान सॉस और रेड चिली सॉस डालकर मिक्स करें.अब इसमें पनीर के टुकड़े व नमक डालकर एक साथ मिक्स करें.

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3. आलू पनीर और प्याज के परांठे बनाएं ऐसे

जब आलू उबल जाए तो उलके छिलके उतार लें. उसके बाद से आप प्याज को बारीक काट लें. कटे हुए प्याज के साथ हरी मिर्च और धनिया पत्ता भी काटे. उसके बाद से सभी को आलू के साथ मिला लें. अब आलू में सभी लिखे गए मसाले को एक साथ मिक्स करलें लेकिन नमक को मिक्स करते वक्त ध्यान रखे उसे अपने स्वाद अनुसार ही मिक्स करें. अब आटा के लोई बना लेंऔर उसके अंदर आलू के स्टफड को भर दें. और अच्छे से उसे परांंठे के सेप दे दे. ध्यान रखे कि यह आलू का परांठ बीच से फटे न.

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4. घर पर बनाएं अजवाइनी पनीर टिक्का

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एक पैन में बेसन डाल कर उसे तब तक भूनें जब तक खुशबू न आने लगे, फिर आंच बंद कर ठंडा होने दें.इस बीच पनीर को छोटे टुकड़ों में काट लें. फिर एक बाउल में भुना बेसन, दही, नीबू का रस, सरसों का तेल और बाकी बची सारी सामग्री मिला कर पेस्ट तैयार कर उसे पनीर के टुकड़ों में लपेट कर 30 मिनट तक मैरिनेट होेने दें. फिर एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर उस में पनीर को सुनहरा होने तक फ्राई कर उस पर चाट मसाला और नीबू का रस डाल कर हरी सब्जियों से सजा कर पुदीने की चटनी के साथ सर्व करें.

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5. घर में ऐसे बनाएं सोयाबीन पनीर टोफू

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पनीर का प्रचलन आजकल सभी जगह हो रहा है. हमारी किसान महिलाएं भी उस प्रचलन में पीछे नहीं हैं. सोयाबीन पनीर काफी सस्ता पड़ता है, क्योंकि 1 लिटर दूध में तकरीबन 200 ग्राम पनीर निकल आता है, जो गाय के दूध से निकले हुए पनीर से काफी सस्ता पड़ता है और पौष्टिकता के लिहाज से भी किसी भी तरह से गाय के दूध से कम नहीं है. सोयाबीन दूध से पनीर बनाने के लिए जरूरी सामग्री सोयाबीन दूध – 2 लिटर सिट्रिक एसिड – 2 ग्राम या 2-3 नींबू सोयाबीन पनीर बनाने की विधि दूध को फाड़ने के लिए कैल्शियम सल्फेट की जरूरत होती है,

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6. घर पर इस आसान रेसिपी से बनाएं पनीर चाउमीन

कई बार हमें अपने घर का खाना का मन नहीं करता हैं. ऐसे में आप चाहे तो घर पर भी चॉउमिन बनाकर खा सकते हैं. तो आइए आज आपको बताते हैं. घर पर कैसे चाउमिन बनाएं. इसे बनाना बहुत ज्यादा आसान होता है. तो चलिए आज जानते हैं पनीर चाउमिन कैसे बनाएं.

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7. इस रेसिपी से बनाएं पनीर पुलाव

चावल को अच्छे से बीनकर धो लें उसके बाद एक कप पानी में भिंगने के लिए छोड़ दें.अब कुछ देर बाज चावल को माइक्रोवेब में या फिर किसी और चीज में उबाल लें ध्यान रखें कि चावल एकदम खिले-खिले होने चाहिए. अब चावल को ठंडा होने दें.

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8. Winter Special: आलू पनीर कुल्चा ऐसे बनाएं घर पर

 

 

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सबसे पहले एक बड़़े बर्तन में मैदा नमक बेकिंग सोड़ा को अच्छे से छान लीजिए, अब इसमें बड़ा चम्मच तेल और दही डालिए, आपस में अच्छे से मिलाएं, अब इसमें दूध डालिए और अच्छे से मिलाएं, अब थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर मुलायम आटा गुंथ लें. अब आटा को मुलायम होने के लिए एक चम्मच तेल डालिए, अब गिले कपड़े से ढ़कर आटे को कुछ देर के लिए गर्म स्थान पर ऱख दें. उसके बाद आटा जम मुलायम हो जाए तो उसके लोई बनाकर कुल्चा बना दें.

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9. आलू पनीर की सब्जी बनाने की आसान रेसिपी

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सबसे पहले उबले हुए आलुओं को काट लें. इसके बाद पनीर को भी मनचाहे साइज़ में काट लें.अब एक बड़े बाउल में दही, सूखी मेथी, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, कटे हुए   आलू और पनीर डालें और मिक्स कर लें. एक फ्राई पैन में घी डाल कर गर्म करें. घी गर्म होने पर उसमें प्याज डालें और भून लें. प्याज भुन जाने पर पैन में कटी हुई हरी मिर्च, अदरक लहसुन पेस्ट डालें और थोड़ा सा    भून लें. फिर उसमें कटे हुए टमाटर और नमक डालें और उसे चला कर 2 मिनट के लिये ढ़क दें.2 मिनट के बाद पैन में दही का मिश्रण डाल दें और चलाते हुए तब तक पकायें, जब       तक पैन चिकनाई न छोड़ने लगे. अब पैन में काली मिर्च पाउडर, सूखे मेवे, केसर और एक कप पानी मिलायें. और उबाल आने तक चलाते हुए पका लें, उसके बाद गैस बंद कर दें.

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10. जानें कैसे बनाएं पनीर पकौड़ा

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एक बाउल में बेसन, हल्दी पाउडश्र, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, हरी मिर्च, सोडा और नमक डालें. इसे अच्छी तरह मिला लें और 30 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें. एक कड़ाही में रिफाइंड तेल को गर्म करें.पनीर को बैटर में डालकर अच्छी तरह कोट कर लें और इसे कड़ाही में डालकर गोल्डन फ्राई करें और गर्मागर्म सर्व करें.

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Bigg Boss 15: प्रतीक सहजपाल ने किया अकासा सिंह के माता पिता को इंप्रेस, दिया ये बयान

बिग बॉस 15 के घर में प्रतीक सहजपाल अपने झगड़ों को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं, प्रतीक सहजपाल की कभी करण कुंद्रा के साथ लड़ाई हो जाती है तो कभी जय भानुशाली के साथ बहस छीड़ जाती है,

इन सभी लड़ाईयों के बीच प्रतीक सहजपाल और अकासा सिंह की दोस्ती लोगों का ध्यान उनकी तरफ खींच रही है. समय बीतने के साथ- साथ इन दोनों की दोस्ती और भी ज्यादा गहरी होती जा रही है. दोनों बिग बॉस के घर में अपने गेम के साथ- साथ अपनी दोस्ती को भी आगे बढ़ाते दिखाई दे रहे हैं.

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इसी बीच अकासा सिंह के माता पिता ने इनकी दोस्ती को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, इनके माता पिता ने इन लोगों की दोस्ती को रियल बता दिया है, अकासा सिंह के माता पिता ने कहा है कि अगर प्रतीक सहजपाल इस शो का हिस्सा नहीं होता तो अकासा सिंह इस गेम को अकेले खेलती.

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आगे उन्होंने कहा कि अकासा सिंह उनलोगों में से नहीं है जो किसी के दम पर अपनी पहचान बनाए, मेरे लिए तो अकासा सिंह और प्रतीक सहजपाल दोनों ही छोटे बच्चों की तरह हैं. आगे आकासा सिंह की मां ने बताया कि प्रतीक सहजपाल एक सच्चा इंसान है. उसकी दोस्ती फेक नहीं है.

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अकासा सिंह के पिता प्रतीक सहजपाल की तारीफ करते हुए कहे कि वह शो में सबसे अच्छा नजर आ रहा है. मेरी बेटी का रिश्ता शो के बाकी अन्य कंटेस्टेंट की तरह नहीं है, वो अपनी हद कभी पार नहीं करेगी. अकासा बच्ची नहीं है उसे अपना दोस्त चुनने का पूरा हक है.

Kuch Rang Pyar Ke Aise Bhi 3: शहीर शेख-एरिका फर्नांडिस के शो पर जल्द लगने वाला है ताला, जानें वजह

टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले कई सारे शोज लोगों के दिलों में बसा हुआ है, वह अपनी रुटीन में रोज इस शो को देखना पसंद करते हैं. इसी में से एक नाम है, सीरियल कुछ रंग प्यार के ऐसे भी, जिसके चाहने वाले फैंस की कमी नहीं है.

पिछले 2 सीजन से दर्शकों ने सोनाक्षी और देव के साथ अच्छा बॉन्ड बनाने की कोशिश की है, हालांकि यह खबर जानकर फैंस को काफी ज्यादा दुख होगा कि यह सीरियल जल्द ही बंद होने वाला है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि मेकर्स इस सीरियल को इस महीने के अंत तक बंद कर सकते हैं, कुछ समय पहले एरिका को शो छोड़ने की अफवाह आई थी, लेकिन उन्होंने इस फैसले से इंकार किया, इसका पिछला सीजन लोगों को काफी ज्यादा पंसद आया था, जिसे देखते हुए इसके 3 सीजने को लॉच करने की तैयारी चल रही थी.

इसके अलावा सीरियल के लीड एक्टर्स अपने कमिटमेंट को पूरा करने की तैयारी में लगे थें, शाहीर म्यूजिक वीडियो और शो की शूटिंग करने में व्यस्त थें. वहीं एरिका भी अपने अलग-अलग काम को लेकर व्यस्त थीं.

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इस शो के अलावा शाहीर शेख अंकिता लोखंडे के साथ सीरियल पवित्र रिश्ता 2 की शूटिंग में व्यस्त थें, पहले इस सीरियल में हिते तेजवानी और दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत इस किरदार को निभाते थें.

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सुप्रिया पिलगांवकर सुसराल गेंदा फूल सीरियल में काम करने के लिए फिर से तैयार हो गई हैं. जो पहले भी एक बार टीवी पर साल 2010 और 2012 में दिखाया जा चुका है.

सर्दी के मौसम में ऐसे पाएं झड़ते बालों से छुटकारा

सर्दी जल्द ही दस्तक देने वाली है. लेकिन इसके साथ ही कई प्रौब्लम्स की भी शुरुआत होने वाली है. इस मौसम में बेजान और गिरते बालों की प्रौब्लम सबसे ज्यादा होती है, जिससे छुटाकरा पाने के लिए मार्केट में कई औप्शन मौजूद हैं. लेकिन क्या आपने इस समस्या के लिए कभी कोई आयुर्वेदिक इलाज ट्राय किया है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे सर्दियों में झड़ते बालों की प्रौब्लम और उससे छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक इलाज के बारे में….

सर्दियों में बाल गिरने के कारण

सर्दियों में बालों से जुड़ी प्रौब्लम होना आम बात है और इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे- स्किन ड्राय होने के कारण रूसी यानी डैंड्रफ की परेशानी. वहीं कई लोग बालों को सही ढंग से सुखाते नहीं हैं, जिसके कारण भी बालों के टूटने की समस्या होती है. इसके अलावा बहुत ज्यादा शैम्पू और कैमिकल वाले प्रौडक्ट का इस्तेमाल करने से भी बाल झड़ने लगते हैं.

Kesh king से करें बालों के झड़ने का इलाज

तेजी से झड़ते बालों की प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए औयलिंग और मसाज सबसे अच्छा औप्शन है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि हफ्ते में 2 से 3 बार ऑइलिंग जरुर करनी चाहिए ताकि झड़ते बालों से छुटकारा मिल सके.

वहीं केश किंग तेल में मौजूद भृगराज, आंवला और ब्राह्मी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां बालों से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करती है. साथ ही यह बिना किसी कैमिकल के बालों को मजबूत बनाने का काम भी करती है. ये तेल इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड है और इससे लाखों लोगों को फायदा मिला है.

सर्दियों में झडते बालों की प्रौब्लम से बचने के लिए आप इस तेल का इस्तेमाल करें. इस बात का ध्यान रखें कि ये तेल जितना आपके बालों की जड़ों तक पहुंचेगा, उतने ही आपके बाल मजबूत होंगे, जिससे सर्दियों में आपको घने और शाइनी बाल मिल सकेंगे. आप इस तेल को अच्छे से जड़ों तक पहुंचाने के लिए डीप रुट कॉम्ब का इस्तेमाल करें.

औयल मसाज के बाद शैम्पू और कंडिशनर का करें इस्तेमाल

Oil मसाज करने के बाद आप इसके शैम्पू से बालों को धोएं औऱ कंडिशनर से बालों की कंडीशनिंग करें. क्योंकि इसमें हैं एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां जो आपके बालों को फ्रिज़ीनेस से बचाने के साथ उन्हें मुलायम व खूबसूरत बनाने का काम करती है. इन प्रौडक्ट्स की खास बात ये है कि ये केमिकल्स से फ्री है , जिससे आपके बाल पूरी तरह से सेफ हैं. इसे हर उम्र की महिला इस्तेमाल कर सकती हैं.

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बालों की ऐसे करें एक्स्ट्रा केयर
– गीले बालों में कंघी न करें, इससे बाल कमजोर हो जाते है.
–हल्के गीले बालों में सीरम लगाएं, सीरम बालों को स्मूद करता है, इससे बाल उड़े-उड़े नहीं लगते. यदि आपके बाल ड्राई, फ्रीजी या घूंगराले है तो आप हेयर सीरम का इस्तेमाल जरूर करें. फर्क आपको दिख जाएगा.

– बाल धोने के लिए ज्यादा गरम पानी का इस्तेमाल न करें.

– महीने में 2 बार स्पा जरूर लें. यदि पार्लर नही जा सकती तो घर पर ही स्पा कर लें.

– बालों को स्टीम जरूर दें. अगर आपके पास स्टीमर नहीं है तो आप हौट टौवल से भी बालो को स्टीम दें सकती है.

– बालों में इस्तेमाल होने वाले प्रौडक्ट्स की क्वालिटी का ध्यान रखें.

बैगन के पौधे में टमाटर उगा रहे हैं आदिवासी बच्चे

मध्य प्रदेश के कुंडम व कटनी जिले के आदिवासी बच्चे बैगन के पौधे में टमाटर उगा रहे हैं. पर यह इतना आसान भी नहीं होता है. ऐसा ड्राफ्टिंग विधि से होता है, पर इन 2 जिलों के 30 गांवों के 498 बच्चे ग्राफ्टिंग के हुनर में काफी माहिर हो चुके हैं और अपना कमाल दिखा रहे हैं. बच्चों ने लिया प्रशिक्षण मध्य प्रदेश के दोनों जिले कुंडम और कटनी के ये बच्चे आदिवासी बहुल वाले इलाके ढीमरखेड़ा में उद्यानिकी की बारीकियां सीख रहे हैं. एक संस्था की तरफ से इन बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया है. कृषि के क्षेत्र में बच्चों के आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि संबंधी उपकरण दिए गए हैं.

बच्चों को अपने घर पर कचरे से खाद बनाने की जानकारी दी गई है. बच्चे खाद बना कर इस का उपयोग भी करते हैं. इस के साथ ही बच्चों की पढ़ाईलिखाई का भी खयाल रखा जाता है. सभी बच्चे बागबानी को प्रोत्साहित करने की योजना से जुड़ कर बैगन के पौधे में टमाटर को जोड़ दे रहे हैं. इसे ग्राफ्टिंग कहा जाता है. इस तकनीक में पौधे 2 महीने में फल देने लगते हैं. साथ ही, सामान्य टमाटर के पौधों की तुलना में इन की पैदावार भी अधिक होती है. ड्राफ्टिंग करने वाले सभी बच्चों की उम्र 10 साल से 15 साल की है. ग्राफ्टिंग तकनीक का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि इस तकनीक द्वारा उगाए गए पौधे काफी मजबूत होते हैं और लंबे समय तक उलट हालात में भी जिंदा रहते हैं.

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इन पौधों को 72-96 घंटे तक पानी से भरे रहने पर भी पौधे खराब नहीं होते हैं, जबकि टमाटर की दूसरी प्रजाति 20 घंटे से 24 घंटे से ज्यादा जलभराव झेल नहीं पाते हैं. ग्राफ्टिंग तकनीक से घर की छत पर और गमलों में भी आसानी से पौधे लगाए जा सकते हैं. इस विधि द्वारा हम एक ही पौधे से 2 अलगअलग प्रकार की सब्जी या फल ले सकते हैं. साधारण बीजों से सब्जी और फलों के उत्पादन में कमी आ रही है, जबकि ग्राफ्टिंग के माध्यम से इस तरह के साधारण बीज वाले पौधे से भी अधिक उत्पाद ले सकते हैं. ग्राफ्टिंग से पहले होती है कटिंग ग्राफ्टिंग करने से पहले बैगन और टमाटर के पौधों को 4 से 6 इंच कर तिरछा काटा जाता है.

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इस के बाद टमाटर के पतले वाले हिस्से को बैगन के मोटे वाले हिस्से में चिपका दें. इस के बाद इसे प्लास्टिक से बांध दिया जाता है. यह पौधा 2 महीने में फल देने लगता है.  बैगन ही क्यों चुना जाता है ग्राफ्टिंग के लिए इस के लिए टमाटर और बैगन की नर्सरी एकसाथ तैयार की जाती है. ढाई महीने बाद दोनों के पौधे एक बराबर हो जाते हैं. दोनों की मोटाई एक हो जाती है, तब जा कर टमाटर को बैगन के साथ प्रत्यारोपित किया जाता है. बैगन का पौधा मजबूत होता है, जबकि टमाटर का पौधा कमजोर होता है, इसलिए वह एक ही बार फल देता है. चूंकि बैगन के पौधे मजबूत होते हैं, इसलिए ग्राफ्टिंग के लिए उन्हें चुना जाता है.

मैला आंचल

मैला आंचल : भाग 3

“वैसा ही था…?’’ शालिनी भाभी ने वैसा पर जोर दे कर कहा.‘‘मैं समझी नहीं,’’ यह सुन कर मेरा चेहरा बन गया. “आप को पता नहीं कि उन्होंने पटना में एक महिला से शादी की थी,’’ जान कर मुझे तीव्र आघात लगा. मुझे उन के चरित्र को ले कर कभी शकशुबहा नहीं हुआ. मेरे मांबाप ने मुझे उन के बारे में जो बताया, वही मेरा सामान्य ज्ञान था.

कुछ सोच कर मैं ने पूछा, ‘‘आप को कैसे पता चला?’’ ‘‘बाद में बताऊंगी. अभी सिर्फ इतना जानो कि उस का नाम सुंदरी था. वह वाकई में बेहद खूबसूरत थी. जब वह पहली बार नौकरी में आई, तब सारा महकमा उस का दीवाना हो गया. मगर, उस ने किसी को घास नहीं डाली. मगर, कब तक? नई उम्र की नई उमंग. उमंगों ने हिलोर मारी, तो एक अधिकारी पर दिल आ गया. अधिकारी से उन का रिश्ता बना और वह पेट से हो गई. सुंदरी ने इस की चर्चा उस अधिकारी से की.

“हमें जल्द से जल्द शादी कर लेनी चाहिए,’’ सुंदरी परेशान थी. अधिकारी पेशोपेश में पड़ गया. कहतेकहते 2 महीना गुजर गया. सुंदरी बेचैन. करे तो क्या करे. एक दिन मौका पा कर सुंदरी अधिकारी के आवास पर आई. वे अकेले रहते थे. ‘‘आप को मुझ से आज ही कोर्ट मैरेज करनी होगी?’’ सुंदरी बिफर पड़ी.

‘‘ऐसा मेरे लिए संभव नहीं है,’’ अधिकारी ने साफ लफ्जों में ऐसा कह दिया. ‘क्यों…?’’ ‘‘क्योंकि, मैं पहले से ही शादीशुदा हूं.’’ यह जान कर सुंदरी के पैरों तले जमीन ही खिसक गई. लगा कि अचेत हो कर वह जमीन पर गिर पड़ेगी. उसे अधिकारी ने संभाला.

‘‘तुम ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. अब मैं कहां जाऊं?’’ वह रोआंसी हो गई. वह कहती रही, ‘‘इतना बड़ा सच छुपाया… क्या जरूरत थी मुझ से संबंध बनाने की?” अधिकारी के पास इस का कोई जवाब नहीं था. जाहिर है, औरतों के मामले में पुरुषों की सोच एकजैसी ही होती है. मुफ्त में कोई चल कर आया तो क्या बुरा है उसे भोगने में. ऐसा ही किया उस अधिकारी ने.

‘‘मैं लोगों के बीच जाऊंगी.’’”तुम्हें क्या हासिल हो जाएगा. मेरी नौकरी जाएगी. हो सकता है, जेल भी चला जाऊं. मगर, अनचाही औलाद से क्या तुम मुक्त हो पाओगी? उलटे लोग तुम्हीं को चरित्रहीन कह कर बुरी नजरों से देखेंगे. सामाजिक घृणा की परछाईं हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी,’’ सुन कर सुंदरी की आंखें आईं.

स्त्री का प्रेम निश्छल होता है, मगर पुरुष भी इसी भावना से प्रेम करे, जरूरी नहीं. आज सुंदरी छली गई. भारी कदमों से चल कर वह अपने घर आई. एक बार जी किया कि आत्महत्या कर ले, मगर पेट में पल रहे बच्चे का खयाल आया तो बढ़ते कदम रुक गए.

2 दिन बाद सुंदरी औफिस आई. उस का चेहरा उतरा हुआ था. किसी काम में जी नहीं लगा. रहरह कर भविष्य की उसे दुश्चिंता घेर लेती. तब पेट गिराने का जमाना नहीं था और न ही उतनी उन्नत टैक्नोलौजी थी.शाम को 4 बजे के आसपास औफिस में एक आदमी वहां सुंदरी को खोजते हुए आया.‘‘अपने खेतों की पैमाइश के लिए आवेदन दिया था. अब तक कुछ हुआ नहीं.’’‘‘एक हफ्ते बाद आइएगा. देख लूंगी,’’ सुंदरी ने बेमन से कहा. वह चला गया.अधिकारी से इस बीच सुंदरी ने दूरी बना ली. औफिस में चर्चा तो हो ही रही थी, मगर किसी को यह भान नहीं था कि सुंदरी पेट से हो चुकी है. एक हफ्ते बाद वह आदमी पुनः आया.

‘‘आप बैठिए, मैं फाइल मंगवाती हूं.’’वह आदमी बैठ गया. इस दौरान सुंदरी ने महसूस किया कि उस आदमी की नजरें जबतब उस पर चली जातीं, तभी चाय आई.सुंदरी ने उसे चाय औफर की. पहले तो उस ने मना किया, मगर जब सामने चाय रखी जा चुकी तो मना न कर सका. ‘‘मैडम, एक आप हैं, जो मेरे काम में दिलचस्पी ले रही हैं, वरना मैं कई बार आ चुका हूं, कोई सुनता ही नहीं है,’’ सुंदरी कुछ नहीं बोली. वही आगे कहता रहा, ‘‘आप कहां की रहने वाली हैं?’’

‘‘कनार्टक की.’’ “वहां से यहां नौकरी कर रही हैं?” ‘‘पिताजी जमशेदपुर में सरकारी नौकरी करते थे. पढ़ाईलिखाई वहीं हुई. संयोग से नौकरी पटना में लग गई तो यहां रहने लगी.’’ तभी चपरासी आया. ‘‘मैडम, 2 दिन बाद इन्हें बुलाइएगा. बड़े बाबू की तबीयत ठीक नहीं है. वे  आज नहीं आएंगे.’’

सुंदरी को उस के कथन पर गुस्सा आया. मगर क्या करे, सिस्टम ही ऐसा है. ‘‘आप अपना फोन नंबर दे दीजिए. मैं काम होने पर आप को बुला लूंगी.’’ सुंदरी की सह्रदयता ने उस आदमी का मन मोह लिया. वह खुशीखुशी चला गया. 2 दिन बाद उस आदमी को सुंदरी ने बुलाया. काम हो जाने पर वह काफी खुश था.

‘‘मैडम, आप को एतराज न हो तो मैं एक छोटी सी भेंट देना चाहता हूं.’’सुंदरी को अचरज हुआ. वह आगे बोला, ‘‘मगर, यहां नहीं. आप के घर पर देना चाहूंगा.’’ सुंदरी के पेशानी पर बल पड़ गए. ‘‘साफसाफ कहिए. मैं किसी की भेंट स्वीकार नहीं करती.’’

‘‘आप परेशान मत होइए. गांव का आदमी हूं. सोचता हूं कि आप को अपने गांव का चावल खिलाऊं. यकीन मानिए, बहुत स्वादिष्ठ चावल होता है ” यह सुन कर सुंदरी को राहत मिली. ‘‘ठीक है,’’ सुंदरी ने उसे अपने घर का लोकेशन बताया. सुंदरी को वह भला आदमी लगा, वरना इस मामले में वह हमेशा सजग रहती है.

एक रविवार को सुंदरी के दरवाजे पर आटोरिकशा रुका. फाटक से झांक कर देखा, वही आदमी था. एक अन्य आदमी आटो से एक बोरा उतार रहा था. सुंदरी को समझते देर नहीं लगी कि वह चावल लाया है. उस ने मुसकराते हुए फाटक खोला. ‘‘आप ने बेकार में कष्ट क्यों किया. मेैं ने तो ऐसे ही कह दिया था.’’ ‘‘इस में कष्ट की क्या बात है. कौन सा मुझे ढोना था. यहां तक मेरे घर का नौकर ले कर आया है.’कमरे में चावल रखने का निर्देश देने के बाद उस आदमी ने अपने नौकर को बाहर बैठने के लिए कहा और खुद सुंदरी के डाइनिंग रूम में आ गया

हिंदी की महत्ता

हिंदी को अकसर गंवारों व गरीबों की भाषा मान कर दुतकारा जाता है. इस के दोषी खुद हिंदी वाले भी हैं क्योंकि 2021 में भी वे आमतौर पर सूरदास, कबीरदास या रामचंद्र शुक्ल से चिपके रहते है जबकि आधुनिक चुनौतियों को दरी के नीचे छिपा देते हैं. इस के विपरीत, हिंदी में युवाओं की सोच कम नहीं है. इस बाबत दिल्ली विश्वविद्यालय के 2021 के प्रवेश के आंकड़े कुछ रोचक तथ्य प्रस्तुत करते हैं.

कैंपस के कोने में भव्य बिल्डिंग में शिक्षा का प्रसार कर रहे रामजस कालेज को इंग्लिश और इकोनौमिक्स की पहली कटऔफ लिस्ट के तहत 99.75 प्रतिशत  अंक चाहिए थे तो हिंदी के लिए 94 प्रतिशत अंक चाहिए थे. और हिंदी विषय में इतने प्रतिशत अंक लाना आसान नहीं है.

हिंदी पिछड़ी जातियों की भाषा रह गई है, यह भ्रांति गलत है. इस कालेज में जनरल कैटेगरी में हिंदी के लिए 94 प्रतिशत अंक जरूरी थे. ओबीसी को मात्र 2 प्रतिशत की छूट मिल पाई और शिड्यूल कास्ट को 5 प्रतिशत की.

किरोड़ीमल कालेज में तीसरी कटऔफ लिस्ट के तहत जनरल कैटेगरी में हिंदी में प्रवेश 93.5 प्रतिशत अंक वालों को मिला, ओबीसी कैटेगरी में 92.5 प्रतिशत वालों और शिड्यूल कास्ट कैटेगरी में 90 प्रतिशत वालों को. वहीं, हिंदू कालेज, जो देश के अग्रणी 2-3 कालेजों में है, हिंदी औनर्स में जनरल कैटेगरी के तहत 95.50 प्रतिशत वालों, ओबीसी कैटेगरी के 94 प्रतिशत वालों और शिड्यूल कैटेगरी के 83 प्रतिशत अंक वालों को प्रवेश मिला.

इस से यह साफ होता है कि अपने प्रति दुर्भावना के बावजूद हिंदी भाषा वाले छात्र काफी मेहनत कर अच्छे अंक ला रहे हैं और उन का भविष्य इस माहौल में भी सुरक्षित है.

यह नहीं भूलना चाहिए कि इंग्लिश मीडियम के लाखों निजी स्कूल खुल जाने के बाद भी इंग्लिश में न तो कुछ नया खास लिखा जा रहा है, न पढ़ा जहा रहा है. मनोरंजन के क्षेत्र में भारतीय अंग्रेजी मौलिक कुछ नहीं बन पा रहा, न फिल्में, न टीवी धारावाहिक, न संगीत. जो उपन्यास लिखे भी जा रहे हैं उन में से अधिकांश हिंदू संस्कृति का प्रचार करने के लिए लिखे जा रहे हैं जिन में जातिवाद व अंधविश्वासों को बढ़ावा देने के साथसाथ इतिहास व वर्तमान को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है. मौलिक चिंतन वे इंग्लिश वाले भी नहीं कर पा रहे जो साधन संपन्न हैं और हर समय सिर पर ‘हम इंग्लिश वाले हैं’ का अदृश्य मुकुट लगाए घूमते हैं.

दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेजों की कहानी निश्चित तौर पर पूरे देश में दोहराई जा रही है. कहींकहीं हिंदी की जगह कोई और भारतीय भाषा होगी. यह पक्का है कि जब तक देश के नीतिनिर्धारक भारत की भाषा में नहीं बोलेंगे व नहीं लिखेंगे तब तक वे पिछले दरवाजे से भी इंग्लिश को नहीं ला सकते. भाषा अपनेआप में ज्ञान नहीं है. भाषा तो माध्यम है जिस से ज्ञान बांटा जाता है. इंग्लिश निश्चित रूप से वह भाषा नहीं है जिस से, भारत में, ज्ञान बांटा जा सके.

मैला आंचल : भाग 2

“ऐसा नहीं होगा. घरपरिवार की चिंता पुरुष को भी होती है,’’ कह कर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. उन के बांहों की जकड़ किसी सुरक्षा के घेरे से कम नहीं थी. मुझे राहत मिली. ऐसे ही प्यार, मुहब्बत और टकराव के बीच जिंदगी के 30 साल कैसे गुजर गए, पता ही न चला. बेटाबहू बनारस में बस गए. उन्हीें से मिलने मैं कभीकभार आ जाती हूं.

मैं अतीत से लौटी. आगे बढ़ कर उस महिला के पास आई. बदल तो वह काफी गई थी. फिर भी इतमीनान कर लेने में क्या जाता है.‘‘आप कहां की रहने वाली हैं?’’ मेैं ने पूछा. बिना जवाब दिए उस ने नजरें दूसरी तरफ फेर लीं.‘‘मम्मी, कहां आप फिजूल के चक्कर में पड गई हैं?’’ यह देख कर मेरे बेटे को कोफ्त हुई. मेरे बेटे का स्वर उस महिला के कानों पर पड़ा. उस से रहा न गया.

‘‘बेटा, जिंदगी में कुछ भी हो सकता है. एक औरत के साथ तो कुछ ज्यादा ही, क्योंकि वह पुरुषों के समाज में जीती है,’’ इतनी सारगर्भित बात सुन कर मैं सकते में आ गई. निश्चय ही यह महिला किसी भले परिवार की होगी. मेरा विश्वास प्रबल हो गया कि यही शालिनी भाभी होगी?

‘‘आप शिवपाल चाचा की बहू शालिनी तो नहीं?’’ उस ने कोई जवाब नहीं दिया.मैं उस के चेहरे पर बनतेबिगड़ते भावों को पढ़ने की कोशिश करने लगी. उस ने नजरें नीची कर लीं.आसपास खड़े लोगों के लिए मैं जिज्ञासा का विषय बन गई. मेरे बेटेबहू को यह हरकत नागवार लग रही थी. मगर मैं ने शालिनी भाभी को करीब से जाना था. इसलिए मुझे उन का मोह था. नए जमाने के बेटेबहू को इस से क्या लेनादेना. वैसे भी आजकल के बच्चे प्रेक्टिकल हो गए हैं. वे भावनाओं में नहीं बहते. एक हमीं थे, जो अब भी भावनाओं के भंवर में फंसे हुए थे. खयाल जो पुराने थे. उस की चुप्पी से साफ जाहिर हो रहा था कि उस के मन में कुछ चल रहा था. यही कि अपनी पहचान जाहिर करे या चुप्पी साध ले. पहचान जाहिर करने का मतलब पुराने जख्मों को फिर से हरा करना. जो पीड़ादायक होगा.

क्षणांश इंतजारी के बाद जब उस ने अपना मुंह नहीं खोला, तो मैं ने चलने का मन बना लिया.‘‘अगर आप शालिनी भाभी हैं, तो मुझे आप को इस स्थिति में देख कर भारी कष्ट है,’’ कह कर मैं आगे बढ़ गई.‘‘सुनो,’’ मैं 2-3 कदम ही चली कि उस महिला ने आवाज दे कर रोका. मैं सहर्ष पीछे की ओर मुड़ी. मेरा अनुमान सही था. मैं उस के पास आई, तब तक अच्छीखासी भीड़ जमा हो चुकी थी.

‘‘यहां रुकना ठीक नहीं होगा भाभी. मुख्य सड़क पर चलते हैं,’’ भाभी के संबेाधन पर मैं भावविभोर हो गई. उस ने अपना कटोरा उठाया.‘‘कटोरा यहीं छोड़िए. मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.’’‘‘यही मेरी रोजीरोटी है.’’‘‘फिलहाल तो आप इसे यहीं छोड़िए,’’ मेरे आग्रह को उन्होंने मान किया. थोडी दूर मेरी कार खड़ी थी.

’’कहां ले जा रही हो बिट्टो?’’ उन का इतना कहना था कि एक क्षण के लिए मैं अपने बचपन में खो गई. अरसा गुजर गया. अब तो कोई बचा ही नहीं है, जो मुझे इस नाम से पुकारे.कुछ पल के लिए मैं फिर से वही अल्हड़, लापरवाह किशोरी बन गई.‘‘कहां खो गई मम्मी,’’ बेटे के कहने के साथ मैं अतीत से उबरी.

मैं ने बिना देरी किए शालिनी भाभी को कार में बैठने के लिए कहा. वह हिचकिचाई. मैं ने कहा, ‘‘आप के और हमारे बीच एक गहरा रिश्ता है. मैं रिश्तों के आगे धनदौलत को अहमियत नहीं देती. आप मेरी भाभी हैं, इसलिए मेरा आप से सादर आग्रह है कि आप मेरे घर चलें.’’

मेरे आग्रह को वे टाल न सकीं. रास्तेभर हम मूक बने रहे. निश्चय ही शालिनी भाभी सहज नहीं थीं. उन के चेहरे के भाव बता रहे थे. मैं ने चोर नजरों से देखा. कितना बदल चुका था शालिनी भाभी का खूबसूरत चेहरा. उन के चेहरे का रंग फीका पड़ चुका था. आंखों में पहले जैसा नूर नहीं था. होंठों की रंगत गायब थी. कपोलों की लालिमा को मानो ग्रहण लग गया हो. आगे के दांतों ने भी साथ छोड़ दिया था. चेहरे पर आई बेहिसाब सलवटें मानो कितने जख्मों की कहानी कह रहे थे.

यह देख कर मेरा मन करुणा से भर गया. पहली बार जब मैं ने उन्हें देखा था, तो लगा मानो चांद जमीं पर उतर आया हो. इतनी खूबसूरत थीं शालिनी भाभी. रमेश भइया तो उन के पैर की धूल भी नहीं थे. ऊपर वाले की भी लीला अजीब है. किसी की भी जोड़ी परफेक्ट नहीं बनाते. पति सुंदर तो पत्नी असुंदर. पत्नी सुंदर तो पति असुंदर. लगता है, ऊपर वाले ने सोचसमझ कर ही इस दुनिया को बनाया है. फूल के साथ कांटों को भी रचा, ताकि सामंजस्य बना रहे.

घर पहुंच कर सब से पहले मैं ने शालिनी भाभी को नहाने के लिए कहा. नहाधो लेने के बाद मैं ने उन्हें पहनने के लिए एक अच्छी सी साड़ी दी.पहले तो उन्होंने मना किया. मगर मेरी जिद के आगे उन की एक न चली. अब वे कुछ ठीकठाक लग रही थीं.बहू हम दोनों के लिए नाश्ता बनाने में लग गई और मेैं उन का दास्तानेहाल जानने में.‘‘भाभी, अगर आप को एतराज न हो तो मैं आप की बदहाली की वजह जान सकती हूं?’’

मेरे इस प्रश्न पर वे थोड़ी विचलित हुईं. एक उसांस के साथ उन्होंने कहना शुरू किया, ‘‘मेैं ने ससुराल स्वेच्छा से नहीं छोड़ा, बल्कि अपने ससुर की वजह से छोड़ना पड़ा.’’‘‘पर, वे तो कहते थे कि आप बांझ थीं, इसलिए भगा दिया,’’ सुन कर वे उत्तेजित हो गईं. ’’झूठ, एकदम झूठ,” अगले ही पल उन्होंने खुद को संयत किया. ‘‘क्यों हमेशा से हमीं को दोषी ठहराया जाता है? पुरुष तो पुरुष, औरतें भी मर्दों के साथ खड़ी नजर आती हैं.’’

‘‘फिर सच क्या था…?’’ मेरी जिज्ञासा बढ़ी. ‘‘क्या आप को शिवपाल चाचा के चालचलन की जानकारी थी?’’ ‘‘चालचलन में क्या खराबी थी? पत्नी कम उम्र में चल बसी. 2 छोटेछोटे बच्चे थे. उन्होंने आजन्म विधुर रहने का फैसला लिया, तो सिर्फ बच्चों के हित के लिए. पता नहीं, सौतेली मां कैसी होगी. उन के इस फैसले की सारा गांव सराहना करता हेेैै,’’ सुन कर शालिनी भाभी के चेहरे पर एक रहस्यमयी मुसकान तिर गई.

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