लेखक-पल्लवी यादव, डा. ओम प्रकाश, डा. ब्रह्म प्रकाश एवं डा. कामिनी सिंह
प्राय: बौने गेहूं से ज्यादा से ज्यादा उपज लेने के लिए हलकी भूमि में पहली सिंचाई क्राउन रूट बोआई के 22 दिन से 25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था), दूसरी सिंचाई बोआई के 40 दिन से 45 दिन बाद कल्ले निकालने की अवस्था पर, तीसरी सिंचाई बोआई के 60 दिन से 65 दिन पर दीर्घ संधि या गांठें बनते समय, चौथी सिंचाई बोआई के 80 दिन से 85 दिनों पर फूल आने की अवस्था (पुष्पावस्था) में, 5वीं सिंचाई बोआई के 100 दिन से 105 दिनों पर बालियों में दूध जैसा पदार्थ बनने की अवस्था (दुग्धावस्था) में और छठी व अंतिम सिंचाई बोआई के 115 दिन से 120 दिनों पर बाली में दाना बनते समय करने से जल की बचत के साथसाथ भरपूर उपज भी प्राप्त होती है.
* गन्ने के साथ गेहूं की फसल लेने के लिए फर्ब विधि से गेहूं व गन्ने की बोआई करनी चाहिए. इस तरीके को अपनाने से पानी की बचत के साथसाथ दोनों फसलों की पैदावार भी ज्यादा मिलती है. फर्ब विधि से गेहूं और गन्ने की बोआई कृषि जल संरक्षण का किफायती व उपयोगी तरीका है. इस तरीके में औसतन 20 से 30 फीसदी सिंचाई के पानी की बचत की जा सकती है.
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फर्ब विधि से गेहूं और गन्ने की बोआई के कई फायदे हैं :
* खास अवस्था में गेहूं में यदि केवल 3 सिंचाई ही कर पा रहे हैं, तो ये सिंचाइयां ताजमूल अवस्था, बाली निकलने के पहले और दुग्धावस्था पर ही करने से गेहूं की भरपूर उपज मिलती है.